केन्द्रिय जल शक्ति मंत्री रतन लाल कटारिया ने अपने सांसद निधि कोष से एक करोड़ व अपनी एक महीने का वेतन को कोविड 19 कोरोना से निपटने के लिए दिया

  पंचकुला/ चंडीगढ़ 29 मार्च:

केंद्रीय राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने कहा की हमारे प्रधान मंत्री फ्रंट पर आ कर कोरोना के विरुद्ध शुरु से ही निर्णायक लड़ाई लड़ रहे है ! उनोहने कहा की भारत ने डब्लू एच् ओ से भी पहले 30 जनवरी को सारे राष्ट्र को कोरोना के बारे में सचेत कर  दिया दिया था उन्होंने कहा की प्रधान मंत्री द्वारा कोरोना को लाकर गोषित किया गया आर्थिक पकेज हमारे करोडो गरीबो  मजदूरो के लिए सहायक होगा। यह पकेज हमारी तत्काल ज़रूरतों को पूरा करेगा। उन्होने कहा भारत सरकार अधिक से अधिक हॉस्पिटल की सुविधाए प्रदान कराने व कोरोना को कम्युनिटी में फ़ेलने से रोकने तथा सोस्ल डिसटेएन्सिंग को सफल बनाने के लिए काम कर रही हें। कटारिया ने कहा की केंद्र व राज्य सरकार भरपूर मात्रा में बिस्तर ,वेंटीलैटर व आई. सी. यु. फेसिलिटी की व्यवस्थाए युद्ध स्तर पर कर रही है।हम भारत की जनता के सहयोग व मोदी के कुशल नेतृत्व से कोरोना को हराएंगे।

NTA NEET 2020 परीक्षा स्थगित

NTA NEET 2020: इंजीनियरिंग के लिए होने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) टलने के बाद अब एमबीबीएस में प्रवेश के लिए होने वाली राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) को भी टाल दिया गया है। यह परीक्षा 3 मई को होने वाली थी। 27 मार्च को नीट के एडमिट कार्ड जारी होने वाले थे लेकिन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने प्रवेश पत्र जारी करने पर रोक लगा दी थी। अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन की स्थिति के चलते नीट और जेईई मेन दोनों प्रवेश परीक्षाओं को मई के अंतिम सप्ताह तक स्थगित कर दिया है। एनटीए ने नोटिस जारी कर कहा है कि NEET के एडमिट कार्ड ( NEET Admit Card 2020 ) अब स्थिति की समीक्षा करने पर 15 अप्रैल के बाद ही जारी किए जाएंगे। NTA इससे पहले इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम जेईई मेंस को भी स्थगित कर चुका है। JEE Main 2020 एग्जाम का आयोजन 5 से 11 अप्रैल, 2020 के बीच होना था। 

मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कर कहा, ‘परीक्षा के दौरान स्टूडेंट्स और पेरेंट्स को विभिन्न जगहों पर स्थित परीक्षा केंद्रों तक यात्रा करनी पड़ेगी। किसी तरह की असुविधा से बचने के लिए मैंने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को NEET (UG) 2020 और JEE Main 2020 मई के अंतिम सप्ताह तक टालने का निर्देश दिया है।’ 

NTA की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है, ‘कोरोना वायरस महामारी के कारण स्टूडेंट्स और पेरेंट्स को आ रही दिक्कतों के मद्देनजर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने 3 मई 2020 को होने जारी रही नीट (यूजी) परीक्षा 2020 स्थगित कर दी है। फिलहाल नीट परीक्षा का आयोजन अब मई के अंतिम सप्ताह में प्रस्तावित किया गया है। हालात की समीक्षा करने के बाद तय तिथि की घोषणा की जाएगी। जो एडमिट कार्ड पहले 27 मार्च को जारी होने वाले थे, वह अब स्थिति की समीक्षा करने के बाद 15 अप्रैल के बाद जारी होंगे।’

एनटीए ने कहा, ‘हम यह बात भली भांति समझते हैं कि ऐकेडमिक कैलेंडर और शेड्यूल जरूरी होता है लेकिन यह भी जरूरी है कि विद्यार्थी समेत देश के सभी नागरिक स्वस्थ रहें। हमें उम्मीद है कि पेरेंट्स और स्टूडेंट्स परीक्षा की चिंता नहीं करेंगे। पेरेंट्स से आग्रह है कि वह यह सुनिश्चित करें कि स्टूडेंट्स इस समय का इस्तेमाल परीक्षा की तैयारी में करें। स्टूडेंट्स इस समय में जटिल विषयों पर फोकस करके अपनी तैयारी को और मजबूत बनाएं। स्टूडेंट्स आगे की अपडेट्स के लिए आधिकारिक वेबसाइट्स ntaneet.nic.in nta.ac.in से जुड़े रहें।’

पिछले कुछ दिनों से मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम नीट के अभ्यर्थी परीक्षा तिथि और आगे के शेड्यूल को लेकर काफी कंफ्यूज थे। कोरोना वायरस के संक्रमण व लॉकडाउन के मद्देनजर जेईई मेन समेत कई एंट्रेंस एग्जाम व सरकारी नौकरी की प्रतियोगी परीक्षाएं स्थगित हो चुकी हैं। सीबीएसई, राजस्थान, एमपी बोर्ड, आईसीएससी समेत कई बोर्डों को अपना संशोधित शेड्यल जारी शेष परीक्षाएं करवानी हैं। 

देश भर के मेडिकल कॉलेजों में चलाए जा रहे एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेस में इसी प्रवेश परीक्षा के जरिए दाखिला होता है। नीट (यूजी) परीक्षा-2020 अंग्रेजी और हिंदी सहित 11 भाषाओं में आयोजित की जाएगी। 

शैक्षणिक वर्ष 2020 से,  AIIMS और JIPMER (जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) सहित सभी मेडिकल कॉलेजों / संस्थानों में MBBS व BDS कोर्सेज में प्रवेश के लिए NEET अनिवार्य हो गया है। पहले AIIMS और JIPMER के MBBS और BDS कोर्सेज में प्रवेश के लिए अलग-अलग प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती थी, लेकिन 2020 से यहां भी NEET (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) के जरिए ही दाखिला होगा। 

नीट यूजी 2020 की परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर देशभर के मेडिकल कालेजों में चलाए जा रहे एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सों में एडमिशन मिलेगा। 

भारत में कोरोना वरस का इलाज संभव है: ऑन्कोलॉजिस्ट विशाल राव

बेंगलुरु: 

दुनिया भर में तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस ने भारत में भी तांडव मचा रखा है. भारत में पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के 114 नए मामले सामने आए हैं. अब तक 17 की मौत हो चुकी है जबकि 808 संक्रमित हैं. दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के लिए टीका (वैक्सीन) विकसित करने में लगे हुए हैं. इस बीच बेंगलुरु के एक डॉक्टर ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोना का प्रभावी उपचार खोज निकाला है. 

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु के ऑन्कोलॉजिस्ट विशाल राव ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोनो वायरस के लिए उपचार विकसित किया है. उनका दावा है कि ये उपचार इस सप्ताह के अंत तक परीक्षण के लिए तैयार हो जाएगा. 

डॉक्टर ने कहा ये उपचार व्यक्ति के इम्यून सिस्टम को रीट्रिगर करेगा जो Sars-Cov-2 वायरस के चलते प्रभावित हो जाता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि ये दवा कोरोना वायरस की “वैक्सीन नहीं” है बल्कि ये मरीज के इम्यून सिस्टम को बढ़ाने का काम करेगाी जिससे मरीज का शरीर कोरोना वायरस से मजबूती से लड़ करे.  

उन्होंने कहा, ”हमने साइटोकिन्स (Cytokines) का निर्माण किया है जो कोविड-19 के रोगियों का इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए उन्हें इंजेक्शन के जरिए दिया जा सकता है. हम एक बहुत ही प्रारंभिक चरण में हैं. इस हफ्ते के अंत तक इसके पहले सेट के तैयार होने की उम्मीद है.”

डॉक्टर राव ने कहा कि हमने संभावित उपचार की शीघ्र समीक्षा के लिए सरकार को एक आवेदन भी दिया है. 

बेंगलुरु के इस ऑन्कोलॉजिस्ट ने कहा कि मानव शरीर की कोशिकाएं वायरस को मारने के लिए इंटरफेरॉन केमिकल छोड़ती हैं. Sars-Cov-2 से संक्रमित होने के बाद कोशिकाओं की ये प्रक्रिया बंद हो जाती है. जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ने लगता है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 से लड़में में इंटरफेरॉन प्रभावी हैं.

कोरोना का अंत निकट: माइकेल लेविट

एक ओर जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस को लेकर चिंतित है वहीं नोबेल पुरस्कार विजेता एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि कोरोना का अंत निकट है.  स्टैनफोर्ड बायोफिजिसिस्ट माइकेल लेविट का कहना है कि कोरोना वायरस से जितना बुरा होना था हो चुका लेकिन अब हालात बेहतर होंगे. 

लेविट ने लॉस एंजेल्स टाइम्स को दिए इंटरव्यू में यह दावा किया. उनके इस दावे को गंभीरता से लिया जा रहा है कि क्योंकि चीन में कोरोना वायरस को लेकर उनकी भविष्यवाणी सही साबित हुई थी. 

दरअसल चीन को लेकर विशेषज्ञ यह दावा कर रहे थे कि चीन में कोरोना वायरस को कंट्रोल करने मं लबा समय लग जाएगा और इससे प्रभावित लोगों की संख्या लाखों में हो सकती है. 

लेविट ने फरवरी में यह भविष्यवाणी की थी कि चीन में हालात सुधरेंगे. उनकी भविष्यवाणी के बाद धीरे-धारे चीन में हालात बेहतर होने लगे. चीन ने कोरोना वायरस पर काफी हद तक काबू पा लिया है. कोरोना का सबसे बड़ा केंद्र रहा चीन का हुबेई प्रांत लंबे लॉकडाउन के बाद अब खुलने वाला है. 

लेविट ने चीन में कोरोना के मरीजों और इससे होने वाली मौतों को लेकर भी सटीक अनुमान लगाया. उन्होंने अनुमान लगाया था कि चीन में कोरोना के 80,000 मामले आ सकते हैं और 3250 मौतें हो सकती हैं. मंगलवार तक चीन में 3277 मौतें और 81171 मामले सामने आए हैं.

बेनी प्रसाद वर्मा नहीं रहे, वह 79 वर्ष के थे

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और राज्यसभा सांसद बेनी प्रसाद वर्मा का शुक्रवार शाम लखनऊ में निधन हो गया. समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक और UPA सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे चुके बेनी प्रसाद वर्मा का लंबे वक्त से स्वास्थ्य खराब चल रहा था. कुर्मी समाज के सर्वमान्य नेता माने जाने वाले बेनी प्रसाद के निधन से उत्तर प्रदेश में शोक की लहर है. समाजवादी पार्टी ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया और शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की.

बाराबंकी. 

पूर्व केंद्रीय मंत्री और समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता बेनी प्रसाद वर्मा का लखनऊ में निधन हो गया है. वह लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे.बेनी प्रसाद वर्मा समाजवादी पार्टी के संस्थापक और देश के दिग्गज नेताओं में शुमार किये जाते थे. बेनी प्रसाद वर्मा समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद थे. बेनी प्रसाद वर्मा उत्तर प्रदेश के कुर्मी समाज के सर्वमान्य नेता माने जाते थे. यूपीए 2 सरकार में बेनी प्रसाद वर्मा केन्द्रीय इस्पात मंत्री थे. उनके देहावसान की खबर से बाराबंकी जनपद में शोक की लहर दौड़ गई है.

समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने बेनी प्रसाद वर्मा के निधन पर दुख व्यक्त किया है.  उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता, राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा जी और हम सबके प्रिय ‘बाबू जी’ जी का निधन अपूरणीय क्षति है. शोकाकुल परिजनों के प्रति संवेदना. शत-शत नमन एवं अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि.

बेनी प्रसाद वर्मा का जन्म 11 फरवरी 1941 को उत्‍तरप्रदेश के बाराबंकी जिले के सिरौली में हुआ था. पिता का नाम मोहनलाल वर्मा और माता रामकली वर्मा था. बेनी का विवाह 1956 में मालती देवी से हुआ. उनके 3 बेटे और 2 बेटियां हैं. शुरुआती पढ़ाई बेनी की बाराबंकी से ही हुई इसके बाद उन्होंने लखनऊ विश्‍वविद्यालय से बीए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई के बाद वह सीधे राजनीति में आ गए. लंबे समय तक उत्‍तरप्रदेश राज्‍य में पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट मंत्री के रूप में कार्य करते रहे. पहली बार 1992 में उत्‍तरप्रदेश के कैसरगंज से लोकसभा का चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री बने.

Well Played CHINA……..

COVID 19 Another Conspiracy Theory

China’s hapless soccer team might not have qualified for the World Cup, but when it comes to playing the game of global politics, its leaders have shown considerably more finesse.

  • SCENE 1 : The curtain opens: China becomes ill, enters a “crisis” and paralyzes its trade.  The curtain closes.
  • SCENE II.  The curtain opens: The Chinese currency is devalued.  They do not do anything.  The curtain closes.
  • SCENE III.  The curtain opens:: Due to the lack of trade of companies from Europe and the USA that are based in China, their shares fall 40% of their value.  
  • SCENE IV.  The curtain opens:: The world is ill, China buys 30% of the shares of companies in Europe and the US at a very low price.  The curtain closes.
  • SCENE V. The curtain opens: China has controlled the disease and owns companies in Europe and the US.  And he decides that these companies stay in China and earn $ 20,000Billions.  The curtain closes.  How is the play called?
  • SCENE  VI: Checkmate!

 ReAmazing but true

 Two videos have passed between yesterday and today that convinced me of something I suspected, but had no basis.  It was just my speculation.  Now I am convinced that the corona virus was purposely propagated by the Chinese themselves.

 At first they were too prepared.  Three weeks after the start of the roll, 14 days and a 12,000-bed hospitals were already under construction.  And they really built them in two weeks.  Awesome.

 Yesterday they announced that they had stopped the epidemic.  They appear in videos celebrating, they announce that they even have a vaccine.  How could they create it so quickly without having all the genetic information?  Well if you are the owner of the formula it is not difficult at all.

 And today I just saw a video that explains how Den Xiao Ping gave the west a half stick.  Due to the coronavirus, the actions of Western companies in China fell dramatically.  China I just hope, when they went down enough they bought them.  Now the companies,

 Created by the USA and Europe in China with all the technology put in by these exchanges and their capital they passed into the hands of China, which is now rising with all that technological potential and will be able to set prices at will to sell everything they need to the West.  How are you?

 None of this could have happened by chance.  China who cared that a few old men died?  Fewer old-age pensions to pay, but the loot has been huge.  And right now the West is financially defeated, in crisis and stunned by the disease.  And without knowing what to do.

 Masterfully diabolic.  It had to be the communists. 

Adding to this, they are now the single largest owners of US treasury with 1.18 trillion holding surpassing Japan.

An instrument that has seen the most rally

One ☝ prospective & Analogy….

How come Russia & North Korea are totally free of Covid- 19? Because they are staunch ally of China. Not a single case reported from this 2 countries. On the other hand South Korea / United Kingdom / Italy / Spain and Asia are severely hit. How come Wuhan is suddenly free from the deadly virus? China will say that their drastic  initial  measures they took was very stern and Wuhan was locked down to contain the spread to other areas. Why Beijing was not hit?  Why only Wuhan? Kind of interesting to ponder upon.. right? Well ..Wuhan is open for business now. America and all the above mentioned countries are devastated financially. Soon American economy will collapse as planned by China.

  China knows it CANNOT defeat America militarily as USA is at present THE MOST POWERFUL  country in the world. So use the virus…to cripple the economy and paralyse the nation and its Defense capabilities. I’m sure Nancy Pelosi got a part in this. . to topple Trump. Lately President Trump was always telling of how GREAT American economy was  improving in all fronts. The only way to destroy his vision of making AMERICA GREAT AGAIN is to create an economic havoc. Nancy Pelosi was unable to bring down Trump thru impeachment. ….so work along with China to destroy Trump by releasing a virus. Wuhan’s epidemic was  a showcase. At the peak of  the virus epidemic. ..China’s President Xi Jinxing…just wore a simple RM1 facemask to visit those effected areas.  As President he should be covered from head to toe…..but it was not the case.  He was already injected to resist any harm from the virus….that means a cure was  already in place before the virus was released. Some may ask….Bill Gates already predicted the outbreak in 2015…so the Chinese agenda cannot be true. The answer is. ..YES…Bill Gates did predict. .but that prediction is based on a genuine virus outbreak.  Now China is also telling that the virus was predicted well in advance. ….so that its agenda would play along well to match that  prediction. China’s vision is to control the World economy by buying up stocks now from countries facing the brink of severe  ECONOMIC COLLAPSE.  Later China will announce that  their Medical Researchers  have found a cure to destroy the virus.

  Now China have other countries stocks in their arsenal and these countries will soon be slave to their new master….. CHINA

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दिल्ली के आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक का डॉक्टर और उसका परिवार कोरोना पोसिटिव, 800 लोग quantrine

तथाकथित स्वास्थ्य सेवाओं की मिसाल कहे जाने वाले दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक अब कोरोना वाइरस फैलने में अहम किरदार निभा रहे हैं। अब एक मोहल्ला क्लीनिक के कारण 800 लोगों को अलग थलग किए जाने की आवश्यकता है। जिस मोहल्ला क्लीनिक की बात की जा रही है वहाँ की एक महिला मरीज से डॉक्टर और उसके परिवार इस संक्रामण का शिकार बने, और अब त 800 लोग उनके संपर्क में आने से प्रभावित बताए जा रहे हैं। स्थिति बेहद चिंताजनक है, अच्न ही यदि 800 लोगों को संभालना पड़ जाये तो????

नई दिल्ली: 

 दिल्ली में 800 लोगों को क्वारनटीन किया गया है. दरअसल आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक के एक डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं जिसके बाद 800 लोगों को क्वारनटीन के लिए कहा गया है. एक ही जगह से फैलने वाले संक्रामण की यह अब तक की सबसे बड़ी घटना होगी।

डॉक्टर की पत्नी और बेटी भी कोरोना संक्रमित हो चुकी हैं. जानकारी के मुताबिक एक महिला मरीज से डॉक्टर को कोरोना संक्रमण हुआ है जो कि इलाज के लिए क्लीनिक आई थी. यह डॉक्टर मौजपुर के एक मोहल्ला क्लीनिक में बैठते हैं. 

बता दें  देश में अब तक कोरोना के 649 पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं. आज कश्मीर में एक 65 वर्षीय कोरोना पीड़ित की मौत हो गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय की और से जारी आंकड़ों के मुताबिक कश्मीरी शख्स को मिलाकर अब तक कोरोना से 13 लोगों की मौत हो गई है. राहत की बात ये है कि कोरोना से करीब 42 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं.

कोरोना वायरस: इतिहास याद रखेगा कि कट्टरपंथी मुसलमानों ने नहीं की देश की फ्रिक: पाञ्च्जन्य

जब 21वीं सदी का भारत का इतिहास लिखा जाएगा, तब उसमें यह लिखा जाएगा कि देश के कट्टरपंथी मुसलमानों ने आपदा की घड़ी में 100 करोड़ देशवासियों की चिंता नहीं की। उन्होंने देश के प्रति जिम्मेदारी नहीं निभाई और अपनी ज़िद एवं मूर्खता के कारण निर्दोष बहुसंख्यक आबादी को मौत के मुंह में धकेल दिया। कोरोना वायरस संक्रमण से कर्नाटक के कलीबुर्गी में जिस 76 वर्षीय मुस्लिम व्‍यक्ति की मौत हुई, वह 29 जनवरी से 29 फरवरी तक मजहबी यात्रा करके सऊदी अरब से लौटा था। यह देश में कोरोना वायरस संक्रमण से पहली मौत थी। भारत आने के बाद 6 मार्च को बुजुर्ग की तबीयत खराब हुई तो पहले घर में ही इलाज कराया। इसी तरह, विदेशों से आने वाले अन्‍य कट्टरपंथी मुसलमानों ने भी न जो स्‍वास्‍थ्‍य जांच कराई और न ही सतर्कता बरती। वे घूमते रहे और वायरस फैलाते रहे।

दरअसल, कट्टरपंथी मुसलमानों ने दो कारणों से ऐसा किया। पहला अशिक्षा-अज्ञानता तथा दूसरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति घृणा और पूर्वाग्रह। जिहादी सोच वाले मुसलमान यह कहते रहे कि इस्‍लाम में स्‍वास्‍थ्‍य जांच की इजाजत नहीं है। वे किसी बीमारी और मौत से नहीं डरते। अल्‍लाह की मर्जी के बिना उन्‍हें कुछ नहीं हो सकता। दूसरी ओर पूर्वाग्रह और मन में नफरत लिए नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी के विरुद्ध प्रदर्शन करते रहे। देश नाजुक स्थिति में है और जरा सी चूक से महामारी फैल सकती है। दुनियाभर में हाहाकार मचा हुआ है और हज़ारों लोग Covid-19 के संक्रमण से मर चुके हैं। कोरोना वायरस का संक्रमण न फैले इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से 22 मार्च, 2020 को जनता कर्फ्यू का पालन करते की अपील की। उन्‍होंने लोगों से घरों में ही बंद रहने का आह्वान किया, लेकिन जिहादी सोच वाले मुसलमानों पर कोई असर नहीं पड़ा और सामान्‍य दिनों की तरह ही जुमे की नमाज के लिए मस्जिदों में भीड़ जुटी। यही नहीं, ऑल इंडिया सूफी उलेमा काउंसिल ने 22 मार्च को मुसलमानों से मस्जिद में जमा होने की अपील की।

कट्टरपंथी मुसलमानों का ऐसा व्‍यवहार तब है, जब प्रधानमंत्री दुनियाभर में फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित निकाल कर भारत ला रहे हैं, जिनमें अधिकतर मुसलमान हैं। इनमें अधिकतर “मुस्लिम ब्रदरहुड” कहे जाने वाले देशों में फँसे हुए थे। यहाँ इस बात का उल्लेख करना अनिवार्य हो जाता है कि “मुस्लिम ब्रदरहुड” देशों के पास अकूत संपत्ति है। उनके पास तेल के भंडार है, लेकिन उन्होंने भारतीय मुसलमानों का यह कहते हुए इलाज करने से इनकार किया कि उनके पास कोरोना वायरस से निपटने के लिए इतने संसाधन नहीं हैं कि सैकड़ों भारतीय मुसलमानों का इलाज या स्वास्थ्य जांच कर सकें।

चीन के हुबेई प्रान्त की राजधानी वुहान से जब मानवता को लीलने वाला यह वायरस फैला, लगभग उसी समय भारत में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में मुसलमान सड़कों पर उतर रहे थे। मार्च 2020 आते-आते वायरस का प्रकोप बढ़ गया। देश में कोरोना वायरस से संक्रमितों की बढ़ती संख्‍या को देखते हुए मंदिर, चर्च, सार्वजनिक वाहन, बाज़ार, दफ्तर, मॉल, थियेटर आदि बन्द कर दिए गए। देशभर में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। सरकार जनता से बार-बार घरों में रहने के लिए अपील कर रही है। एहतियातन देश में धारा 144 भी लागू कर दी गई है ताकि लोग सड़कों पर न जुटें। लेकिन उस समय भी मुसलमान सड़क जाम कर धरने पर बैठे रहे। हज़ारों की संख्या में मस्जिदों में नमाज के लिए भीड़ जुट रही थी।

इस तरह संक्रमण फैलता रहा। डर के मारे बड़ी संख्‍या में लोग अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं। इससे इनके संक्रमित होने की आशंका है। यदि ऐसा हुआ तो बड़ी संख्‍या में जान हानि होगी। इसमें सबसे ज़्यादा गरीब लोग मारे जाएंगे। अस्पतालों की हालत दयनीय हो जाएगी। बहुतायत लोगों को इलाज तक उपलब्ध नहीं मिल पाएगा। कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार की सतर्कता और उसके द्वारा उठाए गए कदमों की दुनिया तारीफ कर रही है। शुरुआत में दुनियाभर के कोरोना वायरस संक्रमितों के मुकाबले की भारत में यह संख्या नाममात्र की थी। सरकार की अपील देशहित में थी, अगर मुसलमानों ने थोड़ी सी भी संवेदना दिखाई तो खतरा टल सकता है।

ऐसा नहीं है कि केवल कट्टरपंथी मुसलमान ही सरकार के साथ असहयोगात्‍मक रवैया अपना रहे हैं। इनके साथ कुछ सेकुलर, पतित वामपंथी, तथाकथित उदारवादी और बेवक़ूफ़ों-बुद्धिहीनों की बड़ी जमात भी है। आपदा की घड़ी में ये सब अलग डफली बजाकर और कुछ लोग संक्रमण दूसरों में फैलाकर दिन-रात लोगों की सेवा में जुटे चिकित्सकों, नर्सिंग कर्मचारियों, सफाईकर्मियों और पुलिसकर्मियों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। उनका मनोबल गिरा रहे हैं।

क्या यह एक नयी जिहाद की तैयारी है?

जिहाद किसी भी प्रकार की हो सकती है। आप उसे खड्ग से लड़ने वाली अथवा लव जिहाद का नाम दे सकते हैं। अब जिहाद का एक नया स्वरूप सामने आ रहा है, वह है बीमारी फैलाने वाला वुहान वाइरसमक्का से आए कुछ लोग जिनहोने अपने quarantine stamps मिटा दिये थे या वह भी इसी का हिस्सा नहीं हैं? ऐसे लोगों पर क्या राष्ट्र द्रोह का मामला नहीं चलना चाहिए? वुहान वायरस से लड़ने के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और अधिकांश राज्य सरकारों ने कमर कस ली है। पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जानबूझकर इस काम में भी बाधा डाल रहे हैं। अभी पुलिस की कार्रवाई में कुछ ऐसे विदेशी प्रचारक पकड़े गए हैं, जो इस्लामिक प्रचार के नाम पर अपने कर्मों से वुहान वायरस फैलाने पर तुले हुए हैं। सूत्रों की मानें तो बंगाल में जहां रोहङियाओं को सरकारी पराश्रय मिलता है वहाँ इन लोगों की तादाद चिंताजनक ढंग से अधिक हो सकती है।

अभी हाल ही में बिहार में एक मस्जिद से एक दर्जन से भी ज़्यादा मुसलमान पकड़े गए हैं, जिन पर वुहान वायरस से संक्रमित होने का खतरा बताया जा रहा था। इसके पश्चात तो ऐसे संदिग्धों को पकड़ने के लिए देशभर में छापेमारी की जाने लगी।

रांची में भी 11 मौलवियों को धरा गया

इसी तरह रांची में भी इस्लामिक प्रचारकों की वजह से लोगों को कोरोना के खौफ का सामना करना पड़ा। दरअसल, कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित देश चीन, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान के 11 नागरिकों के रांची के तमाड़ के रडग़ांव स्थित एक मस्जिद में ठहरे होने की सूचना पर इलाके में हड़कंप मच गया। इसकी सूचना पुलिस प्रशासन को दी गई। पुलिस-प्रशासन मेडिकल टीम के साथ वहां पहुंची और सभी मौलवियों की स्वास्थ्य जांच की। सभी को रेस्क्यू करते हुए क्वारंटाइन के लिए मुसाबनी स्थित कांस्टेबल ट्रेनिंग स्कूल भेज दिया गया।

परन्तु प्रशासन को ऐसा क्यों करना पड़ा? ऐसी क्या आवश्यकता आ पड़ी? चलिए हम आपको बताते हैं… ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इस्लामिक प्रचारक मजहब के नाम पर विशाल भीड़ इकट्ठा कर लोगों में वुहान वायरस से संक्रमण का खतरा बढ़ा रहे हैं, जिसका प्रतिकूल असर दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ इस्लाम बहुल देशों में भी देखने को मिला है।

इस कारण से तमिलनाडु में भी कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। शुक्रवार को राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि राज्य में अब तक कुल 6 मामले आ चुके हैं। जिनमें से तीन विदेशी नागरिकों को पकड़ा गया है। एक थाई नागरिक है जबकि दूसरा इटली का रहने वाला बताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, थाईलैंड के दोनों ही नागरिक तबलीगी जमात के इस्लामिक धर्मगुरु हैं।

जब इन तीनों विदेशी नागरिकों का मेडिकल टेस्ट हुआ तो कोरोना पॉजिटिव आया। अधिकारियों के अनुसार ये दोनों इस्लामिक धर्मगुरु 6 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर उतरे इसके बाद ये दोनों किसी होटल में ठहरे। फिर 10 मार्च को मिलेनियम एक्सप्रेस से इरोड के लिए यात्रा की थी। अब इससे समझा जा सकता है कि इन दोनों ही इस्लामिक धर्मगुरुओं ने कितने लोगों की जान खतरे में डाली होगी।

अब बता दें कि दोनों थाई प्रचारक जिस तब्लीगी जमात से आते हैं, ये संगठन दुनिया के 213 मुल्कों में फैली हुई है। जमात से दुनियाभर के 15 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। जमात कोई सरकारी मदद नहीं लेती है। जमात की कोई बेवसाइट, अखबार या चैनल नहीं है। भारत में जमात का हेड ऑफिस दिल्ली में हज़रत निजामुउद्दीन दरगाह के पास है। जमात की एक खास बात ये है कि ये अपना एक अमीर (अध्यक्ष) चुनते हैं और उसी की बात मानते हैं।

अब बात करते हैं कोरोना वायरस फैलाने में मुस्लिम प्रचारकों के सहभागिता की। इस महामारी को फैलाने में विशेषकर तब्लीगी जमात ने मिडल ईस्ट में कई सभाएं की। इनमें से एक कुआलालंपुर में पेटलिंग मस्जिद में चार दिवसीय मुस्लिम जनसभा का आयोजन किया गया, जिसमें 1500 विदेशियों सहित 16 हजार स्थानीय लोग शामिल हुए थे। इस खबर के लिखे जाने तक मलेशिया में 1500 से ज़्यादा वुहान वायरस के केस कंफर्म हो चुके हैं।

बताया जाता है कि लगभग दो तिहाई मामलों को इस जनसभा के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था, जो 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच आयोजित की गई थी। यही वजह था कि दक्षिण पूर्व एशिया में कोरोना का प्रकोप एकाएक बढ़ा।

परन्तु यह खतरा केवल तमिलनाडु या तेलंगाना तक ही सीमित नहीं है। इस खतरे की चपेट में दिल्ली जैसे राज्य भी हैं। धर्म के नाम पर जिस तरह इन लोगों ने शाहीन बाग में उपद्रव मचा रखा था, वह प्रदर्शन स्थल के उखाड़ कर फेंके जाने के बाद भी नहीं बदला है। ऐसे में धर्म के नाम पर जिस तरह से वुहान वायरस के कैरियर बनने में इस्लामिक प्रचारकों ने सहभागिता निभाई है, वह भारत सहित कई देशों के लिए काफी घातक सिद्ध हो सकता है।

रांची के तमाड़ इलाके में पुलिस ने 11 विदेशी मौलवियों को धर दबोचा

‘कितने अफ़ज़ल मारोगे, घर-घर से अफ़ज़ल निकलेगा’ ये नारा एक ज़माने में देशविरोधी जिहादियों को बहुत प्रिय हुआ करता था, लेकिन फिर जवाब आया ‘हर घर में घुसकर मारेंगे, जिस घर से अफ़ज़ल निकलेगा।’ इसके बाद से अफ़ज़ल प्रेमी गैंग के हौसले पस्त हैं। लेकिन लगता नहीं कि वो सुधरने वाले हैं। लगता है अब उनका नारा है “कितने विदेशी मौलवी पकड़ोगे, हर मस्जिद से विदेशी मौलवी निकलेगा”। कुछ दिन पहले पटना की एक मस्जिद से एक दर्जन विदेशी मौलवी पकड़े गए थे, उसके बाद से देशभर की मस्जिदों से विदेशी मौलवियों के पकड़े जाने का सिलसिला शुरू हो गया है। ताज़ा मामला झारखंड की राजधानी राँची की एक मस्जिद का है, जहां से 11 विदेशी मौलवी दबोचे गए। इसी तरह तमिलनाडु के अंबूर में भी 12 इंडोनेशियाई और 8 रोहिंग्या मौलवी पकड़े जाने की ख़बर है। ख़ुफ़िया सूत्रों के मुताबिक़ देश की कई मस्जिदों में ऐसे विदेशी मौलवी अवैध रूप से रह रहे हैं।

राँची की मस्जिद में हुई छापेमारी

रांची के तमाड़ इलाके में पुलिस ने 11 विदेशी मौलवियों (Foreign Clerics) को धर दबोचा। ये सभी चीन (China), किर्गिस्तान (Kyrgyzstan) और कजाकिस्तान (Kazakhstan) के रहने वाले हैं। ये सभी तमाड़ के रड़गांव के पास एक मस्जिद में रह रहे थे। गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने सभी को कब्जे में लेकर क्वारंटाइन के लिए कांस्टेबल ट्रेनिंग स्कूल, मुसाबनी भेज दिया। शक जताया जा रहा है कि ये भारत में कोरोना वायरस फैलाने की किसी अंतरराष्ट्रीय साजिश का भी हिस्सा हो सकते हैं। फिलहाल इनके कागजातों की जांच की जा रही है और पूछताछ चल रही है। इनको शरण देने वाली मस्जिद के भारतीय मौलवियों से भी पूछताछ हो रही है। राँची पुलिस के डीएसपी (बुंडू) अजय कुमार ने बताया कि जांच पड़ताल के बाद सभी को कब्जे में ले लिया गया है। यह पता चला है कि ये सभी चीन, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान के रहने वाले हैं। सभी के वीजा और पासपोर्ट को जब्त कर लिया गया है।

देशभर में फैले होने का है संदेह

दो दिन पहले ही तमिलनाडु के अंबूर में एक मस्जिद से कुल 20 विदेशी मौलवी गिरफ्तार किए गए। इनमें से 12 इंडोनेशिया के रहने वाले हैं, जबकि 8 रोहिंग्या मुसलमान हैं। इन सभी की मेडिकल जाँच कराई जा रही है ताकि पता चल सके कि उनमें से कोई कोरोना वायरस का वाहक तो नहीं है। पटना के ही सदिसोपुर में भी कुछ विदेशी मौलवियों के पकड़े जाने की ख़बर भी है। इन घटनाओं ने ख़ुफ़िया एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। यह पता चला है कि टूरिस्ट वीज़ा या धार्मिक पर्यटन के नाम पर ऐसे हज़ारों मौलवी भारत में आते हैं और इन्हें दूरदराज़ की मस्जिदों में शरण दी जाती है। ज़्यादातर को 10 से 20 के जत्थे में रखा जाता है ताकि प्रशासन को शक न हो। यह बात सामने आ रही है कि हैदराबाद, जयपुर, भोपाल और यूपी की कई मस्जिदों में भी अवैध विदेशी मौलवी ऐसे छिपकर रह रहे हैं। जिस बड़े पैमाने पर ये चल रहा है उससे इसके पीछे किसी बड़ी साज़िश का शक जताया जा रहा है। 

सामाजिक कार्यकर्ता और जाने-माने वकील प्रशांत पटेल ने इसके पीछे कोरोना जिहाद का शक जताया है। उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील की है कि वो कहीं भी ऐसे मौलवियों को देखें तो फ़ौरन पुलिस को सूचना दें।

नीचे के ट्वीट में आप तमिलनाडु के अंबूर में पकड़े गए विदेशी मौलवियों की तस्वीर देख सकते हैं। इन सभी का कहना है कि वो इस्लाम के प्रचार के लिए भारत आए थे।

पटना से हुई थी शुरुआत

इस हफ़्ते की शुरुआत में पटना कुर्जी इलाके में दीघा मस्जिद से 12 विदेशी मौलवी पकड़े जाने से इस सिलसिले की शुरुआत हुई थी। उन सभी को भी फ़िलहाल क्वारंटाइन में रखा गया है। सोमवार को इन्हें हिरासत में लेने के बाद जाँच के लिए पटना एम्स भेजा गया था। पूछताछ में पता चला है कि ये सभी ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के रहने वाले हैं। पिछले चार महीने से ये देश की अलग-अलग मस्जिदों में रखे जा रहे थे। ख़ास बात यह है कि सभी को इस्लाम के प्रचार के नाम पर बुलाया जाता है, ताकि क़ानून इन पर शिकंजा न कस पाए। क्योंकि अगर मक़सद इस्लाम का प्रचार करना है तो वो काम ये विदेशी मौलवी कैसे कर सकते हैं, क्योंकि इनमें से ज़्यादातर को हिंदी, उर्दू या अंग्रेज़ी नहीं आती। माँग की जा रही है कि इस पूरे मामले की जाँच एनआईए से कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके।