कभी भी राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं रोबर्ट वाड्रा, उन्हे कौन रोकेगा? राज बब्बर

राबर्ट वाड्रा भारतीय राजनीति में कोई नया नाम नहीं है। आप कांग्रेस के प्रथम परिवार के दामाद हैं। पेशे से व्यापारी और कांग्रेस में इतना दम रखते हैं की यह जब चाहें सक्रिय राजनीति में कूद सकते हैं। राज बब्बर ने तो यहाँ तक कह दिया की उन्हे कौन रोक सकता है राजनीति में आने से? यह दीगर बात है की उन पर ईडी की जांच में सहयोग न देने की शिकायत कई बार हो चुकी है और वह 5 लाख के मुचलके पर बाहर हैं।

नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा ने राजनीति में आने को लेकर बड़ा बयान दिया है. रॉबर्ट वाड्रा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि फिलहाल अभी मेरी राजनीति में आने की कोई इच्छा नहीं है. अब तक इस बारे में कोई योजना नहीं बनाई है. उन्होंने कहा कि मैं लोगों के बीच जाकर कड़ी मेहनत कर रहा हूं. जब लोगों को लगेगा कि मुझे राजनीति में प्रवेश करना चाहिए तो, मैं पूरी ताकत के साथ राजनीति के मैदान में उतरूंगा. 

वहीं, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने रविवार को रॉबर्ट वाड्रा के पार्टी में शामिल होने को लेकर कहा था कि अगर वह चाहेंगे तो पार्टी उनके बारे में जरूर सोचेगी. वह परिवार का हिस्सा हैं. उन्हें पार्टी में सम्मलित करने के लिए कौन मना करेगा. गौरतलब है कि कुछ महीने पहले ही प्रियंका गांधी वाड्रा ने सक्रिय राजनीति में आने के बाद कांग्रेस महासचिव के साथ पूर्वी यूपी प्रभारी का पद संभाला था. इसके बाद से ही रॉबर्ट वाड्रा के राजनीति में आने की चर्चाएं लगातार बनी हुई हैं.

बीते सप्ताह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नामांकन से पहले हुए रोड शो में रॉबर्ट वाड्रा अपने दोनों बच्चों और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ नजर आए थे. कुछ समय पहले रॉबर्ट वाड्रा ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि जैसे ही मेरे ऊपर लगे सभी आरोप निराधार साबित हो जाएंगे उसके बाद में बड़े स्तर पर काम करना चाहूंगा

राहुल संजय के ट्वीट युद्ध में फंसा दिल्ली का पेंच

जिनहोने ‘पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन’ देखि है उनके लिए कैप्टन जैक स्पैरो की कम्पास वाला दृश्य कोई अचरज भरा नहीं होगा। पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण सभी दिशाएँ बारी बारी दिखती है, दर्शकों को कुछ समझ आए कैप्टन उसके उलट चल पड़ता है। कम-ओ-बेश वही हाल आम आदमी पार्टी का है। इन्हे कांग्रेस के साथ दिल्ली में गठबंधन करना है तो पहले हरियाणा की सीटें तय हों जिनमें जेजेपी को भी स्थान देना होगा फिर चंडीगढ़ की एकलौती सीट पर इन्हे कांग्रेस का साथ चाहिए जहां हर्मोहन धवन, पवन बंसल के खिलाफ चुनाव में खड़े हैं। फिर पंजाब की सीटों का बटवारा भी त्वरित गति से हो, तब हम दिलली के लिए अलग से शर्तें रखेंगे। और शर्तें भी क्या सांपछछूंदर वाले हालात। की अजेंडा तो आम आदमी पार्टी का ही लागू होगा। कांग्रेस इनके लिए इतनी नीचे गिर भी गयी की वह दिल्ली में छोटा भाई बनाने को तैयार है।

असल में दिल्ली की बात करें तो केजरीवाल की फजीहत हो रही है। दिल्ली त्रस्त है, जनता पस्त है, केजरीवाल मस्त है। केजरीवाल को जमीनी हकीकत पता है। उन्हे यह भी पता है की यदि वह आज दिल्ली में विधान सभा चुनाव कार्वा लें तो नतीजे अमूलचूल परिवर्तित होंगे। कांग्रेस मात्र राहुल के चलते हर जगह झुकने को तैयार है। राहुल को अपने पुराने क्षत्रपों पर भरोसा नहीं है। असल बात यह है की केजरीवाल की ज़रूरत ज़्यादा बड़ी है। यदि कांग्रेस केजरीवाल को 2 सेटेन भी दे तो केजरीवाल दंडवत हो स्वीकार करेंगे। पर यहाँ राहुल हैं।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के मद्देनजर दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच गठबंधन की अटकलें लगातार जारी हैं. दिल्ली में गठबंधन की खबरों पर पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीधे प्रतिक्रिया दी है. राहुल गांधी ने सोमवार को दिल्ली में गठबंधन को लेकर एक ट्वीट किया है. राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ”गठबंधन के लिए हमारे दरवाजे अभी भी खुले हैं. लेकिन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक और यू-टर्न ले लिया है. कांग्रेस AAP को चार सीटें देने के लिए तैयार है. समय निकलता जा रहा है.”

An alliance between the Congress & AAP in Delhi would mean the rout of the BJP. The Congress is willing to give up 4 Delhi seats to the AAP to ensure this.

But, Mr Kejriwal has done yet another U turn!

Our doors are still open, but the clock is running out. #AbAAPkiBaari26.5K5:50 PM – Apr 15, 2019Twitter Ads info and privacy13.3K people are talking about this

AAP ने किया कांग्रेस पर पलटवार
वहीं, इस मामले पर AAP नेता संजय सिंह ने कहा कि पंजाब में AAP के 4 सांसद और 20 विधायक हैं लेकिन, कांग्रेस यहां एक भी सीट नही देना चाहती है. हरियाणा में जहां कांग्रेस का एक सांसद नहीं है, वहां भी वह आम आदमी पार्टी को एक सीट नही देना चाहती है. वहीं, दिल्ली में कांग्रेस के कोई सांसद और विधायक नहीं हैं, वहां कांग्रेस हमसे तीन सीट चाहती है. संजय सिंह ने कहा कि क्या ऐसे समझौता होता है. आप दूसरे राज्यों में भाजपा को क्यों नही रोकना चाहते हैं.

पंजाब में AAP के 4 सांसद 20 विधायक Cong एक भी सीट नही देना चाहती, हरियाणा जहाँ Cong का एक सांसद वहाँ भी Cong एक सीट नही देना चाहती, दिल्ली जहाँ Cong के 0 MLA 0 MP वहाँ आप हमसे 3 सीट चाहते हैं क्या ऐसे होता है समझौता? आप दूसरे राज्यों में भाजपा को क्यों नही रोकना चाहते?Rahul Gandhi@RahulGandhiAn alliance between the Congress & AAP in Delhi would mean the rout of the BJP. The Congress is willing to give up 4 Delhi seats to the AAP to ensure this.

But, Mr Kejriwal has done yet another U turn!

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गठबंधन पर कांग्रेस के सामने रखी थीं दो शर्तें
बता दें कि दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर पेंच फंसा हुआ है. इससे पहले आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए शर्त रखते हुए कहा था कि पार्टी कांग्रेस के साथ तभी चुनावी गठबंधन करेगी जब हरियाणा और चंडीगढ़ में भी दोनों दल मिल कर चुनाव लड़ें. पार्टी सूत्रों ने बताया था कि AAP की तरफ से कांग्रेस नेतृत्व को दो शर्तें रखी गई हैं. इसमें पहली शर्त यह है कि दिल्ली के साथ हरियाणा और चंडीगढ़ में भी कांग्रेस गठबंधन करे और दूसरा, कांग्रेस को आप के दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग का समर्थन करना चाहिए.

शकील अहमद के इस्तीफे और निर्दलीय चुनाव लड़ने से महागठबंधन को झटका या कोई नयी रणनीति???

जहां एक ओर शकील अहमद के इस्तीफे को एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है वहीं राजनीतिज्ञ इस कांग्रेस की सोची समझी चाल करार दे रहे हैं। शकील निर्दलीय कुनव लड़ेंगे जहां प्रोक्ष रूप से उन्हे कांग्रेस का साथ होगा। इस प्रकार कांग्रेस गठबंधन के सामने पाक साफ बनी रहेगी और वहीं जीतने के बाद शकील पुन: कांग्रेस का दामन थाम लेंगे। गठबंधन में कॉंग्रेस एक सीट की बढ़ौतरी कर लेगी।

कांग्रेस नेता शकील अहमद ने पार्टी प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है. और राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया है.

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. बिहार में मधुबनी सीट महागठबंधन के सहयोगी दल के पास जाने के बाद से शकील अहमद आलाकमान को इस पर पूर्ण विचार करने को कह रहे थे. वहीं, आरजेडी नेता असरफ फातमी ने भी पार्टी को इसके लिए अंजाम भुगतने की चेतावनी दी थी. अब शकील अहमद ने मधुबनी सीट से नामांकन कराने का फैसला कर लिया है और पार्टी से इस्तीफा देने के लिए राहुल गांधी को चिट्ठी भेज दी है.

शकील अहमद ने कांग्रेस के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है. साथ ही पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भी भेज दिया है. हालांकि कहा जा रहा है कि उन्होंने पूर्ण विचार के लिए 18 तारीख तक अल्टीमेटम दे दिया है. लेकिन वह मधुबनी सीट से मंगलवार को नामांकन करने का फैसला किया है.

शकील अहमद ने कहा है कि वह मधुबनी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने को तैयार है. इसलिए वह मंगलवार को नामांकन भी कराएंगे. बता दें कि महागठबंधन में मधुबनी सीट वीआईपी पार्टी के खाते में गई है. और पार्टी ने बद्री कुमार पूर्वे को यहां से उम्मीदवार घोषित किया है.

Congress’s Shakeel Ahmad tweets, “As I have decided to file my nomination papers tomorrow from Madhubani Parliamentary Constituency in Bihar, I’m resigning from the post of Senior Spokesperson of AICC. I’m sending my resignation to Congress President Shri Rahul Gandhi.”(file pic) pic.twitter.com/axaHxTV0S41906:10 PM – Apr 15, 2019Twitter Ads info and privacy66 people are talking about this

इससे पहले आरजेडी नेता अली असरफ फातमी ने भी पार्टी छोड़ने के संकेद दिए थे. उन्होंने पार्टी को 18 तारीख तक का अल्टीमेटम दिया है. जिसके बाद उन्होंने ने भी मधुबनी सीट से नामांकन कराने का दावा किया है. हालांकि उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस शकील अहमद को सिंबल दे देती है तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे.

फातमी ने कहा था कि उनकी बात लालू यादव और तेजस्वी यादव से मधुबनी सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर हो गई थी. लेकिन अंतिम समय में किस तरह की साजिश की गई जो सीट वीआईपी को दे दिया गया. वहीं, फातमी ने शकील अहमद के नाम को लेकर महागठबंधन को मौका दिया है और कहा है कि इस पर भी विचार किया जा सकता है.

बहरहाल, महागठबंधन में अब फिर से अंदर खाने में जंग छीड़ गई है. मधुबनी सीट को वीआईपी पार्टी को देने के बाद आरजेडी और कांग्रेस दोनों नेताओं ने बगावती तेवर दिखा दिए हैं. ऐसे में देखना यह कि महागठबंधन में मधुबनी सीट के लिए क्या फैसला होता है. अगर इस पर विचार नहीं किया गया तो मधबनी सीट उनके हाथ से निकलते हुई दिख रही है.

Rahul to face another defamation suit at Bhopal

While Kamalnath is CM Madhya Pradesh no one can harm Rahul. but one thing for sure after 23rd May 2019, if Congress looses the electoral battle Rahul and his team has to work very hard to keep Rahul safe from ‘the LAW’ His constant personal jibes on Prime Minister Narendra Modi and continuing mushrooming of defamation cases will keep him busy for next five years.

Bhopal: A defamation suit was filed against Congress president Rahul Gandhi in a court in Bhopal on Monday over his alleged statement that “saare Modi chor hai” (All Modis are thieves) remark.

“I have faced a lot of insult because of his remark. A lot of people asked if all Modis are thieves and hence I filed the suit,” said Pradeep Modi, the petitioner.

The Congress president on 13 April, while taking a jibe at Prime Minister Modi, had reportedly said: “I have a question. Why do all thieves have Modi in their names — whether it is Nirav Modi, Lalit Modi or Narendra Modi? We don’t know how many more such Modis will come out.”

“If you want to say such things, please say it to the person concerned. Talking about a community is objectionable. When I came to the court today, a few of my friends made fun of me. After getting hurt because of this, I have filed this defamation suit,” the petitioner said.

The court will take up the defamation suit on 1 May.

The petitioner’s counsel Pramod Saxena said: “With this statement, Rahul Gandhi has tried to portray one community as a thief during his political speech in Karnataka. Following this, a defamation case has been filed by Pradeep Modi in a court here.”

Rahul in trouble deep as SC serves notice to Rahul over his favourite ‘Rafael’

SC notice to Rahul Gandhi over Rafale comments damages his credibility, questions his ‘maturity’ for top job

“remarks made by Rahul to media/public have been incorrectly attributed to this court…” and “…having clarified the matter we deem it proper to ask the respondent [Gandhi] for his explanation”.

While Modi is consistently shown as a trusted figure among the electorate in various surveys, Rahul has failed to live up to his role as a challenger.

The Supreme Court has asked Rahul Gandhi to give an explanation over his remarks on the Rafale case. Though not formal but a notice has been sent to the Congress president seeking his explanation on or before 22 April with the matter set for hearing a day after.

The apex court has been irked by the cavalier way in which Rahul seemingly distorted its views and sought to put a political spin to the court’s decision to admit three sets of fresh documents in the Rafale review petition. In as much as the top court’s ruling goes against the Narendra Modi government’s objections to the admissibility of those documents relied upon by the review petitioners, it is a setback to the Centre.

The government had objected to the citation of these documents by initially calling it “stolen”, threatened to invoke Official Secrets Act against The Hindu (and other publication that had brought the contents into public domain) and subsequently, Attorney General KK Venugopal argued before the court that the papers were leaked, unauthorisedly photocopied, and that they “are sensitive to National Security which relates to war capacity of combat aircraft”.

By admitting these documents and rejecting the government’s objection, the Supreme Court gave fresh impetus to the Rafale case bang in the middle of the Lok Sabha election. However, the apex court’s decision was technical and by no means a judgment on the larger Rafale case

Unfortunately, Rahul showed yet again his very limited gasp of politics. His enthusiasm to bring the development on to sharp focus during campaign season is understandable, but by seeking to make a political capital out of it, the Congress president has now invited court rebuke that will be used by the BJP to further raise questions against the credibility of the Rafale ‘scam’.

Rahul’s interpretation of the Supreme Court’s decision — that the apex court has validated his accusation against the prime minister having stolen money from the air force and given it to his ‘friend’ Anil Ambani — was slammed by the BJP. Union defence minister Nirmala Sitharaman had accused Rahul of “perpetrating lies”, a complaint was lodged with the Election Commission and BJP MP Meenakshi Lekhi took the Congress chief to court, filing a contempt petition and requesting the apex court to take criminal action against him.

Lekhi’s petition read “the words used and attributed by him (Gandhi) to the Supreme Court in the Rafale case has been made to appear something else. He is replacing his personal statement as Supreme Court’s order and trying to create prejudice”.

The Supreme Court bench headed by Chief Justice Ranjan Gogoi and comprising Justices Deepak Gupta and Sanjiv Khanna orally observerd that the “remarks made by Rahul to media/public have been incorrectly attributed to this court…” and “…having clarified the matter we deem it proper to ask the respondent [Gandhi] for his explanation”.

The bench, in its order said that the court “had no occasion to record any such views or make observations in as much as what was decided by this court was the legal admissibility of certain document to which objections were raised”.

The order also said that “no views, observations or findings should be attributed to the Court in political address to the media and in public speeches, unless such views, observations or findings are recorded by the court”.

The court observations may not mean much in terms of criminal proceedings against the Congress president, but it doesn’t need to. The damage to Rahul’s reputation has been done. The Congress president’s repeated flippant and cavalier behaviour calls into question his maturity as a politician at a time when Congress is projecting him as Modi’s only competitor.

In a presidential mode of election — in which mould the 2019 Lok Sabha polls have been cast into — the credibility of the candidates carries great significance. While Modi is consistently shown as a trusted figure among the electorate in various surveys, Rahul has failed to live up to his role as a challenger.

What the court rebuke does is further degrade that trust factor and makes it difficult for the electorate to take Rahul’s even legit charges seriously. The Congress president must ask himself whether he needs to take a pause and mull over the way he is conducting his politics.

Wins and losses are inevitable in elections, but the person who aspires for the top job must show himself to be responsible in his words and actions for it. This is not the first time Rahul has failed in that role. No high-octane PR campaign may undo the damage.

रेफेरेंड्म 2020 के चरमपंथी संगठनों को नहीं मिली पाकिस्तान स्थित पंजा साहिब में जगह

पाक ने मोदी सरकार के कहने पर रेफरेंडम 2020 अभियान बैन किया खालिस्तान समर्थक गुट का दावा
पुलवामा हमले के बाद बालाकोट के बदले की कार्यवाही से सहमा हुआ पाकिस्तान अब प्रकट रूप से भारत विरोधी गतिविधियों को अपनी धरती पर से होते हुए नहीं दिखाना चाहता। भारत के मौजूदा नेतृत्व के रहते तो वह ऐसा जोखिम नहीं उठाना चाहेगा।

पाक अधिकारियों ने चरमपंथी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ गुट को गुरुद्वारा पंजा साहिब में पोस्टर लगाने से रोका एसएफजे ने पाकिस्तानी सेना और आईएसआई पर उनके अभियान कुचलने का आरोप लगाया

चंडीगढ़. खालिस्तान समर्थक गुट सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने दावा किया है कि पाकिस्तान ने मोदी सरकार के कहने पर उनके अभियान पर बैन लगा दिया। एसएफजे खालिस्तान में जनमत संग्रह की मांग को लेकर ‘रेफरेंडम टीम 2020’ अभियान चला रहा है। एसएफजे के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नुन के मुताबिक, सोमवार को गुट के कार्यकर्ता हसन अब्दल स्थित गुरुद्वारा पंजा साहिब में पोस्टर लगा रहे थे। इसी दौरान अधिकारियों ने हस्तक्षेप करते हुए उन्हें रोक दिया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, खालसा सजना दिवस (खालसा पंथ की स्थापना इसी दिन हुई थी)  के 320वें साल पर भारत से हजारों सिख श्रद्धालु पाकिस्तान पहुंच रहे हैं। खालिस्तान के पक्षकार कई कार्यकर्ता भी अपने अभियान को समर्थन देने के लिए अप्रैल के पहले हफ्ते में अमेरिका और यूरोप से पाकिस्तान पहुंचे हैं। हालांकि, जब कार्यकर्ता पंजा साहिब में पोस्टर लगाने लगे तो उन्हें रोक दिया गया। इसके साथ ही रेफरेंडम 2020 के लिए वॉलंटियर्स (स्वयंसेवकों) का रजिस्ट्रेशन भी रोक दिया गया।

मोदी के आगे झुक गए इमरान और बाजवा
पन्नुन ने कहा, “पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा खुद को सिख समुदाय के मसीहा के तौर पर दर्शाते हैं। हालांकि, दोनों ने मोदी सरकार के दबाव में झुककर हमारा अभियान बैन कर दिया।“ पन्नुन ने कहा कि भारत की तरफ से युद्ध की धमकियों के बीच उन्होंने पाकिस्तान को समर्थन जारी रखा, लेकिन पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सिख समुदाय के आंदोलन को कुचल दिया। 

क्या है रेफरेंडम 2020?
अलगाववादी सिख संगठन अलग खालिस्तान की मांग को लेकर ‘रेफरेंडम 2020’ (जनमत संग्रह 2020) का प्रचार कर रहे हैं। यह रेफरेंडम लंदन में 12 अगस्त को होना है। अलगाववादी सिख संगठन, मतदान के रेफरेंडम के नतीजों को संयुक्त राष्ट्र के पास लेकर जाने की रणनीति बना रहे हैं। इसके जरिए वह एक अलग देश की मांग को मजबूत करना चाहते हैं।

लोकतन्त्र के 4थे स्तम्भ के आत्मीयों की निर्मम हत्याएँ पीड़ादायक तो हैं ही साथ ही घोर दुर्भाग्यपूर्ण हैं: सारिका तिवारी

www.demokraticfront.com ग्रुप सरकार के दोगले रवैये और इस घटना की कड़े शब्दों में निन्दा करता है। और इंसाफ के लिए बिहार सरकार से मांग करता है।

कमल कलसी, बोधगया, (बिहार):

अखिल भारतीय पत्रकार समिति संघ के दिनेश पंडित अजय कुमार पांडे, संतोष कुमार ,राजेश कुमार द्विवेदी, शुभम कुमार विश्वनाथ आनंद, अविनाश कुमार, सहित सैकड़ों पत्रकारों ने बैठक कर नालंदा के शेखपुरा से हिंदुस्तान अखबार के ब्यूरो चीफ आशुतोष कुमार आर्य के पुत्र को निर्मम हत्या किए जाने को लेकर शोक सभा का आयोजन किया गया।

उपस्थित पत्रकारों ने 2 मिनट का मौन रखकर उसकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की एवं इस दुख की घड़ी में ईश्वर शक्ति प्रदान करें और साथ में एकजुटता का परिचय देते हुए हत्यारा की गिरफ्तारी करने की अपील जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन एवं सरकार से की है l बैठक में पत्रकारों ने निंदा प्रस्ताव पारित करते हुए कहा है कि एक तरफ सरकार पत्रकारों की परिजनों की सुरक्षा करने की बात करती है वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों पर एवं पत्रकार के परिजनों पर जिस प्रकार से हत्यारा ओं द्वारा निर्मम हत्या की जा रही है हमला किया जा रहा है जो देश लोकतंत्र के लिए खतरा है ।

ज्ञातव्य शेखपुरा हिंदुस्तान अखबार के ब्यूरो चीफ आशुतोष आर्य के पुत्र को रविवार की शाम जब घर पर नहीं लौटा वह लोगों में घबराहट होने लगी खोजबीन किया गया, बाद में पता चला कि गांव के कुछ दूर पर ही हत्या कर फेका हुआ है। इस प्रकार से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के परिजनों के साथ जिस प्रकार से हत्या हमला किया जा रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को कठोर से कठोर कार्रवाई कर दंडित करें। पत्रकारों ने इसका पुरजोर विरोध किया है एवं जल्द से जल्द हत्यारों की गिरफ्तार करने की मांग की है।

पत्रकारों ने कहा है कि परिजनों की हत्या करने से कलम की लेखनी कम नहीं पड़ सकता। पत्रकारों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि हत्यारों को 2 दिन के अंदर गिरफ्तारी नहीं किया जाता है को चरणबद्ध आंदोलन पूरे देश में चलाई जाएगी पहले प्रखंड मुख्यालय जिला मुख्यालय में किया जाएगा।

महिला आयोग आरोपों को साबित करे: आज़म खान

समाजवादी सुप्रीमो अखिलेश यादव की उपस्थिती में आज़म खान ने जयाप्रदा पर अभद्र टिप्पणी की तो भाजपा ने अखिलेश यादव से माफी मांगने की बात कही। लेकिन समाजवादियों केतिहास में न तो आज तक एस कभी हुआ है न ही आगे इस बात की उम्मीद है। महिला आयोग ने इस घटना का स्वत:संग्यान लेते हुए आजम खान को नोटिस भेजा और उनका नामांकन रद्द करने की मांग भी की। इधर आज़म खान अपने चीर परिचित अंदाज़ में कहते सुनाई दिये की ‘कोई साबित कर दे मैं चुनाव नहीं लड़ूँगा’

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने रामपुर से लोकसभा चुनाव लड़ रही भाजपा प्रत्याशी और फिल्म अभिनेत्री जया प्रदा के खिलाफ एक विवादास्पद टिप्पणी की है. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने खान की टिप्पणी को ”बेहद शर्मनाक” करार दिया और कहा कि महिला आयोग उन्हें एक कारण बताओ नोटिस भेज रहा है. खान की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये शर्मा ने ट्वीट किया कि एनसीडब्ल्यू चुनाव आयोग से यह भी अनुरोध करेगा कि उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए.

शर्मा ने यह प्रतिक्रिया एक अन्य व्यक्ति के ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दी, जिसने सपा नेता का कथित वीडियो ट्वीट किया था. खान का ”अपमानजनक” टिप्पणी वाला वीडियो कई सोशल मीडिया साइटों पर साझा किया जा रहा है. वीडियो के मुताबिक रामपुर में एक चुनावी सभा में खान ने कहा “रामपुर वालों, उत्तर प्रदेश वालों, हिंदुस्तान वालों. उसकी असलियत समझने में आपको 17 बरस लग गए. मैं 17 दिन में पहचान गया कि इनके नीचे का जो अंडरवियर है वह भी खाकी रंग का है. मैं 17 दिन में पहचान गया, आपको पहचानने में 17 बरस लगे, 17 बरस.” 

हालांकि, आजम खान ने इस वीडियो में जयाप्रदा का नाम नहीं लिया है लेकिन भाजपा इसे जया के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के रूप में पेश कर रही है. खान की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शर्मा ने कहा, ”यह बेहद शर्मनाक” है.

आजम खान के जयाप्रदा पर बिगड़े बोल

आज़म खान, अकबरुद्दीन ओवैसी या कई और नेता सभी का विवादित बयानों से नाता रहा है। आज़म खान का और अमर सिंह का 36 का आंकड़ा रहा है। आजम खान ने अमर सिंह की हर बात को नकारा है। अमर सिंह द्वारा राजनीति में लायी गयी जया पर्दा आज़म खान को कभी भी पसंद नहीं थी। उन्होने पहले भी जयाप्रदा के खिलाफ प्रोक्ष रूप से और प्रकट में भी बहुत दुष्प्रचार किया है। लेकिन अब तो मानो वह अपनी नफरत को एक नयी ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Electons 2019) का सियासी रण अपने चरम पर है. इसके चलते आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी जमकर की जा रही है. इन सबके बीच नेताओं ने अब भाषायी मर्यादाएं भी लांघना शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश के रामपुर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार आजम खान ने रविवार को बीजेपी प्रत्याशी और अभिनेत्री जया प्रदा को लेकर बेहद आपत्तिजनक बयान दिया है.

रामपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए आजम खान ने बिना नाम लिए बीजेपी उम्मीदवार जया प्रदा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिसको हम उंगली पकड़कर रामपुर लाए, आपने 10 साल जिनसे अपना प्रतिनिधित्व कराया. उसकी असलियत समझने में आपको 17 बरस लग गए. मैं 17 दिनों में पहचान गया था कि इनके नीचे का अंडरवियर खाकी रंग का है. इस रैली में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मौजूद थे. उनके इस बयान पर बीजेपी ने सख्‍त ऐतराज जताते हुए माफी की मांग की है.

महागठबंधन प्रत्याशी आजम खान और बीजेपी प्रत्याशी जया प्रदा के बीच इससे पहले भी जुबानी जंग हो चुकी है. इससे पहले बीजेपी प्रत्याशी जया प्रदा ने समाजवादी पार्टी उम्मीदवार आजम खान पर तंज कसा था. उन्होंने एक रैली के दौरान कहा था कि मैं तो आजम खान को अपना भाई मानती थी लेकिन वह मुझे बहन बुलाने के साथ मेरे बीमार होने की भी कामना करते रहे. जया प्रदा ने आगे कहा कि क्या आपका भाई आपको नाचने वाली के तौर पर देख सकता है. यही वजह थी कि मैं रामपुर छोड़ने चाहती थी. 

वहीं, कुछ ही दिन पहले आजम खान ने रामपुर के शाहाबाद में एक रैली को संबोधित करते हुए आरोप लगाया था कि जब बीजेपी के कैंडिडेट ने अपने सफर की शुरुआत की तो उन्होंने कहा कि मैं दानव का वध करने के लिए जा रही हूं. आजम खान ने कहा था कि उन्होंने रामपुर के बच्चों के लिए भीख मांग कर के स्कूल बनवाया, लाचार बच्चों के लिए एक अजीम-ओ-शान यूनिवर्सिटी बनवाई. लोगों को कोई परेशानी न हो इसलिए सड़क और पानी का काम कराया. लेकिन बीजेपी वालों के लिए मैं दानव हूं और इस बार मेरा वध होगा.

आजम खान के इस बयान के बाद बीजेपी प्रत्याशी जयाप्रदा ने पलटवार करते हुए पुराने गंज में जनसभा के दौरान उन्होंने आजम खान को भाई कहकर संबोधित करते हुए कहा था कि मैंने कभी आपको अभद्र शब्द नहीं कहे. ये मेरे संस्कार हैं. उन्होंने कहा था कि मेरी मां ने मुझे संस्कार दिया हैं. जयाप्रदा ने कहा था कि मैं आपके सामने आकर बोल सकती हूं कि आप झूठे हैं. आप झूठ बोलकर भ्रम फैलाते हैं कि मैं रामपुर से भाग जाऊं.

बता दें कि जया प्रदा ने 2004 और 2009 के आम चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी. उन्हें 2010 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने और अमर सिंह के संपर्क में रहने की वजह से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. ध्यान हो कि आजम खान ने कुछ समय पहले जया प्रदा को एक नाचने वाली बताया था. आजम खान हमेशा से ही अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं.

भाजपा ने पन्ना प्रमुखों को दिए बूथ के हर मतदाता तक पकड़ बनाने के मूल मंत्र

पंचकूला 14 अप्रैल 2019:

भारतीय जनता पार्टी पंचकूला ने आज जिला के अंतर्गत आने वाली अपनी दोनों विधानसभाओं पंचकूला एवं कालका का पन्ना प्रमुख सम्मेलन आयोजित किया आज के इन दोनों कार्यक्रमों में अंबाला लोकसभा प्रभारी जगदीश चोपड़ा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की तथा उनके साथ पंचकूला विधायक एवं लोकसभा संयोजक ज्ञान चंद गुप्ता भाजपा जिला प्रभारी डॉक्टर संजय शर्मा जिला अध्यक्ष दीपक शर्मा अंबाला लोकसभा के भाजपा प्रत्याशी सांसद रतन लाल कटारिया कालका विधायक श्रीमती लतिका शर्मा प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती बन्नतो कटारिया हरियाणा सरकार में टेक्निकल एडवाइजर एवं पूर्व जिला अध्यक्ष विशाल सेठ विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

जिला अध्यक्ष दीपक शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि बूथ के हर मतदाता तक अपनी पहुंच बनाने के लिए पन्ना प्रमुख का गठन किया गया है। मतदाता सूची में एक पन्ने पर 60 की संख्या में मतदाताओं का नाम दर्ज होता है।  हर पन्ने की जिम्मेवारी एक बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को दी गई है जिसे पन्ना प्रमुख बनाया गया है। पन्ना प्रमुख का कार्य सरकार की नीतियों उपलब्धियों एवं योजनाओं के बारे में हर मतदाता को बताना रहेगा। चुनाव के समय तक लगभग तीन से चार दफा यह पन्ना प्रमुख मतदाताओं से संपर्क करेंगे तथा यह भी सुनिश्चित करेंगे कि हर मतदाता मतदान के दिन अपना मत अवश्य डालें।

आज कार्यक्रम की शुरुआत में लोकसभा प्रभारी जगदीश चोपड़ा ने कार्यकर्ताओं को हर बूथ के हर मतदाता तक संपर्क करने के टिप्स दिए। उन्होंने कहा हर पन्ना प्रमुख अपनी जिम्मेवारी सुनिश्चित करें की हमने अपने-अपने पन्ने पर जो जो नाम है वह सभी मतदान दिवस पर मतदान जरूर करें और भाजपा के पक्ष में करें।सांसद रतन लाल कटारिया ने अपने पिछले 5 साल की उपलब्धियों के बारे में कार्यकर्ताओं को ब्योरा दिया तथा उन्होंने कहा कि वे लोकसभा के उन पहले 10 सांसदों में से एक हैं जिसने जितने दिन लोकसभा चली लगभग उतने दिन ही अपनी उपस्थिति सदन में दर्ज कराई।