आज है देवी भगवती बगलामुखी अष्टमी(जयंती)

हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष गुरुवार, 20 मई 2021 को मां बगलामुखी जयंती मनाई जा रही है।प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। 1. काली 2. तारा 3. षोड़षी 4. भुवनेश्वरी 5. छिन्नमस्ता 6. त्रिपुर भैरवी 7. धूमावती 8. बगलामुखी 9. मातंगी 10. कमला। मां भगवती श्री बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। मां बगलामुखी यंत्र चमत्कारी सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहते हैं इस यंत्र में इतनी क्षमता है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने में समर्थ है।

माँ बगलामुखी

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम, धर्म /संस्कृति डेस्क:

वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष 2021 में यह जयन्ती 20 मई, को मनाई जाएगी. इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना कि जाती है साधक को माता बगलामुखी की निमित्त पूजा अर्चना एवं व्रत करना चाहिए. बगलामुखी जयंती पर्व देश भर में हर्षोउल्लास व धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर जगह-जगह अनुष्ठान के साथ भजन संध्या एवं विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा महोत्सव के दिन शत्रु नाशिनी बगलामुखी माता का विशेष पूजन किया जाता है और रातभर भगवती जागरण होता है.

माँ बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए.

देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं. संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर  प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है.

बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं. देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है.

बगलामुखी कथा

देवी बगलामुखी जी के संदर्भ में एक कथा बहुत प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच जाता है और अनेकों लोक संकट में पड़ गए और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया. यह तूफान सब कुछ नष्ट भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए.

इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे तब भगवान शिव उनसे कहते हैं कि शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएँ, तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुँच कर कठोर तप करते हैं. भगवान विष्णु ने तप करके महात्रिपुरसुंदरी को प्रसन्न किया देवी शक्ति उनकी साधना से प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती महापीत देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ.

उस समय चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई, त्र्येलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी नें प्रसन्न हो कर विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रूक सका. देवी बगलामुखी को बीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वम ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं, इनके शिव को एकवक्त्र महारुद्र कहा जाता है इसी लिए देवी सिद्ध विद्या हैं. तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं, गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं.

पूजा-साधना काल की सावधानियां-

  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • पीले वस्त्र धारण करें।
  • एक समय भोजन करें।
  • बाल नहीं कटवाए।
  • मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच करें।
  • दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें।
  • साधना में छत्तीस अक्षर वाला मंत्र श्रेष्ठ फलदायी होता है।
  • साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए।

बगलामुखी जयंती 2021 शुभ मुहूर्त-

बगलामुखी जयंती मुहूर्त : गुरुवार, 20 मई 2021 को 11.50 मिनट से 12.45 मिनट तक।

मां बगलामुखी पूजन

माँ बगलामुखी की पूजा हेतु इस दिन प्रात: काल उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. साधना अकेले में, मंदिर में या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए. पूजा करने के लुए  पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने के लिए आसन पर बैठें चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें.

इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर संकल्प करें. इस पूजा में  ब्रह्मचर्य का पालन करना आवशयक होता है  मंत्र- सिद्ध करने की साधना में माँ बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है और यदि हो सके तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करें.

माँ बगलामुखी मंत्र

श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

अब देवी का ध्यान करें इस प्रकार

सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

मंत्र

ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां
वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय
बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।

माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं. मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए. देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है.

गंगा जयंती : 18 मई

जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने से सभी पाप नष्ट हो जाते है और मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होता है।

गंगा जयंती हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है. वैशाख शुक्ल सप्तमी के पावन दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई इस कारण इस पवित्र तिथि को गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष 2021 में यह जयन्ती 18 मई को मनाई जाएगी.

गंगा जयंती के शुभ अवसर पर गंगा जी में स्नान करने से सात्त्विकता और पुण्यलाभ प्राप्त होता है. वैशाख शुक्ल सप्तमी का दिन संपूर्ण भारत में श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जाता है यह तिथि पवित्र नदी गंगा के पृथ्वी पर आने का पर्व है गंगा जयंती. स्कन्दपुराण, वाल्मीकि रामायण आदि ग्रंथों में गंगा जन्म की कथा वर्णित है.

भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा नदी को देवी के रूप में दर्शाया गया है. अनेक पवित्र तीर्थस्थल गंगा नदी के किनारे पर बसे हुये हैं. गंगा नदी को भारत की पवित्र नदियों में सबसे पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है. लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा रखते हैं तथा मृत्यु पश्चात गंगा में अपनी राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिये आवश्यक समझते हैं. लोग गंगा घाटों पर पूजा अर्चना करते हैं और ध्यान लगाते हैं.

गंगाजल को पवित्र समझा जाता है तथा समस्त संस्कारों में उसका होना आवश्यक माना गया है. गंगाजल को अमृत समान माना गया है. अनेक पर्वों और उत्सवों का गंगा से सीधा संबंध है मकर संक्राति, कुंभ और गंगा दशहरा के समय गंगा में स्नान, दान एवं दर्शन करना महत्त्वपूर्ण समझा माना गया है. गंगा पर अनेक प्रसिद्ध मेलों का आयोजन किया जाता है. गंगा तीर्थ स्थल सम्पूर्ण भारत में सांस्कृतिक एकता स्थापित करता है गंगा जी के अनेक भक्ति ग्रंथ लिखे गए हैं जिनमें श्रीगंगासहस्रनामस्तोत्रम एवं गंगा आरती बहुत लोकप्रिय हैं.

गंगा जन्म कथा

गंगा नदी हिंदुओं की आस्था का केंद्र है और अनेक धर्म ग्रंथों में गंगा के महत्व का वर्णन प्राप्त होता है गंगा नदी के साथ अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं जो गंगा जी के संपूर्ण अर्थ को परिभाषित करने में सहायक है.  इसमें एक कथा अनुसार गंगा का जन्म भगवान विष्णु के पैर के पसीनों की बूँदों से हुआ गंगा के जन्म की कथाओं में अतिरिक्त अन्य कथाएँ भी हैं. जिसके अनुसार गंगा का जन्म ब्रह्मदेव के कमंडल से हुआ.

एक मान्यता है कि वामन रूप में राक्षस बलि से संसार को मुक्त कराने के बाद ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु के चरण धोए और इस जल को अपने कमंडल में भर लिया और एक अन्य कथा अनुसार जब भगवान शिव ने नारद मुनि, ब्रह्मदेव तथा भगवान विष्णु के समक्ष गाना गाया तो इस संगीत के प्रभाव से भगवान विष्णु का पसीना बहकर निकलने लगा जिसे ब्रह्मा जी ने उसे अपने कमंडल में भर लिया और इसी कमंडल के जल से गंगा का जन्म हुआ था.

गंगा जयंती महत्व

शास्त्रों के अनुसार बैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ही गंगा स्वर्ग लोक से शिव शंकर की जटाओं में पहुंची थी इसलिए इस दिन को गंगा जयंती और गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है.  जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है इस दिन मां गंगा का पूजन किया जाता है.  गंगा जयंती के दिन गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का क्षय होता है. मान्यता है कि इस दिन गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है. विधिविधान से गंगा पूजन करना अमोघ फलदायक होता है.

पुराणों के अनुसा गंगा विष्णु के अँगूठे से निकली हैं, जिसका पृथ्वी पर अवतरण भगीरथ के प्रयास से कपिल मुनि के शाप द्वारा भस्मीकृत हुए राजा सगर के 60,000 पुत्रों की अस्थियों का उद्धार  करने के लिए हुआ था  तब उनके उद्धार के लिए राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या कर माता गंगा को प्रसन्न किया और धरती पर लेकर आए। गंगा के स्पर्श से ही सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार संभव हो सका  इसी कारण गंगा का दूसरा नाम भागीरथी पड़ा.

रेलगाड़ियां बन्द करने की बजाय फेरे कम करने का अग्रिम सुझाव

पिछले महीने तक लग रहा था कि महामारी से तबाह हुई भारत की अर्थव्यवस्था संभल रही है। इस रिकवरी को देखते हुए कई अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर 10 से 13 प्रतिशत के बीच बढ़ने की भविष्वाणी की थी। लेकिन अप्रैल में कोरोना वायरस की दूसरी भयावह लहर के कारण न केवल इस रिकवरी पर ब्रेक लगा है बल्कि पिछले छह महीने में हुए उछाल पर पानी फिरता नज़र आता है। रेटिंग एजेंसियों ने अपनी भविष्यवाणी में बदलाव करते हुए भारत की विकास दर को दो प्रतिशत घटा दिया है। अब जबकि राज्य सरकारें लगभग रोज़ नए प्रतिबंधों की घोषणाएं कर रही हैं तो अर्थव्यवस्था के विकास में बाधाएं आना स्वाभाविक है। बेरोज़गारी बढ़ रही है, महंगाई के बढ़ने के पूरे संकेत मिल रहे हैं और मज़दूरों का बड़े शहरों से पलायन भी शुरू हो चुका है।

करणीदान सिंह, श्रीगंगानगर:

भारत एक बार फिर कोरोना संक्रमण की गिरफ़्त में आ गया। कोरोना संक्रमण की यह दूसरी लहर बहुत ज़्यादा ख़तरनाक साबित हो रही है और इसने भारत के शहरों को बुरी तरह जकड़ लिया है। कोरोना की इस दूसरी लहर में मध्य अप्रैल तक हर दिन संक्रमण के लगभग एक लाख मामले आने लगे। रविवार को भारत में कोरोना संक्रमण के 2,70,000 केस दर्ज किए गए थे और 1600 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी. एक दिन में यह संक्रमण और मौतों का सबसे बड़ा रिकॉर्ड था।

ऐसे में रेल परिवहन पर बड़ा असर पड़ रहा है। प्रवासी श्रमिकों की घर वापीसी ने यह मुश्किलें और भी बढ़ा दी है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए रेलवे ने कई रेलगाड़ियों की आवाजाही बंद करने के सुझाव/ निर्देश दिये हैं।

कोरोना की दूसरी लहर का रेल यात्रीभार पर काफी असर महसूस किया जा रहा हैं। जेडआरयूसीसी सदस्य भीम शर्मा ने रेलवे अधिकारियों को अग्रिम सुझाव भेजा हैं कि किसी भी ट्रेन को पूर्णतः बंद करने की बजाय उसके फेरों में कमी करके संचालन जारी रखा जाना चाहिये। अगर किसी दैनिक ट्रैन का यात्रीभार कम आंका जा रहा हैं तो उसे त्रि-साप्ताहिक या द्वि साप्ताहिक के रूप में चलाया जाना चाहिये। किसी भी ट्रेन का संचालन पूरी तरह से बन्द करना उचित नही होगा।

भूराबाल साफ करते करते, आया ब्राह्मणों कि शरण में यादव परिवार

‘भूराबाल साफ करो’ ऐसा नारा है जिस पर तीन दशकों के बाद भी चर्चा जारी है। बिहार से निकले इस नारे ने देश का ध्यान अपनी ओर खूब खींचा। दिलचस्प तो ये है कि जिस शख्स पर इस नारे को देने का आरोप लगा उसने इसे कभी माना नहीं। सनद रहे कि ‘भूराबाल साफ करो’ से मतलब था सवर्ण जातियों को खत्म करो. भूराबाल शब्द का भू भूमिहार से आया था, रा राजपूत से, बा का मतलब ब्राह्मण था और ल का अर्थ था लाला यानि कायस्थ।

पटना/नयी दिल्ली:

चारा घोटाला के चार मामलों में पिछले कई सालों से जेल की सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का पूरा परिवार भगवान की शरण में है। उसकी जमानत याचिका पर शनिवार (अप्रैल 17, 2021) को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई भी होनी है। उससे पहले उसके बेटे और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम और वासुकीनाथ धाम में प्रार्थना की। तेज प्रताप नवरात्र कर रहे हैं। वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता कपिल सिब्बल बतौर अधिवक्ता लालू की तरफ से दलीलें पेश करेंगे।

CBI लालू यादव को जमानत देने के विरोध में है और वो भी मजबूती से अपना पक्ष रखेगी। उच्‍च न्‍यायालय में जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत में सूचीबद्ध इस मामले में शुक्रवार को ही सुनवाई होनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अदालत का आज सैनिटाइजेशन किया जाना है, इसीलिए इसे 1 दिन आगे बढ़ा दिया गया। इधर तेजस्वी यादव मंदिर-मंदिर घूम कर अपने पिता के लिए प्रार्थनाएँ कर रहे हैं।

इसी दौरान उन्होंने कामाख्या मंदिर में भी अपने पिता के लिए पूजा-अर्चना कराई। खास बात ये है कि इसके लिए उन्हें उन्हीं ब्राह्मणों की ज़रूरत पड़ी, जिन्हें उनके पिता भला-बुरा कहते थे। सितम्बर 2015 में बिहार विधानसभा के चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व-मुख्यमंत्री ने इसे अगड़ी बनाम पिछड़ी जाति का जंग करार दिया था। उसने इसे महाभारत की लड़ाई बताते हुए यादवों को होश में रह कर एकता बनाए रखने की सलाह दी थी।

लालू यादव ने जोर देते हुए कहा था कि यादवों को खास कर के ब्राह्मणों के खिलाफ एकजुट रहने की ज़रूरत है। साथ ही उसने RSS को भी ब्राह्मणों की टीम करार दिया था। उसने अपने परिवार के पारंपरिक गढ़ यादव बहुल राघोपुर में ये बातें कही थीं, जो वैशाली जिले में पड़ता है। इस रैली में मंच पर मौजूद छोटू छलिया नामक गायक ने ‘सवर्ण बनाम पिछड़े’ के कई गाने भी गए थे। लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोकने की बात की गई।

लालू ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘राघोपुर मेरी जगह है। गंगा किनारे इस पवित्र स्थान से ही मैंने कैंपेन की शुरुआत की है। मैं यदुवंशियों की रखवाली करना चाहता हूं क्योंकि बाहरी ताकतों से खतरा है। लालू ने कहा, ‘यादव सो जाए तो पुआल, जाग जाए को शेर। अब जाग जाओ क्योंकि यह महाभारत है।’

ध्यान देने वाली बात ये है कि उस दौरान जिन चुनावी रैलियों में लालू यादव बार-बार मोकामा के जिस विधायक अनंत सिंह को गिरफ्तार करवाने का क्रेडिट लेकर वाहवाही लूटता था, वही अनंत सिंह आज राजद में हैं और पार्टी ने उन्हें कई जिम्मेदारियाँ भी दी थीं। अब लालू यादव जेल में है। CBI का तर्क है कि 7 साल की आधी सज़ा पूरी होने में अभी 3 साल बाकी है, ऐसे में उसे जमानत नहीं दी जा सकती है।

कुछ दिन पहले लालू यादव की बेटी रोहिणी सिंह ने भी लिखा था, “रमज़ान का पाक महीना शुरू हो रहा है! इस साल हमने भी फैसला किया है कि पूरे महीने अपने पापा के सेहतयाबी और सलामती के लिए रोज़े रखूँगी! पापा की हालत में सुधार हो और जल्दी न्याय मिल सके, इसकी भी दुआ करूँगी! साथ ही मुल्क में अमन चैन हो, इसलिए ईश्वर/अल्लाह से कामना करूँगी।” इस पर लोगों ने उनकी क्लास भी लगाई थी।

स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टरों संग अस्पताल में घूमते रहे और बाहर मरीज मर गए

हजारीबाग के एक कोरोना संक्रमित मरीज की मौत मंगलवार को रांची सदर अस्पताल में हो गयी। मौत से आक्रोशित परिजनों ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को जमकर खरी-खोटी सुनायी और व्यवस्था पर सवाल खड़े किये। दरअसल इसी बीच परिजनों की नजर सदर अस्पताल में कोविड व्यवस्था का निरीक्षण करने पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर पड़ गई, फिर क्या था। मृतक की बेटी का गुस्सा फूट पड़ा। पिता को खोने वाली बेटी ने मंत्री बन्ना गुप्ता से कहा, ‘मंत्री जी यहीं (अस्पताल परिसर में) डॉक्टर- डॉक्टर चिल्लाती रह गई, लेकिन कोई डॉक्टर नहीं आया। अब आप क्या करेंगे, मेरे पिता को वापस लाकर देंगे।’

रांची, झारखंड:

झारखंड की राजधानी राँची के सदर अस्पताल से प्रशासन की लापरवाही का एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में एक महिला अपने पिता के शव के पास रो-रोकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री पर अपना गुस्सा उतार रही है। महिला को कहते सुना जा सकता है कि वह डॉक्टर-डॉक्टर चिल्लाती रही, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी।

घटना मंगलवार (अप्रैल 13, 2021) की है। महिला अपने बीमार पिता को सुबह से तमाम प्राइवेट अस्पतालों में ले जाकर थक चुकी थी और कहीं भी बेड उपलब्ध न होने के कारण वह हजारीबाग से उन्हें राँची के सदर अस्पताल लेकर आई। इसी बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अस्पताल का निरीक्षण करने पहुँच गए। 

महिला ने आरोप लगाया कि वह लगातार डॉक्टरों से अपने पिता को देखने को कह रही थी, लेकिन कई घंटे उसकी किसी ने एक न सुनी। उन्हें घंटों बाहर गर्मी में इंतजार करना पड़ा। बहुत देर बाद डॉक्टर उन्हें अंदर लेकर गए, जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। अपने पिता का शव अस्पताल से बाहर लाते हुए महिला की नजर स्वास्थ्य मंत्री पर पड़ी और महिला ने वहीं सबके सामने उन पर चिल्लाना शुरू कर दिया।

महिला ने कहा, “मंत्री जी! हम डॉक्टरों के लिए चिल्लाते रहे लेकिन कोई भी मेरे पिता को देखने नहीं आया। हम बाहर खड़े थे कि उन्हें अस्पताल में एडमिट कर लिया जाए, लेकिन वहाँ कोई भी नहीं था, उन्हें देखने के लिए। अंत में इलाज न मिलने से उनकी मौत हो गई।” महिला ने चिल्ला कर पूछा, “क्या मंत्री मेरे पिता को लौटाएँगे।”

महिला ने उन लोगों पर भी अपना गुस्सा उतारा जो वोट लेने के लिए आ जाते हैं, लेकिन उन्हें कोई मतलब नहीं होता आम जन किस दर्द से गुजर रहे हैं। वह बताती हैं कि इस समय हालात बहुत बुरे हैं और लोग इलाज के अभाव में मर रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने घटना के संबंध में कहा कि इस समय हर जगह परेशानियाँ हैं और वह इससे निपटने का प्रयास कर रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “हर दिन कोविड मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हम बेडों का उसी हिसाब से इंतजाम कर रहे हैं। हमने प्राइवेट अस्पतालों से 50 प्रतिशत बेड कोविड मरीजों के लिए आरक्षित रखने को कहा है… जो भी गलतियाँ हैं हम उन्हें सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।”

इस बीच राज्य के भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने महिला के पिता की मौत का इल्जाम राज्य सरकार पर लगाया। भाजपा अध्यक्ष ने लिखा, “राज्य सरकार की लापरवाही के कारण अपने पिता को खो देने से स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष महिला ने आपा खो दिया। आखिर मुख्यमंत्री को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कब होगा।”

इससे पहले भाजपा अध्यक्ष ने राज्य में कोरोना के हालत से निपटने के लिए सीएम को पत्र लिखा था। पत्र में मुख्यमंत्री से मरीजों के लिए बेड, पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई, अतिरिक्त वेंटिलेटर और पर्याप्त पैरा मेडिकल स्टाफ रखने की बात कही गई थी।

रननीतिकार नहीं नेता, उनका काम और पार्टी चुनाव हारती या जीतती है: प्रशांत किशोर

एक निजी चैनल को साक्षात्कार देते हुए कहा: प्रशांत किशोर नहीं, हार जीत लीडर और पार्टी की होती है। जनता जो वोट करती है वह नेता को वोट करती है न कि प्रशांत किशोर को। पश्चिम बंगाल में चौथे चरण के चुनाव से पहले बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का एक ऑडियो लीक किया है, जिसमें वह क्लबहाउस ऐप पर चुनिंदा पत्रकारों से चर्चा करते हुए कह रहे हैं कि राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक समान लोकप्रिय हैं। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ऑडियो ट्वीट किया है। प्रशांत किशोर यह भी कह रहे हैं कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर है और 50% से अधिक हिन्दू मोदी की वजह से बीजेपी को वोट करेंगे। हालांकि, सोशल मीडिया पर यह ऑडियो वायरल होने के बाद प्रशांत किशोर ने कहा कि ऑडियो का चुनिंदा हिस्सा लीक करने के बजाय बीजेपी को पूरा ऑडियो डालना चाहिए। वायरल ऑडियो क्लिप पर प्रशांत किशोर की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा, ‘यह खुशी की बात है कि बीजेपी के लोग मेरे क्लबहाउस चैट को अपने नेताओं के संबोधन से अधिक महत्व देते हैं। यह हमारे चैट का एक छोटा हिस्सा है। उनसे अपील है कि पूरा हिस्सा जारी करें।’

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के चुनावी प्रबंधन को देख रहे हैं। इसी बीच शनिवार (अप्रैल 10, 2021) को उनका ‘खान मार्किट’ के पत्रकारों से ‘क्लबहाउस’ एप पर बात करते हुए ऑडियो वायरल हुए, जिसमें उन्होंने मोदी लहर को स्वीकार किया था। एक तरह से ‘लुटियंस पत्रकारों’ के साथ संवाद में प्रशांत किशोर ने बंगाल में ममता बनर्जी की संभावित हार को कबूल किया।

‘क्लबहाउस’ प्रकरण से पिटी भद को बचाने के लिए प्रशांत किशोर ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है। इसमें उनका साथ दिया ‘लिबरल गिरोह’ के जाने-माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने, जो फेक न्यूज़ फैलाने में माहिर हैं। राजदीप के साथ बातचीत में प्रशांत किशोर ने उलटा ममता बनर्जी और TMC को ही जिम्मेदार ठहरा दिया, अगर 2 मई को होने वाली मतगणना में उनकी हार होती है।

प्रशांत किशोर ने अब कहा है कि राजनीतिक दल अपनी आंतरिक मजबूती, नेतृत्व और अपने द्वारा किए और न किए गए कार्यों के कारण हारती तथा जीतती हैं। उन्होंने खुद के बारे में बात करते हुए कहा कि उनके जैसे लोग सिर्फ हार या जीत के अंतर पर फर्क डालने के लिए होते हैं। इस पर राजदीप सरदेसाई ने उनसे सवाल पूछा कि क्या वो किसी हारती हुई लड़ाई को जीत में बदल सकते हैं या नहीं? इस पर PK ने जवाब दिया कि एकदम नहीं।

चुनावी रणनीतिकारों से कोई जादूगर की तरह कार्य करने की अपेक्षा नहीं करता है, लेकिन प्रशांत किशोर स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि पार्टियाँ खुद के कामों से हारती-जीतती हैं, न कि किसी रणनीतिकार की वजह से। हार या जीत के लिए पार्टियाँ खुद जिम्मेदार हैं। कुछ दिनों पहले वो ‘क्लबहाउस’ में भी स्वीकार कर चुके हैं कि TMC के आंतरिक सर्वे में भी भाजपा जीत रही है।

कुछ महीनों पहले प्रशांत किशोर द्वारा दिए गए बयान को याद कीजिए। उन्होंने कहा था कि अगर पश्चिम बंगाल में भाजपा दोहरे अंकों के आँकड़े को पार कर जाती है तो वो बतौर चुनावी रणनीतिकार अपने काम को छोड़ देंगे। प्रशांत किशोर को अब पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की चुनावी प्रचार अभियान के रणनीति की जिम्मेदारी भी सँभालनी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस बुरी तरह फेल हुई। तब प्रशांत पार्टी के ही साथ थे।

प्रशांत किशोर को लेकर मीडिया में हाइप भी इसीलिए बनी थी, क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 2014 लोकसभा चुनाव में काम किया था। उन्होंने मीडिया के कुछ हिस्से को अपने साथ लेकर अपनी कंपनी की ब्रांडिंग शुरू की। लोगों का मानना है कि 2014 लोकसभा चुनाव में सारी रणनीति पीएम मोदी की थी और कमाल उनके चेहरे की लोकप्रियता का था। प्रशांत किशोर जैसों को तो बस कुछ टास्क दिए गए थे।

बता दें कि वायरल ऑडियो में ऑडियो में प्रशांत किशोर ने माना कि लोग मोदी को वोट कर रहे हैं। बंगाल की आबादी के 27% SC और मतुआ सभी भाजपा के लिए वोट कर रहे हैं। उन्होंने कहा था, “भाजपा को मोदी और हिंदू फैक्टर के कारण वोट मिल रहे हैं। शुभेंदु अधिकारी के बाहर निकलने या मेरे प्रवेश का चुनाव परिणामों पर कोई असर नहीं है। यहाँ 1 करोड़ से अधिक हिंदी भाषी लोग हैं और 27% अनुसूचित जाति हैं। ये सभी भाजपा के साथ खड़े हैं।”

मोब लिंचिंग के शिकार इन्स्पैक्टर की बेटी ने की सीबीआई जांच की मांग

अधिकारियों ने बताया कि मामले में आरोपियों को पकड़ने के लिए एक पुलिस टीम के साथ कुमार गांव में गए थे. यह मामला किशनगंज पुलिस थाने में दर्ज है. उन्होंने बताया किभीड़ ने उन्हें घेर लिया और उन पर हमला कर दिया था. इसके बाद पंजिपारा चौकी से पुलिसकर्मियों की एक टीम ने उन्हें भीड़ से छुड़ाया और इस्लामपुर सदर अस्पताल ले गई, जहां डॉक्‍टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस घटना के सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. उनकी पहचान फिरोज आलम, अबुजर आलम और सहीनुर खातून के रूप में हुई है.

किशनगंज(बिहार)/ नयी दिल्ली :

बिहार के किशनगंज जिला के नगर थाना प्रभारी अश्विनी कुमार की शनिवार (अप्रैल 10, 2021) को पश्चिम बंगाल में हत्या के मामले में उनकी बेटी ने इसे षड़यंत्र करार देते हुए सीबीआई जाँच की माँग की है। वहीं उनकी पत्नी ने सर्किल इंस्पेक्टर पर केस दर्ज करने की माँग की है। 

मामले में किशनगंज के एसडीपीओ जावेद अंसारी ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि SHO की हत्या करने वाले भीड़ को वहाँ की एक मस्जिद से बकायदा अनाउंस करके जुटाया गया था। एसडीपीओ के मुताबिक दो लोगों ने हल्ला कर पहले लोगों को बुलाया और फिर देखते ही देखते भीड़ जमा हो गई। एसडीपीओ ने कहा कि थानाध्यक्ष की हत्या करने के मामले में मस्जिद से ऐलान कर लोगों को इकट्ठा किया गया था कि चोर आ गए हैं, डाकू आ गए हैं जिसके बाद भीड़ ने थानेदार की पीट-पीटकर हत्या कर दी।

रविवार (अप्रैल 11, 2021) को किशनगंज थाना प्रभारी अश्विनी कुमार और उनकी माँ उर्मिला देवी का पूर्णिया जिले में उनके पैतृक गाँव में अंतिम संस्कार किया गया। रविवार को सुबह ही अश्विनी कुमार की 75 वर्षीया माँ उर्मिला देवी ने बेटे का शव देखते ही दम तोड़ दिया था। इसके बाद दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान शहीद अश्विनी अमर रहे के नारे से पूरा इलाका गूँज उठा।

मीडिया से बात करते हुए, अश्विनी कुमार की बेटी नैंसी ने अपने पिता की निर्मम हत्या के पीछे साजिश का आरोप लगाया। उन्होंने ऑपरेशन के दौरान अपने पिता के साथ अन्य अधिकारियों की भूमिका पर आशंका जताई। उसने सवाल किया कि जब उनके पिता को मार डाला गया, तो बाकी लोग सुरक्षित वापस कैसे आ गए। उन्हें एक खरोंच भी नहीं आई। नैंसी ने सीबीआई जाँच की माँग की है।

नैंसी ने रोते हुए कहा, “यह एक साजिश है और मैं सीबीआई जाँच की माँग करती हूँ। उन्होंने बंदूकें होने के बावजूद मेरे पिता को अकेला छोड़ दिया। न केवल सर्किल इंस्पेक्टर मनीष कुमार, बल्कि भागने वाले सभी लोगों को दंडित किया जाना चाहिए। मेरे पिता की मृत्यु के बाद मेरी दादी भी सदमे से मर गईं।”

अश्विनी कुमार की पत्नी मीनू स्नेहलता ने किशनगंज के सर्किल इंस्पेक्टर मनीष कुमार समेत अन्य के खिलाफ केस दर्ज करने की माँग की है। पुलिस को दिए आवेदन में उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि उनके पति की निर्मम हत्या में मनीष कुमार का हाथ है। छापेमारी के दौरान मनीष कुमार ने जो लापरवाही और कर्तव्यहीनता दिखाई, उसे पुलिस प्रशासन ने भी माना और उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। इसने साबित कर दिया कि इस हत्याकांड में मनीष कुमार निश्चित रूप से संदेह के घेरे में है। मीनू ने मनीष को अपनी सास की हत्या के लिए भी अप्रत्यक्ष रूप से मनीष कुमार को जिम्मेदार ठहराया है।

अश्विनी कुमार के स्वजनों को पूर्णिया प्रक्षेत्र के सभी पुलिसकर्मियों ने एक दिन का वेतन (करीब 50 लाख रुपए) और आईजी ने 10 लाख देने की घोषणा की। वहीं मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवार को हरसंभव मदद देने की बात कही। इसके साथ ही अनुकंपा पर घर के एक व्यक्ति को नौकरी देने की भी घोषणा की गई है। अश्विनी की बड़ी बेटी जहाँ बदहवास स्वजनों को सँभालने की कोशिश कर रही थी वहीं उनकी सबसे छोटी बेटी और बेटा सबसे बार- बार यही पूछ रहे थे कि पापा उठ क्यों नहीं रहे। बता दें कि इस मातम की वजह से गाँव में किसी के भी घर में दो दिनों तक चूल्हा नहीं जला।

प्रखंड क्षेत्र में रविवार को जगह-जगह श्रद्धांजलि दी गई और हत्यारे की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की माँग की गई। इस मामले में अब तक पश्चिम बंगाल से पाँच जबकि बिहार से तीन लोगों की गिरफ्तारी की गई है। मस्जिद से अनाउंस कर भीड़ इकट्ठा करने के मामले में पुलिस ने मास्टरमाइंड फिरोज और इजराइल थे जिनको भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले शनिवार को पुलिस ने मुख्य अभियुक्त फिरोज आलम ,अबुजार आलम और सहीनुर खातून की गिरफ्तारी की थी।

ये घटना पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर के गोलपोखर पुलिस स्टेशन इलाके के गाँव पांतापारा में हुई। किशनगंज थाने के एसएचओ अश्विनी कुमार दलबल के साथ बाइक चोरी को पकड़ने बंगाल के पांतापाड़ा गाँव छापेमारी करने गए थे। भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला कर खदेड़ा। थानाध्यक्ष को घेर लिया और पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। आरोप है कि पश्चिम बंगाल की पुलिस ने सूचना के बावजूद बिहार पुलिस की टीम का कोई सहयोग नहीं किया।

कॉंग्रेस ने आरजेडी और एनसीपी से बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए न आने की लगाई गुहार

NCP सुप्रीमो पवार को लिखे पत्र में भट्टाचार्य ने कहा, ‘मेरी जानकारी में आया है कि आपने सत्तारुढ़ दल तृणमूल कांग्रेस का प्रचार करने के लिए बतौर स्टार प्रचारक पश्चिम बंगाल आने के लिए हामी भरी है, ताकि सूबे में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसकी जीत सुनिश्चित की जा सके। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस पार्टी तृणमूल से एक राजनीतिक लड़ाई लड़ रही है, ऐसे में स्टार कैंपेनर के रूप में आपकी उपस्थिति पश्चिम बंगाल के आम मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा कर सकती है। इसे देखते हुए यदि आप पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के लिए प्रचार करने से बचते हैं तो मैं आपका बेहद आभारी रहूंगा।’

सरिया तिवारी, कोल्कत्ता/चंडीगढ़:

पश्चिम बंगाल कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार से सूबे में चुनाव प्रचार न करने की गुजारिश की है। उन्होंने ऐसी ही गुजारिश बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव से भी की है।

दरअसल, पवार और तेजस्वी ‘स्टार कैंपेनर’ के रूप में पश्चिम बंगाल की सत्तारुढ़ तृणमूल कॉन्ग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करने वाले हैं, जबकि कॉन्ग्रेस राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी के खिलाफ चुनाव मैदान में है। ऐसे में प्रदीप ने दोनों से गुजारिश की है कि यदि संभव हो तो दोनों नेता तृणमूल के लिए प्रचार करने से बचें।

‘प्रचार नहीं करेंगे तो आपका आभारी रहूँगा’

NCP सुप्रीमो पवार को लिखे पत्र में भट्टाचार्य ने कहा, “मेरी जानकारी में आया है कि आपने सत्तारुढ़ दल तृणमूल कॉन्ग्रेस का प्रचार करने के लिए बतौर स्टार प्रचारक पश्चिम बंगाल आने के लिए हामी भरी है, ताकि सूबे में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसकी जीत सुनिश्चित की जा सके। पश्चिम बंगाल में कॉन्ग्रेस पार्टी तृणमूल से एक राजनीतिक लड़ाई लड़ रही है, ऐसे में स्टार कैंपेनर के रूप में आपकी उपस्थिति पश्चिम बंगाल के आम मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा कर सकती है। इसे देखते हुए यदि आप पश्चिम बंगाल में तृणमूल कॉन्ग्रेस के लिए प्रचार करने से बचते हैं तो मैं आपका बेहद आभारी रहूँगा।”

‘सूबे में TMC से हमारी राजनीतिक लड़ाई’

वहीं, भट्टाचार्य ने तेजस्वी को लिखे पत्र में कहा है, “मुझे पता चला है कि आपने सत्तारुढ़ दल तृणमूल कॉन्ग्रेस का प्रचार करने के लिए बतौर स्टार प्रचारक पश्चिम बंगाल आने के लिए हामी भरी है, ताकि सूबे में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसकी जीत सुनिश्चित की जा सके। हालाँकि पश्चिम बंगाल में कॉन्ग्रेस पार्टी तृणमूल से एक राजनीतिक लड़ाई लड़ रही है, ऐसे में एक स्टार कैंपेनर के रूप में आपकी उपस्थिति पश्चिम बंगाल के आम मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा कर सकती है। इसे देखते हुए यदि आप तृणमूल कॉन्ग्रेस के लिए प्रचार न करने का फैसला लेते हैं तो मैं आपका बेहद आभारी रहूँगा।”

बता दें कि शरद पवार और तेजस्वी यादव दोनों ने ही पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को नैतिक समर्थन देते हुए उनके पक्ष में चुनाव प्रचार करने की बात कही है, जबकि क्रमशः महाराष्ट्र और बिहार में इन नेताओं का कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन है। बिहार में आरजेडी के साथ कॉन्ग्रेस और वाम का गठबंधन है तथा महाराष्ट्र में एनसीपी, शिवसेना और कॉन्ग्रेस एकजुट होकर सरकार चला रही है।

भारत सरकार का आजादी का अमृत महोत्सव और आपातकाल लोकतंत्र सेनानियों का दयनीय जीवन

आपातकाल में लोकतंत्र कायम करने के लिए मीसा, डीआईआर और सीआरपीसी की अलग अलग धाराओं में बड़ी संख्या में व्यक्ति निरुद्ध या जेल में बंद रहे थे। इनके आकलन और जांच के लिए केंद्र सरकार ने जेएस शाह की अध्यक्षता में इस बारे में कमीशन का गठन किया था। इसकी रिपोर्ट अनुसार, राजस्थान में मीसा बंदियों की संख्या 542, डीआईआर बंदियों की संख्या 1352 और सीआरपीसी निरुद्ध व्यक्तियों की संख्या 1908 बताई गई है। इस संख्या में वह आंकड़ा भी शामिल है जो मीसा,डीआईआर और सीआरपीसी की अलग अलग धाराओं में 30 दिन से भी कम समय तक जेल में बंद या निरुद्ध रहे। 

करणीदानसिंह राजपूत(पत्रकार, आपातकाल जेलयात्री) , 9 मार्च 2021.

आजादी का अमृत महोत्सव भारत सरकार पूरे देश में मनाने जा रही है। यह महोत्सव आजादी के 75 साल पूरे होने पर मनाया जा रहा है। यह 12 मार्च 2021 से देशभर में शुरू होगा और 75 सप्ताह तक यानी 15 अगस्त 2023 तक मनाया जाएगा। इस महोत्सव पर आयोजन के लिए प्रत्येक राज्य में और प्रत्येक जिले में तैयारियां शुरू हो चुकी है। इस 75 सप्ताह तक चलने वाले महोत्सव में अनेक कार्यक्रम होंगे।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस आयोजन का लक्ष्य लोगों को देश की आजादी और स्वतंत्रता संग्राम के महत्व को समझाना है, साथ ही, युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता आन्दोलन की जानकारी देना है। उन्होंने कहा कि इससे युवाओं को जोड़ना है और इस आयोजन को आन्दोलन का रूप देना है।

स्वतंत्रता के 75 वर्ष का समारोह, आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय समिति की पहली बैठक 8 मार्च 2021 को आयोजित हुई। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पैनल को संबोधित किया। राज्यपालों, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राजनेताओं, वैज्ञानिकों, अधिकारियों, मीडिया प्रमुखों,आध्यात्मिक नेताओं, कलाकारों तथा फिल्मों से जुड़े व्यक्तियों, खिलाड़ियों तथा जीवन के अन्य क्षेत्रों के विख्यात व्यक्तियों सहित राष्ट्रीय समिति के विभिन्न सदस्यों ने बैठक में भाग लिया।

राष्ट्रीय समिति के जिन सदस्यों ने बैठक में इनपुट तथा सुझाव दिये, उनमें पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, पूर्व प्रधानमंत्री श्री एच डी देवेगौड़ा, श्री नवीन पटनायक, श्री मल्लिकार्जुन खड़गे, श्रीमती मीरा कुमार, श्रीमती सुमित्रा महाजन, श्री जे.पी. नड्डा, मौलाना वहीदुद्दीन खान शामिल थे।

  • समिति के सदस्यों ने प्रधानमंत्री को “आजादी का अमृत महोत्सव” की योजना बनाने तथा इसके आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने महोत्सव के क्षेत्र को और विस्तारित करने के लिए अपने सुझाव तथा इनपुट दिए।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि भविष्य में ऐसी और अधिक बैठकें होंगी तथा आज प्राप्त हुए सुझावों एवं इनपुटों पर विचार किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश धूमधाम और उत्साह के साथ आजादी के 75 वर्ष का समारोह मनाएगा, जो ऐतिहासिक प्रकृति, गौरव और इस अवसर के महत्व के अनुकूल होगा। उन्होंने समिति के सदस्यों से प्राप्त होने वाले नए विचारों तथा विविध सोचों की सराहना की। उन्होंने आजादी के 75 वर्ष के महोत्सव को भारत के लोगों को समर्पित किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष का समारोह एक ऐसा समारोह होना चाहिए, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम की भावना, शहीदों को श्रद्धांजलि तथा भारत के निर्माण के उनके संकल्प का अनुभव किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस समारोह को सनातन भारत के गौरव की झलकियों तथा आधुनिक भारत की चमक को भी साकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समारोह को संतों की आध्यात्मिकता की रोशनी तथा हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा और ताकत को भी परिलक्षित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम विश्व के सामने इन 75 वर्षों की उपलब्धियों को भी प्रदर्शित करेगा तथा अगले 25 वर्षों के लिए हमारे लिए संकल्प करने की एक रूपरेखा भी प्रदान करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी संकल्प बिना समारोह के सफल नहीं है। उन्होंने कहा कि जब कोई संकल्प समारोह का रूप ले लेता है तो लाखों लोगों की प्रतिज्ञा और ऊर्जा उसमें जुड़ जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 75 वर्षों का समारोह 130 करोड़ भारतीयों की भागीदारी के साथ किया जाना है तथा लोगों की यह भागीदारी इस समारोह के मूल में है। इस समारोह में 130 करोड़ देशवासियों की अनुभूतियां, सुझाव तथा सपने शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि 75 वर्षों के समारोह के लिए पांच स्तंभों का निर्णय किया गया है। ये हैं- स्वतंत्रता संग्राम, 75 पर विचार, 75 पर उपलब्धियां, 75 पर कदम तथा 75 पर संकल्प। इन सभी को 130 करोड़ भारतीयों के विचारों तथा भावनाओं में शामिल किया जाना चाहिए।

  • प्रधानमंत्री ने कम ज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने तथा लोगों को उनकी कहानियों के बारे में भी बताने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि देश का हर कोना देश के बेटों और बेटियों की शहादत से भरा हुआ है और उनकी कहानियां देश के लिए प्रेरणा का शाश्वत स्रोत होंगी। उन्होंने कहा कि हमें प्रत्येक वर्ग के योगदान को सामने लाना है। ऐसे बहुत से लोग हैं, जो पीढ़ियों से देश के लिए बहुत महान कार्य कर रहे हैं, उनके योगदान, विचार तथा सोच को राष्ट्रीय प्रयासों के साथ समेकित किये जाने की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ऐतिहासिक समारोह स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरे करने, ऐसी ऊंचाई पर भारत को पहुंचाने, जिसकी उन्होंने कल्पना की थी, को लेकर है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश ऐसी चीजें अर्जित कर रहा है, जिसके बारे में कुछ वर्ष पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था। उन्होंने कहा कि यह समारोह भारत के ऐतिहासिक गौरव के अनुरूप होगा।

लोकतंत्र सेनानियों, देश की आजादी के बाद लोकतंत्र इतिहास में आपातकाल लगाया तब देश की आजादी, लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए अपने परिवार व्यावसाय,नौकरियों को छोड़ कर लाखों लोग निकल पड़े। दमनचक्र में पिसे। वे देश के साथ खड़े थे लेकिन उनके साथ कौन खड़ा है? न सरकार, न कोई नेता न कोई संगठन साथ दे रहा है। प्रधानमंत्री गृहमंत्री के यहां से तो 7 सालों में एक पत्र का उत्तर तक नहीं आया। उनकी और सरकार की ईच्छा क्या है? इसका संकेत तक नहीं मिला।
आपातकाल 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का यह क्रांतिकारी इतिहास में और महोत्सव में शामिल होने से रह जाएगा। जब हमारी सरकार ही आपातकाल और आपातकाल के लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को दूर रखेगी तो अन्य कौन सहेजेगा? आपातकाल के लोककतंत्र रक्षकों की वृद्धावस्था है और 60 वर्ष से ऊपर 75,80,85 और अधिक उम्र में पहुंच चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमितशाह व अन्य प्रमुख जन एक एक अंश से परिचित हैं और उनकी चुप्पी सभी को पीड़ित कर रही है। यह पीड़ा अपने कहे जाने वाले राज में हो तो अधिक महसूस होती है, आपातकाल के अत्याचारों से अधिक महसूस होती है।

स्वतंत्रता सेनानियों जैसे सम्मान के खातिर अब भी भटक रहे लोकतंत्र सेनानी
  • भारत सरकार जिन दलों के संगठन से बनी है उसमें भाजपा सबसे बड़ा दल है। इस बड़े दल के प्रमुख और अन्य नेताओं को नैतिक दायित्व भूलना नहीं चाहिए। आपातकाल में लोकतंत्र को बचाने वालों में माना जाता है कि देश के विभिन्न हिस्सों से अलग अलग विचारधारा होते हुए भी 36 या 38 संगठनों ने अपनी आहुतियां दी थी। भाजपा के अलावा भी संगठन हैं उनके नेताओं को भी इस बारे में आगे आना चाहिए। अनुनय, विनय,प्रार्थना, आग्रह पिछले 7 सालों में बहुत हो चुके हैं।
    अब पढ कर चुप रहने का समय नहीं है। जो सेनानी करें वे ही आगे बढें और सत्ता के हर भागीदार को बतादें कि जो नुकसान होगा वह सभी को भोगना होगा।
    भारत सरकार निर्णय लेने तक पहुंचे ऐसा कार्य सभी करें।

नंदीग्राम ही से चुनाव लड़ेंगी ‘दीदी’, यहाँ चुनाव बना साख का सवाल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ने का एलान किया है. टीएमसी उम्मीदवारों की जारी लिस्ट में इस बात की घोषणा की गई है. इससे पहले ममता भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ती रही हैं. इस बार के चुनाव में वो भवानीपुर सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगी. सनद रहे कि नंदीग्राम, नंदीग्राम आंदोलन की नींव रहे श्वेन्दु अधिकारी का गढ़ रहा है। यहाँ अधिकारी बंधुओं का बहुत बोल बाला है। यहाँ से शुवेंदु के भाई और पिता विधायक और सांसद रहे हैं।

कोलकाता/नईदिल्ली:

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस ने 291 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। बता दें कि पार्टी 291 सीट पर ही चुनाव लड़ेगी। तीन सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ी गई हैं। ममता के करीबियों का कहना है कि शुक्रवार को दीदी अपना लकी दिन मानती हैं। इसी वजह से उन्होंने उम्मीदवारों के एलान के लिए इस दिन को चुना। बता दें कि साल 2011 और 2016 में भी ममता बनर्जी ने टीएमसी भवन से ही शुक्रवार के दिन उम्मीदवारों का एलान किया था। ममता बनर्जी ने कहा कि वह नंदीग्राम सीट से ही चुनाव लड़ेंगी। माना जा रहा है कि यहां उनका सीधा मुकाबला सुवेंदु अधिकारी से होगा, लेकिन यह भाजपा के उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद स्पष्ट होगा। उनकी परंपरागत भवानीपुर सीट से सोवनदेब चट्टोपाध्याय मैदान में उतरेंगे।

जानकारी के मुताबिक, टीएमसी की सूची में 291 उम्मीदवारों के नाम हैं। इनमें 100 नए चेहरों को मौका दिया गया है। वहीं, 50 महिलाओं और 42 मुस्लिमों को भी मैदान में उतारा जा रहा है। ममता बनर्जी ने कहा कि हमने उन उम्मीदवारों को टिकट दिया, जिन्हें जनता पसंद करती है। हालांकि, कुछ लोगों को टिकट नहीं मिला है। कोशिश करूंगी कि उन्हें विधान परिषद चुनाव में मौका दिया जाए। 

ममता ने नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर एक साथ कई रानजीतिक संदेश देने की कोशिशें की है. सिंगूर के साथ नंदीग्राम वो जगह है जहां पर भूमि अधिग्रहण को लेकर भारी विरोध हुआ था और इसका ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल की सत्ता में आने में मदद मिली.

नंदीग्राम पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी से चुनावी मैदान में उतरने जा रहे शुभेंदु अधिकारी का रानजीतिक गढ़ है. ऐसे में कभी ममता के बेहद करीबी रहे शुभेंदु के चुनाव में आमने-सामने आने के बाद इस सीट पर पूरे देश की निगाहें लग गई हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि शुभेंदु भी इसी सीट से मैदान में उतरते हैं या नहीं.

ममता के लिए नंदीग्राम महत्वपूर्ण

वाम मोर्चे की सरकार की वहां पर कैमिकल फैक्ट्री स्थापना करने की योजना थी और हल्दिया डेवलपमेंट अथॉरिटी की तरफ से साल 2006 में इसका ऐलान भी किया गया था. लेकिन, जबरदस्ती भूअधिग्रहण के खिलाफ भारी तादाद में प्रदर्शन शुरू हो गया था. भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमेटी का इसके विरोध में गठन किया गया था और शुभेंदु अधिकारी परिवार ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी.

नंदीग्राम क्यों अहम?

नंदीग्राम विधानसभा तामलुक संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है और यह पूर्वी मेदिनीपुर जिले का हिस्सा है. हालांकि, पूर्वी मेदिनीपुर में कुल आबादी की तुलना में मुस्लिम आबादी करीब 14.59 फीसदी है जबकि नंदीग्रीम में मुसलमानों की आबादी करीब 34 फीसदी है. नंदीग्राम में अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 14.59 फीसदी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की तरफ से नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान खुले दौर पर वहां के मौजूदा विधायक शुभेंदु अधिकारी को चुनौती देना है, जो नंदीग्राम आंदोलन के महत्वपूर्ण चेहरा थे लेकिन अब विधानसभा चुनाव से पहले वह टीएमसी से पाला बदलते हुए बीजेपी में जाकर मिल चुके हैं.