राज्य में सीधी बीजाई के तहत 25 प्रतिशत क्षेत्रफल आऐगा – पन्नू
- धान की सीधी बीजाई की तकनीक को पंजाब के किसानों द्वारा भरपूर समर्थन
- राज्य सरकार द्वारा 40 से 50 प्रतिशत सब्सिडी पर सीधी बीजाई वाली 4000 मशीनें और धान की फ़सल लगाने वाली 800 मशीनें किसानों को देने की मंजूरी
धान की सीधी बुआई दो विधिओं यथा नम विधि एवं सूखी विधि से की जाती है। नम विधि में बुवाई से पहले एक गहरी सिंचाई की जाती है। जुताई योग्य होने पर खेत तैयार कर सीड ड्रिल से बुवाई की जाती है। बुवाई के बाद हल्का पाटा लगाकर बीज को ढँक दिया जाता है, जिससे नमीं सरंक्षित रहती है।
राकेश शाह, चंडीगढ़:
कोरोनावायरस की महामारी के दरमियान मज़दूरों की कमी की समस्या से निपटने के लिए पंजाब के किसानों ने इस साल धान की रिवायती बीजाई की बजाय सीधी बीजाई को भरपूर प्रोत्साहन दिया है जिससे राज्य में धान का 25 प्रतिशत क्षेत्रफल इस नवीनतम प्रौद्यौगिकी के तहत आने की संभावना है। यह कदम जहाँ मज़दूरों के खर्चे रूप में कटौती लायेगा, वहीं पानी की बचत के लिए भी बहुत सहायक होगा।
बोते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान देना चाहिए (डेमोक्रेटिकफ्रंट विशेषज्ञ)
- धान की बुवाई करने से पहले जीरो टिल मशीन का संशोधन कर लेना चाहिए, जिससे बीज (20-25 किग्रा. प्रति हे.) एवं उर्वरक निर्धारित मात्रा (120 किग्रा. डी.ए.पी.) एवं गहराई (3-4 सेमी.) में ही पड़े। ज्यादा गहरा होने पर अंकुरण तथा कल्लों की संख्या कम होगी इससे धान की पैदावार में कमी आ जाएगी।
- बुवाई के समय, ड्रिल की नली पर विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इसके रूकने पर बुवाई ठीक प्रकार नहीं हो पाती, जिससे कम पौधे उगेंगे और उपज कम हो जायेगी। यूरिया और म्यूरेट आफ पोटाश उर्वरकों का प्रयोग मशीन के खाद बक्से में नहीं रखना चाहिए। इन उर्वरकों का प्रयोग टाप ड्रेसिेंग के रूप में धान पौधों के स्थापित होने के बाद सिंचाई उपरान्त करना चाहिए।
- बुवाई करते समय पाटा लगाने की आवश्यकता नहीं होती अतः मशीन के पीछे पाटा नहीं बांधना चाहिए। सीधी बुवाई जीरो टिलेज धान की खरपतवार एक समस्या के रूप में आते है क्योंकि लेव न होने से इनका अंकुरण सामान्य की अपेक्षा ज्यादा होता है। बुवाई के पश्चात 48 घंटे के अन्दर पेन्डीमीथिलिन (स्टाम्प) की एक लीटर प्रति⁄हे. सक्रिय तत्व की दर से 600 से 800 लीटर पानी में छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव करते समय मिट्टी में पर्याप्त नमी रहनी चाहिये तथा यह समान रूप से सारे खेत में करना चाहिये। ये दवाएं खरपतवारों के जमने के पूर्व ही उन्हें मार देती है। बाद में यदि चौड़ी पत्ती के घास आये तो उन्हें 2, 4–डी 80% सोडियम साल्ट 625 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए। खड़ी फसल में बाद में उगने वाले खरपतवार निराई करके निकाल देना चाहिए वैसे निचले धनखर खेतों में जल भराव के कारण खरपतवार कम आते है।
धान की सीधी बीजाई (डी.एस.आर.) की प्रौद्यौगिकी को उत्साहित करने और किसानों को यह प्रौद्यौगिकी बड़े स्तर पर अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए राज्य के कृषि और किसान कल्याण विभाग ने किसानों को 40 से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी पर सीधी बीजाई वाली 4000 मशीनों और धान की फ़सल लगाने वाली 800 मशीनें देने की मंजूरी दे दी है।
कृषि सचिव काहन सिंह पन्नू ने बताया कि पंजाब ने मौजूदा साल के दौरान सीधी बीजाई की तकनीक के तहत लगभग पाँच लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल लाने का लक्ष्य निश्चित किया था परन्तु मज़दूरों की कमी आने और किसानों की तरफ से प्रगतिशील प्रौद्यौगिकी अपनाने के लिए दिखाई गई गहरी रूचि के कारण 6-7 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल इस तकनीक के तहत आने की संभावना है जो पंजाब में धान की कुल बीजाई का 25 प्रतिशत क्षेत्रफल बनता है।
उन्होंने आगे बताया कि सीधी बीजाई की तकनीक पानी की 30 प्रतिशत बचत करने के अलावा धान की लगवाई में प्रति एकड़ 6000 रुपए की कटौती लाने में मददगार साबित होती है। उन्होंने बताया कि पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी की रिपोर्टों और अनुसंधान के मुताबिक सीधी बीजाई वाले धान का झाड़ भी रिवायती तरीके से लगाऐ गए धान के बराबर ही होता है।
लाभ (डेमोक्रेटिकफ्रंट विशेषज्ञ)
- धान की नर्सरी उगाने में होने वाला खर्च बच जाता है। इस विधि में जीरो टिल मशीन द्वारा 20-25 किग्रा. बीज प्रति⁄हे. बुवाई के लिए पर्याप्त होता है।
- खेत को जल भराव कर लेव के लिए भारी वर्षा या सिंचाई जल की जरूरत नहीं पड़ती है। नम खेत में बुवाई हो जाती है।
- धान की लेव और रोपनी का खर्च बच जाता है।
- समय से धान की खेती शुरू हो जाती है और समय से खेत खाली होने से रबी फसल की बुवाई सामयिक हो जाती है जिससे उपज अिधक मिलती है।
- लेव करने से खराब हुई भूमि की भौतिक दशा के कारण रबी फसल की उपज घटने की परिस्थिति नहीं आती है। रबी फसल की उपज अधिक मिलती है।
पन्नू ने आगे बताया कि कृषि क्षेत्र में धान की बीजाई ही एक ऐसा कार्य है जिसके लिए मज़दूरों की बहुत ज़रूरत पड़ती है और इस साल मज़दूरों की कमी होने के कारण कृषि विभाग ने किसानों को पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी की तरफ से हाल ही में की गई सिफारिशों के मुताबिक धान की सीधी बीजाई करने की सलाह दी है। विभाग के मुलाजिमों द्वारा भी बेहतर तरीके से क्षेत्र में जाकर किसानों को नयी प्रौद्यौगिकी संबंधी सीध दी जा रही है। उन्होंने किसानों से अपील की कि इस नयी प्रौद्यौगिकी में सबसे नाजुक पक्ष खरपतावार को कंट्रोल करना है जिस कारण किसानों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा सीधी बीजाई करने से पहले खरपातवारनशक की खरीद ज़रूर की जाये और धान की बीजाई के 24 घंटों के अंदर-अंदर इस का छिडक़ाव किया जाये।
सावधानियां (डेमोक्रेटिकफ्रंट विशेषज्ञ)
धान की जीरो टिलेज से बुवाई करते समय निम्नलिखित सावधानियां अपनानी चाहिएः
- बुवाई के पहले ग्लाइफोसेट की उचित मात्रा को खेत में एक समान छिड़कना चाहिए।
- ग्लाइफोसेट के छिड़काव के दो दिनों के अंदर बरसात होने पर, या नहर का पानी आ जाने पर दवा का प्रभाव कम हो जाता है।
- खेत समतल तथा जल निकासयुक्त होना चाहिए अन्यथा धान की बुवाई के तीन दिनों के अंदर जल जमाव होने पर अंकुरण बुरी तरह प्रभावित होता है।