काश्मीर के रास्ते आपना फायदा ढूंढती कांग्रेस


कांग्रेस ने सिर्फ कश्मीर का हित नहीं देखा है. बल्कि लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक दाव चला है


जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया है. इस फैसले की आलोचना हो रही है. पीडीपी, कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस पहली बार एक साथ आ रहे थे. गवर्नर के फैसले के बाद ये सभी दल हतप्रभ हैं. अब ये दल बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार के इशारे पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को रोका गया है.

PDP का रवैया ज्यादा तल्ख है. राज्यपाल के रवैये से नाराज़ पीडीपी की नेता ने कहा कि बीजेपी के नेता उनकी पार्टी को तोड़ने का प्रयास कर रहे थे, जब इसमें कामयाबी नहीं मिली तो केंद्रीय एजेंसियों का डर दिखाया गया, अब जब सरकार बनने जा रही थी तो बीजेपी ने राज्यपाल के ज़रिए ये फैसला करा दिया है.

कश्मीर के इस राजनीतिक शह मात में कांग्रेस को कामयाबी मिली है. कांग्रेस ने बीजेपी के बरअक्स ये साबित करने का प्रयास किया है कि वो राज्य में चुनी हुई सरकार को तरजीह दे रही थी. वहीं कांग्रेस ने पीडीपी के साथ जो तल्खी थी वो भी कम कर ली है. एनसी के साथ कांग्रेस के रिश्ते पहले से ही ठीक थे.

अब इस फैसले से कांग्रेस ने एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी दिया है. कर्नाटक के बाद कश्मीर में भी कांग्रेस बीजेपी को रोकने के लिए कुर्बानी दे रही थी. इससे छोटे दलों को लोकसभा चुनाव से पहले एक मैसेज है कि कांग्रेस सब को साथ लेकर चलने के लिए तैयार है.

कई दौर की मंत्रणा के बाद फैसला

जम्मू कश्मीर में बीजेपी के समर्थन वापसी के बाद से ही कांग्रेस में कशमकश चल रही थी. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के यहां कई दौर की बैठक भी हुई, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए, कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि राजनीतिक हित की जगह कश्मीर के हित में फैसला लिया गया कि वहां घाटी की सबसे बड़ी पार्टियों के साथ ही जाना चाहिए.

इन बैठकों में कांग्रेस के राज्य के नेताओं के साथ बातचीत की गई, इसके अलावा जो लोग कश्मीर के बारे में जानकार हैं उनसे भी राय मशविरा किया गया था. कांग्रेस पहले भी राज्य में पीडीपी और एनसी को सरकार बनाने के लिए समर्थन दे चुकी है, इसलिए फैसला लेना मुश्किल नहीं था.

 

कांग्रेस का राजनीतिक दाव

कांग्रेस ने सिर्फ कश्मीर का हित नहीं देखा है. बल्कि लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक दाव चला है. कांग्रेस ने ये दिखाने की कोशिश की है कि जब कांग्रेस पीडीपी और एनसी को साथ ला सकती है, तो लोकसभा चुनाव में रीजनल पार्टियों को इकट्ठा कर सकती हैं. जिस तरह से दो दल साथ आए हैं उसको कांग्रेस उदाहरण के तौर पर पेश कर सकती है. जो रीजनल पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ हैं, वो भी कांग्रेस के साथ आ सकती हैं. यही नहीं कांग्रेस ये भी दिखाने का प्रयास कर रही है कि सत्ता पाना महत्वपूर्ण नहीं है जितना बीजेपी को सत्ता में आने से रोकना है.

बीजेपी बनाम कांग्रेस

बीजेपी 2014 के बाद जिस तरह से मजबूत हुई है. उससे सहयोगी दलों के प्रति बीजेपी का रवैया बदला है. कश्मीर में पीडीपी से अलग होने का फैसला अचानक लिया गया था. इस तरह टीडीपी के साथ बीजेपी ने रिश्ता निभाने का प्रयास नहीं किया है. बल्कि टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस के साथ नज़दीकी बढ़ाई गई. यही हाल बिहार में आरएलएसपी के साथ हो रहा है. शिवसेना भी नाराज़ चल रही है. एआईडीएमके में टूट का आरोप भी बीजेपी पर है, लेकिन इन सब मुद्दों पर बीजेपी बेपरवाह नज़र आ रही है.

इस तरह का रवैया पहले मज़बूत कांग्रेस का रहता था. कांग्रेस पर कभी सहयोगी दलों को ही तोड़ने का आरोप लगाया जाता था. कांग्रेस के बारे में ये कहा जाता था कि जो नज़दीक गया उसका राजनीतिक वजूद खत्म हो जाता था. राजनीतिक बाज़ी उलट गयी है. अब यही आरोप बीजेपी पर लग रहा है. जो काम पहले अटल बिहारी वाजपेयी के समय बीजेपी करती थी वो अब कांग्रेस करने लगी है.

90 के दशक में बीजेपी ने शिवसेना की सरकार का समर्थन किया. ममता बनर्जी और नीतीश कुमार को पूरा सहयोग दिया. नेशनल कॉन्फ्रेंस को भी एनडीए के साथ रखा गया, डीएमके एनडीए की सहयोगी बनी रही, ओडिशा और आन्ध्र में नवीन पटनायक और टीडीपी के काम में कोई दखल नहीं दिया गया. यूपी में मुलायम सिंह की सरकार को बनवाने में बीजेपी की अहम भूमिका थी.

अब ये काम कांग्रेस कर रही है, कर्नाटक में जेडीएस का समर्थन, कश्मीर का फैसला सब यही दर्शाता है कि कांग्रेस गठबंधन को लेकर बीजेपी की नीति पर चल रही है. वही बीजेपी पुराने कांग्रेसी ढर्रे पर चल रही है.

महागठबंधन का एजेंडा

कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के सामने बड़ा गठबंधन खड़ा करने की कोशिश कर रही है. हालांकि अभी कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है. लेकिन कश्मीर का फैसला कांग्रेस की राह आसान कर सकता है.

उत्तर भारत में कई राज्यों का चुनाव चल रहा है, इसमें कांग्रेस को महागठबंधन बनाने में कामयाबी नहीं मिली है. कांग्रेस को गंभीरता से इस ओर ध्यान देने की ज़रूरत है. हालांकि कई बड़े दल का साथ मिला है. कर्नाटक में जेडीएस का साथ मिला है जिसका अच्छा नतीजा उपचुनाव में देखने को मिला है.

टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू भी कांग्रेस के साथ हैं, जिसका नतीजा तेलंगाना चुनाव के बाद पता चलेगा. लेकिन टीडीपी के मुखिया कई सरकारों का सहयोग कर चुके हैं. 1996 में जनता दल की सरकार और बाद में एनडीए की सरकार के संयोजक भी थे. बीजेपी से हाल फिलहाल में ही अलग हुए हैं. कांग्रेस को साउथ में साथी मिल गए हैं, आंध्र और तेलंगाना में टीडीपी, कर्नाटक में जेडीएस, तमिलनाडु में डीएमके और केरल में यूडीएफ चल रहा है.

महाराष्ट्र में एनसीपी के साथ सीटों के तालमेल पर बातचीत जारी है. कांग्रेस के नज़रिए से अच्छा हल निकलने की उम्मीद है. लेकिन कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में है.

 

कांग्रेस की चुनौती

कांग्रेस की बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश में है. जहां से लोकसभा की 80 सीट है. बीजेपी और सहयोगी दल के पास 73 सीट हैं. कांग्रेस के सामने परेशानी है कि एसपी-बीएसपी के प्रस्तावित गठबंधन में शामिल होने के लिए दोनों दलों को मनाए, ऐसा हो जाने पर सम्मानजनक सीट हासिल करने का सिर दर्द है. कांग्रेस के लिए यूपी में अपने सभी बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाने के लिए सीटों की दरकार है.

दिल्ली में कांग्रेस तय नहीं कर पा रही है कि आप से कोई तालमेल करना है या अकेले लड़ना है. पार्टी के केंद्रीय नेताओं और राज्य के नेताओं के बीच मतभेद है. राज्य के नेता अकेले लड़ने के पैरोकारी कर रहे हैं. हालांकि बिहार में कांग्रेस का गठबंधन आरजेडी के साथ है, लेकिन इसमें आरएलएसपी या लोक जनशक्ति पार्टी के तड़के की ज़रूरत है.

कांग्रेस की सबसे बड़ा सिरदर्द बंगाल है. जहां टीएमसी और लेफ्ट को एक साथ लेकर चलना आसान नहीं है. हालांकि राज्य में बीजेपी की ताकत बढ़ रही है लेकिन दोनों दल आमने सामने है. ऐसे में टीएमसी की नेता को लेफ्ट के साथ लाना मुश्किल काम है. कश्मीर फॉर्मूला कितना कारगर होगा ये कयास लगाना आसान नहीं है

वहीं असम में बीजेपी मजबूत है. बीजेपी को हराने के लिए एआईयूडीएफ का साथ ज़रूरी है. लेकिन असम में इस गठबंधन को पार लगाने के लिए तरुण गेगोई को बैकसीट पर रखना ज़रूरी है. हालांकि जिस तरह राहुल गांधी तरुण गोगोई के साथ हैं उससे ये फैसला लेना आसान नहीं है.

कांग्रेस की मजबूरी

कांग्रेस की मजबूरी है कि उत्तर भारत के तकरीबन 175 सीटों पर बीजेपी के मुकाबले रीजनल पार्टियां हैं, कांग्रेस इन्हीं दलों के आसरे पर है. बीजेपी धीरे-धीरे ओडिशा और बंगाल में पैर पसार रही है. रीजनल पार्टियों और कांग्रेस का वोट बैंक एक समान है इसलिए तालमेल में परेशानी हो रही है

अधिकारी स्वच्छता अभियान को जनभागीदारी के साथ मिलकर एक अभियान के रूप में चलाकर इसे सफल बनाएं और हरियाणा को स्वच्छ और सुंदर बनाएं

डीगढ़, 21 नवंबर-

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि अधिकारी स्वच्छता अभियान को जनभागीदारी के साथ मिलकर एक अभियान के रूप में चलाकर इसे सफल बनाएं और हरियाणा को स्वच्छ और सुंदर बनाएं। इसके साथ ही सर्दियों के मौसम को देखते हुए सडक़ों पर साइन, सिगनल और रिफलेक्टर की व्यवस्था को दूरूस्त करें ।

मुख्यमंत्री आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला उपायुक्तों की बैठक ले रहे थे। बैठक में स्वच्छता अभियान-शहरी, बकाया बिल निपटान योजना, उज्जवला योजना, शिवधाम नवीनीकरण योजना और रोड सेफ्टी जैसे विषयों पर समीक्षा की गई।

मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि स्वच्छता अभियान को पूर्णत: सफल बनाने के लिए नए-नए प्रयोग अमल में लाएं। जिला स्तर पर एक स्वच्छता कमेटी बनाएं जिसकी अध्यक्षता डीसी करेंगे और शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारी और शहर के कुछ नागरिकों को इसका सदस्य बनाएं और कमेटी के सदस्य हर सडक़ का निरीक्षण करेंगे कि सडक़ पर कहीं कोई गदंगी का ढेर न हो। इसके साथ ही जिला स्तर पर स्वच्छता कोष भी बनाएं ताकि कमेटी द्वारा छोटे-छोटे कामों को जल्द पूर्ण किया जाए।

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि आने वाले महीनों में धुंध का प्रकोप होगा उससे पहले सडक़ों पर साइन बोर्ड, सिगनल और रिफलेक्टरों की व्यवस्था को सुनिश्चित करें ताकि जान-माल का किसी भी तरह का कोई नुकसान न हो। इसके साथ ही समय रहते रैन बसेरों की व्यवस्था अभी से करनी प्रारंभ कर दें।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि सभी जिला पूरी तरह से अपनी तैयारी कर लें। एक महीने में एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा जिसमें से सभी शहरों में से सबसे स्वच्छ शहर को प्रथम पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों को इस अभियान से जोड़े और स्वच्छता यात्रा निकलवाएं जिससे बच्चे भी स्वच्छता के प्रति जागरूक हों और समाज में भी जागरूकता आए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि धूल मिट्टी को उडऩे से रोका जाए और जहां निर्माण कार्य हो उन्हें दिशा-निर्देश दिये जाएं कि वे उस स्थान पर पानी का छिडक़ाव करें।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि जहां जल भराव होता है या गडढ़े हैं या कीचड़ जैसी समस्याएं है उन्हें भी भरा जाए जिससे न केवल स्वच्छता में लाभ होगा बल्कि सडक़ों पर होने वाले हादसों

आँगन बाड़ी के कर्मचाइयों की समस्याओं का समाधान ढूँढने की कोशिश में मंत्रालय

चण्डीगढ़, 21 नवंबर :

हरियाणा की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती कविता जैन ने प्रदेश के सभी आंगनवाड़ी सुपरवाईजरों, बाल विकास परियोजना अधिकारियों तथा जिला कार्यक्रम अधिकारियों को प्रत्येक सप्ताह दो दिन अलग-अलग आंगनवाड़ी सेंटरों में स्वच्छता की जांच करने और रिपोर्ट फोटो सहित विभागीय वाट्सअप ग्रुप में डालने के निर्देश दिये। इसके अतिरिक्त, उन्होंने मदर ग्रुप्स की महिलाओं के मेहनताने को सीधे उनके बैंक खातों जमा करवाने के निर्देश भी दिए।

श्रीमती जैन ने आज यहां अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में आंगनवाड़ी केंद्रों में खाना बनाने वाली मदर-ग्रुप्स, आंगनवाड़ी वर्कस और हैल्पर्स के समक्ष आने वाली विभिन्न समस्याओं और उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्व विचार विमर्श किया। उन्होंने कहा कि ग्राम स्तरीय कमेटियां मदर ग्रुप्स की महिलाओं के कार्य का प्रबंधन कार्य करती रहेंगी।

उन्होंने बताया कि अधिकारियों को सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में गैस कनेक्शन उपलब्ध करवाने और उन्हें रियायती दरों पर गैस सिलेंडर दिलवाने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को विभागीय गतिविधियों का एक कलेण्डर तैयार करने और विभाग की योजनाओं के लाभार्थियों की सूचना वेबसाइट पर डालने के निर्देश दिये।

श्रीमती जैन ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि आंगनवाड़ी वर्करों को समय पर रिटायरमेंट लाभ देने के लिए उनके केसों को एक महीने पहले ही जीवन बीमा निगम को भेजें और यदि किसी प्रकार की कोई अड़चन आती है तो उसे समय पर दूर किया जाये।

अगर मुस्लिम बूथों पर 90 फीसदी वोटिंग नहीं हुई तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है: कमलनाथ


कमलनाथ ने कहा कि पिछले चुनावों का पोस्टमार्टम करना बहुत जरूरी है


एमपी में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वह कहते हुए दिख रहे हैं कि अगर मुस्लिम बूथों पर 90 फीसदी वोटिंग नहीं हुई तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है. वीडियो को देखकर लग रहा है कि वह मुस्लिम सुमदाय के लोगों के साथ मीटिंग कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पिछले चुनावों का पोस्टमार्टम करना बहुत जरूरी है. पिछले चुनावों में मुस्लिम बूथ पर केवल 50 से 60 फीसदी ही वोटिंग हुई इसलिए हमें सुनिश्चित करना होगा कि 90 फीसदी वोट क्यों नहीं पड़ रहे हैं.

कमलनाथ के वायरल वीडियो पर सियासी गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई है. बीजेपी ने कमलनाथ पर आरोप लगाया है कि वह दंगा फैला सकते हैं. इसके अलावा बीजेपी ने यह भी कहा है कि कमलनाथ मुस्लिम वोटरों को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं.

यह पहली बार नहीं है जब कमलनाथ के बयान पर बवाल हुआ हो. इससे पहले कमलनाथ ने कहा था कि महिलाओं को कोटा और सजावट के आधार पर टिकट नहीं दिया जाता. वहीं अधिकारियों को धमकाने वाला बयान भी कमलनाथ के लिए मुसीबत बना था.

हालांकि सोशल मीडिया पर कमलनाथ का जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसकी पुष्टि करना मुश्किल है. बीजेपी इस वीडियो को लेकर हमलावर हो रही है लेकिन कांग्रेस की ओर से अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है.

After the Governor dissolve the assembly, ‘Undemocratic,’ cry Jammu and Kashmir politicians


  • PDP, NC and Congress have come together form a coalition govt in J&K

  • Sajad Lone’s People’s Conference has staked claim to form the govt with BJP

  • The Governor has now dissolved the J&K Assembly


Jammu and Kashmir governor Satya Pal Malik late Wednesday evening ordered the dissolution of state Assembly, paving the way for fresh elections. This move came hours after former chief minister Mehbooba Mufti and People’s Conference chairman Sajjad Gani Lone both staked a claim to form the government. In a press communiqué, the governor said he was ordering the dissolution of Assembly through the powers vested in him under Section 53 of the Constitution of Jammu and Kashmir.

As per the communiqué issued by the governor it was noted, “In exercise of the powers conferred under clause (b) of sub-section (2) of section 53 of the constitution of Jammu and Kashmir the Governor was dissolving the Legislative Assembly. By virtue of the powers vested upon me in terms of proclamation no: P1/18 of 2018 dated 20 June 2018 issued under sub-section (1) of section 92 and in exercise of the powers conferred upon me by clause (b) of sub-section (2) of section-53 of the constitution of Jammu and Kashmir, I hereby dissolve the Legislative Assembly.”

The Assembly was under suspended animation after BJP pulled support from the PDP and brought Mehbooba’s government. The two coalition partners had major differences, including the state’s constitutional position and the “way the militancy could be tackled.” The BJP has accused PDP of being soft towards “stone pelters” and was seeking abrogation of the state law that bars outsiders from owning property or contesting elections.

The PDP chief earlier wrote to the governor staking a claim to form the government. In a letter addressed to Malik, she said the PDP, with the support of NC and Congress, will form the government. However, during the day Lone also the governor a letter claiming the support of BJP and 18 other MLAs for formation of a government.

In the 87-member legislative Assembly, the PDP, Congress and NC have respectively the strength of 28, 12 and 15 MLAs. The strength of BJP in the Assembly was 25 while as Lone had 2 MLAs. Forty-four MLAs were required for an absolute majority and to form the government. Lone was seeking to cobble together a third front with PDP MP and former deputy chief minister Muzafar Hussain Baigh. Some PDP MLAs, including former minister Imran Ansari, and Zadibal MLA Abid Ansari openly criticised Mehbooba for “promoting favouritism in the party.”

With the dissolution of the Assembly, the governor would have to order polls within six months. Although the government conducted municipal polls and has already held two phases of panchayat polls, most wards were returned uncontested. Both the NC and PDP boycotted the polls against what they termed as “efforts to abrogate Article 35-A” of the Constitution which deprives outsiders from owning property in Jammu and Kashmir.

Mehbooba also tweeted that the fax at the Raj Bhawan was not working. Mehbooba said that she was trying to contact the governor on phone, but he was unavailable. Officials at the Raj Bhawan remained unavailable for comment.

The order to dissolve the Assembly evoked a sharp reaction in Kashmir. Former chief minister Omar Abdullah wrote on Twitter, “JKNC has been pressing for dissolution for 5 months now. It can’t be a coincidence that within few minutes of Mehbooba Mufti’s letter staking claim the order to dissolve the Assembly suddenly appears.” He earlier tweeted, “J and K Raj Bhawan needs a new fax machine urgently.”
Peoples Democratic Front (PDF) chairman Hakeem Yaseen said the dissolution of the Assembly was an “undemocratic exercise.” He added, “The governor should have allowed the parties to prove the majority in the legislative Assembly.” Earlier in the day, Yaseen said he was ready to support the PDP, NC and Congress combine.

Former chief minister Ghulam Nabi Azad called the meeting of the Congress leaders on Friday to “discuss the modalities for the government formation in the state.” Senior PDP leader Altaf Bukhari also met Omar before Mehbooba wrote the letter staking the claim to form the government.

आतंकी हैप्पी पी॰ एच॰ डी ने कारवाई थी निरकारी भवन वाली वारदात

CHANDIGARH:

अमृतसर के राजा सांसी में स्तिथ निरंकारी भवन में धमाका करने की साज़िश खालिस्तान लिबरेशन फ़ोर्स द्वारा पाकिस्तान में बैठ कर रची गयी थी। हमले का मास्टरमाईंड आतंकी हैप्पी पी एच डी है। हैप्पी ने घटना को अंजाम देने के लिए स्थानीय बेरोज़गार युवकों को चुना।

चंडीगढ़ में मीडिया से बातचीत करते हुए सी एम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बताया कि पकड़ा  गया युवक बिक्रमजीत सिंह निवासी धारीवाल घटना वाले दिन  अपने साथी अवतार सिंह के साथ आया था। बंब अवतार सिंह द्वारा फेंका गया था जो कि अभी तक पकड़ा नहीं गया है। इस दौरान कैप्टन ने दोनों अपराधियों की तस्वीर भी जारी की। कैप्टन के अनुसार उक्त दोनों युवकों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।

आतंकी  हैप्पी  द्वारा पैसे का लालच दे कर साफ़ छवि वाले युवकों को इस घिनौने काम की ज़िम्मेवारी दी गयी।

दिल्ली में घुसे जैश-ए-मोहम्मद के 2 आतंकी, पुलिस ने किया हाई अलर्ट


 

नई दिल्ली, 20 नवंबर (एजेंसी)।अमृतसर विस्फोट के दो दिन बाद दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को जैश ए मोहम्मद के दो संदिग्ध आतंकियों की तस्वीर जारी करते हुए राजधानी को हाई अलर्ट कर दिया। पुलिस के मुताबिक, ये दोनों संदिग्ध गुर्गे राजधानी में हमले को अंजाम दे सकते हैं।

पुलिस ने बताया कि दोनों की तलाशी के लिए गेस्ट हाउस, होटल्स और उन पेइंग गेस्ट को खंगाला जा रहा है जहां पर विदेशी छात्र रहते हैं। साथ ही, दिल्ली के सभी प्रवेश द्वार कड़ी नजर रखी जा रही है। दोनों संदिग्ध आतंकियों की तस्वीरें शहर के कई जगहों पर लगा दी गई है और सोशल मीडिया पर भी उसे शेयर कर दिया गया है।

दिल्ली पुलिस ने जो फोटो जारी किया है उसमें दो शख्स एक पत्थर के पास खड़े दिख रहे हैं जिस पर लिखा है फिरोजपुर 9 किलोमीटर और दिल्ली 360 किलोमीटर। पंजाब का फिरोजपुर अमृतसर से 133 किलोमीटर दूर है जहां पर रविवार को एक धार्मिक स्थल पर दो बाइक सवारों की तरफ से फेंके गए हैंड ग्रेनेड में तीन लोगों की मौत हो गई थी और 20 लोग घायल हुए थे।

गौरतलब है कि इससे पहले पंजाब में भी आतंकियों के घुसने की खुफिया जानकारी मिली थी।
उधर, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आईजीआई एयरपोर्ट से मंगवार को हिजबुल मुजाहिद्दीन के उस खूंखार आतंकी को गिरफ्तार कर बड़ी कामयाबी हासिल की है, जिसकी जम्मू पुलिस की सीआईडी यूनिट में काम करने वाले एसआई की हत्या मामले में तलाश थी। पुलिस के हत्थे चढ़ा यह आतंकी जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सब इंस्पेक्टर इम्तियाज मीर की हत्या में आरोपी है। पुलिस के मुताबिक आरोपी ने अपनी गर्लफ्रेंड के जरिये ही उसने एसआई की लोकेशन की जानकारी हासिल कर हिजबुल मुजाहिद्दीन के अपने साथियों को दी थी, जिसके बाद उसे अगवा कर मार डाला गया था।

बेरोजगारों की जेब पर 63 करोड़ से ज्यादा की लूट,फिर भी सरकार नही देती उपयुक्त सुविधाए : विजय बंसल


करोड़ो लूटे युवाओ से-फिर भी सुविधाए नही, परीक्षार्थियों को करना पड़ता है काफी दिक्कतों का सामना, 200 किमी दूर परीक्षा केंद्रों पर आने के बावजूद उपयुक्त सुविधाए नही


हरियाणा सरकार के हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने प्रदेश के बेरोजगार युवाओ की जेब पर डाका डालने का काम किया है , जिसमे प्रमुख रूप से युवाओ से परीक्षाओं के नाम पर चार साल में 63 करोड़ 36 लाख 62 हजार 295 रुपये की राशि तो 64526 रिक्त पदों की परीक्षाओं के लिए लेली परन्तु युवाओ को परीक्षा केंद्रों पर व आने जाने के लिए तथा अन्य उपयुक्त सुविधाए मुहैया करवाने में सरकार विफल साबित रही।हरियाणा सरकार में पूर्व चेयरमैन रहे व हरियाणा किसान कांग्रेस के प्रदेशउपाध्यक्ष विजय बंसल ने सरकार द्वारा युवाओ की जेब पर डाका डालने वाली इस नीति की कड़ी शब्दो मे निंदा करी है।विजय बंसल ने कहा कि सरकार द्वारा परीक्षा केंद्र 200-200 किमी दूर बनाए गए, पद के अनुसार प्रश्न नही बनाए जबकि बन्सल ने मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को ज्ञापन भेज कर मांग करी है कि युवाओ के लिए विशेष रूप से बेहतर व उपयुक्त यातायात सुविधाए मुहैया करवाई जाए, परीक्षार्थियों के लिए खान-पान व रहन-सहन की सुविधाएं मुहैया करवाई जाए ताकि कोई अप्रिय घटना न घट सके और रहने के लिए युवाओ को भटकना न पड़े।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस छात्र संगठन,एनएसयूआई के आरटीआई सेल के राष्ट्रीय कॉर्डिनेटर दीपांशु बंसल द्वारा प्राप्त सूचना के आधार पर खुलासा किया गया है कि चार वर्षो में सरकार के हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 63 करोड़ 36 लाख 62 हजार 295 रुपये की राशि 64 हजार 526 रिक्त पदों को भरने के लिए इकट्ठी करी है जिसमे वर्ष 2015 में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 36 करोड़ 24 लाख 22 हजार 942, 2016 में 8 करोड़ 58 लाख 88 हजार 359 रुपये, 2017 में 17 करोड़ 47 लाख 17 हजार 717 व 2018 में जुलाई से पूर्व तक 96 लाख 33 हजार 277 रुपए की राशि एकत्रित करी जबकि परीक्षार्थियों के आवेदन के खर्चे के लिए एचकेसीएल को 13 करोड़ 50 लाख 54 हजार 925 रुपये तथा सी-डीएसी मोहाली को 8 करोड़ 18 लाख 57 हजार 136 रुपये खर्च किया गया ,जिसमे कुल मिलाकर 21 करोड़ 69 लाख 12 हजार 61 रुपये ही खर्च किया गया।
विजय बंसल ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा युवाओ से करोड़ो की राशि मे आवेदन शुल्क तो लिया जाता है परन्तु युवाओ के लिए उपयुक्त सुविधाए मुहैया नही करवाई जाती जिससे न केवल बेरोजगार युवाओ का आर्थिक शोषण होता है बल्कि सरकार की युवाओ के प्रति सवेंदना पर भी शक जाता है।सरकार ने न तो रोजगार दिया है, न ही बेरोजगारी भत्ता बल्कि आवेदन के नाम पर प्रदेश के युवाओ से करोड़ो रुपये ठग लिए और सुविधाए मुहैया नही करवाई।

केजरीवाल को शहीद के घर आने से भी रोकेंगे क्या खट्टर-जयहिन्द


– एक बार रोका है 10 बार आयेंगे केजरीवाल, दूसरी बार रोका तो 20 बार करेंगे जनसभाएं – जयहिन्द
-कांग्रेस व इनेलो के पोस्टर क्यों नही फाड़ती खट्टर सरकार – जयहिन्द


चंडीगढ़, 20 नवंबर:

आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयहिन्द ने मंगलवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल बुधवार को सोनीपत में शहीद नरेंद्र दहिया के घर उसके परिजनों से मुलाकात करके उन्हें एक करोड़ रुपए की सहायता राशि देना चाहते हैं। अब हरियाणा के मुख्यमंत्री पहले ही स्पष्ट करें कि क्या वह फिर से भाजपा कार्यकर्ताओं के माध्यम से केजरीवाल का रास्ता रोकने का प्रयास करेंगे। मोदी के दौरे के दौरान भी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को रोका गया है |

नवीन जयहिन्द ने कहा कि हरियाणा सरकार ने हमें करनाल में जनसभा करने से रोका लेकिन अब करनाल ही नहीं बल्कि हरियाणा के सभी दस लोकसभा क्षेत्रों में जनसभाओं का आयोजन किया जाएगा। एक बार रोका तो 10 बार आयेंगे केजरीवाल, दूसरी बार रोका तो 20 बार जनसभा करने आयेंगे केजरीवाल| उन्होंने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री 24 नवंबर को गुरुग्राम, दो दिसंबर को फरीदाबाद, तीन दिसंबर को नारनौल व नौ दिसंबर को करनाल में जनसभाओं को संबोधित करेंगे।

आम आदमी पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि हरियाणा में स्कूल व अस्पताल बेहद दयनीय स्थिति में है। इस मुद्दे पर हरियाणा की भाजपा सरकार पूरी तरह से बेनकाब हो चुकी है। दस लोकसभा क्षेत्रों में होने वाली जनसभाओं के दौरान यहां के लोगों स्कूलों व अस्पतालों की दयनीय हालत से रूबरू करवाते हुए दिल्ली के सरकारी स्कूलों व मोहल्ला क्लीनिक देखने का न्यौता दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इतनी घटिया राजनीति पर उतर चुकी है कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी द्वारा लागए जा रहे बोर्ड, होर्डिंग व पोस्टरों को भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा फाड़ा जा रहा है, लेकिन आम आदमी पार्टी प्रदेश के लोगों को दिलों में बस चुकी है और भाजपा को बेनकाब करने का काम कर रही है। नवीन जयहिन्द ने सवाल उठाया कि कांग्रेस व इनेलो के पोस्टर कही नही फाड़े जाते है | इससे सीबीआई( कांग्रेस , भाजपा, इनेलो) का गुप्त गठ्बन्धन उजागर होता है | आम आदमी पार्टी भाजपा को पूरी तरह से बेनकाब कर रही है वही इनेलो व कांग्रेस पूरी तरह से चुप है | हरियाणा के लोगों को भाजपा की असलीयत पता लग गई है कि इन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर प्रदेश के लोगों को सिर्फ गुमराह किया है।

प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयहिन्द के साथ प्रदेश प्रवक्ता विशाल खुब्बर , प्रदेश सह-सन्गठन मंत्री अजय गौतम , करनाल लोकसभा अध्यक्ष बीके कौशिक , करनाल लोकसभा संगठनमंत्री अनूप संधू व कुरुक्षेत्र लोकसभा संगठन मंत्री इंजीनियर सुखवीर चहल उपस्थित रहे |

रंजीता मेहता के खिलाफ दुष्प्रचार करने वाले सतीश कुमार वोहरा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

 

सोशल मीडिया पर हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष व प्रवक्ता रंजीता मेहता के खिलाफ दुष्प्रचार करने वाले सतीश कुमार वोहरा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज ।

धारा 506,499,500 के अंतर्गत वोहरा पर कोर्ट के आदेश से दर्ज हुआ था केस ।

रंजीता मेहता के वकील उदित मेहंदीरत्ता ने कोर्ट में दिए कई साक्ष्य…

सतीश कुमार वोहरा पर उत्तरप्रदेश, हिमाचल ,चंडीगढ़ में काफी लोगों से पहले भी ठगी के हैं कई आरोप ।

रंजीता मेहता को धमकी देने के आरोपों का भी दिया साक्ष्य ।

पुलिस जल्द करेगी सतीश कुमार वोहरा को गिरफ्तार…

रंजीता ने कहा कि न्यापालिका पर है पूरा विश्वास । महिलाओं के खिलाफ दुष्प्रचार करने वालों के लिए सबक ।