एक श्वान के कारण केंद्र सरकार ने ‘कपल आईएएस’ की भारत के पूर्व – पश्चिम में ट्रांसफर

कुत्ता टहलाने के लिए स्टेडियम को खाली कराने का मामला सामने आने के बाद दोनों का ट्रांसफर दिल्ली से सैकड़ों किलोमीटर दूर कर दिया गया है।  आईएएस अधिकारी संजीव खिरवार का ट्रांसफर लद्दाख तो उनकी पत्नी रिंकू डुग्गा को अरुणाचल प्रदेश भेज दिया गया है। आईएएस दंपती का तबादला उन खबरों के सामने आने के बाद किया गया है जिनमें कहा गया था कि खिरवार त्यागराज स्टेडियम में शाम के समय अपने कुत्ते के साथ वॉक पर जाते हैं। इस दौरान खिलाड़ियों और कोच को स्टेडियम छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। तबादले से पहले तक खिरवार दिल्ली के प्रधान सचिव (Revenue) थे। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शहर में सभी सरकारी खेल केंद्रों को रात 10 बजे तक खुला रखने का निर्देश दिया हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को यह जानकारी दी। 

नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

 त्यागराज स्टेडियम में बीते गुरुवार को आईएएस दंपति द्वारा सुविधाओं का दुरुपयोग करते पाए जाने के बाद नई दिल्ली से उनका ट्रांसफर कर दिया गया है। आईएएस संजीव खिरवार को लद्दाख भेजा गया है, जबकि उनकी पत्नी रिंकू धुग्गा को अरुणाचल प्रदेश भेजा गया है। IAS दंपति स्टेडियम में कुत्ता घुमाने को लेकर विवादों में घिर गए थे। वहीं दोनों का ट्रांसफर होने के बाद सोशल मीडिया पर लोग तरह-तरह के सवाल पूछ रहे हैं। माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर #DogWalkingIAS भी ट्रेंड कर रहा है। इस दौरान कुछ यूजर्स ने फिल्म बागबान का गाना- मैं यहां, तू वहां.. गाने का मीम शेयर किया है।

दरअसल, दैनिक समाचार पत्र ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि आईएएस संजीव खिरवार और उनकी पत्नी रिंकू धुग्गा अपने कुत्ते को त्यागराज स्टेडियम में टहलाने के लिए ले जाते थे। दंपति द्वारा कुत्ते को टहलाने के लिए स्टेडियम में प्रमुख एथलीट और कोच को ट्रेनिंग को समय से पहले खत्म करने को कहा जाता था। इसके बाद मजबूरीवश आईएएस दंपति के खिलाफ शिकायत की गई। वहीं इस खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई है।

संजीव 1994 बैच के IAS अधिकारी हैं, जो फिलहाल दिल्ली में रेवेन्यू कमिश्नर के पद पर तैनात थे। मामला सामने आने के बाद दिल्ली और केंद्र सरकार की काफी किरकिरी हो रही थी, जिसके बाद देर रात IAS दंपत्ति पर एक्शन लिया गया।

आईएएस दंपती का तबादला उन खबरों के सामने आने के बाद किया गया है जिनमें कहा गया था कि खिरवार त्यागराज स्टेडियम में शाम के समय अपने कुत्ते के साथ वॉक पर जाते हैं। इस दौरान खिलाड़ियों और कोच को स्टेडियम छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। तबादले से पहले तक खिरवार दिल्ली के प्रधान सचिव (राजस्व) थे।

ट्रांसफर ऑर्डर के बाद कुछ यूजर्स गृह मंत्रालय की कार्रवाई से खुश हैं और आदेश की सराहना कर रहे हैं।

ट्विटर पर नावीद नाम के एक यूजर मीम के जवाब में कहते हैं, “पति-पत्नी कहीं भी रहे, कुत्ता तो दिल्ली में ही रहेगा।” इस पर एक अन्य यूजर कहता है, “कुत्ता एक दिन पत्नी के पास रहेगा, एक दिन पति के पास।”

गौरतलब है कि त्यागराज स्टेडियम दिल्ली सरकार के अधीन आता है। 2010 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान यह स्टेडियम बना था। यहाँ राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय एथलीटों के साथ ही फुटबॉल खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं। लेकिन, गुरुवार (25 मई 2022) को मीडिया में यह खबर सामने आई थी कि पिछले कुछ समय से एथलीट और कोच परेशान हैं। दैनिक समाचार पत्र को एक कोच ने बताया था, “हम पहले यहाँ 8-8:30 बजे तक ट्रेनिंग कराते थे। लेकिन अब हमें शाम के 7 बजते ही स्टेडियम छोड़ने के लिए कहा जाता है ताकि अधिकारी अपने कुत्ते को टहला सकें। इस वजह से हमारी ट्रेनिंग और प्रैक्टिस पर असर पड़ रहा है।”

वहीं, 1994 बैच के आईएएस अधिकारी खिरवार ने इन आरोपों को सरासर गलत बताया था। उन्होंने ये माना था कि वह ‘कभी-कभी’ अपने पालतू कुत्ते को स्टेडियम में टहलाने के लिए ले जाते हैं। लेकिन इस बात से इनकार किया था कि इससे एथलीटों के प्रैक्टिस पर कोई असर पड़ता है।

इसके उलट कोच और एथलीटों का दावा था ,“पहले, हमने रात 8:30 बजे तक और कभी-कभी रात 9 बजे तक भी यहाँ ट्रेनिंग की। लेकिन अब हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।” कई एथलीटों ने बताया कि उन्होंने अपनी ट्रेनिंग भारतीय खेल प्राधिकरण के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (JLN) में ट्रांसफर कर ली है। वहाँ शाम 7:30 बजे के बाद फ्लडलाइट्स चालू हो जाती है।

बता दें कि मामला के तूल पकड़ने के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि सरकार ने खिलाड़ियों को रात के 10 बजे तक सुविधाएँ मुहैया कराने के निर्देश सभी स्पोर्ट्स सेंटर्स को दिए हैं।

बंगाल में अब मुख्य मंत्री होंगी विश्वविद्यालयों की कुलपति

बंगाल में सीएम ममता और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच विवाद नया नहीं है। कई मुद्दों पर दोनों के बीच तनातनी की स्थिति बनी हुई है। ममता राज्यपाल पर सीधे केंद्र के आदेश थोपने का आरोप लगाती हैं। वहीं, राज्यपाल कहते हैं कि वह जो भी कार्य करते हैं वह संविधान के मुताबिक होता है। चाहे बात विधानसभा का सत्र बुलाने की हो या किसी नए विधायक को शपथ दिलाने की, बंगाल में तकरीबन हर मामले पर सियासी विवाद पैदा हो जाता है। चुनाव बाद राज्य में में हुई हिंसा को लेकर भी सीएम और राज्यपाल में टकराव हुआ था। 

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद जगजाहिर है, लेकिन अब राज्य सरकार और गवर्नर के बीच विवाद और बढ़ता जा रहा है। अब ममता बनर्जी सरकार ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ एक और दांव चल दिया है। राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री को राज्यपाल की जगह विश्वविद्यालय का कुलपति बनाए जाने का निर्णय लिया है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

विधानसभा में पेश किया जाएगा बिल

शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति अब गर्वनर न होकर मुख्यमंत्री होंगी। उन्होंने जल्द ही विधानसभा में कानून में बदलाव करके इसे लागू कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपति राज्यपाल होते थे और वही विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति करते थे.

ममता बनर्जी की सरकार का कहना था कि कुलपति की नियुक्तियों के लिए राज्यपाल के पास नाम भेजे जाते हैं लेकिन मंजुरी नहीं मिलती है। अब विधानसभा में एक नया बिल लाया जाएगा। इसके बाद कानून में संशोधन किया जाएगा। इसी तरह का फैसला तमिलनाडु की सरकार ने भी लिया था। तमिलनाडु में विधानसभा में बिल पेश करके राज्यपाल से कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार छीन लिया गया था।

तमिलनाडु के सीएम ने उदाहरण दिया था कि पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात में भी कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल नहीं बल्कि राज्य सरकार करती है। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक सहित अन्य कई राज्यों में भी ऐसा ही होता है। 

कपिल सिब्बल हाथ छोड़ कर हुए साइकल सवार, अब रजाया सभा जाने की तैयारी

नौतपा – 2022

ज्योतिषाचार्यों की मानें तो सूर्य आज यानि 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसके बाद ये 08 जून तक इसी स्थिति रहेंगे। लेकिन नौतपा की समाप्ति 02 जून को हो जाएगी। 25 मई दिन बुधवार को सुबह 08 बजकर 16 मिनट पर सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश होगा। सूर्य देव 08 जून दिन बुधवार को सुबह 06 बजकर 40 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र से बाहर हो जाएंगे।

राजविरेन्द्र वशिष्ठ, धर्म/संस्कृति डेस्क, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़:

ज्येष्ठ मास की ग्रीष्म ऋतु में नवतपा को अधिक गर्मी का संकेत माना जाता है। नवतपा शुक्ल पक्ष में आर्द्रा नक्षत्र से 9 नक्षत्रों तक यानी 9 दिनों तक रहता है। यह आवश्यक नहीं है कि नवतपा में अधिक गर्मी हो। आर्द्रा के 10 नक्षत्रों तक, जो सबसे अधिक गर्मी प्राप्त करता है, बाद में सूर्य उस नक्षत्र में 15 दिनों तक रहता है और अच्छी वर्षा होती है। नौतपा की शुरुआत भी रोहिणी नक्षत्र से होगी। नवतपा में तेज हवा के साथ बवंडर और बारिश की संभावना रहती है। नौतपा समय की ग्रह स्थिति तेज हवा, बवंडर और बारिश का संकेत दे रही है। इस बार 25 मई से नौतपा शुरू होंगे और 2 जून तक रहेंगे।

नौतपा में बारिश होने से क्या होता है: देश में मानसून वक़्त से पहले सक्रीय हो गया है, जहां केरल में मानसून आने की तरीक 1 जून होती है वहीं 14 मई से ही यहां प्री मानसून का असर दिखाई देने लगा था, केरल, कर्नाटक, असम, बिहार जैसे दक्षिण और पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश का प्रकोप भी देखने को मिलने लगा है। मानसून के जल्दी सक्रीय होने से लोगों को भीषड़ गर्मी से राहत तो मिली है लेकिन बरसात के मौसम के लिहाज से यह अच्छा नहीं माना जा रहा है। नौतपा में भयंकर गर्मी पड़ती है और बरसात का मौसम ठीक इसका उल्टा होता है। लेकिन दोनों के बीच बहुत बड़ा कनेक्शन होता है। अगर नौतपा में बढ़िया से गर्मी पड़ती है तो ऐसा माना जाता है कि इस बार बरसात भी ताबड़तोड़ होगी, और अगर नौतपा में पानी बरस गया तो समझों वर्षा ऋतू में झमाझम पानी बरसते देखने के लिए आंखे बंजर हो जाएंगी।

ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव में नवत्पा 25 मई से शुरू हो रहा है। नौतपा के दिनों में विवाह जैसी मांगलिक यात्रा में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। ग्रहों की स्थिति को देखते हुए देश के पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में प्राकृतिक आपदाएं पैदा हो रही हैं। यह नौतपा 02 जून तक चलेगा। .नौतपा के दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहता है। इसके फलस्वरूप सूर्य की सीधी किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं, इस दौरान अत्यधिक भीषण गर्मी देखी जा सकती है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि सूर्य की मौजूदा स्थिति अशुभ फल दे सकती है। वृष राशि वालों के लिए वर्तमान समय खराब है।

नौतपा में क्या करें और क्या नहीं —

नौतपा में क्या न करें –

  • चूंकि नौतपा के 09 दिनों में आंधी, तूफान की आशंकी होती है इसलिए इस दौरान ऐसे में शादी, मुंडन या अन्य मांगलिक कार्यों को करने से बचना चाहिए।
  • नौतपा में सूर्य की अपना प्रचंड रूप दिखाते हैं। इसलिए इस दौरान यात्रा करने से बचना चाहिए। अन्यथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आ सकती हैं।
  • जहां तक संभव हो इस दौरान भोजन में तेल, मसाला, गरिष्ठ भोजन के सेवन से बचना चाहिए। इन दिनों ज्यादा भोजन करना भी हानिकारक है।
  • नौतपा के दौरान मांसाहार या तामसिक भोजन न करें। ये आपकी सेहत बुरा असर पड़ सकता है।

नौतपा में क्या करें –

  • आसानी से पच सके इसके लिए इस दौरान हल्का और सुपाच्य भोजन करें।
  • जहां तक हो सके, पानी का अधिक से अधिक सेवन करें। ताकि आप डिहाइड्रेशन का शिकार न हों।
  • ​जिस तरह इंसान को पानी की इस समय अधिक आवश्यकता होती है उसी तरह पशु—पक्षियों के लिए जल की व्यवस्था करें। इसलिए खुले में या छत पर खुले में पक्षियों के लिए दाना पानी रखें।
  • लोगों को ठंडा पानी पिलाने की व्यवस्था करें। इसके लिए घर के बाहर मिट्ठी के घड़े और पानी की व्यवस्था की जा सकती है। ज्योतिष शास्त्र में जेठ माह में जल का दान सबसे बड़ा दान माना गया है।
  • इस दौरान पेड़ पौधों को भी पानी की अधिक आवश्यकता होती है। इसलिए उनके लिए भी पर्याप्त पानी देते रहें। हरे पेड़ पौधों की सेवा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं।
  • जल मात्रा से भरपूर फलों का दान इस महीने में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए जहां तक संभव हो पानी की अधिक मात्रा वाले फलों का दान जरूर करें। पंखे का दान भी अच्छा माना जाता है।

‘शेर ए कश्मीर पुलिस पदक’ अब ‘जम्मू-कश्मीर पुलिस वीरता पदक’

जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा प्रदान किए जाने वाले वीरता और उत्कृष्ट सेवा पदक का नाम शेरे कश्मीर वीरता पदक और शेरे कश्मीरी पुलिस सराहनीय सेवा पदक था। जम्मू कश्मीर गृह विभाग ने आज एक आदेश जारी किया। गृह सचिव राज कुमार गोयल द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, जम्मू व कश्मीर पुलिस पदक योजना के पैरा चार में संशोधन करते हुए पदक के एक तरफ उकेरी गई शेरे कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की तस्वीर के स्थान पर अब भारत सरकार का प्रतीक चिह्न होगा और पदक के दूसरी तरफ जहां राज्य का प्रतीक चिह्न है, वहां अब जम्मू व कश्मीर पुलिस वीरता पदक और जम्मू कश्मीर उत्कृष्ट सेवा पुलिस पदक होगा।

  • जम्मू कश्मीर पुलिस पदकों पर से हटेगा शेख अब्दुल्ला का चित्र
  • पदकों पर अशोक स्तंभ के चिह्न लगाने का गृह विभाग से आदेश जारी
  • अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री थे

जम्मू(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से प्रदेश के सिस्टम में पसरी गंदगी की सफाई का काम धीरे-धीरे जारी है. प्रदेश सरकार ने अब पुलिसकर्मियों को मिलने वाले वीरता पुरस्कारों पर शेख अब्दुल्ला की तस्वीर हटाने की घोषणा कर दी है। इसके बदले अब उन पर 4 शेरों वाला अशोक स्तंभ का चिह्न लगाया जाएगा। सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। 

जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दशकों से पुलिसकर्मियों को वीरता के लिए जो पदक दिए जाते थे उन पदकों को ‘शेर ए कश्मीर पुलिस पदक’ कहा जाता था। इसमें एक ओर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकप्रिय नेता शेख अब्दुल्ला का चित्र होता था। अब इसका नाम ‘जम्मू-कश्मीर पुलिस वीरता पदक’ होगा। साथ ही इस पर शेख अब्दुल्ला के चित्र की जगह राष्ट्रीय प्रतीक ‘अशोक स्तंभ’ के चित्र को रखा जाएगा।

शेख अब्दुल्ला तब कश्मीर के बड़े नेता थे। जब देश का बंटवारा हो रहा था तब शेख अब्दुल्ला जिन्ना के लाख चाहने के बाद भी उनके साथ नहीं गए। ना ही वह कश्मीर के पाकिस्तान में विलय के पक्ष में थे। वह उन चुनिंदा नेताओं में थे, जो कश्मीर को भारत से मिलाने पर यकीन रखते थे. हालांकि बाद में कश्मीर साजिश के आरोप में उन्हें 11 साल जेल की सलाखों के पीछे बिताने पड़े। तब उन्हें कश्मीर से तीन हजार किलोमीटर दूर तमिलनाडु में हाउस अरेस्ट रखा गया था।

जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग के प्रधान सचिव आर के गोयल ने यह आदेश जारी किया। शेर-ए-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला से संबंधित जो कि नेकां प्रमुख और सांसद फारूक अब्दुल्ला के पिता और उमर अब्दुल्ला के दादा हैं।

प्रमुख गृह सचिव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर पुलिस पदक योजना के चौथे पैरा में परिवर्तन कर पदक के एक ओर उभरे हुए शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला को ‘भारत सरकार का राष्ट्रीय प्रतीक’ में तब्दील कर दिया जाएगा। तथा जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रतीक के साथ अंकित दूसरी तरफ ‘जम्मू और कश्मीर पुलिस पदक वीरता के लिए’ और ‘जम्मू और कश्मीर पुलिस पदक सराहनीय सेवा के लिए’ वीरता / सराहनीय पदक के रूप में अंकित किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि जनवरी 2020 में जम्मू-कश्मीर ने ‘शेर-ए-कश्मीर’ शब्द को हटाकर वीरता के लिए पुलिस पदक और सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक का नाम ‘जम्मू-कश्मीर पुलिस वीरता पदक’ रख दिया था। 

जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा प्रदान किए जाने वाले वीरता और उत्कृष्ट सेवा पदक का नाम शेरे कश्मीर वीरता पदक और शेरे कश्मीरी पुलिस सराहनीय सेवा पदक था। जम्मू कश्मीर गृह विभाग ने आज एक आदेश जारी किया। गृह सचिव राज कुमार गोयल द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, जम्मू व कश्मीर पुलिस पदक योजना के पैरा चार में संशोधन करते हुए पदक के एक तरफ उकेरी गई शेरे कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की तस्वीर के स्थान पर अब भारत सरकार का प्रतीक चिह्न होगा और पदक के दूसरी तरफ जहां राज्य का प्रतीक चिह्न है, वहां अब जम्मू व कश्मीर पुलिस वीरता पदक और जम्मू कश्मीर उत्कृष्ट सेवा पुलिस पदक होगा।

कई सड़कों-पुलों का नामकरण शेख अब्दुल्ला के नाम पर ही हुआ है शेख मोहम्मद अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के भारत में विलय के बाद वर्ष 1948 से 1953 तक जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री भी रहे हैं। वह वर्ष 1975 से 1982 तक जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे। जम्मूू कश्मीर में विभिन्न सरकारी योजनाओं, अस्पतालों, विश्वविद्यालयों, कालेजों, सड़क व पुलों का नामकरण शेख अब्दुल्ला के नाम पर ही हुआ है। उनके जीवनकाल में भी उनके नाम पर विभिन्न संस्थानों का नामकरण हुआ और उनके निधन के बाद भी। 

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के निर्देश पर मुंसिफ जज नवीन जम्वाल को तत्काल प्रभाव से नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। इस संबंध में जम्मू-कश्मीर न्याय, विधि व संसदीय मामलों के विभाग की ओर से एक आदेश जारी किया गया है। उन पर यह कार्रवाई क्यों की गई, अभी इस बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। विभाग के सचिव अचल सेठी की ओर से जारी आदेशानुसार जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से 22 अप्रैल, 2022 को लिखे पत्र के आधार पर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) मुंसिफ नवीन जम्वाल को पद से हटाया जाता है।

आम आदमी पार्टी के विधायक को 3 साल की सज़ा

लगता आने वाले दिनों में आम आदमी पार्टी की नेतृत्व सरकार मुश्किलें बढ़ने जा रही हैं। क्योंकि, विधानसभा हलका पटियाला के ग्रामीण से आम आदमी पार्टी के विधायक को एक झगड़े के मामले में दोषी करार दे दिया गया।  मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि इंदर सिंह की अदालत ने उन्हें 3 वर्ष की सजा एवं 16 हजार रुपए जुर्माना किया। इनके साथ परिवार के अन्य सदस्य को भी दोषी करार देते हुए उन्हें भी 3-3 वर्ष की सजा सुनाई गई। इसमें विधायक  पत्नी सुरिंदर कौर सैनी, बेटे राहुल एक और दोषी परमिंदर सिंह शामिल थे। यह सजा रुपनगर की अदालत ने सुनाई है। फिलहाल, विधायक तथा उसके परिवार के पास उच्च अदालत में याचिका दायर कर जमानत हासिल करने का विकल्प भी है। लेकिन, अदालत के फैसले ने आआपा सरकार को विपक्ष द्वारा घेरने का एक अवसर दे दिया। आआपा विधायक ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के मंत्री ब्रह्म महिंद्रा मोहित महिंद्रा को हराया था।

  • ईमानदारी तथा अपराधियों को नो-टॉलरेंस की नीति का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी सरकार क्या अपनी पार्टी के मौजूदा विधायक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करती है या फिर ठंडे बस्ते में डाल देती है
  • कानून तथा नियमों के मुताबिक, अदालत द्वारा किसी विधायक को सजा देती है तो उसे अपनी विधायक सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ता है।
  • अगर विधायक जमानत लेकर उच्च अदालत में अपील कर लेते है तो फिर इस्तीफा की जरुरत नहीं पड़ती है

रूपनगर, चंडीगढ़(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :  

दमी पार्टी (आआपा) के एक विधायक, उनकी बेटी और बेटे को, 11 साल पुराने एक मामले में तीन साल जेल की सजा सुनाई गई। पंजाब के पटियाला (ग्रामीण) से विधायक बलबीर सिंह और अन्य पर उनकी एक रिश्तेदार पर हमला करने का आरोप है। हालांकि, रूपनगर के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि इंदर सिंह ने बलबीर सिंह, उनकी पत्नी रुपिंदर कौर, बेटे राहुल और एक अन्य व्यक्ति को सजा सुनाने के बाद जमानत दे दी। आआपा विधायक के खिलाफ मामला 2011 में उनके परिवार और उनकी पत्नी की बहन परमजीत कौर के बीच झगड़े से संबंधित है, जिनका विधायक के परिवार के साथ भूमि विवाद था. विधायक पर उनकी साली और साढू ने आरोप लगाए थे. हालांकि विधायक ने कहा है कि आरोप झूठा है।

चारों को आईपीसी की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने), धारा 324 (स्वेच्छा से खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाने), धारा 325 (स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने) और आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के अपराध के लिये सजा सुनाई गई। परमजीत कौर की शिकायत के आधार पर रूपनगर जिले में चमकौर साहिब पुलिस थाने में जून 2011 में आरोपियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया था। कोर्ट ने तीनों दोषियों को 16 -16 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। हालांकि कोर्ट ने विधायक बलबीर सिंह समेत चारों लोगों को इस मामले में 50 -50 हजार के मुचलके पर जमानत दे दी ह। . विधायक बलबीर सिंह ने कहा कि वे सत्र कोर्ट में अपील दायर करेंगे. विधायक ने कहा वह इस मामले में आगे कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।

आईपीसी की धारा 323

भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के अनुसार, जो भी व्यक्ति (धारा 334 में दिए गए मामलों के सिवा) जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुँचाता है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।

आईपीसी की धारा 324

आईपीसी की धारा 324: खतरनाक हथियारों से स्वेच्छा से चोट पहुंचाना। धारा 334 द्वारा प्रदान किए गए मामले को छोड़कर स्वेच्छा से गोली मारने, छुरा घोंपने, काटने से चोट का कारण बनता है, जो अपराध के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इससे मृत्यु होने की संभावना है।

आईपीसी की धारा 325

भारतीय दंड संहिता की धारा 325 के अनुसार, धारा 335 द्वारा प्रदान किए गए मामले को छोड़कर जो कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति को स्वेच्छापूर्वक गंभीर चोट पहुचाता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा। सजा – सात वर्ष कारावास + आर्थिक दंड।

आईपीसी की धारा 506

आईपीसी धारा 506: आपराधिक अभित्रास के लिए दण्डजो कोई आपराधिक अभित्रास का अपराध करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।21-Jan-2022

बताया जा रहा है कि मामला कुछ साल पुराना है। कुछ वर्ष मौजूदा आआपा के विधायक डॉ. बलबीर सिंह सहित परिवार का अपने बेहद करीबी रिश्तेदार के साथ झगड़ा हुआ था। एक-दूसरे पर हमला किया गया। दोनों तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। मामला अदालत में गया। रुपनगर की अदालत ने आज अपने फैसले में सभी सबूतों के आधार पर विधायक सहित परिवार को दोषी करार देते हुए 3-3 वर्ष के सजा तथा एवं जुर्माना लगाया। जबकि, विधायक के रिश्तेदार को अदालत ने सबूतों के अभाव की वजह से बरी कर दिया। बताया जा रहा है कि विधायक के रिश्तेदार आर्मी के पूर्व उच्च अधिकारी रह चुके हैं। 

ईमानदारी तथा अपराधियों को नो-टॉलरेंस की नीति का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी सरकार क्या अपनी पार्टी के मौजूदा विधायक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करती है या फिर ठंडे बस्ते में डाल देती है। कानून तथा नियमों के मुताबिक, अदालत द्वारा किसी विधायक को सजा देती है तो उसे अपनी विधायक सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ता है। लेकिन, इसमें अगर विधायक जमानत लेकर उच्च अदालत में अपील कर लेते है तो फिर इस्तीफा की जरुरत नहीं पड़ती है। 

सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम सहित 5 के खिलाफ दर्ज किया केस, 263 चीनी नागरिकों को वीजा के लिए 50 लाख रिश्वत लेने का आरोप

अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कार्ति चिदंबरम को संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान एक ‘पॉवर प्रोजेक्ट’ के वास्ते चीन के 250 नागरिकों को वीजा दिलवाने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत मिली थी। उन्होंने बताया कि कार्ति चिदंबरम के खिलाफ यह जांच, आईएनएक्स मीडिया मामले की जांच के दौरान कुछ संबंधित सुराग मिलने पर शुरू की गई। एक प्राईवेट कंपनी पंजाब के मनसा में 1980 मेगावॉट का थर्मल पावर प्लांट लगा रही थी। इसका जिम्मा चीन की एक कंपनी को दिया गया था। आरोप है कि यह प्रोजेक्ट लेट हो रहा था। आरोप है कि काम को तेजी से कराने के लिए चीनी प्रोफेशनल्स को मनसा लाया गया। इनके लिए वीजा का इंतजाम चेन्नई के एक शख्स ने अपने कुछ साथियों की मदद से किया। इसमें नियमों की अनदेखी हुई। कुल 263 प्रोजेक्ट वीजा जारी किए गए। इतना ही नहीं होम मिनिस्ट्री को इस प्राईवेट कंपनी ने एक लेटर लिखा और इन तमाम वीजा होल्डर्स को फिर से वीजा जारी करने की गुजारिश की। इसकी मंजूरी भी एक महीने में मिल गई। आरोप है कि चेन्नई के एक व्यक्ति ने अपने सहयोगियों की मदद से 50 लाख रुपए रिश्वत मांगी।

कार्ति चिदंबरम(file Photo)

सारिका तिवारी, देओक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नई दिल्ली :  

सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे और सांसद कार्ति चिदंबरम और 4 अन्य लोगों के खिलाफ चीनी कंपनियों में कार्यरत चीनी नागरिकों को अवैध वीजा दिलवाने के मामले में केस दर्ज किया है। ये लोग चीनी कंपनियों में कार्यरत चीनी नागरिकों से घूस लेकर गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित सीमा से ज्यादा लोगों को प्रोजेक्ट वीजा उपलब्ध कराते थे। वह भी उस समय जब कार्ति चिदंबरम के पिता केंद्र में मंत्री थे। यानी पिता के पद का इस्तेमाल करते हुए कार्ति चिदंबरम ने चीन नागरिकों से कथित तौर पर 50 लाख रुपये घूस लेकर वीजा उपलब्ध कराया। पिता के पद का इस्तेमाल करते हुए कार्ति चिदंबरम ने चीन नागरिकों से कथित तौर पर 50 लाख रुपये घूस लेकर वीजा उपलब्ध कराया। अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आज सुबह सीबीआई के दल ने दिल्ली और चेन्नई में चिदंबरम पिता-पुत्र के आवास समेत देश के कई शहरों में 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह छापे चेन्नई और मुंबई में कई स्थानों पर तथा कोप्पल (कर्नाटक), झारसुगुड़ा (ओडिशा), मनसा (पंजाब) और दिल्ली में मारे गए।

कार्ति ने सीबीआई छापों के तुरंत बाद इस बारे में विस्तृत जानकारी दिए बिना ट्वीट किया, ‘‘ अब तो मैं गिनती भी भूल गया हूं कि कितनी बार ऐसा हुआ है? शायद यह एक रिकॉर्ड होगा। ” बाद में उन्होंने और ट्वीट कर कहा कि उनके कार्यालय ने उन्हें छापों के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा, “मेरे कार्यालय ने अभी ‘रिकॉर्ड’ के बारे में अद्यतन जानकारी दी है, 2015 में दो बार, 2017 में एक बार, 2018 में दो बार और आज, छह!”


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने हिंदी और अंग्रेजी में किए गए अपने ट्वीट में कहा कि सीबीआई के एक दल ने चेन्नई स्थित उनके निवास और दिल्ली में आधिकारिक आवास पर छापेमारी की। उन्होंने कहा, ‘‘ सीबीआई के दल ने मुझे एक प्राथमिकी दिखाई, जिसमें मेरा नाम आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं था। छापेमारी में कुछ नहीं मिला और कुछ भी जब्त नहीं किया गया।” उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इस बात की ओर ध्यान जरूर दिलाना चाहूंगा कि छापेमारी का समय दिलचस्प है।” हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि छापेमारी के “समय” से उनका क्या आशय है। उन्होंने बताया कि कार्ति चिदंबरम के खिलाफ यह जांच, आईएनएक्स मीडिया मामले की पड़ताल के दौरान कुछ संबंधित सुराग मिलने पर शुरू की गई।

अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कार्ति चिदंबरम को संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान ‘तलवंडी साबो बिजली परियोजना’ के लिए जुलाई-अगस्त 2011 में चीन के 263 नागरिकों को वीजा दिलवाने के लिए 50 लाख रुपये की रिश्वत मिली थी। उस समय पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे। तलवंडी साबो पावर लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा, “पंजाब में हमारे प्रतिष्ठान की तलाशी सीबीआई की व्यापक जांच का हिस्सा है। हम अधिकारियों को पूरा सहयोग दे रहे हैं और उचित प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। हमें और कोई टिप्पणी नहीं करनी है।”


अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी में कार्ति के अलावा उनके करीबी सहयोगी एस भास्कररमन, तलवंडी साबो बिजली परियोजना के प्रतिनिधि विकास मखारिया (जिसने कथित तौर पर रिश्वत दी) , कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड, मुंबई स्थित बेल टूल्स लिमिटेड (जिसके मार्फत कथित तौर पर रिश्वत पहुंचाई गई) और अन्य अज्ञात के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई को भास्कररमन के कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव से 50 लाख रुपये के संदिग्ध लेन-देन के कुछ दस्तावेज मिले थे, जिसके आधार पर एजेंसी ने प्रारंभिक जांच दर्ज की थी। प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री उपलब्ध थी।

एजेंसी का आरोप है कि पंजाब के मनसा स्थित तलवंडी साबो बिजली परियोजना के तहत 1980 मेगावाट का ताप बिजली संयंत्र स्थापित किया जाना था जिसके लिए चीन की एक कम्पनी के साथ अनुबंध किया गया था, लेकिन उसका काम तय समय से पीछे चल रहा था। सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी ने एक बयान में कहा कि परियोजना निर्धारित समय से पीछे चल रही थी और कंपनी पर जुर्माना लगने की तलवार लटक रही थी।

जोशी ने कहा, “देरी के लिए दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए, उक्त निजी कंपनी (तलवंडी साबो) जिला मानसा (पंजाब) में अपनी साइट के लिए अधिक से अधिक चीनी व्यक्तियों और पेशेवरों को लाने की कोशिश कर रही थी और उन्हें गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से अधिक परियोजना वीजा की आवश्यकता थी।” अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बिजली कंपनी के प्रतिनिधि मखारिया ने कार्ति से अपने करीबी सहयोगी भास्कररमन के जरिए संपर्क किया।

जोशी ने कहा, “उन्होंने उक्त चीनी कंपनी के अधिकारियों को आवंटित 263 प्रोजेक्ट वीजा के पुन: उपयोग की अनुमति देकर सीलिंग (कंपनी के संयंत्र के लिए अनुमेय परियोजना वीजा की अधिकतम संख्या) के उद्देश्य को विफल करने के लिए ‘पिछले दरवाजे’ का रास्ता तैयार किया।” अधिकारियों ने कहा कि मखारिया ने कथित तौर पर गृह मंत्रालय को एक पत्र सौंपा जिसमें इस कंपनी को आवंटित परियोजना वीजा के पुन: उपयोग के लिए मंजूरी मांगी गई थी, जिसे एक महीने के भीतर मंजूरी दे दी गई थी और कंपनी को अनुमति जारी कर दी गई थी। जोशी ने कहा, “चेन्नई स्थित निजी व्यक्ति (कार्ति) ने अपने करीबी सहयोगी/फ्रंट मैन (भास्कररमन) के माध्यम से कथित तौर पर 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी, जिसका भुगतान मनसा स्थित उक्त निजी कंपनी (तलवंडी साबो) ने किया था।”

कांग्रेस में ‘एक परिवार, एक टिकट’ का फॉर्मूला लागू, फैसला गांधी परिवार पर लागू नहीं होगा

कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर के पहले दिन सोनिया गांधी ने पार्टी में एकता का संदेश दिया. उन्होंने कहा, पार्टी के सदस्यों से मेरा आग्रह है कि वे शिविर में खुलकर अपने विचार व्यक्त करें। लेकिन मजबूत पार्टी एवं एकता का एक संदेश देश में जाना चाहिए। इसके अलावा उदयपुर चिंतन शिविर के पहले दिन तय किया गया कि कांग्रेस में ‘एक परिवार, एक टिकट’ का फॉर्मूला लागू किया जाएगा. परिवार के दूसरे सदस्य को कम से कम पांच साल तक संगठन में काम करने पर टिकट मिलेगा। हालांकि बताया जा रहा है कि यह फैसला गांधी परिवार पर लागू नहीं होगा

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/राजस्थान :

अगले चुनावों से पहले टिकट दिए जाने को लेकर कांग्रेस बड़े स्तर पर बदलाव की तैयारी कर रही है। अब एक परिवार से केवल एक ही टिकट मिलेगा। उदयपुर में चिंतन शिविर में संगठन में बदलाव और राजनीतिक मामलों पर बने पैनल ने य​ह सिफारिश की है।

कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी महासचिव अजय माकन ने उदयपुर में मीडिया से बातचीत में कहा- हमारे पैनल में यह चर्चा हुई है कि एक परिवार से एक टिकट के फार्मूला को लागू किया जाए। जिसे भी टिकट दिया जाए, उसने कम से कम 5 साल पार्टी में काम किया हो। सीधे टिकट नहीं दिया जाए। नए आने वालों नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा, लेकिन इस नियम में गांधी परिवार को छूट दी जाएगी। यह फार्मूला उन पर लागू नहीं होगा।

माकन ने कहा, “इस प्रस्ताव पर पैनल के सदस्यों के बीच लगभग पूरी तरह से एकमत सहमति है कि पार्टी के नेता अपने परिवार और रिश्तेदारों को टिकट नहीं देंगे। पार्टी नेता यह सुनिश्चित करेंगे कि परिवार या रिश्तेदारों को पार्टी में बिना किसी काम के टिकट न दें, उन्हें टिकट दिए जाने से पहले पार्टी में कम से कम 5 साल तक काम करना होगा।”

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां तक ​​कि अगर चिंतन शिवर में ‘एक परिवार, एक टिकट’ नियम को मंजूरी दे दी जाती है, तो शायद ही यह नियम गांधी परिवार पर लागू हो। अजय माकन के मुताबिक एक परिवार के किसी दूसरे सदस्य को टिकट तभी मिलेगा जब वह संगठन में पांच साल तक काम कर चुका होगा। 

नेताओं का कहना है कि कांग्रेस “सांप्रदायिक ध्रुवीकरण” पर चर्चा की योजना बना रही है और राज्य के चुनावों और 2024 के राष्ट्रीय चुनाव की तैयारी कर रही है।

अजय माकन ने कहा, “कोई भी व्यक्ति जो लगातार पद पर रहा है उसे पद छोड़ना होगा और उस व्यक्ति के उसी पद पर वापस आने पर तीन साल के कूलिंग पीरियड से गुजरना होगा।” उन्होंने कहा कि चिंतन शिविर में यह भी प्रस्ताव रखा गया है कि संगठन में हर स्तर पर 50 प्रतिशत जगह युवाओं को दी जाए। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि ब्लॉक और बूथ समितियों के बीच मंडल समिति बनाने पर सहमति, एक मंडल समिति में 15 से 20 बूथ होंगे।

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘ कांग्रेस में काम करने की व्यवस्था बहुत पुरानी है। इस चिंतन शिविर के माध्यम से इसमें आमूल-चूल परिवर्तन किया जाएगा।’ चिंतन शिविर के लिए बनी कांग्रेस की संगठन संबंधी समन्वय समिति के सदस्य माकन ने कहा, “संगठन का निचला स्तर बूथ समिति का होता है। ब्लॉक समिति के नीचे बूथ आते हैं। लेकिन अब इनके बीच में, मंडल समिति बनाने का प्रस्ताव है। हर मंडल समिति में 15 से 20 बूथ होंगे। इस पर सर्वसम्मति भी है।”

उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण और इस तरह के अन्य कार्यों के लिए पार्टी में “पब्लिक इनसाइट डिपार्टमेंट’ बनाने का भी प्रस्ताव है। माकन ने कहा, “इसके अलावा यह भी प्रस्ताव है कि पदाधिकारियों के कामकाजी प्रदर्शन की जांच परख के लिए आकलन इकाई (असेसमेंट विंग) बने ताकि अच्छी तरह काम करने वालों को जगह मिले और काम नहीं करने वालों को हटाया जाए।”

कटरा से जम्मू जा रही तीर्थयात्रियों से भरी बस में लगी आग, 4 की मौत, 22 लोग झुलसे

मिली जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में कटरा के पास वैष्णो देवी तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस में शुक्रवार को आग लगने से कम से कम चार लोगों की मौत हो गई। 22 अन्य घायल हो गए। खबरों के मुताबिक, कटरा से करीब तीन किलोमीटर दूर नोमाई के पास बस में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री जम्मू जा रहे थे। ADGP जम्मू ने बताया क‍ि कटरा से लगभग 1.5 किमी दूर खरमल के पास हादसा हुआ है। बस कटरा से जम्मू जा रही थी। प्रारंभिक सूचना के अनुसार, बस के इंजन क्षेत्र से आग लग गई जिसने जल्द ही पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया।

चंडीगढ़/जम्मू संवाददाता, डेमोक्रेटिक फ्रंट :

जम्मू में शुक्रवार को एक बड़ा हादसा हो गया जब कटरा से जम्मू जा रही एक बस में आग लग गई। यह बस कटरा के नोमाई इलाके से जम्मू जा रही थी। कटरा से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर खरमल इलाके के पास बस में संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गई। इस घटना में 4 लोगों की दर्दनाक रूप से मौत हो गई जबकि 22 लोग आग की चपेट में आने से झुलस गए हैं।

कटरा प्रसिद्ध वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों का आधार शिविर है। जम्मू क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) मुकेश सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि प्रारंभिक जांच में किसी विस्फोटक के इस्तेमाल की बात नहीं आई है, फोरेंसिक टीम आग के कारणों की जांच कर रही है।

दयानन्द चेयर में दिनांक 9.5.2022 को आस्तिक दर्शनों के समन्वय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया

Koral ‘Purnoor’, Demokretic Front, Chandigarh May 9, 2022

 दयानन्द वैदिक अध्ययन पीठ

  दयानन्द चेयर के अध्यक्ष प्रो. वीरेन्द्र कुमार अलंकार ने मुख्यवक्ता डॉ. प्रशान्त का परिचय देते हुए बताया कि छः दर्शनों के समन्वय की पहली स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थप्रकाश के तृतीय समुल्लास में की है। दयानन्द ने सृष्टि विद्या नामक विषय के छः कारणों का उल्लेख करते हुए छः दर्शनों में बडा व्यावहारिक समन्वय स्थापित किया है। डॉ. प्रशान्त आचार्य ने बताया कि भारतीय-दर्शन जैसा शब्द विदेशियों द्वारा दिया गया है।

भारतीय छात्रों को विश्वविद्यालयों में जो न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, पूर्व मीमांसा एवं उत्तर मीमांसा का क्रम पढाया जाता है, वह भारतीय चेतना से मेल नहीं खाता। सत्यार्थप्रकाश में स्वामी दयानन्द ने सर्वप्रथम मीमांसा दर्शन को पढने का निर्देश किया है, उसके बाद वैशेषिक, न्याय, सांख्य, योग और वेदान्त। इस क्रम से पढने में पाठक को पूर्वापर ज्ञान का परिचय स्वतः हो जाता है।

ऋषियों की ग्रन्थ लेखन शैली पर भी विचार विमर्श किया गया, जिसमें 50 से अधिक छात्र, शोधच्छात्र, अध्यापक आदि विद्यमान थे।

इस कार्यक्रम में चण्डीगढ के विभिन्न महाविद्यालयों से जैसे सैक्टर 10 डी.ए.वी से डॉ. सुमित्र बालिया, डॉ. सुषमा अलंकार, गवर्मेन्ट कॉलेज सैक्टर 11 से डॉ. चन्दन गुप्ता, पी.यू के अंग्रेजी विभाग से डॉ. दीप्ति गुप्ता आदि अध्यापकों ने भी भाग लिया।