राहुल के अमेठी नामांकन का असर क्या वायनाड की सीट पर पड़ेगा ??

राहुल विंन्सी गांधी या सिर्फ राहुल गांधी, यदि इन शिकायतों को सच माना जाये और इन पर कार्यवाई हो जाये तो कांग्रेस का क्या भविष्य रह जाएगा??

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नामांकन पत्रों की जांच को अमेठी के रिटर्निंग ऑफिसर ने 22 अप्रैल तक के लिए स्थगित करने का आदेश दिया है। रिटर्निंग ऑफिसर डॉ. राम मनोहर मिश्र ने आदेश में कहा कि राहुल गांधी के अधिवक्ता राहुल कौशिक ने इन आरोपों के खंडन के लिए समय मांगा है। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाए हैं।

बीजेपी प्रवक्‍ता जीवीएल नरसिम्‍हा ने शनिवार को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करके राहुल गांधी से उनकी नागरिकता को लेकर जवाब मांगा है। उन्‍होंने कहा है कि राहुल गांधी बताएं कि वह ब्रिटिश नागरिक हैं या नहीं? उन्‍होंने आरोप लगाया कि एक कंपनी में राहुल की नागरिकता ब्रिटिश दर्ज है।

कांग्रेस और राहुल गांधी को जवाब देना पड़ेगा

बीजेपी प्रवक्‍ता जीवीएल नरसिम्‍हा ने कहा कि राहुल गांधी और उनके वकील राहुल कौशिक अमेठी में नामांकन पत्र पर रिटर्निंग अफसर के ऑब्जेक्शन का जवाब नहीं दे सके हैं। उनको 22 तारीख का टाइम दिया गया है। ये आश्चर्य की बात है कि उनके पास जवाब नहीं था। कांग्रेस और राहुल गांधी को जवाब देना पड़ेगा।

राहुल की भारतीय नागरिकता पर सवाल

उन्‍होंने कहा कि राहुल गांधी जी की नागरिकता को लेकर सबसे पहला सवाल है- क्या राहुल गांधी भारत के नागरिक हैं कि नहीं। क्योंकि उनके 2004 के डिक्लेरेशन में राहुल ने कहा था कि बैक ऑप्स कंपनी में उन्होंने निवेश किया था और 2005 में ब्रिटेन के सामने जो डॉक्यूमेंट दिए गए थे, उसमें राहुल गांधी को ब्रिटिश सिटीजन दिखाया गया था। नरसिम्‍हा का कहना है कि अगर वह ब्रिटेन के नागरिक हैं तो देश के नियम के मुताबिक राहुल की भारतीय नागरिकता खत्म हो जाती है।

राहुल गांधी के नामांकन के खिलाफ जताई गई आपत्ति

दरअसल, अमेठी में राहुल गांधी के नामांकन के खिलाफ आपत्ति जताई गई है। राहुल की नागरिकता और डिग्री को लेकर सवाल उठाया गया है। अमेठी से ही चुनाव लड़ रहे एक निर्दलीय उम्‍मीदवार के वकील रवि प्रकाश ने राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाते हुए उनके नामांकन पत्र की जांच की मांग की थी।

रवि प्रकाश का कहना है कि ब्रिटेन की एक रजिस्‍टर्ड कंपनी के दस्‍तावेजों में उन्‍होंने अपनी ब्रिटिश नागरिकता का उल्‍लेख किया है और गैर भारतीय देश में चुनाव नहीं लड़ सकता है। रवि प्रकाश का कहना है कि इसके साथ ही राहुल शैक्षणिक सर्टिफिकेट में भी कई सारी गलतियां हैं। उन्‍होंने मांग की कि राहुल गांधी के असली शैक्षणिक दस्‍तावेज सामने आने चाहिए।

बताया गया कि राहुल का असली नाम राउल विंची है। साथ ही उनके पास ब्रिटिश नागरिकता है। निर्दलीय प्रत्याशी ध्रुव लाल कौसल के वकील, अफजल वारिस, सुरेंद्र चंद्र व सुरेश कुमार शुक्ला ने उनके नामांकन को रद्द करने की मांग की है।

वकील का आरोप है कि राहुल ने दस्तावेजों में इंग्लैंड की अपनी कंपनी का जिक्र नहीं किया। उन्होंने राहुल को ब्रिटेन का नागरिक बताया वहीं राहुल की डिग्री पर सवाल भी उठाए। उन्होंने दावा किया है कि राहुल ने एफिडेविट में जिन कॉलेजों से पढ़ाई का जिक्र किया है असल में राहुल ने उन कॉलेजों से पढ़ाई की ही नहीं है।

10 अप्रैल को दाखिल किया था नामांकन

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 10 अप्रैल बुधवार को अमेठी सीट से नामांकन भरा था। नामांकन भरने से पहले उन्होंने रोड शो निकाला। इस दौरान उनके साथ उनका पूरा परिवार था। इस बार राहुल गांधी अमेठी के अलावा वायनाड सीट से भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। अमेठी लोकसभा सीट पर पांचवे चरण में 6 मई को चुनाव होना है।

कांग्रेस का ‘न्याय’ अब न्यायालय में, 2 हफ्तों में मांगा जवाब

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना (न्याय) को लेकर पार्टी को शुक्रवार को नोटिस जारी किया. इस जनहित याचिका में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र से न्यूनतम आय की गारंटी के वादे को हटाने की मांग की गई है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जिस याचिक को स्वीकार किया है वह याचिका बहुत साल पहले ही स्वत: संगयान से ले ली जानी चाहिए थी। लैपटाप, साइकल, राशन, कर्जा माफी इत्यादि। 72000 हों या मुफ्त राशन पानी, यह सब बंद होना चाहिए। न्यायालय का यह स्वागत योग्य कदम है, बस यह वकीलों की बहस ही में न उलझ कर रह जाये।

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना (न्याय) को लेकर पार्टी को शुक्रवार को नोटिस जारी किया. इस जनहित याचिका में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र से न्यूनतम आय की गारंटी के वादे को हटाने की मांग की गई है.

जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजेंद्र कुमार की पीठ ने अधिवक्ता मोहित कुमार और अमित पांडेय द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया. अदालत ने कांग्रेस पार्टी और चुनाव आयोग को दो सप्ताह के भीतर अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. 

अदालत ने पूछा- इस तरह की घोषणा वोटरों को रिश्वत देने की कैटगरी में क्यों नहीं? क्यों न पार्टी के खिलाफ पाबंदी या दूसरी कोई कार्रवाई की जाए, अदालत ने इस मामले में चुनाव आयोग से भी जवाब मांगा, कांग्रेस पार्टी और चुनाव आयोग को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया, अदालत ने माना कि इस तरह की घोषणा रिश्वतखोरी व वोटरों को प्रभावित करने की कोशिश है. 

याचिकाकर्ता की दलील थी कि चुनावी घोषणा पत्र में 72,000 रुपये न्यूनतम आय की गारंटी का वादा रिश्वत के समान है और यह जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है. एक राजनीतिक दल इस तरह का वादा नहीं कर सकता क्योंकि यह कानून और आचार संहिता का उल्लंघन है. इस याचिका में अदालत से चुनाव आयोग को निर्देश जारी कर कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र से न्यूनतम आय की गारंटी का वादा हटवाने का अनुरोध किया गया है. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 13 मई तय की. 

कांग्रेस सपा-बसपा की ‘बी’ टीम है: उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा

यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा बोले, रायबरेली-अमेठी से साफ हो जाएगा कांग्रेस का सूपड़ा
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने गुरुवार को कहा कि इस लोकसभा चुनाव में रायबरेली और अमेठी से कांग्रेस तथा आजमगढ़ और कन्नौज से सपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा. 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने गुरुवार को कहा कि इस लोकसभा चुनाव में रायबरेली और अमेठी से कांग्रेस तथा आजमगढ़ और कन्नौज से सपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा. शर्मा ने कहा, ‘जिस प्रकार का जनसमर्थन भाजपा को मिल रहा है, उससे यह तय हो गया है कि रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस को पराजय का स्वाद चखना पड़ेगा.’ कांग्रेस को सपा व बसपा की ‘बी’ टीम बताते हुए उन्होंने कहा कि हाथ के पंजे की देश को अब जरूरत नहीं है. इस पंजे ने देश को लूटा है और बर्बाद किया है.

उन्होंने कहा कि सरकारें आती जाती रहेंगी पर विकास न करने वालों को जनता दंड देना जानती है. इस चुनाव में जाति व धर्म के बंधन टूट गए हैं और विकास का कहर विपक्षियों पर टूट पड़ा है. ‘इस चुनाव में मोदी की लहर नहीं बल्कि विपक्षियों पर मोदी की लोकप्रियता का कहर है.’ 

शर्मा ने कहा कि चुनाव में विपक्ष को अभी से हार नजर आने लगी है इसलिए उस हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने की तैयारी की जाने लगी है. वे चुनाव हारेंगे जरूर क्योंकि उन्होंने काम नहीं किया. पहले चुनाव बिजली, पानी, सड़क के मुद्दों पर होते थे पर इस चुनाव में वे सभी मुद्दे गायब है क्योंकि मोदी ने उन सभी कामों को पूरा करके दिखाया है. उन्होंने कहा कि सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, राजद सभी एक दूसरे के पिछलग्गू बने हुए हैं. इनके पास कोई नीति अथवा सिद्धांत नहीं हैं. इनके पास विकास का कोई एजेन्डा नहीं है तथा ये केवल भाजपा व मोदी को रोकने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि तृणमूल ने बंग्लादेश के घुसपैठियों को बंगाल में बुलाकर देश की छाती पर मूंग दलने के लिए डाल दिया है. यह हिन्दू व मुसलमान दोनों के लिए परेशानी का सबब है. हिन्दुस्तान के चुनाव में इन घुसपैठियों के बाद अब बांग्लादेश के कलाकारों को बुलाकर तृणमूल तथा कांग्रेस का प्रचार कराया जा रहा है. हिन्दुस्तान के चुनाव में इनकी कोई जरूरत नहीं है.

सीतापुर व कुशीनगर की चुनावी सभाओं में शर्मा ने कहा कि मोदी का परिवार स्वाभिमान के साथ जीवन यापन कर रहा है. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि एक परिवार वह है जिसके एक सदस्य पर आरोप है कि वह चार लाख रूपये से व्यवसाय आरंभ करके पहले 400 करोड़ रूपये के मालिक बन गए और अब चार हजार करोड़ रूपये की सम्पत्तियों को खरीदने की चर्चा है और ये आरोपी प्रधानमंत्री पर आक्षेप लगाते हैं.

शर्मा ने कहा, ‘… जिसने अपना जीवन जनता के लिए समर्पित कर दिया . इन लोगों ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाते समय देश की गरिमा का भी ख्याल नहीं रखा . इनके आरोपों पर प्रधानमंत्री को भी कहना पड़ा कि एक बुलेटप्रूफ होता है पर मैं गाली प्रूफ हो गया हूं.’ उन्होंने कहा, ‘गली-गली में शोर है, एक बात श्योर है, हमारा पीएम प्योर है.’ 

शर्मा ने कहा कि एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों को जान लेना चाहिए कि आतंकी भारत में घटना करके बिरयानी खाकर वापस चले जाएं, ऐसा अब नहीं होने वाला है. यह मोदी युग है, जिसमें गले लगाएंगे पर गला काटने का प्रयास किया तो घर में घुसकर मारेंगे.

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की तस्वीर बदलने के साथ ही नए भारत का निर्माण हो रहा है . आज हिन्दुस्तान शक्तिशाली राष्ट्रों में जाना जा रहा है . एक समय वह था जब दुनिया के बडे़ देशों में भारत की गरीबी के चित्र दिखाए जाते थे. आज मोदी के कमान संभालने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति अपने देश के नौजवानों से कहते हैं कि भारत से आने वाले होनहार युवा अपने देश के नौजवानों को बेरोजगार कर देंगे. इनसे बचकर रहना होगा. ये बदली परिस्थितियों को बताता है. 

“अगर मैं देशद्रोही हूं तो चुनाव कैसे लड़ रहा हूं?’’कन्हैया कुमार

इस बार का चुनाव पढ़ाई और कड़ाही के बीच की लड़ाई है: कन्हैया कुमार। कन्हैया कुमार के इस ब्यान के जो भी मतलब निकले जाएँ वह सिरे से निरर्थक होंगे। कन्हैया कुमार का मानना है की जनता की लड़ाई जनता के पैसे से ही होनी चाहिए, तो कोई उनसे पूछे की वह आज तक डॉ॰ की उपाधि क्यों नहीं ले पाये। जबकि जनता का ही पैसा था जिस पर वह सालों जेएनयू में ऐश करते रहे।
जिस शोध कार्य के लिए इनहोने लाखों रुपये लिए क्या वह पूरा हो गया है?
यदि वह पूरा हो गया है तो उसका कीनिया को क्या लाभ हुआ?
या उस शोध कार्य का भारत को क्या लाभ हुआ?
और अब चुनाव लड़ने के लिए तत्पर होना।

कुछ भी कहें कन्हैया पर यह इबारत बिलकुल ठीक बैठती है

‘तालीम है अधूरी, मिलती नहीं मजूरी’

ऐसा प्रतीत होता है की कन्हैया कुमार को सिर्फ जनता के पैसे पर जीने की आदत हो गयी है.

बेगूसराय: मौजूदा लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) में बिहार की बेगूसराय सीट पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को कड़ी टक्कर दे रहे जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाकपा उम्मीदवार कन्हैया कुमार ने इस मुकाबले को पढ़ाई और कड़ाही के बीच की लड़ाई करार दिया. उन्होंने कहा कि एक ओर तो पढ़-लिखकर अपना और देश का भविष्य बनाने के इच्छुक युवा हैं और दूसरी तरफ वे लोग हैं जो इन पढ़े-लिखे युवाओं से पकौड़े तलवाना चाहते हैं.

लोकतंत्र पर खतरा
एनसीईआरटी की नौवीं कक्षा की किताब से लोकतंत्र का पाठ हटाए जाने के संदर्भ में वह कहते हैं, ‘‘अगर हम चुप रहें तो कल पूरे देश से ही लोकतंत्र को हटा दिया जाएगा.’’ चुनाव में जेएनयू प्रकरण और देशद्रोह को मुख्य मुद्दा बनाये जाने पर कन्हैया कुमार का कहना है, ‘‘अगर मैं देशद्रोही हूं, अपराधी हूं, दोषी हूं… तो सरकार मुझे जेल में क्यों नहीं डाल देती? अगर मैंने कुछ गलत किया है तब सरकार कार्रवाई करे. अगर मैं देशद्रोही हूं तो चुनाव कैसे लड़ रहा हूं?’’

देशद्रोह के आरोप बेबुनियाद
कन्हैया कुमार ने कहा,‘‘मेरा चुनाव लड़ना ही इस बात का सबूत है कि देशद्रोह के आरोप बेबुनियाद हैं. जनता सब जानती है. लोग वास्तविक मुद्दों पर बात करना चाहते हैं लेकिन भाजपा मनगढ़ंत मुद्दों की आड़ में लोगों को बांट रही है क्योंकि उसके पास जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं है. पिछले पांच वर्ष में केंद्र सरकार ने कुछ भी ठोस नहीं किया इसलिए वह भ्रम फैला रही है.’’

भाकपा उम्मीदवार ने कहा कि साजिश करने वालों को देश की चिंता नहीं है बल्कि वे चाहते हैं कि ‘देश में न कोई बोले, ना सवाल करे.’ अपने चुनाव अभियान पर संतोष व्यक्त करते हुए कुमार ने कहा, ‘‘मैं, खुद को मिल रहे जनसमर्थन से उत्साहित हूं और मुझे अपनी सफलता का पूरा भरोसा भी है. राजनीतिक लड़ाई में सच्चाई और ईमानदारी हो तो जनता का सहयोग अपने आप मिलता है.’’

महागठबंधन का सवाल
यह पूछे जाने पर कि अगर पूरा विपक्ष मिलकर उन्हें अपना उम्मीदवार बनाता तो सीधी टक्कर होती, कुमार ने कहा, ‘‘भाजपा विरोधी मतों का विभाजन नहीं होगा… मुकाबला सीधा ही है.’’

राजनीति में प्रवेश संबंधी सवाल पर कन्हैया कुमार ने कहा ‘‘मैंने कुछ तय नहीं किया. संयोग और परिस्थितियां ही सब कुछ तय करती हैं. बेगूसराय में जन्म लेने के बाद मैंने सोचा नहीं था कि कभी दिल्ली जाऊंगा. दिल्ली पहुंच कर यह तय नहीं किया था कि जेएनयू जाऊंगा और छात्र संघ का अध्यक्ष बनूंगा. फिर मैं जेल भी गया. बेगूसराय से भाकपा उम्मीदवार बनना भी तय नहीं था.’’

चुनावी चंदे का मुद्दा
चुनावी चंदे के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ‘‘मेरा मानना है कि जनता की लड़ाई जनता के पैसे से हो. मेरा पूरा अभियान जनता के सहयोग से ही चल रहा है. वैसे भी, यह लड़ाई तो पढ़ाई और कड़ाही के बीच है- एक तरफ पढ़-लिखकर अपना और देश का भविष्य बनाने के इच्छुक युवा हैं तो दूसरी तरफ वे लोग हैं जो इन पढ़े-लिखे युवाओं से पकौड़े तलवाना चाहते हैं.’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए भाकपा नेता ने कहा कि वह हर दिन 20 घंटे काम करते हैं और देश बर्बाद हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि एअर इंडिया, बीएसएनएल, एचएएल के बाद अब भारतीय डाक विभाग की भी हालत खराब हो गई है और उसे करोड़ों रुपये का घाटा हुआ है.

बेगूसराय का गणित
कभी कांग्रेस का गढ़ रही बेगूसराय सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा के भोला सिंह ने राजद के तनवीर हसन को 58,335 मत से हराया था. भाकपा के राजेंद्र प्रसाद सिंह 1,92,639 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

उससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू के मोनाजिर हसन ने इस सीट पर भाकपा के कद्दावर नेता शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को पराजित कर कब्जा जमाया था. वहीं 2004 में जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कांग्रेस की कृष्णा शाही को हराया था. इस सीट पर कांग्रेस ने अब तक आठ बार जीत दर्ज की है जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की.

बेगूसराय लोकसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 19,53,007 है जिनमें 10,38,983 पुरुष और 9,13,962 महिला मतदाता हैं. इस सीट पर भूमिहार मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. इसके बाद मुसलमान, कुशवाहा, कुर्मी तथा यादव मतदाता हैं.

बिहार का लेनिनग्राद
‘बिहार का लेनिनग्राद’ और ‘लिटिल मॉस्को’ कहलाने वाला बेगूसराय गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है. इस लोकसभा सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कन्हैया कुमार का मुकाबला भाजपा के भूमिहार नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तथा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एवं महागठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन से है. गिरिराज सिंह के बारे में कुमार ने कहा कि आम लोगों को उनके मंत्रालय तक का पता नहीं है और वे केवल अनाप-शनाप बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं.

लोकसभा चुनावों का दूसरा चरण सम्पन्न

लोकसभा चुनाव 2019: दूसरे चरण का मतदान संपन्न, बिहार के 5 सीटों पर हुआ 62.52 फीसदी मतदान लोकसभा चुनाव
2019 के दूसरे चरण में बिहार के पांच सीटों पर 62.52 फीसदी मतदान किया गया है.
2014 के चुनाव के मुकाबले 2019 में बहुत अच्छी वोटिंग नहीं हुई है. दोनों चुनावों के आकड़ो में 1 फीसदी का अंतर है

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 के दूसरे चरण का मतदान खत्म हो चुका है. बिहार के पांच लोकसभा सीटों के लिए दूसरे चरण में मतदान किया गया. सुबह 7 बजे से 5 बजे तक पांचों सीटों मतदाताओं ने मतदान किया. वहीं, पांचों सीटों पर कुल 62.52 फीसदी मतदान किया गया है. हालांकि इन आंकड़ों में आंशिक बदलाव हो सकता है. क्यों कि कुछ बूथों पर मतदान देर तक हुए जो बूथ परिसर में आ चुके थे.

खबरों के अनुसार, 2014 के चुनाव के मुकाबले 2019 में बहुत अच्छी वोटिंग नहीं हुई है. दोनों चुनावों के आकड़ो में 1 फीसदी का अंतर है. दूसरे चरण में बिहार में पांच लोकसभा सीट पर मतदान किया गया. जिसमें कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, बांका और भागलुपर सीट शामिल हैं.

पांचों सीटों में सबसे अधिक कटिहार सीट पर मतदान किया गया है. कटिहार सीट पर 68.20 फीसदी मतदान किया गया है. वहीं, किशनगंज में 64.10 फीसदी, पूर्णिया 64.5 फीसदी, बांका में 58 फीसदी और भागलपुर सीट पर 58.2 फीसदी मतदान किया गया है.

कटिहार लोकसभा सीट पर सबसे अधिक 64.10 फीसदी मतदान किया गया. वहीं, भागलपुर और बांका में 58 फीसदी मतदान किया गया है. इन दोनों सीटों पर मतदान 60 फीसदी से कम रह गया. हालांकि पिछली बार की तुलना में सभी सीटों पर मतदान में बढ़ोत्तरी हुई है. जिसमें सबसे अधिक कटिहार सीट पर पिछली बार की तुलना में अधिक वोटिंग हुई है. 2014 में 61.10 फीसदी मतदान किया गया था.

बिहार में दूसरे चरण का मतदान समाप्त हो गया है. चुनाव आयोग ने बताया कि छिटपुट घटनाओं के अलावा पूरा मतदान शांतिपूर्ण रहा. वहीं, बांका में हुई फायरिंग के बारे में बताया गया कि यह केवल भीड़ को हटाने के लिए किया गया था. यह जांच का विषय है इसलिए इस मामले में जांच किया जा रहा है.

वहीं, बताया गया कि दूसरे चरण में 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं, नौगछिया और बांका में एक-एक बूथों पर वोट बहिष्कार की सूचना मिली है. जांच कर उन बूथों को चिन्हित किया जाएगा.

योगी से मिले रवि किशन प्राप्त किया जीत का आशीर्वाद

नई दिल्ली : भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता और गोरखपुर सीट से लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी रवि किशन ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर आम चुनाव में विजय के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया. 

योगी से मुलाकात के बाद रवि किशन ने कहा, ‘गोरखपुर में कोई चुनौती नहीं है क्योंकि बाबा गोरक्षनाथ और योगी आदित्यनाथ का आशीर्वाद है.  इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किये गये कार्यो का भी आशीर्वाद है. पूरी दुनिया की निगाह इन चुनावों पर है.’ उन्होंने कहा, ‘हर घर जाउंगा, हर दरवाजा खटखटाउंगा. समाज के विभिन्न वर्गों के लिए सरकार की ओर से चलायी गयी कल्याण योजनाओं और परियोजनाओं के बारे में सबको बताउंगा. विपक्ष अपने निहित स्वार्थ के चलते कई चीजें जनता को भुलवाना चाहता है इसलिए हम हर दरवाजे जाएंगे.’ 

लोकसभा के इस बार के चुनाव को महत्वपूर्ण बताते हुए रवि किशन ने कहा कि यह ग्राम प्रधान का चुनाव नहीं है बल्कि यह प्रधानमंत्री चुनने के लिए हो रहा चुनाव है.  यह एक ओर नि:स्वार्थ प्रधानमंत्री तो दूसरी ओर वंशवादी पार्टियों के गठबंधन के बीच का संघर्ष है. यह आतंकवाद के खिलाफ चुनाव है. उन्होंने दावा किया कि अगर भाजपा विरोधी गठबंधन सत्ता में आया तो वह देश को विभाजित कर देगा. 

गोरखपुर सीट 1991 से भाजपा के पास है. खुद योगी यहां से पांच बार सांसद रह चुके हैं लेकिन जब वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उपचुनाव में यह सीट प्रवीण निषाद के खाते में चली गयी. निषाद सपा के टिकट पर लडे़ थे और उन्हें बसपा का समर्थन हासिल था. गोरखपुर में 19 मई को मतदान होना है. रवि किशन आज ही गोरखपुर पहुंचकर भाजपा कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और चुनाव प्रचार की शुरूआत करेंगे. 

Kanimozhi house raided IT officials said it was ‘false tip’

CHENNAI: 

Amid allegations of a huge cash-for-votes racket in Tamil Nadu, officials of the Income Tax department visited the house of DMK leader Kanimozhi this evening to “verify allegations of cash being stashed there,” sources said.  Kanimozhi, DMK lawmaker and the sister of party chief MK Stalin, is the candidate for the Tuticorin seat. It was alleged that “lots of cash” was stashed on the first floor of her house in Thoothukudi, sources said. IT sources, however, said later that it was a “false tip” and they drew a blank. No case has been registered.

“Crores and crores of rupees are kept in the house of Tamilisai Soundararajan’s (state BJP chief) residence, why no raids there? Modi is using IT, CBI, judiciary and now Election Commission to interfere in the elections. They are doing this as they fear losing,” DMK chief Stalin said.

Elections for the state’s 39 Lok Sabha seats and 18 assembly seats will be held on Thursday, during the second phase.

In the run-up to the polls, a string of raids have been held in the state, in which around Rs. 500 crore — in illegal cash and gold — has been seized.

Today, in a first, election for the Vellore Lok Sabha seat was cancelled following recovery of huge cash from alleged associates of DMK candidate Kathir Anand, the son of DMK treasurer Durai Murugan.

On March 30, tax officials raided Durai Murugan’s residence and allegedly seized Rs. 10.50 lakh. Two days later, they claimed to have seized Rs. 11.53 crore from a cement godown belonging to an associate of the DMK leader.

Last week, tax department officials conducted searches at 18 locations in the state. The list of sites included state capital Chennai, Namakkal and Tirunelveli. Most of the searches were on properties owned by opposition leaders.

Tax raids on opposition leaders have become one of the key issues in the ongoing elections, with most leaders accusing the BJP of targeting political rivals through government agencies.

DMK spokesperson A Saravanan called it “a murder of democracy and a sick joke”. He added, “This is not an embarrassment for us, but this will backfire and the sympathy this would generate will make the DMK win all seats”.

Though 204 crore unaccounted cash has been recovered in Tamil Nadu ahead of polls, the Income Tax officials have not named any political party or candidates with regard to the remaining 190 crore cash.

A senior officer told newsmen “We are investigating their political affiliation”.

टीएमसी उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए बंगलादेशी कलाकार को किया ब्लैक लिस्ट

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के लिए पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के लिए चुनाव प्रचार करना बांग्लादेश के अभिनेता फिरदौस अहमद को भारी पड़ गया है. दरअसल, गृह मंत्रालय ने ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन की रिपोर्टमिलने के बाद कार्रवाई करते हुए बांग्लादेशी अभिनेता का बिजनेस वीजा रद्द कर दिया है. इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने फिरदौस को भारत छोड़ने का नोटिस भी जारी कर दिया है. वहीं, गृह मंत्रालय ने उन्हें भविषअय के लिए ब्लैकलिस्ट भी कर दिया है. 

मालूम हो कि बांग्लादेशी अभिनेता फिरदौस अहमद ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) उम्मीदवार के समर्थन में सोमवार को चुनाव प्रचार किया था. इसके बाद मंगलवार को गृह मंत्रालय ने कोलकाता के विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी थी. बता दें कि बांग्लादेश के अभिनेता फिरदौस अहमद ने रायगंज से तृणमूल उम्मीदवार कन्हैयालाल अग्रवाल के समर्थन में चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया था.

बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट में पाया है कि फिरदौस अहमद ने लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान में हिस्सा लेकर वीजा शर्तों का उल्लंघन किया है. इससे पहले भी अहमद बिजनेस वीजा पर कई बार भारत आ चुके हैं. अहमद को भारत-बांग्लादेश सीमा के पास हेमताबाद और करांदिघी में चुनाव प्रचार रैलियों में अग्रवाल के समर्थन में वोट मांगते देखा गया था. 

कभी भी राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं रोबर्ट वाड्रा, उन्हे कौन रोकेगा? राज बब्बर

राबर्ट वाड्रा भारतीय राजनीति में कोई नया नाम नहीं है। आप कांग्रेस के प्रथम परिवार के दामाद हैं। पेशे से व्यापारी और कांग्रेस में इतना दम रखते हैं की यह जब चाहें सक्रिय राजनीति में कूद सकते हैं। राज बब्बर ने तो यहाँ तक कह दिया की उन्हे कौन रोक सकता है राजनीति में आने से? यह दीगर बात है की उन पर ईडी की जांच में सहयोग न देने की शिकायत कई बार हो चुकी है और वह 5 लाख के मुचलके पर बाहर हैं।

नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा ने राजनीति में आने को लेकर बड़ा बयान दिया है. रॉबर्ट वाड्रा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि फिलहाल अभी मेरी राजनीति में आने की कोई इच्छा नहीं है. अब तक इस बारे में कोई योजना नहीं बनाई है. उन्होंने कहा कि मैं लोगों के बीच जाकर कड़ी मेहनत कर रहा हूं. जब लोगों को लगेगा कि मुझे राजनीति में प्रवेश करना चाहिए तो, मैं पूरी ताकत के साथ राजनीति के मैदान में उतरूंगा. 

वहीं, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने रविवार को रॉबर्ट वाड्रा के पार्टी में शामिल होने को लेकर कहा था कि अगर वह चाहेंगे तो पार्टी उनके बारे में जरूर सोचेगी. वह परिवार का हिस्सा हैं. उन्हें पार्टी में सम्मलित करने के लिए कौन मना करेगा. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले ही प्रियंका गांधी वाड्रा ने सक्रिय राजनीति में आने के बाद कांग्रेस महासचिव के साथ पूर्वी यूपी प्रभारी का पद संभाला था. इसके बाद से ही रॉबर्ट वाड्रा के राजनीति में आने की चर्चाएं लगातार बनी हुई हैं.

बीते सप्ताह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नामांकन से पहले हुए रोड शो में रॉबर्ट वाड्रा अपने दोनों बच्चों और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ नजर आए थे. कुछ समय पहले रॉबर्ट वाड्रा ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि जैसे ही मेरे ऊपर लगे सभी आरोप निराधार साबित हो जाएंगे उसके बाद में बड़े स्तर पर काम करना चाहूंगा

शकील अहमद के इस्तीफे और निर्दलीय चुनाव लड़ने से महागठबंधन को झटका या कोई नयी रणनीति???

जहां एक ओर शकील अहमद के इस्तीफे को एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है वहीं राजनीतिज्ञ इस कांग्रेस की सोची समझी चाल करार दे रहे हैं। शकील निर्दलीय कुनव लड़ेंगे जहां प्रोक्ष रूप से उन्हे कांग्रेस का साथ होगा। इस प्रकार कांग्रेस गठबंधन के सामने पाक साफ बनी रहेगी और वहीं जीतने के बाद शकील पुन: कांग्रेस का दामन थाम लेंगे। गठबंधन में कॉंग्रेस एक सीट की बढ़ौतरी कर लेगी।

कांग्रेस नेता शकील अहमद ने पार्टी प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है. और राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया है.

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. बिहार में मधुबनी सीट महागठबंधन के सहयोगी दल के पास जाने के बाद से शकील अहमद आलाकमान को इस पर पूर्ण विचार करने को कह रहे थे. वहीं, आरजेडी नेता असरफ फातमी ने भी पार्टी को इसके लिए अंजाम भुगतने की चेतावनी दी थी. अब शकील अहमद ने मधुबनी सीट से नामांकन कराने का फैसला कर लिया है और पार्टी से इस्तीफा देने के लिए राहुल गांधी को चिट्ठी भेज दी है.

शकील अहमद ने कांग्रेस के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है. साथ ही पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भी भेज दिया है. हालांकि कहा जा रहा है कि उन्होंने पूर्ण विचार के लिए 18 तारीख तक अल्टीमेटम दे दिया है. लेकिन वह मधुबनी सीट से मंगलवार को नामांकन करने का फैसला किया है.

शकील अहमद ने कहा है कि वह मधुबनी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने को तैयार है. इसलिए वह मंगलवार को नामांकन भी कराएंगे. बता दें कि महागठबंधन में मधुबनी सीट वीआईपी पार्टी के खाते में गई है. और पार्टी ने बद्री कुमार पूर्वे को यहां से उम्मीदवार घोषित किया है.

Congress’s Shakeel Ahmad tweets, “As I have decided to file my nomination papers tomorrow from Madhubani Parliamentary Constituency in Bihar, I’m resigning from the post of Senior Spokesperson of AICC. I’m sending my resignation to Congress President Shri Rahul Gandhi.”(file pic) pic.twitter.com/axaHxTV0S41906:10 PM – Apr 15, 2019Twitter Ads info and privacy66 people are talking about this

इससे पहले आरजेडी नेता अली असरफ फातमी ने भी पार्टी छोड़ने के संकेद दिए थे. उन्होंने पार्टी को 18 तारीख तक का अल्टीमेटम दिया है. जिसके बाद उन्होंने ने भी मधुबनी सीट से नामांकन कराने का दावा किया है. हालांकि उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस शकील अहमद को सिंबल दे देती है तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे.

फातमी ने कहा था कि उनकी बात लालू यादव और तेजस्वी यादव से मधुबनी सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर हो गई थी. लेकिन अंतिम समय में किस तरह की साजिश की गई जो सीट वीआईपी को दे दिया गया. वहीं, फातमी ने शकील अहमद के नाम को लेकर महागठबंधन को मौका दिया है और कहा है कि इस पर भी विचार किया जा सकता है.

बहरहाल, महागठबंधन में अब फिर से अंदर खाने में जंग छीड़ गई है. मधुबनी सीट को वीआईपी पार्टी को देने के बाद आरजेडी और कांग्रेस दोनों नेताओं ने बगावती तेवर दिखा दिए हैं. ऐसे में देखना यह कि महागठबंधन में मधुबनी सीट के लिए क्या फैसला होता है. अगर इस पर विचार नहीं किया गया तो मधबनी सीट उनके हाथ से निकलते हुई दिख रही है.