इससे पहले अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने विधान परिषद में घोषणा की थी कि सरकार ने शैक्षिक संस्थानों में मुस्लिमों को पांच प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया है. वाहन फाड़नवीस ने शिव सेना से कुछ तीखे सवाल पूछे।
मुंबई.
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मुस्लिमों को पांच प्रतिशत कोटा प्रदान करने के राकांपा नेता एवं मंत्री नवाब मलिक के बयान के कुछ ही देर बाद वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है. शहरी विकास मंत्री और वरिष्ठ शिवसेना नेता शिंदे ने कहा कि सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के नेता चर्चा करने के बाद इस मुद्दे पर कोई फैसला लेंगे.
इससे पहले अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मलिक ने विधान परिषद में घोषणा की थी कि सरकार ने शैक्षिक संस्थानों में मुसलमानों को पांच प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया है. शिंदे ने विधानसभा परिसर के बाहर संवाददाताओं से कहा कि उन्हें घोषणा की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘एमवीए के नेता एक साथ किसी भी समुदाय को आरक्षण देने वाले नीतिगत फैसलों पर विचार करेंगे. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे उचित समय पर उचित निर्णय लेंगे. अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.’
मिली जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र में विधानसभा का बजट सत्र खत्म होने से पहले मुस्लिमों को शिक्षा में पांच फीसदी आरक्षण देने की बात कही जा रही है. बताया जा रहा है कि पिछली सरकार में अदालत का फैसला होने के बाद भी बीजेपी अध्यादेश नहीं लाई थी.
इसी बीच देवेंद्र फाड़नवीस पूर्व मुख्यमंत्री महाराष्ट्र ने अपने एक बयान में इसे संविधान के साथ साथ तोड़ने वाला निर्णय कहा।
बता दें महाराष्ट्र में 2014 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले जून महीने में प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार ने मुस्लिमों के लिए पांच फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की थी और इस संबंध में अध्यादेश भी जारी किया था.इससे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी एक कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों की प्रशंसा की थी. उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यकों, विशेष तौर पर मुस्लिमों ने राज्य चुनाव में भाजपा के लिए वोट नहीं किया. उन्होंने कहा कि समुदाय के सदस्य जब कोई निर्णय करते हैं तो यह किसी पार्टी की हार सुनिश्चित करने के लिए होता है. लेकिन अब कुछ करने की हमारी बारी है. उन्होंने कहा कि राकांपा ने इस पर जोर दिया था कि राज्य सरकार में अल्पसंख्यक मामलों का विभाग कल्याणकारी कार्य करने के लिए उनकी पार्टी को दिया जाना चाहिए.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/74391918.jpg9001200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-28 17:38:072020-02-28 17:38:29महाराष्ट्र में मुसलमानों को 5% आरक्षण पर भाजपा गरम तो उद्धव नर्म
मुख्यमंत्री ने की सिर्फ़ भाषणबाज़ी और हवा-हवाई बातें- भूपेंद्र सिंह हुड्डा
औद्योगिक विकास और रोज़गार सृजन को लेकर बजट ख़ामोश- हुड्डा
सारिका तिवारी, 28 फरवरी चंडीगढ़ः
हरियाणा के वित्त बजट 2020-21 पर पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ये प्रदेश को कर्ज़ में डुबोने और विकास को धक्का पहुंचाने वाला बजट है। बीजेपी ने तमाम रिकॉर्ड तोड़ते हुए, प्रदेश को 1 लाख 98 हजार 700 करोड़ के कर्ज़ तले दबा दिया है। इसका मतलब ये हुआ कि हरियाणा में हर बच्चा करीब 80 हज़ार रुपये का कर्ज़ सिर पर लेकर पैदा होता है। 2013-14 में जो कर्ज़ 61 हज़ार करोड़ रुपये था, वो आज 3 गुणा से भी ज़्यादा बढ़ गया है।
हरियाणा बनने से लेकर 2014 तक तमाम सरकारों ने जितना कर्ज़ लिया था, उससे भी 3 गुणा ज़्यादा कर्ज़ अकेले बीजेपी की सरकार ने लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार में महज़ 61 हज़ार करोड़ कर्ज़ लेने पर बीजेपी ने सवाल उठाए थे। इतना ही नहीं 2014 में बीजेपी सरकार श्वेत पत्र ले आई थी। लेकिन अब कर्ज़ तीन गुणा से ज़्यादा बढ़ गया है। ऐसे में इस सरकार को श्वेत पत्र जारी कर बताना चाहिए कि ये राशि कहां इस्तेमाल हुई। इतना कर्ज़ बढ़ना समझ से परे है, क्योंकि बीजेपी सरकार के दौरान प्रदेश में कोई बड़ी परियोजना, कोई बड़ा संस्थान, कोई नई मेट्रो लाइन, रेलवे लाइन, कोई नया पावर प्लांट या बड़ा उद्योग नहीं आया।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बजट में सिर्फ़ हवा-हवाई वादे किए हैं। क्योंकि बजट की 30 फीसदी राशि तो कर्ज़ का ब्याज और मूल देने में चली जाती है। बाकी राशि पेंशन, सैलेरी, अन्य सेवाओं के भुगतान, संचालन और संरक्षण में चली जाती है। ऐसे में रोड, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल और यूनिवर्सिटी बनाने के लिए राशि कहां से आएगी?
इस बजट की घोषणा के साथ प्रदेश में गठबंधन सरकार का भ्रम और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का जुमला भी ख़त्म हो गया। साफ़ हो गया है कि गठबंधन सहयोगी ने सत्ता के लालच में बीजेपी का समर्थन नहीं, बल्कि बीजेपी के सामने समर्पण कर दिया है। क्योंकि बजट में उनकी किसी भी चुनावी घोषणा को जगह नहीं मिली है। इसलिए इस सरकार का कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं आने वाला। और अगर अब कोई प्रोग्राम आता भी है तो उसका कोई मतलब नहीं रह जाता।
इस बजट में पुरानी पेंशन स्कीम, 5100 रुपये बुढ़ापा पेंशन, पंजाब के समान कर्मचारियों का वेतन करने, किसानों की कर्ज़माफ़ी और किसानों की फसलों पर बोनस देने जैसी तमाम मांगों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया है। इससे प्री बजट चर्चा के सुझावों को मानने के दावे की भी पोल खुल गई है।
आज हरियाणा पूरे देश में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी झेल रहा है। इससे पार पाने के लिए बजट में कोई विशेष ऐलान नहीं किया गया। उद्योगों को आकर्षित करने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है। लगातार घाटे में चल रहे ऑटोमोबाइल और रियल इस्टेट जैसे क्षेत्रों को बूस्ट करने के लिए सरकार ने कोई प्रावधान नहीं किया। पानीपत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री से लेकर यमुनानगर के पोपुलर उद्योग को फिर से रफ्तार देने की मांगों पर बजट चुप्पी साधे हुए है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बजट में नशे से पार पाने के लिए किसी नई योजना के ऐलान की उम्मीद थी। क्योंकि NCRB के आंकड़ों से साफ हो गया है कि बीजेपी राज में हरियाणा ने नशे के मामले में पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया है। साल 2018 आंकड़ों से पता चला है कि हरियाणा में एनडीपीएस के 2,587 मामले सामने आए, जो उत्तर भारत में सबसे ज्यादा हैं। साल 2018 में हरियाणा में नशे की ओवर डोज़ से 86 मौतें हुई हैं जबकि पंजाब में इससे कम 78 मौत हुई हैं। इसी तरह नकली शराब पीने से 162 लोगों की मौत हुई। पीजीआई रोहतक और सिरसा की रिपोर्ट्स बताती हैं कि प्रदेश के युवा ही नहीं बच्चे भी नशे की ज़द में समाते जा रहे हैं। इतने ख़तरनाक हालातों के बावजूद बजट में नशे पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया। नशे और अपराध को कम करने की पूरे बजट में कोई दिशा दिखाई नहीं देती।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार अटल भूजल योजना चलाने का तो हवाला देती है, लेकिन वॉटर कंज़रवेशन के लिए बनी प्रदेश की सबसे कारगर दादूपुर-नलवी परियोजना को बंद कर देती है। बजट में किसानों और विपक्ष की मांग पर इस परियोजना की बहाली की उम्मीद थी। लेकिन सरकार ने इस मांग को भी अनदेखा कर दिया।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/08/bhupinder-hooda-1.jpg422759Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-28 17:23:382020-02-28 17:23:52प्रदेश को कर्ज़ में डुबोने और विकास को धक्का पहुंचाने वाला है बजट- भूपेंद्र सिंह हुड्डा
राष्ट्रीय अप्रेंटिशिप प्रमोशन स्कीम को प्रभावी क्रियान्वयन करने के लिए अतिरिक्त उपायुक्त मनिता मलिक की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सभी विभागों के अध्यक्षों को अप्रेंटिशिप करने वाले युवाओं को दिए जाने वाले मानदेय का क्लेम करने के निर्देश दिए। अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि प्रत्येक विभाग में 10 प्रतिशत अप्रेंटिशिप नियुक्त करना अनिवार्य है जिसमें दिए जाने वाले मानदेय में 1500 रुपए की राशि विभागोें को दी जाती है। इसलिए सभी विभागाध्यक्ष इस राशि के लिए क्लेम फार्म भरकर भेज दे ताकि उन्हें यह राशि शीघ्र प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि राशि क्लेम करने के लिए हाजिरी, आधार कार्ड, बैंक पास बुक इन्द्राज की प्रति अवश्य लगाए। उन्होंने कहा कि सभी नोडल अधिकारी ऐसे पात्र व्यक्तियों को वार्षिक परीक्षा में बैठना सुनिश्चिित करें। बैठक में अप्रेंटिशिप स्कीम के इंचार्ज यशपाल ढांडा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200227-WA0072.jpg7201280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-27 14:50:492020-02-27 14:51:24राष्ट्रीय अप्रेंटिशिप प्रमोशन स्कीम जल्द लागू होगी
सपा सांसद आजम खां को सोमवार को डबल झटका लगा। एक ओर जहां उनके खिलाफ कुर्की वारंट जारी किया गया, वहीं दूसरी ओर सपा सांसद आजम खां, बेटे अब्दुल्ला आजम और पत्नी डॉ. तंजीन फात्मा से जुड़े तीन अलग-अलग मामले में कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
रामपुर:
फर्जी दस्तावेजों का यह मामला सिविल लाइंस कोतवाली में भारतीय जनता पार्टी के नेता आकाश सक्सेना ने सपा सांसद आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां और पत्नी डा.तंजीन फात्मा के खिलाफ दर्ज कराया था। आरोप है कि अब्दुल्ला ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दो जन्म प्रमाण पत्र अलग-अलग तारीखों में बनवाए हैं। पुलिस ने इस मामले की तफ्तीश करते हुए चार्जशीट दाखिल करने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन कोर्ट ने चार्जशीट यह कहते हुए वापस कर दी कि इस मामले मे ंमुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लाया जाए। इस आदेश के खिलाफ मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा था।
हाईकोर्ट से भी सपा सांसद को राहत नहीं मिली। इस मामले में आजम खां, अब्दुल्ला आजम और तंजीन फात्मा के खिलाफ धारा 82 के तहत कार्रवाई हो चुकी है। इस मुकदमें में तीनों की अग्रिम जमानत याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। सहायक शासकीय अधिवक्ता रामऔतार सैनी के मुताबिक इस मामले में कोर्ट ने आजम खां, डा.तजीन फात्मा और अब्दुल्ला आजम खां की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। उनके मुताबिक कोर्ट ने इसकेअलावा दो पैन व पासपोर्ट मामले में सपा सांसद आजम खां और अब्दुल्ला आजम की भी अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने इन दोनों मामलों में आजम खां और अब्दुल्ला आजम खां की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
कोर्ट में पशे नहीं हो रहा थे आजम और उनका परिवार
आजम खां केस की तारीख पर सुनवाई के लिए लागातार गैरहाजिर रहे, जिसके बाद कोर्ट ने उनके खिलाफ कुर्की की कार्रवाई का आदेश दिया. इस मामले में रामपुर में आजम खान के विरुद्ध मुनादी हो चुकी है. इसी मामले में बीते सोमवार को कोर्ट ने आजम, तंजीन और अब्दुल्ला की अंतरिम जमानत खारिज कर दी थी.
भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने दर्ज कराई थी शिकायत
आपको बता दें कि भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने गंज थाना में धारा 420, 467, 468 और 471 के अंतर्गत आजम खां, तजीन फातमा और अब्दुल्ला के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप है कि आजम के पुत्र अब्दुल्ला ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र बनवाए हैं. एक प्रमाण पत्र रामपुर नगर पालिका से और दूसरा लखनऊ के अस्पताल से जारी किया गया. दोनों में जन्म की तारीख अलग-अलग है.
कोर्ट पहले भी तीनों के खिलाफ जारी कर चुका है वारंट
जांच में यह आरोप सच पाया गया था जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला आजम की विधायकी रद्द करने का आदेश दिया था. इस मामले में पुलिस ने सांसद आजम खां समेत उनकी पत्नी विधायक तजीन फातमा और बेटे विधायक अब्दुल्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. कोर्ट में पेश न होने पर तीनों के खिलाफ पहले भी वारंट, गैर जमानती वारंट और कुर्की के नोटिस जारी हो चुके हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/images-2.jpg168300Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-25 11:06:402020-02-25 11:06:56आज़म खान, तंजीम और अब्दल्ला आज़म की जमानत याचिका खारिज, संपत्ति कुर्की के आदेश
अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप अपनी भारत यात्रा के दौरान दिल्ली के एक सरकारी स्कूल के कार्यक्रम में शामिल होने वाली हैं. लेकिन दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक इस कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया हिस्सा नहीं ले पाएंगे. कहा जा रहा है कि इनका नाम लिस्ट से हटा दिया गया है.
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 और 25 फरवरी को दो दिनों की भारत यात्रा पर आने वाले हैं. इस दौरान राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप और बेटी इवांका भी आएंगी. मेलानिया ट्रंप 25 फरवरी को दिल्ली के सरकारी स्कूल के कार्यक्रम में हिस्सा ले सकती हैं. वह केजरीवाल सरकार के स्कूल में हैप्पीनेस क्लास देखेंगी. ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री भी शिरकत करेंगे, लेकिन अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का नाम हटा दिया गया है.
सूत्रों का कहना है कि अमेरिकी दूतावास ने अनुरोध किया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में उपस्थित न हों. जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात चल रही होगी, तब मेलानिया सरकारी स्कूल के दौरे पर होंगी और वह यहां एक घंटे तक का समय बिताएंगी.
दिल्ली सरकार के सूत्रों का दावा है कि स्कूल दिल्ली सरकार के अधीन आता है, इसलिए दोनों को कार्यक्रम में भाग लेना था, लेकिन अब उनका नाम हटा दिया गया है, तो वो हिस्सा नहीं लेंगे.
दूसरी तरफ दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केजरीवाल और सिसोदिया के न जाने को लेकर कहा है कि फिलहाल सरकार के पास इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, न ही इसकी कोई सूचना है.
वहीं इस पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, कुछ मुद्दों पर निम्न स्तर की राजनीति नहीं होनी चाहिए. अगर हम एक-दूसरे के पैर खींचना शुरू करते हैं, तो भारत विवादों में आता है. भारत सरकार अमेरिका को नहीं बोलती है कि किसे आमंत्रित करें और किसे नहीं.’
केजरीवाल सरकार की हैप्पीनेस क्लास की बात करें, तो ये साल 2018 में शुरू हुई थी. यह क्लास नर्सरी से 8वीं तक के छात्रों के लिए होती है, जिसका लक्ष्य बच्चों के मानसिक तनाव और अवसाद को दूर करना है. इसमें सिर्फ छात्रों के हैप्पीनेस इंडेक्स का मूल्यांकन किया जाता है.
बता दें कि भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इवेंट में भारत के किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री शामिल नहीं किए जाएंगे.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/106193-dwlfzloqem-1582355921.jpg6301200Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-23 04:00:262020-02-23 04:00:58अरविंद और मनीष मेलानिया ट्रम्प से नहीं मिल पाएंगे अपने ही राज्य के स्कूल में
MELOW, the Society for the Study of the Multi-Ethnic Literatures of the World hosted its 19th International Conference at Panjab University, Chandigarh from February 21 to 23, 2020. The theme of the conference was “CONNECTIONS/DISCONNECTIONS: LITERARY TRADITIONS, CONTINUITIES & DISRUPTIONS”. The conference aimed to discuss topics related to the timeless and the temporal in the world of literature, continuities and disruptions in the literary tradition, and the making and breaking of literary canons.
Day 2 of the conference had simultaneous sessions held at multiple venues. Session III A was held at the Main Hall chaired by Nilakshi Roy. The Speakers included Satnam Singh and Jashanpreet who presented a paper titled Gay or Queer Canon: Disrupting the Heterosexist Predominance of Mainstream Canon Formation, Ishita Sareen and Nitika Gulati collaborated on Graphic Narratives and Narrative of Graphics: Invading the Literary Canon and Sujata Thakur and Meenakshi Thakur’s From Feminism to Womanism- Extending beyond Gender. The concluding paper was presented by Shruti Gaur titled Politics of the Best Seller and the Temporality of Tradition.
Session III B was held at Language Lab, 1st Floor chaired by Senath Walter Perera. The Speakers included Nipun Kalia who presented a paper titled The Gendered Myth: Queering of Mythology in Devdutt Pattanaik’s Shikhandi and Other Tales They Don’t Tell you, Rashmi Sharma’s The Digital Mythologies of Mahabharata: A Study of Epic’s Memetic Adaptations. The concluding paper was presented by Shikha Pawar titled The Shift in Narration: Centralization of Draupadi’s Perspective in Chitra Banerjee’s The Palace of Illusion
Session III C was held at the Smart Classroom, 2nd Floor chaired by Rimika Singhvi. The Speakers included Komil Tyagi who presented Narrative, Norms and Nation: Re-presentation of India’s oldest text as Sita-Ramayana, Manjinder Wratch’s Making Heard the ‘Tree-speech’ and ‘Animal-speech’: A Reading of Sumana Roy’s Writings, and Tanvi Garg’s Beyond Boundaries: A Study of Githa Hariharan’s Selected Texts. The concluding paper was presented by Shubh Lata titled Reworking on Mughal History: A Critical Analysis of Indu Sundaresan’s The Twentieth Wife.
Session III D was held at Ground Floor, Room No. 1 chaired by Manpreet Kang. Speakers included Mary Mohanty who presented Six Acres and a Third: A Timeless Novel of Thematic and Stylistic Innovations, and Sayar Singh Chopra’s The Tribal Worldview: Community in Gopinath Mohanty’s The Paraja and Narayan’s Kocharethi.
Session III E was held at Ground Floor, Room no. 2 chaired by Meenu Gupta. Speakers included Bipasha Som who presented Locating Indian Literature, Neha Arora’s Contextualizing Dalit Literature: Defying the Existing, Anticipating New, Amandeep DES’s The Dark Rock of Indian History: Neglected Ex-Untouchables, and Jaishree Kapur’s Response to the Reception of Samskara: A Critical Journey. This was followed by a Tea Break.
Session IV A held at the Main Hall chaired by Eric Chinje. The Speakers consisted of Japanese Panel I i.e. Koharu Ogawa and 8 panelists who collaborated to present a paper titled Adaptations, Revisions, and Reworking of Landmark Texts: Japanese Adaptations of Lewis Carroll’s Alice in Wonderland.
Session IV B held at Language Lab, 1st Floor was chaired by Roshanlal Sharma. The papers presented included Ravneet Gill Singh’s Rumi 2.0: Revamped and Rewired, Amandeep Kour’s Lal Ded and her Vaakhs: Revisiting the Mystic’s Perspective, Kuldeep Singh and JapPreet Bhangu’s Narrating Disruption: Selected Short Stories of Saadat Hasan Manto, and Kanika Bhalla’s Literature of a War-zone: Tracing the Evolution of Literary Traditions in Kashmiri Literature.
Session IV C was held at Smart Classroom, 2nd Floor chaired by Krishnan Unni. Speakers included Neela Sarkar who presented Tintin in Academia, Kusumika’s Syncretic Continuities between Bengali Hindus and Muslims: Historicizing Narratives Associated with the Worship of Bon Bibi and Asan Bibi, and Iqbal Baba’s Writing/Adapting Ghazal in English: A Select Study of Agha Shahid Ali’s Call Me Ismael Tonight.
Session IV D was held at Ground Floor, Room No. 1 chaired by Mukesh Williams. The papers presented included Debarati Bandyopahdyay’s Horizon of Expectations, Horizon of Change: Exploring the Canonical Place of Sally Morgan’s My Place, Anita Sharma’s Doris Lessing’s The Golden Notebook: Transcending Golden Genders, Rachit Verma’s Reading Margaret Atwood’s Hag-Seed (2016) as a Trans-textual Narrative, and Aleena Achamma Paul’s Censorship, Sexuality, and Kate Chopin’s The Awakening.
Session IV E was held at the Ground Floor, Room no. 2 chaired by Harpreet Vohra. The papers presented included Sango Bidani’s A History of the Cinematic Adaptations of Devdas in Hindi Language, Aparna Pathak’s A Canon is Drawn: An Enquiry into Canon Formation in Comic Books, and Anirban Guha Thakurta’s May some useful Lesson Teach: A Study of the Continuities and Reversals of Traditions in The Anti-Slavery Alphabet (1846). This was followed by Lunch Break and a PLENARY SESSION.
This was followed by the ISAAC SEQUEIRA MEMORIAL LECTURE chaired by Tej Nath Dhar. The esteemed Speaker Senath Walter Perera discussed Sri Lankan Writing in English: The Search for an Elusive Canon.
The ISM AWARD Session was held which was chaired by Manju Jaidka. The papers competing for the prestigious award included Ashita Thakur’s Canon as Curriculum, Pia Bakshi’s Reimaginings: Hyphenated identities and Canons and Semanti Nandi’s George Egerton: Reclaiming the Subdued Voice of the Fin de Siècle.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/DSC1176.jpg6811024Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-22 13:09:042020-02-22 13:09:07“CONNECTIONS/DISCONNECTIONS: LITERARY TRADITIONS, CONTINUITIES & DISRUPTIONS”. @ PU
गवर्नमेंट पीजी कॉलेज सेक्टर -1 के लिटरेरी सोसायटी ने आज मातृभाषा दिवस मनाया। इस अवसर पर पैनल डिस्कशन और वाद विवाद संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उप प्राचार्या, डॉ रीटा गुप्ता ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि मातृभाषा हमें जड़ों और संस्कृति से जोड़ती है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा ही वह जरिया है जिससे हम अपनी भावनाएं बेहतरी से व्यक्त कर सकते है।
अंग्रेजी विभाग से डॉ विनीता, हिंदी विभाग से डॉ कमलेश कुमारी, पत्रकारिता विभाग से अद्वितीय खुराना और पंजाबी विभाग से सतबीर कौर, संस्कृत विभाग से डॉ जितेन्द्र ने भी मातृभाषा के महत्व के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किए। विभिन्न संकायओं से संबंधित 80 छात्रों ने कार्यक्रम में भाग लिया।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/6.jpg8531280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-20 16:21:252020-02-20 16:38:20सेक्टर -1 कॉलेज ने मनाया मातृभाषा दिवस
गवर्मेंट पीजी कॉलेज, सेक्टर -1 में आज एक भारत- श्रेष्ठ भारत क्लब द्वारा नियमित सभा का आयोजन किया गया जिसमें विद्यार्थियों को इबीएसबी क्लब के महत्व और क्लस्टर पार्टनर तेलंगाना की जानकारी दी गई। प्राचार्या, डॉ अर्चना मिश्रा ने सभा में सभी विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के विद्यार्थियों को क्लब द्वारा संचालित की जाने वाली गतिविधियों से अवगत करवाया। इस सभा में ईबीएसबी क्लब के सदस्यों अमित, अमृत, सपरा, डॉ पूनम, डॉ मंजू सांगवान, डॉ प्रियंका, परवेश और गुरप्रीत कौर ने भाग लिया । सभा के दौरान पांच विभिन्न समूह कल्पना, नारी शक्ति, यूनिक, अमानक और ईबीएसबी नाम से निर्मित किए गए ताकि क्लब की विभिन्न गतिविधियां सुचारू रूप से चलाई जा सकें।फोटो- 5
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/5-1.jpg6821024Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-20 15:43:002020-02-20 15:43:23सेक्टर 1 कॉलेज में एक भारत- श्रेष्ठ भारत की सभा का आयोजन किया गया
Department of Political Science, Panjab University organized Professor JC Anand memorial lecture. The lecture was delivered by Professor Harihar Bhattacharya of Burdwan University. Speaking on the theme “New Norm of Governance in the States in India “.
For long
the States in Indian federation were neglected in the study of Indian politics.
After the relative loss of ground by Congress in the fourth general elections
in India in 1967 at the hands of state based and regional parties, the States
became the subject of some academic attention. But with the national emergency
during 1975-77 and return of late Indira Gandhi to power in 1980 and putting in
place an authoritarian regime, the importance of the States paled into
insignificance once again. There were struggles though for more powers
and autonomy in various States run by non-Congress parties. The emergence of
middle peasant castes led to the rise of these state level parties and many of
them succeeded to share power at the federal level as the Congress declined in
terms of its social coalitional support.
The
situation took a radical turn since 1991 when India embraced neo-liberal
reforms. There was some initial reluctance on the part of the Centre to involve
the States in the reforms but by the mid-1990s it was clear that the States
were strategically very important in carrying out reforms. The Constitution of
India assigned the tasks to the States. There are four ways in which the importance
of the States has been recognized post-1991. First, the States are the real
agents of neo-liberal reforms. Second, the States have come to play important
instrumental role in decision making at the Centre in the age of coalition
governments. Third, the States are allowed more freedom of action in matters of
‘development’ and governance—-measured by the quantum of private investment,
foreign and nation, and by infrastructural development plus the delivery of
goods and services (welfare and empowerment) to the socially and economically
needy. Fourth, the States have innovated public policies which have been
borrowed by the Centre for other States to follow. In the above respect, there
is a remarkable continuity across regimes from the UPA (1 & 2) and the NDA
since 2014.
Two
critical issues that remain of concern are:
First,
not all States have been able to reap the benefits of reforms due to different
environmental factors. Earler there was talk of uneven regional disparities but
now rich state- poor state syndrome has become the stark reality threatening
the federal fabric of India. This disparity in development has been related to
the different levels of effectiveness of governance at state level. Now the
challenge of governance has shifted from stability and curbing violence to
bring about investment.
Second,
development has not mitigated social discontent due to growing inequality in
income across the social scale.
Prof.
Shankarji Jha, Dean of University Instruction presided over the lecture.
Ms Urvashi
Gulati, former Chief Secretary and former Chief State Information Commissioner
in her address shared that her father, Prof. Anand besides being an excellent
teacher and researcher, had a multifaceted personality.
He had an
uncanny ability to excel even in the fields which were once alien to him. He
had the capacity to convert challenges into opportunities. He had remarkable
insight and invested his time in developing Human Resource and is fondly
remembered by his students who too have contributed to the welfare of society.
Ms. Meenakshi
Chaudhary, former Chief Secretary, Haryana and Ms. Keshni Anand
Arora, Chief Secretary, Government of Haryana were present on the
occasion. The lecture was attended by PU Fellows, Prof. Pam Rajput,
Professor Ronki Ram, Professor Ranbir Chaudhary, Professor Bhupinder
S. Brar, Prof. Ramanjit Johal, Prof. Balram Gupta, faulty, researchers and
students.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/Press-note-2-photo-1-scaled.jpg15202560Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-20 15:16:572020-02-20 15:17:00‘New Norm of Governance in the States in India’
The 19th International Melow
Conference will be held at the Department of English and Cultural Studies,
Panjab University, Chandigarh from the 21st – 23rd
February, 2020 by MELOW, The Society for the Study of the
Multi-Ethnic Literatures of the World. Founded in 1998, under the name
MELUS-India, MELOW endeavours to set
up a global network of scholars working on World Literatures. The 19th International Conference of The Society
for the Study of the Multi-Ethnic Literatures of the World touches on
subjects like Connections in World Literature, Traditions and Counter
Traditions.
A wonderful
opportunity has been provided to the scholars of Panjab University and other
literary aspirants by MELOW under
the presidency of Prof. Manju Jaidka
in collaboration with the Dept. of
English and Cultural Studies chaired by Prof. Deepti Gupta, with Dr. Meenu Gupta as the convenor.
The conference
will begin with an Inaugural Session on the 21st of February at 9.30 AM. Prof. Mukesh Williams from Soka University, Tokya, Japan, will give
the keynote address. A special invited Isaac Memorial Lecture will be delivered
by Prof Senath Walter Perera from Srilanka. The conference will be
spread across three days. There will be a total of 34 sessions across three
days, some plenary and the rest parallel. There will over 150 registered
delegates of which approximately 30 hail from overseas: from Japan, Poland, US,
Nepal, Bangladesh, etc.
The three-day conference will be brought to a
close with a valedictory session on
the 23rd February.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/panjab_university.jpg246500Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-20 15:12:512020-02-20 15:12:56“19th International Melow Conference”
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