कांग्रेस ने जारी की अपनी लोक सभा प्रत्याशियों की पहली सूची

चुनावी सरगरमियों के चलते कांग्रेस ने अपनी पहली सूची जारी कर अटकलों के बाज़ार को शांत कर दिया है और साथ ही साथ भाजपा को अपने अपने लोकसभा क्षेत्रों से ही चुनाव लड़ने के लिए उकसाया भी है।

लोकसभा चुनाव 2019 के लिए कांग्रेस ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है. इस लिस्ट के मुताबिक यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली से तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से आम चुनाव लड़ेंगे.

कांग्रेस ने इस साल होने वाले आम चुनाव के लिए 15 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. इन नामों में 11 उम्मीदवार उत्तर प्रदेश से तो 4 गुजरात की सीटों के उम्मीदवारों का ऐलान किया गया है.

कांग्रेस की इस सूची में गुजरात के चार नामों में अहमदाबाद वेस्ट (एससी) से राजू परमार, आनंद से भरतसिंह एम सोलंकी, वडोदरा से प्रशांत पटेल, छोटा उदयपुर (एसटी) से रंजीत मोहनसिंह रठावा को टिकट दी गई है.

वहीं उत्तर प्रदेश से रायबरेली से सोनिया गांधी, अमेठी से राहुल गांधी, सहारनपुर से इमरान मसूद, बदायूं से सलीम इकबाल शेरवानी, धौरहरा से जितिन प्रसाद, उन्नाव से श्रीमती अनु टंडन, फर्रुखाबाद से सलमान खुर्शीद, अकबरपुर से राजाराम पाल, जालौन(एससी) बृज लाल खबरी, फैजाबाद से निर्मल खत्री और कुशीनगर से आरपीएन सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया है.

“बीके हरिप्रसाद ने जो भी कहा है कि वो कांग्रेस पार्टी का स्टैंड नहीं है, वो पार्टी पदाधिकारी/प्रवक्ता नहीं हैं तो कार्रवाई करने का कोई मामला नहीं बनता.” प्रियंका

कांग्रेस पार्टी में पदाधिकार न होना एक बड़े फाड़े का सौदा भी है, या यूं कहें की कांग्रेस के कुछ नेता इसी आम के लिए हैं की वह राष्ट्र ‘अहित’ में कुछ भी कहें पार्टी उन्हे पदाधिकारी न होने का फाइदा पहुँचती है या फिर उनसे अपने कुत्सित विचार फैलाने का फायदा लेती है। ऐसा ही मामला बीके हरिप्रसाद का भी है।

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद के एक बयान को लेकर गुरुवार को विवाद हो गया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पुलवामा आतंकी हमला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच ‘मैच फिक्सिंग’ का नतीजा है. बीजेपी ने इस बयान को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है. 

हरिप्रसाद ने कहा, “पुलवामा हमले के बाद के घटनाक्रम पर यदि आप नजर डालेंगे तो पता चलता है कि यह पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच मैच फिक्सिंग थी. जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि यह पुलवामा में हुई खुफिया जानकारी की विफलता है.” हरिप्रसाद यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि “केंद्रीय मंत्री रविशंकर को स्पष्ट करना चाहिए कि पीएम मोदी और इमरान खान के बीच क्या मैच फिक्सिंग थी. उनकी जानकारी के बिना पुलवामा का आतंकी हमला नहीं हो सकता.”  

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पुलवामा हमले को ‘दुर्घटना’ बताया था जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने हरिप्रसाद के बयान को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह सब राहुल गांधी के इशारे पर हो रहा है.

प्रसाद ने कहा, “कांग्रेस इतना गिर जाएगी, इसकी कल्पना हमने नहीं की थी. इनका कहने का क्या मतलब है कि भारत एक आंतकवादी देश है. कांग्रेस के महासचिव ने देश का अपमान किया देश की सेना का अपमान किया. हम ये भी नहीं कहेंगे की वो माफ़ी मांगे, ऐसे लोगो को भारत की जनता जवाब देगी. मैं इसकी निंदा करता हूं.” 

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “कांग्रेस पार्टी का अब राहुल गांधी की अगवाई में कोई भविष्य नहीं है. दो दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा था कि सभी राजनीतिक पार्टियां इमरान खान के साथ हैं लेकिन भारत में ऐसा नहीं है.” उधर, कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “बीके हरिप्रसाद ने जो भी कहा है कि वो कांग्रेस पार्टी का स्टैंड नहीं है, वो पार्टी पदाधिकारी/प्रवक्ता नहीं हैं तो कार्रवाई करने का कोई मामला नहीं बनता.” 

जम्मू ब्लास्ट का आरोपी यासिर भट्ट गिरफ्तार

जम्मू: जम्मू शहर के बीचो-बीच स्थित भीड़-भाड़ वाले एक बस स्टैंड इलाके में ग्रेनेड से धमाका करने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने ग्रेनेड फेंककर भागने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. ग्रेनेड फेंकने वाले युवक का नाम यासिर भट्ट है. वह कुलवामा का रहने वाला है. इस हमले में एक किशोर की मौत हो गई जबकि 32 लोग घायल हो गए.  

आईजीपी जम्मू मनीष के. सिन्हा ने अपने बयान में कहा कि यासिर भट्ट ने जम्मू बस स्टैंड पर ग्रेनेड फेंका. उसे हिजबुल कमांडर फारुक अहमद भट्ट उर्फ उमर ने यह काम सौंपा था. आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. आरोपी ग्रेनेड फेंकने सुबह ही जम्मू आया था. 

पिछले साल मई से लेकर अब तक बस स्टैंड इलाके में आतंकवादियों द्वारा हथगोले के जरिए किया गया यह तीसरा हमला है. सुरक्षा एजेंसियां इसे शहर में शांति एवं सौहार्द बिगाड़ने के प्रयास के तौर पर देख रही हैं. अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखंड के हरिद्वार के निवासी 17 साल के मोहम्मद शरीक की अस्पताल में मौत हो गई. उसकी छाती पर चोट लगी थी। वह अस्पताल में भर्ती कराए गए 33 लोगों में शामिल था. उन्होंने कहा कि चार अन्य घायलों की हालत ‘‘गंभीर’’ है और इनमें से दो का डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया है. अधिकारियों ने कहा कि घायलों में कश्मीर के 11, बिहार के दो और छत्तीसगढ़ एवं हरियाणा का एक-एक व्यक्ति शामिल है. 

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि विस्फोट में बस स्टैंड पर खड़ी सरकारी बस को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ और इस विस्फोट से लोगों में अफरा-तफरी मच गई. आईजी ने कहा, “जब भी चौकसी ज्यादा होती है, हम जांच-पड़ताल सख्त कर देते हैं लेकिन किसी-किसी के उससे बच निकलने की आशंका रहती है और यह ऐसा ही मामला लग रहा है.”

अधिकारी ने कहा कि शहर में इस तरह के हमले का कोई स्पष्ट इनपुट नहीं था. उन्होंने कहा, “सामान्य इनपुट हमेशा रहते हैं और तैनाती की जाती है. हमें जब भी इनपुट मिलता है तो हम इस पर काम करते हैं लेकिन इस बारे में कोई स्पष्ट इनपुट नहीं था.” 

संदिग्ध आतंकवादियों ने 28-29 दिसंबर को स्थानीय थाने की इमारत को निशाना बनाकर बस स्टैंड पर ग्रेनेड से हमला किया था. इससे सात महीने पहले बी सी रोड पर 24 मई 2018 को एक अन्य विस्फोट हुआ था जिसमें दो पुलिसकर्मी और एक आम नागरिक घायल हुए थे. 

इसी सप्ताह में हो सकती हैं लोक सभा चुनावों की घोषणा

चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर में लोकसभा के साथ साथ विधान सभा कुनव करवाये जाने की तैयारियों का जायजा ले लिया है और संभवत: इसी सप्ताह चुनावों की घोषणा की जा सकती है।

चुनाव आयोग अगले कुछ दिनों में लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर सकता है. सूत्रों के मुताबिक 7 मार्च से 10 मार्च के बीच चुनावों की घोषणा की जा सकती है. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा चुनावों की घोषणा भी की जा सकती है.

जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव भी साथ ही कराए जा सकते हैं. इसके लिए चुनाव आयोग की तैयारियां पूरी कर ली हैं. पिछले कुछ चुनावों में भी तारीखों का ऐलान करने को लेकर आयोग लगातार विपक्षी दलों के निशाने पर रहा है. साल 2018 में पांच राज्यों के चुनाव में अधिसूचना जारी होने में देरी से खासतौर से कांग्रेस पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधती रही है.

उल्लेखनीय है कि साल 2014 में लोकसभा चुनाव 7 अप्रैल से 12 मई के बीच कुल 9 चरणों में कराए गए थे. 16 मई को चुनावी नतीजे घोषित हुए थे, जिसमें मोदी सरकार को बहुमत के साथ ही बड़ी जीत मिली थी.

प्रधानमंत्री मोदी ने 26 मई 2014 को शपथ ग्रहण किया था. पिछले चुनाव में अधिसूचना 5 मार्च को जारी की गई थी जो 7 अप्रैल को होने वाले पहले मतदान से 25 दिन पहले था. साल 2009 के लोकसभा चुनाव 16 अप्रैल से 13 मई के बीच पांच चरणों में हुए थे.

कौन है समझौता ब्लास्ट को हिन्दू आतंकवाद से जोड़ने की खौफनाक साजिश के पीछे

Sarika Tiwari, Panchkula. 7th March 2017:

आगामी सप्ताह में सम्झौता ब्लास्ट मामले में फैसला सुना दिया जाएगा। अभी अदालत ने  यह फैसला अपने पास सुरक्शित रखा है। यह एक एतेहासिक मामला है जिसमें हिन्दू आतंकवाद जैसा शब्द निर्मित किया गया। 18 फरवरी 2007 में आधी रात के समय पानीपत में यह ब्लास्ट हुआ जिसमें स्वामी असीमानंद और साध्वी प्रज्ञा को आरोपित किया गया । लेकिन आधिकारिक खुलासों के अनुसार इस केस में पाकिस्तानी आतंकवादी पकड़ा गया था, उसने अपना गुनाह भी कबूल किया था लेकिन महज 14 दिनों में उसे चुपचाप छोड़ दिया।

18 फरवरी 2007 को समझौता एक्सप्रैस में ब्लास्ट हुआ था इसमें 68 लोग मारे गए। इस केस में दो पाकिस्तानी संदिग्ध पकड़े गए, इनमें से एक ने गुनाह कबूल किया लेकिन पुलिस ने सिर्फ 14 दिन में जांच पूरी करके उसे बेगुनाह करार दिया। अदालत में पाकिस्तानी संदिग्ध को केस से बरी करने की अपील की गई और अदालत ने पुलिस की बात पर यकीन किया और पाकिस्तानी संदिग्ध आजाद हो गया। फिर कहां गया ये किसी को नहीं मालूम….क्या ये सब इत्तेफाक था या फिर एक बड़ी राजनीतिक साजिश थी?

सूत्रों के अनुसार उस समय की सरकार को 2 पाकिस्तानी संदिग्ध को छोड़ने की इतनी जल्दी क्यों थी फिर अचानक इस केस में हिन्दु आतंकवाद कैसे आ गया।

इस केस के पहले इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर थे इंस्पेक्टर गुरदीप सिंह जो कि अब रिटायर हो चुके हैं। गुरदीप सिंह ने 9 जून 2017 को कोर्ट में अपना बयान रिकॉर्ड करवाया है। इस बयान में इंस्पेक्टर गुरदीप से ने कहा है, ‘ये सही है कि समझौता ब्लॉस्ट में पाकिस्तानी अजमत अली को गिरफ्तार किया गया था। वो बिना पासपोर्ट के, बिना लीगल ट्रैवल डाक्यूमेंटस के भारत आया था। दिल्ली, मुंबई समेत देश के कई शहरों में घूमा था। मैं अजमत अली के साथ उन शहरों में गया जहां वो गया था। उसने इलाहाबाद में जहां जाने की बात कही वो सही निकली लेकिन अपने सीनियर अधिकारियों, सुपिरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस भारती अरोड़ा और डीआईजी के निर्देष के मुताबिक मैने अजमत अली को कोर्ट से बरी करवाया।’ इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर ने कोर्ट को जो बयान दिया वो काफी हैरान करने वाला है

ऊपर से आदेश आयापाकिस्तानी संदिग्ध छोड़ा गया

पुलिस अधिकारी ऐसा तभी करते हैं जब उन पर ऊपर से दवाब आता है। आखिर इतने सीनियर अधिकारियों को पाकिस्तानी संदिग्ध को छोड़ने के लिए किसने दबाव बनाया? एक ब्लास्ट केस में सिर्फ 14 दिन में पुलिस ने ये कैसे तय कर लिया कि आरोपी बेगुनाह है और उसे छोड़ देना चाहिए?

अजमत अली है कौन?

कोर्ट में जमा डॉक्युमेंट्स के मुताबिक अजमत अली पाकिस्तानी नागरिक था। उसे भारत में अटारी बॉर्डर के पास से GRP ने अरेस्ट किया था। उसके पास न तो पासपोर्ट था, न वीजा था और ना ही कोई लीगल डॉक्यूमेंट। इस शख्स ने पूछताछ में कबूल किया कि वो पाकिस्तानी है और उसके पिता का नाम मेहम्मद शरीफ है। उसने अपने घर का पता बताय़ा था- हाउस नंबर 24, गली नंबर 51, हमाम स्ट्रीट जिला लाहौर, पाकिस्तान।

सबसे बड़ी बात ये कि ब्लास्ट के बाद दो प्रत्यक्षदर्शियों ने बम रखने वाले का जो हुलिया बताया था वो अजमत अली से मिलता जुलता था। प्रत्यक्षदर्शी के बताने पर स्केच तैयार किए गए थे, और उस स्केच के आधार पर ही अजमत अली और मोहम्मद उस्मान को इस केस में आरोपी बनाया गया था। इंस्पेक्टर गुरदीप ने भी कोर्ट को जो बयान दिया था उसमें कहा है कि ट्रेन में सफर कर रहे शौकत अली और रुखसाना के बताए हुलिए के आधार पर दोनो आरोपियों के स्केच बनाए गए थे।

समझौता ब्लास्ट 18 फरवरी 2007 को हुआ था। पुलिस ने अजमत अली को एक मार्च 2007 को अटारी बॉर्डर के पास से बिना लीगल डॉक्युमेंट्स के गिरफ्तार किया था। उस वक्त वो पाकिस्तान वापस लौटने की कोशिश कर रहा था। गिरफ्तारी के बाद अजमत अली को अमृतसर की सेंट्रल जेल में भेजा गया। वहीं से समझौता ब्लास्ट की जांच टीम को बताया गया था कि समझौता ब्लास्ट के जिन संदिग्धों के उन्होंने स्केच जारी किए हैं उनमें से एक का चेहरा अजमत अली से मिलता है। इसके बाद लोकल पुलिस ने अजमत अली को कोर्ट में समझौता पुलिस की जांच टीम को हैंडओवर कर दिया।

जांच टीम ने 6 मार्च 2007 को कोर्ट से अजमत अली की 14 दिन की रिमांड मांगी। हमारे पास वो ऐप्लिकेशन हैं, जो पुलिस ने कोर्ट में जमा की थी। इस एप्लिकेशन में जांच अधिकारी ने साफ साफ लिखा है कि समझौता ब्लास्ट मामले में गवाहों की याददाश्त के मुताबिक संदिग्धों के स्केचेज़ बनाकर टीवी और अखबारों को जारी किए गए थे। अटारी जीआरपी ने इस स्केच से मिलते जुलते संदिग्ध अजमत अली को गिरफ्तार किया। इसने पूछताछ में बताया कि वो तीन नवंबर 2006 को बिन पासपोर्ट और वीजा के भारत आया था। इसी आधार पर कोर्ट ने अजमत अली को 14 दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया था।

अबतक की कहानी साफ है समझौता ट्रेन में ब्लास्ट हुआ, इस ब्लास्ट के दो आईविटनेसेज़ ने ट्रेन में बम रखने वालों का हुलिया बताया, उसके आधार पर दो लोगो के स्केच बने, उन्हें अटारी रेलवे पुलिस ने गिरफ्तार किया और फिर पूछताछ करने के बाद समझौता ब्लास्ट की जांच कर रही टीम को सौंप दिया। इस टीम ने भी उसका चेहरा स्केच से मिला कर देखा, चेहरा मिलता जुलता दिखा, तो उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया। कोर्ट ने इसे 14 दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया। 14 दिन की पुलिस रिमांड में पूछताछ हुई।

पूछताछ और जांच के बाद उम्मीद थी कि कुछ कंक्रीट निकल कर सामने आएगा लेकिन 14 दिन बाद, 20 मार्च को जब पुलिस ने दुबारा अजमत अली को कोर्ट में पेश किया तब उम्मीद थी कि पुलिस दुबारा उसका रिमांड मांगेगी, लेकिन हुआ उल्टा। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उनकी जांच पूरी हो गयी है, अजमत अली के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं, इसलिए उसे इस केस से डिस्चार्ज कर दिया जाए। कोर्ट ने पुलिस की दलील पर भरोसा किया और कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि अजमत अली की रिहाई की अर्जी पुलिस ने ये कहते हुए दी है कि कि मौजूदा केस की जांच में इसकी कोई जरूरत नहीं है। जब जांच टीम ने ही ये कह दिया कि तो कोर्ट ने अजमत अली को रिहा कर दिया।

करनाल में जांच अधिकारी गुरदीप सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच के बाद ही अजमत को छोड़ दिया गया था। उन बड़े अफसरों के बारे में भी बताया जो इस टीम का हिस्सा थे जिन्होंने इस केस की जांच की और पाकिस्तानी नागरिक को छोड़ा गया। अब यहां एक बड़ा सवाल तो ये है कि इतने सारे शहरों में पुलिस ने जांच सिर्फ 14 दिन में कैसे पूरी कर ली। अजमत अली का न तो नार्को टेस्ट हुआ, न ही पोलीग्राफी टेस्ट किया गया। सिर्फ 14 दिन की पूछताछ के बाद पुलिस ने ये मान लिया कि समझौता ब्लास्ट में अजमत अली का हाथ नहीं है…ये शक तो पैदा करता है।

अजमत अली को छोड़ देना तो एक बड़ा मोड था लेकिन इससे भी बड़ा ट्विस्ट इस केस की शुरुआती जांच में आया था। शुरुआत में उस वक्त की मनमोहन सरकार ने कहा था कि समझौता ब्लास्ट के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है लेकिन जांच बढ़ने के कुछ ही दिन बाद इस केस में भगवा आतंकवाद का नाम आया।

इस केस में शुरुआत में जांच में जल्दी-जल्दी ट्विस्ट आए इसपर हमारे कुछ सवाल हैं…

क्या एक पाकिस्तानी नागरिक जो बम धमाके का आरोपी हो उसे इतनी आसानी से छोड़ा जा सकता है? अक्सर छोटे क्राइम में भी पकड़े गए पाकिस्तानी नागरिक की जांच में भी ऐसी जल्दीबाजी नहीं होती उससे पूछताछ होती है, उसकी बातों को वैरीफाई किया जाता है लेकिन समझौता ब्लास्ट के केस में अजमत अली को तुरंत छोड़ दिया गया।

आखिर सरकार की तरफ से अजमत को छोड़ने की ऐसी जल्दबाजी क्यों की गयी? क्या पुलिस को अजमत अली का नार्को या पोलीग्राफी टेस्ट करके सच निकलवाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी? पहले जब इंटेलिजेंस और जांच एजेंसियों ने इस धमाके को लश्कर का मॉड्यूल बताया तो फिर एकाएक इसे हिंदू टेरर का नाम कैसे दिया गया?

हम आपको बताते है कि हिंदू टेरर का नाम कैसे आया, इसका जवाब भी पुलिस अधिकारियों की एक मीटिंग की नोटिंग में मिला। 21 जुलाई 2010 को बंद कमरे में कुछ अधिकारियों की मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग ये तय हुआ था कि हरियाणा पुलिस समझौता एक्सप्रैस ब्लास्ट की जांच में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है इसलिए इसे नेशनल इनवेस्टिगेटिव एजेंसी को सौंप देना चाहिए। इसी मीटिंग में ये बात भी हुई थी कि इस केस की जांच हिंदू ग्रुप के इन्वॉल्वमेंट पर भी होना चाहिए। नोटिंग में लिखा है कि एसएस (आईएस) को याद होगा, उनके चेंबर में इस बात पर डिस्कशन हुआ था, कि इसकी जांच हिंदू ग्रुप के ब्लास्ट में शामिल होने की संभावना पर भी होनी चाहिए।

पुलिस की नोटिंग से सवाल ये उठता है कि  किसके कहने पर हिंदू टेरर ग्रुप का नाम इस धमाके से जोड़ने का आइडिया आया? बंद कमरे में वो कौन-कौन ऑफिसर थे जिन्होंने इस धमाके को हिंदू टेरर का एंगल देने की कोशिश की? इन अफसरों के नाम सामने आना जरूरी हैं, उनसे पूछताछ होगी, तभी पता चलेगा कि उनपर किसका दबाव था… बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि ये देश के साथ विश्वासघात है। उन्होंने कहा कि सिर्फ हिंदू आतंकवाद का नाम देने के लिए ये पूरी साजिश रची गयी थी।

बता दें कि तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने AICC की मीटिंग में भगवा आतंकवाद की बात करके सबको चौंका दिया था बाद में पी चिदंबरम ने और दिग्विजय सिंह ने बार-बार बीजेपी को बैकफुट पर लाने के लिए इस जुमले का इस्तेमाल किया। समझौता ब्लास्ट के केस में जिस तरह से पहले लश्कर ए तैयबा का नाम आया फिर उस वक्त की सरकार ने पाकिस्तानियों को छोड़ दिया और स्वामी असीमानंद को आरोपी बनाकर इस केस को पूरी तरह पलट दिया….इसके पीछे एक सोची समझी साजिश थी।

अब ये साफ है कि भगवा आतंकवाद का जुमला क्वाइन करने के लिए, हिन्दू आतंकवाद का हब्बा खड़ा करने के लिए इस केस में पाकिस्तानियों को बचाया गया और भारतीय हिंदुओं को फंसाया गया। अब सवाल सिर्फ इतना है कि इस साजिश के पीछे किसका शातिर दिमाग था।

फैसला चाहे जो आए लेकिन साजिश कर्ताओं  का पर्दा फ़ाश होना अति आवश्यक है।

Research on fungal infection in Grapes granted

Dr Kashmir Singh, Associate Professor from Biotechnology Department, Panjab University Chandigarh has been granted a project on “Genome-wide Identification and Functional Analysis of Long Non-coding RNAs associated with biotic stress in Vitis vinifera  (Grapevine)” by SERB,  New Delhi. The total cost of project is around 50 lac which  will cover the cost of equipments, consumables and manpower. Dr Singh will work on 
identification of LncRNAs responsive to fungal infection in grapes.  These LncRNAs  will be used further for improvement of disease resistance in grapes. 

ज़िंदा है मसूद: फयाज-उल-हसन

हाल ही में ऐसी खबरें सामने आई हैं कि आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर की मौत हो चुकी है. हालांकि पाकिस्तान के संस्कृति मंत्री फयाज-उल-हसन ने दावा किया है कि आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर जिंदा है. फयाज-उल-हसन ने कहा है कि वो जिंदा है और उसकी मौत की कोई खबर नहीं है.

वहीं पाकिस्तानी मीडिया का भी कहना है कि भारत का सबसे वांछित आतंकवादी और जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर जिंदा है. पाकिस्तानी मीडिया की एक खबर में अजहर के परिवार के करीबी सूत्रों के हवाले से यह बात कही गई. जियो उर्दू न्यूज ने बताया कि जिन मीडिया रिपोर्टों में जैश-ए-मोहम्मद के नेता के मारे जाने का दावा किया गया है, वे झूठे हैं. यह खबर सोशल मीडिया पर चल रही उन अटकलों के बीच आई है कि इस आतंकी संगठन के संस्थापक की मौत हो गई.

हालांकि, अभी किसी तरह की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है. मसूद अजहर के परिवार के करीबी अज्ञात सूत्रों का हवाला देते हुए चैनल ने कहा कि अजहर जिंदा है. उसकी सेहत के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. अजहर के बारे में पाकिस्तानी सरकार ने कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.

कछ गुजरात में पाकिस्तानी यूएवी को मर गिराया गया

बीकानेर। भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय बीकानेर सीमा पर पाकिस्तानी सेना के मानव रहित विमान (यूएवी) को उड़ान भरने के दौरान भारतीय वायुसेना ने मार गिराया। यह घटना सोमवार दोपहर की बताई जा रही है, जिसमें पाकिस्तान ने एक बार फिर नापाक हरकत को अंजाम देते हुए यूएवी को भारतीय वायुक्षेत्र में घुसपैठ कराने की कोशिश की, जिसे वायुसेना मार गिराया।

सूत्रों ने दावा किया है कि यूएवी का मलबा पाकिस्तान के फोर्ट इलाके में गिरा है, जो बहावलपुर के समीप है। अनूपगढ़ सेक्टर में एयर डिफेंस रडार पर एक संदिग्ध यूएवी की जानकारी मिलने के बाद हरकत में आई वायुसेना के सूरतगढ़ एयरबेस से सुखोई लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरकर यूएवी पर मिसाइलें दागीं, जिससे यह यूएवी पाक सीमा में गिरकर ध्वस्त हो गया। हालांकि वायुसेना ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
पाकिस्तान की ओर से तेज धमाके की आवाज-श्रीगंगानगर जिले से लगती भारत-पाकिस्तान अंतककाष्ट्रीय सीमा में सोमवार को पाकिस्तान की तरफ से तेज धमाके होने के समाचार मिले। मामला अनूपगढ़ से जुड़ा बताया जा रहा है। सोमवार दोपहर करीब 1 से 2 बजे के बीच में इस तरह के धमाके सुने गए, जिसके बाद कई आशंकाओं के चलते सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ) से लेकर खुफिया तंत्र भी सक्रिय हो गया है। हालांकि बीएसएफ ने सीमा पार किसी तरह के धमाकों की पुष्टि नहीं है। दरअसल, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद से ही तेज धमाकों की आवाजों को लेकर कई बार सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं।

शिवरात्रि : काठगढ़ में दर्शन करें अर्धनारीश्वर शिवलिंग के

 हिमाचल प्रदेश की भूमि को देवभूमि कहा जाता है। यहां पर बहुत से आस्था के केंद्र विद्यमान हैं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के इंदौरा उपमंडल में काठगढ़ महादेव का मंदिर स्थित है।  यह विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां शिवलिंग ऐसे स्वरुप में विद्यमान हैं जो दो भागों में बंटे हुए हैं अर्थात मां पार्वती और भगवान शिव के दो विभिन्न रूपों को ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तित होने के अनुसार इनके दोनों भागों के मध्य का अंतर घटता-बढ़ता रहता है। ग्रीष्म ऋतु में यह स्वरूप दो भागों में बंट जाता है और शीत ऋतु में पुन: एक रूप धारण कर लेता है।

अर्धनारीश्वर शिवलिंग : काठगढ़
शिव पुराण में वर्णित कथा

शिव पुराण की विधेश्वर संहिता के अनुसार पद्म कल्प के प्रारंभ में एक बार ब्रह्मा और विष्णु के मध्य श्रेष्ठता का विवाद उत्पन्न हो गया और दोनों दिव्यास्त्र लेकर युद्ध हेतु उन्मुख हो उठे। यह भयंकर स्थिति देख शिव सहसा वहां आदि अनंत ज्योतिर्मय स्तंभ के रूप में प्रकट हो गए, जिससे दोनों देवताओं के दिव्यास्त्र स्वत: ही शांत हो गए।

ब्रह्मा और विष्णु दोनों उस स्तंभ के आदि-अंत का मूल जानने के लिए जुट गए। विष्णु शुक्र का रूप धरकर पाताल गए, मगर अंत न पा सके। ब्रह्मा आकाश से केतकी का फूल लेकर विष्णु के पास पहुंचे और बोले- ‘मैं स्तंभ का अंत खोज आया हूं, जिसके ऊपर यह केतकी का फूल है।’

ब्रह्मा का यह छल देखकर शंकर वहां प्रकट हो गए और विष्णु ने उनके चरण पकड़ लिए। तब शंकर ने कहा कि आप दोनों समान हैं। यहीं भगवान शिव ने ब्रह्मा को कहीं भी न पूजे जाने का श्राप दिया, और केतकी पुष्प को असत्य बोलने के लिए प्रेरित करने पर अपनी पूजपुष्प होने का सम्मान भी छीन लिया। यही अग्नि तुल्य स्तंभ, काठगढ़ के रूप में जाना जाने लगा। ईशान संहिता के अनुसार इस शिवलिंग का प्रादुर्भाव फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि को हुआ था।

चूंकि शिव का वह दिव्य लिंग शिवरात्रि को प्रगट हुआ था, इसलिए लोक मान्यता है कि काठगढ महादेव शिवलिंग के दो भाग भी चन्द्रमा की कलाओं के साथ करीब आते और दूर होते हैं। शिवरात्रि का दिन इनका मिलन माना जाता है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

विश्वविजेता सिकंदर ईसा से 326 वर्ष पूर्व जब पंजाब पहुंचा, तो प्रवेश से पूर्व मीरथल नामक गांव में पांच हज़ार सैनिकों को खुले मैदान में विश्राम की सलाह दी। इस स्थान पर उसने देखा कि एक फ़कीर शिवलिंग की पूजा व्यस्त था।

उसने फ़कीर से कहा- ‘आप मेरे साथ यूनान चलें। मैं आपको दुनिया का हर ऐश्वर्य दूंगा।’ फ़कीर ने सिकंदर की बात को अनसुना करते हुए कहा- ‘आप थोड़ा पीछे हट जाएं और सूर्य का प्रकाश मेरे तक आने दें।’ फ़कीर की इस बात से प्रभावित होकर सिकंदर ने टीले पर काठगढ़ महादेव का मंदिर बनाने के लिए भूमि को समतल करवाया और चारदीवारी बनवाई। इस चारदीवारी के ब्यास नदी की ओर अष्टकोणीय चबूतरे बनवाए, जो आज भी यहां हैं।

रणजीत सिंह ने किया पुनरुद्धार

कहते हैं, महाराजा रणजीत सिंह ने जब गद्दी संभाली, तो पूरे राज्य के धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया। वह जब काठगढ़ पहुंचे, तो इतना आनंदित हुए कि उन्होंने आदि शिवलिंग पर तुरंत सुंदर मंदिर बनवाया और वहां पूजा करके आगे निकले। मंदिर के पास ही बने एक कुएं का जल उन्हें इतना पसंद था कि वह हर शुभकार्य के लिए यहीं से जल मंगवाते थे।

अर्धनारीश्वर का रूप

दो भागों में विभाजित आदि शिवलिंग का अंतर ग्रहों एवं नक्षत्रों के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है और शिवरात्रि पर दोनों का ‘मिलन’ हो जाता है। यह पावन शिवलिंग अष्टकोणीय है तथा काले-भूरे रंग का है। शिव रूप में पूजे जाते शिवलिंग की ऊंचाई 7-8 फुट है जबकि पार्वती के रूप में अराध्य हिस्सा 5-6 फुट ऊंचा है।

भरत की प्रिय पूजा-स्थली

मान्यता है, त्रेता युग में भगवान राम के भाई भरत जब भी अपने ननिहाल कैकेय देश (कश्मीर) जाते थे, तो काठगढ़ में शिवलिंग की पूजा किया करते थे।

शिवरात्रि के त्यौहार पर प्रत्येक वर्ष यहां पर तीन दिवसीय भारी मेला लगता है। शिव और शक्ति के अर्द्धनारीश्वर स्वरुप श्री संगम के दर्शन से मानव जीवन में आने वाले सभी पारिवारिक और मानसिक दु:खों का अंत हो जाता है। इसके अलावा सावन के महीने में भी

ज्ञान चंद गुप्ता “अभयपुर” ने थामा कमल

पंचकूला 05 मार्च 2019:

आज महाशिवरात्रि के पावन त्यौहार के अवसर पर अभयपुर आशियाना में एक कार्यक्रम के दौरान पंचकूला विधायक व हरियाणा सरकार में मुख्य सचेतक ज्ञान चंद गुप्ता एवं जिला महामंत्री हरेंद्र मलिक की उपस्थिति में कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता संतोष चैहान व दर्शन सिंह ने बडी संख्या में अपने साथियों के साथ भाजपा का दामन थामा। विधायक ज्ञान चन्द गुप्ता द्वारा पार्टी का पटका पहनने  के पश्चात उन्होंने कहा हम केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  एवं राज्य में मनोहर लाल सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर कांग्रेस पार्टी को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए।

   इस अवसर पर ज्ञानचंद गुप्ता ने संतोष चैहान व उनके साथियों का पुनः धन्यवाद किया और विश्वास दिलाया कि उन्हें पार्टी में पुरा मान-सम्मान मिलेगा और यह भी कहा  कि भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसमें कार्यकर्ता अपने कार्य और विश्वास के कारण पार्टी के किसी भी पद पर पहुंच सकते हैं।  इस अवसर पर माॅं चंडी मंडल अध्यक्ष श्री सतपाल गुप्ता जी, चेयरमैन नगरानी कमेटी पंचकूला, श्री विनय पांडे, श्री अब्दुल मियां, श्री प्रेमपाल आर्य, श्री जयसवाल और देवेन्द्र आदि अन्य स्थानीय कार्यकर्ता भी मौजूद रहे ।