‘मेड इन चाइना’ 15 अगस्त 2019 को रिलीज होगी. अपने कैलेंडर पर दर्ज कीजिए.’ राजकुमार राव


इस फिल्म का निर्माण ‘मडोक फिल्म्स’ के अंतर्गत दिनेश विजन कर रहे हैं.


कोरल (पुरनूर)

चंडीगढ़

अपनी हालिया रिलीज फिल्‍म ‘स्त्री’ से धमाका करने के बाद अभिनेता राजकुमार राव एक बार फिर सबको गुदगुदाने आ रहे हैं. जहां उनकी हालिया रिलीज फिल्म ‘स्त्री’ बॉक्स ऑपिस पर धमाल मचा रही है और कई नए कीर्तिमान रच रही है. वहीं अब उनके फैंस के लिए एक बड़ी खुशबरी आ गई है. इसकी जानकारी खुद राजकुमार राव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए फैंस के साथ शेयर की है.

राजकुमार राव ने अपनी अपकमिंग फिल्‍म ‘मेड इन चाइना’ की तस्‍वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया है. राजकुमार द्वारा शेयर की गई तस्‍वीर में उनके साथ मौनी रॉय भी शानदार अंदाज में नजर आ रही हैं. उन्‍होंने लिखा है, ‘रघु और रुक्मणि से मिलने के लिए हो जाइए तैयार, ‘मेड इन चाइना’ 15 अगस्त 2019 को रिलीज होगी. अपने कैलेंडर पर दर्ज कीजिए.’

राजकुमार फिल्म में रघु के किरदार में होंगे जबकी मौनी रुक्मणि के किरदार में होंगी. फिल्म में उनके अलावा बोमन ईरानी भी मुख्य भूमिका में नजर आएंगे. इस फिल्म का निर्माण ‘मडोक फिल्म्स’ के अंतर्गत दिनेश विजन कर रहे हैं.

इन फिल्‍मों भी नजर आएंगे राजकुमार

वहीं राजकुमार की अपकमिंग फिल्‍मों की बात करें तो वह साल 2019 में इन धमाकेदार फिल्‍मों भी नजर आएंगे. जिसमें ‘5 वेडिंग’, ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’, ‘मेंटल है क्या’ जैसी फिल्में शामिल हैं.

‘रंगीला राजा’ से वापसी कर रहे हैं गोविंदा


पहलाज निहलानी ‘रंगीला राजा’ के साथ एक बार फिर गोविंदा के साथ वापसी कर रहे हैं.


कोरल(पुरनूर) 

बॉलीवुड के राजाबाबू और कॉमेडी किंग गोविंदा एक बार फिर फिल्मों में धमाकेदार एंट्री करने के लिए तैयार है. ‘आंखें’, ‘इल्जाम’, ‘शोला और शबनम’ को प्रोड्यूस करने वाले पहलाज निहलानी ‘रंगीला राजा’ के साथ एक बार फिर गोविंदा के साथ वापसी कर रहे हैं. फिल्म का पोस्टर आउट कर दिया गया है.

इसका फर्स्ट लुक पोस्टर तरण आदर्श ने ट्वीट कर शेयर किया है. इस फिल्म में गोविंदा डबल रोल में नजर आएंगे और 4 किरदार भी निभाएंगे. फिल्म में उनके साथ मिशिका चौरसिया, अनुपमा अग्निहोत्री और दिगांगना सूर्यवंशी नजर आएंगी. फिल्म की शूटिंग राजस्थान में होगी. इस पोस्टर में गोविंदा कलरफुर शर्ट पहने हुए मूछों में दिख रहे हैं.

फिल्म का पोस्टर देखने के बाद 90 के दशक के गोविंदा की याद तरोताजा हो जा रही है। वहीं गोविंदा जल्‍द ही अपनी अपकमिंग फिल्म ‘फ्राईडे’ से बड़े पर्दे पर नजर आने वाले हैं. जिसमें उनके साथ वरुण शर्मा और दिगांगना सूर्यवंशी दिखाई देंगे. ‘फ्राईडे’ 12 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है.

कई बरसों के बाद अचानक एक मुलाकात… उस सारी नज्म लकीर फेर दी.


विवाहिता अमृता को जरा भी झिझक नहीं होती है अपने इश्क का इजहार करने में. वो साहिर के नजरिए से भी इस दास्तान को बयान करती हैं


पुरनूर, कोरल:

प्यार करना, उसका इजहार करना और फिर सुनने वालों से उसके लिए इज्जत पाना. जाहिर सी बात है कि ऐसे हादसे, खूबसूरत हादसे कहलाते हैं और शोहरत की पतंग बनकर मिसाल की डोर से बांध जाते हैं. आवागमन के इस मंच पर कुछ लोग प्रेम की मूरत बनकर आते हैं और हीर, लैला, मीरा या अमृता कहलाते हैं. ये प्रेम दीवाने अपने मन को दर्पण बनाते हैं और दुनिया के तमाम भले-बुरे कर्मों को देखते-दिखाते हैं.

आइए, अमृता प्रीतम के जन्मदिन पर बात शुरू करने के लिए उनकी एक याद को केंद्र में रखकर उस शख्सियत को समझने की कोशिश करते हैं जो कीचड़ में कमल की तरह हैं. वो कमल जिसे ‘विश्व का गर्भ’ कहा जाता है क्योंकि यह मन की पवित्रता, इंसानी स्वभाव और आध्यात्मिक रोशनी का प्रतीक है.

दोनों लंबी खामोशी में डूबे थे

‘अमृता-इमरोज़–ए लव स्टोरी’ इसकी लेखिका हैं उमा त्रिलोक, जो अमृता और इमरोज़ की दोस्त भी हैं. उमा लिखती हैं कि अमृता ने गुफ्तुगू के दौरान बताया कि एक दिन अचानक साहिर लुधियानवी ने अमृता से कहा ‘ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि हम दोनों जाकर चीन में रहने लगें?’ मुझे साहिर की इस अचानक राय ने उलझा दिया. मैंने भी अचानक सवाल पर सवाल कर दिया, ‘हम वहां चीन जाकर क्या करेंगे?’ ‘हम वहां शायरी करेंगे.’ साहिर ने जवाब दिया. हैरत में डूबी अमृता के मुंह से अनायास ही निकल पड़ा, ‘शायरी तो हम यहां भी कर सकते हैं, चीन जाए बगैर.’ ‘हां बेशक हम कर सकते हैं लेकिन अगर हम चीन चले जाएं तो यहां लौटकर नहीं आयेंगे.’ साहिर ने जवाब दिया.

अमृता बता रही थीं कि इस तरह एक दोस्त ने, एक दोस्त के आगे जीवन-साथी बन जाने की पेशकश की, दोस्त ने पेशकश का सार समझा, उसे ठुकराया नहीं, बल्कि ये कह दिया कि ‘शायरी तो हम यहां भी कर सकते हैं, चीन जाए बगैर’.

साहिर की अधजली सिगरेटों ने पकड़ाई लत

इसके बाद आदतों ने पूरे दृश्य को संभाल लिया. लम्बी खामोशी में दोनों डूब गए. साहिर ने कुछ और सिगरेटें फूंकीं और चले गए. अमृता ने आदतन उन अधजली सिगरेटों को उठाया और अलमारी में उसी जगह रख दिया जहां ऐसी कई और सिगरेटें रखी थीं.

अपनी आत्मकथा ‘रसीदी-टिकट’ में अमृता लिखती हैं, ‘जब साहिर लाहौर में हमसे मिलने आते थे तो ऐसा लगता था जैसे मेरी खामोशी का ही एक हिस्सा मेरी बगल वाली कुर्सी पर पसर गया है और फिर अचानक उठकर चला गया…

‘वो खामोशी से सिगरेट जलाता और फिर आधी सिगरेट ही बुझा देता, फिर एक नई सिगरेट जला लेता. जबतक वो विदा लेता, कमरा ऐसी सिगरेटों से भर जाता. मैं इन सिगरेटों को हिफाजत से उठाकर अलमारी में रख देती. और जब कमरे में अकेली होती तो उन सिगरेटों को एक-एक करके पीती. मेरी उंगलियों में फंसी सिगरेट, ऐसा लगता कि मैं उसकी उंगलियों को छू रही हूं. मुझे धुएं में उसकी शक्ल दिखाई पड़ती. ऐसे मुझे सिगरेट पीने की लत पड़ी.’

विवाहिता अमृता को जरा भी झिझक नहीं होती है अपने इश्क का इजहार करने में. वो साहिर के नजरिए से भी इस दास्तान को बयान करती हैं. ‘साहिर ने बहुत बाद में, जीवन का काफी अरसा गुजर जाने के बाद एक दिन बताया था कि ‘उन दिनों लाहौर में मैं अक्सर तुम्हारे मकान के पास नुक्कड़ की दुकान से पान या सिगरेट के बहाने, कभी-कभी सोडे की बोतल पकडे घंटों गुजार देता और तुम्हारे घर की उस खिड़की पर टकटकी लगाए रखता जो उस तरफ खुलती थी.’

मुशायरे ने दो शायरों को मिलाया

अमृता और साहिर की पहली मुलाकात 1944 के आस-पास ‘प्रीत नगर’ में होती है, जो लाहौर और अमृतसर के बीच में पड़ता था. देखिये पहली मुलाकात की जगह भी अद्भुत है, प्रीतनगर. 25 साल की अमृता प्रीतनगर एक मुशायरे में शिरकत के लिए आई हैं. विवाहित हैं और पति का नाम है प्रीतम सिंह. वो प्रीतम जो देर तक जीवनसाथी नहीं रह सका लेकिन अमृता ने उसे अपने नाम का हिस्सा बना लिया.

इस मुशायरे में पंजाबी और उर्दू शायरों का जमावड़ा है. साहिर उठते हैं और मुशायरे में अपनी शायरी के जलवे बिखेरते हैं.

‘मुझे नहीं पता कि ये उसके शब्दों का जादू था या उसकी खामोश नजरों की जंजीर, में पूरी तरह से खुद को जकड़ा हुआ पा रही थी. मुशायरा आधी रात तक चला. उस रात बारिश भी झूम-झूम के हुई. आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो ऐसा लगता है जैसे उस रात, नसीब ने प्यार का एक बीज बोया, जिसे बारिश ने पाला.’

ये वो जमाना था जब मुशायरा और कवि सम्मलेन, समाज की सांस्कृतिक चेतना का केंद्र हुआ करते थे. अगले दो-तीन वर्ष अमृता-साहिर का ऐसे आयोजनों में बार-बार मिलना एक आपसी अनुराग में बदल गया. लेकिन इसी बीच विभाजन की त्रासदी ने नफरतों का वो तांडव किया कि एक प्रेम दीवानी को सोए हुए वारिस शाह को आवाज देनी पड़ी.

अज्ज आखां वारिस शाह नूं कित्थों कबरां बोल

ते अज्ज किताब-ए-इश्क दा कोई अगला वरका खोल

इक रोई सी धी पंजाब दी तू लिख-लिख मारे वैन

अज्ज लक्खां धीयां रोंदियाँ तैनू वारिस शाह नू कैन

उठ दर्दमदां देआ दर्देया उठ तक्क अपना पंजाब

अज्ज बेले लाशां बिछियां ते लहू दी भरी चिनाब

(आज मैं वारिस शाह से कहती हूं, अपनी कब्र से बोल/ और इश्क की किताब का कोई नया पन्ना खोल/ पंजाब की एक ही बेटी (हीर) के रोने पर तूने पूरी गाथा लिख डाली थी/ देख, आज पंजाब की लाखों रोती बेटियां तुझे बुला रही हैं/ उठ! दर्दमंदों को आवाज देने वाले! और अपना पंजाब देख/ खेतों में लाशें बिछी हुई हैं और चेनाब लहू से भरी बहती है.)

एक संगमरमरा का टुकड़ा थीं अमृता

अमृता एक बेहद खूबसूरत औरत थीं. फिल्म लेखक सी. एल. काविश इस खूबसूरती के बखान में उतने ही खूबसूरत शब्द तलाशते हुए कहते हैं, ‘अमृता एक संगमरमर का टुकड़ा थीं. अगर किसी संगतराश की आंखें उनपर पड़ गई होतीं तो वो एक ऐसी मूरत गढ़ता जो राधा की हू-ब-हू होती और आज मंदिरों में पूजी जा रही होती.’

अमृता पर जी-जान से न्योछावर उनके आशिक ‘इमरोज़’ अपने और अमृता के इश्क में साहिर की हिस्सेदारी को लेकर विलेन नहीं बनते बल्कि इस जज्बे की पूजा करते नजर आते हैं. किसी जगह, शायद उमा त्रिलोकी की ही किताब में, इमरोज़ खुद ही अमृता के इस इश्क का बयान करते हैं. वो कहते हैं कि अमृता की हमेशा से एक आदत थी कि वो हर वक़्त कुछ न कुछ लिखती रहती थीं. उनकी उंगलियाँ बिना पेन के भी चलती रहती थीं. इमरोज़ ऐसे मौकों को याद करते हैं जब वो स्कूटर से अमृता को ले जा रहे हैं और अमृता, इमरोज़ की पीठ पर आदतन उँगलियों से कुछ लिख रही है. इमरोज़ बताते हैं कि कई बार उन्होंने महसूस किया जैसे अमृता ने उनकी पीठ पर लिखा ‘साहिर’.

प्रीतम सिंह, साहिर, इमरोज़ और अमृता. ये मुहब्बत की कहानी के वो किरदार हैं जो प्यार को प्यार की हद तक जानते हैं. यहां खोने की कल्पना ही नहीं है.

‘गीता’ में कृष्ण कहते हैं ‘पाने का अर्थ है खोने की चिंता से मुक्त हो जाना.’ यहां किसी को खोने की चिंता ही नहीं है. किसी को किसी से इर्ष्या नहीं है. कोई किसी के रस्ते की दीवार ही नहीं है. इस तस्वीर को अमृता अपने शब्दों से ऐसे रंगती हैं –

कई बरसों के बाद अचानक एक मुलाकात

हम दोनों के प्राण एक नज्म की तरह कांपे

सामने एक पूरी रात थी

पर आधी नज्म एक कोने में सिमटी रही

और आधी नज्म एक कोने में बैठी रही

फिर सुबह हुई

हम कागज के फटे हुए टुकड़ों की तरह मिले

मैंने अपने हाथ में उसका हाथ लिया

उसने अपनी बांह में मेरी बांह डाली

और हम दोनों एक सेंसर की तरह हंसे

और कागज को एक ठंडी मेज पर रखकर

उस सारी नज्म लकीर फेर दी.

प्रधान मंत्री अपना 68वां जन्म दिन नौनिहालों के साथ वाराणसी में मनाएंगे


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्म दिन 17 सितंबर को दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी आएंगे तथा हजारों स्कूली बच्चों के साथ खुशियां बांटने के अलावा अरबों रुपए की विभिन्न विकास परियोजनाओं की सौगात अपने संसदीय क्षेत्र की जनता को देंगे।


वाराणसी, 13 सितम्बर, 2018: 

भारतीय जनता पार्टी की काशी क्षेत्र के अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव ने गुरुवार को बताया कि मोदी के दौरे की सूचना मिलने के बाद तैयारियां शुरु कर दी गईं हैं। 17 सितंबर को उनका 68वां जन्म दिन है और उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री वाराणसी वासियों को फिर अरबों रुपए की विकास परियोजनाओं की सौगातें देंगे।

उन्होंने बताया कि अभी यह तय नहीं हुआ है कि वह किन परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास करेंगे। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के दौरे से पहले भाजपा कार्यकर्ता विशेष सफाई अभियान चलाएंगे। शहर को साफ-सुथरा बनाने में अपनी भूमिका निभाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं विशेष अपील की गई है।

अधिकारिक सूत्रों ने मोदी के प्रस्तावित दौरे की पुष्टि करते हुए बताया कि इसके बारे में बुधवार रात प्रधानमंत्री कार्यालय से प्रारंभिक जानकारी मिलने के बाद आवश्यक तैयारियां शुरु कर दी गई है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम स्थल का चयन अभी नहीं हुआ। गुरुवार को इसके बारे में कोई फैसला लिया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि मोदी अपने जन्म दिन पर काशी विश्वनाथ मंदिर जाकर पूजा-अर्चना एवं करीब पांच हजार बच्चों के साथ अपने जन्म दिन की खुशियां बांटने के अलावा अपने जीवन पर आधारित चलो हम जीते हैं फिल्म भी देख सकते हैं।

यह कार्यक्रम बड़ा लालपुर स्थित पंडित दीन दयाल हस्तकला संकुल में आयोजित किए जाने की संभावना है। वह किसी एक दलित बस्ती में जाकर श्रमदान एवं लोगों से खुशियां साझा कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि 68 दलित बस्तियों में विशेष सफाई अभियान के अलावा एवं स्वास्थ्य जांच शिविरों का आयोजन किए जाने की योजना है। प्रधानमंत्री अगले दिन 18 सितंबर को एक सभा को संबोधित कर सकते हैं। सभा स्थल का चयन किया जा रहा है।

मोदी गोइठहां स्थित सिवरेज ट्रिटमेंट प्लांट, लहरतारा स्थित कैंसर अस्पताल और रिंग रोड फेज-एक का उद्घाटन सहित अनेक विकास परियोजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण कर सकते हैं।

Pune’s Ganesha in ‘Thanjavur temple’

The famous Dagdusheth Ganpati idol that will be installed in this replica during the 10-day Ganesha festivities.  

Dagdusheth Ganpati will spend this year’s Ganesh Chaturthi in a replica of the Brihadeeswara temple

In what is one famous temple’s tribute to another, the idol of Pune’s Dagdusheth Ganpati temple will spend this year’s Ganesh Chaturthi festivities, which commence on Thursday, in a replica of Thanjavur’s iconic Brihadeeswara temple.

Dagdusheth Halwai Ganpati Trust, the custodians of the Dagdusheth Ganpati Temple, has a 75-year-old tradition of making replicas of historic temples across the country on the occasion of Ganesh Chathurthi, said Ashok Godse, president of the Trust. This year, a 100 ft by 100 ft replica of the 11th century Brihadeeswara temple would be featured as part of the Trust’s 126th year of public Ganesha festivities.

“The original purpose was two-fold: to showcase our country’s heritage to devotees who cannot afford to travel to other parts of the country, and to serve the larger purpose of uniting people during festivities,” Mr. Godse said.

 

Idol as tribute

In 1893, Dagdusheth Gadve, a successful sweetmeat seller (or halwai), made an idol of Lord Ganesha on the advice of his spiritual guru, following the death of his only son in a plague epidemic. The halwai, who was known to have been admired by ‘Lokmanya’ Bal Gangadhar Tilak, built a second Ganesha idol in 1896. Around this time, with Tilak at the fore, the mobilisation of public Ganesha festivities had begun in earnest.

With the passage of time, however, the condition of the second Ganesha idol deteriorated. “Rarely has the name of a person been so intertwined with that of the idol of a deity,” said Mahesh Suryawanshi, treasurer of the Trust.

He said the idol currently installed at the Dagdusheth Ganpati Temple was sculpted in 1968 at a cost of Rs. 4,500. “It was the work of the Dharwad-based sculptor, Naglingacharya Shankaracharya Shilpi. This idol is 1.5 m in height, 1.25 m wide, and adorned with 40 kg of gold. This is the idol that will be kept in the Thanjavur temple replica.”

जिप्सी एंटेर्टेनरस अब पंचकुला में

Photo by RK

पंचकुला 12 सितंबर

जिप्सी एंटरटेनर्स संगीत की दुनिया में धमाल के बाद अब नए उभरते कलाकारों के लिए स्टुडियो की दुनिया में कदम रख दिया है। बुधवार को जिप्सी एंटरटेनर्स ने 9 के एससीओ 341 खोल दिया है। जिप्सी साउंड 1987 से साउंड की दिनीय में धमाल मचा रहा है। इसके बाद बड़े कलाकारों को लांच करने के लिए जिप्सी एंटरटेनर्स ने प्लेटफार्म उपलब्ध करवाया है।

जिप्सी एंटरटेनर्स के प्रबन्धक शेरी कैम ने बताया की वह कई बड़े सींगेर्स को प्लेटफार्म दे चुके हैं जिनमें प्रमुख तौर पर जाने माने सिंगर बादशाह, फैजल पूरिया, बल्ली सग्गू, मांकिरत औलाह, सुख्छिंदर छींदा शामिल हैं। शैरी ने बताया की उनके पिता श्री बीएस ऋषि ने जिप्सी साउंड की शुरुआत की टी। उसके बाद इनहोने अपने पिता के सपने क इस मुकाम तक पहुंचाया ओर जिप्सी स्टुडियो की शुरुआत की।

उन्होने बताया की स्टुडियो में जहां नए उभरते कलाकारों के लिए संगीत प्रोड्यूस किया जाएगा वहीं उभरती पीढ़ी के मूसिक प्रॉडक्शन ओर डीजे की ट्रेनिंग दी जाएगी।इस स्टुडियो में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

अग्रवाल समाज के व्यक्ति विवाह-शादियों में पहली मिलनी महाराजा अग्रसैन जी के नाम पर ले – बजरंग गर्ग 

पंचकूला :

अग्रोहा विकास ट्रस्ट अग्रोहा धाम के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने वैश्य समाज के प्रतिनिधियों की बैठक लेने के उपरांत अग्रवाल भवन में पत्रकार वार्ता में कहा कि अग्रवाल विकास ट्रस्ट द्वारा पंचकूला में 4 नवंबर 2018 को उत्तरी भारत का 13 वां युवक-युवती परिचय सम्मेलन का भव्य आयोजन संस्था के प्रधान सत्यनारायण गुप्ता के नेतृत्व में किया जाएगा। जिसमें हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, दिल्ली, यूपी, राजस्थान व उत्तराखंड के अलावा देश भर से अग्रवाल युवक-युवती परिवार सहित भारी संख्या में भाग लेंगे। युवक-युक्तियों के परिचय फार्म भरवाने के लिए हर राज्य में अलग-अलग स्थान बनाए गए है। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि परिचय सम्मेलन के माध्यम से युवक-युवतियों को एक ही मंच पर मनचाहा वर-वधु मिलने में आसानी होती है। जबकि पंचकूला में परिचय सम्मेलन के माध्यम से लगभग अब तक 5000 परिवारों के रिश्ते हो चुके हैं। इतना ही नहीं इन रिश्तो के माध्यम से फजूल खर्चों पर रोक लगती है। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने समाज के व्यक्तियों से अपील की है कि वह विवाह- शादियों में पहली मिलनी महाराजा अग्रसेन जी के नाम की ली जाए व मिलनी चांदी व सोने की बजाए पहले की तरह कागज के रुपए की ले। श्री गर्ग ने कहां की देश की विकास व तरक्की में अहम भूमिका वैश्य समाज की है। जिन्होंने राष्ट्रीय व जनता के हित में मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल, गौशाला, धर्मशाला, मंदिर, स्कूल, पियाऊ आदि संस्थाएं देश के गांव व शहरों में बना कर सेवा कार्यों में जुटा हुआ है। इतना ही नहीं केंद्र व प्रदेश की हर सरकारों को चलाने व देश के विकास कार्यों के लिए भी सबसे ज्यादा धन टैक्स के रूप में राजस्व देकर सरकार को पूरा सहयोग कर रहा है। मगर जो सहयोग केंद्र व प्रदेश की सरकारों से वैश्य समाज को मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा हैं। जिसके कारण आज देश का वैश्य समाज का परिवार रात-दिन व्यापार में पिछड़ता जा रहा है। जो समाज के साथ-साथ देश के हित में नहीं है। क्योंकि वैश्य समाज व्यापार व उद्योग के माध्यम से लाखों बेरोजगारों को रोजगार देकर बेरोजगारी को काफी हद तक कम करने में अपनी अहम भूमिका पूरे देश में निभा रहा हैै। राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार को देश की तरक्की, वैश्य समाज व व्यापारियों के हित में नई-नई योजना बनाकर ज्यादा से ज्यादा सुविधा व रियायते देनी चाहिए। ताकि देश में पहले से ज्यादा व्यापार व उद्योग को बढ़ावा मिल सके। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने कहा कि बिना राजनीति के सामाजिक व धार्मिक कार्य पूरे करने में बड़ी भारी दिक्कतें समाज में आती है। श्री गर्ग ने कहा कि समाज के युवाओं से समाज व राष्ट्र के हित में आगे आकर ज्यादा से ज्यादा राजनीतिक में भागीदारी सुनिश्चित करें। इस मौके पर अग्रवाल विकास ट्रस्ट जिला प्रधान सत्यनारायण गुप्ता, संरक्षक कुसुम गुप्ता, उप प्रधान मनोज अग्रवाल, मनोज कुमार अग्रवाल, आनंद अग्रवाल, वरिष्ठ उपप्रधान प्रमोद जिंदल, सेक्रेटरी बी एम गुप्ता, राकेश गोयल, रामनाथ अग्रवाल, सचिव विपिन बिंदल, नरेंद्र जैन, वीरेंद्र गर्ग, कृष्ण गोयल, नरेश सिंगला, रामचरण सिंगला, विवेक सिंगला, राजेश जैन, इंद्र गुप्ता, सेक्रेटरी सचिन अग्रवाल, महिला अग्रवाल विकास ट्रस्ट प्रधान उषा अग्रवाल, कोषाध्यक्ष स्नेह लता गोयल, पी आर ओ रोहित आदि प्रतिनिधी भारी संख्या में मौजूद थे।

फोटो बाबत – अग्रोहा विकास ट्रस्ट अग्रोहा धाम व व्यापार मंडल के प्रान्तीय अध्यक्ष के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग पत्रकार वार्ता करते हुए।

Two day Special progamme organised by Pracheen kala Kendra in collaboration with Sangeetam at Tagore Theatre

Photos of Two day Special progamme organised by Pracheen kala Kendra in collaboration with Sangeetam at Tagore Theatre

Dr. Samira performing in special prog at Tagore

 

Dr. Shobha performing in special prog at Tagore

 

Prerna Shrimali performing in special prog at Tagore

 

दिलीप कुमार खराब तबीयत के चलते लीलावती हस्पताल में दाखिल

 

बॉलीवुड के जाने-माने वेटरन एक्टर दिलीप कुमार की तबीयत अचानक बिगड़ जाने पर उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, डॉक्टरों ने बताया है कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है.

हालांकि, लीलावती अस्पताल के डायरेक्टर आॅफ आॅपरेशंस अजय पांडे के मुताबिक, दिलीप कुमार यहां रूटीन चेकअप के लिए हैं.

बता दें कि 94 साल के दिलीप कुमार लंबे वक्त से बीमार चल रहे हैं. इससे पहले भी उन्हें अगस्त के पहले हफ्ते में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पहले उनकी डिहाइड्रेशन के चलते तबीयत बिगड़ गई थी.

बॉलीवुड में ‘ट्रेजडी किंग’ के नाम से मशहूर दिलीप कुमार को मधुमती, देवदास, मुगल-ए-आज़म,जैसी फिल्मों के लिए खासतौर पर जाना जाता है. वह आखिरी बार 1998 में आई फिल्म ‘किला’ में नजर आए थे. दिलीप कुमार को 2015 में पद्म विभूषण से भी नवाजा गया था.

Clarissa Bowers, Miss World America 2017, wears a Ponduru Khadi

Clarissa Bowers, Miss World America 2017, wears a Ponduru Khadi gown created by the fashion designing students of the city

Clarissa Bowers, Miss World America 2017, wears a Ponduru Khadi gown created by the fashion designing students of the city

The students of JD Institute of Fashion Technology recently had an interaction with Miss World America 2017, Clarissa Bowers. Clarissa who was in the country for a week said she was impressed by the culture of India and floored by the aesthetic design sense in Indian fashion industry. “The intricate designs and the amount of thought put behind eachcreation draws the world’s attention towards India. We appreciate the amount of effort that goes into planning and working on these designs. The intricacy and detailing speak volumes, ” she said.

She was clad in a green gown of Ponduru Khadi silk designed by students of the institute, Aishwarya and Sujatha Ganguri. Aishwarya said that Ponduru Khadi was a conscious choice as they wanted to promote the fabric in international fashion industry. “ Over the years, the number of weavers in Ponduru has been declining. With this dress we are hoping to capture the attention of designers across the globe and turn them to khadi. The khadi that we used was light-weight and represented the greenery of Visakhapatnam,” Aishwarya said.

The 20-year-old resident of Florida who was crowned Miss World America in August last year said she spent time in Hyderabad too and had a marvellous time exploring the city and its cuisine, especially dosa and biryani!.

Clarissa, a certified oral maxillofacial surgery assistant, is currently studying Neuroscience at Vanderbilt University in Nashville and wants to make a career in the medical field. “Having a military background, I aspire to be a reconstructive surgeon for wounded soldiers. I wanted to visit a few hospitals in India but could not do so because of the tight schedule,” she said.

Speaking about her journey as a model, she said, “I was a shy person and when people always told me to try modelling, I did not pay attention to them.” But somewhere along the way she gave in and began a career in modelling. “And this is where it has led me.”

Drape it right

Ponduru Khadi derives its name from the place Ponduru, a village in Srikakulam. The Khadi is made of special variety of hill cotton and red cotton which are grown in Vizianagaram and Srikakulam district. Mahatma Gandhi was so impressed by the finesse of this fabric that he preferred wearing it. The Khadi clothes from this region are exported to several countries like US, Denmark, Sweden and Japan