अपनी दूसरी शादी के बाद पत्नी और बेटी के बीच चल रहे विवाद से आहत भय्यू महाराज जान देकर भी पत्नी आयुषी और बेटी कुहू को एक धारा में नहीं ला सके। उनकी मौत के बाद भी दोनों के बीच तल्खी कायम रही। सिल्वर स्प्रिंग स्थिति घर पर मंगलवार दोपहर से बुधवार सुबह तक दोनों अलग-अलग कमरों में ही रहीं। यहां तक कि उनके बीच विवाद न हो जाए, इसलिए महिला पुलिसकर्मी कमरों के बाहर तैनात की गईं। बुधवार सुबह भी जब भय्यू महाराज का पार्थिव शरीर दर्शनों के लिए सूर्योदय आश्रम में रखा गया था तब भी सुबह से दोपहर तक आयुषी और कुहू दोनों उनके सिरहाने बैठी रहीं। दोनों के बीच न कोई बात हुई न दु:ख की इस घड़ी में उन्होंने एक-दूसरे के ढाढ़स बंधाया। आयुषी अपने परिजन और आश्रम के सेवादारों के बीच थी तो कुहू अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ थी।
भय्यू महाराज की अंतिम यात्रा में इंदौर सहित महाराष्ट्र, गुजरात से आए हजारों गुरुभक्त शामिल हुए। भावुक भक्तों ने ‘भय्यू महाराज अमर रहे’ और ‘जब तक सूरज चांद रहेगा भय्यूजी का नाम रहेगा’ जैसे नारे लगाए गए। उनके अंतिम दर्शन के लिए महाराष्ट्र के कई राजनेता भी पहुंचे। प्रदेश से लेकर केंद्र तक की राजनीति में खासा दखल रखने के बावजूद राष्ट्रीय संत को श्रद्धांजलि देने प्रदेश सरकार का कोई मंत्री नहीं पहुंचा, न ही राजकीय सम्मान के साथ उन्हें विदाई दी गई।
उनकी पार्थिव देह को फूलों से सजे ट्राले पर दोपहर 3 बजे मुक्तिधाम पर लाया गया। करीब 3.45 बजे मुखाग्नि देते समय कुहू फूट-फूटकर रोने लगी। परिजन ने उन्हें संभाला। इससे पहले दोपहर 2 बजे बापट चौराहा स्थिति सूर्योदय आश्रम से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। मार्ग के दोनों ओर उनके अंतिम दर्शन के लिए लोग खड़े थे। आगे और पीछे सैकड़ों लोग चल रहे थे। रास्ते में कई मंच से पार्थिव देह पर फूल बरसाए गए। इससे पूर्व सुबह 8.30 बजे अस्पताल से भय्यू महाराज की पार्थिव देह स्कीम नंबर 74 स्थित उनके निवास ‘शिवनेरी’ लाई गई। यहां स्नान आदि कराया गया। फिर उनकी दूसरी पत्नी की चार माह की बेटी धारा को भी पिता के मुख दर्शन कराए गए। इस दौरान केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी पहुंचे। वे दस मिनट रुककर चले गए। उनका कहना था भय्यू महाराज की आंबेडकरजी के प्रति गहरी आस्था थी। वे महू में संविधान मंदिर बनवाना चाहते थे। उन्होंने यह कदम क्यों उठाया, यह समझ नहीं आ रहा।
शव रथ में बेटी कुहू का साथ महाराष्ट्र की महिला बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे, दोनों बहनें, ट्रस्ट के तुषार पाटिल, संजय यादव के साथ नजदीकी रिश्तेदार थे। उनके अंतिम दर्शन के लिए औरंगाबाद के सांसद चंद्रकांत खरे, नासिक जिला संघ अध्यक्ष अदव्य हीरे, शिवसेना के औरंगाबाद जिला प्रमुख अंबादास दानवे, महापौर मालिनी गौड़, अन्ना महाराज, कम्प्यूटर बाबा, प्रमोद टंडन, विधायक रमेश मेंदोला, महेंद्र हारिड्या, कांग्रेस नेता कृपाशंकर शुक्ला, पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे, पूर्व विधायक तुलसी सिलावट, कांग्रेस नेता शोभा ओझा, कालीचरण महाराज आदि पहुंचे। महाराष्ट्र से आए मंत्री गिरीश महाजन, एकनाथ शिंदे व पूर्व विधायक अमित देशमुख, कम्प्यूटर बाबा सहित कई गणमान्य लोग व समान्नितजनों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
अंतिम दर्शन के दौरान डॉ. आयुषी और बेटी कुहू उनके शव के सिरहाने बैठी थी। आयुषी ने चार माह की बेटी धारा को पिता के दर्शन करवाने के लिए कांच के बॉक्स का कवर उठाया। पास बैठी कुहू बोल पड़ी ..प्लीज ऐसा मत करो, इसे हटा लो, बच्चे के लिए यह ठीक नहीं है।
शव वाहन में पार्थिव देह के साथ आश्रम पहुंची बेटी
सुबह 10 बजे पार्थिव देह को ‘शिवनेरी’ से उनके ही आश्रम के शव वाहन से बापट चौराहा स्थित सूर्योदय आश्रम पर लाया गया। इसमें परिजन के साथ कुहू भी थी। दस मिनट बाद पत्नी आयुषी दूसरी गाड़ी से पहुंचीं। यहां दोपहर 2 बजे तक भक्तों के दर्शन के लिए पार्थिव देह रखी गई। इस दौरान पत्नी-बेटी के साथ भय्यू महाराज की बहनें मोनू पाटिल और अनुराधा पाटिल भी थीं। अंतिम दर्शन के लिए पहली पत्नी माधवी के पिता और साला भी आए थे। कुहू ने साढ़े तीन साल में मां के बाद पिता को भी खो दिया। 22 जनवरी 2015 को मां माधवी का निधन पुणे में हो गया था। इसके बाद इंदौर में उनका अंतिम संस्कार हुआ।
उधर, सुबह 10 बजे से अंतिम दर्शन शुरू होने के बाद से ही पत्नी डॉ. आयुषी शव के साथ ही बैठी रहीं। वे बदहवास हालत में पति से बार-बार उठने को कहती रहीं। अंतिम यात्रा शुरू होने पर उन्होंने कहा कि वे कहकर गए हैं कि तुम भी मेरे साथ चलो। आश्रम से अंतिम यात्रा निकली तो वे शवयात्रा में शामिल होने की जिद करने लगीं। परिजन उन्हें समझाते रहे, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थी। वह बोलने लगीं, इतनी छोटी बेटी को कैसे संभालूंगी.. आई की उन्हें बड़ी चिंता रहती थी। उनकी देखभाल अब मैं करूंगी। बड़ी मुश्किल से उन्हें कार में बैठाकर ‘शिवनेरी’ बंगले पर भेजा गया।
भय्यू महाराज ने जिन्हें अपने आश्रम परिवार के देखरेख की जिमेदारी दी है वे 42 वर्षीय विनायक दुधाले पिछले 16 साल से भय्यू महाराज के साथ हैं। भय्यू महाराज से जुड़ने से पहले वह इंदौर नगर निगम में पानी का टैंकर चलाते थे। उनके दो बच्चे हैं। बीकॉम तक शिक्षित विनायक का सुखलिया स्थित लवकुश विहार में मकान है। विनायक सुकरिया जिला अहमदनगर (महाराष्ट्र) के रहने वाले हैं। वहां उनकी कृषि भूमि भी है। विनायक भय्यू महाराज के घर के बिजली के बिल, ड्राइवर का वेतन देने के साथ वीआईपी से मेलजोल का लेखा-जोखा भी रखते थे।
आश्रम कहे तो लूंगा जिम्मा भय्यू महाराज जो भी फैसला लेते थे, उसे सभी स्वीकार करते थे। तीन दिन बाद एक बैठक रखी है। इसमें सामूहिक रूप से निर्णय लिया जाएगा। सबके निर्णय के बाद जिम्मेदारी दी जाती है तो उसे पूरी तन्मयता से निभाऊंगा। -विनायक दुधाले, सेवादार
विनायक के नाम पर लिखे नोट को वसीयत नहीं माना जा सकता। कोई भी पावर सिर्फ जीवित रहते ही इस्तेमाल हो सकती है। पॉवर देने वाले की मौत के बाद उसका कोई महत्व नहीं होता। ऐसी स्थिति में महाराज की संपत्ति को लेकर विवाद बढ़ेगा। -केपी माहेश्वरी, एडवोकेट