भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है. अब तक चीन दो दिन में 2 बार घुसपैठ की नाकाम कोशिश कर चुका है, जिसके बाद भारतीय सेना को LAC के लोकेशन से आगे बढ़ना पड़ा है. भारतीय सुरक्षाबलों ने आगे घुसपैठ को रोकने के लिए वाहनों को तैनात कर दिया है. भारतीय जवान चीनी सैनिकों की किसी भी तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए हाई अलर्ट पर हैं.
नयी दिल्ली(ब्यूरो):
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन की घुसपैठ की कोशिशें बढ़ती जा रही हैं. ड्रैगन ने मंगलवार को चुमार में घुसपैठ की कोशिश की. हालांकि, भारतीय जवानों को देख चीन के सैनिक वहां से उल्टे पांव भाग गए. चीनी सेना की लगभग 7 से 8 बख्तरबंद गाड़ियां चेपुजी कैंप से भारतीय क्षेत्र की ओर बढ़ रही थीं. भारतीय सुरक्षाबलों ने भी घुसपैठ को रोकने के लिए वाहनों को तैनात किया. भारतीय जवान चीनी सैनिकों की किसी भी तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए हाई अलर्ट पर हैं.
इससे पहले सोमवार की रात को चीन के सैनिकों ने ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप में घुसपैठ की कोशिश की. चीनी सैनिक अंधेरे का फायदा उठाकर भारतीय क्षेत्र में घुस रहे थे, लेकिन भारतीय सेना के जवानों ने उसकी साजिश को नाकाम कर दिया. चीन ने 29-30 अगस्त की रात को भी घुसपैठ की कोशिश की थी और इस बार भी भारतीय जवानों ने उसे नाकाम कर दिया था.
बता दें कि भारत और चीन के बीच मई के शुरुआती दिनों से ही तनाव की स्थिति है. 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवानों की जान चली गई थी. लेकिन अब अगस्त में एक बार फिर नई जगह पर विवाद शुरू हुआ है. पहले जहां पर विवाद था, अब उससे अलग हटकर पैंगोंग झील की दक्षिणी तरफ आ गया है.
चीन की हरकत पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ गया था, क्योंकि 29-30 अगस्त की रात के बाद चीनी सैनिकों ने सोमवार की रात को भी घुसैपठ की कोशिश की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्त्व ने कहा कि तनाव को कम करने के लिए सैन्य स्तर की बातचीत हो रही है, लेकिन इसी बीच चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की फिर कोशिश की. अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हमने राजनयिक और सैन्य माध्यम से चीन के सामने मामला उठाया.
वहीं, चीन से जारी तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर, NSA अजित डोभाल, CDS जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख शामिल हुए. ये बैठक करीब दो घंटे चली.
चीन की हरकतों की पहले से थी जानकारी
सीमा पर भारतीय सेना को चीन की हरकतों की जानकारी पहले से थी. भारतीय सेना की स्पेशल ऑपरेशंस यूनिट, सिख लाइट इन्फेंट्री ने 29-30 अगस्त की रात को चीन की साजिश को नाकाम किया. पिछले एक हफ्ते से ही भारत ने बॉर्डर पर एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल को तैनात किया हुआ है, जिससे चीनी इलाकों पर निशाना बनाया जा सकता है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/09/22_32_544343744lac1-ll.jpg396600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-09-02 04:52:552020-09-02 04:57:53मुंह की खाने के बाद भी नहीं सुधरा चीन, चुमार में फिर खाई लात
नेशनल पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. जिसके बाद मणिपुर में अपनी सरकार को स्थिर रखने के लिए बीजेपी ने एक बार फिर क्षेत्रीय दल का समर्थन हासिल कर लिया. दरअसल मणिपुर में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार एनपीपी के चार और बीजेपी के तीन बागी विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद मुश्किल में आ गई थी.
नई दिल्ली(ब्यूरो):
मणिपुर में बीजेपी की गठबंधन वाली सरकार पर चल रहे संकट के बीच बुधवार को दिल्ली में गृह मंत्री अध्यक्ष अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से नेशनल पीपुल्स पार्टी के बागी विधायकों ने मुलाकात की. उनका नेतृत्व पार्टी चीफ और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने किया. इस दौरान मणिपुर में चल रहे राजनीतिक संकट पर चर्चा की गई. यह जानकारी बीजेपी नेता और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस के संयोजक हेमंत बिस्व सरमा ने दी.
नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी के संकटमोचक कहे जाने वाले हेमंत बिस्व सरमा ने बताया कि एनपीपी मणिपुर में बीजेपी सरकार को समर्थन जारी रखेगी. हम विकास के लिए साथ मिलकर काम करेंगे. वहीं सूत्रों के मुताबिक अमित शाह से मुलाकात के बाद बीजेपी और एनपीपी के बीच समझौता हो गया है. कहा जा रहा है कि गुरुवार को एनपीपी विधायक राज्यपाल से मिलेंगे और सरकार को अपने समर्थन का दावा पेश करेंगे. ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने वाले एनपीपी के चारों विधायक वापस सरकार में लौट सकते हैं. सूत्रों ने बताया कि इसे लेकर बीजेपी आलाकमान को जानकारी दी गई है.
बता दें कि सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस में शामिल हुए नेशनल पीपुल्स पार्टी के 4 विधायकों को चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया गया था. इससे पहले हेमंत बिस्व सरमा ने रविवार को इंफाल पहुंचकर पूरे मामले को समझा था. उनके साथ एनपीपी प्रमुख और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा भी थे. इस मामले पर हेमंत बिस्व सरमा का कहना था कि नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस और एनडीए के बीच समर्थन जारी रहेगा. हेमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि मणिपुर के संबंध में घबराने की कोई जरूरत नहीं है. हम सभी विधायकों के साथ विचार विमर्श कर रहे हैं. सभी मुद्दों को मैत्रीपूर्ण ढंग से सुलझा लिया जाएगा.
मणिपुर में बीजेपी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार से उपमुख्यमंत्री वाई जॉय कुमार सिंह, आदिवासी एवं पर्वतीय क्षेत्र विकास मंत्री एन कायिशी, युवा मामलों और खेल मंत्री लेतपाओ हाओकिप और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री एल जयंत कुमार सिंह ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था. एनपीपी से इस्तीफा देने के बाद इन चारों विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने का भी ऐलान किया था.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/06/biren-singh_160317-093555.jpg450800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-06-25 02:24:092020-06-25 02:24:56मणिपुर में भाजपा स्थिर
कोरोना के खिलाफ जंग में पीएम मोदी की अपील के बाद देशवासी आज रात 9 बजे 9 मिनट दीया, कैंडल, मोबाइल फ्लैश और टार्च जलाकर एकजुटता का परिचय देंगे. लोग दीया जलाने की तैयारी कर लिए हैं.
नई दिल्ली:
कोरोना वायरस के खिलाफ पूरे देश ने एकजुट होकर प्रकाश पर्व मनाया. पीएम मोदी की अपील पर एकजुट होकर देश ने साबित कर दिया कि कोरोना के खिलाफ हिंदुस्तान पूरी ताकत से लड़ेगा. देश के इस संकल्प से हमारी सेवा में 24 घंटे, सातों दिन जुटे कोरोना फाइटर्स का भी हौसला लाखों गुना बढ़ गया. गौरतलब है कि पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में हैं. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देश कोरोना के आगे बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं लेकिन भारत के संकल्प की वजह से देश में कोरोना संक्रमण विकसित देशों के मुकाबले कई गुना कम है.
Live Updates-
कोरोना के खिलाफ एकजुट हुआ भारत, प्रकाश से जगमगाया पूरा देश
पीएम मोदी की अपील पर हिंदुस्तान ने किया कोरोना के खिलाफ जंग का ऐलान
कोरोना के खिलाफ जापान में जला पहला दीया,
कुछ देर बाद 130 करोड़ हिंदुस्तानी लेंगे एकजुटता का संकल्प
अमित शाह ने जलाए दीये
दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर सभी लाइट बंद करने के बाद मिट्टी के दीपक जलाए.
योगी आदित्यनाथ ने जलाया दीया
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दीया जलाकर एकता की पेश की मिसाल. दीए की रोशनी से बनाया ऊं.
अनुपम खेर ने जलायी मोमबत्ती
अनुप खेर ने दीया जलाकर दिया एकता का संदेश
बता दें कि पीएम मोदी ने शुक्रवार को अपील की थी कि पूरे देश के लोग रविवार रात 9 बजे घर की बत्तियां बुझाकर अपने कमरे में या बालकनी में आएं और दीया, कैंडिल, मोबाइल और टॉर्च जलाकर कोरोना के खिलाफ जंग में अपनी एकजुटा प्रदर्शित करें.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/04/navjivanindia_2020-04_148487f8-a244-4808-a0a3-f67f62f61ceb_WhatsApp_Image_2020_04_05_at_9_16_56_PM.jpeg6751200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-04-05 18:07:362020-04-05 18:13:52मोदी के आवाहन पर भारत ने दिखाई एकता, की दीपावली
भारत में अवैध घुसपैठिए से किसको फायदा हो रहा है, ये घुसपैठिए किसके वोट बैंक बने हुए हैं। अभी हाल में पश्चिम बंगाल में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया कि बंगाल में तकरीबन 50 लाख मुस्लिम घुसपैठिए हैं, जिनकी पहचान की जानी है और उन्हें देश से बाहर किया जाएगा। बीजेपी नेता के दावे में अगर सच्चाई है तो पश्चिम बंगाल में मौजूद 50 घुसपैठियों का नाम अगर मतदाता सूची से हटा दिया गया तो सबसे अधिक नुकसान किसी का होगा तो वो पार्टी होगी टीएमसी को होगा, जो एनआरसी का सबसे अधिक विरोध कर रही है और एनआरसी के लिए मरने और मारने पर उतारू हैं।
नयी दिल्ली
असम एनआरसी के बाद पूरे भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) बनाने की कवायद भले ही अभी पाइपलाइन में हो और इसका विरोध शुरू हो गया है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि भारत के सरहद से सटे लगभग सभी पड़ोसी मुल्क मसलन पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों में नागरिकता रजिस्टर कानून है।
पाकिस्तान में नागरिकता रजिस्टर को CNIC, अफगानिस्तान में E-Tazkira,बांग्लादेश में NID, नेपाल में राष्ट्रीय पहचानपत्र और श्रीलंका में NIC के नाम से जाना जाता है। सवाल है कि आखिर भारत में ही क्यों राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC)कानून बनाने को लेकर बवाल हो रहा है। यह इसलिए भी लाजिमी है, क्योंकि आजादी के 73वें वर्ष में भी भारत के नागरिकों को रजिस्टर करने की कवायद क्यों नहीं शुरू की गई। क्या भारत धर्मशाला है, जहां किसी भी देश का नागरिक मुंह उठाए बॉर्डर पार करके दाखिल हो जाता है या दाखिल कराया जा रहा है।
भारत में अवैध घुसपैठिए से किसको फायदा हो रहा है, ये घुसपैठिए किसके वोट बैंक बने हुए हैं। अभी हाल में पश्चिम बंगाल में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया कि बंगाल में तकरीबन 50 लाख मुस्लिम घुसपैठिए हैं, जिनकी पहचान की जानी है और उन्हें देश से बाहर किया जाएगा। बीजेपी नेता के दावे में अगर सच्चाई है तो पश्चिम बंगाल में मौजूद 50 घुसपैठियों का नाम अगर मतदाता सूची से हटा दिया गया तो सबसे अधिक नुकसान किसी का होगा तो वो पार्टी होगी टीएमसी को होगा, जो एनआरसी का सबसे अधिक विरोध कर रही है और एनआरसी के लिए मरने और मारने पर उतारू हैं।
बीजेपी नेता के मुताबिक अगर पश्चिम बंगाल से 50 लाख घुसैपठियों को नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया तो टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वोट प्रदेश में कम हो जाएगा और आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कम से कम 200 सीटें मिलेंगी और टीएमसी 50 सीटों पर सिमट जाएगी। बीजेपी नेता दावा राजनीतिक भी हो सकता है, लेकिन आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि उनका दावा सही पाया गया है और असम के बाद पश्चिम बंगाल दूसरा ऐसा प्रदेश है, जहां सर्वाधिक संख्या में अवैध घुसपैठिए डेरा जमाया हुआ है, जिन्हें पहले पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकारों ने वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया।
ममता बनर्जी अब भारत में अवैध रूप से घुसे घुसपैठियों का पालन-पोषण वोट बैंक के तौर पर कर रही हैं। वर्ष 2005 में जब पश्चिम बंगला में वामपंथी सरकार थी जब ममता बनर्जी ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में घुसपैठ आपदा बन गया है और वोटर लिस्ट में बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल हो गए हैं। दिवंगत अरुण जेटली ने ममता बनर्जी के उस बयान को री-ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने लिखा, ‘4 अगस्त 2005 को ममता बनर्जी ने लोकसभा में कहा था कि बंगाल में घुसपैठ आपदा बन गया है, लेकिन वर्तमान में पश्चिम बंगाल में वही घुसपैठिए ममता बनर्जी को जान से प्यारे हो गए है।
क्योंकि उनके एकमुश्त वोट से प्रदेश में टीएमसी लगातार तीन बार प्रदेश में सत्ता का सुख भोग रही है। शायद यही वजह है कि एनआरसी को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सबसे अधिक मुखर है, क्योंकि एनआरसी लागू हुआ तो कथित 50 लाख घुसपैठिए को बाहर कर दिया जाएगा। गौरतलब है असम इकलौता राज्य है जहां नेशनल सिटीजन रजिस्टर लागू किया गया। सरकार की यह कवायद असम में अवैध रूप से रह रहे अवैध घुसपैठिए का बाहर निकालने के लिए किया था। एक अनुमान के मुताबिक असम में करीब 50 लाख बांग्लादेशी गैरकानूनी तरीके से रह रहे हैं। यह किसी भी राष्ट्र में गैरकानूनी तरीके से रह रहे किसी एक देश के प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या थी।
दिलचस्प बात यह है कि असम में कुल सात बार एनआरसी जारी करने की कोशिशें हुईं, लेकिन राजनीतिक कारणों से यह नहीं हो सका। याद कीजिए, असम में सबसे अधिक बार कांग्रेस सत्ता में रही है और वर्ष 2016 विधानसभा चुनाव में बीजेपी पहली बार असम की सत्ता में काबिज हुई है। दरअसल, 80 के दशक में असम में अवैध घुसपैठिओं को असम से बाहर करने के लिए छात्रों ने आंदोलन किया था। इसके बाद असम गण परिषद और तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के बीच समझौता हुआ। समझौते में कहा गया कि 1971 तक जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे, उन्हें नागरिकता दी जाएगी और बाकी को निर्वासित किया जाएगा।
लेकिन इसे अमल में नहीं लाया जा सका और वर्ष 2013 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अंत में अदालती आदेश के बाद असम एनआरसी की लिस्ट जारी की गई। असम की राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर सूची में कुल तीन करोड़ से अधिक लोग शामिल होने के योग्य पाए गए जबकि 50 लाख लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए, जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल हैं। सवाल सीधा है कि जब देश में अवैध घुसपैठिए की पहचान होनी जरूरी है तो एनआरसी का विरोध क्यूं हो रहा है, इसका सीधा मतलब राजनीतिक है, जिन्हें राजनीतिक पार्टियों से सत्ता तक पहुंचने के लिए सीढ़ी बनाकर वर्षों से इस्तेमाल करती आ रही है। शायद यही कारण है कि भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर जैसे कानून की कवायद को कम तवज्जो दिया गया।
असम में एनआरसी सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद संपन्न कराया जा सका और जब एनआरसी जारी हुआ तो 50 लाख लोग नागरिकता साबित करने में असमर्थ पाए गए। जरूरी नहीं है कि जो नागरिकता साबित नहीं कर पाए है वो सभी घुसपैठिए हो, यही कारण है कि असम एनआरसी के परिपेच्छ में पूरे देश में एनआरसी लागू करने का विरोध हो रहा है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर नहीं होना चाहिए। भारत में अभी एनआरसी पाइपलाइन का हिस्सा है, जिसकी अभी ड्राफ्टिंग होनी है। फिलहाल सीएए के विरोध को देखते हुए मोदी सरकार ने एनआरसी को पीछे ढकेल दिया है।
पूरे देश में एनआरसी के प्रतिबद्ध केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि 2024 तक देश के सभी घुसपैठियों को बाहर कर दिया जाएगा। संभवतः गृहमंत्री शाह पूरे देश में एनआरसी लागू करने की ओर इशारा कर रहे थे। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि देश के विकास के लिए बनाए जाने वाल पैमाने के लिए यह जानना जरूरी है कि भारत में नागरिकों की संख्या कितनी है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में, वहां के सभी वयस्क नागरिकों को 18 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर एक यूनिक संख्या के साथ कम्प्यूटरीकृत राष्ट्रीय पहचान पत्र (CNIC) के लिए पंजीकरण करना होता है। यह पाकिस्तान के नागरिक के रूप में किसी व्यक्ति की पहचान को प्रमाणित करने के लिए एक पहचान दस्तावेज के रूप में कार्य करता है।
इसी तरह पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान में भी इलेक्ट्रॉनिक अफगान पहचान पत्र (e-Tazkira) वहां के सभी नागरिकों के लिए जारी एक राष्ट्रीय पहचान दस्तावेज है, जो अफगानी नागरिकों की पहचान, निवास और नागरिकता का प्रमाण है। वहीं, पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश, जहां से भारत में अवैध घुसपैठिए के आने की अधिक आशंका है, वहां के नागरिकों के लिए बांग्लादेश सरकार ने राष्ट्रीय पहचान पत्र (NID) कार्ड है, जो प्रत्येक बांग्लादेशी नागरिक को 18 वर्ष की आयु में जारी करने के लिए एक अनिवार्य पहचान दस्तावेज है।
सरकार बांग्लादेश के सभी वयस्क नागरिकों को स्मार्ट एनआईडी कार्ड नि: शुल्क प्रदान करती है। जबकि पड़ोसी मुल्क नेपाल का राष्ट्रीय पहचान पत्र एक संघीय स्तर का पहचान पत्र है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशिष्ट पहचान संख्या है जो कि नेपाल के नागरिकों द्वारा उनके बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा के आधार पर प्राप्त किया जा सकता है।
पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में भी नेशनल आइडेंटिटी कार्ड (NIC) श्रीलंका में उपयोग होने वाला पहचान दस्तावेज है। यह सभी श्रीलंकाई नागरिकों के लिए अनिवार्य है, जो 16 वर्ष की आयु के हैं और अपने एनआईसी के लिए वृद्ध हैं, लेकिन एक भारत ही है, जो धर्मशाला की तरह खुला हुआ है और कोई भी कहीं से आकर यहां बस जाता है और राजनीतिक पार्टियों ने सत्ता के लिए उनका वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती हैं। भारत में सर्वाधिक घुसपैठियों की संख्या असम, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में बताया जाता है।
भारत सरकार के बॉर्डर मैनेजमेंट टास्क फोर्स की वर्ष 2000 की रिपोर्ट के अनुसार 1.5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर चुके हैं और लगभग तीन लाख प्रतिवर्ष घुसपैठ कर रहे हैं। हाल के अनुमान के मुताबिक देश में 4 करोड़ घुसपैठिये मौजूद हैं। पश्चिम बंगाल में वामपंथियों की सरकार ने वोटबैंक की राजनीति को साधने के लिए घुसपैठ की समस्या को विकराल रूप देने का काम किया। कहा जाता है कि तीन दशकों तक राज्य की राजनीति को चलाने वालों ने अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण देश और राज्य को बारूद की ढेर पर बैठने को मजबूर कर दिया। उसके बाद राज्य की सत्ता में वापसी करने वाली ममता बनर्जी बांग्लादेशी घुसपैठियों के दम पर मुस्लिम वोटबैंक की सबसे बड़ी धुरंधर बन गईं।
भारत में नागरिकता से जुड़ा कानून क्या कहता है?
नागरिकता अधिनियम, 1955 में साफ तौर पर कहा गया है कि 26 जनवरी, 1950 या इसके बाद से लेकर 1 जुलाई, 1987 तक भारत में जन्म लेने वाला कोई व्यक्ति जन्म के आधार पर देश का नागरिक है। 1 जुलाई, 1987 को या इसके बाद, लेकिन नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2003 की शुरुआत से पहले जन्म लेने वाला और उसके माता-पिता में से कोई एक उसके जन्म के समय भारत का नागरिक हो, वह भारत का नागरिक होगा। नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2003 के लागू होने के बाद जन्म लेने वाला कोई व्यक्ति जिसके माता-पिता में से दोनों उसके जन्म के समय भारत के नागरिक हों, देश का नागरिक होगा। इस मामले में असम सिर्फ अपवाद था। 1985 के असम समझौते के मुताबिक, 24 मार्च, 1971 तक राज्य में आने वाले विदेशियों को भारत का नागरिक मानने का प्रावधान था। इस परिप्रेक्ष्य से देखने पर सिर्फ असम ऐसा राज्य था, जहां 24 मार्च, 1974 तक आए विदेशियों को भारत का नागरिक बनाने का प्रावधान था।
क्या है एनआरसी और क्या है इसका मकसद?
एनआरसी या नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन बिल का मकसद अवैध रूप से भारत में अवैध रूप से बसे घुसपैठियों को बाहर निकालना है। बता दें कि एनआरसी अभी केवल असम में ही पूरा हुआ है। जबकि देश के गृह मंत्री अमित शाह ये साफ कर चुके हैं कि एनआरसी को पूरे भारत में लागू किया जाएगा। सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि एनआरसी का भारत के किसी धर्म के नागरिकों से कोई लेना देना नहीं है इसका मकसद केवल भारत से अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालना है।
एनआरसी में शामिल होने के लिए क्या जरूरी है? एनआरसी के तहत भारत का नागरिक साबित करने के लिए किसी व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उसके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आ गए थे। बता दें कि अवैध बांग्लादेशियों को निकालने के लिए इससे पहले असम में लागू किया गया है। अगले संसद सत्र में इसे पूरे देश में लागू करने का बिल लाया जा सकता है। पूरे भारत में लागू करने के लिए इसके लिए अलग जरूरतें और मसौदा होगा।
एनआरसी के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत है?
भारत का वैध नागरिक साबित होने के लिए एक व्यक्ति के पास रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन, आधार कार्ड, जन्म का सर्टिफिकेट, एलआईसी पॉलिसी, सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, पासपोर्ट, सरकार के द्वारा जारी किया लाइसेंस या सर्टिफिकेट में से कोई एक होना चाहिए। चूंकि सरकार पूरे देश में जो एनआरसी लाने की बात कर रही है, लेकिन उसके प्रावधान अभी तय नहीं हुए हैं। यह एनआरसी लाने में अभी सरकार को लंबी दूरी तय करनी पडे़गी। उसे एनआरसी का मसौदा तैयार कर संसद के दोनों सदनों से पारित करवाना होगा। फिर राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद एनआरसी ऐक्ट अस्तित्व में आएगा। हालांकि, असम की एनआरसी लिस्ट में उन्हें ही जगह दी गई जिन्होंने साबित कर दिया कि वो या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 से पहले भारत आकर बस गए थे।
क्या NRC सिर्फ मुस्लिमों के लिए ही होगा?
किसी भी धर्म को मानने वाले भारतीय नागरिक को CAA या NRC से परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। एनआरसी का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। यह भारत के सभी नागरिकों के लिए होगा। यह नागरिकों का केवल एक रजिस्टर है, जिसमें देश के हर नागरिक को अपना नाम दर्ज कराना होगा।
क्या धार्मिक आधार पर लोगों को बाहर रखा जाएगा?
यह बिल्कुल भ्रामक बात है और गलत है। NRC किसी धर्म के बारे में बिल्कुल भी नहीं है। जब NRC लागू किया जाएगा, वह न तो धर्म के आधार पर लागू किया जाएगा और न ही उसे धर्म के आधार पर लागू किया जा सकता है। किसी को भी सिर्फ इस आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता कि वह किसी विशेष धर्म को मानने वाला है।
NRC में शामिल न होने वाले लोगों का क्या होगा?
अगर कोई व्यक्ति एनआरसी में शामिल नहीं होता है तो उसे डिटेंशन सेंटर में ले जाया जाएगा जैसा कि असम में किया गया है। इसके बाद सरकार उन देशों से संपर्क करेगी जहां के वो नागरिक हैं। अगर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए साक्ष्यों को दूसरे देशों की सरकार मान लेती है तो ऐसे अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेज दिया जाएगा।
आभार, Shivom Gupta
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/01/nrcn-1578736214-1579523229.jpg338600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-01-22 02:49:502020-01-22 02:49:53जब छोटे-छोटे पड़ोसी मुल्कों में हैं नागरिकता रजिस्टर कानून! भारत में ही NRC का विरोध क्यों?
इतिहास के पटल पर आज 31 अक्तूबर का दिन खास तौर पर दर्ज़ हो गया जब आज आधी रात से जम्मू कश्मीर का राज्य के रूप में अस्तित्व समाप्त हो गया ।
यह पहला मौका है जब एक राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में
बदल दिया गया हो। आज आधी रात से फैसला लागू होते ही देश में राज्यों की संख्या 28 और केंद्र शासित प्रदेशों
की संख्या नौ हो गई है।
आज जी सी मुर्मू और आर के माथुर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के प्रथम उपराज्यपाल के तौर पर बृहस्पतिवार को शपथ लेंगे।
श्रीनगर और
लेह में दो अलग-अलग शपथ ग्रहण समारोहों का आयोजन किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर हाई
कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल दोनों को शपथ दिलाएंगी।
सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए
गए विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में
बांटने का फैसला किया था, जिसे संसद ने अपनी मंजूरी दी। इसे लेकर देश में खूब सियासी
घमासान भी मचा।
भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का
दर्जा खत्म करने की बात कही थी और मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 90 दिनों के भीतर ही इस वादे
को पूरा कर दिया। इस बारे में पांच अगस्त को फैसला किया गया।
सरदार पटेल की
जयंती पर बना नया इतिहास
सरदार पटेल को देश की 560 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय का श्रेय है। इसीलिए उनके जन्मदिवस को ही इस जम्मू कश्मीर के विशेष अस्तित्व को समाप्त करने के लिए चुना गया। देश में 31 अक्टूबर का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आज पीएम मोदी गुजरात के केवडिया में और अमित शाह दिल्ली में अगल-अलग कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। कश्मीर का राज्य के रूप में अस्तित्व समाप्त हो गया। इसके साथ ही दो केंद्रशासित प्रदेशों का दर्जा मध्यरात्रि से प्रभावी हो गया है। नए केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अस्तित्व में आए हैं।
जम्मू और कश्मीर में आतंकियों की बौखलाहट एक बार फिर सामने आई है. आतंकियों ने
कुलगाम में हमला किया है, जिसमें 5 मजदूरों की मौत हो गई है. जबकि एक घायल है. मारे गए सभी मजदूर कश्मीर से बाहर
के हैं. जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से घाटी में ये सबसे बड़ा आतंकी हमला है. आतंकियों की
कायराना हरकत से साफ है कि वे कश्मीर पर मोदी सरकार के फैसले से बौखलाए हुए हैं और
लगातार आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं.
जम्मू और कश्मीर पुलिस ने कहा कि सुरक्षा बलों
ने इस इलाके की घेराबंदी कर ली है और बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चल रहा है.
अतिरिक्त सुरक्षा बलों को बुलाया गया है. माना जा रहा है कि मारे गए मजदूर पश्चिम
बंगाल के थे.
ये हमला ऐसे समय हुआ है जब यूरोपियन यूनियन के 28 सांसद कश्मीर के दौरे पर हैं. सांसदों के दौरे
के कारण घाटी में सुरक्षा काफी कड़ी है. इसके बावजूद आतंकी बौखलाहट में किसी ना
किसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं. डेलिगेशन के दौरे के बीच ही श्रीनगर और दक्षिण
कश्मीर के कुछ इलाकों में पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं.
जम्मू एवं से अनुच्छेद-370 हटने के बाद यूरोपीय संघ के 27 सांसदों के कश्मीर
दौरे को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों द्वारा सवाल उठाने पर भारतीय जनता पार्टी
ने जवाब दिया है. पार्टी का कहना है कि कश्मीर जाने पर अब किसी तरह की रोक नहीं
है. देसी-विदेशी सभी पर्यटकों के लिए कश्मीर को खोल दिया गया है, और ऐसे में विदेशी
सांसदों के दौरे को लेकर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं है.
भाजपा प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कहा, ‘कश्मीर जाना है तो
कांग्रेस वाले सुबह की फ्लाइट पकड़कर चले जाएं. गुलमर्ग जाएं, अनंतनाग जाएं, सैर करें, घूमें-टहलें. किसने
उन्हें रोका है? अब तो आम पर्यटकों के लिए भी कश्मीर को खोल दिया गया है.’शहनवाज हुसैन ने कहा कि जब कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटा था, तब शांति-व्यवस्था के लिए एहतियातन कुछ कदम जरूर
उठाए गए थे, मगर हालात सामान्य होते ही सब रोक हटा ली गई.
उन्होंने कहा, ‘अब हमारे पास कुछ छिपाने को नहीं, सिर्फ दिखाने को है.’
भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘जब कश्मीर
में तनाव फैलने की आशंका थी, तब बाबा बर्फानी के दर्शन को
भी तो रोक दिया गया था. यूरोपीय संघ के सांसद कश्मीर जाना चाहते थे. वे पीएम मोदी
से मिले तो अनुमति दी गई. कश्मीर को जब आम पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है तो
विदेशी सांसदों के जाने पर हायतौबा क्यों? विदेशी
सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर जाने से पाकिस्तान का ही दुष्प्रचार खत्म
होगा.’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/06/jammudivision.jpg711831Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-10-30 23:52:292019-10-30 23:52:32अब देश में होंगे 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर अब राज्य नहीं
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई नवंबर की 17 तारीख को रिटाइर हो
रहे हैं उन्हें छह महत्त्वपूर्ण मामलों में फैसला सुनाना है। सुप्रीम कोर्ट में
इस समय दिवाली की छुट्टियां चल रही हैं और छुट्टियों के बाद अब काम 4 नवंबर को शुरू होगा।
अयोध्या बाबरी मस्जिद मामला, राफल समीक्षा मामला , राहुल पर अवमानना मामला, साबरिमाला , मुख्य न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का मामला
और आर टी आई अधिनियम पर फैसले आने हैं।
अयोध्या-बाबरी मस्जिद का मामला इन सभी
मामलों में सर्वाधिक चर्चित है अयोध्या-बाबरी मस्जिद का मामला। पांच जजों की
संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई पूरी कर चुकी है और 16 अक्टूबर को अदालत ने
इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा। इस पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई
ही कर रहे हैं। इस विवाद में अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित 2 .77 एकड़ विवादित
जमीन पर किसका हक़ है, इस बात का फैसला होना है। हिन्दू पक्ष ने कोर्ट में कहा कि यह
भूमि भगवान राम के जन्मभूमि के आधार पर न्यायिक व्यक्ति है। वहीं मुस्लिम पक्ष का
कहना था कि मात्र यह विश्वास की यह भगवान राम की जन्मभूमि है, इसे न्यायिक व्यक्ति
नहीं बनाता। दोनों ही पक्षों ने इतिहासकारों, ब्रिटिश शासन के दौरान बने भूमि दस्तावेजों, गैज़ेट आदि के आधार
पर अपने अपने दावे पेश किये है। इस सवाल पर कि क्या मस्जिद मंदिर की भूमि पर बनाई
गई? आर्किओलॉजिकल सर्वे
ऑफ इंडिया की रिपोर्ट भी पेश की गई।
रफाल समीक्षा फैसला मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई
की अध्यक्षता में एसके कौल और केएम जोसफ की पीठ के 10 मई को रफाल मामले
में 14 दिसंबर को दिए गए
फैसले के खिलाफ दायर की गई समीक्षा रिपोर्ट पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह
मामला 36 रफाल लड़ाकू विमानों
के सौदे में रिश्वत के आरोप से संबंधित है। इस समीक्षा याचिका में याचिकाकर्ता
एडवोकेट प्रशांत भूषण और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने
मीडिया में लीक हुए दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट में तर्क दिया कि सरकार ने फ्रेंच
कंपनी (Dassault) से 36 फाइटर जेट खरीदने के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण सूचनाओं को छुपाया
है। कोर्ट ने इस मामले में उन अधिकारियों के विरुद्ध झूठे साक्ष्य देने के सन्दर्भ
में कार्रवाई भी शुरू की जिन पर यह आरोप था कि उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को गुमराह
किया है। 10 अप्रैल को अदालत ने इस मामले में द हिन्दू आदि अखबारों में लीक
हुए दस्तावेजों की जांच करने के केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों को दरकिनार कर दिया
था। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील दी थी कि ये दस्तावेज सरकारी गोपनीयता
क़ानून का उल्लंघन करके प्राप्त किए गए थे, लेकिन पीठ ने इस प्रारंभिक आपत्तियों को यह
कहते हुए खारिज कर दिया कि साक्ष्य प्राप्त करने में अगर कोई गैरकानूनी काम हुआ है
तो यह इस याचिका की स्वीकार्यता को प्रभावित नहीं करता।
राहुल गांधी के “चौकीदार चोर है”
बयान पर दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा रफाल सौदे की
जांच के लिए गठित मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राहुल
गांधी के खिलाफ मीनाक्षी लेखी की अवमानना याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रखा। राहुल
गांधी ने रफाल सौदे को लक्ष्य करते हुए यह बयान दिया था कि “चौकीदार चोर
है।” कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी इस टिपण्णी के लिए माफी मांग ली
थी।
सबरीमाला समीक्षा फैसला सुप्रीम कोर्ट की
संवैधानिक पीठ ने सबरीमाला मामले में याचिकाकर्ताओं को एक पूरे दिन की सुनवाई देने
के बाद समीक्षा याचिका पर निर्णय को फरवरी 6 को सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट के
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति खानविलकर, न्यायमूर्ति नरीमन, न्यायमूर्ति
चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने इस मामले में
याचिकाकर्ताओं की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में
ट्रावनकोर देवस्वोम बोर्ड, पन्दलम राज परिवार और कुछ श्रद्धालुओं ने 28 दिसंबर 2018 को याचिका
दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमाला
मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी थी। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में अपनी दलील में
यह भी कहा था कि संवैधानिक नैतिकता एक व्यक्तिपरक टेस्ट है और आस्था के मामले में
इसको लागू नहीं किया जा सकता। धार्मिक आस्था को तर्क की कसौटी पर नहीं कसा जा
सकता। पूजा का अधिकार देवता की प्रकृति और मंदिर की परंपरा के अनुरूप होना चाहिए।
यह भी दलील दी गई थी कि फैसले में संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत ‘अस्पृश्यता’ की परिकल्पना को
सबरीमाला मंदिर के सन्दर्भ में गलती से लाया गया है और इस क्रम में इसके ऐतिहासिक
सन्दर्भ को नजरअंदाज किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई के
अधीन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता में
पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 4 अप्रैल को सीजेआई कार्यालय के आरटीआई अधिनियम के अधीन होने को
लेकर दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट
के सेक्रेटरी जनरल ने दिल्ली हाईकोर्ट के जनवरी 2010 के फैसले के खिलाफ
चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सीजेआई का कार्यालय
आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2(h) के तहत ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’है। वित्त अधिनियम 2017 की वैधता पर
निर्णय ट्रिब्यूनलों के अधिकार क्षेत्र और स्ट्रक्चर पर डालेगा प्रभाव राजस्व बार
एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा। इस
याचिका में वित्त अधिनियम 2017 के उन प्रावधानों को चुनौती दी गई है, जिनकी वजह से
विभिन्न न्यायिक अधिकरणों जैसे राष्ट्रीय हरित अधिकरण, आयकर अपीली अधिकरण, राष्ट्रीय कंपनी
क़ानून अपीली अधिकरण के अधिकार और उनकी संरचना प्रभावित हो रही है। याचिकाकर्ता की
दलील थी कि वित्त अधिनियम जिसे मनी बिल के रूप में पास किया जाता है, अधिकरणों की संरचना
को बदल नहीं सकता।
यौन उत्पीडन मामले में सीजेआई के खिलाफ
साजिश मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के खिलाफ यौन उत्पीडन के आरोपों की साजिश की जांच
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति एके पटनायक ने की और जांच में क्या सामने
आता है, इसका इंतज़ार किया जा
रहा है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन और दीपक गुप्ता की पीठ ने न्यायमूर्ति पटनायक को
एडवोकेट उत्सव बैंस के दावों के आधार पर इस मामले की जांच का भार सौंपा था। उत्सव
बैंस ने कहा था कि उनको किसी फ़िक्सर, कॉर्पोरेट लॉबिस्ट, असंतुष्ट
कर्मचारियों ने सीजेआई के खिलाफ आरोप लगाने के लिए एप्रोच किया था। ऐसा समझा जाता
है कि न्यायमूर्ति पटनायक ने इस जांच से संबंधित अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को
सौंप दी है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/06/12gogoi.jpg671670Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-10-30 22:58:432019-10-31 00:29:51आठ दिन और छ्ह फैसले
भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय रिश्ते नये मुकाम पर पहुंच रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने आज नई दिल्ली में मुलाकात की. इस दौरान दोनों देशों के बीच तीन परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किए गए.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पीएम शेख हसीना के साथ तीन और परियोजनाओं का उद्धाटन करने से मुझे खुशी है. आज की ये तीन परियोजनाएं तीन अलग-अलग क्षेत्रों में हैं. पीएम मोदी ने बताया कि एलपीजी इंपोर्ट, वोकेशनल ट्रैनिंग और सोशल फैसिलिटी के क्षेत्र में परियोजनाओं की शुरुआत की गई है.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात की. पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा, “भारत-बांग्लादेश की दोस्ती पूरी दुनिया के लिए बेहतरीन उदाहरण है.” वहीं, शेख हसीना ने कहा कि भविष्य में दोनों देशों के बीच सहयोग और बढ़ेगा. इस अवसर पर ऊर्जा, कौशल और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े तीन प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया गया. पीएम मोदी ने कहा, “आज की ये तीन परियोजनाएं तीन अलग-अलग क्षेत्रों में हैं: एलपीजी आयात, कौशल, और सामाजिक सुविधा. लेकिन इन तीनों का उद्देश्य एक ही है. और वो है – हमारे नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाना. यही भारत-बांग्लादेश संबंधों का मूल-मंत्र भी है.”
दोनों देशों ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए. भारत बांग्लादेश में तटीय क्षेत्र में सर्विलांस सिस्टम स्थापित करेगा. मालदीव के बाद बांग्लादेश ऐसा दूसरा देश है जहां भारत तटीय निगरानी प्रणाली लगाएगा. भारत लगभग 20 यूनिट लगाएगा. इसका उद्देश्य भारत-बांग्लादेश की साझा तटीय सीमा पर चौकस नजर रखना है.
ऊर्जा के क्षेत्र में, बांग्लादेश, भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में एलपीजी उपलब्ध कराएगा. पीएम मोदी ने कहा, “बांग्लादेश से बल्क एलपीजी की सप्लाई दोनों देशों को फायदा पहुंचाएगी. इससे बांग्लादेश में निर्यात, आय और रोजगार भी बढ़ेगा. ट्रॉन्सपोर्टेशन दूरी पंद्रह सौ किमी कम हो जाने से आर्थिक लाभ भी होगा और पर्यावरण को भी नुकसान कम होगा.”
पिछले एक साल में दोनों देश संयुक्त रूप से 12 प्रोजेक्ट की शुरुआत कर चुके हैं. तीन आज किए गए जबकि 9 पिछले कुछ महीनों में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये किए गए. दोनों देश मनु, मुहुरी, खोवाई, गुमटी और फेनी नदी के पानी का साझा इस्तेमाल करने के लिए समझौते पर विचार कर रहे हैं.
दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी पर फोकस
दोनों देशों के बीच लोगों की आवाजाही बढ़ाने के लिए बांग्लादेश ने अखौरा – अगरतला पोर्ट के जरिये किए जाने वाले व्यापार से प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया है. मैत्री एक्सप्रेस और बंधन एक्सप्रेस के फेरे बढ़ाने की बात भी कही है. पीएम मोदी अगले साल मार्च में बांग्लादेश का दौरा कर सकते हैं. दरअसल, मार्च 2020 में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की 100वीं जयंती है. पीएम मोदी इसमें भाग ले सकते हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/10/sheikh-hasina-2_041019-103311.jpg419800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-10-05 14:59:392019-10-05 15:36:59भारत बांग्लादेश ने एक साल में 12 द्विपक्षीय समझौतों पर करार किया : मोदी
अजेय भाजपा के रथ को रोक्न गठबंधन के भी बस का नहीं है, कारण कई सांसदिया क्षेत्रों में विपक्ष के मिल कर भी उतने मत नहीं हैं जो भाजपा को हटा पाते। लेकिन विपक्ष मोदी की प्रचंड जीत के बाद भी अभी बाज नहीं आया है। कांग्रेस को यकीन है की अब वह लोक सभा में मात्र 44 थे तब उन्होने सांसद नहीं चलने दी थी तो अब तो वह फिर 51 हैं, राज्य सभा में भी विपक्ष बहू संख्या में है इसी लिए विपक्ष अपनी मन मर्ज़ी करेगा। लें राज्य सभा में भारी लत फेर के संकेत हैं।
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में भारी सफलता के बाद भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास अगले साल के अंत तक राज्यसभा में बहुमत हो जाएगा और उसके बाद मोदी सरकार के लिए अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने में आसानी हो जाएगी. फिलहाल राजग के पास राज्यसभा में 102 सदस्य हैं, जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन संप्रग के पास 66 और दोनों गठबंनों से बाहर की पार्टियों के पास 66 सदस्य हैं.
राजग के खेमे में अगले साल नवंबर तक लगभग 18 सीटें और जुड़ जाएंगी. राजग को कुछ नामित, निर्दलीय और असंबद्ध सदस्यों का भी समर्थन मिल सकता है. राज्यसभा में आधी संख्या 123 है और ऊपरी सदन के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभा के सदस्य करते हैं. अगले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश में खाली होने वाली राज्यसभा की 10 में से अधिकांश सीटें भाजपा जीतेगी. इनमें से नौ सीटें विपक्षी दलों के पास हैं. इनमें से छह समाजवादी पार्टी (सपा) के पास, दो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और एक कांग्रेस के पास है.
अगले साल असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश में सीटें मिलेंगी उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा के 309 सदस्य हैं. सपा के 48, बसपा के 19 और कांग्रेस के सात सदस्य हैं. अगले साल तक बीजेपी को असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश में सीटें मिलेंगी. भाजपा राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में सीटें गंवाएगी. महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के परिणामों का भी राजग की सीट संख्या पर असर होगा. हालांकि असम की दो सीटों के चुनाव की घोषणा हो चुकी है, जबकि तीन अन्य सीटें राज्य में अगले साल तक खाली हो जाएंगी. बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास राज्य विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत है.
एक तिहाई सीटें जून और नवंबर में खाली होंगी ऊपरी सदन की लगभग एक-तिहाई सीटें इस साल जून और अगले साल नवंबर में खाली हो जाएंगी. दो सीटें अगले महीने असम में खाली हो जाएंगी और छह सीटें इस साल जुलाई में तमिलनाडु में खाली हो जाएंगी. उसके बाद अगले साल अप्रैल में 55 सीटें खाली होंगी, पांच जून में, एक जुलाई में और 11 नवंबर में खाली होंगी.
कई अहम बिल पास करा सकेगी बीजेपी भाजपा नेतृत्व वाली सरकार का प्रयास अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने का होगा, जो पिछले पांच सालों के दौरान विपक्ष के विरोध के कारण आगे नहीं बढ़ पा रही थीं. सरकार तीन तलाक विधेयक को पास नहीं करा सकी, जबकि यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है. नागरिकता संशोधन विधेयक भी पास नहीं हो पाया है. बीजू जनता दल और तेलंगाना राष्ट्र समिति दोनों ने हालांकि भाजपा और कांग्रेस से समान रूप से दूरी बना रखी है, लेकिन दोनों दलों ने पिछले साल राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए हरिवंश का समर्थन किया था.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/05/download-8-1.jpg168300Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-05-26 18:21:592019-05-26 18:25:55लोक सभा ही नहीं राज्य सभा में भी बढ़ेंगी भाजपा की सीटें
चीन की उकसावे की हरकतें बढ़ती ही जा रही हैं। वह पाकिस्तान से मित्रता निभाते हुए भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है साथ ही साथ वह विश्व में खास कर एशिया में अपनी सीमा से सटे छोटे राष्ट्रों को भी यदा कडा सामरिक छेड़छाड़ से धमकाता रहता है। सभी राष्ट्र वह चाहे भारत हो या ताइवान कोई भी अपनी संप्रभुता के आड़े किसी को भी नहीं आने देना चाहता और फिर यह तो ताइवान है। सलाह तो यही है की चीन दु:साहस न दिखाये।
ताइपे: ताइवान ने सोमवार को कहा कि उसके विमानों ने ताइवान जलडमरूमध्य में मध्य रेखा को पार करने वाले चीनी सेना के विमानों को चेतावनी दी है साथ ही उसने चीन के इस कदम को उकसावे वाला करार दिया. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि चीन के दो जे-11 लडाकू विमानों ने रविवार सुबह करीब 11 बजे रेखा को पार किया और द्वीप के दक्षिणपश्चिमी हवाई क्षेत्र में घुस गए. मंत्रालय ने बताया कि ताइवान ने चीन के विमानों को चेतावनी देने के लिए अपने विमान भेजे. चीन के दोनों विमान ताइवान में 185 किलोमीटर तक घुस आए थे.
ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने सैन्य पुरस्कार समारोह में अपने बयान में कहा, ‘‘चीनी सेना के विमानों ने ताइवान जलडमरूम की मध्य रेखा को कल पार करके अलिखित समझौते का उल्लंघन करके हमें उकसाया. हमारी वायु सेना की चेतावनी के बाद वे मध्य रेखा के पश्चिम की ओर चले गए.
विदेश मंत्री जोसेफ वू ने संवाददाताओं से कहा कि रेखा को पार करना अंतरराष्ट्रीय कार्य है. उन्होंने उसे उकसावे वाला और खतरनाक कदम बताया. उन्होंने बताया कि ताइवान ने घटना की जानकारी ‘‘क्षेत्रीय सहयोगियों’’ को दे दी है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/04/5a42037ca20fc.jpg640960Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-04-01 13:31:412019-04-01 13:31:43ताइवान ने चीन के लड़ाकू विमानों को दौड़ाया
भारत की बात करें तो यहाँ हिंदोस्तानी बोली जाती है। इसे भाषा कहें या ज़ुबान, इसमें बात करनी या समझानी बहुत आसान होती है। चीन को भी शायद हिंदुस्तानी समझ आने लग पड़ी है। हिंदुस्तानी कहावत है कि,‘ कमजोर कभी माफ नहीं कर सकता’ बस यही कहावत शायद मौजूदा हिंदुस्तानी हुक्मरानों को समझ आ गयी तभी अपने शासन काल में चुनावों और नतीजों के ठीक 2 महीने पहले अपने इस कार्यकाल के समाप्त होने से ठीक पहले “मिशन शक्ति” को सरंजाम दिया गया। एक “balance of power (terror, चीन के संदर्भ में)” वाली बात चीन के समझ आ गयी।
बीजिंग:
चीन ने भारत के उपग्रह रोधी मिसाइल परीक्षण पर बुधवार को चीन ने प्रतिक्रिया व्यक्त की और आशा जताई कि नई दिल्ली गंभीरतापूर्वक बाह्य अंतरिक्ष में शांति बनाए रखेगी. चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “हम प्रस्तुत रिपोर्ट से अवगत हैं और हमें आशा है कि सभी देश गंभीरतापूर्वक बाह्य अंतरिक्ष में स्थायी शांति की रक्षा करेंगे.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत ‘एक अंतरिक्ष महाशक्ति’ बन गया है, क्योंकि उसकी उपग्रह-भेदी मिसाइल ने मात्र तीन मिनटों में पृथ्वी की निचली कक्षा में एक उपग्रह को सफलतापूर्वक भेदा है. इसके साथ ही भारत, अमेरिका, रूस और चीन के क्लब में शामिल हो गया है.
इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन के पास यह क्षमता थी. चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत द्वारा उपग्रह रोधी मिसाइल के सफल परीक्षण को लेकर पीटीआई के एक सवाल पर लिखित जवाब में कहा, ‘‘हमने खबरें देखी हैं और उम्मीद करते हैं कि प्रत्येक देश बाहरी अंतरिक्ष में शांति बनाये रखेंगे. ’’
चीन ने ऐसा एक परीक्षण जनवरी 2007 में किया था जब उसके उपग्रह रोधी मिसाइल ने एक निष्क्रिय मौसम उपग्रह को नष्ट कर दिया था. मोदी ने कहा कि हमने जो नई क्षमता हासिल की है, यह किसी के विरूद्ध नहीं था. उपग्रह 300 किमी की ऊंचाई पर एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य था.
मोदी ने कहा कि मिशन शक्ति का उद्देश्य भारत की समग्र सुरक्षा को मजबूती प्रदान करना था और इस मिशन का नेतृत्व डीआरडीओ ने किया. विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में जारी एक बयान में कहा कि भारत का बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की किसी होड़ में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/03/362449-drdo-mission-shakti.jpg545970Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-03-27 18:06:012019-03-27 18:06:03भारत से अन्तरिक्ष में शांति की आशा रखता है चीन
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