पद्मश्री थिमक्का ने राष्ट्रपति कोविन्द को आशीर्वाद दिया

सहज भाव से किए हुए किसी भी काम से मन ही नहीं समाज भी प्रसन्न हो उठता है, आज वैसा ही कुछ हमारे राष्ट्रपति के साथ हुआ, राष्ट्रपति ने पुरस्कार देते वक्त उनसे चेहरा कैमरे की तरफ करने को कहा तो उन्होंने राष्ट्रपति का माथा छू लिया और आशीर्वाद दिया।

नई दिल्ली: पद्म पुरस्कारों के वितरण समारोह में राष्ट्रपति भवन का कड़ा प्रोटोकाल भी कर्नाटक में हजारों पौधे लगाने के लिये पद्म श्री से सम्मानित 106 साल की सालूमरदा थीमक्का को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आशीर्वाद देने से नहीं रोक सका. पुरस्कार लेने पहुंची थीमक्का ने आशीर्वाद स्वरूप राष्ट्रपति के माथे को हाथ लगाया. 

थीमक्का ने बरगद के 400 पेड़ों समेत 8000 से ज्यादा पेड़ लगाएं हैं और यही वजह है कि उन्हें ‘वृक्ष माता’ की उपाधि मिली है. उन्हें राष्ट्रपति भवन में शनिवार को अन्य विजेताओं के साथ पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 

थीमक्का ने माथे पर ‘त्रिपुण्ड्र’ लगा रखा था
कड़े प्रोटोकाल के तहत आयोजित होने वाले समारोह में हल्के हरे रंग की साड़ी पहने थीमक्का ने अपने मुस्कुराते चेहरे के साथ माथे पर ‘त्रिपुण्ड्र’ लगा रखा था. जब थीमक्का से 33 साल छोटे राष्ट्रपति ने पुरस्कार देते वक्त उनसे चेहरा कैमरे की तरफ करने को कहा तो उन्होंने राष्ट्रपति का माथा छू लिया और आशीर्वाद दिया. 

थीमक्का के इस सहज कदम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य मेहमानों के चेहरे पर मुस्कान आ गई और समारोह कक्ष उत्साहपूर्वक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. 

थीमक्का की कहानी धैर्य और दृढ़ संकल्प की कहानी है. जब वह उम्र के चौथे दशक में थीं तो बच्चा न होने की वजह से खुदकुशी करने की सोच रही थीं, लेकिन अपने पति के सहयोग से उन्होंने पौधरोपण में जीवन का संतोष तलाश लिया. 

तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले केजरीवाल से चुनाव आयोग सावधान रहें: भाजपा

अरविंद केजरीवाल की अराजक छवि और उनके सत्ता प्राप्ति के साधन उनकी ध्रुवीकरण की राजनीति से ही प्रेरित हैं। उनकी तुष्टीकरण की राजनीति तो यहाँ तक है की उन्हे चुनावी तारीकें रमज़ान के महीने में अवरोध लगतीं हैं।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) को देखते हुए बीजेपी ने शनिवार को दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात की. इस दौरान बीजेपी ने मांग की है कि मस्जिदों के लिए विशेष ऑब्जर्वर (पर्यवेक्षक) नियुक्त किए जाए. साथ ही मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में विशेष रूप से पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाए. बीजेपी का मानना है कि इन स्थानों से राजनीतिक और धार्मिक नेता चुनावों को प्रभावित करने के लिए लोगों के बीच नफरत फैला सकते हैं. बीजेपी ने इसके लिए आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल और उनके अन्य नेताओं पर सीधा आरोप लगाया है.

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Delhi BJP writes to Election Commission requesting it to “appoint Special Observer for the mosques especially in Muslim dominated areas so that political/religious leaders cannot spread hate among people to influence elections”1,0246:45 PM – Mar 16, 2019442 people are talking about thisTwitter Ads info and privacy

दरअसल, दिल्ली बीजेपी का आरोप है कि लोकसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के अन्य नेता धार्मिक और जातिगत आधार पर मतदाताओं को बांटने का प्रयास करेंगे. बीजेपी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखे पत्र में लिखा है कि केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेता पहले भी ऐसा कर चुके हैं. बीजेपी का आरोप है कि केजरीवाल द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक भावनाएं भड़काने के कई मामले सामने आए हैं. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल अपने ट्विटर हैंडल और जनसभाओं से लगातार अल्पसंख्यक समुदायों के बीच नफरत फैला रहे है.
  
बीजेपी ने पत्र में लिखा है कि दिल्ली के बदरपुर में केजरीवाल ने मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को भड़काने वाला भाषण दिया था. वहीं, जामा मस्जिद के पास एक जनसभा में भी केजरीवाल ने लोगों को जाति और धर्म के आधार पर उकसाया था. इसके साथ ही बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान के बयान को भी सामने रखा है. अमानतुल्लाह खान ने कहा था कि लोकसभा चुनाव 2019 में मुस्लिम समुदाय के लोग मतदान नहीं कर पाएंगे क्योंकि रमजान और चुनाव एक साथ पड़ रहे हैं. 

बीजेपी ने कहा कि इन सभी बयानों से साफ होता है कि केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेता लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों का धुव्रीकरण करने के लिए ऐसा कर सकते हैं. बीजेपी ने कहा है कि आमतौर पर ऐसी सभाएं मस्जिदों के आसपास आयोजित की जाती हैं. यहां पर आए लोग आसानी से इन घृणा फैलाने वालों की बातों में आ जाते हैं. वहीं, रमजान के महीने में यह बढ़ सकता है. 

बीजेपी ने मांग की है कि इस स्थिति से बचने के लिए मस्जिदों के लिए विशेष ऑब्जर्वर (पर्यवेक्षक) नियुक्त किए जाए. साथ ही मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में विशेष रूप से पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाए. बीजेपी ने आरोप लगाया कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है और इसे रोकने के लिए चुनाव आयोग को हमारा सुझाव मानना चाहिए. 

सत्ता पिपासु कांग्रेस के लिए फ्रांसिस की मृत्यु – एक वरदान

कांग्रेस शुरू ही से मौत की सियासत करती आई है वह इन्दिरा की हो या राजीव की हत्या, जैसे ही कोई बड़ा नेता मारता है तभी कांग्रेस की बांछे खिल जातीं हैं। गिद्धों की टोली की तरह किसी की मृत्यु से उपजे खालीपन के मांस को नोचने यह वहाँ पहुँच जाती है। हालिया बात गोवा की है, जहां मनोहर पर्रिकर एक भीषण बीमारी से जूझते हुए, प्राणपण से अपना कार्यालय संभाल रहे हैं और कांग्रेस कई बार उनके स्वस्थ्य का हवाला दे कर भी उन्हे पद से हटाने और कांग्रेस को कमान थमाने की बात करती रही है। यकीन मानिए कांग्रेसी नेता सुबह की अखबार शायद इसी खबर की इनेजार में उठाते होंगे।

पणजी: गोवा की सियासत एक बार फिर उबाल आ गया है. कांग्रेस ने अब यहां पर नई सरकार गठन का दावा किया है. राज्‍यपाल को लिखे पत्र में कांग्रेस ने कहा है कि गोवा में मनोहर पर्रिकर सरकार अल्‍पमत है इसलिए हमें सरकार बनाने का मौका दिया जाए. गोवा कांग्रेस ने गवर्नर को पत्र लिखकर सरकार बनाने का दावा किया है.

मृदुला सिन्हा को लिखे पत्र में कावलेकर ने कहा, “प्रसंगवश भाजपा के दिवंगत विधायक फ्रांसिस डिसूजा की याद आती है, जिन्होंने विनम्रतापूर्वक कहा था कि मनोहर पर्रिकर के नेतृत्ववाली भाजपा सरकार लोगों का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है और अब सदन में भी संख्याबल खो चुकी है.” यह अनुरोध करते हुए कि ऐसी अल्पमत सरकार को इस समय सत्ता में बने रहने की अनुमति न दें, उन्होंने लिखा, “हमारा यह भी अनुमान है कि भाजपा विधायकों की संख्या गिनती में और कम पड़ेगी.”

कावलेकर ने कहा, “इसलिए आपका कर्तव्य बनता है कि भाजपा के नेतृत्ववाली सरकार को बर्खास्त कर यह सुनिश्चित करें कि इस समय सदन में बहुमत रखनेवाली सबसे बड़ी पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस को सरकार गठन के लिए आमंत्रित किया जाए.”

विपक्ष के नेता ने कहा अगर राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन लगाने की कोशिश की गई तो वह कानूनी रास्‍ता अख्‍त‍ियार करेंगे. इसके साथ ही उन्‍होंने बीजपी सरकार को बर्खास्‍त करने की मांग की है. बता दें कि गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे हैं. समय समय पर उनकी पार्टी के अंदर से भी उनके खिलाफ आवाज उठती रहती है, लेकिन बीजेपी ने अभी भी उन्‍हें गोवा की कमान सौंप रखी है.

40 सदस्‍यों वाली गोवा विधानसभा में इस समय बीजेपी के पास 13 और कांग्रेस के पास 14 विधायक हैं. 3 विधायकों की जगह खाली है. राज्‍य में बीजेपी भले कांग्रेस के मुकाबले छोटी पार्टी हो, लेकिन उसके गठबंधन के पास पूरे सदस्‍य हैं. बीजेपी गठबंधन के पास 22 सीटे हैं. इसमें बीजेपी के पास 13 महाराष्‍ट्र गोमांतक पार्टी के पास 3, जीएफपी के पास 3 और 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है. कांग्रेस के पास 14 विधायक हैं. इसके अलावा 1 विधायक एनसीपी का है.

बीजेपी कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी, लेकिन सरकार कांग्रेस की
कांग्रेस जिस आधार पर गोवा में सरकार बनाने का दावा पेश कर रही है, उस आधार पर कर्नाटक में बीजेपी के पास मौका होना चाहिए था. कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी के पास 104 विधायक हैं. लेकिन सरकार कांग्रेस और जेडीएस मिलकर चला रहे हैं.

बीजेपी ने बुलाई बैठक
राज्‍य में उपजे ताजा हालात पर बीजेपी ने अपने विधायकों की मीटिंग बुलाई है. बता दें कि राज्‍य के मुख्‍यमंत्री मनोहर पर्र‍िकर इस समय अपना इलाज करा रहे हैं, खुद मुख्‍यमंत्री कार्यालय ने बताया है कि उनकी हालत इस समय स्‍थिर है.

दरभंगा सीट किर्ति आज़ाद के लिए बनी चुनौती

भाजपा में हाशिये पर आए किर्ति आज़ाद अब कांग्रेस में भी अपनी ज़मीन तलाशते नज़र आ रहे हैं। उन्हे चुनोटी गठबंधन ही से मिल रही है। दरभंगा सीट पर कीर्ति आजाद और मधुबनी सीट पर अब्दुल बारी सिद्दीकि चुनाव लड़ने का दावा कर चुके हैं। दरअसल यह दोनों सीटें आरजेडी के खाते में जातीं जान पड़तीं है।

दरभंगाः महागठबंधन में सीटों का फॉर्मूला तय होने की बात कही जा रही है. हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सीटों पर उम्मीदवारी की पेंच महागठबंधन से लेकर एनडीएतक फंसी है. महागठबंधन में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को लेकर कहा जा रहा है कि कांग्रेस 11 सीटों पर बिहार में चुनाव लड़ेगी. सूत्रों की माने तो 21+11+5+2+1 का फॉर्मूला अपनाया गया है. यानी की आरजेडी 21, कांग्रेस 11, आरएलएसपी 5, हम 2 और वीआईपी को 1 सीट मिलेगी. लेकिन उम्मीदवारी को लेकर कई सीटों पर गणित उलझ रही है. जिसमें अब दरभंगा और मधुबनी सीट को लेकर भी पेंच फंसती नजर आ रही है.

हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने वाले कीर्ति आजाद के लिए यह अच्छी खबर नहीं है. लेकिन दरभंगा सीट पर कांग्रेस की ओर से ताल ठोकने वाले कीर्ति आजाद से यह सीट छिन सकती है. कीर्ति आजाद कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले ही दरभंगा सीट पर लड़ने का दावा कर रहे थे. वहीं, कांग्रेस में आने के बाद भी वह दरभंगा सीट से ही लड़ने का दावा कर रहे थे. लेकिन अब इस सीट पर पेंच फंसती दिख रही है.

वहीं, दरभंगा सीट के अलावा मधुबनी सीट से चुनाव लड़ने वाले अब्दुल बारी सिद्दीकि के लिए भी अच्छी खबर नहीं है. माना जा रहा है कि दरभंगा सीट आरजेडी के पाले में जा सकती है और अब्दुल बारी सिद्दीकि मधुबनी के स्थान पर दरभंगा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसे में कीर्ति आजाद के खाते में कौन सी सीट होगी यह भी बड़ा सवाल उठ रहा है.

दरअसल, कांग्रेस विधायक भावना झा के एक बयान के बाद दरभंगा और मधुबनी सीट पर पेंच फंसने के कयास बिहार की राजनीति में शुरू हो गए. दरभंगा के बेनीपट्टी से विधायक भावना झा ने मधुबनी सीट पर शकील अहमद के लिए मांगा है. उन्होंने कहा कि सिद्दीकि साहब दरभंगा सीट से चुनाव लड़ें तो बेहतर होगा.

वहीं, दरभंगा सीट पर कीर्ति आजाद की दावेदारी को लेकर कहा कि वह बड़े नेता हैं. वह बड़े चेहरे हैं पूरे बिहार में कहीं से भी चुनाव लड़ेंगे तो वह जीत जाएंगे. लेकिन दरभंगा सीट पर सिद्दीकि साहब को मिलेगा तो बेहतर होगा. क्योंकि मधुबनी सीट पर शकील अहमद की मजबूत पकड़ हैं.

वहीं, सूत्रों की मानें तो कांग्रेस और आरजेडी इस बात पर पहले से विचार भी कर रही है. अगर ऐसा हुआ तो कीर्ति आजाद और अब्दुल बारी सिद्दीकि के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है.

श्यामचरण गुप्ता ने साइकिल की सवारी स्वीकारी, बांदा से लड़ेंगे चुनाव

पुराने समाजवादी गुप्ता जी अब फिर से सपा में आ गए हैं और बांदा से चुनाव लड़ेंगे।

लखनऊः लोकसभा चुनावों के मद्देनजर नेताओं का एक पार्टी छोड़ दूसरे में जाने का सिलसिला जारी है. इसी कड़ी में बीजेपी सांसद श्यामचरण गुप्ता ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है. समाजवादी पार्टी का दामन थामते ही श्याम चरण गुप्ता की दावेदारी भी पक्का हो गई है. समाजवादी पार्टी ने उन्हें बांदा लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है.

बांदा से समाजवादी पार्टी का टिकट मिलने के बाद श्यामचरण गुप्ता ने जी न्यूज से बातचीत के दौरान कहा कि ‘मैं अपनी पुरानी पार्टी में वापस आ गया हूं. इस बात की चर्चा थी कि बीजेपी मेरा टिकट इस बार काट देगी, इसलिए मैंने समाजवादी पार्टी से बात की और मुझे सपा ने बांदा से प्रत्याशी घोषित किया है. मैं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को धन्यवाद करता हूं.’
कौन है श्याम चरण गुप्ता
बता दें कि यूपी की राजनीति में श्याम चरण गुप्ता एक जाना माना चेहरा हैं. वह एक बड़े राजनेता के साथ-साथ प्रदेश के प्रख्यात व्यापारियों में भी जाने जाते हैं. श्यामाचरण जितना बारीकी से व्यापार के लिए जाने जाते हैं, उतनी ही बारीकी से राजनीति के लिए भी. 

दनिश आली हुए बीएसपी में शामिल

अभी कल तक कर्नाटक में कांग्रेस के सहयोग से बनी जेडीएस की सरकार के प्रवक्ता रहे और टीवी पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए तेज़ तर्रार नेता ‘दनिश अली’ अभ बीएसपी में शामिल हो चुके हैं। पार्टी बदली है तेवर नहीं बस यहाँ उन्हे भाजा के साथ साथ पुराने साथी कांग्रेस के खिलाफ भी कुछ कहना होगा। चलो देखते हैं क्या होता है?

नई दिल्‍ली : जनता दल (सेक्‍युलर) यानी जेडीएस के महासचिव दानिश अली ने पार्टी छोड़कर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का दामन थाम लिया है. दानिश अली लखनऊ में शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में बसपा में शामिल हुए. उन्‍हें सतीश चंद्र मिश्रा ने पार्टी ज्‍वाइन कराई. सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि बसपा प्रमुख मायावती दानिश अली को यूपी के अमरोहा से बतौर प्रत्‍याशी चुनावी मैदान में उतार सकती हैं. बता दें कि दानिश अली ने हाल ही में कांग्रेस और जेडीएस के बीच हुए गठबंधन कराने में अहम भूमिका निभाई थी.

बसपा का दामन थामने के बाद दानिश अली ने कहा कि जब मैं जेडीएस में भी था तो मैंने कभी किसी चीज के लिए नहीं कहा. जेडीएस प्रमुख एचडी देवेगौड़ा जी ही यह निर्णय लेते थे कि मुझे क्‍या काम करना है. मैं एचडी देवेगौड़ा जी की शुभकामनाएं और अनुमति लेकर ही यहां आया हूं. बहन जी (मायावती) मुझे जो भी जिम्‍मेदारी सौंपेंगी, उसे मैं निभाऊंगा.

13 मार्च को दानिश अली और कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी के बीच कोच्चि में अहम बैठक हुई थी. इसमें लोकसभा चुनाव में जेडीएस और कांग्रेस के गठबंधन पर मुहर लगी थी. इसके तहत कर्नाटक में कांग्रेस 20 और जेडीएस आठ सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी. बता दें कि इस गठबंधन पर पिछले काफी दिनों से खींचतान चल रही थी. दोनों पार्टियों के बीच बातचीत सफल नहीं हो पा र‍ही थी. 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस और जेडीएस ने एक-दूसरे के खिलाफ लड़ा था. लेकिन चुनाव नतीजे में त्रिशंकु रहने पर दोनों दलों ने सरकार बनाने के लिए हाथ मिला लिया.

स्टैला मारिस कालेज को राहुल का कार्यक्र्म करवाने पर डायरेक्टोरेट ऑफ़ कॉलेजिएट एजुकेशन ने नोटिस जारी किया है

आचार संहित की धज्जियां उड़ता काले कैम्पस का कार्यक्र्म जहां राहुल गांधी को उनके महिमामंडन का अवसर प्रदान किया गया उसी कालेज को अब कार्न बताओ नोटिस जारी किया गया है।

चेन्नई के जिस कॉलेज में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का स्टूडेंट्स के साथ संवाद हुआ था, उस कॉलेज को डायरेक्टोरेट ऑफ़ कॉलेजिएट एजुकेशन ने नोटिस जारी किया है. नोटिस में पूछा गया है कि कॉलेज कैंपस को राहुल गांधी के कार्यक्रम के लिए इस्तेमाल क्यों करने दिया गया?

राहुल गांधी ने इस कॉलेज में 13 मार्च को स्टूडेंट्स के साथ संवाद किया था. यह वही कॉलेज है जिसमें एक छात्रा ने राहुल को ‘सर’ कहकर संबोधित किया था. इस पर राहुल गांधी ने छात्रा से कहा था कि वो उन्हें सर न कहकर, राहुल कहें.

देश में चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है. इसका पालन करवाने के लिए चुनाव आयोग ने सख्त निर्देश जारी किए हैं. इसके तहत सरकारी खर्च से ऐसे आयोजन नहीं होंगे जिनसे किसी पार्टी विशेष को लाभ पहुंचता हो. इसके अलावा चुनाव आयोग की अनुमति के बिना किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता या नेता सभा या रैली नहीं कर सकते हैं.

ताज़ा विवाद राहुल गांधी के स्टुडेंट आउटरीच प्रोग्राम को लेकर खड़ा हुआ है जिसके तहत चेन्नई के स्टैला मैरिस कॉलेज में एक कार्यक्रम हुआ था. राहुल अपने चुनाव अभियान के तहत 13 मार्च को वहां गए थे और तीन हज़ार से ज़्यादा छात्राओं को उन्होंने संबोधित किया था. इसके बाद तमिलनाडु में काफ़ी हो हल्ला हुआ था. तमिलनाडु के बीजेपी नेता तमिलिसाई सौंदराजन ने राहुल गांधी पर छात्रों के बीच राजनीति के अनैतिक पक्ष को फैलाने का आरोप लगाया था.

ताजा़ नोटिस के ज़रिए डायरेक्टोरेट ने यह जानने की कोशिश की है कि कैंपस का राजनीतिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल क्यों किया गया.

आचार संहिता उल्लंघन की जानकारी चुनाव आयोग की हेल्पलाइन 1095 पर की जा सकती है. आयोग का दावा है कि 100 मिनट के भीतर एक्शन लिया जाएगा.

थरूर के मौसा-मौसी और 13 अन्य ने उठाई केरल में कमल की ज़िम्मेदारी

जब प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूर्वी उत्तरप्रदेश की कमान संभाली तभी से वह राष्ट्र भर ए दौरों पर हैं। और तभी से कभी बिहार कभी उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात से वरिष्ठ नेता यहाँ तक की विधायक भी अपने पदों से इस्तीफा दे कर भाजपा का दामन पकड़ रहे हैं। अभी टॉम वादक्कन का मामला शांत भी नहीं हुआ था की शोभना शशिकुमार अपने पति और 13 अन्य सहित भाजपा में शामिल हो गईं। कांग्रेस के अपने को पुन:sथापित करने की राह में यह बड़ी रुकावट है। वहीं शशि थरूर के लिए भी यह अच्छी खबर नहीं है।

कोच्चि: कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन के भाजपा में शामिल होने के एक दिन बाद तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य शशि थरूर के मौसा-मौसी ने शुक्रवार को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. थरूर की मां की बहन, सोभना शशिकुमार और उनके पति शशिकुमार तथा 13 अन्य लोग बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी के राज्य अध्यक्ष पी.एस. श्रीधरन पिल्लै ने सभी का पार्टी में स्वागत किया. थरूर के मौसा-मौसी ने कहा कि एक लंबे समय से वे भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा का अनुसरण कर रहे हैं.

 लोकसभा चुनाव 2019 चुनावों के समर में कांग्रेस प्रवक्‍ता टॉम वडक्‍कन ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. केरल में शशि थरूर कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक हैं. वह इस समय त‍िरुवनंतपुरम से सांसद है. बीजेपी की लंबे समय से इस सीट पर नजर है. इस बार भी वह उनके सामने अपना मजबूत उम्‍मीदवार उतार सकती है. एेसी भी चर्चा है कि हाल ही में मिजोरम के राज्‍यपाल पद से इस्‍तीफा देने वाले कुम्‍मानम राजशेखरन यहां से चुनाव लड़ सकते हैं. पद संभालने के 10 महीने के बाद ही उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था.

आरएसएस के निष्ठावान व्यक्ति माने जाने वाले और भाजपा की प्रदेश इकाई के पूर्व प्रमुख राजशेखरन (65) को केरल में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बेहतर मौका नजर आ रहा है. इस राज्य में पार्टी अभी तक अपना खाता नहीं खोल पायी है. भाजपा नेतृत्व ने उम्मीदवार सूची की घोषणा नहीं की है, लेकिन प्रदेश पार्टी के सूत्रों ने यहां कहा कि इसकी काफी संभावना है कि राजशेखरन बहुचर्चित तिरूवनंतपुरम सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. पार्टी राज्य में करीब छह सीटों पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है और यह सीट भी उनमें से एक है.

केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ ने शुरू किया चुनावी अभियान, कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशी तय नहीं
केरल में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान 23 अप्रैल को होना है और सत्तारूढ़ एलडीएफ ने इसके लिए सोशल मीडिया पर और घर-घर जाकर प्रचार शुरू कर दिया है. उधर, विपक्षी यूडीएफ तथा भाजपा नीत राजग अभी प्रत्याशियों के नामों पर माथापच्ची करने में जुटे हैं. माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने बहुत पहले उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. इस मोर्चे ने चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखें घोषित करने से पहले ही अपने उम्मीदवारों के नाम सार्वजनिक कर दिये थे. वाम मोर्चे के उम्मीदवारों ने मतदाताओं से व्यक्तिगत रूप से मिलना शुरू कर दिया है जबकि विपक्षी दल अभी चुनावी समर में उतरने की तैयारी ही कर रहे हैं.

माकपा की ज्‍यादा से ज्‍यादा सीटों पर नजर
भाकपा के वरिष्ठ नेता और तिरूवनंतपुरम सीट से एलडीएफ के उम्मीदवार सी दिवाकरन ने यहां एक स्थानीय मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आईं महिला श्रद्धालुओं से वोट मांगे. एलडीएफ ने अपने छह वर्तमान सांसदों और छह विधायकों को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है. मोर्चे ने इसके अलावा वरिष्ठ नेताओं और अनुभवी पार्टी सदस्यों को टिकटें दी हैं. अधिक से अधिक सीटें हासिल करना माकपा के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लोकसभा चुनावों के नतीजों को उनकी तीन साल पुरानी सरकार के कामकाज के मूल्यांकन के तौर पर देखा जाएगा.

सबरीमाला मुद्दे का कितना होगा असर
विजयन को नतीजों के जरिये यह भी साबित करना है कि सबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति के उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने के उनके निर्णय को आम लोगों से समर्थन प्राप्त हुआ. विपक्षी कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) और भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे सबरीमला मुद्दे तथा विजयन के ‘‘अड़ियल रवैये’’ को उठाएंगे.

बीजेपी को खाता खुलने की उम्‍मीद
इस बीच, खबर है कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी, केपीसीसी प्रमुख एवं वर्तमान सांसद मुल्लापल्ली रामचंद्रन और वरिष्ठ नेता वीएम सुधीरन सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने लेाकसभा चुनाव लड़ने से अनिच्छा जाहिर की है जिससे कांग्रेसी नेतृत्व दुविधा में है. कांग्रेस नीत गठबंधन की चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों ने भी आशाएं बढ़ा दी हैं, जिनमें कांग्रेस नीत मोर्चे का केरल में शानदार प्रदर्शन का पूर्वानुमान लगाया गया है. भाजपा नीत राजग इस दक्षिणी राज्य में अपने उम्मीदवारों पर माथापच्ची करने में जुटा है. उसे इस बार केरल में खाता खुलने की उम्मीद है. वर्ष 2014 लोकसभा चुनावों में, केरल की कुल 20 सीटों में से कांग्रेस नीत यूडीएफ ने 12 जबकि माकपा नीत एलडीएफ ने आठ सीटें जीती थीं.

आरएलएसपी के राम बिहारी पुन: राजग में शामिल

बिहार राजनीति के एक प्रमुख घटक रहे आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा राजग को छोड़ कांग्रेस और लालू से गलबहियाँ डालने चले गए थे। बहुत मनाने के बाद भी उन्होने अपना हाथ नहीं छोड़ा और अब उन्हें उनकी हठधर्मिता के चलते उनकी पार्टी ही में विघटन हो रहा है, अभी हाल ही में राम बिहारी सिंह का नाम भी इन्हीं कारणों से चर्चा में है।

पटनाः राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) से नेताओं के जाने का दौर जारी है. आरएलएसपी पार्टी से पहले ही कई बड़े नेता जो पार्टी के अहम पद पर पदस्थापित थे वह चले गए. अब पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल राम बिहारी सिंह ने शुक्रवार को पार्टी छोड़ दी. जिससे उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली इस पार्टी को लोकसभा चुनाव से पहले एक झटका लगा है.

आरएलएसपी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव राम बिहारी सिंह ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को छोड़कर विपक्ष के महागठबंधन में शामिल होकर लोगों के साथ ‘विश्वासघात’ करने का आरोप लगाया.

सिंह ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं उन कुछ लोगों में से था जिन्होंने उस समय कुशवाहा का समर्थन किया था जब उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जद (यू) से अपना रास्ता अलग करने का फैसला किया था. लेकिन आज वह सर्वेसर्वा बन गये है. मैंने राजग छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने के उनके निर्णय का भी विरोध किया था लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी और मनमाने ढ़ंग से निर्णय लिया. ऐसा करके उन्होंने राजग सहयोगी के रूप में उन्हें वोट देने वाले लोगों को धोखा दिया है.’’ 

उन्होंने आरोप लगाया कि टिकटों के बंटवारे में कुशवाहा कॉरपोरेट के हाथों खेल रहे है. हालांकि उन्होंने इस संबंध में विस्तृत रूप से नहीं बताया. लेकिन उन्होंने कहा कि एनडीए में भी उन्हें तीन सीट मिल रही थी. और महागठबंधन में भी इससे अधिक मिलने की उम्मीद नहीं है. ऐसे में वह एनडीए में मंत्री पद पर होने के बाद भी क्यों महागठबंधन में आ गए.

आपको बता दें कि आरएलएसपी के एनडीए छोड़ने के साथ ही पार्टी के दो विधायक और एक एमएलसी ने कुशवाहा का साथ छोड़ दिया. वहीं, हाल ही में पार्टी के दो बर्खास्त नेता नागमणि और प्रदीप मिश्रा ने कुशवाहा पर टिकटों को ‘बेचने’ का आरोप लगाया था. आरएलएसपी प्रमुख ने इन आरोपों को खारिज किया था.

मुलायम को दरकिनार कर अपर्णा को चुनाव से दूर रखेंगे अखिलेश यादव

योगी आदित्यनाथ के साथ गोशाला में अपर्णा यादव

लखनऊ :लोकसभा चुनावों की तैयारियों के बीच समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की चौथी लिस्ट को जारी कर दिया है. इस लिस्ट में समाजवादी पार्टी की हाई प्रोफाइल सीट कैराना और संभल लोकसभा सीट के उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है. इस लिस्ट के आने के बाद इस बात की सुगबुगाहट तेज हो गई है कि अखिलेश यादव, सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की कोई भी बात नहीं मान रहे हैं. ऐसा इसलिए कहा जा क्योंकि मुलायम सिंह यादव ने संभल लोकसभा सीट से अपर्णा यादव के लिए टिकट मांगा था. 

यह भी कहा जा रहा था कि इस बार इस सीट से यादव परिवार का सदस्य मैदान होगा. सूत्रो के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, कुछ वक्त पहले मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव से अपर्णा यादव के लिए सिफारिश की थी. सभी सिफारिशों को खारिज करते हुए अखिलेश यादव ने संभल लोकसभा सीट से पार्टी के पूर्व सांसद शफिकुर्रहमान बर्क को प्रत्याशी घोषित किया है. 

अब तक 15 नामों की हुई घोषणा
नई लिस्ट आने के बाद समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों की संख्या 15 हो गई है. पार्टी की ओर से जारी की गई लिस्ट के मुताबिक, मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव, फिरोजाबाद से अक्षय यादव, बदायूं से धर्मेंद्र यादव, इटावा से कमलेश कठेरिया, रोबर्टसगंज से भिलाल कोल, बहराइच से शब्बीर बाल्मीकि, कन्नौज से डिंपल यादव, लखीमपुर खीरी से पूर्वी वर्मा, हरदोई से उषा वर्मा, हाथरस से रामजी लाल सुमन और मिर्जापुर से राजेंद्र एस विंद चुनावी मैदान में होंगे.