पुलिस लॉकडाउन बुलेटिन 02.04.2020

Dated 02.04.2020

#     जिला पंचकुला मे 559 पुलिस कर्मचारी दिन-रात मुस्तैद के साथ डियूटी कर रहे है

#     लॉकडाउन के चलते जिला पंचकुला मे 39 पुलिस नाके लगाये गए है जिनमें 21 अंतरराज्यीय तथा 18 अंतरजिला है

#.   नाकाबंदी के दौरान जिला पंचकुला मे दिनांक 02.04.2020 को 1022 वाहनों को चैक किया गया    

#    02 अप्रैल को कुल 8 फोन कॉल प्रशासन द्वारा कोरोना वायरस के सम्बंध मे बनाये गए कन्ट्रोल रूम मे प्राप्त हुई

#    जिला पुलिस द्वारा लगभग 3750 फूड पैकेट्स बांटे गए, जिनमें से 590 पैकेट्स डियूटी पर मौजूद पुलिस कर्मचारियों तथा लगभग 3160 पैकेट्स आमजन मे बांटे गए

#     दिनांक 02.04.2020 को पुलिस द्वारा 262 क्वारंटाइन किए गए लोगो को चैक किया गया

#    प्रशासन द्वारा बनाये गए शैल्टर होम मे 371 लोगो को पहुंचाया गया

#     लॉकडाउन के दौरान लगाये गए नाकों पर नाकाबंदी के दौरान 646 वाहनों का चालान किया गया तथा 75 वाहनों को इम्पाउंड किया गया

#     पुलिस द्वारा लॉकडाउन के दौरान पैट्रोलिंग करने के लिए 14 पैट्रोलिंग वाहनों का बंदोबस्त किया गया है

#     पुलिस उपायुक्त मोहित हाण्डा भा0पु0से0 द्वारा कोरोना राहत कोष मे स्वयं योगदान कर पुलिस कर्मचारियों को भी स्वेच्छा से योगदान करने के लिए जागरूक किया    

पंचकुला में विभिन्न स्थानों पर क्वांटेराइन केन्द्रों में दो – दो काउन्सलर नियुक्त

पंचकूला  2 अप्रैल:

जिला के विभिन्न स्थानों पर बनाए अस्थाई आश्रय स्थलों में 392 व्यक्तियों को क्वारंटीन किया हुआ है। इन लोगों के स्वास्थ्य की जांच के लिए जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक केन्द्र पर दो-दो कांउसलर नियुक्त किए हैं ताकि वे लोगों को हर रोज मानसिक रूप से सशक्त बनाने की सलाह देते रहें।

  उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि कोरोना संक्रमण को लेकर कई व्यक्तियों के मन में भय का माहौल बना हुआ है और वे संक्रमित न होते हुए भी भयभीत रहने लगते है। इसलिए विशेषकर क्ंवारटीन में रखे गए व्यक्तियों को मानसिक रूप से सशक्त बनाने के लिए अनुभवी एवं प्रशिक्षित कांउसलर नियुक्त करने का निर्णय लिया है और प्रत्येक अस्थाई आश्रय स्थल में नियुक्त कर दिया गया है। यह कांउसलर क्वंारटीन किए लोगों को सक्रिय होकर मानसिक और बौद्विक रूप से मजबूत बनाने का कार्य करेंगें और जानकारी देकर जागरूक करेंगें। उपायुक्त ने बताया कि जिला के राजकीय वरिष्ठ उच्च विद्यालय कालका में 96 व्यक्तियों को क्वारंटीन किया हुआ है। उनके लिए सुनील व नितिका को कांउसलर नियुक्त किया गया है। इसी प्रकार राजकीय उच्च विद्यालय मंढावाला में 30 व्यक्तियों के लिए सरीता, राजकीय वरिष्ठ उच्च विद्यालय रामगढ में 24 व्यक्तियों के लिए पूनम, राजकीय वरिष्ठ उच्च विद्यालय सैैक्टर 17 में 52 व्यक्तियों के लिए नीलम व  प्राजीत को सलाहकार नियुक्त किया गया है। 

उन्होंने बताया कि सामुदायिक सैंटर राजकीय प्राईमरी स्कूल सैक्टर 20 में 51 व्यक्त्यिों  पर सपना व राजबीर , राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यायल सकेतड़ी में 5 व्यक्तियों के लिए अनुस बंसल तथा नाडा साहेब में क्वांरटीन किए गए 74 व्यक्तियों के लिए रचना, दीपक, व मिनाक्षी को कांउसलर नियुक्त किया है।

   उपायुक्त ने बताया कि पंचकूला में 5 नशा परामर्श केन्द्रों को राज्य स्तर पर अनुमति प्रदान की गई है। इनमें सामान्य अस्पताल सैक्टर 6,  सत्य रानी रामपाल ट्रस्ट सैक्टर 12ए, लूना न्यूरोसाईकेट्रिक एवं परामर्श केन्द्र सैक्टर 12 ए , सर्वम न्यूरोसाईकेट्रिक केन्द्र कालका तथा डा. विनित यादव मांढावाला साईकेट्रिक केन्द्र को जिला में स्थित अस्थाई आश्रय स्थलों में सलाहाकार नियुक्त करने के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है। 

Sanction of Project by MeitY to Team from UIET, PU

Chandigarh April 2, 2020

Ministry of Electronics & Information Technology (MeitY), Government of India has sanctioned research project entitled ‘Multi-Modal Framework for Monitoring Active Fire Locations (AFL) and Precision in Allied Agricultural Activities using Communication Technologies’ with financial outlay of Rs. 81.25 Lacs for two years (2020-2022). The team is led by Professor Harish Kumar, UIET, Panjab University and includes Professor Sakshi Kaushal, Professor Sarbjit Singh, Dr. Akashdeep, Dr. Veenu Mangat, Dr. Mukesh Kumar, and Dr. Preeti.  In execution of the project team is looking forward to rope in Government of Punjab as well as Government of Haryana as the user agency as Stubble burning is one of the major problems being faced by citizens of northern India. It is a precursor to various respiratory disorders like Asthma, skin and eye related diseases, low breathing air quality. Despite Government of India’s initiatives in increasing awareness about this evil, there has been a tremendous increase in the number of such incidents every year. It is pre-dominant in the
Northern states namely Punjab, Haryana. Each year, approximately 10000+ biomass burning related fires per week are reported during the harvesting season. Although various governments are making sustainable
efforts to curb this menace but lack of single system that can integrate detection, alerting, report filing, monitoring and best practices, is still far from reality.

Project aims to utilize innovations in the field of communication technologies like IoT, machine learning and digital world, to propose a single system that is capable of performing various tasks involved in detection, surveillance and monitoring of Active Fire Locations. Data captured from satellite will be exploited to identify Active Fire locations. In order to improve the preciseness of identified locations, machine learning techniques will be employed for generating a mapping between locations extracted using satellite data and actual on-field locations captured by field visits (Ground Truths). The integration of data captured by various sensors and the learnt mapping will greatly aid in reaching out to actual real time location of AFL.  It will also act as Command and Control center to bridge the gap between farmers and various agencies involved in best practices for
crop residue management by providing a common interactive platform.

2361 लोगों को निजामुद्दीन मरकज से निकाला गया है और 617 लोगों को हॉस्पिटल भेजा गया है

कोरोना कि जंग में जिस तरह निजामूद्दीन कि भूमिका संदेहस्पद नहीं अपितु दुर्भाग्यपूर्ण है। राष्ट्र के स्वास्थ्य को लेकर हो रहे प्रयासों पर कुठाराघात है। इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण है दिल्ली सरकार का निज़ामुद्दीन मरकज़ पर अपनी सफाई देना और यह बताना कि सब कुछ ठीक है। जबकि सच्चाई कुछ और ही है। जिस प्रकार से निज़ामुद्दीन इलाके में लोगों की धरपकड़ हो रही है उससे तो किसी भयानक साजिश की बू आ रही है। इसकी राष्ट्रिय अजेंसियों से सघन जांच होनी चाहिए। पहले शाहीन बाग और अब निजामद्दीन के साथ आम आदमी पार्टी के नेताओं का खड़े होना किस ओर इशारा करता है, सामने आना ही चाहिए।

नई दिल्ली: 

निजामुद्दीन मरकज में देश के तमाम राज्यों से लोग आए थे. आज सुबह चार बजे तक चले तलाशी अभियान ​​के बाद यहां से 2361 लोगों को निकाला गया है. यहां कई विदेशी और भारतीय नागरिक मिले, जो छुपकर रह रहे थे. 

वहीं दिल्ली के वजीराबाद जामा मस्जिद में निजामुद्दीन मरकज के 15 लोग छुपकर रह रहे थे, जिसमें 12 इंडोनेशियाई है और 3 भारतीय हैं. 21 मार्च को ये 15 लोग मरकज से वजीराबाद आ गए थे. फिलहाल सभी को ​मस्जिद में ही क्वारंटीन कर दिया गया है.

दिल्ली के मानसरोवर पार्क में भी 9 लोग मिले हैं, जो मरकज से यहां छुपकर रह रहे थे. 9 में से 7 म्यांमार के हैं और 2 असम के हैं. पुलिस अभी मौके पर ही मौजूद है और लोगों की तलाश कर रही है. 

बता दें कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने निजामुद्दीन मरकज मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि सुबह 4 बजे तक कार्रवाई हुई है. 2361 लोगों को निजामुद्दीन मरकज से निकाला गया है और 617 लोगों को हॉस्पिटल भेजा गया है. जिन लोगों को खांसी या सर्दी की शिकायत थी उन्हें तत्काल अस्पताल भेजा गया है. बाकी लोगों को क्वारंटीन किया गया है. 

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं इस मरकज में शामिल सभी लोगों से कहना चाहूंगा कि आप सब सामने आएं. अगर छुपाकर रखेंगे तो आपके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सड़कों पर भीड़ जमा होना, राष्ट्रीय आपदा कानून के तहत अपराध माना जाएगा और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

निजामूद्दीन मरकज़ के लिए दिल्ली निज़ाम सोता रहा

दिल्ली में और खासतौर पर मस्जिदों में छुप छुप कर रहना अपने संक्रामण के बारे में सरकार से छुपाना और पड़े जाने पर यह कहाँ की जब फ़ारिशते नहीं बचा सकते तो डॉक्टर नर्सें क्या बचा लेंगे यह उस जमात के बोल हैं जो अनपढ़ जाहिल मुसलमानों को इल्म का रास्ता दिखा कर आगे बढ़ान चाहते हैं। दिल्ली में केजरीवाल की नाक के थी नीचे उनकी गोद में खेल रहे यह लोग न केवल कोरोना के खिलाफ भारत की जंग में एक बड़ा खुला दरवाजा हैं बल्कि मानवता के भी भयंकर अपराधी हैं। बस मोदी विरोध के चलते केजरीवाल हर वह कदम उठाते हैं जिससे चाहे पूरी मानवता का ही नुकसान हो जाए , दिल्ली- भारत की तो बात ही छोड़िए। केजरीवाल के संरक्षण में इन मौलवियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि इन्हे किसी भी ढाल कि ज़रूरत नहीं है फिर भी भारत के कुछ तथाकथित स्वयंभू पत्रकार इनके बचाव में कूद पड़े हैं।

दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात का 6 मंजिला इमारत भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का सबसे बड़ा सोर्स बन कर उभरा है। वहाँ से निकाले गए लोगों में से अब तक 117 में संकमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने तबलीगी जमात के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था। सामने आए तथ्यों से स्पष्ट है कि तबलीगी जमात द्वारा सारे नियम-कायदों और सरकारी दिशा-निर्देशों की धज्जियाँ उड़ा कर मस्जिद में मजहबी कार्यक्रम आयोजित किए गए। बजाए इस घटना की निंदा करने के गिरोह विशेष के कई बड़े पत्रकार इसका बचाव करने में लग गए हैं। इनमें एक नाम राणा अयूब का भी है।

राणा अयूब ने तबलीगी जमात को क्लीन-चिट देने की कोशिश करते हुए एक खबर की लिंक साझा की है। साथ ही दावा किया है कि जब 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान किया, तभी मरकज में सारे कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया। इसके बाद अयूब ने वहाँ इतनी संख्या में लोगों के छिपे होने के पीछे रेलवे का दोष गिना दिया है, क्योंकि देश भर में रेल सेवा बंद हो गई। उन्होंने लिखा है कि ‘अचानक से’ रेल सेवा बंद किए जाने के कारण कई यात्री मरकज में ही फँस गए। यहाँ सवाल ये उठता है कि अगर वो लोग सरकार के साथ सहयोग कर रहे थे (जैसा कि दावा किया गया है), तो फिर उन्हें लेने भेजी गई एम्बुलेंस को क्यों वापस लौटा दिया गया?

अब हम आपको बताते हैं कि मरकज में कैसे जनता कर्फ्यू और उसके बाद हुए लॉकडाउन के दौरान भी धड़ल्ले से कार्यक्रम चल रहे थे और मौलाना-मौलवी कोरोना वायरस की बात करते हुए न सिर्फ़ तमाम मेडिकल सलाहों की धज्जियाँ उड़ा रहे थे, बल्कि अंधविश्वास भी फैला रहे थे। 24 मार्च को यूट्यूब पर ‘असबाब का इस्तेमाल ईमान के ख़िलाफ़ नहीं- हजरत अली मौलाना साद’ नाम से ‘दिल्ली मरकज’ यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया गया। इसमें मौलाना ने लोगों को एक-दूसरे के साथ एक थाली में खाने और डॉक्टरों की बात मानने की बजाए अल्लाह से दुआ करने की सलाह दी। यूट्यब पेज पर स्पष्ट लिखा है कि ये कार्यक्रम 23 मार्च को हुआ।

इस वीडियो की डेट देखिए, ये कार्यक्रम मरकज़ की इमारत में मार्च 23, 2020 को हुआ था

इस वीडियो में बीच-बीच में लोगों की खाँसने की आवाज़ भी आ रही है। इसका मतलब है कि समस्या को जानबूझ कर नज़रअंदाज़ किया गया। स्थिति ये है कि तमिलनाडु और तेलंगाना से लेकर दिल्ली तक के कई मुसलमानों में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए हैं, जिन्होंने मरकज के कार्यक्रमों में शिरकत की थी। अगर आप ‘दिल्ली मरकज’ के यूट्यब पेज पर जाएँगे तो आपको पता चलेगा कि 17 मार्च से लेकर अब तक वहाँ 24 से भी अधिक वीडियो अपलोड किए गए हैं। सभी वीडियो में स्थान दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज इमारत को ही बताया गया है। इनमें से कई वहाँ हुए कार्यक्रमों के फुल वीडियो हैं तो कई शार्ट क्लिप्स।

https://www.youtube.com/channel/UCCWuKj1-cZrKLwdKcBiZLSA/videos

कोई भी व्यक्ति उन लोगों का खुलेआम बचाव कैसे कर सकता है, जो सार्वजनिक रूप से सरकारी दिशा-निर्देशों और मेडिकल सलाहों को धता बताते हों? ऐसा नहीं है कि उन्हें समझाया नहीं गया था। दिल्ली पुलिस ने 23 मार्च को ही उन्हें समझाया था कि मरकज में हमेशा डेढ़-दो हजार की गैदरिंग होती है, इसे रोकना चाहिए। मौलानाओं को बुला कर कैमरे और सीसीटीवी के सामने ही पुलिस ने समझाया था। पुलिस ने बता दिया था कि सारे धार्मिक स्थान बंद हैं और 5 लोगों से ज्यादा की गैदरिंग पर रोक है। पुलिस ने समझाया था कि ये आपलोगों की सुरक्षा के लिए हैं, हमारी सुरक्षा के लिए नहीं है। मौलानाओं को बताया गया था कि सोशल डिस्टेंसिंग का जितना पालन किया जाएगा, उतना अच्छा रहेगा क्योंकि ये कोरोना वायरस कोई धर्म या मजहब देख कर आक्रमण नहीं करता है। पुलिस ने मौलानाओं को नोटिस थमाते हुए कहा गया था कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए। उस समय भी मरकज के लोगों ने स्वीकार किया था कि उनकी इमारत में 1500 लोग मौजूद हैं और 1000 लोगों को वापस भेजा जा चुका है। इनमें लखनऊ और वाराणसी से लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों के लोग शामिल हैं। दिल्ली मरकज में हमेशा ऐसे कार्यक्रम चलते रहे हैं और हज़ारों लोग जुटते रहे हैं। पुलिस ने इन्हें सख्त शब्दों में चेतावनी दी थी, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा।

दिल्ली सरकार ने 13 मार्च को ही आदेश जारी कर 200 लोगों की किसी तरह की गैदरिंग पर रोक लगा दी थी। उस समस्य इस आदेश की समयावधि 31 मार्च तक रखी गई थी। बावजूद इसके मरकज में कार्यक्रम आयोजित किए गए। 16 मार्च को ख़ुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि दिल्ली में कहीं भी 50 लोगों से ज्यादा की भीड़ नहीं जुटेगी। फिर 21 मार्च को 5 से ज्यादा लोगों के जुटान पर रोक लगा दी गई। बावजूद इसके मरकज में हज़ारों लोग रोजाना होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे। वहाँ लोग रहते रहे। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया। इसके एक दिन बाद भी वहाँ 2500 लोग मौजूद थे, जिनमें से 1500 के चले जाने का दावा मौलाना ने किया है। अब सोचिए, इनमें से कई कोरोना कैरियर होंगे, जिन्होंने हजारों-लाखों लोगों तक संक्रमण फैलाया होगा।

25 मार्च को लॉकडाउन के दौरान भी 1000 मुसलमान वहाँ मौजूद थे। 28 मार्च को एसीपी ने दिल्ली मरकज को नोटिस भेजी लेकिन उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपील की थी कि जो जहाँ है वहीं रहे, इसीलिए वहाँ लोग रुके हुए हैं। साथ ही दावा किया गया कि इतने लोग काफ़ी पहले से यहाँ पर मौजूद हैं। उपर्युक्त सभी बातों से स्पष्ट पता चलता है कि दिल्ली मरकज ने हर एक सरकारी आदेश की धज्जियाँ उड़ाई और जान-बूझकर इस संक्रमण के ख़तरे को नज़रअंदाज़ कर पूरे देश को ख़तरे में डाल दिया। अकेले तमिलनाडु में 50 ऐसे लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण हो गया है, जो मरकज के कार्यक्रमों में शामिल हुए थे। देशभर में ये संख्या और बढ़ेगी, ऐसी आशंका जताई जा रही है। फिर भी कुछ मजहबी ठेकेदार पत्रकारों की वेशभूषा में इनका बचाव करने में लगे हुए हैं।

केजरीवाल की तुष्टीकरण नीति बनाम स्वास्थय संकट

मोदी के राष्ट्रव्यापी आव्हान ” जो जहां है वहीं रहे” के पश्चात, शाहीन बाग और मोदी शाह विरोध की राजनीति की बदौलत दिल्ली के मुख्य मंत्री बने केजरीवाल लाखों मजदूरों को पूर्वी दिल्ली के बार्डर पर बसों में लाद कर छोड़ देते हैं वहीं तबलिगी जमात में बिना स्वास्थ्य जांच के 3400 लोगों को रहने देते हैं। जिनमें से कई कोरोना वाइरस से न केवल संक्रमित मिलते हैं अपितु काइयों की तो मौत का कारण भी यही संक्रामण है। सूत्रों की मानें तो मुख्य मंत्री को तबलिगी जमात की गतिविधियों की पल पल की खबर थी, लेकिन इस जमात के प्रति केजरीवाल के मोह ने एक भयंकर स्थिति उत्पन्न करवा दी है। जहां राष्ट्र एकजुट हो कर इस महामारी से लगभग जीत ही चुका था वहीं अब इस कृत्य ने हमें और भी गहन संकट में दाल दिया है।

कोई धर्म कानून तोड़ने की बात नहीं करता. कोई धर्म देश को धोखा देने के लिए नहीं कहता. कोई धर्म झूठ बोलने के लिए नहीं कहता. लेकिन भारत को कोरोना वायरस के नए खतरे की तरफ धकेलने वाले तबलीगी जमात ने धर्म के नाम पर यही सब किया है. तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज से 1548 लोग निकाले गए हैं. इन सभी लोगों को डीटीसी की बसों से दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटर में ले जाया गया है.

तबलीगी जमात से जुड़े 24 लोग कोरोना पॉजिटिव हैं. दिल्ली में 714 लोग कोरोना के शुरुआती लक्षणों की वजह से अस्पतालों में भर्ती हैं, इनमें 441 लोग तबलीगी जमात के हैं. यानी तबलीगी जमात ने दिल्ली को कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बना दिया. इस जमात से जुड़े करीब 8 लोगों की, देश के अलग अलग हिस्सों में मौत हो चुकी है. अब तक देश भर में जमात से जुड़े 84 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इनमें दिल्ली के 24, तेलंगाना के 15 और तमिलनाडु के 45 लोग हैं.

तबलीगी जमात से जुड़े हज़ारों लोग देश के अलग अलग हिस्सों में गए हैं. इनकी पहचान करना, इनके संपर्क में आए लोगों की पहचान करना, इन्हें अलग करना . ये बहुत कठिन चुनौती है. तबलीगी जमात के विदेशी और घरेलू प्रचारक, इस जमात के कार्यकर्ता सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, लखनऊ, पटना, रांची जैसे शहरों में भी मिले. कई जगहों पर इन्होंने खुद को छुपाया और इन्हें पकड़ने के लिए पुलिस को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. निजामुद्दीन मरकज की सफाई ये है कि पहले जनता कर्फ्यू लगा फिर लॉकडाउन का ऐलान हो गया इसलिए ये लोग यहीं फंसे रह गए. यहां ये बताना ज़रूरी है कि पुलिस के मुताबिक आयोजकों को दो दो बार नोटिस दिया गया था. देश में लगातार सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही थी. प्रधानमंत्री खुद लगातार ये कह रहे थे कि लोगों को घरों में ही रहना चाहिए. सबको भीड़ से दूर रहना चाहिए. देश ही नहीं पूरी दुनिया में यही बात हो रही थी लेकिन धर्म का चश्मा लगाए इन लोगों को कुछ दिखाई और सुनाई नहीं पड़ा.

21 मार्च को तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज में 1746 लोग लोग मौजूद थे. इनमें 216 विदेशी और 1530 भारतीय थे. इसके अलावा तबलीगी जमात के 824 विदेशी प्रचारक देश के अलग अलग हिस्सों में प्रचार के लिए गए थे . इनमें उत्तर प्रदेश में 132, तमिलनाडु में 125, महाराष्ट्र में 115, हरियाणा में 115, तेलंगाना में 82, पश्चिम बंगाल में 70, कर्नाटक में 50, मध्य प्रदेश में 49, झारखंड में 38, आंध्र प्रदेश में 24, राजस्थान में 13 और ओडीशा में 11 विदेशी प्रचारक तबलीगी जमात की गतिविधियों में शामिल थे .

तबलीगी जमात के करीब 2100 भारतीय प्रचारक भी देश के अलग अलग हिस्से में प्रचार करने के लिए गए थे. अलग अलग राज्यों में इन 2100 लोगों की पहचान कर ली गई है. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती ये पता लगाना है कि इन लोगों ने पूरे देश में घूम-घूम कर कितने लोगों के लिए खतरा पैदा कर दिया है?

पाबंदियों के बावजूद कार्यक्रम में शामिल हुए लोग

पाबंदियों के बावजूद तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों ने सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली को ही संकट में नहीं डाला है, बल्कि यहां से सैंकड़ों की संख्या में लोग देश के दूसरे हिस्सों में भी पहुंचे और अब उन इलाको में भी इस महामारी के तेज़ी से फैलने का खतरा है. निजामुद्दीन से निकल कर हजारों लोग कैसे देश के अलग अलग हिस्सों में फैल गए ये आपको मैप के जरिए समझना चाहिए.

सबसे बड़ा आंकड़ा तमिलनाडु का है जहां मरकज से लौटने वालों की सख्या 501 है लेकिन ये भी कहा जा रहा है कि तमिलनाडु के 1500 से ज्यादा लोगों ने तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. तमिलनाडु में निजामुद्दीन से लौटे 45 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है .

कार्यक्रम से तेलंगाना पहुंचे 15 लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि

इस कार्यक्रम से तेलंगाना पहुंचे 15 लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि हो गई है . इसके अलावा निजामुद्दीन से असम पहुंचे लोगों की संख्या करीब 216 है, जबकि उत्तर प्रदेश में ये संख्या 156 है . इसके अलावा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और हैदाराबाद जैसे इलाकों में भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग पिछले दिनों पहुंचे हैं, जिन्होंने निजामुद्दीन के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. बाकी के जो राज्य इससे प्रभावित हुए हैं उन्हें आप मैप पर इस समय देख सकते हैं. लेकिन तबलीगी जमात की वजह से इस महामारी के फैलने का खतरा सिर्फ भारत में ही नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देश इससे प्रभावित हो चुके हैं.

माना जाता है कि इसकी शुरुआत पाकिस्तान से हुई थी जहां इसी महीने लाहौर में तबलीगी जमात का एक बड़ा कार्यक्रम हुआ था . इस कार्यक्रम में 80 देशों से आए धर्म प्रचारक शामिल हुए थे और इसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया था. सूत्रों के मुताबिक इसमें भारत से गए कुछ प्रचारक भी शामिल थे.

इस संस्था ने इस साल फरवरी में मलेशिया में भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसकी वजह से वहां भी कोरोना के नए मामले तेज़ी बढ़ने लगे थे . पाकिस्तान और मलेशिया के अलावा किर्गिस्तान, गाज़ा, ब्रुनेई और थाइलैंड में भी इस वायरस के तेज़ी से फैलने की बड़ी वजह जमात के कार्यक्रमों को ही माना जा रहा है. कुल मिलाकर निजामुद्दीन इस मामले में भारत का लाहौर साबित हो रहा है और ये इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में अच्छा संकेत नहीं है.

पूरा देश जहां लॉकडाउन की लक्ष्मण रेखा का पालन कर रहा है. अपने अपने घरों में रहकर देश को उस स्टेज में जाने से बचा रहे हैं, जिसमें सामुदायिक संक्रमण होने लगता है और महामारी को रोकना मुश्किल हो जाता है. ऐसे वक्त में इस तरह के लोग अगर धर्म के नाम पर और धर्म के प्रचार के नाम पर भारत को एक बड़े खतरे की तरफ धकेलने में लगे हैं तो ऐसे लोगों पर सवाल उठाने ही चाहिए लेकिन जब ऐसे लोगों पर सवाल उठाए जाते हैं तो एक खास गैंग सवाल उठाने वालों पर ही आरोप लगाने लगता है कि कोरोना के नाम पर ध्रुवीकरण किया जा रहा है. हिंदू-मुसलमान किया जा रहा है. हम ये मानते हैं कि देश के मुसलमान भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश के साथ खड़ा है. लेकिन ये मुट्ठी भर लोगों में धार्मिक कट्टरता की ऐसी पट्टी बंधी है जो पट्टी ये लोग उतारना नहीं चाहते, जबकि ये देश का संकटकाल है. पूरी दुनिया पर खतरा है.

कल जब निजामुद्दीन में हज़ारों लोग नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पकडे गए तब एक खास समुदाय और एक वर्ग मीडिया से नाराज़ हो गया. आपने भी गौर किया होगा आज दिन पर सोशल मीडिया पर Media Virus हैशटैग भी ट्रेंड कर रहा था और ये लोग कह रहे हैं कि मीडिया ने एक वायरस को भी धर्म से जोड़ दिया और ये ठीक नहीं है . यही लोग जब टीवी पर दोबारा से दिखाई जा रही. रामायण का विरोध करते हैं तब क्या ये लोग धर्म निरपेक्षता की मिसाल पेश कर रहे होते हैं ? नहीं, बिल्कुल नहीं. बल्कि सच तो ये है कि ये लोग खुद हर चीज़ को धर्म के चश्मे से देखते हैं और धर्म की आड़ में कानून, नियमों और संविधान की धज्जियां उड़ाना चाहते हैं. क्योंकि इनके मन लॉकडाउन में है जिस पर वैचारिक ताला लटका है.

तबलीगी जमात के लोगों में भारतीय और विदेशी दोनों होते हैं, जो देश भर में पूरे साल प्रचार करते हैं. अलग अलग देशों से तबलीगी जमात के लोग भारत आते हैं और निजामुद्दीन के अपने हेडक्वॉर्टर में रिपोर्ट करते हैं. राज्यों में इनकी धर्म प्रचार की गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित करने के लिए राज्य स्तर और ज़िला स्तर पर लोग होते हैं. निजामुद्दीन मरकज को लेकर एक बड़ा सवाल दिल्ली पुलिस पर भी है क्योंकि तबलीगी जमात का हेडक्वार्टर, निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन से सिर्फ 18 मीटर दूर है. इसकी दीवार पुलिस स्टेशन से लगी हुई है. इसलिए सवाल उठ रहा है कि क्या ये दिल्ली पुलिस की लापरवाही है? या फिर इस कार्यक्रम को रोकने की पुलिस की हिम्मत ही नहीं हुई ? पुलिस के मुताबिक उन्होंने कई बार आयोजकों से कहा लेकिन वो माने नहीं.

मजदूरी के कार्य में लगे हुए व्यक्तियों के लिये पंचकूला में 12 अस्थाई आश्रय स्थल बनाये गये है

पंचकूला, 30 मार्च:

उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने आदेश जारी कर कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लाॅकडाउन के दौरान मजदूरी के कार्य में लगे हुए व्यक्तियों व एक राज्य से दूसरे राज्य में आ जा रहे लोगों के लिये पंचकूला में 12 अस्थाई आश्रय स्थल बनाये गये है। 

उपायुक्त ने बताया कि इन आश्रय स्थलों में नोडल अधिकारी नियुक्त कर उन्हें आवश्यक सुविधायें उपलब्ध करवाने के निर्देश दिये गये है। उन्होंने बताया कि हिमाचल, चंडीगढ़ व पंजब से लगती जिला की सीमाओं को पूर्ण रूप से सील कर दिया गया है। इस दौरान सीमा क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति घूमते हुए पाया जाता है तो उसे लाॅकडाउन तक सकेतड़ी, रामगढ़, कालका, मंढावाला, रायपुररानी व बरवाला के राजकीय वरिष्ठ उच्च विद्यालयों में स्थापित आश्रय स्थलों में रखा जायेगा। 

उपायुक्त ने बताया कि इन आश्रय स्थलों में 998 व्यक्तियों केरहने का प्रबंध किया गया है और वर्तमान में 225 व्यक्तियों को रखा कर उन्हें आवश्यक सुविधायें मुहैया करवाई जा रही है। 

उन्होंने बताया कि इन छह अस्थाई आश्रय स्थलों के लिये श्री माता मनसा देवी श्राईंन बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी एम एस यादव (9855775666) तथा खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी रायपुररानी विकास कुमार (9817342017) को नोडल अधिकारी लगाया गया है। माता मनसा देवी बोर्ड में लंगर से खाने पीने तथा रहने का प्रबंध किया गया है। इसी प्रकार काली माता मंदिर कालका में भी सामाजिक दूरी बनाये रखते हुए लंगर एवं रहने का प्रबंध किया गया है।

  उपायुक्त ने बताया कि जिला राजस्व अधिकारी रामफल कटारिया को लाॅकडाउन के दौरान सूखा राशन वितरण करने एवं एकत्रित करने के लिये जिला स्तर पर नोडल अधिकारी बनाया गया है। कोई भी नागरिक सूखा राशन, फूड पैकेट व अन्य खादय सामग्री जिला प्रशासन को देना चाहता है तो उनसे संपर्क स्थापित कर सकते है।

इसके अलावा उन्हें अस्थाई आश्रय स्थल एवं राहत शिविरों में भी भोजन आदि खादय सामग्री मुहैया करवाने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। उन्होंने बताया कि वे प्रतिदिन दोपहर व सायं के समय इसकी विस्तृत रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपेंगे।

इस संकट की घड़ी में जनप्रतिनिधि भी बनें सहारा

रवि भारती गुप्ता
संपादकीय सलाहकार

क्या आप जानते हैं?
देश मे 545 साँसद, 245 राज्यसभा सांसद व 4120 विधायक है। कुल मिलाकर 4910 जनप्रतिनिधि।

अगर यह सारे जनप्रतिनिधि मिलकर अपने व्यक्तिगत खातों मे से 2-2 लाख ₹ भारत सरकार को दे। जो इतनी बड़ी रकम भी नही है इन जनप्रतिनिधियों के लिए। तो भारत देश को कोरोना महामारी से लड़ने के लिए 98,20,00,000 लाख ( 98 करोड़ 20 लाख ) रुपये इकट्ठे हो सकते हैं।

क्यों हर बार देश का मध्यम वर्गीय परिवार के लोगों से ही देश की मदद की अपील की जाती है? क्या इन राजनेताओं की कोई जिम्मेदारी और जवाबदेही नही है भारत देश के जनता के प्रति?

आखिर क्यों यह माननीय साँसद और विधायक अपनी अपनी साँसद और विधायक निधि के पैसों को ही खर्च कर ही देश के सच्चे जनप्रतिनिधि होने का प्रमाण प्रस्तुत कर अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़ लेते है? जबकि वो पैसा जनता द्वारा ही सरकार को टैक्स के रूप मे देश को चलाने और विकास के लिए दिया जाता है।

क्या अपने जनप्रतिनिधियों से हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी यह अपील नही कर सकते देशहित के लिए?

इसलिए हमारी अपने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से प्रार्थना है कि वो भारत देश के इन माननीय जनप्रतिनिधियों से यह अपील करें की वो अपने व्यक्तिगत खातों से 2-2 लाख रुपये देश की सेवा के लिए दान करे।

जिससे देश की जनता को इस विपत्ति के समय में आर्थिक व स्वास्थ्य कार्यों के लिये पैसों का इंतजाम हो सके।

NDTV कोरोना वायरस को लेकर ‘फियर-मोंगरिंग’ में लगा हुआ है, कहीं यह अजेंडा तो नहीं???

राष्ट्र विरोधी अजेंडा चलाने में कई पत्रकारों को महारत हासिल है। इसी महारत के चलते वह अल्प समय में करोड़ों के मालिक बने बैठे हैं। किसी का 60 करोड़ का बंगला है तो कोई अपना ही चैनल चला रहा है। यह वही पत्रकार हैं जो शाहीन बाग का समर्थन करते हैं, एनआरसी` जिसका अभी कहीं लेखा जोखा ही नहीं है उसे अपने चैनल की सुर्खियां बनाते हैं सेना से सबूत मांगे की खबरों को बार बार दिखते हैं और मांग को जायज ठहराते हैं। एनडीटीवी की कई रिपोर्ट कुछ ऐसा ही आभास देतीं हैं।

आजकल लोगों को डराने का चलन चल निकला है। कई चैनलों पर फर्जी एपिडोमिलोजिस्ट बैठ कर ज्ञान दे रहे हैं। कोई कह रहा है कि भारत में इतने हजार लोग मर जाएँगे तो कई इसे लाख में बता रहे हैं। ‘फियर-मोंगरिंग’ कर के लोगों को डराया जा रहा है, बजाए उन्हें सावधान करने के। इसी क्रम में एनडीटीवी ने भी अपने हाथ धोए। NDTV ने लोगों को डराने के लिए एक विदेशी यूनिवर्सिटी का ‘अध्ययन’ क्रिएट किया और फिर उसे ख़बर की शक्ल दे दी। बाद में चोरी पकड़ी गई तो उसे ये ख़बर हटानी पड़ी।

दरअसल, एनडीटीवी ने एक ख़बर चलाई, जिसमें कहा गया कि अगले तीन महीने में भारत में कोविड-19 के 25 करोड़ मामले आ सकते हैं। चैनल द्वारा दिए गए आँकड़ों की मानें तो देश की 20% जनता कोरोना वायरस से पीड़ित होगी। बकौल प्रोपेगेंडा मीडिया संस्थान एनडीटीवी, ये आँकड़े जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अध्ययन में सामने आए हैं। ऐसे ‘अध्ययन’ का हवाला दिया गया, जिसे करने वाले को ही इसके बारे में कुछ पता नहीं था। एनडीटीवी ने यूनिवर्सिटी के हवाले से लिखा कि अप्रैल-मई तक ऐसी तबाही आएगी। उसने बताया कि इस अध्ययन में एक स्वास्थ्य रिसर्च संस्था CDDEP भी शामिल है।

इस ख़बर के सामने आने के बाद जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने इसे नकार दिया। अमेरिका के मेरीलैंड में स्थित यूनिवर्सिटी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए बताया कि उसने ऐसा कोई रिसर्च प्रकाशित नहीं किया है। यूनिवर्सिटी ने लिखा कि इस कथित ‘रिसर्च’ में उसके लोगो और नाम का भी ग़लत इस्तेमाल किया गया है। लोगों ने ट्विटर पर जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी से इस बारे में पूछा था, जिसके बाद उसने ये स्पष्टीकरण दिया। लोगों ने यूनिवर्सिटी को टैग कर के पूछा था कि ये ‘रिसर्च’ भारत में खूब वायरल हो रहा है, क्या ये यूनिवर्सिटी के छात्रों का है? लेकिन यूनिवर्सिटी ने इसे स्पष्ट तौर पर नकार दिया।

बाद में पोल खुलने पर एनडीटीवी ने इस ख़बर को डिलीट कर दिया और ट्विटर पर बताया कि उसने जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के स्पष्टीकरण के बाद इस ख़बर को अपनी वेबसाइट से हटा दिया है। साथ ही प्रोपेगंडा पोर्टल ने इसके लिए अप्रत्यक्ष रूप से न्यूज़ एजेंसी IANS को दोष दिया और कहा कि ये ख़बर उसकी ही थी और ग़लत साबित होने के बाद इसे हटा दिया गया है। हालाँकि, ये पहले बार नहीं है जब एनडीटीवी इस तरह की हरकत करते धराया हो।

चीनी वॉर का तीसरा चरण “अब कोरोना नहीं वामपंथी स्लीपर सेल सक्रिय हो चुका है”

अब कोरोना नहीं वामपंथी स्लीपर सेल सक्रिय हो चुका है।
इन्होंने ही अफवाह फैलाई कि लोकडाउन 3 से 6 माह चल सकता है। मजदूरों का पलायन और उस पर टीवी चैनल्स के समाचार, गरीबों की चिंता, भूख का व्यापार…
केजरीवाल ने दिल्ली दंगों की ही तरह लम्बी ओढ़ ली है। पर्दे के पीछे टुकड़े गैंग सक्रिय हैं।
बसों में भरकर मजदूर यूपी बॉर्डर पर छोड़े जा रहे हैं।
मित्र पुष्पेंद्र सिंह लिखते हैं।
,,,6 हफ्ते गुजर गए,,,
800 के आस-पास कोरोना संक्रमित,,, लगभग 20 की मौत उसमें भी 80% की मुख्य वजह कोरोना नहीं,,,ऊपर से 135 करोड़ की आबादी का देश,,,
ये तो चीन निर्मित “बायलोजिकल हथियार” की घोर बेइज्जती थी देवभूमि भारत में,,
जहाँ एक तरफ कुछ दिनों तक चीनी वायरस चीनी वायरस चिल्लाने वाला सुपर पावर अमेरिका सरेंडर कर शैतान जिंगपिंग की तारीफ़ पर उतर आया तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना के कहर के कराह रहा पूरा यूरोप भारी खरीददारी कर रहा था चीन से,,,
परंतु ये क्या,,,
दुनिया की सबसे बड़ी मार्केट घांस नहीं डाल रही थी,,, शैतान चीन के माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखने लगीं,,, उसे लगा कि उसका मिशन सिंहासन (((कोरोना))) तो फेल ही हो जायेगा यदि भारत उसकी शरण में नहीं आया तो,,,
वहीं दूसरे ही स्टेज में एक दिन का जनता कर्फ्यू फिर 21 दिनों का लाकडाऊन कर पूरा देश अपने नायक के पीछे चल रहा था,,,
अतंत: चालाक चीन ने अपना आखिरी पासा फेंका,,, और भारत की सबसे कमजोर नस को दबा दिया,,,
जी हां,,,
उसने खोला अपने खजाने का मुंह और खरीद लिया देश के कुछ बड़े देशद्रोही पत्तलकारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुछ चैनलों को,,,
जगा दिया वामपंथ के स्लीपर सेल्स को,,,पहले 21 दिनों तक गरीब दिहाड़ी मजदूर कैसे रहेंगे,,,का रोना रोया जाना शुरू किया गया फिर एक-दो परिवारों की पैदल यात्रा का 24 घंटे एैसे कवरेज किया जाने लगा कि जैसे पूरा देश ही पैदल चल पड़ा,,,
फिर धर्म के नाम पर एक संप्रदाय विशेष को मोर्चे पर लगा दिया गया,,, अब ये चाल सफल होती दिख रही है,,, कुछ झूठे नक्सली नेता आम मजदूरों को भड़का कर की 6 महीने का कर्फ्यू लगने वाला है ,,,बसों से दूसरे प्रदेश की सीमाओं तक लाखों मजदूरों को छोड़ने लगे,,,और सफल कर दिया शैतान की चालों को,,,
देश को बैठा दिया जाग्रित ज्वालामुखी के मुहाने पर,,,
वहीं पैदल मार्च करने वालों के लिए कुछ लोगों की छाती में दूध उतर आया जो सोशल मीडिया पर सिर्फ विरोध के नाम पर विरोध करते रहते हैं,,,
जब देश युद्ध या किसी बड़े संकट में फंसता है तो हर नागरिक युद्ध का हिस्सा होता है,,, हर नागरिक को परेशानी उठानी पड़ती है,,, हर नागरिक को त्याग करना पड़ता है,,, युद्ध सिर्फ सेनायें ही नहीं लड़ती हैं,,,
परंतु गद्दारों और बिकाऊ लोगों की प्रचुर उत्पादकता से गमगीन ये देश एैसी परिस्थिति का हर समय से ही सामना करता आया है,,,
सुनों हम फिर भी जीत जायेंगे,,,हमने विश्व विजेता सिकंदर को उल्टे पांव वापस किया है,,,हम शैतान चीन की हर चाल का जबाब देंगे वो भी भरपूर,,,
परंतु देश के अंदर ही कुछ लोग और संस्थायें एक बार फिर सड़कों पर नंगी हो रही हैं जिन्हें देखना और सुनना बहुत कष्टदायक है,,,!!!

हे_राम