कांग्रेस का ‘न्याय’ अब न्यायालय में, 2 हफ्तों में मांगा जवाब

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना (न्याय) को लेकर पार्टी को शुक्रवार को नोटिस जारी किया. इस जनहित याचिका में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र से न्यूनतम आय की गारंटी के वादे को हटाने की मांग की गई है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जिस याचिक को स्वीकार किया है वह याचिका बहुत साल पहले ही स्वत: संगयान से ले ली जानी चाहिए थी। लैपटाप, साइकल, राशन, कर्जा माफी इत्यादि। 72000 हों या मुफ्त राशन पानी, यह सब बंद होना चाहिए। न्यायालय का यह स्वागत योग्य कदम है, बस यह वकीलों की बहस ही में न उलझ कर रह जाये।

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना (न्याय) को लेकर पार्टी को शुक्रवार को नोटिस जारी किया. इस जनहित याचिका में कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र से न्यूनतम आय की गारंटी के वादे को हटाने की मांग की गई है.

जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजेंद्र कुमार की पीठ ने अधिवक्ता मोहित कुमार और अमित पांडेय द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया. अदालत ने कांग्रेस पार्टी और चुनाव आयोग को दो सप्ताह के भीतर अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. 

अदालत ने पूछा- इस तरह की घोषणा वोटरों को रिश्वत देने की कैटगरी में क्यों नहीं? क्यों न पार्टी के खिलाफ पाबंदी या दूसरी कोई कार्रवाई की जाए, अदालत ने इस मामले में चुनाव आयोग से भी जवाब मांगा, कांग्रेस पार्टी और चुनाव आयोग को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया, अदालत ने माना कि इस तरह की घोषणा रिश्वतखोरी व वोटरों को प्रभावित करने की कोशिश है. 

याचिकाकर्ता की दलील थी कि चुनावी घोषणा पत्र में 72,000 रुपये न्यूनतम आय की गारंटी का वादा रिश्वत के समान है और यह जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है. एक राजनीतिक दल इस तरह का वादा नहीं कर सकता क्योंकि यह कानून और आचार संहिता का उल्लंघन है. इस याचिका में अदालत से चुनाव आयोग को निर्देश जारी कर कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र से न्यूनतम आय की गारंटी का वादा हटवाने का अनुरोध किया गया है. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 13 मई तय की. 

प्रियंका के पार्टी छोड़ने पर सुरजेवाला का बयान

प्रवक्ता हो या किसी भी सतर का नेता जब वह अपने दल को छोडता है तो दल में असर तो पड़ता है, फिर कांग्रेस जैसे बड़े दल को जो चुनावों की तैयारी में जुटा हुआ है के फ़ाइर ब्रांड प्रवक्ता का छोडना तो और भी कष्टप्रद हो जाता है। सुरजेवाला ने प्रियंका चतुर्वेदी के कांग्रेस छोडने पर बहुत ही नपटुला ब्यान दिया।

नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी के इस्तीफे के बाद पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी के किसी साथी का अलग होना दुखद है और ऐसे मामले में टीम का मुखिया होने के नाते मेरी भी जवाबदेही बनती है.

प्रियंका के इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर सुरजेवाला ने कहा,‘मैंने टॉम वडक्कन के जाने के समय भी कहा था और आज फिर कह रहा हूं कि जब भी कांग्रेस का कोई व्यक्ति बाहर जाता है तो यह हमारे लिए दुख का विषय होता है. लोग करियर में आगे बढ़ने की इच्छा रखते हैं. अगर टीम में कुछ होता है तो उसका असर नेता होने के कारण मेरे ऊपर भी आता है.’

करकरे पर किरकिरी के बाद पलटी साध्वी प्रज्ञा

भोपाल: भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने मुंबई आतंकी हमले में शहीद हुए पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे पर दिए बयान को वापस ले लिया है. उन्होंने कहा कि जो मैंने कहा वो मेरी व्यक्तिगत पीड़ा थी, जो मैंने सुनाई. साध्वी प्रज्ञा ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मेरे शब्दों से दुश्मनों को बल मिलता है तो मैं अपना बयान वापस लेती हूं और उस सैनिक को जो आतंकवादी से गोली से मरा है मैं उसका सम्मान करती हूं. प्रज्ञा ने अपने बयान में कहा कि मुंबई एटीएस प्रमुख शहीद हेमंत करकरे दुश्मन देश की गोलियों से मारे गए. निश्चित रूप से वह शहीद हैं.”  साध्वी प्रजा ने आतंकी हमले में शहीद हुए मुम्बई एटीएस के तत्कालीन प्रमुख हेमंत करकरे पर यातना देने का आरोप लगाते हुए कहा था, “मैंने उनको सर्वनाश होने का शाप दिया था.” 

बीजेपी ने भी झाड़ लिया था प्रज्ञा के बयान से पल्ला
इससे पहले, बीजेपी ने साध्वी के बयान से किनारा कर लिया था. बीजेपी ने कहा कि यह उनकी निजी राय है जो सालों तक उन्हें मिली शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना की वजह से हो सकती है. बीजेपी ने इसके कारण शुरू हुए विवाद को हल्का करने का प्रयास करते हुए एक बयान में कहा, “बीजेपी का मानना है कि करकरे बहादुरी के साथ आतंकवादियों से लड़ते हुए मारे गए. बीजेपी ने हमेशा उन्हें शहीद माना है.”  
आईपीएस एसोसिएशन ने की थी बयान की निंदा
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के संगठन आईपीएस एसोसिएशन ने साध्वी के बयान की निंदा की थी. करकरे के बारे में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के संगठन आईपीएस एसोसिएशन ने ट्वीट में कहा, “अशोक चक्र से सम्मानित आईपीएस, दिवंगत श्री हेमंत करकरे, ने आतंकवादियों से लड़ते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान कर दिया. एक उम्मीदवार द्वारा दिए गए अपमानजनक बयान की हम निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि हमारे सभी शहीदों के बलिदान का सम्मान किया जाए.” 

त्रिपोली में फंसे हुए भारतीय यदि तुरन्त नहीं निकलते हैं तो बाद में उन्हें वहां से निकलना संभव नहीं हो पाएगा: सुषमा स्वराज

क्या है त्रिपोली संकट
इसराइल ने देर रात दक्षिणी लेबनान में हिज़बुल्ला के ठिकानों पर लगातार हवाई हमले किए हैं जबकि संयुक्त राष्ट्र ने लेबनान में मानवीय त्रासदी जैसी स्थिति पैदा होने की आशंका जताई है.
इसराइली सेना का कहना है कि बेरुत में चरमपंथियों के मुख्यालय को एक बार फिर निशाना बनाया गया है और साथ ही पूर्वी शहर बालबेक में हथियारों के गोदाम और रॉकेट से भरे ट्रकों पर भी हमले किए गए हैं.
इस बीच हिज़बुल्ला ने उत्तरी इसराइल के कुछ हिस्सों पर रॉकेट दागे हैं.
इसराइल ने अपने हमले जारी रखते हुए साफ कर दिया है कि जब तक उसके दोनों सैनिकों को हिज़बुल्ला छोड़ नहीं देता तब तक यह कार्रवाई नहीं रुकेगी.
पिछले छह दिनों में इसराइली हमलों में 200 से अधिक लेबनानी मारे जा चुके हैं. हिज़बुल्ला की जवाबी कार्रवाई में अभ तक 24 इसराइली मारे गए हैं.

नई दिल्ली: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को कहा कि 500 से अधिक भारतीय लीबिया की राजधानी त्रिपोली में फंसे हुए हैं और उन्होंने सुझाव दिया है कि वे तुरंत शहर छोड़ दें.

त्रिपोली में हिंसा जारी रहने के बीच मंत्री ने कहा कि लीबियाई राजधानी में फंसे हुए भारतीय यदि तुरन्त नहीं निकलते हैं तो बाद में उन्हें वहां से निकलना संभव नहीं हो पाएगा.

त्रिपोली में 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं
संयुक्त राष्ट्र समर्थित प्रधानमंत्री फायेज अल-सराज को सत्ता से बेदखल करने के लिए लीबियाई सेना के कमांडर खलीफा हफ्तार के सैनिकों ने एक हमला किया था और पिछले दो सप्ताह में हिंसा में त्रिपोली में 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.

Even after massive evacuation from Libya and the travel ban, there are over 500 Indian nationals in Tripoli. The situation in Tripoli is deteriorating fast. Presently, flights are operational. /1 PL RT4,6686:37 PM – Apr 19, 2019Twitter Ads info and privacy2,592 people are talking about this

स्वराज ने ट्वीट किया, ‘लीबिया से बड़ी संख्या में लोगों के जाने और यात्रा प्रतिबंध के बाद भी, त्रिपोली में 500 से अधिक भारतीय नागरिक हैं. त्रिपोली में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं. वर्तमान में उड़ानों का संचालन हो रहा है.’

Pls ask your relatives and friends to leave Tripoli immediately. We will not be able to evacuate them later. /2 Pls RT9,3696:38 PM – Apr 19, 2019Twitter Ads info and privacy6,526 people are talking about this

उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा, ‘‘कृपया अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को तुरंत त्रिपोली छोड़ने के लिए कहें. हम बाद में उन्हें वहां से नहीं निकल पाएंगे.’’ 

पंचकुला पुलिस द्वारा 84.9 किलो पोस्त के साथ 1 गिरफ्तार

पुरनूर, पंचकूला, 19 अप्रैल :-

पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बतलाया कि चौकी इंचार्ज बृजपाल के नेतृत्व में पुलिस चौकी मडावाला, पंचकुला की टीम द्वारा अभियोगांक संख्या 117 दिनांक 19.04.2019 धारा 15 NDPS ACT थाना पिंजौर, पंचकुला के तहत आरोपी कृष्ण कुमार पुत्र नौरंग राम वासी गांव चुभकिया, थाना सिदमुख, जिला चुरू, राजस्थान हाल प्रीतम कालॉनी, मडावाला, पिंजौर, पंचकुला को नजदीक गोदाम कृष्ण कबाडी मेन रोड मडावाला से विधी-पूर्वक गिरफ्तार किया गया ।  आरोपी के पास से 84 किलो 900 ग्राम मादक पदार्थ चुरापोस्त बरामद किया गया । आरोपी को पेश माननीय अदालत किया गया । माननीय अदालत द्वारा आरोपी का 3 दिन का रिमाण्ड फरमाया गया ।

‘प्रियंका चतुर्वेदी’ कांग्रेस का अग्निबाण अब शिवसेना के तूणीर में

कांग्रेस का अग्निबाण अब शिव सेना के तूणीर से मोदी के लिए कांग्रेस ही के खिलाफ चलेगा। यूं तो शत्रुघ्न सिन्हा का जाना तय ही था परंतु एक ‘खामोश’ करवाने वाला सन्नाटा उनकी कमी को बार बार उजागर करता था। प्रियंका चतुर्वेदी के शिव सेना में शामिल होने से शत्रुघ्न सिन्हा की कमी काफी हद तक नहीं खलेगी। कांग्रेस की आत्ममुग्धता की पराकाष्ठा का नतीजा है प्रियंका चतुर्वेदी का इस्तीफा और झापड़ है शिव सेना में शामिल होना। कल ही से इसके कयास लगाए जा रहे थे की इस अग्निशामक दलों के लिए भय का कारण बनी प्रियंका अब भाजपा के किस घटक दल में शामिल होंगी? भाजपा के खिलाफ हमेशा मुखर रहने वाली प्रियंका के लिए कमाल थामना आसान राह नहीं थी, परंतु शिव सेना के शिव बन्धन में बंधना बनिस्पत आसान था। ख्म तो मोदी ही का है।

नई दिल्ली/मुंबई: लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को झटका देते हुए पार्टी की पूर्व प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. इसके थोड़ी देर बाद ही वह शिवसेना में शामिल हो गईं. शुक्रवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हो गईं. ठाकरे ने जल्दबाजी में बुलाए गए मीडिया कांफ्रेंस में उनका स्वागत किया और कहा कि वह खुश हैं कि ‘उन्होंने शिवसेना में शामिल होने का फैसला किया है.’

कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके शिवसेना में शामिल होने के बाद जब प्रियंका से पूछा गया अब वह बीजेपी की सहयोगी शिवसेना का हिस्सा हैं. ऐसे में क्या अब भी वह स्मृति ईरानी की डिग्री के खिलाफ उसी तरह हमलावर रहेंगी, जिस तरह से कांग्रेस में थीं. इस पर प्रियंका ने कहा, पिछले पांच साल में जब भी जरूरी हुआ शिवसेना ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है. जहां तक मेरी बात है तो मैं गाना गाती रहूंगी.

बता दें कि कुछ दिन पहले जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपना नामांकन दाखिल किया था, उस समय उन्होंने बताया था कि वह ग्रेजुएट नहीं हैं. इस पर तंज कसते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने एक गाना गाया था. यह सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुआ था.

कांग्रेस पर लगाए उपेक्षा के आरोप…
इससे पहले उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने प्रियंका चतुर्वेदी को गुलदस्ता दिया और कई वरिष्ठ पार्टी नेताओं की उपस्थिति में उन्हें ‘शिव बंधन’ धागा बांधा. इसके बाद चतुर्वेदी (39) ने कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार किए जाने की घटना में उनका समर्थन नहीं करने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “मैंने बिना किसी स्वार्थ के कांग्रेस पार्टी की 10 वर्षो तक सेवा की. लेकिन, पार्टी ने मेरी शिकायत को दरकिनार कर दिया, जबकि यह मामला शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया गया था.”

चतुर्वेदी ने कहा कि उन्होंने उनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले कार्यकर्ताओं को दोबारा बहाल किए जाने को लेकर शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपना दर्द बयां किया था. चतुर्वेदी ने हालांकि स्वीकार किया कि वह मथुरा सीट की उम्मीदवारी को लेकर नजरअंदाज किए जाने से थोड़ी निराश थीं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस छोड़ने की मुख्य वजह उनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया जाना है.

कांग्रेस सपा-बसपा की ‘बी’ टीम है: उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा

यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा बोले, रायबरेली-अमेठी से साफ हो जाएगा कांग्रेस का सूपड़ा
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने गुरुवार को कहा कि इस लोकसभा चुनाव में रायबरेली और अमेठी से कांग्रेस तथा आजमगढ़ और कन्नौज से सपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा. 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने गुरुवार को कहा कि इस लोकसभा चुनाव में रायबरेली और अमेठी से कांग्रेस तथा आजमगढ़ और कन्नौज से सपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा. शर्मा ने कहा, ‘जिस प्रकार का जनसमर्थन भाजपा को मिल रहा है, उससे यह तय हो गया है कि रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस को पराजय का स्वाद चखना पड़ेगा.’ कांग्रेस को सपा व बसपा की ‘बी’ टीम बताते हुए उन्होंने कहा कि हाथ के पंजे की देश को अब जरूरत नहीं है. इस पंजे ने देश को लूटा है और बर्बाद किया है.

उन्होंने कहा कि सरकारें आती जाती रहेंगी पर विकास न करने वालों को जनता दंड देना जानती है. इस चुनाव में जाति व धर्म के बंधन टूट गए हैं और विकास का कहर विपक्षियों पर टूट पड़ा है. ‘इस चुनाव में मोदी की लहर नहीं बल्कि विपक्षियों पर मोदी की लोकप्रियता का कहर है.’ 

शर्मा ने कहा कि चुनाव में विपक्ष को अभी से हार नजर आने लगी है इसलिए उस हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ने की तैयारी की जाने लगी है. वे चुनाव हारेंगे जरूर क्योंकि उन्होंने काम नहीं किया. पहले चुनाव बिजली, पानी, सड़क के मुद्दों पर होते थे पर इस चुनाव में वे सभी मुद्दे गायब है क्योंकि मोदी ने उन सभी कामों को पूरा करके दिखाया है. उन्होंने कहा कि सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, राजद सभी एक दूसरे के पिछलग्गू बने हुए हैं. इनके पास कोई नीति अथवा सिद्धांत नहीं हैं. इनके पास विकास का कोई एजेन्डा नहीं है तथा ये केवल भाजपा व मोदी को रोकने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि तृणमूल ने बंग्लादेश के घुसपैठियों को बंगाल में बुलाकर देश की छाती पर मूंग दलने के लिए डाल दिया है. यह हिन्दू व मुसलमान दोनों के लिए परेशानी का सबब है. हिन्दुस्तान के चुनाव में इन घुसपैठियों के बाद अब बांग्लादेश के कलाकारों को बुलाकर तृणमूल तथा कांग्रेस का प्रचार कराया जा रहा है. हिन्दुस्तान के चुनाव में इनकी कोई जरूरत नहीं है.

सीतापुर व कुशीनगर की चुनावी सभाओं में शर्मा ने कहा कि मोदी का परिवार स्वाभिमान के साथ जीवन यापन कर रहा है. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि एक परिवार वह है जिसके एक सदस्य पर आरोप है कि वह चार लाख रूपये से व्यवसाय आरंभ करके पहले 400 करोड़ रूपये के मालिक बन गए और अब चार हजार करोड़ रूपये की सम्पत्तियों को खरीदने की चर्चा है और ये आरोपी प्रधानमंत्री पर आक्षेप लगाते हैं.

शर्मा ने कहा, ‘… जिसने अपना जीवन जनता के लिए समर्पित कर दिया . इन लोगों ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाते समय देश की गरिमा का भी ख्याल नहीं रखा . इनके आरोपों पर प्रधानमंत्री को भी कहना पड़ा कि एक बुलेटप्रूफ होता है पर मैं गाली प्रूफ हो गया हूं.’ उन्होंने कहा, ‘गली-गली में शोर है, एक बात श्योर है, हमारा पीएम प्योर है.’ 

शर्मा ने कहा कि एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों को जान लेना चाहिए कि आतंकी भारत में घटना करके बिरयानी खाकर वापस चले जाएं, ऐसा अब नहीं होने वाला है. यह मोदी युग है, जिसमें गले लगाएंगे पर गला काटने का प्रयास किया तो घर में घुसकर मारेंगे.

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की तस्वीर बदलने के साथ ही नए भारत का निर्माण हो रहा है . आज हिन्दुस्तान शक्तिशाली राष्ट्रों में जाना जा रहा है . एक समय वह था जब दुनिया के बडे़ देशों में भारत की गरीबी के चित्र दिखाए जाते थे. आज मोदी के कमान संभालने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति अपने देश के नौजवानों से कहते हैं कि भारत से आने वाले होनहार युवा अपने देश के नौजवानों को बेरोजगार कर देंगे. इनसे बचकर रहना होगा. ये बदली परिस्थितियों को बताता है. 

भाजपा अपना दक्षिणदुर्ग कैसे बचा पाएगी?

विधानसभा चुनावों में प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी भाजपा को एक बार फिर से कर्णाटक में अपना परचम लहराने की उम्मीद है। गांधी-देवेगौड़ा गठबंधन में हमेशा ही अविश्वास की स्थिति, इस विचार को बल देती है। गणित और भी हैं…..

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में दूसरे चरण का मतदान 18 अप्रैल को हो रहा है. दूसरे और तीसरे चरण में दक्षिण के एक महत्वपूर्ण राज्य कर्नाटक में वोटिंग होनी है. दक्षिण में यही इकलौता राज्य है जहां बीजेपी न सिर्फ अपने दम पर सरकार बना चुकी है, बल्कि यह दक्षिण में उसका प्रवेश द्वार कहलाता है. पिछले साल मई में यहां विधानसभा चुनाव हुआ था जिसमें बीजेपी, कांग्रेस और एच डी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर अलग-अलग लड़े थे. उस समय बीजेपी बहुमत से मामूली अंतर से चूक गई और कांग्रेस जेडीएस ने मिलकर सरकार बना ली. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जेडीएस गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन गठबंधन के बावजूद बीजेपी को उम्मीद है कि कर्नाटक का उसका गढ़ बचा रहेगा.

इसकी एक वजह तो यह है कि कर्नाटक में बीजेपी न सिर्फ इस विधानसभा चुनाव में हारी बल्कि पिछला विधानसभा चुनाव भी हारी थी, लेकिन विधानसभा हारने के बावजूद लोकसभा में उसकी ताकत कम नहीं हुई. बीजेपी को लोकसभा 2014 में कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 17 सीटें मिली थीं. इससे पहले जब 2004 और 2009 में देश में कांग्रेस की सरकार बनी तब भी बीजेपी को यहां क्रमश: 18 और  19 लोकसभा सीटें मिलीं. यानी खराब दौर में भी बीजेपी का यह गढ़ कायम रहा.

लेकिन सवाल यह है कि गठबंधन के बावजूद गढ़ कैसे बचेगा. ऐसे में 2014 में हुए लोकसभा चुनाव परिणाम का विश्लेषण करें, तो कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन विरोधाभासी असर डालता नजर आएगा. एक तरफ यह गठबंधन के वोट बैंक में खासी बढ़ोतरी दिखाएगा, तो दूसरी तरफ सीटों का इजाफा न के बराबर होगा.

क्या है कर्नाटक का लोकसभा का गणित
लोकसभा में कर्नाटक से 28 सीटें आती हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां बीजेपी को 17, कांग्रेस को 9 और जेडीएस को 2 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. तब बीजेपी को 43.37 फीसदी, कांग्रेस को 41.15 फीसदी और जेडीएस को 11.07 फीसदी वोट मिले थे. अगर कांग्रेस और जेडीएस के वोट जोड़ लें तो यह 52 फीसदी से अधिक हो जाता है.

पिछले लोकसभा चुनाव का परिणाम देखें, तो पता चलता है कि कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से सिर्फ मैसूर इकलौती लोकसभा सीट है, जहां अगर जेडीएस और कांग्रेस साथ आते तो बीजेपी के हाथ से यह सीट निकल जाती.

जेडीएस की इलाकाई ताकत बनी गठबंधन की कमजोरी
देखने में यह अजीब लग सकता है कि 52 फीसदी वोट पाने वाला गठबंधन बीजेपी को इतना कम नुकसान कैसे पहुंचा रहा है. इसे आंकड़ों से समझने से पहले जरा एक उदाहरण से समझें. कर्नाटक में जेडीएस मुख्य रूप से मैसूर और आसपास के इलाके की पार्टी है और उसका कोर वोटर वोक्कालिगा है. जेडीएस अपने कोर वोटर के साथ मुस्लिम वोटर को मिलाकर जीत हासिल करती हैं. जब इसका मुस्लिम वोटर कहीं और चला जाता है तो यह धरातल पर आ जाती हैं.

जेडीएस बीजेपी से लड़ती ही नहीं तो हराएगी कैसे
जेडीएस के साथ सबसे बड़ी बात यह है कि वह अपने प्रभाव वाले इलाके में कांग्रेस से ही मुकाबला करती है. दिलचस्प बात यह है कि इन इलाकों में बीजेपी का खास असर नहीं है. यानी अगर गठबंधन न हो तो इन इलाकों की सीटें कांग्रेस और जेडीएस के बीच बंटेंगी. वहीं गठबंधन हो गया तो दोनों पार्टियां राजीखुशी यही सीटें आपस में बांट लेंगी. चूंकि बीजेपी इस इलाके में है ही नहीं इसलिए उसे नुकसान होने का खास सवाल नहीं उठता.

उधर, जहां बीजेपी मजबूत है, वहां जेडीएस का मामूली असर है. इन इलाकों में जेडीएस के पास निर्णायक वोट नहीं है. ऐसे में गठबंधन होने के बावजूद वह बीजेपी से लड़ने में कांग्रेस की मदद नहीं कर सकती. यहां जो करना है कांग्रेस को अपने दम पर करना है.

9 लोकसभा सीट पर जेडीएस का असर, सीधी लड़ाई कांग्रेस से
पिछले लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की 28 में से जो 17 सीटें बीजेपी ने जीतीं, उनमें मैसूर सीट पर बीजेपी को 43.45 फीसदी, कांग्रेस को 40.73 फीसदी और जेडीएस को 11.95 फीसदी वोट मिले थे. यहां कांग्रेस और जेडीएस के वोट मिला लें तो कांग्रेस यह सीट बीजेपी से छीन सकती है. अगर बीजेपी की जीती बाकी सीटें देखें तो शिमोगा में जेडीएस को 21.49 फीसदी वोट मिले थे. यहां भी कांग्रेस और जेडीएस के कुल वोट मिलाकर बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा के वोटों का मुकाबला नहीं कर पाते. बीजेपी की जीती बाकी सीटों में जेडीएस कहीं भी इतने वोट नहीं पा सकी, कि उन्हें कांग्रेस के वोटों में जोड़ दिया जाए तो कांग्रेस जीत जाए.

जेडीएस ने जिन सीटों पर अच्छे वोट पाए वे थीं- चित्रदुर्ग, तुमकुर, बेंगलुरू रूरल, चिक्कबालपुर और कोलार. लेकिन ये सारी सीटें पिछले चुनाव में कांग्रेस ने ही जीती थीं. यानी इस सीटों पर गठबंधन का वोट तो बहुत बढ़ जाएगा, लेकिन सीटों की संख्या वहीं रहेगी. पिछले चुनाव में जेडीएस ने दो सीटें जीती थीं- हासन और मांड्या, लेकिन इन सीटों पर भी उसने बीजेपी नहीं, कांग्रेस को हराया था. इन सीटों पर बीजेपी का वोट इतना कम है कि वह कहीं रेस में ही नहीं है. इस तरह देखा जाए तो जेडीएस के प्रभाव वाली 9 में से 8 सीटें पहले ही गठबंधन के पास हैं. ले-देकर मैसूर ही बचती है, जिसका परिणाम गठबंधन बदलेगा.

खिसकता वोट बैंक है बीजेपी की असली चिंता
अब तक के विश्लेषण से इतना साफ है कि गठबंधन से वोट तो खूब बढ़ेंगे, लेकिन सीटें नहीं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बीजेपी को लोकसभा में कर्नाटक से झटका लगने की कोई आशंका नहीं है. दरअसल 2014 लोकसभा चुनाव में 43.37 फीसदी वोट पाने वाली बीजेपी 2018 के विधानसभा चुनाव में महज 36 फीसदी वोट पा सकी. इस तरह चार साल में बीजेपी ने 7 फीसदी से अधिक वोट गंवा दिया है.

बीजेपी के लिए सबसे बड़ी तकलीफ यह है कि यह वोट उसने कांग्रेस के हाथों गंवाया है. यानी बीजेपी के प्रभाव वाले इलाकों में जब कांग्रेस बीजेपी आमने-सामने आएंगी तो कांग्रेस 2014 की तुलना में बेहतर स्थिति में होगी. दूसरी तरफ कांग्रेस का वोट भी लोकसभा 2014 के 41.15 फीसदी से घटकर 2018 में 38 फीसदी रह गया है. लेकिन कांग्रेस के लिए राहत की बात यह है कि उसने अपना वोट बीजेपी नहीं, जेडीएस के हाथ गंवाया है.

जेडीएस को लोकसभा में 11 फीसदी वोट मिला था जो विधानसभा चुनाव में बढ़कर 18 फीसदी हो गया. यानी कांग्रेस जो गंवाएगी वह अपनी दोस्त जेडीएस के लिए गंवाएगी यानी कुल मिलाकर कोई घाटा नहीं है. जेडीएस के साथ एक बात और है कि क्षेत्रीय पार्टी होने के कारण हर बार विधानसभा में उसका वोट बढ़ जाता है और लोकसभा में घट जाता है. इसीलिए विधानसभा में वह 40 सीट तक पहुंच जाती है, जबकि लोकसभा में दो सीट से ऊपर नहीं बढ़ पाती.

ऐसे में यह उलझा हुआ गठबंधन बीजेपी के किले को वाकई ढहा पाएगा, ऐसा दिखाई नहीं देता.

“अगर मैं देशद्रोही हूं तो चुनाव कैसे लड़ रहा हूं?’’कन्हैया कुमार

इस बार का चुनाव पढ़ाई और कड़ाही के बीच की लड़ाई है: कन्हैया कुमार। कन्हैया कुमार के इस ब्यान के जो भी मतलब निकले जाएँ वह सिरे से निरर्थक होंगे। कन्हैया कुमार का मानना है की जनता की लड़ाई जनता के पैसे से ही होनी चाहिए, तो कोई उनसे पूछे की वह आज तक डॉ॰ की उपाधि क्यों नहीं ले पाये। जबकि जनता का ही पैसा था जिस पर वह सालों जेएनयू में ऐश करते रहे।
जिस शोध कार्य के लिए इनहोने लाखों रुपये लिए क्या वह पूरा हो गया है?
यदि वह पूरा हो गया है तो उसका कीनिया को क्या लाभ हुआ?
या उस शोध कार्य का भारत को क्या लाभ हुआ?
और अब चुनाव लड़ने के लिए तत्पर होना।

कुछ भी कहें कन्हैया पर यह इबारत बिलकुल ठीक बैठती है

‘तालीम है अधूरी, मिलती नहीं मजूरी’

ऐसा प्रतीत होता है की कन्हैया कुमार को सिर्फ जनता के पैसे पर जीने की आदत हो गयी है.

बेगूसराय: मौजूदा लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) में बिहार की बेगूसराय सीट पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को कड़ी टक्कर दे रहे जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाकपा उम्मीदवार कन्हैया कुमार ने इस मुकाबले को पढ़ाई और कड़ाही के बीच की लड़ाई करार दिया. उन्होंने कहा कि एक ओर तो पढ़-लिखकर अपना और देश का भविष्य बनाने के इच्छुक युवा हैं और दूसरी तरफ वे लोग हैं जो इन पढ़े-लिखे युवाओं से पकौड़े तलवाना चाहते हैं.

लोकतंत्र पर खतरा
एनसीईआरटी की नौवीं कक्षा की किताब से लोकतंत्र का पाठ हटाए जाने के संदर्भ में वह कहते हैं, ‘‘अगर हम चुप रहें तो कल पूरे देश से ही लोकतंत्र को हटा दिया जाएगा.’’ चुनाव में जेएनयू प्रकरण और देशद्रोह को मुख्य मुद्दा बनाये जाने पर कन्हैया कुमार का कहना है, ‘‘अगर मैं देशद्रोही हूं, अपराधी हूं, दोषी हूं… तो सरकार मुझे जेल में क्यों नहीं डाल देती? अगर मैंने कुछ गलत किया है तब सरकार कार्रवाई करे. अगर मैं देशद्रोही हूं तो चुनाव कैसे लड़ रहा हूं?’’

देशद्रोह के आरोप बेबुनियाद
कन्हैया कुमार ने कहा,‘‘मेरा चुनाव लड़ना ही इस बात का सबूत है कि देशद्रोह के आरोप बेबुनियाद हैं. जनता सब जानती है. लोग वास्तविक मुद्दों पर बात करना चाहते हैं लेकिन भाजपा मनगढ़ंत मुद्दों की आड़ में लोगों को बांट रही है क्योंकि उसके पास जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं है. पिछले पांच वर्ष में केंद्र सरकार ने कुछ भी ठोस नहीं किया इसलिए वह भ्रम फैला रही है.’’

भाकपा उम्मीदवार ने कहा कि साजिश करने वालों को देश की चिंता नहीं है बल्कि वे चाहते हैं कि ‘देश में न कोई बोले, ना सवाल करे.’ अपने चुनाव अभियान पर संतोष व्यक्त करते हुए कुमार ने कहा, ‘‘मैं, खुद को मिल रहे जनसमर्थन से उत्साहित हूं और मुझे अपनी सफलता का पूरा भरोसा भी है. राजनीतिक लड़ाई में सच्चाई और ईमानदारी हो तो जनता का सहयोग अपने आप मिलता है.’’

महागठबंधन का सवाल
यह पूछे जाने पर कि अगर पूरा विपक्ष मिलकर उन्हें अपना उम्मीदवार बनाता तो सीधी टक्कर होती, कुमार ने कहा, ‘‘भाजपा विरोधी मतों का विभाजन नहीं होगा… मुकाबला सीधा ही है.’’

राजनीति में प्रवेश संबंधी सवाल पर कन्हैया कुमार ने कहा ‘‘मैंने कुछ तय नहीं किया. संयोग और परिस्थितियां ही सब कुछ तय करती हैं. बेगूसराय में जन्म लेने के बाद मैंने सोचा नहीं था कि कभी दिल्ली जाऊंगा. दिल्ली पहुंच कर यह तय नहीं किया था कि जेएनयू जाऊंगा और छात्र संघ का अध्यक्ष बनूंगा. फिर मैं जेल भी गया. बेगूसराय से भाकपा उम्मीदवार बनना भी तय नहीं था.’’

चुनावी चंदे का मुद्दा
चुनावी चंदे के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ‘‘मेरा मानना है कि जनता की लड़ाई जनता के पैसे से हो. मेरा पूरा अभियान जनता के सहयोग से ही चल रहा है. वैसे भी, यह लड़ाई तो पढ़ाई और कड़ाही के बीच है- एक तरफ पढ़-लिखकर अपना और देश का भविष्य बनाने के इच्छुक युवा हैं तो दूसरी तरफ वे लोग हैं जो इन पढ़े-लिखे युवाओं से पकौड़े तलवाना चाहते हैं.’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए भाकपा नेता ने कहा कि वह हर दिन 20 घंटे काम करते हैं और देश बर्बाद हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि एअर इंडिया, बीएसएनएल, एचएएल के बाद अब भारतीय डाक विभाग की भी हालत खराब हो गई है और उसे करोड़ों रुपये का घाटा हुआ है.

बेगूसराय का गणित
कभी कांग्रेस का गढ़ रही बेगूसराय सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा के भोला सिंह ने राजद के तनवीर हसन को 58,335 मत से हराया था. भाकपा के राजेंद्र प्रसाद सिंह 1,92,639 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे.

उससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू के मोनाजिर हसन ने इस सीट पर भाकपा के कद्दावर नेता शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को पराजित कर कब्जा जमाया था. वहीं 2004 में जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कांग्रेस की कृष्णा शाही को हराया था. इस सीट पर कांग्रेस ने अब तक आठ बार जीत दर्ज की है जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की.

बेगूसराय लोकसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 19,53,007 है जिनमें 10,38,983 पुरुष और 9,13,962 महिला मतदाता हैं. इस सीट पर भूमिहार मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. इसके बाद मुसलमान, कुशवाहा, कुर्मी तथा यादव मतदाता हैं.

बिहार का लेनिनग्राद
‘बिहार का लेनिनग्राद’ और ‘लिटिल मॉस्को’ कहलाने वाला बेगूसराय गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर बसा है. इस लोकसभा सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कन्हैया कुमार का मुकाबला भाजपा के भूमिहार नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तथा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एवं महागठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन से है. गिरिराज सिंह के बारे में कुमार ने कहा कि आम लोगों को उनके मंत्रालय तक का पता नहीं है और वे केवल अनाप-शनाप बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं.

शत्रु ने प्रमोद किशन को लखनऊ में ‘खामोश’ किया

लखनऊ में प्रचार करने पर विवाद, शत्रुघ्न बोले – मुझे पार्टी प्यारी है लेकिन परिवार पहले

अभिनेता सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा ने गुरुवार को लखनऊ लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया. इस दौरान उनके पति शत्रुघ्न सिन्हा ने चुनाव प्रचार किया लेकिन यह बात कांग्रेस प्रत्याशी आचार्य प्रमोद कृष्णम को रास नहीं आई. शत्रुघ्न ने भी बागी तेवर दिखाते हुए कहा कि परिवार को सपोर्ट करना मेरा कर्तव्य है.   

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अभिनेता सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा ने गुरुवार को लखनऊ लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया. इस दौरान उनके पति शत्रुघ्न सिन्हा भी मौजूद रहे. शत्रुघ्न ने अपनी पत्नी के लिए लखनऊ में चुनाव प्रचार भी किया लेकिन यह बात कांग्रेस प्रत्याशी आचार्य प्रमोद कृष्णम को रास नहीं आई. उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए शत्रु को पार्टी धर्म निभाने की नसीहत दे डाली. शत्रुघ्न कहां चुप रहने वाले थे. उन्होंने भी बागी तेवर दिखाते हुए कहा कि परिवार को सपोर्ट करना मेरा कर्तव्य है. 

उधर, प्रमोद कृष्णम ने कहा, “शत्रुघ्न सिन्हा जी ने यहां आ करके अपना पति धर्म निभाया है, लेकिन मैं शत्रु जी यह कहना चाहूंगा कि पति धर्म उन्होंने आज निभा दिया, लेकिन एक दिन मेरे लिए प्रचार करके वो पार्टी धर्म निभाएं.”

लखनऊ में उलझे सियासी समीकरण
शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी से बगावत कर हाल ही में कांग्रेस का दामन थामा है. इतना ही नहीं पटना साहिब से कांग्रेस के उम्मीदवार भी हैं. उधर, उनकी पत्नी सपा की सदस्यता लेकर लखनऊ से चुनाव मैदान में हैं. यूपी में कांग्रेस – सपा के बीच गठबंधन न होने से दोनों पार्टी के नेता असहज महसूस कर रहे हैं.

लखनऊ से केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह दोबारा मैदान में है. देखना होगा कि शत्रुघ्न सिन्हा को लेकर कांग्रेस हाईकमान क्या रुख अपनाता है. वैसे जिस तरह से शत्रुघ्न ने पलटवार किया है, उससे साफ है कि आने वाले वक्त में वह पूनम सिन्हा के लिए प्रचार करना नहीं छोड़ेंगे. 

बीजेपी का अभेद दुर्ग है लखनऊ 
लखनऊ को बीजेपी का अभेद दुर्ग कहा जा सकता है. पिछले 28 साल से बीजेपी का इस सीट पर कब्जा है. बीजेपी 1991 से इस सीट पर काबिज है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यह परंपरागत सीट रही है. बाजपेयी ने 1991, 1996,1998,1999 और 2004 का लोकसभा चुनावों इस सीट से जीते. 2009 में लाल जी टंडन को बीजेपी ने यहां से उतारा, उन्हें भी जीत मिली. 2014 में राजनाथ सिंह इस सीट से भारी मतों से जीते. अब सिंह इस सीट से दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं.