Connecting Women Social Entrepreneurs – Indo Aus Workshop

Chandigarh July 5, 2021

            A two-week workshop on “Connecting Women Social Entrepreneurs” was inaugurated today, on an online mode. The workshop is a joint project between University Business School(UBS), Panjab University and Western Sydney University, Australia. The project is covered under Australia-India Council Grants Program. The program is coordinated by Prof. Meena Sharma and Prof. Purva Kansal, UBS, PU and  Prof. Maria Estela Varua, Dr. Rina Datt, Dr. F.Evangelista and Dr. Heath Spong are coordinators for the Porject from Western Sydney University.

            The workshop was inaugurated by Professor D. Sweeney, DVC, WSU, Sydney.  Prof. Amir Mahmood, Dean, School of Business, in his address to the participants and audience stated that the event would build deeper and better relations between the two countries of Australia and India. Panjab University was represented in the inaugural event by Prof. Sanjay Kaushik, DCDC Panjab University. Prof. Sanjay Kaushik spoke on the various challenges faced by Women Entrepreneurs and stressed on the need to provide empowerment to the Women Social entrepreneurs Through such workshops and projects.  Dr. Heath Spong introduced the theme and Prof, Maria E. Varua introduced on the workshop and said that the aim of the project is to bring together Indian and Australian women social entrepreneurs to share and gain new knowledge, explore networking opportunities and to help develop better understanding of each other’s country. Participants from India were introduced by Prof Meena Sharma and Prof. Purva Kansal and from Australia were introduced by Dr. Felicitas Evangelista.

            The workshop has 30 social entrepreneurs from India and Australia giving them a unique learning experience. Incorporating a meaningful cultural exchange, the workshop will be an attempt to create a meaningful and ongoing economic relationship between Australia and India.

            In the workshop the participants would be representing their social enterprise at the Connecting Women Social Entrepreneurs workshop which would be held from 5th July – 16th July, 2021.  

स्वतंत्र भारत के इतिहास का काला अध्याय ‘आपातकाल’

46 साल पहले भारत ने आपातकाल का अनुभव किया भारतीय इतिहास का काला अध्याय राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से निपटने के बजाय भारत पर इमरजेंसी ठोक देना और लोकतांत्रिक शक्तियों का दमन करना ज्यादा आसान लगा। ऐसा भी नहीं था कि 25 जून की रात अचानक से आपातकाल की घोषणा कर दी गई थी। इसके पीछे एक बड़ी रणनीति थी. देश की जनता पर आपातकाल थोपने का मकसद सत्ता में बने रहना का तो था ही इससे भी अधिक खतरनाक मंशा तत्कालीन हुकुमत की थी। हमें उस पक्ष पर भी  चर्चा करनी चाहिए, जिसके कारण देश के लोकतंत्र को एक परिवार ने बंदी बना लिया। दरअसल लोकतंत्र की हत्या करके ही जो चुनाव जीता हो उसे लोकतंत्र का भान कैसे रह जाएगा ? लोकतंत्र की उच्च मर्यादा की उम्मीद उनसे नहीं की सकती, जो जनमत की बजाय धनमत और शक्ति का दुरुपयोग करके सत्ता पर काबिज होने की चेष्टा करें।

सारिका तिवारी,(inputs by) पुरनूर – चंडीगढ़ 26 जून:

देश में आपातकाल की नींव इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले से पड़ गई थी जिसमें अदालत ने राजनारायण के पक्ष और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ अपना फैसला सुनाया था। अदालत के फैसले से पहले 12 जून 1975 की सुबह इंदिरा गांधी अपने असिस्टेंट से पूछती हैं। आज तो रायबरेली चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आना है। इस पर वहां मौजूद इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी कहते हैं, “आप बेफिक्र रहिए।” संजय का तर्क था कि इंदिरा की सांसदी को चुनौती देने वाले संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण के वकील भूषण नहीं थे। जबकि इंदिरा के वकील एसी खरे ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि फैसला उनके ही पक्ष में आएगा। कांग्रेसी खेमा पूरी तरह से आश्वस्त था, लेकिन उस दिन जो हुआ वो इतिहास बन गया। जस्टिस जगमोहन सिन्हा ने इंदिरा के खिलाफ अपना फैसला सुना दिया। जज ने इंदिरा गांधी को चुनावों में धांधली करने का दोषी पाया और रायबरेली से सांसद के रूप में चुनाव को अवैध घोषित कर दिया। साथ ही इंदिरा के अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी गई। हाईकोर्ट से मिले इंदिरा को झटके के बाद कांग्रेसी खेमा स्तब्ध रह गया तो राज नारायण के समर्थक दोपहर में दिवाली मनाने लगे।

पार्टी की अस्थिरता को दरकिनार कर स्वयं का वर्चस्व की रक्षा हेतु उस समय की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को संविधान की धारा 352 के तहत राष्ट्र आपात काल घोषित करना पड़ा। कहीं नौकरशाही और सरकार के बीच का संघर्ष, कभी विधान पालिका और न्यायपालिका के बीच विवाद, केशवानंद भारती और गोरखनाथ केस इन विवादों के साक्ष्य हैं। इससे पहले के चुनाव देखें तो कांग्रेस लगातार आज ही की तरह अपने ही अंतर कलह की वजह से सीटे गवाती रही। कई हिस्सों में बटी कांग्रेस का कांग्रेस (आर) इंदिरा के हिस्से आया जब इंदिरा गांधी ने कम्युनिस्ट पार्टी से मिलकर सरकार बनाई पार्टी का यह हाल हो गया था कि सिंडिकेट के दिग्गज भी अपनी सीटें ना बचा पाए। इंदिरा गांधी के कट्टर विरोधी मोरारजी देसाई ने पार्टी छोड़ी और इंदिरा को कमजोर करने में जुट गए। दूसरी और नीलम संजीवा रेड्डी, कामराज, निजा लिंगप्पा पूरी तरह से इंदिरा विरोधी थे। निजालिंगप्पा ने इंदिरा को पार्टी तक से निकाल दिया था।

इमरजेंसी के जो बड़े कारण बने वह है महंगाई, इंदिरा की कई मनमानियां, विद्यार्थियों का असंतोष, जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे की हड़ताल, जयप्रकाश नारायण का ‘संपूर्ण क्रांति’ का नारा।

सुब्रह्मण्यम स्वामी, ‘जिंदा या मुर्दा’

इमरजेंसी के दौरान इंदिरा ने बहुत मनमानियां की निरंकुश ढंग से अपने विरोधियों को कुचला, जॉर्ज फर्नांडिस तो कई साल जेल में ही रहे। उन्होंने तो चुनाव भी जेल से लड़ा सुब्रह्मण्यम स्वामी के ‘जिंदा या मुर्दा’ के वारंट जारी किए गए अखबारों पर अंकुश लगाया गया कि वह जनता की बात जनता तक ना पहुंचा पाएँ। लेकिन कुछ अखबारों ने पोस्ट खाली छोड़ कर सरकार का विरोध भी किया।

इस सब में संजय गांधी अपने मित्रों के साथ पूरी तरह से सक्रिय होकर उतरे मनमानीयों के लिए। कुछ नवनियुक्त पुलिस अधिकारी जिनमें किरण बेदी, गौतम कौल और बराड़ आदि भी शामिल थे, इन्होंने एक बार इन पर लाठीचार्ज भी किया जिसका खामियाजा इन्हे आपातकाल के हटने के बाद भी कई वर्षों तक भुगतना पड़ा। पड़ा। कई वर्षों तनख्वाह के बिना नौकरी की।

इमरजेंसी की मियाद खत्म होने संविधान में संशोधन किया गया संविधान की प्रस्तावना में सेक्यूलर शब्द शामिल किए गए सबसे बड़ी बात इस संशोधन में यह की गई के न्यायपालिका संसद द्वारा पारित किसि भी कानून को गलत नहीं ठहरा सकती।

आपातकाल की काली रात 19 महीने लंबी थी और इस लंबे वक्त तक देश का लोकतंत्र कोमा में रहा। जनता के अधिकार, लिखने बोलने की आजादी सब आपातकाल की जंजीरों में जकड़ी हुई थी। आपातकाल के दौरान इंदिरा के बेटे संजय गांधी की हनक थी। जबरन नसबंदी जैसे तानाशाही फैसलों ने जनता को परेशान कर दिया था। जनवरी के महीने में आपातकाल हटाने के फैसले के साथ-साथ राजराजनीतिक बंदियों को रिहा करने के आदेश दिए गए और आम चुनाव की घोषणा की गई। इंदिरा को लगने लगा था कि वो प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाएंगी, लेकिन जनता ने कुछ और ही सोच रखा था। 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई। इंदिरा गांधी.. संजय गांधी समेत तमाम नेता हारे और हार गई तानाशाही…
यह थी 1975 की इमरजेंसी और उसके परिणाम

“International Yoga Day Celebrations” at UIPS, Panjab University

Chandigarh June 25, 2021

To celebrate the International Yoga Day 2021 on the theme, Yoga for wellbeing, University Institute of Pharmaceutical Sciences (UIPS), Panjab University, Chandigarh organized a ”Virtual Yoga Practice for Healthy Well Being” by Yoga Expert & fitness enthusiast, Ms Kanica Nayyar today.

She recapitulated the term YOGA, means ‘unity’ or ‘oneness’ involving different practices to harmonize body and mind. She shared important key points, like prior permission of doctors in case of complicated diseases, each yoga movement involves breathing and one should go slow while practicing yoga to feel the body part and its problem, if any. With live practical session, she highlighted the benefits of Pranayama, Joint movements, and Asanas helpful in day-to-day life, with a special emphasis on predicaments everyone frequently encounters, such as lower back pain, cervical pain, thyroid, joint pains, stress removal, weight reduction and much more. She urged the participants to take up fitness as part of their daily lifestyle and reiterated the old wisdom, “A healthy mind resides in a healthy body’

Professor Indu Pal Kaur, Chairperson, UIPS and Program Organizer extended a cordial welcome to all the participants

Professor Poonam Piplani, Convener Lecture Organizing Team, spearheaded the entire event proceedings and introduced the young and dynamic speaker,Ms Kanica Nayyar who  is a recognized Yoga Teacher and Fitness Enthusiast, and having more than 3 years of work experience. She is associated with one of the biggest fitness startups, Cultfit Healthcare Private Limited and implementing her learnings and serving in an efficient approach to the mankind across the globe. 

All the faculty, students and staff members of UIPS joined the session and stretched out to mark the International Yoga Day.  Around 100 participants attended the webinar.

Webinar on Gender and Media Equity

Chandigarh June 24, 2021

An International Webinar on Gender and Media Equity was jointly organized by the Centre for Social Work, Department of Ancient Indian History, Culture and Archaeology and Centre for Midwest and Central Asian Studies, Panjab University. 

The key Speaker, Sh. Bajinder Pal Singh, Advisor, Media and Communications, University of Chulalonkogorn, Bangkok, talked about women in journalism , particularly from India and other South East Asian countries and the kind of issues that  they face on the field .

Professor Raj Kumar, Vice-Chancellor Panjab University,  remarked on the importance of the media for society at large .

The welcome address was given by Professor Monica Munjial Singh, Chairperson, Centre for Social Work and also while introducing the speaker, she said that he is from  University in Bangkok which is the oldest university of Thailand and currently ranked amongst the top hundred global universities. 

The concluding remarks were delivered by Professor Paru Bal Sidhu, Chairperson, Ancient Indian History, Culture and Archaeology, Panjab University, Chandigarh. 

The formal vote of thanks was given by Professor Pampa Mukherjee, Honorary Director, Centre for Midwest and Central Asian Studies, Panjab University. It was a well attended webinar by faculty members, Post Graduate students and Research Scholars. A few women journalists from Kashmir also joined the International Webinar. 

“Empathy not Sympathy” Towards Disable Friendly Chandigarh at PU

Chandigarh June 23, 2021

The Department of Community Education and Disability Studies of Panjab University  with Yuvsatta (Youth for Peace)-an NGO, organized a webinar  today on the theme of “Empathy not Sympathy” with focus on promoting disable friendly Chandigarh.

Sharing about the initiative Dr. Dazy Zarabi, said that the objective of the Webinar was on empowering marginalized disabled students. Recently their Department attached their 25 B.Ed students with 49 diasbled students of Govt. Model Sr. Sec. School, Dhanas, whom the Panjab University students will be mentoring and guiding to come out of Covid pandemic crisis and work for betterment of lives.

The programme began by sharing issues by differently abled students and their teachers, facilitated by Mrs. Seema, Principal of Govt. Model Sr. Sec. School, Dhanas, Chandigarh. The students said because of their invisible disability i.e in the form of Learning Disability, mild intellectual disability and autism spectrum disorder they suffer more as compared to students with physical, mild visual and other kinds of disabilities.

Sh. Sameer Garg, CEO of BillionAbles in his deliberations said that Sensitization about accessibility and inclusion for all should be a compulsory part of curriculum at primary and higher education so that it get inculcated in the mindset and universal access is provided by and for every one while planning any or all infrastructure, services and products.  It should be planned and made available as free as the oxygen we breathe and without which one cannot line.

Sh. Anil Mudgal, Secretary, Arushi, Bhopal, Madhya Pradesh stressed that being independent and with dignity is a basic right which should be provided automatically and not when demanded.  A society is truly inclusive and everyone can be a part of everything and anything.

Mrs. Abha Negi, Chairperson, Global Forum for empowerment, New Delhi in her concluding remark said that for any society to evolve into an inclusive society that embraces diversity the basic tenet is empathy where it invites all to participate as equals neither patronize nor leave persons with disabilities to fend. When the society as a whole shows empathy it works towards making things happen while taking note of diversity.

 Pramod Sharma, Coordinator of Yuvsatta-NGO added that the system should be oriented to mass understanding and finding a collective solution with utmost responsiveness. NGO’s and governments should play the role of facilitator. Each one of us has to be responsive and take this mission forward.

The over 100 participants included students of Department of Community Education and Disability Studies, Panjab University, teachers, counselors and students of GMSSS, Dhanas,  St. Josephs Sr. Secondary School, led by their Principal Mrs. Monica Chawala and the volunteers of Yuvsatta-NGO

Two Days Online Programme to Commemorate International Yoga Day by GH-4, PU

Chandigarh June 22, 2021

Girls Hostel 4 (Kasturba Hall), Panjab University, Chandigarh organized a two days online webcast to commemorate International Yoga Day which was coordinated by Dr. Tammanna R. Sahrawat Warden Girls Hostel-4.

On 21st of June 2021, the session began with an encouraging speech by the Vice Chancellor, Prof. Raj Kumar was followed by an enriching talk on Yoga: A Philosophical Perspective who encouraged all to follow yoga in their daily life for their well being.

Prof. Surendra Kumar, Director, Center of Yogic Studies, Maharshi Dayanand University, Rohtak spoke on the importance of Yog to enable us to achieve a balance between the mind, body and soul. Prof. Surender struck a chord with the participants as he gave them relatable life examples on how our thoughts control our entire being making us susceptible to negativity. He emphasized that meditation and simple breathing exercises such as anulom vilom can aid us to get through these hard times and lead us to a positive lifestyle. The takeaway message of his talk was laying emphasis on importance of physical health, mental alertness and spiritual elevation for overall personality development.

Professor Devinder Singh, Secretary to VC while highlighting the importance of yoga said that it helps in curing many diseases.

Earlier, on 20th June 2021, Yogacharya Manu Saini, a Hypnotherapist and Director at Arsh Yoga School and Yogcharya Amit Kumar, a Yoga counselor at IGNOU (Delhi), demonstrated certain asanas and their technique for overall fitness of body, focusing on back pain, postural defects, weak eyesight, and weight loss. A session on meditation was also conducted.  Professor Ashok Kumar, Associate DSW, PU also spoke about significance of Yoga.  

2 Projects of PRC, PU Released

Chandigarh June 22, 2021

Population Research Centre , Panjab University Chandigarh conducted the Impact assessment of URJA project sponsored by Chandigarh Administration which was released by  Prof. Raj Kumar ,Vice Chancellor and Ms. Mrs. Nilambari Jagadale, IPS IG Cyber Crime in the presence of  Prof. Kumool Abbi, Director PRC  and Dr Sukhbir Singh who were the members of the research team. URJA project was  pioneered and guided by Mrs. Nilambari Jagadale, IPS IG Cyber Crime where  children learnt various  life skills and now they are implementing these life skills in their daily routine. 

Another report on Stakeholder Perception:  Study on New Education Policy,2002  was also released by  Prof. Raj Kumar and Ms. Nilambari Jagadale.

National Education Policy (NEP) 2020 is a big revolution replacing the 34-year-old policy idea and envisioning  the much-needed modification in the Indian Education System. The Policy has maintained a delicate balance between the traditions and the interdisciplinary approach, which is the need of the 21st century. This study was conducted by Prof. Kumool Abbi, Dr Sukhbir Singh , Dr Tarun Bala and Dr Manmohan Singh. Population Research Centre is actively involved in conducting various health related projects and evaluation studies.

पंजाब विश्वविधालय, 19/06/2021, वेबिनर ‘महाराणा प्रताप के जीवन पर एक नजर और हल्दीघाटी के युद्ध की सच्चाई’

Chandigarh June 19, 2021

उपकुलपति पंजाब विश्वविधालय, प्रो राज कुमार ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए प्रो° अशोक सिंह का वेबिनार ‘महाराणा प्रताप के जीवन पर एक नजर और हल्दीघाटी के युद्ध की सच्चाई’ में स्वागत किया। महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व के बारे में बताते प्रो राज कुमार ने बताया की हल्दी घाटी युद्ध की कहानियों से हर व्यक्ति में एक अलग सी ऊर्जा का संचार होता है । त्याग की मूरत महाराणा प्रताप ने सृष्टि मात्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण उदहारण पेश की है। वे कष्ट की जिंदगी जीते हुए भी मातृ भूमि की रक्षा करते रहे। आज के विद्यार्थियों को भी महाराणा प्रताप से प्रेरणा लेनी चाहिए, मात्र भूमि से प्रेम करना चाहिए। वाणी को विराम देते हुए उन्होंने प्रो अशोक जी का पुनः स्वागत किया। 

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रो एस. के. तोमर जी , डीन छात्र कल्याण पंजाब विश्वविद्यालय ने बताया कि हल्दी घाटी की गाथा और महाराणा प्रताप की जीवनी समाज को भविष्य का रास्ता दिखाता है। महाराणा प्रताप जी ने प्रजा और मातृ भूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान दीया। उनका यह बलिदान आगे आने वाली पीढ़ियां याद रखेगी। किताबो में लिखी बातें पूर्णतः सच नही है, महाराणा प्रताप ने हल्दी घाटी युद्ध जीता है।

महाराणा प्रताप जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए प्रो दिवेंदर जी, सेक्रेटरी कुलपति पंजाब विश्वविद्यालय ने कई कथाकथित बहुत सी बाते बताई और प्रो अशोक का स्वागत भी किया। 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो अशोक सिंह जी ने विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महाराणा प्रताप जी के जीवन के बारे में शोध संकलन के लिए यूनिटाइड नेशन और भारत सरकार ने एक के कार्य शुरू किया जिसने उन्हें काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इतिहास में बताया गया है की मुगलों को धूल खिलाने में महाराणा प्रताप ने कोई कमी नही छोड़ी। हल्दी घाटी का युद्ध उदयपुर के पास राजसमद नमक जगह पर लड़ा गया। अकबर और महाराणा प्रताप के बीच में लड़ा गया युद्ध इतिहास में एक बड़ा हिस्सा रखता है। प्रताप को मेवाड़ का राज सिंहासन बचपन में ही मिल गया थी। भारत के लोगो ने मुगलों की हिंसा को देखते हुए जोहर शुरू किया। महाराणा ने अपने शासन को मजबूत किया और सम्पूर्ण मेवाड़ पर जीत प्राप्त की।

महाराणा ने कभी भी अधीनता स्वीकार न की। मान सिंह ने अकबर की सेना छोड़ कर प्रताप का साथ दिया। मानसिंह ने मित्रता को बढ़ने के लिए प्रताप को एक ही थाली में खाना खाने का आग्रह किया पर महाराणा ने इंकार कर बोला कि अपने अपने घर की बेटी किसी ओर के घर ब्याही है राजपूतों को यह बात शोभा नही देती इसलिए हम मित्र नही हो सकते। प्रो अशोक ने बताया कि महाराणा प्रताप ने मेवाड़ की सेना पहाड़ों और मैदानों दोनो मे लड़ने<

Online Book launch event at PU

Chandigarh June 19, 2021

Panjab University Alumni Association (PUAA) organised an event to launch a book named “Kavita to kahi nahi” written by Prof. Archana Singh, Professor, School of Communication Studies on June 18, 2021. This event was in continuation with the events organized by PUAA to celebrate the success and accomplishments of illustrious alumni of Panjab University.

 Prof. VR Sinha, Dean University Instruction presided over the event. He described the majesty of Hindi literature and said that literary persons are different from other persons. Poetry is the most versatile form of literary works and writing poetry is the strongest form of art. He gave numerous examples of popular poets like Kabir Das, Mahadevi Verma, Sumitranandan Pant, Suryakant Tripathi ‘Nirala’ and celebrated novelists like Munshi Prem Chand who had uncanny ability to potray Indian ethos and human behaviour. He admired Prof. Archana for her maiden venture and said that she is a possessor of unusual sensitivity and insight. She is able to express things in a attractive way with an astounding capacity.Prof Archana as a poet, idealizes reality and represents the things, rouses our admiration and feeling of nostalgia as we can empathise with most of her expressions. Prof. Sinha congratulated Prof. Archana and unveiled the book.

Special guests of the evening RJ Mehak, Dr. Anu Dua Sehgal, Ms. Soumya Joshi and Ms. Renuka Salwan, Director Public Relations, PU recited selected verses from the book.

Prof. Anupama Sharma, Dean, Alumni Relations welcomed the Chief Guest, special guests and alumni of PU, senior faculty members from Panjab University and participants. Speaking about the book, Prof. Sharma highlighted that the book is a beautiful compilation of poems and is true reflection of multifarious personality of Prof. Archana. It not only give the participants a window into the heart of the poet, but they also compel us to explore our own inner worlds and longings. Rave reviews by learned persons bear testimony to high literary content. 

Prof. Archana recited some verses of her book and said that compilation of this book was not easy but lockdown gave her time to assemble it. The poems were written over a span of few decades which were compiled in form of this book. She exquisitely described the logic for the title of the book “Kavita to kahi nahi”. She said that she has poured forth her life experiences in the form of poetry over the years. The collection contains 58 poems of varying lengths put together under 6 chapter headings. Each chapter caters to one type of mood such as Life, Family, Politics, Mother tongue and Womanhood.

Ms. Renuka Salwan recited a poem “Betiyan” from the book and specified that she can well relate to the poem beautifully penned down by Prof. Archana as she is herself mother of two daugheres who are staying away from her now. Dr. Anu Dua Sehgal, Ms. Soumya Joshi and RJ Mehak also to recited poems of their choice from Prof. Archana’s book, specifically choosing the theme which is close to their hearts.

Earlier, highlighting the importance of book reading, Dr. Monika Aggarwal, UIAMS introduced the theme of the event to all the participants. She also read the reviews of book by Bollywood actor Ayushman Khurana and Jyoti Kapoor on the book and invited Prof. Archana Singh to highlight about the book and her journey from academician to a poet. 

The audience found the session engrossing, splendid, and enthralling. At the last, Prof. Monika Aggarwal presented the vote of thanks and concluded the meeting.

ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा की बली चढ़ रहे भावी राष्ट्र निर्माता

कोरोना की मार से प्रभावित शिक्षा जगत के हालात यह हैं कि प्रदेश भर में स्कूल कॉलेज बंद हैं, विद्यार्थी एक प्रकार से बिना परीक्षा दिये ही उत्तीर्ण हो रहे हैं। होनहार छात्र भी परले दर्जे के नालायक छात्रों के समकक्ष डाल दिये गए हैं। जहां एक ओर :कम मेहनती छात्र अति उत्साहित हैं वहीं कर्मठ विद्यार्थी इस पूरे प्रकरण से आहत हैं। इनहि समस्याओं से जूझ रहे शिक्षा जगत के भविष्य को तलाशती हमारी संवाददाता ‘पुरनूर’ कोरल का छोटा सा प्रयास शायद नीति निर्धारकों तक गुरुजनों – विद्यार्थियों की बात पहुंचा सके।

पंचकुला, 19 जून:

कोरोना ने सबसे अधिक प्रभावित किया है तो शिक्षा जगत को, करोना की ही वजह से पिछले 2 साल से सभी स्कूल बंद है बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है और तो और काफी जगह परीक्षा तक ऑनलाइन नहीं गई है। इस बात से कोई भी अनभिज्ञ नहीं कि आखिर ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा कैसे हो रही है और यही नहीं दसवीं बारहवीं की तो परीक्षा रद्द कर दी गई है। अब प्रश्न यह उठता है कि विद्यार्थी की काबिलियत का किसी को भी कैसे पता चलेगा, विद्यार्थी को किस और जाना है यह बात कोई कैसे जान पाएगा तो इसी से जुड़े कुछ सवाल लेकर आज हमने शहर के कुछ अध्यापक व विद्यार्थियों से बात की। हमने बच्चों के पेरेंट्स से भी बात करनी चाही पर जिनसे हमारी मुलाकात हुई उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया। दूसरी ओर जिन अध्यापक व विद्यार्थियों से हमारा मिलना हुआ उन्होंने सीधी सटीक बात करते हुए इस विषय पर चर्चा की।

जब हम जैनेंद्र पब्लिक स्कूल पंचकूला की प्रधानाध्यापिका श्रीमती रेनू शर्मा से मिले तो उन्होंने बताया की बच्चा घर पर बैठकर ऑनलाइन कम ही पढ़ेगा क्योंकि उसे किसी अध्यापक की जरूरत है, अपनी मर्जी से कभी भी किताब नहीं उठाएगा और घर पर रहकर उसके ऊपर किसी की भी निगरानी नहीं होगी, क्योंकि बच्चा कभी भी अपने माता-पिता से उस तरह से नहीं डरता जिस तरह से वह अपने अध्यापक से डरता है। उन्होंने अपने विद्यालय से संबंधित यह समस्या बताइ कि उनके विद्यालय में कुछ माता-पिता ऐसा कहते हैं कि उनके फोन में नेटवर्क इश्यू आता है या फिर उनका डाटा खत्म हो जाता है इसलिए वह बच्चों को अपना फोन नहीं दे सकते इसीलिए बच्चों ऑनलाइन पढ़ना बिल्कुल व्यर्थ ही जा रहा है।

उन्होंने कहा कि माता-पिता अभी तो इस बात से खुश हैं कि उनका बच्चा प्रमोट हो रहा है ,लेकिन वे यह नहीं जानते कि उनके बच्चे ने जो पढ़ाई नहीं की है उसका नतीजा आने वाले समय में उनको भुगतना पड़ सकता है । पूछे जाने पीआर कि उन बच्चों का क्या जिन्होंने अभी बस सकूल में दाखिला लिया है वह कैसे पढेंगे क्योंकि इतना छोटा बच्चा है टिकता ही नही फ़ोन पर ऑनलाइन क्लास लगाना तो उसकी तरफ से हो ही नही पायेगा , इस बात पर हामी भरते हुए अन्य अधियापिकाओं ने कहा कि उनके लिए सबसे ज्यादा कठिन समय होगा आने वाला क्योंकि उनको न तो पढ़ना आएगा न लिखना उन्होंने खाकी घर बैठे बैठे अच्छे विद्यार्थियों ने लिखना कम कर दिया है तोह यह तोह वो विद्यार्थी होंगे जिन्होंने अभी बस शुरुआत करनी है।

विद्यार्थियों से मिले तो उन्होंने भी यही कि उनको यह ऑनलाइन पढाई ठीक नही लग रही क्योंकि घर पर बैठ कर अन्य काम आ जाते हैं । ऑनलाइन पढाई में कभी टेक्निकल समस्या होती हैं की नही लग पाती। जब भी क्लास लगती है तो आधा उनको समझ नही आता और परीक्षा में अगर नम्बर कम आएं तोह घरवालो से सुनना उनको पड़ता है। वह भी तब जब उनकी कोई गलती है नही उन्होंने इतना भी कहा कि भविष्य में हो सकता है हमें कोई भी यह कह दे कि तुम्हे क्या ही पता तुम तो बस यूं ही परीक्षा सफल करके आगे पहुँचे हो लेकिन किसी को क्या ही पता होगा कि को पढ़ा है और कौन नही पढ़ा क्योंकि किसी ने भी उनको उनके घर आकर तो देखा नहीं है और जिस प्रकार से हर विद्यार्थी एक समान अंक हासिल कर रहा है तो उनके लिए कम्पटीशन और बढ़ रहा है जिसके कोई मायने ही नही होंगे।

छात्राओं ने कहा कि वह डबल मास्क लगाकर और सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुए स्कूल आकर पढ़ने को तैयार है और यह लोग स्कूल खोलें तो सही रहेगा।