हजारों विद्यार्थियों का तुरंत नतीजे ऐलान करे एमआरएस-पीटीयू – हरपाल सिंह चीमा

  • पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप की सरकार की ओर बकाया खड़ी 1,850 करोड़ रुपए की राशि ने विद्यार्थियों का भविष्य किया अंधकारमय –आआपा
  • 1 हजार से अधिक कालेजों के परीक्षा फीसें न भुगतान करने पर यूनिवर्सिटी ने रोके नतीजे

राकेश शाह, चण्डीगढ़ 7 मई 2020

आम आदमी पार्टी (आआपा) पंजाब के सीनियर और विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने महाराजा रणजीत सिंह पंजाब टैकनिकल यूनिवर्सिटी (एमआरएस-पीटीयू) बठिंडा की ओर से अपने मान्यता प्राप्त कालेजों के हजारों विद्यार्थियों के नतीजे रोकने का सख्त नोटिस लिया है। यूनिवर्सिटी के इस फैसले से करीब 2000 विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। ऐसे फैसलों के कारण कोरोना-वायरस के इस नाजुक हलातों में विद्यार्थियों और उनके परिवारों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 

पार्टी हैडक्वाटर से जारी बयान में हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि उनके साथ कुछ प्रभावित विद्यार्थियों ने संपर्क कर जानकारी दी है कि करीब 1,012 कालेजों ने यूनिवर्सिटी को परीक्षा फीसों का भुगतान नहीं किया। जिस कारण यूनिवर्सिटी ने नतीजा ऐलान करने पर रोक लगा दी है। 

चीमा ने कहा कि दूसरी तरफ इन कालेजों की पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप (पीएमएस) स्कीम के अधीन लगभग 1850 करोड़ रुपए की राशि सरकार की तरफ बकाया है और जब तक सरकार बकाया रकम का भुगतान नहीं करती, उस समय तक कालेज यूनिवर्सिटी को फीस अदा नहीं कर रहे, विद्यार्थी इस चक्की में बेवज़्हा पीस रहे हैं। इस लिए मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को इस मामले में तुरंत दखल देना चाहिए।  

चीमा ने कहा कि सरकारों की गलत नीतियों और नियतों से हजारों छात्रों और शिक्षा संस्थाएं अनावश्यक समस्याओं का सामना कर रही हैं। इस की मिसाल यह है कि साल 2015 में तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार ने इन्द्र कुमार गुजराल पंजाब टैकनिकल यूनिवर्सिटी जालंधर को दो हिस्सों में बांटा था। जिस में कुछ कालेज आईकेजी-पीटीयू के अधीन थे और कुछ कालेज नई बनी एमआरएस-पीटीयू बठिंडा के अधीन थे। तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार ने  आईकेजी-पीटीयू को नई बनी यूनिवर्सिटी के साथ कुछ फंड सांझे करने के लिए कहा था, परंतु आईकेजी-पीटीयू ने अपने फंड़ को सांझा करने से इन्कार कर दिया, जिस कारण एमआरएस-पीटीयू पहले से ही बड़े वित्तीय संकट में से गुजर रही है। 

हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि एक तरफ एआईसीटीई और देश की ओर चोटी की शैक्षिक संस्थाओं विद्यार्थियों से कोई फीस न लेने का सुझाव दे रही हैं और कालेजों को स्टाफ की तनख्वाह अदा करने के निर्देश दे रही हैं जबकि दूसरी तरफ एमआरएस-पीटीयू ने इन विद्यार्थियों के नतीजों को रोका हुआ है। 

विपक्ष के नेता चीमा ने कहा कि यदि कालजिस यूनिवर्सिटी को भुगतान करन में असफल रहती है तो इस में विद्यार्थियों का क्या कसूर है और लॉकडाउन के कारण उन की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है और साथ ही यूनिवर्सिटी अब पिछले समैस्टर के नतीजों का ऐलान भी नहीं कर रही है। 

हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि एक तरफ पंजाब सरकार बड़ी वित्तीय संकट का सामना कर रही है, जबकि दूसरी तरफ पंजाब सरकार एक ही काम पर दोगुनी रकम खर्च रही है।

पंजाब के सरकारी काॅलेजों और यूनिवर्सिटियों में गर्मियों की छुट्टियाँ 15 मई से 15 जून तक होंगी – तृप्त बाजवा

राकेश शाह, चंडीगढ़, 7 मईः

पंजाब सरकार ने राज्य के सरकारी काॅलेजों और यूनिवर्सिटियों में 15 मई से 15 जून तक गर्मियों की छुट्टियाँ करने का फैसला किया है।
राज्य के उच्च शिक्षा और भाषा मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा ने इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए बताया कि यूनिवर्सिटियों और काॅलेजों से मिली जानकारी के अनुसार चालू समेस्टर / क्लास का तकरीबन 80 प्रतिशत सिलेबस पूरा हो चुका है और रहता सिलेबस पूरा करने के लिए अध्यापक विद्यार्थियों की हर संभव तरीकेे से मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा तालाबन्दी से बाहर आने के लिए बनाई गई लखनपाल समिति और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार यूनिवर्सिटी और काॅलेज विद्यार्थियों के इम्तिहान 1 जुलाई से लिए जा सकते हैं। इन दिशा-निर्देशों पर यूनिवर्सिटियों के वाइस चांसलरों के साथ हुई मीटिंग में भी सहमति थी कि अगला अकादमिक सत्र सितंबर में शुरू किया जायेगा।

बाजवा ने कहा कि उपरोक्त स्थिति के मद्देनजर यह महसूस किया गया कि यूनिवर्सिटियों और काॅलेजों में होने वाली गर्मियों की छुट्टियाँ इन दिनों में कर दी जाएँ ताकि छुट्टियों के बाद अध्यापक इम्तिहानों और नये दाखिलों का काम करने के लिए पूरी तरह तरोताज़ा होकर अएं। उन्होंने कहा कि यह छुट्टियाँ करने सम्बन्धी विभाग द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मंजूरी दे दी है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि गर्मियों की छुट्टियाँ करने सम्बन्धी सरकार के आदेश आज यूनिवर्सिटियों को पहुँच जाएंगे।

एबीवीपी और बीएपी ने उपायुक्त कार्यालय में दवाइयाँ बांटीं

आज पंचकूला के उपायुक्त कार्यालय में मौजूद सभी पुलिसकर्मी जो कि इस नाज़ुक हालात में भी अपनी जिम्मेदारी बाखूबी व बिना कोई बीमारी की चपेट में आने के डर से निभा रहे हैं उनको आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व भारतिय आयुर्वेद परिषद द्वारा आयुर्वेदिक औषधि बांटी गई।

सेवा की शुरुआत IPS मोहित हांडा से की गई अतः सीनियर इंस्पेक्टर सुखदेव ने वही पर औषधि मिलते ही उसका सेवन भी किया व दफ्तर के अन्य कार्यकर्ताओं को भी यह दिलवाई।

सेवा के लिए ABVP जिला प्रमुख सुशील शास्त्री जिला मीडिया प्रमुख पुरनूर व भारतिय आयूर्वेद परिषद से डॉ चित्रा और डॉ अनु उपस्थित रहीं।

दोनो परिषदों ने मिलकर न केवल दवाई बाँटि बल्कि सभी पुलिस कर्मियों का हार्दिक धन्यवाद भी किया क्योंकि इन्हीं के द्वारा सख्ती बरतने के कारण सब अपने अपने घर मे सुरक्षित हैं।

गुजवि में दाखिला प्रक्रिया शुरू, बीएससी ड्यूल डिग्री कोर्सों के लिए आवेदन आमंत्रित

धर्मपाल वर्मा, चंडीगढ़:

हिसार:

गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय (गुजवि) ने सत्र 2020-21 के लिए दाखिला प्रक्रिया शुरू कर दी है। कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने मंगलवार को दाखिला प्रक्रिया के लिए स्थापित किए गए ऑनलाइन पोर्टल का शुभारंभ किया। प्रो. टंकेश्वर कुमार ने बताया कि ड्यूल डिग्री बीएससी (ऑनर्स) फिजिक्स – एमएससी (फिजिक्स), ड्यूल डिग्री बीएससी (ऑनर्स) केमिस्ट्री-एमएससी (केमिस्ट्री), ड्यूल डिग्री बीएससी (ऑनर्स) मैथेमेटिक्स-एमएससी (मैथेमेटिक्स), ड्यूल डिग्री बीएससी (ऑनर्स) बायो टेक्नोलॉजी – एमएससी (बायो टेक्नोलॉजी), बीएससी (ऑनर्स)- कंप्यूटर (डाटा साइंस), बीएससी (ऑनर्स)- इकोनोमिक्स, बीएससी (ऑनर्स) साइकोलॉजी और बैचलर ऑफ फिजियोथैरेपी में दाखिलों के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। सभी तरह की लेटेस्ट विविध एवं शैक्षणिक खबरों के लिए “हरियाणा एजुकेशनल अपडेट” फेसबुक पेज ज्वाइन करें।

आवेदन पांच मई से विश्वविद्यालय के वेबसाइट www.gjust.ac.in पर उपलब्ध हो गए हैं। नेट बैंकिंग या डेबिट क्रेडिट कार्ड से फीस जमा कराने की अंतिम तिथि 15 जून है। ऑनलाइन आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 18 जून है। आवेदक की प्रार्थना पर कैटेगरी में संशोधन 22 जून तक ऑनलाइन किया जा सकेगा।

आवेदक ईमेल ucic.gjust@gmail.com पर संपर्क कर सकता है। दाखिले से संबंधित जानकारियां जैसे प्रवेश परीक्षा की तिथियां, मेरिट लिस्ट का डिस्प्ले और काउंसिलिंग की तिथियों आदि की जानकारी विवि की वेबसाइट पर उपलब्ध करवा दी जाएगी।

‘All TV Channels must be directed to provide free 2 hour time slot per day for education lectures’

  • Punjab Education Minister suggests in video conference with Union HRD Minister and IT Minister
  • Says, free internet service should also be provided by BBNL for free online classes and wider reach
  • Appeals to increase Mid Day Meal workers honorarium to Rs.3000 per month for full year
  • ‘Mid day meal’ scheme be extended up to class 12th including students of pre-primary classes
  • Suggests to promote class 10 students on basis of pre-board exams and internal assessment

Rakesh Shah, Chandigarh – April 29:

            Punjab Education Minister Mr. Vijay Inder Singla in video conference with Union Human Resource Development Minister Mr. Ramesh Pokhriyal Nishank and Minister for Communications, Electronics & Information Technology and Law & Justice Mr. Ravi Shankar Prasad suggested to direct all the TV Channels including government, private and news channels under Disaster Management Act, 2005, to provide a free of cost 2-hour time slot per day to state governments to broadcast education lectures.

            Mr. Singla described this as a need of hour to compensate the loss of education hours due to lockdown aimed at containing Coronavirus. He said that as the Disaster Management Act 2005 is imposed in the country and the union Government has all the rights reserved with it. Therefore, in view of students’ education loss, all TV Channels must be asked to run free time slot.

            The Education Minister said that Punjab should at least be provided 4 dedicated channels of Doordarshan to broadcast lectures for various classes. The channels should be made available at least 6 hours a day followed by a repeat broadcast for the same time. He informed that Education Department has made references to Doordarshan to provide TV Channel to broadcast lecture for various classes. But, no positive response has so far been received. The matter was also taken up with the NCERT and contents for various subjects for class 7th and 8th students has been sent to further broadcast it for students of Punjab. NCERT assured that it will be started for 2 hours a day followed by repetition of the same lectures the same day. “Amid these tough times and weighing the loss of the study of students it is necessary that Private TV Channels be directed to give free time to the State Government to broadcast lectures”, he added.

            To meet the demand of internet in wake of online classes, Mr. Singla also suggested that including BBNL, all the telecom companies are under the ambit of the union government, thus they should also be directed to provide free internet service to achieve the target of providing free online classes and wider reach to the poor. He stressed that free internet connection should be allowed to the students in the villages and necessary directions be issued to BBNL and other operators for the current year at least.

            In another key demand, Mr. Singla said that honorarium of Mid Day Meal workers should be increased to Rs.3000 per month for full year. And, they should be paid for full 12 months instead of only 10 month period as of now. “Apart from this, mid day meal must be extended up to class 12th students and students of pre-primary classes, which are 2.73 lakh now, under this scheme to mitigate distress of poor people” said the Education Minister, adding that Punjab has already prepared Annual Plan for the Mid Day Meal. The plan is to be got approved by Executive Committee and the State Government, which is pending due to lockdown.

            To ease the anxiety and stress level of the students preparing for remaining board exams, Mr. Singla suggested that 10th class students may be promoted based on pre board results and internal assessment, while 12th class students should be allowed to complete their examinations as early as possible.

            He also informed the union government that Punjab School Education Board has already issued orders of printing of books. Out of the 1.6 crore books required, 70 lac books have already got printed. Of which 60 lacs books have been delivered to the district headquarters.  Remaining 10 lac books have been printed and lying with the printing press mostly in Jalandhar, Agra and Mathura. So far as the remaining books are concerned, the same shall be printed only after the situation becomes normal and the printing presses are allowed to engage the labour and print the books. He said that Board has already uploaded e-books on its website. SCERT has further segregated the chapters on all subjects and have made the PDF files. These PDF files have been individually made available to the schools through various social media platforms and departmental website. Besides this, Department had compiled all the lectures delivered to the students of various classes and are available on official “You Tube” channel. E-Content of all classes had already been prepared.  An APP has been created and the same has also been made available to the schools and the teachers and to the students.

            The Education Minister said that a FM 100.2 Radio Channel has been engaged to broadcast the lectures. Many school teachers, wherever possible, have started taking online classes through ZOOM App, where 100 students can participate at a time. However, the main requirement is internet connectivity which is the problem in certain cases.

            He said that state government has already preponed the summer vacations starting from 11h April to 10th May 2020. If lockdown will be extended up to 10th May, there will not be any academic loss. In case of extension, academic loss can be compensated by reducing the syllabus proportionately. This will not leave much burden on the students, however the same can be considered in respect of selected classes only.

            Union Minister Mr. Ravi Shankar Prasad has shown interest in Tele-consultancy services model of the state of Punjab, being provided to the needy persons during the countrywide lockdown and said that union government keen to recommend it to another states of the country as it is befitting to fight the Coronavirus and to mitigate the anxiety level of the persons stuck in their homes. Mr. Vijay Inder Singla apprised that Tele Consultation and Counseling has been started over Toll free number 1800-180-4104, on which pool of 2000 doctors is available 24×7. He also informed about the COVA Mobile App, wheat procurement progress and other initiative being taken by the state government.

कोरोना संक्रामण : उत्तर प्रदेश के 15 जिले पूरी तरह से सील

उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के देखते हुए योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश सरकार ने राज्य के 15 जिलों के  हॉटस्पॉट को  पूरी तरह से सील करने का फैसला लिया है। ये आदेश रात 12 बजे से लागू होगा। यूपी के ये 15 जिले कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट कहे जा रहे हैं। इन सभी जिलों में 15 अप्रैल तक किसी भी तरह की आवाजाही नहीं होगी यानी 100 फीसदी लॉकडाउन। इन जिलों में सरकार द्वारा जरूरी समान की होम डिलिवरी की जाएगी। किसी भी व्यक्ति को बाहर जाकर सामान खरीदने की इजाज़त नहीं होगी।  मुख्यमंत्री योगी ने उत्तर प्रदेश के 15 जिलों के हॉटस्पॉट क्षेत्रों को 13 अप्रैल तक पूर्ण रूप से सील करने के निर्देश दिए हैं । आज रात 12 बजे के बाद लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, आगरा, कानपुर, वाराणसी, शामली, मेरठ, सीतापुर, बरेली, बुलंदशहर, फिरोजाबाद, बस्ती, सहारनपुर और महाराजगंज के जिस इलाकों में कोरोना वायरस के मरीज मिले हैं वो क्षेत्र सील कर दिए जाएंगे ।

लखनऊ ब्यूरो, 8 मार्च 2020:

कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यूपी सरकार ने बड़े फैसले का ऐलान किया है. इसके तहत यूपी के 15 जिलों के कुछ इलाके 15 अप्रैल तक पूरी तरह सील रहेंगे.  सील होने वाले इलाकों में आने-जाने पर रोक रहेगी. आगरा, कानपुर, वाराणसी, शामली, गाजियाबाद, मेरठ, कानपुर, बुलंदशहर, महाराजगंज, सहारनपुर समेत 15 जिलों के कुछ इलाके पूरी तरह सील रहेंगे.

किसी को किसी भी स्थिति में बाहर निकलने की इजाजत नहीं

राज्य सरकार का कहना है कि इन सभी जिले कोरोना के हास्टस्पॉट हैं, जिसे पूरी तरह से सील कर दिया गया है। इस फैसले के बाद लॉकडाउन में किसी भी व्यक्ति को कोई छूट नहीं मिलेगी। इस दौरान न तो कोई दुकानें खुलेंगी और न ही किसी को किसी भी वजह से सड़क पर निकलने की इजाजत दी जाएगी।सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की होम डिलिवरी की जाएगी। हालांकि, इस दौरान केवल कर्फ्यू पास वाले लोगों को ही घर से बाहर निकलने की इजाजत दी जाएगी। 15 अप्रैल तक स्थिति की समीक्षा की जाएगी, इसके बाद आगे का फैसला लिया जाएगा।

लखनऊ और नोएडा के कुछ इलाके पहले से सील

इस फैसले के बारे में बताते हुए अपर सचिव अवनीश अवस्थी ने कहा कि पूरे जिले में जिन जगहों पर पॉज़िटिव केसे आए हैं, वहां संवेदनशील स्थानों को चिन्हित किया गया है और उसे पूरी तरह से सील किया जाएगा। ऐसे लखनऊ और नोएडा के कुछ इलाकों में पहले ही किया जा चुका है। सीधे कहा जा रहा है कि इस सील का मतलब है कि  आवश्यक सेवाओं को छोड़कर किसी को भी कर्फ्यू पास जारी नहीं किया जाएगा। इन जरूरी सेवाओं के आलावा किसी को भी अपने घर से निकलने की इजाजत नहीं है। इन जिलों की सीमाओं को भी पूरी तरह से सील कर दिया गया है। यहां तक की मीडियाकर्मियों की एंट्री भी बैन करने का विचार हो रहा है। विशेष परिस्थिति में ही केवल इजाजत दी जाएगी।

15 जिलों में कितने केस

आगरा- 64 केस, शामली-17 , मेरठ-35, बरेली-6, कानपुर-8, वाराणसी-9, लखनऊ, बस्ती- 8, गाजियाबाद-23, गौतमबुद्धनगर-58, महाराजगंज-6, सीतापुर-8, बुलंदशहर-8, फिरोजाबाद-7

इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी लॉकडाउन से उत्पन्न हालात पर विचार विमर्श के लिए बुधवार को लोकसभा एवं राज्यसभा में विपक्ष समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बातचीत की.

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, राकांपा के शरद पवार, शिवसेना के संजय राउत के अलावा तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, द्रमुक के टी आर बालू, बीजद के पिनाकी मिश्रा, वाईएसआर के मिथुन रेड्डी, सपा के राम गोपाल यादव, जदयू के राजीव रंजन सिंह, लोजपा के चिराग पासवान, अकाली दल के सुखवीर सिंह बादल सहित कई अन्य दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया .

प्रधानमंत्री ने संसद के दोनों सदनों में उन दलों के नेताओं के साथ संवाद किया जिनके संसद में पांच से अधिक सांसद हैं .

गौरतलब है कि 24 मार्च से 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद प्रधानमंत्री का विपक्षी दलों के साथ यह पहला संवाद है. हालांकि, प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर 2 अप्रैल को देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से संवाद किया था .

प्रधानमंत्री ने हाल के दिनों में डाक्टरों, पत्रकारों, विदेशों में भारतीय मिशनों के राजनयिकों सहित विभिन्न पक्षकारों से बातचीत की है.

हाल ही में प्रधानमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, द्रमुक प्रमुख स्टालिन सहित कई नेताओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संवाद कर महामारी रोकने के लिये सरकार के प्रयासों की जानकारी दी थी .

मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्रियों एच डी देवेगौड़ा और मनमोहन सिंह से भी बात की थी

राज्यों ने लॉकडाउन समय में वृद्धि का प्रस्ताव दिया

सरकार का सोचना है कि इससे स्कूल और कालेज एक तरह से गर्मियों की छुट्टियों को मिलाकर जून के अंत तक बंद रहेंगे। गर्मियों की छुट्टी आम तौर पर मई के मध्य से शुरू हो जाती हैं। जीओएम ने सिफारिश की है कि सभी धार्मिक संगठनों को कोरोना वायरस को रोकने के एहतियाती कदम के तहत 15 मई तक गतिविधियां शुरू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जीओएम का गठन देश में कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति की समीक्षा करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुझाव देने के लिए किया गया है।

नई दिल्ली:

भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच देश में लॉकडाउन की समयावधि बढ़ाई जाएगी या नहीं इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों और लेफ्टिनेंट गवर्नर से संवाद के बाद फैसला लेंगे। मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को मुख्यमंत्रियों, प्रशासकों और लेफ्टिनेंट गवर्नर्स से प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए संवाद स्थापित करेंगे।

मुख्यमंत्रियों के साथ पिछली बैठक में पीएम मोदी ने लॉकडाउन हटाने को लेकर सुझाव मांगे थे, जिससे गरीब और प्रवासी श्रमिकों की परेशानी खत्म हो सके। सरकार चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खत्म करना चाहती है। केंद्र सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि केंद्र उन जगहों से प्रतिबंध हटाने को तैयार है, जहां कोविड -19 के मामले नहीं आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कई सचिवों के साथ ही नीति आयोग के शीर्ष अधिकारियों का मानना है कि 15 अप्रैल के बाद भी पूर्ण रूप से लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान होगा। वे उन क्षेत्रों में प्रतिबंध खत्म करने के पक्ष में हैं जो ‘रेड जोन’ नहीं हैं।

बता दें कि मौजूदा लॉकडाउन की अवधि 21 दिन की है जो 14 अप्रैल की मध्य रात्रि खत्म हो जाएगी। इससे पहले कई राज्यों ने अपनी चिंता जाहिर की है। बुधवार सुबह 9 बजे स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार देश भर में 5194 मामले दर्ज किये गये जिसमें से 4643 केस एक्टिव हैं और 401 मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज किये जा चुके हैं। वहीं 149 लोगों की मौत हो चुकी है साथ ही 1 मरीज विदेश शिफ्ट हो चुका है।

बता दें Covid19 से निपटने के लिए गठित मंत्रियों के समूह (GoM) ने 15 मई तक सभी शैक्षणिक संस्थाओं को बंद रखने और लोगों की सहभागिता वाली सभी धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाने की सिफारिश की है। मंत्री समूह का कहना है कि सरकार चाहे 21 दिनों के लॉकडाउन (Lockdown In India) को आगे बढ़ाये या नहीं, लेकिन शैक्षणिक तथा धार्मिक गतिविधियों पर 15 मई तक रोक लगानी चाहिए। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। हालांकि देश के कुछ राज्यों ने लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत दिए हैं, लेकिन इसपर अभी फैसला नहीं लिया गया है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़ लॉकडाउन बढ़ाने के पक्ष में है. महाराष्ट्र ने भी लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत दिए हैं, पर कैबिनेट की बैठक में इसपर कोई ठोस फैसला नही हुआ.

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लॉकडाउन बढ़ाने का संकेत देते हुए कहा, ‘हमारे लिए जनता की जिंदगी महत्वपूर्ण है. इसलिए #Lockdown और सह लेंगे, अर्थव्यवस्था बाद में भी खड़ी कर लेंगे, लेकिन लोगों की जिंदगी चली गई तो वापस कैसे ले आयेंगे? इसलिए अगर जरूरत पड़ी तो लॉकडाउन को आगे भी बढ़ायेंगे. परिस्थितियां देखकर फैसला करेंगे.’

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश सरकार ने भी लॉकडाउन बढ़ाए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया है. ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, ‘संवेदनशीलता बढ़ने के कारण 14 अप्रैल के बाद भी लॉकडाउन खुल पाएगा या नहीं, यह अभी कहा नहीं जा सकता है. इस पर कुछ भी कहना, अभी संभव नहीं होगा, क्योंकि लॉकडाउन से जितनी भी व्यवस्था बनाकर केसों को नियंत्रित किया गया है, अगर 1 भी केस प्रदेश में रह जाता है तो लॉकडाउन को खोलना उचित नहीं होगा. लॉकडाउन खुलने से पुनः वही स्थिति आ सकती है.’

तेलंगाना

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा है, ‘जून के पहले सप्ताह तक बढ़ाएं लॉकडाउन, वरना कंट्रोल संभव नहीं. तत्काल सभी सीएम से बात करके लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर फैसला करना चाहिए.’ 

पुडुचेरी

पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणस्वामी ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में यदि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की अवधि 14 अप्रैल से आगे बढ़ाया तो उनकी सरकार केंद्र सरकार के इस फैसले का समर्थन करेगी.

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने पीएम मोदी से अपील करते हुए लिखा है कि यदि 14 अप्रैल से अंतर्राज्यीय आवागमन प्रारंभ किया जाता है तो उसके पहले कोविड-19 का प्रसार रोकने के ठोस उपाय सुनिश्चित किए जाने चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि लॉक डाउन समाप्त होने से पहले इस संबंध में व्यापक विचार विमर्श होना चाहिए.

हरियाणा

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ‘हम केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्दशों का पालन करेंगे. जैसा हम देख रहे हैं कि कोरोना वायरस की बीमारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, ऐसे में यह अभी कुछ भी कह पाना संभव नहीं है कि हम लॉकडाउन खत्म करेंगे या आगे बढ़ाएंगे.’

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र सरकार ने भी इस बात के संकेत दिए हैं कि राज्य में लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जा सकती है, हालांकि अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है. महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में लोकडाउन को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं हो सका. सरकार आनेवाले दिनों में स्थिति का जायझा लेकर कोई भी फैसला करेगी. कैबिनेट बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि अगर पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ी तो राज्य में लॉकडाउन रखा जाएगा.’

राजस्थान

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, ‘राज्य में एक साथ लॉकडाउन नहीं खुलेगा. राजस्थान में 40 जगहों पर कर्फ्यू है. जो भी होगा वो फेज वाइज होगा. इस मुद्दे पर जो भी फैसला लिया जाएगा, वो चर्चा के बाद ही लिया जाएगा.’

दिल्ली

ऐसी खबरें हैं कि दिल्ली में लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई जा सकती है, हालांकि आधिकारिक तौर पर इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा गया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अनुसार, ‘कोरोना को अकेले कोई ठीक नहीं कर सकता है. आज सारी सरकारें टीम की तरह काम कर रही हैं. राजनीति से ऊपर उठकर काम कर रही हैं. सारी राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा.’

सूत्रों ने बताया कि सरकार का सोचना है कि इससे स्कूल और कालेज एक तरह से गर्मियों की छुट्टियों को मिलाकर जून के अंत तक बंद रहेंगे। गर्मियों की छुट्टी आम तौर पर मई के मध्य से शुरू हो जाती हैं। जीओएम ने सिफारिश की है कि सभी धार्मिक संगठनों को कोरोना वायरस को रोकने के एहतियाती कदम के तहत 15 मई तक गतिविधियां शुरू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। जीओएम का गठन देश में कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति की समीक्षा करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुझाव देने के लिए किया गया है।

PU-CET (U.G.)-2020 will held on 16th May 2020 instead of 26th April 2020 for admission to B.Pharmacy and B.Sc. Hons.

Chandigarh April 5, 2020

Due to COVID-19 pandemic in the country, the Panjab University, Chandigarh has rescheduled the date of entrance test for PU-CET (U.G.)-2020 as 16th May 2020 instead of 26th April 2020 for admission to B.Pharmacy and B.Sc. (Hons. School), informed Prof Parvinder Singh, Controller of Examinations.

He added that the last date for submission of information on the website to generate the Bank challan has also been extended from 10th April 2020 to 4th May 2020. The candidates can also pay their fee through Net Banking / Debit Card/ Credit Card. After successful online payment, candidate will be able to complete his/her form immediately. Detailed revised schedule is also available on the website. To apply, please visit the website https://cetug.puchd.ac.in

NTA NEET 2020 परीक्षा स्थगित

NTA NEET 2020: इंजीनियरिंग के लिए होने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) टलने के बाद अब एमबीबीएस में प्रवेश के लिए होने वाली राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) को भी टाल दिया गया है। यह परीक्षा 3 मई को होने वाली थी। 27 मार्च को नीट के एडमिट कार्ड जारी होने वाले थे लेकिन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने प्रवेश पत्र जारी करने पर रोक लगा दी थी। अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन की स्थिति के चलते नीट और जेईई मेन दोनों प्रवेश परीक्षाओं को मई के अंतिम सप्ताह तक स्थगित कर दिया है। एनटीए ने नोटिस जारी कर कहा है कि NEET के एडमिट कार्ड ( NEET Admit Card 2020 ) अब स्थिति की समीक्षा करने पर 15 अप्रैल के बाद ही जारी किए जाएंगे। NTA इससे पहले इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम जेईई मेंस को भी स्थगित कर चुका है। JEE Main 2020 एग्जाम का आयोजन 5 से 11 अप्रैल, 2020 के बीच होना था। 

मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कर कहा, ‘परीक्षा के दौरान स्टूडेंट्स और पेरेंट्स को विभिन्न जगहों पर स्थित परीक्षा केंद्रों तक यात्रा करनी पड़ेगी। किसी तरह की असुविधा से बचने के लिए मैंने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को NEET (UG) 2020 और JEE Main 2020 मई के अंतिम सप्ताह तक टालने का निर्देश दिया है।’ 

NTA की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है, ‘कोरोना वायरस महामारी के कारण स्टूडेंट्स और पेरेंट्स को आ रही दिक्कतों के मद्देनजर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने 3 मई 2020 को होने जारी रही नीट (यूजी) परीक्षा 2020 स्थगित कर दी है। फिलहाल नीट परीक्षा का आयोजन अब मई के अंतिम सप्ताह में प्रस्तावित किया गया है। हालात की समीक्षा करने के बाद तय तिथि की घोषणा की जाएगी। जो एडमिट कार्ड पहले 27 मार्च को जारी होने वाले थे, वह अब स्थिति की समीक्षा करने के बाद 15 अप्रैल के बाद जारी होंगे।’

एनटीए ने कहा, ‘हम यह बात भली भांति समझते हैं कि ऐकेडमिक कैलेंडर और शेड्यूल जरूरी होता है लेकिन यह भी जरूरी है कि विद्यार्थी समेत देश के सभी नागरिक स्वस्थ रहें। हमें उम्मीद है कि पेरेंट्स और स्टूडेंट्स परीक्षा की चिंता नहीं करेंगे। पेरेंट्स से आग्रह है कि वह यह सुनिश्चित करें कि स्टूडेंट्स इस समय का इस्तेमाल परीक्षा की तैयारी में करें। स्टूडेंट्स इस समय में जटिल विषयों पर फोकस करके अपनी तैयारी को और मजबूत बनाएं। स्टूडेंट्स आगे की अपडेट्स के लिए आधिकारिक वेबसाइट्स ntaneet.nic.in nta.ac.in से जुड़े रहें।’

पिछले कुछ दिनों से मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम नीट के अभ्यर्थी परीक्षा तिथि और आगे के शेड्यूल को लेकर काफी कंफ्यूज थे। कोरोना वायरस के संक्रमण व लॉकडाउन के मद्देनजर जेईई मेन समेत कई एंट्रेंस एग्जाम व सरकारी नौकरी की प्रतियोगी परीक्षाएं स्थगित हो चुकी हैं। सीबीएसई, राजस्थान, एमपी बोर्ड, आईसीएससी समेत कई बोर्डों को अपना संशोधित शेड्यल जारी शेष परीक्षाएं करवानी हैं। 

देश भर के मेडिकल कॉलेजों में चलाए जा रहे एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेस में इसी प्रवेश परीक्षा के जरिए दाखिला होता है। नीट (यूजी) परीक्षा-2020 अंग्रेजी और हिंदी सहित 11 भाषाओं में आयोजित की जाएगी। 

शैक्षणिक वर्ष 2020 से,  AIIMS और JIPMER (जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) सहित सभी मेडिकल कॉलेजों / संस्थानों में MBBS व BDS कोर्सेज में प्रवेश के लिए NEET अनिवार्य हो गया है। पहले AIIMS और JIPMER के MBBS और BDS कोर्सेज में प्रवेश के लिए अलग-अलग प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती थी, लेकिन 2020 से यहां भी NEET (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) के जरिए ही दाखिला होगा। 

नीट यूजी 2020 की परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर देशभर के मेडिकल कालेजों में चलाए जा रहे एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सों में एडमिशन मिलेगा। 

शिक्षकों के प्रति असंवेदनशील है खट्टर सरकार

सारिका तिवारी, पंचकूला 19 मार्च:

पिछले 6 साल से अपनी अपनी नियुक्ति की बाट जोह रहे पीजीटी संस्कृत शिक्षक अपनी मांग को लेकर पिछले 5 दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं लेकिन प्रदेश सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। एक और कोरोना वायरस की दहशत की वजह से सभी शिक्षण संस्थान ,मॉल ,रेस्टोरेंट बंद कर दिए गए हैं दूसरी ओर अपनी मांगों को लेकर अपने घर से दूर अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ आमरण अनशन पर बैठे शिक्षकों में महिलाएं भी हैं जिनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ती जा रही हैं। अगर सरकार ने समय रहते इस पर ध्यान ना दिया तो परिस्थिति बद से बदतर हो सकती है। मौजूदा हालात में सरकार एक ऒर एक जगह पर लोगों के इकट्ठा होने पर सरकार पाबंदी लगा रही है तो दूसरी और इन हड़ताली अभ्यार्थियों के प्रति संवेदनहीनता सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन कर खड़ी हो सकती है।

रोहतक से आए अभ्यार्थी विनोद कुमार ने सरकार की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा एक तरफ संसद में 3 केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने के लिए विधेयक लाया गया है दूसरी ओर राज्य सरकार का संस्कृत के प्रति रवैया इस सरकार का दोगलापन दर्शाता है। वर्ष 2015 से शुरू हुई नियुक्ति प्रक्रिया का परीक्षा परिणाम1 जनवरी 2019 को घोषित किया गया जिसमें 523 विद्या अभ्यार्थी चयनित किए गए लेकिन अभी तक उन्हें ज्वाइन नहीं करवाया गया। आपको बता दें इन 523 चयनित अभ्यर्थियों में 400 महिला पीजीटी है जिन्हें अपने अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है जोकि सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को मुंह चढ़ा रहा है।