फारूक अब्दुल्ला अपनी ही सियासत का हूए शिकार


  1. फारूक ने विरोध प्रदर्शन के बावजूद नमाज जारी रखी

  2. कहा- वे गुमराह लोग हैं, उनके नेता होने के कर्तव्यों से मैं बच नहीं सकता

  3. फारूक ने अटल जी के लिए एक प्रार्थना सभा के दौरान भारत माता की जयकार की थी


श्रीनगर: 

जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी लोगों ने ईद उल जुहा की नमाज के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व सीएम फरुक  अब्दुल्ला को नारेबाजी करके परेशान करने की कोशिश की. हालांकि फारूक ने इस विरोध प्रदर्शन के बावजूद नमाज जारी रखी. उन्होंने बाद में विरोध जताने वालों को गुमराह लोग बताया.

पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला आज 17 वीं सदी की हजरतबल दरगाह में  ईद उल जुहा की नमाज़ के दौरान कुछ लोगों ने परेशान किया. दरअसल, दो दिन पहले ही उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के लिए एक प्रार्थना सभा के दौरान ‘‘भारत माता की जय’’ के नारे लगाए थे.

नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता ने परेशान किए जाने के बावजूद अपनी नमाज जारी रखते हुए कहा कि हमारे ही गुमराह लोग ताने मार रहे और उपहास उड़ा रहे हैं. हजरतबल दरगाह में मौजूद लोगों के एक समूह से कुछ लोगों ने ‘‘फारूक अब्दुल्ला वापस जाओ’’ और ‘‘हम क्या चाहते, आजादी’’ के नारे लगाए.

नारेबाजी कर रहे युवाओं के एक धड़े ने जब अब्दुल्ला के पास जाने की कोशिश की, तब कुछ लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर उन्हें ऐसा करने से रोका. उस वक्त अब्दुल्ला अपने खराब स्वास्थ्य के चलते प्रथम पंक्ति में एक कुर्सी पर बैठे हुए थे. सुरक्षा बलों ने भी श्रीनगर से लोकसभा सदस्य की सुरक्षा के लिए एक घेरा बनाया.

फारुक अब्दुल्ला ने कहा- ‘मैं डरने वाला नही हूं. अगर यह समझते हैं कि ऐसे आजादी आएगी तो मैं इनको कहना चाहता हूं कि पहले बेगारी, बीमारी और भुखमरी से आजादी पाओ.’

 

400 साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले में आज हुई सुनवाई

अजय कुमार

पंचकुला 22 अगस्त 2018:

400 साधुओ को नपुंसक बनाने के मामले में सीबीआई जज कपिल राठी की कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस मामले के मुख्य आरोपी गुरमीत राम रहीम विडिओकोंफ्रेंस से पेश हुए जबकि आरोपी डॉक्टर पंकज गर्ग प्रत्यक्ष रूप से कोर्ट में पेश हूए।

आज इस मामले में गवाहियां शुरू हुईं, मामले में शिक़ायतकर्ता हंसराज की गवाही हुई जो अगली सुनवाई में भी जारी रहेगी।

आज सुनवाई के दौरान राम रहीम ने कोर्ट में बेल एप्लिकेशन लगाई जिस पर 23 अगस्त को सुनवाई की जाएगी।

मामले में आरोपी पंकज गर्ग ने भी विदेश जाने के लिए कोर्ट में इजाज़त मांगी इस पर भी फैसला अगली सुनवाई को होगा।

मुख्य मामले की सुनवाई 4 सितबर को होगी।

बता दें कि फतेहाबाद निवासी हंस राज चौहान की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया था कि डेरे में रहने वाले साधुओं को सब्जबाग दिखाए गए थे कि नपुंसक बनने वाले साधुओं को डेरामुखी गुरमीत राम रहीम सिंह ईश्वर के दर्शन करवाएंगे। आरोप है कि गुरमीत राम रहीम और उसके साथियों ने 400 साधुओं को झांसा देकर नपुंसक बना दिया था। याचिकाकर्ता ने कहा था कि वह भी इन साधुओं में से एक था। उनका जीवन नर्क बन गया है। याची ने कहा था कि वर्ष 1990 से वह डेरे से जुड़ा हुआ था। वर्ष 2000 में ईश्वर के दर्शन करवाने के नाम पर उसके साथ करीब 20 साधुओं को नपुंसक बना दिया गया। इससे उनके शरीर में हारमोनल बदलाव आ गए हैं। लोग उन्हें नपुंसक कहकर छेड़ते हैं।

साधु ने कर ली थी आत्महत्या
याचिका में विनोद कुमार नामक साधु का उदाहरण देकर कहा गया कि विनोद ने सिरसा कोर्ट कांप्लेक्स में आत्महत्या कर ली थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया था कि वह नपुंसक है। याचिका में दावा किया गया है कि इस तरह 400 साधु डेरे में हैं।

Anil Ambani Issues “Cease & Desist Notice” to Congress Spokesperson


Anil Ambani had written to Rahul Gandhi saying that the Congress has been “misinformed, misdirected and misled” by “malicious vested interests and corporate rivals” on the Rafale deal issue.


NEW DELHI:

Businessman Anil Ambani led Reliance Infrastructure, Reliance Defence and Reliance Aerostructure has sent notices to Congress leaders asking them to behave responsibly while speaking on Rafale deal or face legal action. In a cease and desist notice addressed to Congress Spokesperson Jaiveer Shergill, Reliance said that freedom of expression of politicians does not mean that they have a license to behave irresponsibly to suit their interests.

“Freedom of expression and speech should not be mistaken as a license to behave irresponsibly and make false, frivolous, misleading and distorted statements to suit your political interest,” the notice said.

Reliance named other Congress leaders viz Randeep Surjewala, Ashok Chavan, Sanjay Nirupam, Anugrah Narayan Singh. Oommen Chandy, Shaktisinh Gohil, Abhishek Manu Singhvi, Sunil Kumar Jakhar and Priyanka Chaturvedi saying that they have been indulging in making incorrect, false, frivolous statements against Reliance.

The notice alleged that Congress leaders are indulging in what appears to be a “vilification campaign” to “deliberately besmirch” the name and reputation of the company for “petty personal and political gains”.

Warning the party members against making such statements, the Reliance group said that it reserves right to take legal recourse for the “protection of their name, brand, reputation and goodwill in case of any scurrilous statements being made against them”.

Reacting to the notice, Jaiveer Shergill said such notices cannot scare him away. “Received “Cease & Desist” Notice from Sh Anil Ambani threatening me with legal consequences if I speak on #RafaleDeal; My reply-I’m a Congress Soldier, a Proud Punjabi who doesn’t get scared with such notices-Tax Payer of this country deserves to know why they paid extra 42000 Cr,” he tweeted on Wednesday.

Anil Ambani had recently written to Congress president Rahul Gandhi on the Rafale fighter jet deal saying his party has been “misinformed, misdirected and misled” by “malicious vested interests and corporate rivals” on the issue.

Congress led by Rahul has been attacking the government for inking the Rafale deal claiming that the contract was signed at a much higher price than the one the previous UPA regime had negotiated. While Rahul has accused the government of changing the deal to benefit “one businessman”, his party has demanded a JPC probe into the deal.

फंड की कमी से जूझ रही कांग्रेस का बेड़ा पार लगा पाएंगे नए कोषाध्यक्ष अहमद पटेल!


16 साल तक सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव रहे अहमद पटेल राहुल गांधी की टीम में शामिल नहीं थे, कांग्रेस में उनके पास कोई पद नहीं था लेकिन राहुल ने पटेल को कोषाध्यक्ष बना कर बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है


कांग्रेस में अहमद पटेल टीम राहुल में शामिल हो गए हैं. अहमद पटेल ऐसे नेता बन गए हैं जो इंदिरा गांधी के बाद राजीव गांधी-सोनिया गांधी के साथ काम कर चुके है और अब राहुल गांधी के साथ काम करने जा रहें हैं. कांग्रेस अध्यक्ष ने अहमद पटेल को खजांची (कोषाध्यक्ष) का महत्वपूर्ण पद दिया है. कांग्रेस की परंपरा के मुताबिक कोषाध्यक्ष का पद नंबर दो की हैसियत रखता है. ऐसे में अहमद पटेल अाधिकारिक तौर पर पार्टी में राहुल गांधी के बाद नंबर टू हो गए हैं. हालांकि अभी कल तक उनके भविष्य को लेकर संशय बना हुआ था.

टीम राहुल में अहमद पटेल अभी बिना पद के चल रहे थे. कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में जरूर उनको राहुल गांधी ने मनोनीत किया था. लेकिन पार्टी में कोई काम उनके जिम्मे नहीं था. पटेल एक जमाने में सोनिया गांधी के सबसे विश्सनीय सहयोगियों में थे. अहमद पटेल की जबान को सोनिया गांधी की बात समझी जाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है. राहुल गांधी की टीम सब फैसले खुद ही कर रही है. लेकिन अहमद पटेल की इस टीम में शामिल होना उनकी उपयोगिता को साबित करता है.

जन्मदिन पर अहमद पटेल को मिला यह खास तोहफा

21 अगस्त को अहमद पटेल का जन्मदिन भी है. इस दिन राहुल गांधी ने नियुक्ति पत्र जारी किया है. उनके समर्थक कह रहे हैं कि राहुल गांधी की तरफ से तोहफा है. अहमद पटेल के मायूस समर्थक खुश नजर आ रहें हैं. लेकिन पहले की तरह अहमद पटेल ने लाइम लाइट से दूरी बना रखी है. अहमद पटेल को साइलेंट ऑपरेटर के तौर पर देखा जाता है. यही उनकी खूबी है. उनको पता है कि किस से क्या काम लेना है. कांग्रेस के भीतर उनके दोस्त भी है, तो विरोधी भी है. लेकिन अब हालात बदल गए है. कांग्रेस के पास फंड की कमी भी है. पार्टी को एक साल से कम वक्त में आम चुनाव का सामना करना है. इसलिए अहमद पार्टी के लिए बेहतरीन फंड मैनेजर साबित हो सकते हैं.

कांग्रेस को फंड की जरूरत

अहमद पटेल भले ही आधिकारिक तौर पर कोषाध्यक्ष ना रहें हों लेकिन पार्टी का हिसाब किताब उनके जिम्मे ही थी. सप्ताह में एक से दो बार वो निवर्तमान कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के साथ बैठकर पार्टी के आर्थिक हालात की समीक्षा करते थे. चुनाव के दौरान ऐसी बैठको का दौर बढ़ जाता था. लेकिन अब ये जिम्मेदारी सीधे उनके कंधों पर है. पार्टी के लिए नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी के होते हुए पैसा जुटाना आसान काम नहीं है. कॉरपोरेट घराने कांग्रेस से दूरी बनाए हुए हैं, खासकर बड़े घराने अभी कांग्रेस के पाले में नहीं है. बीजेपी अध्यक्ष की पैनी निगाह से बचकर ये काम करना कठिन है. लेकिन यूपीए के दस साल में सोनिया गांधी का दरवाजा अहमद के जरिए ही खुलता था. इसलिए पूराने रिश्ते की बदौलत पटेल कांग्रेस का काम आसान कर सकते हैं.

पटेल पर कोटरी पॉलिटिक्स करने का आरोप

सोनिया गांधी के कार्यकाल में अहमद पटेल पर कोटरी पॉलिटिक्स को बढ़ावा देने का आरोप है.उनके विरोधी कहते है कि जमीनी नेताओं को पार्टी के भीतर हाशिए पर ढधकेलने का काम सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव ने बखूबी अंजाम दिया है. जिसके अहमद पटेल के साथ रिश्ते खराब हुए उसके नंबर पार्टी के भीतर कम हो गए. इसके अलावा अपने लोगों को प्रमोट करने का आरोप भी विरोधी उनके ऊपर लगाते हैं. मसलन भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की मनमानी के कारण चौधरी विरेंद्र सिंह और राव इन्द्रजीत समेत कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी. लेकिन हुड्डा का कुछ नहीं बिगड़ सका, क्योंकि उन्हें अहमद का आशीर्वाद प्राप्त था.

महाराष्ट्र में जमीनी नेताओं को दरकिनार करके पृथ्वीराज चह्वाण को मुख्यमंत्री बना दिया गया. इसके अलावा जगन मोहन रेड्डी को पार्टी छोड़ने की वजह भी उन्हीं को बताया गया है. ये सब बानगी भर है. लेकिन अहमद के विरोधी पार्टी के भीतर हाशिए पर जाते रहे, क्योंकि अहमद पटेल की ताकत लगातार बढ़ती रही.

यूपीए के दस साल में सबसे ताकतवर

सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के बाद अगर किसी की चलती थी तो वो अहमद पटेल की चलती थी. उनसे मिलने के लिए कई दिन कैबिनेट मंत्रियों को इंतजार करना पड़ता था. कांग्रेस के मुख्यमंत्री उनसे मिलकर ही अपने आप को धन्य महसूस करते थे. यूपीए सरकार के एक मंत्री बता रहे थे कि अहमद पटेल से मिलने का समय मांगा तो कहा गया कि तीन बजे आ जाओ लेकिन जब वो तीन बजे पहुंचे तो पता चला की सुबह के तीन बजे मिलने का वक्त है. इस तरह से 2007 में अमरोहा में राहुल गांधी के रोड शो के दौरान भीड़ इकट्ठा करने की जिम्मेदारी ऐसे सांसद पर थी, जो कांग्रेस का नहीं था. जाहिर है कि अहमद पटेल की बात टालने की हिम्मत कम ही लोगों में थी.

सरकार चलाने में अहम भूमिका

यूपीए के दस साल के दौरान सहयोगी दलों के साथ रिश्ते मजबूत रखने का काम बखूबी अंजाम दिया है. 2008 में लेफ्ट के समर्थन वापसी के बाद मनमोहन सिंह सरकार को बचाने में अहम किरदार अहमद का ही था. समाजवादी पार्टी को विरोधी से समर्थक बनाने में उनको ज्यादा वक्त नहीं लगा. जिससे सरकार बच गई.

ये बात दूसरी है कि कैश फॉर वोट का इल्जाम लगा लेकिन अहमद पटेल उससे बेदाग निकले. इस घूसकांड का कोई नतीजा तो नहीं निकला लेकिन अमर सिंह और सुधींद्र कुलकर्णी को जेल जरूर जाना पड़ा.

हालांकि उस वक्त कांग्रेस के साथ खड़े समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह अब बीजेपी से रिश्ते बनाने में मशगूल हैं. वहीं बीजेपी के साथ रहे लाल कृष्ण आडवाणी के सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी राहुल गांधी के सबसे बड़े समर्थक के तौर पर दिखाई दे रहें हैं.

गठबंधन के लिए उपयोगी

अहमद पटेल की हर पार्टी में दोस्ती है. बीजेपी में भी उनके दोस्तों की कमी नहीं है. खासकर अमित शाह से पहले वाली बीजेपी में उनके चाहने वालों की कमी नहीं हैं, क्योंकि अहमद पटेल को दोस्ती करना और निभाना भी आता है. क्षेत्रीय दलों के सभी कद्दावर नेता उनके फोन कॉल पर उपलब्ध हैं. समाजवादी पार्टी और बीएसपी दोनों यूपीए की समर्थक ऐसे नहीं थी. ममता बनर्जी से रिश्ते अच्छे हैं. चंद्रबाबू नायडू जब कांग्रेस की राजनीति करते थे तो अहमद पटेल उनके शुभचिंतक में से थे.

कर्नाटक की सरकार बनाने में भी पटेल ने अहम भूमिका निभाई है. एचडी देवगौड़ा को राजी करने का काम उन्होंने ही अंजाम दिया था. हालांकि मेघालय में सरकार बनाने में नाकाम रहे थे. यही हाल मणिपुर में भी हुआ. लेकिन इन सब के बाद भी कांग्रेस में उनके बराबर का राजनीतिक प्रबंधक कोई नहीं है. ये बात उन्होंने पिछले साल राज्यसभा के चुनाव में साबित कर दी थी. जब वो अमित शाह की राजनीतिक व्यूह रचना तोड़कर चुनाव जीतने में कामयाब हो गए थे.

गांधी परिवार से करीबी

अहमद पटेल को राजनीति में आगे बढ़ाने का काम गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी ने किया था. जिसके बाद राजीव गांधी के करीबी हो गए. राजीव गांधी नें उनको 1985 में पार्टी का महासचिव बनाया, फिर 1986 में गुजरात जैसे महत्वपूर्ण राज्य का अध्यक्ष बना दिया गया. सीताराम केसरी की अध्यक्षता में 1996 -2000 तक पटेल कोषाध्यक्ष रहे थे. सीताराम केसरी का साथ छोड़कर सोनिया गांधी के साथ आए, फिर 2001 से 2017 तक उनके राजनीतिक सचिव की हैसियत से काम किया और अब राहुल गांधी के साथ पटेल की पारी का आगाज हो रहा है.

Gateway to drugs ignored by four states in their fight plan

Jammu and Kashmir may have become a virtual gateway to drugs, but its cause to control the malaise is not expected to get help following its exclusion by a group of four other northern states which came together to fight drug menace.

The Chief Ministers of Haryana, Punjab, Uttrakhand and Himachal Pradesh have reportedly decided to establish a central secretariat at Panchkula to sharing data and monitor steps to meet the challenge of growing drug abuse among the youth.

Many have questioned Jammu and Kashmir has not been included to participate in the drive, claiming that most narcotics are being smuggled to rest of the country from the state.

Drug smuggling has apparently assumed the proportion of narco-terrorism. Narcotics are smuggled into J&K from Pakistan and Afghanistan through mountainous terrain along the Line of Control (LoC) between India and Pakistan occupied Kashmir (PoK).

Although at present there is no elected government in J&K – the state being under Governor’s rule – some representative of the Home Department or the state police could have been included in the joint team to yield better results in fight against drug smuggling.

J&K, Punjab, Rajasthan and Gujarat share international border with Pakistan from where narcotics, it is understood, are being pushed into India.

Besides, smuggling from Pakistan and PoK, high quality charas grown in various parts of Kashmir is also smuggled to rest of the country. Seizure of huge consignments of narcotics recently by the J&K Police and the Narcotics Bureau bear testimony to that. A consignment of narcotics worth about Rs 300 crore was recently seized from a Pakistani truck on a LoC trading centre in Kashmir.

Besides J&K, the Malana valley of Himachal Pradesh is also known to be contributing high grade charas in the drug market, but reports indicate that the charas produced in Anantnag area of south Kashmir has a greater market even in far away city of Mumbai.

The J&K Police, meanwhile, has initiated a drive to manually destroy the poppy plantations in apple orchards at various places. However, it might take a long time to achieve the desired results till mechanical methods are introduced to uproot the plants.

Sibling rivalry over prez post intensifies in DMK

 

The sibling rivalry in Dravida Munnetra Kazhagam (DMK) intensified with the official wing of party deciding to go ahead with plan to elevate M K Stalin, son of M Karunanidhi, the 50- years-long president of the party who died recently, and the estranged elder brother M K Alagiri upped the ante of revolt to a new level declaring a rally of his loyalists in Chennai on 5 September.

It is almost ensured that the DMK is going to elevate Stalin in the party’s general council meeting, called by its general secretary K Anbazhagan, on 28 August.

Party general secretary has included election of president and treasurer, along with audit committee’s report in the agenda for the event to be held at DMK headquarters Anna Arivalayam. As a prelude to the election of Stalin as the party’s head, district units and various wings of DMK have passed resolutions to the effect that they accept his leadership.

Stalin’s elevation to the president’s post is quite natural as he has been functioning as the working president of the party ever since his father and five-time chief minister Karunanidhi’s failing health kept him out of active politics.

In the course of making his younger son, Stalin, his heir, Karunanidhi expelled Alagiri, his elder son from the party four years ago citing anti-party activities.

Though Alagiri was keeping a low in the public life for the past few years and never criticised party organ, immediately after the demise of Karunanidhi he came out in open to revolt against Stalin while visiting his father’s grave days after the cremation.

According to political observers and some of the veteran journalist’s opinion, Alagiri will continue to be a headache for Stalin as he is still holding good influence in south Tamil Nadu. His rally will be the first step of upping the ante of rebellion to a new level after he staked claim to his father’s mantle at his grave at the Marina on 13 August, especially one of its kind to be organised in Chennai.

“The permission to hold a rally from Anna Statue has been sought from police and we hope to get it in a day or two. More than 75,000 people are expected tp to turn up,” said Alagiri. Though Alagiri claims that he is not holding the rally to prove his popularity, it is evident from the fact that the venue chosen for the rally is a pointer to Stalin.

And according to sources close to DMK, some of the senior leaders of the party had in touch with Alagiri and the probability of a heightened fight among the siblings is gaining ground. If elected as president of the party, Stalin will only be the second president of DMK which was founded by late Dravidian Starwalt C N Annadurai in 1949.

The sources close to party revealed that the former minister and the party’s principal secretary Durai Murugan will be elevated to the coveted post of treasurer, a decision which was pointed out by political observers as the immediate cause of Alagiri’s rebellion.

Meanwhile, Senior leaders of the DMK are confident there would be absolutely no opposition to Stalin taking over the party reins. Some of them even believe that the BJP at the centre is creating problems in the party.

Some of the political observers also are of the opinion that the degradation of Dravidian movement in the state is necessary for the BJP or any other party to gain grounds.

India’s 3-point checklist for WhatsApp: Grievance mechanism, compliance with Indian laws, Indian entity


Union Law and Information Technology Minister Ravi Shankar Prasad meets WhatsApp CEO Chris Daniels, suggests measures to curb spread of rumours and fake news on the messaging platform


The sibling rivalry in Dravida Munnetra Kazhagam (DMK) intensified with the official wing of party deciding to go ahead with plan to elevate M K Stalin, son of M Karunanidhi, the 50- years-long president of the party who died recently, and the estranged elder brother M K Alagiri upped the ante of revolt to a new level declaring a rally of his loyalists in Chennai on 5 September.

It is almost ensured that the DMK is going to elevate Stalin in the party’s general council meeting, called by its general secretary K Anbazhagan, on 28 August.

Party general secretary has included election of president and treasurer, along with audit committee’s report in the agenda for the event to be held at DMK headquarters Anna Arivalayam. As a prelude to the election of Stalin as the party’s head, district units and various wings of DMK have passed resolutions to the effect that they accept his leadership.

Stalin’s elevation to the president’s post is quite natural as he has been functioning as the working president of the party ever since his father and five-time chief minister Karunanidhi’s failing health kept him out of active politics.

In the course of making his younger son, Stalin, his heir, Karunanidhi expelled Alagiri, his elder son from the party four years ago citing anti-party activities.

Though Alagiri was keeping a low in the public life for the past few years and never criticised party organ, immediately after the demise of Karunanidhi he came out in open to revolt against Stalin while visiting his father’s grave days after the cremation.

According to political observers and some of the veteran journalist’s opinion, Alagiri will continue to be a headache for Stalin as he is still holding good influence in south Tamil Nadu. His rally will be the first step of upping the ante of rebellion to a new level after he staked claim to his father’s mantle at his grave at the Marina on 13 August, especially one of its kind to be organised in Chennai.

“The permission to hold a rally from Anna Statue has been sought from police and we hope to get it in a day or two. More than 75,000 people are expected tp to turn up,” said Alagiri. Though Alagiri claims that he is not holding the rally to prove his popularity, it is evident from the fact that the venue chosen for the rally is a pointer to Stalin.

And according to sources close to DMK, some of the senior leaders of the party had in touch with Alagiri and the probability of a heightened fight among the siblings is gaining ground. If elected as president of the party, Stalin will only be the second president of DMK which was founded by late Dravidian Starwalt C N Annadurai in 1949.

The sources close to party revealed that the former minister and the party’s principal secretary Durai Murugan will be elevated to the coveted post of treasurer, a decision which was pointed out by political observers as the immediate cause of Alagiri’s rebellion.

Meanwhile, Senior leaders of the DMK are confident there would be absolutely no opposition to Stalin taking over the party reins. Some of them even believe that the BJP at the centre is creating problems in the party.

Some of the political observers also are of the opinion that the degradation of Dravidian movement in the state is necessary for the BJP or any other party to gain grounds.

WhatsApp should have a corporate entity in the country: Ravi Shankar

Union Law and Information-Technology Minister Ravi Shankar Prasad suggested that popular cross-platform messaging service WhatsApp should have a corporate entity in the country.

Prasad, who held a meeting with WhatsApp CEO Chris Daniels earlier today in New Delhi, said that the two had a “productive meeting” during which they held talks on how to curb the spread of rumours and fake news on the messaging service which have lead to cases of mob lynchings and rioting in the country.

“I had a very productive meeting. I complimented him for extraordinary technological awakening that WhatsApp has led in the country, for education, healthcare, relief in Kerala. These are positive developments,” the Union minister told reporters after the meeting.

Making specific mention of mob lynching and revenge porn, the Union minister said that there is need to find solutions to the law and order challenges that India faces due to misuse of the service provided by the Facebook-owned company.

“There are also very sinister developments that provoke crime like mob lynching, revenge porn and you must find solutions to these challenges which are downright criminal violation of Indian laws,” he said.

Prasad said that he suggested three points.

“The first is that WhatsApp must have a grievance officer in India. The second is that WhatsApp must have a proper compliance of Indian laws,” he said adding that India won’t appreciate a “scenario where any problem will have to be answered in America”.

“The third is that WhatsApp must have a proper corporate entity located in India as it has become an important component of India’s digital storage,” said Prasad.

WhatsApp has been facing a major challenge in the form of fake news spreading rapidly on the platform.

Earlier in July, the company based in Mountain View, California, issued a full page advertisement in Indian newspapers listing 10 points for its users to go through to tackle misinformation.

The ad was issued about a week after the company wrote to the Indian government expressing horror at the acts of violence prompted by the spread of fake news.

Read More: In full-page ad, WhatsApp urges users in India to fight fake news

The government had earlier told the company that it must find solutions to check the rampant abuse of the platform, warning of legal consequences in the absence of adequate checks.

On 20 July, WhatsApp began testing a new feature which limits the number of messages and media a user can forward. In India, WhatsApp is testing a lower limit — five chats at once — and also remove the quick forward button next to media messages.

Read More: WhatsApp to restrict forwards to 5 chats in India

According to reports, Daniels will be in India for 4-5 days and meet business and government officials during his visit.

HRD Ministry withdraws decision to conduct NEET twice a year, drops online-only plan


The decision follows recommendations from the Ministry of Health, which raised concerns about conducting the exam twice a year saying such an arrangement might put additional pressure on students.


The Union Ministry of Human Resource Development has withdrawn its decision taken a month ago to conduct the National Eligibility cum Entrance Test (NEET) twice a year from 2019. It has also dropped its ambitious plan to hold the test only in online mode, according to officials.

NEET will be conducted on May 5, 2019, in pen-and-paper mode.

The decision follows recommendations from the Ministry of Health, which raised concerns about conducting the exam twice a year saying such an arrangement might put additional pressure on students.

The health ministry also voiced concern about the online mode saying students living in rural areas might suffer.

Human Resource Development Minister Prakash Javadekar had last year announced that the newly-formed National Testing Agency (NTA) would conduct the NEET for medical admissions, along with the Joint Entrance Examination-Main for admission to engineering colleges, twice a year.

He had also announced that all exams conducted by NTA would be computer-based.

The health ministry then wrote to the HRD airing its concerns.

“The change in the NEET exam pattern as against the statement earlier, which will now be a single exam in pen-and-paper mode and in the same number of languages as has been conducted last year, is on the request of the Ministry of Health and Family Welfare, which wanted the same pattern followed last year to be maintained,” PTI quoted a senior HRD official as saying.

After a tentative schedule was released in July, the HRD Ministry made public the final schedule of the examinations to be conducted by NTA.

“NTA is also establishing a countrywide network of test practice centres (TPCs) for students of rural areas so that everyone will have an opportunity to practice before the exam. The TPCs will have a downloaded Computer Based Test (CBT) which will be similar to the actual test to be conducted on the exam day,” said the official.

He added: “The practice tests will help the candidates to familiarise themselves with logging into the system, going through the detailed instructions regarding the test, using the mouse or numeric keyboard on screen (virtual) for attempting each question, scrolling down to the next question, navigating between questions, reviewing and editing their options and submit questions.”

BJP activist Shabbir Ahmed Bhatt found dead

Pulwama, August 22: BJP active Member killed by terrorists in Kasmir, identified as Shabir Ahmad Bhat.
His Bullet ridden body recovered by Police and Army in fields at Rakh Litter, Pulwama.