संजय बेनीवाल होंगे चंडीगढ़ के नए डी जी पी, केंद्र सरकार ने की नोटिफिकेशन जारी


चंडीगढ़।

वरिष्ठ IPS अधिकारी संजय बेनीवाल अब चंडीगढ़ के नए डी जी पी होंगे। वह डीजीपी तजिंदर लुथरा के स्थान पर नियुक्त किया गया है। इस बाबत केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूना के मुताबिक यूटी कैडर के छह अधिकारियों को इधर से उधर किया गया है। इनमें डीजीपी लुथरा को चंडीगढ़ से दिल्ली कर दिया गया है। संजय बेनीवाल 1989 के आइपीएस अधिकारी हैं। इससे पहले वह अपनी सेवाएं दिल्ली पुलिस में दे रहे थे। संजय बेनीवाल महिला सुरक्षा के विशेष आयुक्त रहे हैं और उन्होंने दिल्ली में महिला सुरक्षा को लेकर कई कारगार कदम उठाए हैं।

केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक यूटी कैडर के पांच अन्य अधिकारियों के भी तबादले किए गए हैं। इनमें 1989 बैच के एस सुंदरी नंदा को दिल्ली से पुडुचेरी ट्रांसफर किया गया है। जबकि 1989 के ही बैच के सुनील कुमार गौतम को पुडुचेरी से दिल्ली ट्रांसफर किया गया है। 1990 बैच के दीपेंद्र पाठक को दिल्ली से अंडेमान निकोबार और 1991 बैच के नुजहत हसन को अंडेमान निकोबार से दिल्ली ट्रांसफर किया गया है।

Conference on “Measuring the Economics of Food & Agriculture Ecosystems” Tommorrow

 

Punjab’s Cabinet Minister Mr Navjot Singh Sidhu to inaugurate two days seminar on “Measuring the Economics of Food & Agriculture Ecosystems”

More than 30 environmental and agricultural economists from across the country will participate in 3rd National Dialogue on Himalayan Ecology on Friday, June 15, 2018, at 10:00 am, in Hotel Park View, Sector 24, Chandigarh

The event is organised by Dialogue Highway

 

Clean Chit to Senior IAS in Sexual Harassment Case

Chandigarh, June 14, 2018:

Haryana State Women Commission found no merit in the allegations of sexual harassment levelled against a senior IAS officer by his junior woman IAS officer.

The Commission drew this conclusion after hearing both officers though inquiry was not yet formally over.

According to the the Commission chairperson, Pratibha Suman, the preliminary findings showed the case seemed to be related more to the issue of behaviour than the sexual harassment.

The senior officer, who holds the post of Additional Chief Secretary, was advised to improve his office related conduct with subordinates.

The senior officer had submitted detailed reply to the allegations against him.

Rock ON 2018 on 22

Auckland,June 14 (Ranjit Ahluwalia)

UA international is organising a musical evening Rock ON 2018 on June 22 2018 at Dorothy Winston Centre Auckland.in association with Travel Point and NCBT.
According to
Organiser Mr Umesh Sharma the youtube fame Avish will rock the show.
Guncha, Hemant, Bhavna and Shweta will present bollywood live

कब तक ढोएंगे हम वुड्स डिस्पैच और मकाउलय को : सारिका तिवारी

सारिका तिवारी

आजकल सिलेबस बहुत हो गया है। बच्चा दिन भर इस ट्यूशन से उस ट्यूशन के बीच दौड़ा फिरता है। उसके बाद हर ट्यूशन का काम। इस पर माता पिता बहुत गर्व से कहते हैं बच्चे बहुत पढ़ाई कर रहे हैं डिग्री के बाद 20 या 25 का पैकेज मिल जाएगा।
बात तो हालाँकि मैं हंसी में उड़ा देती हूँ परन्तु दिमाग में सवाल कुलबुलाते रहते हैं कि आखिर किस पढाई पर गर्व करते हैं हम ?

किस मुगालते में रहते हैं ?

और वहां से निकलना क्यों नहीं चाहते ?

हमारे देश में प्राथमिक शिक्षा की जो दशा है वह किसी से छुपी नहीं. स्कूलों में चाहे सरकारी हों या निजी बच्चों को क्या शिक्षा मिलती, हम सब जानते हैं. अत: उन स्कूलों और उस शिक्षा को जाने देते हैं.

चलिए बात करते हैं एक तथाकथित उन्नत्ति की ओर अग्रसर भारत के आधुनिक स्कूलों की, उनकी शिक्षा व्यवस्था की .बेशक उनके नाम आधुनिक रखे जा रहे हैं, सुविधाओं के नाम पर भी सभी आधुनिक सुविधाएँ दी जा रही हैं परन्तु क्या उस शिक्षा व्यवस्था में तनिक भी बदलाव आया है जो लार्ड मैकाले के समय से चली आ रही है? आज भी हम बाबू छापने वाली मशीन से ही अफसर और वैज्ञानिक छापने की जुगत में हैं.मशीन नई जरुर बन गई हैं मगर हैं वैसी ही. और मजेदार बात यह कि हम सब यह जानते हैं , पर व्यवस्था को बदलते नहीं.

हम ढूंढने निकलें तो शायद ऊंगलियों पर भी ऐसे लोग नहीं गिने जा सकेंगे जो यह कहें कि, शिक्षा ने मुझे वह दिया जो मैं पाना चाहता था .हमारे देश में एक व्यक्ति पढता कुछ और है ,बनता कुछ और है , और बनना कुछ और ही चाहता है.आखिर क्या औचित्य है ऐसी शिक्षा का ? क्या गुणवत्ता है ऐसे शिक्षण संस्थानों की जो फैक्टरियों की तरह छात्र तैयार करती ।

क्रमश:

Read “Primary Education isn’t Primary” on Sunday

CM Without Portfolio Blames LG for not Working

The sit-in protest at Raj Niwas by Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal and his cabinet colleagues entered its fourth day on Thursday as several Aam Aadmi Party leaders marched to LG Anil Baijal’s residence and chanted slogans such as “LG sahab, Delhi Chhodo (LG, quit Delhi)”. The party has planned to hold a candlelight march at Raj Ghat to keep the momentum going. In a letter to Prime Minister Narendra Modi, Kejriwal alleged that Baijal is doing “nothing” to break the impasse despite repeated requests from the party and sought the PM’s intervention in the case.

The Delhi High Court, on the other hand, agreed to hear on June 18 a plea seeking to declare the sit-in by the CM and his cabinet colleagues as unconstitutional and illegal. The petition was mentioned before Justice C Hari Shankar who said that it be listed for hearing on Monday. The plea filed by petitioner Hari Nath Ram sought direction for discharging the chief ministerial obligations and responsibilities as the entire functioning of the Chief Minister office of National Capital Territory (NCT) of Delhi has been brought to a “stand still” since the sit-in started.

Meanwhile, several regional parties, including the Trinamool Congress, backed the Kejriwal-led protest. Appealing the Centre to resolve the crisis immediately, West Bengal Chief Minister Mamta Banerjee tweeted, “Elected Chief Minister must get due respect. May I appeal to the government of India and the LG to resolve the problem immediately so that people do not suffer.” Rashtriya Lok Dal (RLD) leader Jayant Chaudhary also called the situation in Delhi a “governance failure”. Former BJP leader Yashwan Sinha also joined the AAP workers during their protest on Tuesday. “Had Atal Bihari Vajpayee been the PM, he would have ordered the Home Minister to open a dialogue with the elected CM,” Sinha said.

राइजिंग कश्मीर के एडिटर शुजात बुखारी की हत्या

 

राइजिंग कश्मीर के एडिटर शुजात बुखारी को उनके ऑफिस के बाहर कुछ अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी. बुखारी को श्रीनगर के प्रेस एवेन्यू में उनके ऑफिस के बाहर अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी. उन्हें सिर और पेट के पास गोलियां मारी गईं.

उनके साथ ड्राइवर और निजी सुरक्षाकर्मी भी था. हमले में उनका सुरक्षाकर्मी भी घायल हो गया, जबकि बुखारी की इस हमले में मौत हो गई. इसके बाद उन्हें नजदीक के अस्पताल ले जाया गया.

बीजेपी महासचिव राम माधव ने भी शुजात बुखारी के निधन पर शोक व्यक्त किया है. राम माधव ने ट्वीट किया ‘श्रीनगर में राइजिंग कश्मीर के एडिटर-इन-चीफ की हत्या की खबर सुनकर स्तब्ध हूं. आतंकियों द्वारा की गई एक निंदनीय और कायराना हरकत.’

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने लिखा, ‘शुजात बुखारी के अचानक निधन से गहरा दुख हुआ. आतंक के संकट ने ईद की पूर्व संध्या पर अपना बदसूरत सिर उठाया है. मैं दृढ़ता से हिंसा के इस अधिनियम की निंदा करती हूं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं. उनके परिवार के लिए मेरी गहरी संवेदना है.’

विनायक के नाम पर लिखे नोट को वसीयत नहीं माना जा सकता-केपी माहेश्वरी, एडवोकेट 

 

अपनी दूसरी शादी के बाद पत्नी और बेटी के बीच चल रहे विवाद से आहत भय्यू महाराज जान देकर भी पत्नी आयुषी और बेटी कुहू को एक धारा में नहीं ला सके। उनकी मौत के बाद भी दोनों के बीच तल्खी कायम रही। सिल्वर स्प्रिंग स्थिति घर पर मंगलवार दोपहर से बुधवार सुबह तक दोनों अलग-अलग कमरों में ही रहीं। यहां तक कि उनके बीच विवाद न हो जाए, इसलिए महिला पुलिसकर्मी कमरों के बाहर तैनात की गईं। बुधवार सुबह भी जब भय्यू महाराज का पार्थिव शरीर दर्शनों के लिए सूर्योदय आश्रम में रखा गया था तब भी सुबह से दोपहर तक आयुषी और कुहू दोनों उनके सिरहाने बैठी रहीं। दोनों के बीच न कोई बात हुई न दु:ख की इस घड़ी में उन्होंने एक-दूसरे के ढाढ़स बंधाया। आयुषी अपने परिजन और आश्रम के सेवादारों के बीच थी तो कुहू अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ थी।

भय्यू महाराज की अंतिम यात्रा में इंदौर सहित महाराष्ट्र, गुजरात से आए हजारों गुरुभक्त शामिल हुए। भावुक भक्तों ने ‘भय्यू महाराज अमर रहे’ और ‘जब तक सूरज चांद रहेगा भय्यूजी का नाम रहेगा’ जैसे नारे लगाए गए। उनके अंतिम दर्शन के लिए महाराष्ट्र के कई राजनेता भी पहुंचे। प्रदेश से लेकर केंद्र तक की राजनीति में खासा दखल रखने के बावजूद राष्ट्रीय संत को श्रद्धांजलि देने प्रदेश सरकार का कोई मंत्री नहीं पहुंचा, न ही राजकीय सम्मान के साथ उन्हें विदाई दी गई।

उनकी पार्थिव देह को फूलों से सजे ट्राले पर दोपहर 3 बजे मुक्तिधाम पर लाया गया। करीब 3.45 बजे मुखाग्नि देते समय कुहू फूट-फूटकर रोने लगी। परिजन ने उन्हें संभाला। इससे पहले दोपहर 2 बजे बापट चौराहा स्थिति सूर्योदय आश्रम से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। मार्ग के दोनों ओर उनके अंतिम दर्शन के लिए लोग खड़े थे। आगे और पीछे सैकड़ों लोग चल रहे थे। रास्ते में कई मंच से पार्थिव देह पर फूल बरसाए गए। इससे पूर्व सुबह 8.30 बजे अस्पताल से भय्यू महाराज की पार्थिव देह स्कीम नंबर 74 स्थित उनके निवास ‘शिवनेरी’ लाई गई। यहां स्नान आदि कराया गया। फिर उनकी दूसरी पत्नी की चार माह की बेटी धारा को भी पिता के मुख दर्शन कराए गए। इस दौरान केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी पहुंचे। वे दस मिनट रुककर चले गए। उनका कहना था भय्यू महाराज की आंबेडकरजी के प्रति गहरी आस्था थी। वे महू में संविधान मंदिर बनवाना चाहते थे। उन्होंने यह कदम क्यों उठाया, यह समझ नहीं आ रहा।
शव रथ में बेटी कुहू का साथ महाराष्ट्र की महिला बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे, दोनों बहनें, ट्रस्ट के तुषार पाटिल, संजय यादव के साथ नजदीकी रिश्तेदार थे। उनके अंतिम दर्शन के लिए औरंगाबाद के सांसद चंद्रकांत खरे, नासिक जिला संघ अध्यक्ष अदव्य हीरे, शिवसेना के औरंगाबाद जिला प्रमुख अंबादास दानवे, महापौर मालिनी गौड़, अन्ना महाराज, कम्प्यूटर बाबा, प्रमोद टंडन, विधायक रमेश मेंदोला, महेंद्र हारिड्या, कांग्रेस नेता कृपाशंकर शुक्ला, पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे, पूर्व विधायक तुलसी सिलावट, कांग्रेस नेता शोभा ओझा, कालीचरण महाराज आदि पहुंचे। महाराष्ट्र से आए मंत्री गिरीश महाजन, एकनाथ शिंदे व पूर्व विधायक अमित देशमुख, कम्प्यूटर बाबा सहित कई गणमान्य लोग व समान्नितजनों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
अंतिम दर्शन के दौरान डॉ. आयुषी और बेटी कुहू उनके शव के सिरहाने बैठी थी। आयुषी ने चार माह की बेटी धारा को पिता के दर्शन करवाने के लिए कांच के बॉक्स का कवर उठाया। पास बैठी कुहू बोल पड़ी ..प्लीज ऐसा मत करो, इसे हटा लो, बच्चे के लिए यह ठीक नहीं है।
शव वाहन में पार्थिव देह के साथ आश्रम पहुंची बेटी
सुबह 10 बजे पार्थिव देह को ‘शिवनेरी’ से उनके ही आश्रम के शव वाहन से बापट चौराहा स्थित सूर्योदय आश्रम पर लाया गया। इसमें परिजन के साथ कुहू भी थी। दस मिनट बाद पत्नी आयुषी दूसरी गाड़ी से पहुंचीं। यहां दोपहर 2 बजे तक भक्तों के दर्शन के लिए पार्थिव देह रखी गई। इस दौरान पत्नी-बेटी के साथ भय्यू महाराज की बहनें मोनू पाटिल और अनुराधा पाटिल भी थीं। अंतिम दर्शन के लिए पहली पत्नी माधवी के पिता और साला भी आए थे। कुहू ने साढ़े तीन साल में मां के बाद पिता को भी खो दिया। 22 जनवरी 2015 को मां माधवी का निधन पुणे में हो गया था। इसके बाद इंदौर में उनका अंतिम संस्कार हुआ।
उधर, सुबह 10 बजे से अंतिम दर्शन शुरू होने के बाद से ही पत्नी डॉ. आयुषी शव के साथ ही बैठी रहीं। वे बदहवास हालत में पति से बार-बार उठने को कहती रहीं। अंतिम यात्रा शुरू होने पर उन्होंने कहा कि वे कहकर गए हैं कि तुम भी मेरे साथ चलो। आश्रम से अंतिम यात्रा निकली तो वे शवयात्रा में शामिल होने की जिद करने लगीं। परिजन उन्हें समझाते रहे, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थी। वह बोलने लगीं, इतनी छोटी बेटी को कैसे संभालूंगी.. आई की उन्हें बड़ी चिंता रहती थी। उनकी देखभाल अब मैं करूंगी। बड़ी मुश्किल से उन्हें कार में बैठाकर ‘शिवनेरी’ बंगले पर भेजा गया।


भय्यू महाराज ने जिन्हें अपने आश्रम परिवार के देखरेख की जिमेदारी दी है वे 42 वर्षीय विनायक दुधाले पिछले 16 साल से भय्यू महाराज के साथ हैं। भय्यू महाराज से जुड़ने से पहले वह इंदौर नगर निगम में पानी का टैंकर चलाते थे। उनके दो बच्चे हैं। बीकॉम तक शिक्षित विनायक का सुखलिया स्थित लवकुश विहार में मकान है। विनायक सुकरिया जिला अहमदनगर (महाराष्ट्र) के रहने वाले हैं। वहां उनकी कृषि भूमि भी है। विनायक भय्यू महाराज के घर के बिजली के बिल, ड्राइवर का वेतन देने के साथ वीआईपी से मेलजोल का लेखा-जोखा भी रखते थे।

आश्रम कहे तो लूंगा जिम्मा भय्यू महाराज जो भी फैसला लेते थे, उसे सभी स्वीकार करते थे। तीन दिन बाद एक बैठक रखी है। इसमें सामूहिक रूप से निर्णय लिया जाएगा। सबके निर्णय के बाद जिम्मेदारी दी जाती है तो उसे पूरी तन्मयता से निभाऊंगा। -विनायक दुधाले, सेवादार


विनायक के नाम पर लिखे नोट को वसीयत नहीं माना जा सकता। कोई भी पावर सिर्फ जीवित रहते ही इस्तेमाल हो सकती है। पॉवर देने वाले की मौत के बाद उसका कोई महत्व नहीं होता। ऐसी स्थिति में महाराज की संपत्ति को लेकर विवाद बढ़ेगा। -केपी माहेश्वरी, एडवोकेट 

Senior Citizen was told to take journey 1000 years later

 

MEERUT:

A 73-year-old man who was forcibly evicted from a train because his ticket was wrongly dated 1,000 years in the future was on Tuesday awarded compensation by a consumer court in Saharanpur.

Vishnu Kant Shukla, a retired professor, had boarded Himgiri Express for a journey from Saharanpur to Jaunpur on November 19, 2013. The train ticket examiner (TTE) however, found that Shukla’s ticket was dated for 3013, and got Shukla sent out of the train at Moradabad.

Shukla said, “I retired as head of the Hindi department from JV Jain Degree College in Saharanpur. In short, I am not a person who would travel by train with a fake ticket and here was a TTE who humiliated me in front of everyone, demanded that I pay a penalty of Rs 800, and even got me evicted from the train. It was an important journey as I had to visit my friend whose wife had expired.”

Returning home to Saharanpur, Shukla filed a case against the Railways in the consumer court. The case went on for five long years.

“Shukla is my neighbour and when I heard about his predicament, we sat together and decided to file a case. A lot of things happened during the proceedings. The Railways lawyer did everything to prove that our claim was wrong. Railways officials even said that the ticket was not purchased from the booking counter and when court asked them to produce the booking form, they said they did not have it,” said Surender Dixit, Shukla’s lawyer.

On Tuesday, the court decided in favour of Shukla and slapped a penalty of Rs 10,000 on the Railways for causing mental harassment to the professor and an additional Rs 3,000 as compensation.

The court observed, “To de-board a person of an advanced age in the middle of a journey causes a great amount of physical strain and mental harassment to him. If the passenger did not check his ticket at the counter, this does not absolve the Railways of its responsibility. This clearly shows that there were flaws in services provided by the department.”

Railway officials declined to comment on the matter.

 

उत्तर प्रदेश में तूफ़ान 14 की मौत

उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में आए तूफान ने एक बार फिर तबाही मचाई। मौसम विभाग ने गुरुवार को भी प्रदेश के कुछ इलाकों में आंधी-तूफान संभावना जताई है। प्रदेश में बुधवार को आंधी-बारिश और गर्मी के कारण 14 लोगों की मौत हो गई। इस बीच देश के उत्तरी और उत्तर पश्चिमी हिस्से में सक्रिय चक्रवाती दबावों के चलते मानसून की रफ्तार धीमी हो गई है।

दीवार और पेड़ गिरने से अलग-अलग हादसों में अवध के जिलों में सात लोगों की मौत हो गई। मृतकों में सीतापुर के चार, गोंडा के दो और फैजाबाद के एक शामिल थे। जबकि कन्नौज और कौशांबी में दो-दो और हरदोई में एक की जान गई है। वहीं, लू लगने से बांदा और महोबा में एक-एक की मौत हो गई। मौसम विभाग ने गुरुवार को अलर्ट जारी किया है।

पेड़ के नीचे दबे बच्चे, 2 की मौत, 1 घायल…
गोंडा में आंधी-तूफान की वजह से 2 लड़कियों की मौत हो गई जबकि एक बच्चा घायल हो गया है। बताया जा रहा है दोनों मृतक चचेरी बहन हैं। हादसा उस वक्त हुआ जब बारिश से बचने के लिए ये सभी आम के पेड़ नीचे खड़े थे लेकिन तेज आंधी की वजह से पेड़ टूट गया और दोनों लड़कियों की मौत हो गई। बच्चे की हालत गंभीर है जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

दीवार ढहने से दो भाईयों की मौत…
सीतापुर में तेज आंधी के साथ हुई जोरदार बारिश हुई। आंधी की वजह से दीवार गिरने से यहां दो भाइयों की मौत हो गई। वहीं, इस हादसे में उनकी मां गम्भीर रूप से घायल हो गई। हादसा सदरपुर थाना इलाके के धरमपुर गांव में हुआ। हादसे के बाद परिवार में मातम का माहौल है।