ममता से टूटे 17 लाख परिवार

निवेशक ने कहा, ‘हम मांग करेंगे कि सभी अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए और ठगे गए निवेशकों को पैसा लौटाया जाए.’

बताया जाता रहा है की शारदा चिटफंड घोटाले में 17 लाख निवेशकों का पैसा डूबा, और अब उनके इंसाफ की उम्मीद भी। यह मामला पैसे – राजनीति से कुछ अलग है। यकीन नहीं होता की ममता बैनर्जी राजनैतिक रूप से इतनी अपरिपक्व हो सकतीं थीं, जितना उन्होने अपने आप को दर्शा दिया। उन्होने अपने इस कदम से यह जाता दिया की उन्हे 17 लाख परिवारों की न कोई चिंता थी न है और न ही अब इन 17 लाख परिवारों के वोट की भी उन्हे लेश मात्र आवश्यकता है।

विभिन्न चिटफंड कंपनियों के हाथों धोखाधड़ी के शिकार हुए निवेशकों और एजेंटों ने सोमवार को कहा कि सीबीआई अधिकारियों को कोलकाता के पुलिस कमिश्नर से पूछताछ करने से रोकने के पश्चिम बंगाल के कदम से वे ठगा-सा महसूस कर रहे हैं. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर करोड़ों रुपए के इस घोटाले के पीछे की सच्चाई को छिपाने का प्रयास करने का आरोप लगाया.

चिटफंड कंपनियों से परेशान लोगों के संगठन चिट फंड सफरर्स फोरम के संयोजक आसिम चटर्जी ने कहा कि कोलकाता के पुलिस प्रमुख राजीव कुमार से पूछताछ की सीबीआई की कोशिश पर राज्य सरकार और केंद्र के बीच टकराव न केवल निंदनीय है बल्कि सच्चाई को छिपाने की कोशिश भी है.

फोरम के एक अन्य संयोजक जयंत हलधर ने कहा कि फोरम जल्द ही चिटफंट कंपनियों के हाथों ठगे गए निवेशकों की रैली करेगा.

उन्होंने कहा, ‘हम मांग करेंगे कि सभी अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए और ठगे गए निवेशकों को पैसा लौटाया जाए.’

ठगे गए निवेशक बीसू ने कहा, ‘मै एक चिटफंट कंपनी में एजेंट और निवेशक दोनों था. मुझे करीब 30 लाख रुपए का चूना लगा दिया गया. अब जब सीबीआई इस घोटाले के पीछे की सच्चाई ढूंढने का प्रयास कर रही है तब राज्य सरकार उसे रोकने की कोशिश कर रही है.’ उन्होंने कहा, ‘हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.’

उन्होंने आश्चर्य प्रकट किया कि राज्य सरकार शीर्ष पुलिस अधिकारी से पूछताछ को रोकने के लिए इतनी आतुर क्यों है. हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने बार बार कहा है कि उसी की सरकार है जिसने चिट फंड मालिकों को गिरफ्तार कराया.

बिहार पुलिस दिल्ली में गिरफ्तार

अभी बंगाल के सीबीआई V/s बंगाल पोलिस के प्रकरण का पटाक्षेप हुआ भी नहीं की दिल्ली में बिहार पुलिस के साथ यही घटना घट गयी।
ये घटना बिहार के सुपौल जिले के थाना इलाके के चकला निर्मली मोहल्ला का है जहां दिल्ली के रोहिणी स्थित के एन काटजू थाने के दो पुलिस एक लड़की के अपहरण के मामले की जांच करने सुपौल आए थे. 

सुपौल: अपहरण के एक मामले में दिल्ली पुलिस बिहार आई तो थी आरोपी को गिरफ्तार करने लेकिन खुद गिरफ्तार हो गई. जी हां, ये घटना बिहार के सुपौल जिले के थाना इलाके के चकला निर्मली मोहल्ला का है जहां दिल्ली के रोहिणी स्थित के एन काटजू थाने के दो पुलिस एक लड़की के अपहरण के मामले की जांच करने सुपौल आए थे. 

सोमवार सुबह अपहृत लड़की और आरोपी लड़के का सुराग नहीं मिला और चकला निर्मली स्थित एक मकान से उसे धर दबोचा गया. इसी बीच मोहल्ले के काफी लोग वहां पहुंच गए और देखा की कार्रवाई के दौरान दिल्ली पुलिस नशे में थी. इस बात की जानकारी मोहल्लों वालोम ने तत्काल उत्पाद विभाग को दे दी गई. 

वहीं, मौके पर पहुंची उत्पाद अधीक्षक और उत्पाद इंस्पेक्टर ने जब दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल मुकेश कुमार का ब्रेथ ऐनालाईजर किया तो नशे में होने की पुष्टि हुई. फिलहाल उत्पाद विभाग ने दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल मुकेश कुमार को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत मे जेल भेज दिया है.

हांलांकि, इस दौरान दिल्ली पुलिस कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात मुकेश कुमार की जांच के दौरान उत्पाद विभाग को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. कांस्टेबल ब्रेथ एनालाइजर मुंह मे डालना नहीं चाह रहा था जिसे लेकर उत्पाद विभाग के जवानों के साथ कई बार हाथापाई भी हो गई. करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद उत्पाद विभाग को सफलता मिली और कॉन्स्टेबल का जांच किया गया.

आपको बता दें कि दिल्ली के रोहिणी की रहने वाली एक नाबालिग लड़की के अपहरण की शिकायत उसके पिता ने इसी साल जनवरी महीने में रोहिणी थाने मे मामला दर्ज करवाया था. जिसे लेकर दिल्ली पुलिस सुपौल पहुंची इधर. वहीं, अपहृत लड़की का कहना है की उसका किसी ने अपहरण नहीं किया है. वो मधेपुरा जिले बिहारीगंज के रहने वाले एक लड़के से प्यार करती थी और उससे कोर्ट मैरेज करके खुशी-खुशी सुपौल में किराए के मकान में उसके साथ रह रही थी. 

वहीं, आरोपी अपरहरणकर्ता राजा का कहना है कि वो लड़की से प्यार करता था और लड़की के कहने पर उसे लेकर भागा. वहीं, जिस घर में किराए के घर में दोनों रह रहे थे उस घर के मकान मालिक का कहना है कि घर लेने से पहले उन्होंने दिखाया कि उनकी कोर्ट मैरिज हो चुकी है और प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. आज जानकारी मिली कि दिल्ली पुलिस उन्हें पकड़ने आई है.

वहीं, उत्पाद विभाग के इंस्पेकटर प्रकाश राम ने बताया कि हंगामा होने पर वो मौके पर पहुंचे और उत्पाद विभाग द्वारा ब्रेथ एनालाइजर लगा कर जांच किया गया तो दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल की नशे में होने की पुष्टि हुई जिसे हिरासत में लिया गया है.

इधर दिल्ली पुलिस के अधिकारी का कहना है कि वो एक लड़की के अपहरण के केस की वजह से यंहा पहुंचे थे. दोनों यहां मिले हैं मगर अधिकारी कांस्टेबल के शराब के नशे में नहीं होने की बात की.

ममता पर नितीश: ‘नेताओं को अब केवल वोट की चिंता है. देश की नहीं, देश की चिंता कौन करता है?’

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब ये पूछा गया कि अगर बिहार में ऐसा होता, तो वो क्या करते? इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या हम आपको ऐसे लगते हैं. हमारे यहां किसी अधिकारी पर दाग नहीं है. हम लोग ऐसा काम नहीं करते हैं. 

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बंगाल में सीबीआई की जांच को लेकर ममता बनर्जी के धरने पर सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन ये जरूर कहा है कि चुनाव आचार संहिता लगने में अभी एक महीने या उससे कुछ ज्यादा है. इस दौरान देश में कुछ भी हो सकता है, क्योंकि नेताओं को अब केवल वोट की चिंता है. देश की नहीं, देश की चिंता कौन करता है?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब ये पूछा गया कि अगर बिहार में ऐसा होता, तो वो क्या करते? इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या हम आपको ऐसे लगते हैं. हमारे यहां किसी अधिकारी पर दाग नहीं है. हम लोग ऐसा काम नहीं करते हैं. 

लोक संवाद के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बात की और कहा कि देश की स्थिति ठीक नहीं है. चुनाव नजदीक है, जब तक चुनाव की घोषणा नहीं होती है और देश में आदर्श चुनाव आचार संहिता नहीं लगती है, तब तक कुछ भी हो सकता है. कटुता का माहौल बनाया जा रहा है. आगे भी ऐसी घटना हो सकती है. मुख्यमंत्री ने ममता बनर्जी के धरने पर कहा कि इसका जवाब उनको ही देना चाहिए, आखिर वो क्यों ऐसा कर रही हैं. हमारी आदत जवाब देने की नहीं है. हम व्यवस्था के मुताबिक काम करते हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी घटनाएं तात्कालिक होती हैं, जिनका देश और लोगों पर कोई ज्यादा असर नहीं होता है. लोग घटनाओं को जल्दी ही भूल जाते हैं, उन्हें ये सब याद तक नहीं रहता है. बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने संबंधी सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ये काम कांग्रेस के समय में होता था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के मुताबिक फैसला दिया, जिससे काफी चीजें ठीक हो गईं. अब ऐसा नहीं हो सकता है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश ऐसे आते रहे हैं.

सीएम ने कहा कि 2005 में बिहार में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था, लेकिन उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ था. कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की थी. फैसले को गलत करार दिया था, लेकिन उसी समय चुनावों की घोषणा हो गयी थी. इसलिए ये अनुभव ठीक नहीं है. 

कुछ तो बोलेंगे राहुल
पटना में रैली के दौरान राहुल गांधी के बयान पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि चुनाव है, तो कुछ तो बोलेंगे ही. पटना विश्वविद्यालय के बारे में उनको किसी ने बता दिया होगा और लगा होगा कि ये सेंटिमेंटल फैसला है, इसलिए घोषणा कर दी. उन्होंने कह कि जब यूपीए की सरकार थी, तो क्यों नहीं पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया. अब इसलिए बात कर रहे हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे और उनके सामने हमने मुद्दा उठाया था, जिसको खारिज कर दिया गया था. इसीलिए राहुल गांधी ने मुद्दा उठाया होगा. 

बिहार की विकास दर क्या है
मुख्यमंत्री ने कहा कि राहुल गाधी के बेरोजगारी संबंधी बयान पर मत जाइये. आप इस बात पर गौर कीजिये कि बिहार की विकास दर क्या है? हाल में ही आंकड़ा आया है जिसे आप देख सकते हैं. यहां जो काम हो रहे हैं, उनके बारे में पता कीजिए. जब मैं आया था तब विकास दर क्या था और अब क्या है. उन्होंने पहले पर कैपिटा इनकम क्या थी और अब क्या है. फर्क खुद ही पता चल जायेगा. 

महागठबंधन है कहां?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि राहुल गांधी ने पटना में रैली के दौरान एक बार भी महागठबंधन का नाम नहीं लिया. वो बार-बार गठबंधन बोल रहे थे, तो ऐसे में महागठबंधन है कहां? महागठबंधन का नाम तो हमने दिया था. 

राशि के बारे में नहीं जानते
मुख्यमंत्री ने कहा कि राहुल गांधी की मिनिमन इनकम गारंटी योजना के बारे में सुना है, लेकिन कितनी राशि दी जायेगी, इसके बारे में जानकारी नहीं है. अगर किसी के पास उसका टेप है, तो भेज दें. जानकारी मिलने के बाद ही हम कोई प्रतिक्रिया देंगे, लेकिन ये सिर्फ चुनाव का मुद्दा है. इसे किस तरह से पूरा किया जाएगा ये देखना होगा. चुनाव के समय कुछ भी बोल देना आसान होता है.

सीबीआई V/s बंगाल पुलिस राजीव कुमार के खिलाफ है पर्याप्त आधार: एम. नागेश्वर राव

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच बढ़ते तनाव के बीच राज्य पुलिस और सीबीआई के बीच टकराव के हालात देखने को मिले.

कोलकाता: चिटफंड घोटालों के सिलसिले में कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ के लिए पहुंची केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों की एक टीम को रविवार रात पश्चिम बंगाल पुलिस ने हिरासत में लेकर छोड़ दिया.  इसको लेकर सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर एम. नागेश्वर राव ने कहा, ”हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इन चिट फंड मामलों की जांच कर रहे हैं. कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार की अध्यक्षता में शीर्ष अदालत के निर्देश से पहले पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ने एसआईटी का गठन भी किया गया था.”

राव ने बताया, ”उनका (राजीव कुमार) सबूतों को नष्ट करने और न्याय में बाधा डालने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन्होंने घोटाले से जुड़े सभी सबूतों और दस्तावेजों को जब्त कर लिया है. वे सभी दस्तावेजों को सौंपने में हमारा सहयोग नहीं कर रहे हैं और बहुत सारे सबूत नष्ट हो गए हैं या गायब हो गए हैं.”

हम कोलकाता पुलिस प्रमुख से पूछताछ करने गए थे
सीबीआई के संयुक्त निदेशक पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि एजेंसी के अधिकारी कोलकाता पुलिस प्रमुख राजीव कुमार के आवास पर उनसे चिटफंड मामले में पूछताछ करने गए थे और ‘अगर वह हमारा सहयोग नहीं करते तो हम उन्हें हिरासत में लेते’.

कोलकाता पुलिस प्रमुख से पूछताछ करने की सीबीआई की कोशिश ने उस समय अप्रत्याशित मोड़ ले लिया जब उन्हें पुलिस प्रमुख के आवास में प्रवेश करने से रोका गया. इसके बाद सीबीआई के अधिकारियों को पुलिस जीप से थाने ले जाया गया और हिरासत में ले लिया गया.

यह भी पढ़ें: जानिए कौन हैं कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार, जिनको बचाने के लिए धरने पर बैठीं ममता
इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पुलिस प्रमुख के आवास पर पहुंची और केंद्र सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध लेने का आरोप लगाया. जैसे को तैसा का कदम उठाते हुए कोलकाता के पुलिस अधिकारियों की एक टीम सीजीओ परिसर पहुंची. यहां सीबीआई का राज्य मुख्यालय है.

कोलकाता में पुलिस ने सभी सीबीआई अफसर छोड़े, CBI दफ्तरों पर सीआरपीएफ तैनात
तेजी से हो रहे इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ हम पुलिस प्रमुख के आवास पर जांच के लिए पहुंचे थे. और अगर वह हमारा सहयोग नहीं करते तो हम उन्हें हिरासत में लेते.’

उनसे जब पुलिस अधिकारियों द्वारा सीबीआई कार्यालयों की घेराबंदी और उनके खुद के घर की घेराबंदी करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे भी हिरासत में लिया गया और मेरे घर के बाहर पुलिस अधिकारी खड़े हैं.’

कोलकाता पुलिस का बयान
संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) प्रवीण त्रिपाठी ने बताया कि सीबीआई अधिकारियों को पूछताछ के बाद थाने से जाने दिया गया है. त्रिपाठी ने कहा, ‘‘ उन्होंने कहा कि वह यहां एक गुप्त अभियान के लिए आए थे. हमें नहीं पता कि यह किस तरह का अभियान है.’ बाद में शाम में केंद्रीय बल कोलकाता के सीबीआई कार्यालय पहुंचे, जिसकी घेराबंदी शहर की पुलिस पहले ही कर चुकी है.

कोलकाता पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर प्रवीण त्रिपाठी ने बताया कि सीबीआई अधिकारियों की एक टीम बिना किसी कागजात के आई थी, जिसे उन्होंने ‘सीक्रेट’ कहा था. जब प्रवीण त्रिपाठी से पूछा गया कि ऑपरेशन किस बारे में है, तो वे संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं दे सके.

कल एक मुख्यमंत्री कोलकाता पहुँच रहे हैं! उनके जाने से लोकतंत्र की रक्षा होगी: कुमार विश्वास

कोलकाता: पश्‍च‍िम बंगाल में रविवार (3 फरवरी) को कोलकाता पुलिस कमिश्‍नर से पूछताछ करने गई सीबीआई की टीम को राज्‍य पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. इसके बाद ममता बनर्जी केंद्र सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गईं. उन्होंने केंद्र सरकार पर देश के संवैधानिक ढांचे को तोड़ने के प्रयास का आरोप लगाया था. ममता बनर्जी ने अपने बयान में लोकतंत्र को बचाने की दुहाई दी. वहीं, इस मामले पर आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य और कवि कुमार विश्वास ने तंज कसते हुए ट्वीट किया है.

Dr Kumar Vishvas@DrKumarVishwas

😳
😳
🙏

कल एक मुख्यमंत्री कोलकाता पहुँच रहे हैं ! उनके जाने से लोकतंत्र की रक्षा होगी ! पर आज एक मुख्यमंत्री को कोलकाता में प्रवेश से रोक दिया गया था, क्यूँकि उनके आने से लोकतंत्र नष्ट हो जाता ! 20.4K10:29 PM – Feb 3, 2019Twitter Ads info and privacy9,438 people are talking about this

कुमार विश्वास ने ट्वीट करते हुए लिखा, ”कल एक मुख्यमंत्री कोलकाता पहुंच रहे हैं. उनके जाने से लोकतंत्र की रक्षा होगी. पर आज एक मुख्यमंत्री को कोलकाता में प्रवेश से रोक दिया गया था, क्यूंकि उनके आने से लोकतंत्र नष्ट हो जाता.” विश्वास ने इस मामले पर सिलसिलेवार कई ट्वीट किये. गौरतलब है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सोमवार (4 फरवरी) को पश्चिम बंगाल जाएंगे. वहीं, रविवार को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ममता सरकार ने रैलीस्थल पर हेलीकॉप्टर उतारने की अनुमति नहीं दी थी. इसके बाद योगी ने फोन से रैली को संबोधित किया था.

Dr Kumar Vishvas@DrKumarVishwas

ये दोनों तरफ़ के मल्लों की चुनावी कसरत है लेकिन देश और उसकी लोकतांत्रिक संस्थाओं के वैश्विक सम्मान के लिए ख़राब वक़्त है ! फिर कह रहा हूँ,अपने नेताओं-दलों को वोट दीजिए पर प्राथमिकता में पहले देश और उसके लोकतंत्र को रखिए.सत्ताएँ आती-जाती रहेंगी पर ऐसी हरकतें हमारी साख पर खरोंच हैंDr Kumar Vishvas@DrKumarVishwasहद्द है ! अपने-अपने खूँटों से बँधे गधे, अपने-अपने मालिकों के हक़ में रेंक रहे है पर देश के संवैधानिक संस्थानों की इस फ़ज़ीहत पर कोई बोलने को तैयार नहीं ? अपने मल्लयुद्ध में, बड़ी मेहनत से बने इस महान लोकतंत्र, उसकी संस्थाओं और राज्यों की स्वायत्तता को दाँव पर मत लगाओ करमजलो 2,1779:07 PM – Feb 3, 2019Twitter Ads info and privacy606 people are talking about this

एक अन्य ट्वीट में विश्वास ने लिखा कि ये दोनों तरफ के मल्लों की चुनावी कसरत है लेकिन देश और उसकी लोकतांत्रिक संस्थाओं के वैश्विक सम्मान के लिए ख़राब वक़्त है. फिर कह रहा हूं, अपने नेताओं-दलों को वोट दीजिए पर प्राथमिकता में पहले देश और उसके लोकतंत्र को रखिए. सत्ताएं आती-जाती रहेंगी पर ऐसी हरकतें हमारी साख पर खरोंच हैं.

Dr Kumar Vishvas@DrKumarVishwas

😡

हद्द है ! अपने-अपने खूँटों से बँधे गधे, अपने-अपने मालिकों के हक़ में रेंक रहे है पर देश के संवैधानिक संस्थानों की इस फ़ज़ीहत पर कोई बोलने को तैयार नहीं ? अपने मल्लयुद्ध में, बड़ी मेहनत से बने इस महान लोकतंत्र, उसकी संस्थाओं और राज्यों की स्वायत्तता को दाँव पर मत लगाओ करमजलो 8,4748:12 PM – Feb 3, 2019Twitter Ads info and privacy2,402 people are talking about this

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए लिखा कि हद्द है. अपने-अपने खूंटों से बंधे गधे, अपने-अपने मालिकों के हक में रेंक रहे हैं पर देश के संवैधानिक संस्थानों की इस फजीहत पर कोई बोलने को तैयार नहीं. अपने मल्लयुद्ध में, बड़ी मेहनत से बने इस महान लोकतंत्र, उसकी संस्थाओं और राज्यों की स्वायत्तता को दांव पर मत लगाओ करमजलो.

आपको बता दें कि पश्‍च‍िम बंगाल में रविवार को उस समय अभूतपूर्व स्‍थ‍िति बन गई, जब कोलकाता पुलिस कमिश्‍नर राजीव कुमार से पूछताछ करने गई सीबीआई की टीम को राज्‍य पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इसके बाद सीबीआई की टीम को हिरासत में लेकर पुलिस स्‍टेशन ले जाया गया. ये मामला सारदा चिट फंड से जुड़ा हुआ है. इसी मामले से संबंधित कुछ फाइलें गायब थीं, इसलिए सीबीआई राजीव कुमार से पूछताछ करने गई थी. इसके बाद सीबीआई अफसरों को हिरासत में ले लिया गया.

इति‍हास में ये पहली बार हो रहा है, जब पुलिस ने सीबीआई अधि‍कारि‍यों को ही गिरफ्तार कर लिया. मौके पर पुलिस और अधिकारियों के बीच हाथापाई भी हुई. कोलकाता पुलिस ने सीबीआई के 5 अधि‍कारि‍यों को गि‍रफ्तार कर लि‍या है. हालांकि बाद में उन्‍हें छोड़ दि‍या गया.

अब वक्‍त आ गया है कि‍ बंगाल में राष्‍ट्रपति शासन लगाया जाए: अधीर रंजन चौधरी

file photo : Adhir Ranjan Choudhary

ममता vs सीबीआई मामले में बंटी कांग्रेस, राहुल समर्थन में तो सांसद बोले-सीएम डाकुओं के साथ राहुल गांधी ने इस घटनाक्रम के बाद ममता बनर्जी का समर्थन करते हुए कहा, हम आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ममता बनर्जी डाकुओं और चोरों के साथ खड़ी हैं.

नई दिल्‍ली पश्‍च‍िम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी सरकार और सीबीआई के बीच छिड़ी जंग के बीच कांग्रेस उलझ गई है. इस मामले में पश्‍च‍िम बंगाल कांग्रेस ने अपनी राय जहां ममता बनर्जी के खिलाफ दी है तो वहीं कांग्रेस आलाकमान बंगाल की सीएम के साथ खड़ा नजर आ रहा है. राहुल गांधी ने इस घटनाक्रम के बाद ममता बनर्जी का समर्थन करते हुए कहा, हम आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, लेकिन उनकी ही पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ममता बनर्जी डाकुओं और चोरों के साथ खड़ी हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बनर्जी से फोन पर बात की और उनके प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि पूरा विपक्ष एकजुट है और यह फासीवादी ताकतों को हराएगा. राहुल ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल का घटनाक्रम भारत की संस्थाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं भाजपा के निरंतर हमलों का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस कंधे से कंधा मिलाकर ममता के साथ है.

यह भी पढ़ें: कोलकाता में पु‍लिस कम‍िश्‍नर के घर पहुंचे सीबीआई अधिकारियों को लिया ‘हि‍रासत’ में

कांग्रेस ने कहा कि कोलकाता में सीबीआई की कार्रवाई स्पष्ट तौर पर शक्ति का गलत इस्तेमाल करने और संघीय राजनीति पर ‘हमला’ करने जैसा है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह द्वारा सार्वजनिक तौर पर दी गई ‘धमकी’ के 48 घंटे के भीतर आया है. पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि बनर्जी को लेकर नरेंद्र मोदी और शाह की दुर्भावना काफी जहरीली है. भाजपा और नरेंद्र मोदी राज्य में विवाद पैदा करने के लिए बेचैन हैं.

राज्‍य में कांग्रेस के दिग्‍गज नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच की जा रही है. लेकि‍न ममता बनर्जी डाकुओं और चोरों के साथ खड़ी हैं. ये कैसा राज्‍य है, जहां भ्रष्‍ट पुलिस अधिकारी के बचाव में वह धरना प्रदर्शन कर रही हैं. अधीर रंजन चौधरी ने कहा अब वक्‍त आ गया है कि‍ बंगाल में राष्‍ट्रपति शासन लगाया जाए.

अधीर रंजन चौधरी तृणमूल के कट्टर आलोचक
अधीर रंजन चौधरी ने तो साफ कर दिया है कि भले उनकी पार्टी आलाकमान की कुछ भी सोच हो, लेकिन वह सोचते हैं कि इस मामले में ममता बनर्जी गलत हैं, क्‍योंकि वह अपनी आंखों से रोजाना प्रदेश में गलत होता देख रहे हैं. बता दें कि अधीर रंजन चौधरी ही वह नेता हैं, जो कांग्रेस और तृणमूल के गठबंधन के सबसे ज्‍यादा खिलाफ हैं.

पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार भी ममता के साथ धरने पर बैठे

कोलकाता में चिटफंड घोटाले से जुड़ा जबरदस्त हंगामा सामने आया है. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी धरने पर बैठ गई हैं. बनर्जी को कल यानी सोमवार को पश्चिम बंगाल की विधानसभा में बजट भाषण देना था. अब वह धरना स्थल से ही विधानसभा को फोन के जरिए संबोधित करेंगी.

इसके अलावा खबर ये भी मिली है कि कोलकाता पुलिस ने सीबीआई के जिन अधिकारियों को हिरासत में लिया था उन्हें छोड़ दिया गया है. साथ ही सीबीआई के दफ्तर के बाहर मौजूद पुलिसकर्मियों को भी हटा लिया गया है.

दरअसल कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर चिटफंड घोटालों के मामले की पूछताछ के लिए रविवार को सीबीआई की एक टीम पहुंची लेकिन वहां तैनात पुलिस ने सीबीआई को घर में घुसने से रोक दिया. इस दौरान सीबीआई अधिकारियों और मौजूद पुलिस के बीच टकराव की स्थिति भी बन गई क्योंकि कोलकाता पुलिस सीबीआई के कुछ अधिकारियों को जबरदस्ती नजदीक के थाने में ले गई.

मामले के सामने आने के बाद बंगाल की सियासत में तूफान आ गया. खुद सीएम ममता बनर्जी राजीव कुमार के लाउडन स्ट्रीट स्थित आवास पहुंच गईं. सीबीआई ने शनिवार को दावा किया था कि राजीव कुमार फरार चल रहे हैं और शारदा व रोज वैली चिटफंड घोटालों के सिलसिले में उनकी तलाश की जा रही है. इस दावे के एक दिन बाद सीबीआई के करीब 40 अधिकारियों की एक टीम रविवार शाम कुमार के आवास पर पहुंची थी, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया.

कुछ ही देर बाद कोलकाता पुलिस के अधिकारियों की एक टीम सीबीआई अधिकारियों से बातचीत के लिए मौके पर पहुंची और यह पता लगाने की कोशिश करने लगी कि क्या उनके पास कुमार से पूछताछ करने के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स थे.

यह भी पढ़ें: कोलकाता में पु‍लिस कम‍िश्‍नर के घर पहुंचे सीबीआई अधिकारियों को लिया ‘हि‍रासत’ में

पुलिस कमिश्नर के घर के बाहर खड़े सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम इस मुद्दे पर अभी कोई बात नहीं करना चाहते. देखते हैं कि क्या होता है. थोड़ा इंतजार करें.’

बाद में सीबीआई अधिकारियों की एक छोटी सी टीम को बात करने के लिए शेक्सपियर सरनी पुलिस थाने ले जाया गया. कुछ और लोगों के मौके पर पहुंचने पर हंगामा हो गया. जिसके बाद सीबीआई अधिकारियों को जबरन पुलिस थाने ले जाया गया.

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इस मामले पर क्या कहा

हंगामे के बीच सीएम ममता बनर्जी वहां पहुंच गईं. वह पहले ही राजीव कुमार के प्रति अपना समर्थन जता चुकी थीं. रविवार सुबह ही उन्होंने राजीव कुमार को देश का सबसे बेस्ट पुलिस ऑफिसर बताया था.

ममता ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी, पुलिस और अन्य सभी संस्थाओं पर नियंत्रण हासिल करने के लिए सत्ता का गलत इस्तेमाल कर रही है. यह सारा विवाद पीएम मोदी की साजिश है इसलिए उनके घर पर सीबीआई भेजी गई.

ममता ने कहा, ये कार्यवाही पीएम मोदी के बंगाल दौरे के बाद हो रही हैं. उनके घर पर काम करने वालों से भी पूछताछ हो रही है. ये सब एनएसए अजीत डोभाल के इशारे पर हो रहा है लेकिन राजीव कुमार दुनिया के सबसे बेहतरीन अधिकारियों में से एक हैं.

बनर्जी ने यह भी कहा, ‘चिटफंड मामले में हमने जांच और गिरफ्तारी की, इसके बाद भी सीबीआई की इतनी हिम्मत कैसे हुई कि कोलकाता के कमिश्नर के घर बिना वारंट के पहुंच गई.’ उन्होंने कहा कि यह भारतीय संघीय ढांचे पर हमला है इसलिए तमाम विपक्षी दल एक होकर मोदी हटाओ देश बचाओ की मुहिम चलाएं.

ममता की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार भी सामने आए. हालांकि उन्होंने मीडिया से बातचीत नहीं की. ममता ने कहा कि यह कार्रवाई बदले की भावना से की गई है. सीबीआई बिना वारंट के पुलिस कमिश्नर के ऑफिस पहुंची थी.

उन्होंने कहा, ‘मैं इस घटना से दुखी हूं. देश में अपातकाल है और मैं संविधान बचाने के लिए हड़ताल पर बैठूंगी. बंगाल में कल बजट पेश होना है लेकिन मैं इस कार्यवाही के चलते मेट्रो सिनेमा के बाहर धरने पर बैठूंगी.’

ममता ने कहा, कोलकाता पुलिस प्रमुख के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध वाली है, प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पश्चिम बंगाल में तख्तापलट की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि तृणमूल कांग्रेस ने यहां विपक्ष की रैली का आयोजन किया था. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर सीबीआई को निर्देश दे रहे हैं.

ममता बनर्जी ने चिटफंड घोटाला मामले में सीबीआई के साथ दस्तावेज साझा करने पर कहा, कानून-व्यवस्था राज्य का मामला है, हम क्यों आपको (सीबीआई) सब कुछ दे दें. मैं संविधान की रक्षा के लिए आज रात धरने पर बैठूंगी और इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन करूंगी.

क्या है चिटफंड घोटालों से जुड़ा पूरा मामला

सीबीआई के मुताबिक, चिटफंड घोटालों की जांच के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा गठित एसआईटी की अगुवाई कर चुके आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार से गायब दस्तावेजों और फाइलों के बारे में पूछताछ करनी है, लेकिन उन्होंने जांच एजेंसी के सामने पेश होने के लिए जारी नोटिसों का कोई जवाब नहीं दिया.

सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल कैडर के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार ने चुनावी तैयारियों की समीक्षा के लिए पिछले दिनों कोलकाता आए चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था. रविवार को कोलकाता पुलिस ने एक बयान जारी कर उन खबरों को सिरे से खारिज किया था कि राजीव कुमार ड्यूटी से गायब हैं.

पुलिस ने अपने बयान में कहा था, ‘कृपया इस बात पर ध्यान दें कि कोलकाता के पुलिस कमिश्नर न केवल शहर में उपलब्ध हैं बल्कि नियमित तौर पर ऑफिस आ रहे हैं. सिर्फ 31 जनवरी 2019 को वह ऑफिस नहीं आए, क्योंकि उस दिन उन्होंने छुट्टी ली थी. इसलिए सभी संबंधित पक्ष इस बात पर गौर करें कि अगर बिना जांच के कोई खबर फैलाई जाती है तो कोलकाता के पुलिस कमिश्नर और कोलकाता पुलिस दोनों की मानहानि का मामला चलाया जाएगा.’

अवार्ड वापसी गैंग फिर सक्रिय

मणिपुर के जाने माने फिल्मकार और कम्पोजर अरिबम श्याम शर्मा ने 2006 में प्राप्त पद्म श्री सम्मान को वापस कर दिया है. 

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले देश में एक बार फिर अवार्ड वापसी गैंग सक्रिय हो गया है. मणिपुर के जाने माने फिल्मकार और कंपोजर अरिबम श्याम शर्मा ने 2006 में प्राप्त पद्म श्री सम्मान को वापस कर दिया है. बताया जा रहा है कि उन्होंने यह सम्मान नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में किया है. रविवार को इंफाल स्थित अपने आवास से अरिबम ने सम्मान को वापस करते हुए कहा कि ‘नागरिकता बिल के विरोध में उन्होंने ये सम्मान वापस करने का फैसला किया है. 

फिल्मकार अरिबम ने सम्मान वापस करते समय कहा कि, मणिपुर वासियों को इस वक्त सबसे अधिक सुरक्षा की जरूरत है. जहां एक तरफ लोकसभा में 500 से अधिक सदस्य हैं. वहीं सिर्फ एक या दो सदस्य ही लोकसभा में मणिपुर की तरफ से हैं. उत्तर पूर्वी हिस्से की आवाज सदन में नहीं पहुंचती. यहां के लोगों के लिए अधिक सुरक्षा और व्यवस्था की जरूरत है.

क्या है नागरिकता संशोधन बिल 
नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी के बाद ही असम में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है. प्रस्तावित विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है. असम के लोगों को मानना है कि नागरिकता संशोधन बिल 2016 को कैबिनेट की मिली स्वीकृति के बाद असम की संस्कृति और असमिया अस्तित्व खत्म हो जाएगा. विरोधियों का कहना है कि इस विधेयक की वजह से कि इसका संवेदनशील सीमावर्ती राज्य की भौगोलिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ेगा. और विधेयक के प्रावधान से 1985 का असम समझौता खत्म हो जाएगा . जिसमें मार्च 1971 के बाद राज्य में प्रवेश करने वाले सभी अवैध प्रवासियों को वापस भेजे जाने का प्रावधान है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों. 

बिहार चुनाव के दौरान शुरू हुआ था अवार्ड गैंग
आापको बता दें कि इससे पहले साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने दावा किया था है कि उनके पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि 2015 का तथाकथित ‘अवार्ड वापसी’ अभियान का मकसद राजनीतिक था और उसका मकसद बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार को बदनाम करना था. हिंदी लेखक और कवि अशोक वाजपेई की अगुवाई में 2015 में 50 से अधिक साहित्यकारों ने अपने पुरस्कार यह कहते हुए वापस कर दिए थे कि मोदी सरकार के आने के बाद देश में असहिष्णुता बढ़ गई है.

पुरस्कार वापसी अभियान राजनीति से प्रेरित था ताकि मोदी सरकार बदनाम हो : विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने अपनी पत्रिका दस्तावेज में दस पेज के एक लेख में इन बातों का जिक्र किया था. समाचार पत्र इकनॉमिक टाइम्स के अनुसार अशोक वाजपेई ने इन दावों को खारिज किया था. वाजपेई कहा कि जिन लोगों ने पुरस्कार वापस किए, उनमें से ज्यादातर एक दूसरे को जानते तक नहीं थे और पुरस्कार इसलिए वापस किए गए क्योंकि देश में पैदा हुए हालात लेखकों से एकजुटता की मांग कर रहे थे.

लेखकों के तीन समूह
तिवारी ने ‘एवार्ड-वापसी की सच्चाई और इसके पीछे का पाखंड’ शीर्षक वाले अपने लेख में लिखा था कि चार महीने तक चल ये अभियान लेखकों के तीन समुहों द्वारा प्रेरित था. पहला- जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से घृणा करते थे, दूसरा- जो सरकार को बदनाम करना चाहते थे और तीसरा- ऐसे लेखक जो अपना प्रचार चाहते थे. तिवारी ने लिखा, ‘मेरे पास सबूत है कि अवार्ड वापसी स्वतःस्फूर्त नहीं था और इसे पांच लेखकों ने योजना बनाकर शुरू किया था. इसमें से कई ऐसे हैं जो पीएम मोदी के सत्ता में आने के पहले से एंटीमोदी सभा कर रहे थे.’

उन्होंने लिखा था कि ये अभियान पीएम मोदी, साहित्य अकादमी और खुद तिवारी के प्रति उनकी घृणा का परिणाम था. उन्होंने इस समय के मैसेज और पत्र भी प्रकाशित किए जो उन लेखकों ने भेजे थे, जिन पर पुरस्कार उनके साथ पुरस्कार वापस करने के लिए दबाव बना रहे थे. उन्होंने कहा कि इस अभियान को चलाने वाले कई लोग लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान लालू प्रसाद यादव की जीत का जश्न मना रहे थे.

अयोध्या गोलीकांड: तत्कालीन एसएचओ का दावा, ‘मौत का आंकड़ा कम दिखाने को दफनाई गईं कारसेवकों की लाशें’

साभार अर्श अग्रवाल के फकेबुक वाल से

जिस देश में देश द्रोहीयों, आतंकवादियों, दहशतगर्दों ज्धन्य अपराध करने वालों को मौत की सज़ा देने के बाद उचित संस्कार की परंपरा रही है वहीं तत्कालीन मुलायम सरकार ने कारसेवकों को उचित अंतिम संस्कार की बात तो दूर उनकी पहचान तक को खत्म कर दिया। हिन्दू कारसेवकों को उनकी पहचान के साथ दफना दिया गया। यह खुलासा एक निजी टीवी चैनल पर तत्कालीन एसएचओ बहादुर सिंह ने किया ।

अयोध्या गोलीकांड में कारसेवकों की मौत को लेकर आंकड़ों पर हमेशा संशय रहा है। हालांकि एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में तत्कालीन एसएचओ और राम जन्मभूमि थाने के प्रभारी वीर बहादुर सिंह ने बताया है कि मौत का आंकड़ा कम दिखाने के लिए कई कारसेवकों की लाशों को दफनाया गया था।


अयोध्‍या गोलीकांड के बारे में एक टीवी चैनल ने बड़े खुलासे का दावा किया तत्कालीन एसएचओ ने बताया कि कारसेवकों के मौत का आंकड़ा ज्‍यादा उन्‍होंने कहा कि आंकड़े नहीं पता हैं, लेकिन काफी संख्या में लोग मारे गए थे

अयोध्या में 1990 में यूपी की मुलायम सिंह सरकार के दौरान कारसेवकों पर पुलिस की गोलीबारी के मामले में एक टीवी चैनल ने बड़े खुलासे का दावा किया है। चैनल ने अपने स्टिंग में एक तत्कालीन अधिकारी से बात की। रामजन्मभूमि थाने के तत्कालीन एसएचओ वीर बहादुर सिंह ने बताया कि कारसेवकों के मौत का जो आंकड़ा बताया गया था, उससे ज्यादा कारसेवकों की मौत हुई थी।
राम जन्मभूमि थाने के तत्कालीन एसएचओ वीर बहादुर सिंह ने इस टीवी चैनल से बातचीत में बताया, ‘घटना के बाद विदेश तक से पत्रकार आए थे। उन्हें हमने आठ लोगों की मौत और 42 लोगों के घायल होने का आंकड़ा बताया था। हमें सरकार को रिपोर्ट भी देनी थी तो हम तफ्तीश के लिए श्मशान घाट गए, वहां हमने पूछा कि कितनी लाशें हैं जो दफनाई जाती हैं और कितनी लाशों का दाह संस्कार किया गया है, तो उसने बताया कि 15 से 20 लाशें दफनाई गई हैं। हमने उसी आधार पर सरकार को अपना बयान दिया था। हालांकि हकीकत यही थी कि वे लाशें कारसेवकों की थीं। उस गोलीकांड में कई लोग मारे गए थे। आंकड़े तो नहीं पता हैं, लेकिन काफी संख्या में लोग मारे गए थे।’
टीवी चैनल के इस सवाल पर कि कई लोग अपनों के बारे में पूछते हुए अयोध्या तक आए होंगे, उन्हें क्या बताया जाता था। पूर्व एसएचओ ने बताया, ‘हम उन्हें बताते थे कि ये लाशें (जिन्हें दफनाया गया है) उनके परिवार के सदस्यों की नहीं हैं।’
मुलायम सिंह यादव भी कई मौकों पर इस गोलीकांड को सही ठहराते रहे हैं। उन्होंने हमेशा कहा है, ‘हमने देश की एकता के लिए गोली चलवाई थी। आज जो देश की एकता है उसी वजह से है। हमें इसके लिए और भी लोगों को मारना पड़ता तो सुरक्षाबल मारते।’
क्या हुआ था 30 अक्टूबर 1990 के दिन?
बता दें कि वीएचपी के आह्वान पर साल 1990 के अक्टूबर महीने में लाखों कारसेवक अयोध्या में इकट्ठा हुए थे। उद्देश्य था कि विवादित स्थल पर मस्जिद को तोड़कर मंदिर का निर्माण किया जाए। जब हजारों की संख्या में लोग विवादित स्थल के पास की एक गली में इकट्ठा हुए उसी वक्त सामने से पुलिस और सुरक्षाबलों ने गोली चला दी। इसमें कई लोग गोली से तो कई लोग भगदड़ से मारे गए और घायल हुए। हालांकि मौतों के आंकड़े कभी स्पष्ट नहीं हुए, ऐसे में तत्कालीन अधिकारी का यह खुलासा हैरान करने वाला है।

युवक 500ग्राम चरस के साथ गिरफ्तार

photoand News: Kapil Nagpal

किंग पंचकूला—–सेक्टर-19 क्राइम ब्रांच ने 500 ग्राम चरस सहित एक युवक को किया गिरफ्तार,

चंडीमंदिर लाइट पॉइंट पर चेकिंग के दौरान किया गिरफ्तार,

शक के आधार पर चेकिंग करने पर मिली चरस,

युवक की पहचान बिहार निवासी भावेश के तौर पर हुई,

हाल ही में आरोपी जीरकपुर के बलटाना में रहता था,

आरोपी को किया गया कोर्ट में पेश,

कोर्ट ने आरोपी को 4 फरवरी तक के लिए पुलिस रिमांड पर भेजा,

रिमांड के दौरान आरोपी से पूछा जाएगा उसके साथ ओर कौन लोग हैं शामिल,कब से संलिप्त है इस काम मे,कहाँ से लाया जाता है नशा ओर कहाँ सप्लाई किया जाता है नशा