- राशिफल, 15 मई 2025
- पंचांग, 15 मई 2025
- राजेंद्र भट्ट ने ऑपरेशन सिंदूर पर बनाई कलाकृति दा वार आफ पीस
- प्राचीन शिव मन्दिर, सैक्टर 23-डी का वार्षिक मूर्ति पूजा समारोह शुरू
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- निरंकारी श्रद्धालुओं द्वारा समर्पण दिवस पर
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मनोज त्यागी करनाल 4 सितम्बर: करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा (आईएएस) ने बताया कि शहर के सैक्टर-12 स्थित लघु सचिवालय परिसर में…
पंचकूला 04 सितम्बर : डिटैक्टिव स्टाफ पचंकुला ने नशा का कारोबार करने के मामले मे सलिप्त आरोपी को किया काबू सौरभ सिह भा॰पु॰से॰, पुलिस…
पंचकूला 4 सितम्बर: बिजली हादसों को पूर्णतय रोकने के लिए हर माह की पहली तारीख को तकनीकी कर्मचारियों को जागरूक किया…
पंचकूला 4 सितंबर: हरियाणा के बिजली वितरण निगमों-उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) के तकनीकी…
पंचकूला 4 सितम्बर: उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि जिला में किसानों की सुविधा के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा…
4 सितम्बर: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भारत सरकार की ओर से वर्ष 2021 के लिए सुभाष चन्द्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार प्रदान…
सारिका तिवारी, पंचकूला- 4 सितम्बर : क्या वाकई ही पंचकूला महिला थाने की स्थापना से महिलाओं को हाथ में ली है यह…
Chandigarh September 4, 2020 Across the globe scientists trying to beat Coronavirus. At present, there is no approved drug or vaccine available…
Chandigarh September 4, 2020 हिंदी को ज्ञान की भाषा बनाना जरूरीसूचना प्रौद्योगिकी को अपनाना ही रास्ता चंडीगढ़,4 सितंबर: पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी माह उत्सव के तहत विशेष व्याख्यानपरिचर्चा श्रृंखला की चौथी कड़ी में आज ‘सूचना प्रौद्योगिकी की दुनिया में हिंदी’ विषय पर परिचर्चा हुई, इस परिचर्चा में विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के डॉ. गंगा सहाय मीणा मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। डॉ. मीणा ने कहा कि सूचनाओं और मनोरंजन की भाषा से अब हिंदी को ज्ञान की भाषा बनाना जरूरी है और इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाना ही एक मात्र विकल्प है। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रयोग की जा रही हिंदी में अभी भले ही एकरूपता नहीं है लेकिन फिर भी इसके माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर हिंदी जन जन तक पहुंची है। सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न आयामों को लेकर हिंदी समाज में जागरूकता की कमी है। इसलिए इस दिशा में विशेष प्रयास करने की जरूरत है। एक दशक पहले हिंदी में भी विण्डोज़ आने लगे हैं और लिनक्स ऑपरेटिंग में शुरू से हिंदी आपको मिलेगी। हिंदी की उन्नति के बारे में उन्होंने कहा कि एटीएम में हम खुद ही हिंदी नहीं चुनते, फ़ोन में भी हम हिंदी नहीं चुनते हैं और दिल्ली के नेहरू प्लेस जैसे स्थान जहाँ ऑपरेटिंग सिस्टम ख़ूब मिलते हैं वहां भी अगर हिंदी ऑपरेटिंग सिस्टम मांगेंगे तो वो कहेंगे की ऐसा ग्राहक साल भर में एक दो ही आते हैं। व्याख्यान के बाद प्रश्न उत्तर का सत्र भी हुआ जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से शोधार्थी एवं प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया। विभागाध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि इस वर्ष हिंदी माह उत्सव में विशेष तौर पर ऑनलाइन माध्यम का लाभ उठाकर के देश के विभिन्न हिस्सों के विद्वानों को जोड़ने की कोशिश की गई है ताकि हमारे विद्यार्थी हिंदी की व्यापक पहुंच से अवगत हो सकें। इस कड़ी में अगला व्याख्यान 4 सितंबर को ‘अनुवाद का संसार और हिंदी’ विषय पर होगा। इस व्याख्यान में केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, नई दिल्ली के संयुक्त निदशक विनोद संदलेश मुख्य वक्ता होंगे। 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर इस एक माह के उत्सव का समापन कार्यक्रम होगा जिसमें प्रसिद्ध गीतकार और हिंदी विभाग के पूर्व छात्र डॉ. इरशाद कामिल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। वे ‘हिंदी-उर्दू-पंजाबी की साझा विरासत’ पर अपनी बात रखेंगे। आज के कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से 50 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें विभाग के प्रो. सत्यपाल सहगल, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से डॉ. मंजू पुरी, प्रयागराज से डॉ. ज्ञानेन्द्र शुक्ल और श्री प्रशांत मिश्रा शामिल रहे। इस हिंदी माह उत्सव में 6 विशेष व्याख्यानों के अलावा ‘हिंदी हैं हम’ नाम से कविता लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसमें अंतिम तिथि तक 115 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुईं हैं। इस प्रतियोगिता के नतीजे 14 सितंबर के कार्यक्रम में घोषित होंगे। इसके साथ ही विभाग के फेसबुक अकाउंट के माध्यम से कविता वाचन श्रृंखला भी शुरू की गई है।
Chandigarh September 4, 2020 A Webinar on New Education Policy: A roadmap for Engineering Education was organized by UIET, Panjab University, Chandigarh…
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