कुछ लोग 28 जून को प्रदर्शन करने के नाम पर सिख समाज को भ्रमित कर रहे हैं : बख्शीश सिंह विर्क

चंडीगढ़, 27 जून

हरियाणा के निवर्तमान मुख्य संसदीय सचिव एवं असंध विधानसभा क्षेत्र से विधायक श्री बख्शीश सिंह विर्क ने कहा कि कुछ लोग 28 जून को प्रदर्शन करने के नाम पर सिख समाज को भ्रमित कर रहे हैं ,सिख समाज को ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए।
श्री विर्क ने सिख समाज के प्रतिनिमंडल के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल से मुलाकात की। प्रतिनिमंडल ने मुख्यमंत्री को अपनी मांगों का एक ज्ञापन भी सौंपा।
विधायक ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा बाबा बंदा सिंह बहादुर के नाम पर कई योजनाओं एवं संस्थाओं का नाम रखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है शाहबाद (कुरूक्षेत्र) से बराड़ा को जाने वाली सडक़ का नाम बाबा बंदा सिंह बहादुर के नाम रखा जाएगा। इसके अलावा हरियाणा सरकार ने यमुनानगर में कपाल मोचन द्वार का नाम भी बाबा बंदा सिंह बहादुर के नाम पर रखे जाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बाबा बंदा सिंह बहादुर को पूरा मान-सम्मान दे रही है, परंतु कुछ लोग सिख समाज को 28 जून के प्रदर्शन के लिए बहका रहे हैं ,इसलिए ऐसे लोगों से सिख संगत को बचकर रहना चाहिए।
विधायक श्री बख्शीश सिंह विर्क के साथ मुख्यमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में बाबा सुखा सिंह करनाल, बाबा गुरमीत सिंह जुंडला, सरदार इंद्रपाल सिंह करनाल, सरदार भूपेंद्र सिंह सदस्य एसजीपीसी, सरदार बलकार सिंह असंध, सरदार जसपाल सिंह, सरदार गुरतेज सिंह खालसा, सरदार देविंदर सिंह व सरदार मनमोहन सिंह भी शामिल थे।

राहुल ने स्वीकार किया थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा हुए सर्वे को, शर्म की बात है

 


विडंबन यह है की विपक्ष के नेता को विदेशी सर्वे बताते हैं की उनके देश में महिलाओं की क्या स्थिति है. और इससे पाहिले उन्हें इस बात की बनक तक नहीं होती. उनकी पार्टी के कार्यकर्ता इतने फूहड़ हैं की वह अपने मालिक को भारत की यथा स्थिति से अवगत नहीं करवाते, यदि ऐसा होता तो अब तक राहुल गांधी कितनी ही अबलाओं की जिंदगी सुधार चुके होते. 

यह शर्म की बात है.


नई दिल्लीः

भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बताये जाने वाल सर्वे  को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी  ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. राहुल गांधी ने अपने ताजा ट्वीट में कहा है कि भारत महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और बलात्कार के मामले में अफगानिस्तान, सऊदी अरब और सीरिया से भी आगे हो गया है.


  • अब प्रश्न यह उठता है कि रानी जी को कौन कहे कि आगा ढांके.
  • राहुल से हम पूछना चाहते हैं कि क्या पंजाब, कर्णाटक पुद्दुचेरी भारत में नहीं आते? और यदि आते हैं तो क्या वहां की सरकारों को क्लीन चिट दी गयी है?
  • दूसरी बात जब भारत की तरक्की की खबरे यह सर्वे रिपोर्ट्स दिखाती हैं तब राहुल कहते हैं कियह सर्वे मोदी ने खरीदा है, तो क्यों न यह मान लिया जाए की या सर्वे विपक्ष और खासकर राहुल की पार्टी ने खरीदा हो.
  • तीसरे इस सर्वे के जारी होने की तारीख को लेकर कुछ संशय उठते हैं, यह रिपोर्ट ठीक उसी दिन आते हैं जब भाजपा 26, जून को प्रजातंत्र पर एक काला दिवस के रोप में याद करती है और राष्ट्र भर में आपातकाल की भयावहता को याद करती और करवाती है.

बता दें कि हाल ही में थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा हुए सर्वेहुए सर्वे में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीडन और उन्हें सेक्स वर्कर के धंधे में जबरन धकेलने के कारण भारत को सबसे असुरक्षित देश  माना गया है. वहीं इस सर्वे में अफगानिस्तान, सीरिया और अमेरिका को दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर रखा गया है. 26 जून को वैश्विक विशेषज्ञों द्वारा किये गए सर्वे में भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बताया गया है.

राहुल गाँधी ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से लिखा, ‘जिस समय हमारे प्रधानमंत्री अपने गार्डन में योगा वीडियो बनाने में व्यस्त थे, भारत ने महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और बलात्कार के मामले में अफगानिस्तान, सऊदी अरब और सीरिया को पीछे छोड़ दिया, हमारे देश के लिए कितने शर्म की बात है! ‘

 

Rahul Gandhi

@RahulGandhi

India the most dangerous country for women, survey shows

India is the most dangerous country in the world to be a woman because of the high risk of sexual violence and slave labor, a new survey of experts shows.


थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के एक सर्वे के मुताबिक भारत में महिलाओं के प्रति अत्याचार और उन्हें जबरन वैश्यावृत्ति में धकेलने के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं. सर्वे में पश्चिम देशों में केवल अमेरिका का ही नाम है. सर्वे के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में अमेरिका में महिलाओं के प्रति हिंसा की गतिविधियां बढ़ी हैं.

महिलाओं की असुरक्षा को लेकर पहले स्थान पर भारत
वहीं इससे पहले 2011 में हुए सर्वे में अफगानिस्तान, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो , पाकिस्तान, भारत और सोमालिया महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बताए गए थे. 2011 में हुए सर्वे में भारत को भारत को चौथे स्थान में रखा गया था. लेकिन, इस साल सारे देशों को पीछे छोड़ भारत को महिलाओं की असुरक्षा की दृष्टि से पहला स्थान दिया गया है. जिससे साफ पता चलता है कि भारत महिलाओं के लिए दिनों दिन कितना खतरनाक होता जा रहा है.

महिलाओं के प्रति अत्याचार में 2007 से 2016 के बीच 83 प्रतिशत वृद्धि
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर घंटे बलात्कार के चार मामले दर्ज होते हैं. 2007 से 2016 के बीच देश में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में 83 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. सर्वे में विशेषज्ञों से पूछा गया था कि सयुंक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से ऐसे कौन से पांच सदस्य राष्ट्र हैं जो महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं. जिसके जबाव में भारत, अफगानिस्तान, सीरिया-अमेरिका, सोमालिया और सऊदी अरब को रखा गया.

सऊदी अरब में महिलाओं के संरक्षण का पूरा अधिकार पुरुषों के हाथ
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा हुए सर्वे में विशेषज्ञों को मानव तस्करी, यौन उत्पीड़न, सेक्स स्लेवरी, और घरेलू हिंसा में भी भारत को सबसे खतरनाक देश बताया गया. वहीं सऊदी अरब में महिलाओं के संरक्षण का पूरा अधिकार पुरुषों के हाथ सौंप दिया जाता है. जिसे विशेषज्ञों ने मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया है. इस लिस्ट में अमेरिका इकलौता ऐसा पश्चिमी देश है जिसे इस लिस्ट में रखा गया है.

बीते 28 दिनों में पेट्रोल हुआ 3.03 और डीजल 3.12 रूपये सस्ता

 

नई दिल्ली :

पेट्रोल-डीजल के दामों में 28वें दिन भी कटौती की गई. मंगलवार को भी पेट्रोल-डीजल के रेट में आम आदमी को राहत दी गई. तेल कंपनियों ने देश के चार महानगरों में पेट्रोल पर 14 से 18 पैसे प्रति लीटर तक की कटौती हुई. वहीं, डीजल में 10 से 12 पैसे की कटौती की गई. लगातार 28 वें दिन पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती से आम आदमी को धीरे-धीरे राहत मिल रही है. हालांकि यह राहत नाकाफी है. पिछले 28 दिन में चेन्नई में पेट्रोल 3.03 रुपये और मुंबई में 3.12 रुपये सस्ता हुआ है.

कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद 30 मई से पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती शुरू हुई थी. हालांकि, बीच में कई दिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ. लेकिन, 28वें दिन तक पेट्रोल करीब 3 रुपये तक सस्ता हो गया है. राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत में मंगलवार को 14 से 18 पैसे की कौति की गई. वहीं, डीजल पर भी 10 से 12 पैसे कम हुए. दिल्ली में मंगलवार को पेट्रोल 75.55 रुपये प्रति लीटर और डीजल 67.38 रुपये प्रति लीटर हैं.

26 जून को दिल्ली और कोलकाता में 14 पैसे, मुंबई में 18 पैसे और चेन्नई में 15 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई. इसी तरह डीजल के रेट में दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता में 10 पैसे प्रति लीटर और मुंबई में 12 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई. अभी भी मुंबई में पेट्रोल 83.12 प्रति लीटर और डीजल 71.52 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर बिक रहा है.

4 महानगरों में पेट्रोल की कीमत

29 मई 26 जून
दिल्ली 78.43 रुपये 75.55 रुपये
कोलकाता 81.06 रुपये 78.23 रुपये
मुंबई 86.24 रुपये 83.12 रुपये
चेन्नई 81.43 रुपये 78.40 रुपये

28 दिन में 3 रुपये तक सस्ता हुआ पेट्रोल
30 मई के बाद से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेल कंपनियां कटौती हो रही है. पिछले 28 दिन में पेट्रोल तीन रुपये तक सस्ता हुआ है. वहीं, डीजल में 2 रुपये से ज्यादा की गिरावट आई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की गिरती कीमतों का फायदा मिला है. इससे पहले में क्रूड की कीमतों में उछाल से पिछले महीने पेट्रोल की कीमतें 80 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गई थीं. कच्चे तेल की कीमतों में 6 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा कमी आ चुकी है.

4 महानगरों में डीजल की कीमत

29 मई 26 जून
दिल्ली 69.31 रुपये 67.38 रुपये
कोलकाता 71.86 रुपये 69.93 रुपये
मुंबई 73.79 रुपये 71.52 रुपये
चेन्नई 73.18 रुपये 71.12 रुपये

 

हरियाणा से कई लोकसभा सांसदों का टिकट कटना तय है : रामबिलास शर्मा

 

हरियाणा से कई लोकसभा सांसदों का टिकट कटना तय है। इस पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ बैठक में मंथन हो चुका है। शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए साफ कर दिया कि लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर नए चेहरे होंगे। 2019 मेंं होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है।  भाजपा की इस रणनीति के तहत लोकसभा के कई वर्तमान सांसदों का टिकट कटना तय है। दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ हुई कोर ग्रुप की बैठक में इस पर व्यापक मंथन हो चुका है।

खुद हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर नए चेहरे होंगे। गौरतलब है कि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के कुल 7 सांसद हैं जिनमें से 2 केंद्रीय मंत्री भी हैं। ऐसे में इन 7 सांसदों में से कुछ सांसदों के टिकट कटने तय हैं। उनकी जगह पर पार्टी नए चेहरों पर दांव खेलेगी। हरियाणा के शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों से उनकी संपत्ति का ब्यौरा मांगे जाने पर भी हाय तौबा मची हुई है। इसकी वजह है वह प्रोफॉर्मा जिसमें शिक्षकों से उल जुलूल बातें पूछी गई हैं।

दरअसल यह प्रोफॉर्मा हरियाणा के गठन के बाद से बदला ही नहीं गया है। इसमें कई ऐसे सवाल पूछे गए हैं जो कतई व्यवहारिक नहीं हैं। इसपर हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने कहा कि सरकारी अधिकारियों की जानकारी इकट्ठी करना रूटीन की बात है। अब तमाम चीजों को डिजिटलाईज किया जा रहा है, लेकिन यदि शिक्षकों और अधिकारियों से कोई बेहूदा सवाल पूछा गया है तो इस चिट्ठी का अध्ययन करके उसे निरस्त कर दिया जाएगा गौरतलब है कि इस प्रोफार्मा में शिक्षकों से यह भी पूछा गया था कि उनके पास कितने घोड़े हैं। इसी तरह से सालों पहले चलन से बाहर हो चुके रेडियो ग्राम समेत कई अन्य चीजों की भी जानकारियां इसमें मांगी गई हैं।

PM being “The Most Valuable Target” new security guidelines are issued to states


  • The home ministry said there has been an “all-time high” threat to the PM and he is the “most valuable target” in the run-up to the 2019 general elections
  • The SPG is believed to have advised Modi, who is the main campaigner for the ruling BJP, to cut down on road shows, which invite a bigger threat

NEW DELHI:

Issuing new security guidelines to states in the wake of an “all-time high” threat to Prime Minister Narendra Modi, the home ministry has said that not even ministers and officers will be allowed to come too close to the prime minister unless cleared by the Special Protection Group (SPG).

The ministry said there has been an “all-time high” threat to the prime minister and he is the “most valuable target” in the run-up to the 2019 general elections, officials privy to the development said.

No one, not even ministers and officers, should be allowed to come too close to the prime minister unless cleared by his special security, the home ministry communication said, citing an “unknown threat” to Modi.

The SPG is believed to have advised Modi, who is the main campaigner for the ruling BJP, to cut down on road shows, which invite a bigger threat, in the run up to the 2019 Lok Sabha polls, and instead address public rallies, which are easier to manage, an official said.

The close protection team (CPT) of the prime minister’s security has been briefed about the new set of rules and the threat assessment and instructed them to frisk even a minister or an officer, if necessary.

The Prime Minister’s security apparatus was reviewed threadbare recently after the Pune Police told a court on June 7 that they had seized a “letter” from the Delhi residence of one of the five people arrested for having alleged “links” with the banned CPI (Maoist), another official said.

The purported letter allegedly mentioned a plan to “assassinate” Modi in “another Rajiv Gandhi-type incident”, the police had told the court.

Besides, during a recent visit to West Bengal, a man was able to break through six layers of security to touch the prime minister’s feet, sending the security agencies into a tizzy.

Pre Monsoon Showers are here

 

CHANDIGARH:

Pre-monsoon showers are expected to lash the city from Tuesday evening, according to the meteorological department.

The weathermen have given a forecast of thundery development on Tuesday. There is a possibility of thunderstorm with squall and wind speed exceeding 45kmph from Wednesday. Clouds are expected to stay all through the week, with light to moderate rainfall during the weekend.

The temperatures are expected to drop by 5-6 degrees, bringing the much-needed respite from the hot weather conditions.

On Monday, the maximum temperature went up a few notches. While it was 39.3 degrees Celsius on Sunday, the mercury level rose to 39.8 degrees Celsius on Monday. The maximum temperature on Monday was 3 degrees above normal, while it was 2 degrees above normal on Sunday.

Super moon on 27th July

 

The month of July is set to witness a rare astronomical spectacle as a blood moon, the second of the year, will appear on the intermediary night of July 27-28. The total lunar eclipse is being touted as the longest of this century.

The eclipse will follow the super blue blood moon of January 31, which too was a once-in-a-lifetime event combining a supermoon, blue moon and blood moon.

Here’s why this super-moon is special:

According to space experts, the eclipse will last one hour and 43 minutes – nearly 40 minutes longer than the January 31 Super Blue Blood Moon. The January 31 super-moon was supposed to be the longest total lunar eclipse of the year but this will outdo the former.

The blood moon, or the ‘full buck moon’ as it is being called, will turn blood red during the eclipse due to the way light bends around Earth’s atmosphere. During a blood moon, the moon takes on a deep red to orange colour rather than completely disappearing when it passes through the shadow cast by Earth. This bizarre effect known as ‘Rayleigh scattering’ filters out bands of green and violet light in the atmosphere during an eclipse.

The full buck moon will last longer than normal as it will pass almost directly through Earth’s shadow during the eclipse. At the same time, it will be at the maximum distant point from earth. Therefore, it will take longer to cross Earth’s shadow.

The moon will be visible on July 27. “The July 2018 full moon presents the longest total lunar eclipse of the 21st century on the night of July 27-28, 2018, lasting for a whopping one hour and 43 minutes,”  an expert as saying.

The eclipse will be visible only in the eastern hemisphere of the world – Europe, Africa, Asia, Australia and New Zealand. People in North America and Arctic-Pacific region won’t be able to get a hold of this event this time.

In Asia, Australia and Indonesia, the greatest view of the eclipse will be during morning hours. Europe and Africa will witness the eclipse during the evening hours, sometime between sunset and midnight on July 27.

प्रधान मंत्री पद की दावेदारी गठबंधन पर पड़ेगी भारी

 

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस की उम्मीदें केवल एक ही सहारे पर टिकी हुई हैं. वो सहारा है महागठबंधन. कांग्रेस को लगता है कि महागठबंधन के समुद्र मंथन से ही सत्ता का अमृत पाया जा सकता है. महागठबंधन का वैचारिक आधार है-मोदी विरोध. महागठबंधन की बात बार-बार दोहराकर कांग्रेस इसकी अगुवाई का भी दावा कर रही है ताकि भविष्य में पीएम पद को लेकर महाभारत न हो. लेकिन दूसरे राजनीतिक दलों में गूंजने वाली अलग-अलग प्रतिक्रियाएं महागठबंधन के वजूद पर अभी से ही सवालिया निशान लगा रही हैं.

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार चुनाव से पहले महागठबंधन की कल्पना को व्यावहरिक ही नहीं मानते हैं. उनका मानना है कि क्षेत्रीय दलों की मजबूती की वजह से महागठबंधन व्यावहारिक नहीं दिखाई देता है. पवार का राजनीतिक अनुभव और दूरदर्शिता उनके इस बयान से साफ दिखाई देता है.

जिन क्षेत्रीय दलों की मजबूती को कांग्रेस एक महागठबंधन में देखना चाहती है दरअसल यही मजबूती ही क्षेत्रीय दलों को चुनाव बाद के गठबंधन में सौदेबाजी का मौका देगी. क्षेत्रीय दलों की यही ताकत उन्हें चुनाव बाद एकजुट होने की परिस्थिति में उनके फायदे के लिये ‘सीधी बात’ कहने का आधार देगी और सत्ता में भागेदारी का बराबरी से अधिकार भी देगी.

शरद पवार ये मानते हैं कि हर राज्य में अलग-अलग पार्टियों की अपनी स्थिति और भूमिका है. कोई पार्टी किसी राज्य में नंबर 1 है तो उसकी प्राथमिकता राष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति को और मजबूत करने की होगी. जाहिर तौर पर ऐसी स्थिति में कोई भी पार्टी चुनाव पूर्व महागठबंधन के फॉर्मूले में कम से कम अपने गढ़ में तो ऐसा कोई समझौता नहीं करेगी जिससे उसके वोट प्रतिशत और सीटों का नुकसान हो.

वहीं इस महागठबंधन के आड़े आने वाला सबसे बड़ा व्यावहारिक पक्ष ये है कि बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने वाले क्षेत्रीय दल लोकल स्तर पर एकजुटता कैसे दिखा पाएंगे? वो पार्टियां जो अबतक एक दूसरे के खिलाफ आग उगलकर चुनाव लड़ती आई हैं वो राष्ट्रीय स्तर पर कैसे एकता दिखा सकेंगी? उन सभी के किसी न किसी रूप में वैचारिक मतभेद हैं जिनका किसी न किसी रूप में समझौते पर असर पड़ेगा.

सबसे बड़ी चुनौती जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को लेकर होगी जिनके लिए महागठबंधन के बाद एक साथ काम कर पाना आसान नही होगा क्योंकि कई राज्यों में वैचारिक मतभेद से उपजा खूनी संघर्ष भी इतिहास में कहीं जिंदा है.

बड़ा सवाल ये है कि सिर्फ मोदी को रोकने के लिए क्या पश्चिम बंगाल में टीएमसी और वामदल आपसी रंजिश को भुलाकर कांग्रेस के साथ आ सकेंगे? क्या तमिलनाडु में डीएमके और आआईएडीएमके, बिहार में लालू-नीतीश, यूपी में अखिलेश-मायावती और दूसरे राज्यों में गैर कांग्रेसी क्षेत्रीय दलों के साथ कांग्रेस का गठबंधन साकार हो सकेगा?

महागठबंधन को साल 2015 में पहली कामयाबी बिहार में तब मिली जब लालू-नीतीश की जोड़ी ने बीजेपी के विजयी रथ को रोका. इसी फॉर्मूले का नया अवतार साल 2018 में यूपी में तब दिखा जब बीजेपी को हराने के लिए पुरानी रंजिश भूलकर एसपी-बीएसपी गोरखपुर-फूलपुर के लोकसभा उपचुनाव में साथ आए तो फिर कैराना में रालोद के साथ गठबंधन दिखा. यूपी-बिहार के गठबंधन के गेम से ही कांग्रेस उत्साहित है और वो महागठबंधन का सुनहरा ख्वाब संजो रही है.

लेकिन एक दूसरा सवाल ये भी है कि अपने-अपने राज्यों के क्षत्रप आखिर कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन से जुड़ने को अपना सौभाग्य क्यों मानेंगे? खासतौर से तब जबकि हर क्षेत्रीय दल का नेतृत्व खुद में ‘पीएम मैटेरियल’ देख रहा हो.

कांग्रेस राहुल के नेतृत्व में महागठबंधन की अगुवाई करना चाहती है. जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में गैर-बीजेपी दलों के हित में जारी महागठबंधन की अपील को ठुकरा चुकी हैं. ममता बनर्जी तीसरे मोर्चे की कवायद में ज्यादा एक्टिव दिखाई दे रही हैं. वो दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों और क्षेत्रीय नेताओं के लगातार संपर्क में हैं. बीजेपी को हराने के लिए वो हर बीजेपी विरोधी नेता से हाथ मिलाने को तैयार हैं. उन्होंने गुजरात चुनाव में बीजेपी की नजदीकी जीत के बाद हार्दिक-अल्पेश-जिग्नेश की तिकड़ी की तारीफ की और हार्दिक पटेल को पश्चिम बंगाल का सरकारी मेहमान तक बना डाला.

हाल ही में उन्होंने दिल्ली के सीएम केजरीवाल के एलजी ऑफिस में धरने के वक्त तीन अलग राज्यों के सीएम के साथ पीएम से मुलाकात की. ये मुलाकात साल 2019 को लेकर कांग्रेस के लिए भी बड़ा इशारा था. एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दिल्ली में केजरीवाल के धरने को ड्रामा बता रहे थे तो दूसरी तरफ ममता बनर्जी की अगुवाई में चार राज्यों के सीएम केजरीवाल का सपोर्ट कर रहे थे.

महागठबंधन से पहले किसी विचारधारा या फिर मुद्दे पर कांग्रेस और गैर-कांग्रेसी दलों में एकता दिखाई नहीं दे रही है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि किसी भी कीमत पर मोदी और बीजेपी को साल 2019 में सत्ता में आने से रोकने के लिए महागठबंधन की नींव पड़ भी गई तो इमारत बनाने के लिए ईंटें कहां से आएंगी?

मोदी को रोकने के लिए महागठबंधन तो बन सकता है लेकिन महागठबंधन के नेतृत्व को लेकर कांग्रेस आम सहमति कैसे बना पाएगी? साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस राहुल गांधी को पीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर चुकी है. यहां तक कि खुद राहुल गांधी भी कर्नाटक चुनाव प्रचार के वक्त कह चुके हैं कि वो देश का पीएम बनने को तैयार हैं. जबकि मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब राहुल से महागठबंधन के नेतृत्व पर सवाल पूछा गया तो वो जवाब टाल गए.

पीएम बनने की महत्वाकांक्षा आज के दौर में हर क्षेत्रीय पार्टी के अध्यक्ष के मन में है और यही महागठबंधन की महाकल्पना के साकार होने में आड़े भी आएगी. क्योंकि क्षेत्रीय दल सिर्फ सीटों तक की सौदेबाजी को लेकर महागठबंधन के समुद्र मंथन में नहीं उतरेंगे बल्कि वो पीएम पद को लेकर भी बंद दरवाजों  से लेकर खुले मैदान में शक्ति-परीक्षण के जरिये सौदेबाजी करने का मौका नहीं चूकेंगे

महागठबंधन पर बात न बन पाने की सूरत में कांग्रेस के पास यही विकल्प बचता है कि या तो वो गैर कांग्रेसी दलों को पीएम पद सौंपने पर राजी हो जाए या फिर यूपीए 3 के नाम से अपने प्रगतिशील गठबंधन के दम पर लोकसभा चुनाव में उतरे और चुनाव बाद महागठबंधन को लेकर फॉर्मूला बनाए.

सिर्फ विधानसभा चुनाव और उपचुनावों से लोकसभा चुनाव का मूड नहीं भांपा जा सकता है. यूपीए ने भी साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उपचुनावों में जीत हासिल की थी. वहीं इस साल 15 सीटों पर हुए उपचुनावों में महागठबंधन को सिर्फ चार सीटों पर ही जीत मिली है. ऐसे में महागठबंधन को लेकर बनाई जा रही हवा कहीं हवा-हवाई न साबित हो जाए.

क्षेत्रीय दलों को सिर्फ एक ही बात की चिंता है कि साल 2019 में भी कहीं ‘मोदी लहर’ की वजह से उनके राजनीतिक वनवास की मियाद पांच साल और न बढ़ जाए. यही डर उन्हें महागठबंधन में लाने को मजबूर कर सकता है लेकिन सत्ता में भागीदारी का लालच उन्हें पीएम पद की तरफ भी आकर्षित करता है. तभी पीएम पद की बाधा-रेस महागठबंधन में सबसे बड़ा अड़ंगा डालने का काम कर सकती है क्योंकि इस मुद्दे पर चुनाव से पहले कोई भी पार्टी राजी होने को तैयार नहीं होगी.

कांग्रेस ये कभी नहीं चाहेगी कि वो पीएम पद के बारे में चुनाव बाद उभरे राजनीतिक हालातों के बाद फैसला करे. वो ये चाहेगी कि इस मामले में तस्वीर अभी से एकदम साफ रहे और पूरा चुनाव राहुल बनाम मोदी ही लड़ा जाए.

बहरहाल सिर्फ मोदी-विरोध के नाम पर अलग-अलग राज्यों में विपक्षी दलों के सियासी समीकरण साधना भी इतना आसान नहीं है क्योंकि ये जातीय समीकरणों में भी उलझे हुए हैं. सिर्फ मोदी-विरोध का एक सूत्रीय कार्यक्रम देश की सभी विपक्षी पार्टियों के लिए साल 2019 के लोकसभा चुनाव में आत्मघाती साबित हो सकता है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस की अंदरूनी रिपोर्ट को बाकी विपक्षी दलों को किसी ऐतिहासिक दस्तावेज की तरह जरूर पढ़ना चाहिये और ये भी समझना चाहिये कि कि उनका सियासी इस्तेमाल सिर्फ कांग्रेस के प्रतिशोध तक ही तो सीमित नहीं है. फिलहाल कांग्रेस के लिए महागठबंधन बना पाना उसी तरह असंभव दिखाई दे रहा है जिस तरह अपने बूते साल 2019 का लोकसभा चुनाव जीतना.

ज्ञान चाँद गुप्ता ने सम्पर्क अभियान के तहत अपनी सरकार के 4 सालों का लेखा जोखा दिया

ज्ञान चाँद गुप्ता (फाइल फोटो)

 

स्थानीय विधायक एवं मुख्य सचेतक ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि नये समाज एवं राष्ट्र का निर्माण करने के लिए समाज और देश के लिए उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने वाले प्रमुख लोगों का योगदान बहुत जरूरी है, इसलिए देश में समाज के लिए सराहनीय कार्य करने वाले 40 हजार और हरियाणा प्रदेश में 2 हजार लोगों से संपर्क का समर्थन अभियान के तहत घर जाकर मुलाकात की जा रही है। इस दौरान समाज के प्रमुख लोगों को केन्द्र सरकार की चार साल की उपलब्धियों का लेखा-जोखा भी दिया जा रहा है।

विधायक एवं मुख्य सचेतक ज्ञानचंद गुप्ता ने सेक्टर 12 में समाज और देश के लिए सराहनीय कार्य करने वाले सेवानिवृत लै० कर्नल एसएस गुलेरिया एवं उनकी धर्मपत्नी व सुप्रसिद्ध पंजाबी लोक गायिका डौली गुलेरिया के मकान नंबर 865 स्थित निवास पर पहुंचे। विधायक के उनके घर पहुंचने पर दोनो ने परंपरा अनुसार सादगी के साथ स्वागत किया। विधायक ने सबसे पहले सेवानिवृत लै० कर्नल एसएस गुलेरिया व उनकी धर्मपत्नी व सुप्रसिद्ध पंजाबी लोक गायिका डौली गुलेरिया को केन्द्र सरकार के चार वर्ष के लेखा-जोखा से संबंधित एक बुकलेट भेंट की। लै० कर्नल एसएस गुलेरिया ने आश्वासन देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं एवं कार्यक्रमों के दूरगामी परिणाम सामने आ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि सुप्रसिद्ध पंजाबी लोक गायिका डौली गुलेरिया का प्रसिद्ध लोकगीत अंबरसरे दे पापड़ वे मैं खांदी ना, तू करना आकड़ वे मैं सहंदी ना, काफी लोकप्रिय हुआ। इनके तीन पुत्र-पुत्रियां हैं जिनमें सुनैनी शर्मा, दिलप्रीत गुलेरिया व अमनप्रीत गुलेरिया शामिल हैं जो अपने व्यवसाय व नौकरी में लगे हुए हैं।
इससे पूर्व विधायक ने संपर्क का समर्थन अभियान के तहत समाज के लिए सराहनीय कार्य करने वाले उद्यौगपति एवं सामाजिक कार्यकर्ता ब्रिज लाल गुप्ता, सेवानिवृत आईएएस धर्मवीर, अहसास अदब सोसायटी के प्रधान बीडी कालिया हमदम, भवन विद्यालय स्कूल की प्रधानाचार्या शषि बैनर्जी, सेवानिवृत आईपीएस वीके कपूर, इंडियन एयर फोर्स के सेवानिवृत कर्नल आरएस कौशल, सेवानिवृत आईएएस एसडी भांबरी, सेवानिवृत शिक्षाविद् प्रो० एके सहजपाल, भवन एवं मैट्रो रेलवेज में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले एसपी सिंगला इत्यादि के निवासों पर पहुंच पर उन्हें केन्द्र सरकार के चार वर्ष के लेखा-जोखा से संबंधित एक बुकलेट भेंट की। इस अवसर पर वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता डीपी सोनी भी विधायक के साथ उपस्थित रहे।

The Sub Committee is done with their report to be presented in Syndicate

 

The Panjab University in a meeting of the committee on the Governance reforms considered the recommendations of the Sub Committee  ,here today.

The Sub Committee gave the presentation of their report.

Members gave their views, and it was decided to refer it to the forthcoming meeting of the Syndicate.