Tree Plantation Drive at PU to Commemorate 20th Anniversary of Kargil

Korel. Chandigarh July 25, 2019

Panjab University conducts Tree Plantaion to Commemorate 20th Anniversary of Kargil Vijay DiwasContinuing with the commemoration of the 20th Anniversary of Kargil Vijay Diwas, Panjab University is organising various activities in the Campus. In this regard Department of Defence and National Security Studies in collaboration with Horticulture department of the University organised a tree plantation drive which was inaugurated by Prof Raj Kumar, PU VC by planting troika of trees, Peepal, Bargadh and Neem dedicated to the warriors of  Kargil War.
On this occasion Dr Jaskaran Singh Waraich, Chairperson of the deptt., along with the faculty members from various departments; Prof. A.S. Ahluwalia, Prof. Rakesh Datta, Prof Meena Dutta, Dr Gaurav Gaur, Dr. Namita Gupta, Dr Kulddep Singh, Dr Ashu Pasricha, Dr Manish Sharma; Sh. Anil Thakur, SDE Horticulture, serving officers from the armed forces, research scholars, and students with the help of Horticulture deptt 
of the University planted 527 saplings of different varieties at various places of the University. The 527 saplings are dedicated 1 each to 527 martyrs who sacrificed their lives for the honour and security of  the  nation.
The students and faculty also pledged to adopt and take care of at least one plant each. PU VC appreciated the efforts of the Deptt. and also promised all necessary help for the future endeavours of the Department. He also appreciated the idea of naming and developing one of the park in University as ‘Kargil Vijay Udhyan’ in memory of the  brave soldiers of Kargil War. The celebrations of the Kargil Diwas will culminate with 
the screening of the Uri movie to the students tomorrow at English/Evening auditorium.

Ladakh Students visits PU

Korel, Chandigarh July 25, 2019

      The Teachers and students of Ladakh were accompanied by Capt. M.P.S. Tomar of 22 Medium Regiment. This Capacity Building Tour was for the exposure to teachers and students about various educational Institute and Heritage sites in India under Sadbhavna. Prof. Raj Kumar, Vice Chancellor, Panjab University, Chandigarh and  Capt. Abhimanyu Singh Sindhu,  Minister of Finance Govt. of Haryana appreciated the efforts of the Army and welcomed the Students of Nubra, Valley of Ladakh. 
      Dr. Monica Munjial Singh, Chairperson, Centre for Social Work, said that students visited various departments in University Campus such as Fine Arts Gallery, Museum of Gandhi Bhavan, Centre for Social Work and Sports Ground etc. Students of Social work also made them aware about the opportunities of education and the importance of Education in Life so that they can also go in for higher education. 
        Dr. Gaurav Gaur, Assistant Prof. appraised the said Interactive capacity 
building tour and Mr. Prashant Sharma, Field Supervisor coordinated the Tour.        

अमित शाह – कश्मीरी पंडितों की उम्मीद की किरण

गृह मंत्री काश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं जिससे विभिन्न राज्यों मेन शरणार्थियों के रूप में रह रहे काश्मीरी पंडितों को आशा की किरण दिखाई दे रही है। सूत्रों के अनुसार विस्थापित काश्मीरी अब काश्मीर में अपनी ज़मीनों पर वापिस जा सकेंगे और 35-a के अंत करने का यह अप्रत्यक्ष प्रयास है। हो सकता है महिला बिल उसमें भी संशोधन के मार्ग प्रशस्त हों।

नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की उनकी टीम द्वारा घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए प्रभावकारी नीति बनाई जा रही है. गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि अमित शाह ने इस संबंध में पिछले एक महीने के दौरान गृह मंत्रालय के कश्मीरी डिवीजन के प्रमुख अधिकारियों के साथ कई बैठकें की हैं. जम्मू-कश्मीर में सक्रिय रणनीति के साथ बाहरी व आंतरिक आतंकवाद से निपटते हुए शाह कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास करवाना चाहते हैं. कश्मीर में 1989 के बाद शुरू हुए उग्रवादी गुटों के पूर्व नियोजित हिंसक हमलों के बाद घाटी से पलायन कर चुके कश्मीरी पंडितों की तादाद तकरीबन तीन लाख हैं. 

सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए सुरक्षित रिहायशी क्षेत्र बनाने पर विचार कर रही है. यह योजना इससे पहले 2015 में जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव से अधिक कारगर होगी. पुनर्वास योजना के अलावा, गृहमंत्री कल्याणकारी योजनाओं पर भी ध्यान दे रहे हैं, खासतौर से आतंक से प्रभावित प्रदेश में निवास कर रही विधवाओं, आतंक के शिकार बने लोगों, विकलांगों और वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित कल्याणकारी योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शुक्रवार को संकेत दिया कि घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए सरकार आवश्यक नीति बनाने जा रही है. 

राज्यपाल इस बात से आशान्वित थे कि अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो नीति की घोषणा जल्द ही की जाएगी. सूत्रों ने बताया कि अगले महीने अमरनाथ यात्रा के समापन के बाद सरकार अपनी नीति की घोषणा कर सकती है जोकि कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजना में बदलाव की एक मिसाल होगी. कश्मीरी पंडित पिछले तीन दशक से अपने पुनर्वास के लिए ठोस नीति के इंतजार में हैं. इससे पहले, लोकसभा में 16 जुलाई को एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने घाटी में 920 करोड़ रुपये की लागत से 6,000 ट्रांजिट आवास के निर्माण को मंजूरी प्रदान की है. 

केंद्र सरकार प्रत्येक कश्मीरी प्रवासी परिवार को हर महीने 13,000 रुपये की राहत प्रदान कर रही है. सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने राज्यपाल और उनके सलाहकारों को प्रदेश में भ्रष्टाचाररोधी जांच का दायरा बढ़ाने का भी सुझाव दिया है. गृह मंत्री अमित शाह का मानना है कि कुछ राजनेताओं की मदद से भ्रष्ट अधिकारियों की लॉबी कल्याण और विकासपरक योजनाओं की निधियों की हेराफेरी कर रही है. सूत्रों ने कहा कि गृहमंत्री ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को अलगाववादी नेताओं और उनके समर्थकों के साथ सख्ती से निपटने का भी निर्देश दिया है.

‘ओवैसी साहब,आपको सुनने की आदत डालनी होगी.’ : अमित शाह

लोकसभा में सोमवार को एनआईए संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी के बीच नोकझोंक देखने को मिली. ओवैसी ने कहा कि आप गृह मंत्री हैं तो डराइए मत, जिस पर शाह ने कहा कि वह डरा नहीं रहे हैं, लेकिन अगर डर जेहन में है तो क्या किया जा सकता है.अमित शाह की बात वाजिब भी है की जब बात आतंकवाद निरोध की हो तो ओवैसी को डर क्यों लगता है?

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र में हंगामे और तीखी नोकझोंक के बाद सोमवार को लोकसभा में ‘एनआईए संशोधन विधेयक 2019’ को मंजूरी दे दी गई. इस विधेयक के अनुसार, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी भी गंभीर अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एनआईए संशोधन विधेयक 2019’ का समर्थन किया. वहीं, इस बिल पर चर्चा के दौरान शाह की एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से तीखी बहस भी हुई. 

गृह मंत्री ने ओवैसी से कहा, ‘जब कोई और बोलता है तो आप चुप रहकर सुनते हैं लेकिन जब सत्यपाल सिंह बोल रहे हैं तो आप लगातार बीच में बोल रहे हैं. आपको सुनने की आदत डालनी होगी.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एनआईए तेजी से मामलों को खत्म करती है और एजेंसी ने अपने 90 फीसदी केस समाप्त किए हैं, जो दुनियाभर की एजेंसियों की तुलना में अच्छा है. शाह ने एनआईए की तारीफ करते हुए कहा कि मजबूत एनआईए के साथ भारत आतंकवाद को खत्म करेगा.  

विपक्ष के द्वारा एजेंसी के गलत रूप से प्रयोग किए जाने के सवाल पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि सरकार कानून के नियमों से चलती है और सभी जांच एजेंसियां कानून द्वार स्थापित प्रक्रिया का ही पालन करती है. इसके साथ ही उन्होंने सरकार की आतंकवाद को लेकर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति की सराहना की. गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद को आतंकवाद के तौर पर ही देखा जाना चाहिए. आतंकवाद में राइट और लेफ्ट नहीं होता है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी घटनाओं के अपराधियों को दंडित करने की जरूरत है और उन्हें दंडित किया जाएगा.

चीन भी हो सकता है काश्मीरी अलगाववादी नेताओं के विरुद्ध

काश्मीर को भारत के खिलाफ पाकिस्तान के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वाले चीन को काश्मीर ही से खरी खोटी सुनने को मिली तो चीन भड़क गया। ऑल पार्टी हुर्र‍ियत कांफ्रेंस के चेयरमैन सैय्यद अली शाह गिलानी ने कहा था कि चीन उइगर मुसलमानों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है. उन्हें जबरदस्ती कैंपों में बंद करके रखा गया है. सैयद अली शाह गिलानी ने मीडिया में जारी बयान में कहा था कि “उइगर मुसलमानों को धार्मिक आजादी पर अंकुश लगा दिया गया है. उन्हें जबरदस्ती दिन में खाने और पीने के लिए कहा जाता है. जिससे वो धार्मिक कार्यकलापों को निभा पाने में असमर्थ हैं.” गिलानी के इस बयान के बाद चीन का भड़कना तया है.

नई दिल्‍ली: चीन के शिनजियांग में उइगर मुस्‍ल‍िमों को हिरासत में रखने और चीन सरकार की तरफ से उनके साथ किए जा रहे भेदभाव पर जहां ज्यादतर मुस्लिम देश चुप हैं. वहीं पिछले दिनों कश्मीर के अलगावादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी का बयान चीन की चिंता बढ़ा सकता है. ऑल पार्टी हुर्र‍ियत कांफ्रेंस के चेयरमैन सैय्यद अली शाह गिलानी ने कहा था कि चीन उइगर मुसलमानों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है. उन्हें जबरदस्ती कैंपों में बंद करके रखा गया है. गिलानी के इस बयान के बाद चीन का भड़कना तया है.

कश्मीर के सभी अलगाववादी गुट पाकिस्तान के मुखौटे हैं और पाकिस्तान इन्हें भारत के खिलाफ समय-समय पर इस्तेमाल करता रहता है. पाकिस्तान और अलगावादियों के बीच इस गठजोड़ पर चीन हमेशा चुप्पी साधे रहता है, लेकिन गिलानी की उइगर मुसलमानों पर की गई टिप्पणी चीन को नाराज़ कर सकती है.

इस महीने दस जुलाई को संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान, सऊदी अरब समेत करीब सभी मुस्लिम देशों ने चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ हो रहे अत्याचार पर चीन का बचाव किया था,  जबकि सभी यूरोपियन देशों समेत करीब 22 देशों ने बयान जारी कर चिंता जाहिर की थी. मुस्लिम देशों ने कहा था कि चीन ने आतंक और कट्टरता खत्म करने की प्रकिया में हमेशा मानवाधिकार का सम्मान किया है.

सुरक्षा से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “कश्मीरी अलगाववादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी का बयान चीन की परेशानी का सबब बन सकता है. जहां पाकिस्तान से लेकर सभी मुस्लिम देश उइगर मुसलमानों के मामलों में चीन के साथ हैं. वहीं गिलानी ने इस मुद्दे को पूरी दुनिया के सामने जोर शोर से उठाया है. ऐसे में चीन पाकिस्तान से इन अलगाववादी गुटों से दूरी बनाने को कह सकता है.”

चीन के शिनजियांग प्रांत में लंबे समये से उइगर मुस्लिमों के साथ अत्याचार की खबरें आती रहती हैं. कुछ मीडिया रिपोर्टस में भी ये दावा किया गया था कि चीनी प्रशासन मुस्लिमों को डिटेंशन सेंटर में बंद कर उनके धार्मिक पहचान की चीज़ों से उन्हें अगल कर रहा है. अमेरिका समेत कई यूरोपियन देश पहले ही चीन की निंदा कर चुके हैं. लेकिन पाकिस्तान समर्थित कश्मीरी अलगाववादी गुटों की तरफ से इस मामले पर नाराजगी जाहिर करने से चीन के लिए स्थिति‍ संभालनी और मुश्किल हो सकती है.

सैयद अली शाह गिलानी ने मीडिया में जारी बयान में कहा था कि “उइगर मुसलमानों को धार्मिक आजादी पर अंकुश लगा दिया गया है. उन्हें जबरदस्ती दिन में खाने और पीने के लिए कहा जाता है. जिससे वो धार्मिक कार्यकलापों को निभा पाने में असमर्थ हैं.”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में लोगों के नमाज पढ़ने से लेकर महिलाओं के बुर्का पहनने पर भी पाबंदी लगा दी गई है. रमजान के महीने में भी उइगर लोगों को रोज़ा रखने की इजाजत नहीं है. चीन शिनजियांग में मौजूद हिरासत केन्द्रों में उइगर मुसलमानों को धार्मिक कट्टरवाद से निपटने के लिए प्रशिक्षण भी देता है.

विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 30 युवाओं ने भाजपा का दामन थामा

इन युवाओं में आतंकवादियों द्वारा जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में मारे गए बीजेपी नेता गुल मोहम्मद मीर के बेटे भी शामिल हैं. 

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्यता अभियान को मंगलवार को एक बड़ी कामयाबी मिली. बीजेपी मुख्यालय में देश की अलग-अलग जगहों से विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 30 युवाओं ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. बीजेपी में शामिल होने वाले इन युवाओं में एशिया पैसेफिक स्पेशल ओलंपिक 2013 में दो कांस्य पदक जीतने वाली दिशा भी शामिल हैं. दिशा डाउन सिंड्रोम की शिकार हैं और उन्होंने 2015 के स्पेशल ओलंपिक में एक रजत पदक भी जीता है. यह सभी युवा खेल, योग आदि जैसे अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े हैं. बता दें कि बीजेपी ने 2019 के लिए अपने सदस्यता अभियान को 6 जुलाई को शुरू किया था.

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Delhi: Thirty youth from various fields joined Bharatiya Janata Party (BJP), today. 29-year-old Disha (pic-3), who has down-syndrome and won two bronze medals in swimming in Asia Pacific Special Olympics-2013 and one silver medal at Special Olympics-2015, also joined the party.3584:02 PM – Jul 9, 201971 people are talking about this

इन युवाओं में आतंकवादियों द्वारा जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में मारे गए बीजेपी नेता गुल मोहम्मद मीर के बेटे भी शामिल हैं. आतंकियों ने 5 मई को बीजेपी नेता की अनंतनाग में गोली मारकर हत्या कर दी थी. गुल मोहम्मद के बेटों जहूमर अहमद और उमर अहमद ने आतंकियों की धमकियों को दरकिनार करते हुए बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया. बता दें कि गुल मोहम्मद की हत्या के बाद उनके परिवार को लगातार आतंकियों से धमकियां मिल रही थीं. इसके साथ केरल के अभिनेता नितिन जोसेफ भी बीजेपी में शामिल हो गए. 

वहीं, योग की दुनिया में नाम कमाने वाले तेजस्वी और सर्वेश उपाध्याय ने भी बीजेपी का दामन थामा है. जूडो में पदक जीतने वाले अवतार सिंह, तूलिका मान, विजय यादव ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की है. बता दें कि 6 जुलाई को शुरू हुए बीजेपी के सदस्यता अभियान का लक्ष्य देशभर में सदस्यों की संख्या को 20 करोड़ तक ले जाना है.

कांग्रेस अब मुंबई में बैठे रूठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर उन्‍हें वापस बुला सकती है

कांग्रेस अब मुंबई में बैठे रूठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर उन्‍हें वापस बुला सकती है. कई विधायक लंबे समय से मंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं. अब सोमवार को जी परमेश्‍वर ने सरकार में शामिल सभी कांग्रेस के मंत्र‍ियों को ब्रेकफास्‍ट पर बुलाया है. सूत्रों के अनुसार, वह मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा देने को कह सकते हैं. दरअसल कहा जा रहा है कि कांग्रेस अपने मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा देकर मुंबई में रूठकर बैठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर वापस बुला सकती है

बेंगलुरु/नई दिल्‍ली: कर्नाटक सरकार पर मंडरा रहे खतरे के बादल और गहरे होते जा रहे हैं. रविवार को मुख्‍यमंत्री एचडी कुमारस्‍वामी अमेरिका से बेंगलुरु पहुंचे. यहां पर उन्‍होंने अपनी पार्टी के विधायकों के साथ होटल में मीटिंग की. कर्नाटक के उपमुख्‍यमंत्री और कांग्रेस नेता जी परमेश्‍वर के साथ भी उनकी मीटिंग हुई, लेकिन कोई स्‍पष्‍ट नतीजा नहीं निकला है. उधर मुंबई गए 10 विधायकों ने बेंगलुरु लौटने से इनकार कर दिया है. वह इस्‍तीफे पर अड़े हैं. अब सोमवार को जी परमेश्‍वर ने सरकार में शामिल सभी कांग्रेस के मंत्र‍ियों को ब्रेकफास्‍ट पर बुलाया है. सूत्रों के अनुसार, वह मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा देने को कह सकते हैं.

दरअसल कहा जा रहा है कि कांग्रेस अपने मंत्र‍ियों से इस्‍तीफा देकर मुंबई में रूठकर बैठे विधायकों को मंत्री पद का ऑफर देकर वापस बुला सकती है. इस संकट के पीछे सबसे बड़ा कारण असंतोष है. कई विधायक लंबे समय से मंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे थे. जब उनकी बात नहीं सुनी गई तो विद्रोह भड़क गया.

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कर्नाटक कांग्रेस ने विधायकों की मंगलवार को बैठक बुलाई
कर्नाटक कांग्रेस ने पार्टी के नौ बागी विधायकों के शनिवार के इस्तीफे के बाद इस संकट से निपटने के लिए नौ जुलाई को अपने सभी 78 विधायकों की बैठक बुलाई है. इससे पहले कांग्रेस के विधायक आनंद सिंह (विजयनगर) ने एक जुलाई को इस्तीफा दे दिया था, जिसे मिलाकर बागी विधायकों की संख्या 10 हो गई है.

कांग्रेस प्रवक्ता रवि गौड़ा ने कहा, “कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता सिद्धारमैया ने सभी विधायकों को निर्देश दिया है कि वे मंगलवार (नौ जुलाई) को सुबह 9.30 बजे विधानसभा भवन के कॉन्फ्रेंस हॉल में सभी मुद्दों पर चर्चा करें, जिसमें शनिवार को इस्तीफा देने वालों की चिंताएं भी शामिल हैं.”

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सीएलपी बैठक आयोजित करने का निर्णय पार्टी की राज्य इकाई के नेताओं की बैठक में लिया गया, जिसमें सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री जी. परमेस्वरा, पार्टी की राज्य इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष ईशर कंद्रे और पार्टी के कर्नाटक प्रभारी के.सी. वेणुगोपाल शामिल रहे. गौड़ा ने कहा, “पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे वरिष्ठ पार्टी नेता भी बैठक में भाग लेंगे.”

विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार मंगलवार को ही विधायकों के त्याग-पत्रों पर गौर करेंगे. विधायकों ने कुमार की अनुपस्थिति में अपने इस्तीफे उनके निजी सचिव को सौंप दिए थे. इनमें नौ कांग्रेस और तीन जनता दल (सेक्युलर) के विधायकों के इस्तीफे हैं.

काश्मीर का भारत में विलय अस्थाई: फारूक

अमित शाह गृहमंत्री ज़रा हटके हैं। पहली बार सदन में किसी गृहमंत्री द्वारा काश्मीर मूद्दे पर इतना मुखर हो कर बोलते हुए सुना गया। धारा 370 एक अस्थाई व्यवस्था है और आतंकवाद पर ज़ीरो टोलरेंस का बयान विपक्ष खास तौर पर काश्मीर के राजनैतिक दलों को हजम नहीं हो रहे। काश्मीर में अपनी ज़मीन खिसती देख काश्मीर में कुछ नेता अपनी भड़ास भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी के रंग पर उतार रहे हैं ओर कुछ भारतीय संविधान पर बेतूके बयान दे कर। पत्थरबाज़ों को स्वतन्त्रता सेनानी बताने वाले फरुक अब्दुल्लाह अब धारा 370 पर विवादित बयान दे बैठे।

नई दिल्ली: नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने धारा 370 पर एक नया बयान देकर इसे और तूल दे दिया है. न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर धारा 370 अस्थायी है तो कश्मीर पर भारत का अधिग्रहण भी अस्थायी है. उन्होंने कहा कि जम्मू कस्मीर के महाराजा ने जब इसे स्वीकार किया, यह तब भी अस्थायी था. अब्दुल्ला ने कहा कि उस समय कहा गया था कि कश्मीर में जनमत संग्रह होगा और जनता तय करेगी कि भारत या पाकिस्तान में से किसके साथ जाना है. उन्होंने कहा कि जब ऐसा नहीं हुआ है तो वो धारा 370 को कैसे हटा सकते हैं. 

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्‍यसभा में जम्‍मू कश्‍मीर में सीमा पर रहने वालों के लिए आरक्षण और राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन 6 महीने बढ़ाने संबंधी प्रस्‍ताव को पेश किया. इस प्रस्‍ताव पर बीजेपी को तब बड़ी राहत मिली, जब टीएमसी और बीजेडी व वाइएसआरसीपी जैसी पार्ट‍ियों ने उसे समर्थन देने का ऐलान कर दि‍या.

विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि हम राज्‍य मे राष्‍ट्रपति शासन सिर्फ सुरक्षा की दृष्‍ट‍ि से बढ़ाने के लिए कह रहे हैं. हमारे पास पहले से ही 16 राज्‍य हैं, ऐसे में विपक्ष का ये आरोप कि हम राष्‍ट्रपति शासन के जरिये कश्‍मीर में शासन करना चाहते हैं, पूरी तरह गलत है. इस बहस के बाद राज्‍यसभा ने जम्‍मू कश्‍मीर में राष्‍ट्रपति शासन 6 महीने और बढ़ाने के साथ ही सीमा पर रहने वालों को आरक्षण देने वाले विधेयक को सर्वसम्‍मति से मंजूरी दे दी.

आतंकवाद के खि‍लाफ हमारी नीति जीरो टॉलरेंस की…
इससे पहले अमित शाह ने विपक्ष के सवालों पर जवाब देते हुए कहा, मैं नरेन्द्र मोदी सरकार की तरफ से सदन के सभी सदस्यों तक ये बात रखना चाहता हूं कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं और इसे कोई देश से अलग नहीं कर सकता. मैं फिर दोहराना चाहता हूं कि नरेन्द्र मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है. जम्हूरियत सिर्फ परिवार वालों के लिए ही सीमित नहीं रहनी चाहिए। जम्हूरियत गाँव तक जानी चाहिए, चालीस हज़ार पंच, सरपंच तक जानी चाहिए और ये ले जाने का काम हमने किया.

जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 माह बढ़ाई गयी

इस प्रस्‍ताव पर बीजेपी को तब बड़ी राहत मिली, जब टीएमसी और बीजेडी व वाइएसआरसीपी जैसी पार्ट‍ियों ने उसे समर्थन देने का ऐलान कर दि‍या.

नई दिल्‍ली: केंद्रीय गृहमंत्री अम‍ित शाह ने सोमवार को राज्‍यसभा में जम्‍मू कश्‍मीर में सीमा पर रहने वालों के लिए आरक्षण और राज्‍य में राष्‍ट्रपत‍ि शासन 6 महीने बढ़ाने संबंधी प्रस्‍ताव को पेश किया. इस प्रस्‍ताव पर बीजेपी को तब बड़ी राहत मिली, जब टीएमसी और बीजेडी व वाइएसआरसीपी जैसी पार्ट‍ियों ने उसे समर्थन देने का ऐलान कर दि‍या.

विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब देते हुए अम‍ित शाह ने कहा, कि हम राज्‍य मे राष्‍ट्रपत‍ि शासन सिर्फ सुरक्षा की दृष्‍ट‍ि से बढ़ाने के लिए कह रहे हैं. हमारे पास पहले से ही 16 राज्‍य हैं, ऐसे में विपक्ष का ये आरोप कि हम राष्‍ट्रप‍त‍ि शासन के जरिए कश्‍मीर में शासन करना चाहते हैं, पूरी तरह गलत है. इस बहस के बाद राज्‍यसभा ने जम्‍मू कश्‍मीर में राष्‍ट्रपत‍ि शासन 6 महीने और बढ़ाने के साथ ही सीमा पर रहने वालों को आरक्षण देने वाले विधेयक को सर्वसम्‍मति से मंजूरी दे दी.

आतंकवाद के खि‍लाफ हमारी नीति जीरो टॉलरेंस की…
इससे पहले अमित शाह ने विपक्ष के सवालों पर जवाब देते हुए कहा, मैं नरेन्द्र मोदी सरकार की तरफ से सदन के सभी सदस्यों तक ये बात रखना चाहता हूं कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं और इसे कोई देश से अलग नहीं कर सकता. मैं फिर दोहराना चाहता हूं कि नरेन्द्र मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है. जम्हूरियत सिर्फ परिवार वालों के लिए ही सीमित नहीं रहनी चाहिए। जम्हूरियत गाँव तक जानी चाहिए, चालीस हज़ार पंच, सरपंच तक जानी चाहिए और ये ले जाने का काम हमने किया.

केंद्रीय गृहमंत्री के अनुसार, जम्मू कश्मीर में 70 साल से करीब 40 हजार लोग घर में बैठे थे जो पंच-सरपंच चुने जाने का रास्ता देख रहे थे, क्यों अब तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं कराये गये और फिर जम्हूरियत की बात करते हैं. मोदी सरकार ने जम्हूरियत को गांव-गांव तक पहुंचाने का काम किया है. सूफी परंपरा कश्मीरियत का हिस्सा नहीं थी क्या? पूरे देश में सूफियत का गढ़ था कश्मीर, कहां चली गई वो संस्कृति? उनको घरों से निकाल दिया गया. उनके धार्मिक स्थानों को तोड़ दिया गया. सूफी संतों को चुन-चुन कर मारा गया.

जो भारत को तोड़ने की बात करेगा उसको उसी भाषा में जवाब मिलेगा और जो भारत के साथ रहना चाहते है उसके कल्याण के लिए हम चिंता करेंगे. जम्मू कश्मीर के किसी भी लोगों को डरने की जरुरत नहीं है. कश्मीर की आवाम की संस्कृति का संरक्षण हम ही करेंगे. एक समय आएगा जब माता क्षीर भवानी मंदिर में कश्मीर पंडित भी पूरा करते दिखाई देंगे और सूफी संत भी वहां होंगे. मैं निराशावादी नहीं हूं. हम इंसानियत की बात करते हैं.

अम‍ित शाह ने कहा, मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि आयुष्मान भारत योजना के तहत एक साल के अंदर किसी एक राज्य में सबसे ज्यादा लाभार्थी हैं तो वो जम्मू कश्मीर में हैं. नरेन्द्र मोदी सरकार में गरीबों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है. ये इंसानियत है. गुलाम नबी साहब ने बोला कि चुनाव आप करा दीजिए. हम कांग्रेस नहीं हैं कि हम ही चुनाव करा दें। हमारे शासन में चुनाव आयोग ही चुनाव कराता है. हमारे शासन में हम चुनाव आयोग को नहीं चलाते. राम गोपाल जी ने कहा कि कश्मीर विवादित है तो मैं बताना चाहूंगा कि न कश्मीर विवादित है, न POK कश्मीर विवादित है ये सब भारत का अभिन्न अंग हैं.

मैं सदन के माध्यम से सभी को बताना चाहता हूं कि हम जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन करें, ये हमारा नहीं बल्कि वहां की जनता का फैसला था. तब एक खंडित जनादेश मिला था. मगर जब हमें लगा कि अलगाववाद को बढ़ावा मिल रहा है और पानी सिर के ऊपर जा रहा है तो हमने सरकार से हटने में तनिक भी देर नहीं की.

कांग्रेस को एक बात बतानी चाहिए कि 1949 को जब एक तिहाई कश्मीर पाकिस्तान के कब्जें में था तो आपने सीजफायर क्यों कर दिया. ये सीजफायर न हुआ होता ये झगड़ा ही न होता, ये आतंकवाद ही नहीं होता, करीब 35 हजार जानें नहीं गई होती. इन सबका मूल कारण सीजफायर ही था.

एनआरसी असम ने खोये कुछ और नाम

साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता और असम नेपाली साहित्य सभा की अध्यक्ष दुर्गा खाटीवाडा का नाम एनआरसी अधिकारियों द्वारा 26 जून को जारी निष्कासन सूची में शामिल है.

गुवाहाटी: साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता दुर्गा खाटीवाडा और असम आंदोलन की पहली महिला शहीद बैजयंती देवी के परिवार के सदस्यों को राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के पूर्ण मसौदे से बाहर रखा गया है. यह जानकारी रविवार को एक संगठन ने दी. संगठन ने बताया कि उनके अलावा स्वतंत्रता सेनानी छबीलाल उपाध्याय की प्रपौत्री मंजू देवी को एनआरसी की ताजा प्रक्रिया से बाहर रखा गया है.

भारतीय गोरखा परिसंघ के राष्ट्रीय सचिव नंदा किराती देवान ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तीनों मामले गोरखाओं से जुड़े हुए हैं और एनआरसी प्रक्रिया से उन्हें बाहर रखकर समुदाय का अपमान किया गया है और अगर इस मामले का समाधान नहीं किया गया तो इसे अदालत में ले जाया जाएगा.

देवान ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता सेनानियों और असम आंदोलन के शहीदों के परिजनों को एनआरसी से बाहर रखकर उनका अपमान किया गया है. यह न केवल गोरखाओं का अपमान है बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों का भी अपमान है.’’ ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने अवैध प्रवासियों की पहचान और उन्हें वापस भेजने को लेकर 1979 से छह वर्षों तक असम आंदोलन चलाया था. इसी कारण 15 अगस्त 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौजूदगी में असम समझौता हुआ था.

उन्होंने कहा कि साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता और असम नेपाली साहित्य सभा की अध्यक्ष दुर्गा खाटीवाडा का नाम एनआरसी अधिकारियों द्वारा 26 जून को जारी निष्कासन सूची में शामिल है. बैजयंती देवी के पिता अमर उपाध्याय ने कहा कि उनके प्रपौत्रों एवं उनकी मां निर्मला देवी का नाम भी निष्कासन सूची में शामिल है. देवान ने कहा, ‘‘असम में कांग्रेस के संस्थापक और स्वतंत्रता सेनानी छबीलाल उपाध्याय की प्रपौत्री मंजू देवी का नाम भी सूची से बाहर है.’’