विश्वविद्यालय टीम द्वारा 40 से अधिक गांवों में किया गया सर्वें

हकृवि द्वारा गुलाबी सुंडी की रोकथाम को लेकर किए जा रहे हर संभव प्रयास: प्रो.बी.आर. काम्बोज

पवन सैनी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, हिसार, 23   जुलाई :

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में गुलाबी सुंडी, सफेद मक्खी, उखेड़ा तथा जड़ गलन आदि अनेक कीटों और रोगों की समस्या के निवारण हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में कृषि विभाग के अधिकारियों एवं फील्ड स्टाफ को नवीन एवं स्टीक वैज्ञानिक तरीकों से अवगत करवाया गया। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज मुख्यातिथि रहे।
प्रो. काम्बोज ने  कार्यशाला को संबोधित करते हुए बताया कि  आने वाले दो महीने कपास की फसल की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि गुलाबी सुंडी के प्रकोप को लेकर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारी सजगता से अपना कार्य कर रहे हैं। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय की टीम द्वारा जिले के 40 से अधिक गांवों में सर्वे किया जा चुका है।

किसानों को विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा की जाने वाली सिफारिशों के अनुसार कपास की फसल में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों को प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कपास फसल में आने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों की रोकथाम को लेकर पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के कृषि विश्वविद्यालय आपसी तालमेल के साथ सजगता से अपना कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कपास उत्पादन को बढ़ाने और कीट एवं रोग मुक्त करने के लिए विश्वविद्यालय, प्रदेश का कृषि विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, केन्द्रीय कपास शोध संस्थान, (सीआईसीआर, सिरसा) और कपास से जुड़ी कंपनियों को संयुक्त रूप से एकजुट होकर कार्य करना होगा।

कपास अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. करमल सिंह मलिक ने कार्यशाला में आए हुए सभी अधिकारियों का स्वागत किया और कपास फसल में सस्य क्रियाओं की विस्तार से जानकारी दी। संयुक्त निदेशक कृषि (कपास) डॉ. आरपी सिहाग ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा चलाई जा रही कपास से जुड़ी परियोजनाओं के बारे में बताया। कार्यक्रम में अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ. जीएस दहिया, केन्द्रीय कपास शोध संस्थान, सिरसा से प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एसके वर्मा, डॉ. अनिल कुमार सैनी तथा डॉ. अनिल ने कपास से जुड़े रोगों एवं उनके नियंत्रण के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शुभम लाम्बा ने किया। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कपास फसल के लिए कीट संबंधी महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं।

कीट प्रबंधन संबंधी सलाह:

नरमा फसल में गुलाबी सुंडी की निगरानी हेतु दो फेरोमॉन ट्रेप प्रति एकड़ लगाएं या साप्ताहिक अंतराल पर कम से कम 150-200 फूलों का निरीक्षण करें। टिण्डे बनने की अवस्था में 20 टिण्डे प्रति एकड़ के हिसाब से तोडक़र, उन्हें फाडक़र गुलाबी सुण्डी हेतु निरीक्षण करें। 12-15 गुलाबी सुण्डी प्रौढ प्रति ट्रेप तीन रातों में या पांच से दस प्रतिशत फूल या टिण्डा ग्रसित मिलने पर कीटनाशकों को प्रयोग करें। कीटनाशकों में प्रोफेनोफॉस  50 ईसी की 3 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी या क्यूनालफॉस  25 ईसी की 3 से 4 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें। सफेद मक्खी एवं हरा तेला का प्रकोप होने पर फलोनिकामिड 50 डब्ल्यूजी 60 ग्राम या एफिडोपायरोप्रेन 50 जी/एल की 400 मिली मात्रा प्रति एकड़ का छिडक़ाव करें।

बीमारी संबंधी परामर्श:

जड़ गलन के प्रबंधन के लिए कार्बन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी को पौधों की जड़ों में डालें। टिण्डा गलन के प्रबंधन के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइड की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से छिडक़ाव करें।

महत्वपूर्ण सस्य क्रियाएं:

बरसात के बाद पानी की निकासी का प्रबंध करें। पहले खाद नहीं डाली है तो अब निराई गुडाई के साथ एक बैग प्रति एकड़ की बीजाई करें। अगर डीएपी पहले डाल चुके हैं तो आधा कट्टा यूरिया प्रति एकड़ डालें।

इस अवसर पर मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. अतुल ढींगड़ा, डॉ. शिवराज पुंडीर, डॉ. संदीप, डॉ. सोमवीर निम्बल, डॉ. मिनाक्षी जाटाण, डॉ. शिवानी मन्धानिया, डॉ. दीपक कम्बोज उपस्थित रहे।

युवा प्रतिभाओं को तैयार करने की दिशा में एक शानदार कदम

ब्लैकलिस्टेड एजेंसी ने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू किया

डेमोक्रेटिक फ्रंट, मोहाली –  22   जुलाई :

मोहाली की क्रिएटिव ब्रांडिंग एजेंसी – ब्लैकलिस्टेड.एजेंसी Blacklisted.Agency और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) के स्कूल ऑफ डिजाइन ने एलपीयू स्टूडेंट्स और फैकल्टी को इनवेल्युएबल रियल-वर्ल्ड नॉलेज और अनुभव प्रदान करने के लिए एक एमओयू किया है। इस महत्वपूर्ण सहभागिता का उद्देश्य लेक्चर्स, हैड्स-ऑन सेशंस, प्रेक्टिकल प्रोजेक्ट्स और इंडस्ट्री विजिट्स की एक पूरी सीरीज के माध्यम से यंग टैलेंट को तैयार करना है।

मोहित शर्मा, फाउंडर और सीईओ, ब्लैकलिस्टेड.एजेंसी ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि यह सहभागिता स्टूडेंट्स को प्रभावशाली और चुनौतीपूर्ण प्रोफेशनल माहौल से रूबरू कराएगी, जिससे आने वाले समय में उनको अपने करियर के लिए अपने को बेहतर ढंग से तैयार करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा, यह शुरुआती फेज से ही युवा प्रतिभाओं को डेवलप करने और भविष्य के लिए तैयार करने में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की मदद करेगा।

एलपीयू के स्टूडेंटस  और टीचर्स एक्सपर्ट्स के  लीडरशिप  सेशंस के माध्यम से नए नए इंडस्ट्री एडवांसमेंट्स पर रेगुलर अपडेट से लाभान्वित होंगे। ये प्रेक्टिकल अनुभव मोहाली में प्रमुख क्रिएटिव ब्रांडिंग एजेंसी द्वारा मैनेज्ड प्रोजेक्ट्स के लाइफ साइकिल को प्रदर्शित करेंगे।

ब्लैकलिस्टेड.एजेंसी के ऑफिसिज में जाकर, स्टूडेंट्स को डिजिटल मार्केटिंग और वेबसाइट डेवलपमेंट प्रोसीजर्स के बारे में जानकारी मिलेगी। यह अनुभव उनके जॉब स्किल को डेवलप करने और स्ट्रक्चर्ड ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के माध्यम से उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होंगे  ।

एक क्रिएटिव एजेंसी के रूप में, ब्लैकलिस्टेड.एजेंसी नए आंत्रप्रेन्योर्स को इंडस्ट्री में सफल होने के लिए जरूरी टूल्स और विशेषज्ञता से लैस करने के लिए प्रतिबद्ध है, साथ ही उन्हें अपनी एक अलग पहचान और रिकॉग्निशन प्राप्त करने के अवसर भी प्रदान करती है। इस सहभागिता में एजुकेशनल फ्रेमवर्क में बेस्ट इंडस्ट्री प्रेक्टिसेज को इंटीग्रेट करने के लिए एक ट्रेनिंग एकेडमी की स्थापना शामिल है।

मोहित शर्मा ने इंडस्ट्री लीडर्स द्वारा नई नई तकनीकों और बाजार के रुझानों के बारे में प्रैक्टिकल नॉलेज शेयर करने के महत्व पर भी जोर दिया। यह सहभागिता स्टूडेंट्स को विभिन्न प्रोफेशनल भूमिकाओं के लिए आवश्यक स्किल्स से लैस करेगा, जिससे वे जिस भी संगठन में शामिल होंगे, उसकी सफलता में योगदान देंगे।

इस सहभागिता का प्राथमिक उद्देश्य स्टूडेंट्स को उनके चुने हुए क्षेत्रों में जरूरी स्किल्स, नॉलेज और अनुभव प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करके उन्हें बिजनेस वर्ल्ड के लिए तैयार करना है, जिससे आखिरकार उन्हें सफल आईटी करियर बनाने में सहायता मिलेगी।

शर्मा ने कहा कि ब्लैकलिस्टेड.एजेंसी और एलपीयू के बीच हुए एमओयू स्टूडेंट्स के एजुकेशनल अनुभवों को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य स्टूडेंट्स में अपनी  क्षमताओं में आत्मविश्वास पैदा करना और उन्हें अपने भविष्य के करियर में एक्सीलेंस प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाना है।

इस एमओयू के माध्यम से, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी और ब्लैकलिस्टेड.एजेंसी स्टूडेंट्स को अलग अलग बिजनेस अवसरों से परिचित कराकर और डिजिटल मार्केटिंग और वेबसाइट डेवलपमेंट में व्यावहारिक अनुभव और चुनौतियां प्रदान करके एजुकेशन सेक्टर को बदलने की इच्छा रखते हैं।

“UILS Induction Programme 2024-25 : Day two

Koral ‘Purnoor’, Demokratic Front, Panchkula – July :

The University Institute of Legal Studies (UILS) continued its Induction Programme for the academic year 2024-25 on Day two, held at the Moot Court Hall of UILS.

Prof. Shruti Bedi,  highly esteemed director UILS delivered her opening speech about “Career in Law” and ensured the weightage of pursuing a career in law and the many more opportunities available to law graduates.

It was successfully followed by a diligent speaker of the morning session Prof. Chanchal Narang discussed with first year students the “Importance of Language for Legal Profession” from  highlighting the crucial role of language and communication skills in the legal profession.

Thereafter, Prof. Sarabjit Kaur addressed the students regarding “Transition from School to University: An Insight” from offering valuable advice on adapting to university life.

Valuable insights into India’s history and culture, shared by Prof. Meenu Sahajpal under the title “India: The Story and the Reality.”

In the second half of the event , Dr. Sunil Panghal delivered a special lecture on “STD: An Overview” covering the basics of STD and its significance in the legal context too.

Subsequently Prof. Harsh Gandhar explored the “Relevance of Economics Discipline for Law Students”  highlighting the intersection of Economics and law.

After a short break, Prof. Jai Mala Narotra showcased her extensive knowledge on “Social Media and Legal Education: An Overview” examining the impact of social media on legal education.

The session was concluded with an enlightening oration by Prof. Karan Jawanda spoke on the “Importance and Role of Legal Aid Clinics in Law Schools” , emphasizing practical legal training and the role of legal aid clinics.

The students actively participated in the question answer round. The faculty members provided valuable insights and guidance, setting a constructive tone for a successful academic year 2024.”

कुलपति ने ए प्लस ग्रेड मिलने पर विश्वविद्यालय परिवार को दी बधाई

हकृवि को पहली बार मिला ए प्लस ग्रेड, मूल्यांकन के बाद नैब टीम ने घोषित किया परिणाम

पवन सैनी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, हिसार, जुलाई :

चौधरी चरण ङ्क्षसह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कृषि शिक्षा प्रत्यायन बोर्ड (नैब) की ओर से ए प्लस ग्रेड दिया गया है। इससे पूर्व विश्वविद्यालय लगातार ‘ए’ ग्रेड हासिल कर रहा था। अब विश्वविद्यालय का ओवरऑल ग्रेड ए प्लस हो गया है। ज्ञात रहे कि ए प्लस ही नैब की सर्वश्रेष्ठ ग्रेडिंग होती है। एचएयू के विभिन्न महाविद्यालयों एवं उनमें चल रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों को भी पांच साल की मान्यता प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त कृषि महाविद्यालय, बावल को भी पहली बार मान्यता प्रदान की गई है। विश्वविद्यालय ने ग्रेडिंग के 4.00 में से 3.52 अंक प्राप्त कर यह कामयाबी हासिल की है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बताया कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी लगातार अपनी पहचान मजबूत कर रहा है। नैब की ओर से ए प्लस ग्रेड मिलना बेहद खुशी की बात है। विश्वविद्यालय का यह आंकलन गुणात्मक व मात्रात्मक मीट्रिक पर आधारित है। इस टीम में शामिल वरिष्ठ शिक्षाविदों ने शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों, अभिभावकों, पूर्व विद्यार्थियों, के साथ मुलाकात की और महाविद्यालयों, हॉस्टलों, खेल, स्वास्थ्य सहित विभिन्न आधारभूत सुविधाओं का निरीक्षण करने के उपरांत गुणात्मक घटकों का आकलन किया। विश्वविद्यालय को ए प्लस ग्रेड के साथ  पांच वर्ष यानि 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2028 के लिए आईसीएआर ने मान्यता प्रदान की है। एचएयू के अंतर्गत आने वाले महाविद्यालयों में विभिन्न विषयों से संबंधित कोर्सेज कराए जाते हैं जिनमें यूजी के 7, पीजी के 47 व पीएचडी के 42 कोर्सेज शामिल हैं।

यहां उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्तर पर चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को कृषि उत्पादकता में वृद्धि तथा ग्रामीण समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान के लिए वर्ष 2019 में प्रतिष्ठित कृषि शिक्षा सम्मान अवार्ड प्रदान किया गया था। विश्वविद्यालय के एग्री बिजनेस इंक्युबेशन सेंटर(एबिक) को राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2021 में बेस्ट इंक्युबेशन सेंटर का अवार्ड मिला। विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्र, महेन्द्रगढ़ को वर्ष 2022 में राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र पुरस्कार से नवाजा गया है। वर्ष 2023 में विश्वविद्यालय को सरसों अनुसंधान एवं विकास कार्यों में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए सर्वश्रेष्ठ केन्द्र अवार्ड, हकृवि के चारा व बाजरा अनुभाग को दूसरी बार राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केन्द्र अवार्ड से नवाजा जा चुका है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पदमश्री पुरुस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है जोकि विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है। इसके अतिरिक्त भी इस विश्वविद्यालय ने अब तक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई अन्य पुरस्कार प्राप्त किए हैं। बीते वर्ष विश्वविद्यालय का 25वां दीक्षांत समारोह सफलतापूर्वक आयोजित किया गया जिसमें भारत की माननीय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु जी ने मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित रही। इसके अतिरिक्त तीन दिवसीय कृषि विकास मेले में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित रहे।

विश्वविद्यालय द्वारा एक ई-ट्रैक्टर बनाया गया है जो परिचालन लागत को कम करने के लिए और हरित ऊर्जा उपयोग की दिशा में उठाएं गए कदम को दर्शाता है। गोकलपुरा गांव में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा 63 एकड़ भूमि पर पोषक अनाज अनुसंधान केन्द्र स्थापित किया गया। यह केन्द्र बरानी क्षेत्रों के किसानों के लिए मोटे अनाज की फसलों की उन्नत प्रौद्योगिकी विकसित करके वरदान साबित हो रहा है।

अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ कृषि, उद्योग और पर्यावरण में जैव प्रौद्योगिकी की क्षमता को महसूस करना जिसमें मार्कर सहायता प्राप्त चयन, जलवायु लचीलापन, आणविक प्रजनन, पौधों में लिंग पहचान, कृषि संबंधी महत्वपूर्ण लक्षणों का लक्षण वर्णन, बाजार-संचालित उत्पाद आदि के शोध कार्यों को ध्यान में रखते हुए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने जैव प्रौद्योगिकी कॉलेज (कॉलेज ऑफ बायोटेक्नोलोजी)की स्थापना की। मत्स्य पालन भी संतुलित कृषि प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। विश्वविद्यालय ने इस क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाते हुए मत्स्य पालन में आधुनिक तकनीकों और प्रबंधन प्रथाओं से लैस प्रशिक्षित स्नातक तैयार करने के लिए मत्स्य विज्ञान कॉलेज की स्थापना की है।

विश्वविद्यालय में कृषि विज्ञान एवं हरियाणवी संस्कृति को संजोए हुए डॉ. मंगलसेन कृषि संग्रहालय स्थापित किया है। जिसमें हरियाणवी संस्कृति से जुड़ी दुर्लभ एवं प्राचीन कलाकृतियां  एवं कृषि क्षेत्र से संबंधित उपकरण शामिल हैं। खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने  तथा खिलाडिय़ों को एक ही छत के नीचे सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए मल्टीपर्पज हॉल व कॉम्बैट हॉल बनाया गया है। इसके अलावा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएँ उपलब्ध करवा रहा है जैसे की सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक, लॉन टेनिस सिंथेटिक ट्रैक, इत्यादि जिसके इस्तेमाल से हमारे खिलाड़ी देश-विदेश में अपना नाम कमा रहें है।

विश्वविद्यालय में स्पीड ब्रीडिंग और माइक्रोमेटेरोलॉजी लैब की स्थापना की गई है जिससे फसलों की नई किस्म को जारी करने के लिए 3 से 4 साल का समय लगेगा जोकि पहले 10 से 12 वर्ष लगता था। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय ने गत वर्षों में विभिन्न फसलों की 44 किस्में विकसित की हैं एचएयू प्रदेश के 6 लाख किसानों से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है व उनको दैनिक आधार पर मौसम की स्टीक जानकारी उपलब्ध करवा रहा है। विश्वविद्यालय के 7 कृषि विज्ञान केंद्रों पर स्थित सामुदायिक रेडियो स्टेशन के माध्यम से किसानों तक खेतीबाड़ी की तकनीकी जानकारी पहुंचा रहा है।  

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज के अनुसार एबिक सेंटर के माध्यम से युवा, किसान व उद्यमी मार्केटिंग, नेटवर्किंग, लाईसेंसिंग, ट्रैडमार्क व पेटेंट, तकनीकी व फंडिग से संबंधित प्रशिक्षण लेकर पिछले 5 सालों में 65 स्टार्टअप्स स्थापित हो चुके हैं जिनके लिए 7 करोड़ की राशि स्वीकृत की जा चुकी है। कुलपति ने बताया कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। यही वजह है कि न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी विश्वविद्यालय अपनी पहचान बनाए हुए है। गत वर्षों में विश्वविद्यालय द्वारा 142 विद्यार्थी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए भेजे हैं। उन्होंने बताया कि न केवल यहां के विद्यार्थी विदेशों में पढ़ाई के लिए जाते हैं बल्कि विदेशी छात्र भी पढ़ाई के लिए यहां आते हैं।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि यह विश्वविद्यालय शिक्षण, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा की अपनी अनिवार्य गतिविधियों में उच्च मानकों को दिन-प्रतिदिन बढ़ा रहा है। हकृवि ने गत वर्षों में उल्लेखीय उपलब्धि प्राप्त करते हुए 6 पेटेंट, 11 कॉपीराइट व 11 डिजाइन सहित कुल 28 बौद्धिक संपदा अधिकार प्राप्त किए। प्रदेश में उन्नत बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय लगातार विभिन्न फसलों का उन्नत बीज पैदा कर रहा है जोकि राज्य के विभिन्न निगमों व किसानों को वितरित किया जाता है। शोध कार्यक्रमों को कृषि की बदलती परिस्थितियों के अनुसार बढ़ावा देने तथा कृषि की लाभकारी तकनीकों के व्यावसायीकरण के लिए राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुल 580 द्विपक्षीय समझौते किए गए हैं।

यह ए+ग्रेड सभी कर्मचारियों की मेहनत का परिणाम:कुलपति

कुलपति ने कहा कि यह ए+ ग्रेड हरियाणा राज्य तथा विश्वविद्यालय के शिक्षक, गैरशिक्षक कर्मचारियों तथा विद्यार्थियों की प्रतिभा व किसानों की मेहनत का परिणाम है। यह सभी के लिए गर्व और हर्ष का विषय है। यह ए+ ग्रेड विश्वविद्यालय को कठोर मूल्यांकन का पालन करके पाठ्यक्रम, अनुसंधान, बुनियादी ढांचे, सीखने के संसाधनों, मूल्यांकन, नवाचार जैसे विभिन्न मापदंडों के आधार पर प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा यह विश्वविद्यालय किसानों को समर्पित है इसलिए भविष्य में भी यह नवीन कृषि प्रौद्योगिकी विकास के द्वारा किसानों के कल्याण के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहेगा।

एचएयू में प्रवेश परीक्षा की सभी तैयारियां पूरी

  • एचएयू में प्रवेश परीक्षा की सभी तैयारियां पूरी, 30 जून  को होगी परीक्षा
  • परीक्षाओं के लिए प्रवेश पत्र विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर कर दिए गए हैं अपलोड

पवन सैनी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, हिसार, 27 जून :

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के बीएससी ऑनर्स एग्रीकल्चर चार वर्षीय कोर्स, बीएससी आनर्स एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट, बीटेक बायोटेक्नोलॉजी, मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय में बायो-केमिस्ट्री, केमिस्ट्री, इनवायरमेंटल साइंस, फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मैथेमेटिक्स, माइक्रो-बायोलॉजी, फिजिक्स, प्लांट फिजियोलोजी, सोसयोलोजी, स्टेटिसटिक्स व जूलॉजी कोर्स, कॉलेज आफ बायो-टेक्नोलॉजी में एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी, बायोइंफोरमेटिक्स व मोलेक्यूलर बायोलॉजी एंड बायो-टेक्नोलॉजी में एम.एस.सी कोर्सिज के लिए 30 जून को आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बताया कि उपरोक्त पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए  8491 उम्मीदवारों ने आवेदन किए हैं। उन्होंने बताया कि प्रवेश परीक्षा के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय सहित हिसार शहर में 18 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं ताकि परीक्षार्थियों को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। उन्होंने बताया कि परीक्षा संबंधी सभी तैयारियों को अंतिम रूप देते हुए परीक्षा केंद्रों पर परीक्षार्थियों के लिए बैठने से संबंधित अन्य समुचित व्यवस्था भी कर ली गई हंै। सभी परीक्षार्थियों को प्रवेश पत्र देखकर ही परीक्षा भवन में प्रवेश करने की अनुमति होगी।

कुलसचिव डॉ. बलवान सिंह मंडल के अनुसार प्रवेश परीक्षा में नकल करने तथा दूसरे के स्थान पर परीक्षा देने वालों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। इसके लिए विशेष निरीक्षण दलों का गठन किया गया है। प्रत्येक उम्मीदवार की फोटोग्राफी भी की जाएगी। उन्होंने बताया कि उम्मीदवारों को परीक्षा केन्द्र में मोबाइल फोन, कैलकूलेटर व इलैक्ट्रोनिक डायरी जैसे इलैक्ट्रोनिक उपकरण लेकर जाने की अनुमति नहीं होगी। इन उपकरणों को उन्हें परीक्षा केन्द्र के बाहर छोडऩा होगा, जिनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी उम्मीदवारों की ही होगी।

विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. पवन कुमार ने बताया कि उम्मीदवारों को अपना एडमिट कार्ड डाऊनलोड करके सत्यापित फोटो के साथ लाना होगा। बिना एडमिट कार्ड के वे परीक्षा केन्द्र में प्रवेश नहीं पा सकेंगे। उन्होंने बताया कि उपरोक्त प्रवेश परीक्षा का समय बीएससी चार वर्षीय पाठ्यक्रम, बीएससी आनर्स एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट व बीटेक बायोटेक्नोलॉजी के लिए प्रात: 10.00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक जबकि शेष पाठ्यक्रमों के लिए प्रात: 10:00 से दोपहर 12.30 बजे तक होगा परंतु उम्मीदवारों को परीक्षा आरंभ होने के एक घण्टा पूर्व (9.00 बजे तक) अपने परीक्षा केन्द्र पर पहुंचना होगा।

उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या के लिए उम्मीदवार विश्वविद्यालय के फ्लैचर भवन स्थित सहायक कुलसचिव (एकेडमिक) के कार्यालय में प्रात: 7.00 बजे से दोपहर 2.00 बजे तक आकर मिल सकते हैं अन्यथा कार्यालय के फोन नं. 01662-255254 पर संपर्क कर सकते हैं।  

आरटीआई कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाने पर सोच रहा पंजाब विश्वविद्यालय

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 09 अप्रैल :

व्हिसलब्लोअर इंजीनियर सतेंद्र दुबे की वर्ष 2003 में हुई हत्या के बाद, यहां एक तरफ भारत की सर्वोच्च अदालत केंद्र सरकार को लगातार व्हिसलब्लोअर सुरक्षा के निर्देश देती रही है, वहां दूसरी तरफ आलम यह है कि भारत सरकार से करोड़ों की ग्रांट लेने वाला चंडीगढ़ का पंजाब विश्वविद्यालय भ्रष्टाचारियों को बचाने तथा आरटीआई एक्टिविस्टों को दबाने के हथकंडे इजाद करता आ रहा है। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमे इस विश्वविद्यालय ने चंडीगढ़ के ही एक आरटीआई कार्यकर्ता डॉ राजेंद्र के सिंगला के यूनिवर्सिटी परिसर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करना शुरू कर दिया है। हालांकि एक सार्वजनिक संस्था होने के नाते डॉ सिंगला का भी परिसर में जाने का उतना ही हक है जितना एक आम व्यक्ति का, लेकिन लगता है कि दिन प्रतिदिन उजागर हो रहे घपले और घोटालों से परेशान पंजाब विश्वविद्यालय प्रशासन शायद इतना बौखला गया है कि उन्हें संविधानिक और असंवैधानिक का अंतर भी समझ नहीं आ रहा है।

मामले की शुरुआत होती है 25 नवंबर 2023 को, जब उस दिन हुई एक सिंडिकेट मीटिंग में सीनेटर वीरेंद्र सिंह ने कहा कि डॉ आर के सिंगला को नोटिस दिया जाए, क्योंकि वह यूनिवर्सिटी के अधिकारियों पर गलत दबाव डाल कर अपना काम निकलवाते हैं। आरटीआई का दुरुपयोग करके ब्लैकमेल करने के जो संकेत सीनेटर वीरेंद्र सिंह ने डॉ आर के सिंगला के खिलाफ दिए, उसका कोई भी पुख्ता सबूत या दस्तावेज उन्होंने सिंडिकेट सदस्यों के समक्ष नहीं रखा। मजबूरन, डॉ सिंगला को ही आरटीआई आवेदन डाल कर अब पीयू अधिकारियों से पूछना पड़ा है कि उन्हें वो सभी तथ्य और दस्तावेज मुहैया करवाए जाएं, जिनके आधार पर पंजाब यूनिवर्सिटी मीटिंग में इस विषय पर विचार विमर्श किया गया।

सीनेटर वीरेंद्र सिंह ने एक पूर्व कालेज प्रोफेसर तरुण घई की एंट्री बैन का तर्क देते हुए कहा है कि वो न ही अब इस विश्वविद्यालय के छात्र है, न अध्यापक और न ही उनका विश्वविद्यालय से कुछ लेनदेन है। यहां सवाल पैदा होता है कि क्या केवल छात्र, अध्यापक अथवा विश्वविद्यालय में कामकाज के लिए आए व्यक्ति ही यहां प्रवेश पा सकते हैं? दूसरी तरफ, डॉ सिंगला तो बतौर एक छात्र, अध्यापक, रिसर्चर तथा आरटीआई कार्यकर्ता पिछले 43 वर्षों से इस विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं, उनका प्रवेश वर्जित क्यों, ऐसे कोई भी कारण विश्वविद्यालय ने अब तक स्पष्ट नहीं किया हैं।

पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रेनू बिग ने मामले को कालेज डेवलपमेंट काउंसिल डीन प्रोफेसर संजय कौशिक को दर्ज करवाते हुए ऐसा कुछ भी स्पष्ट नहीं किया कि आखिर वह कौन से नियम हैं जिनके तहत किसी व्यक्ति का पंजाब विश्वविद्यालय में प्रवेश वर्जित किया जा सकता है, अथवा डॉ सिंगला की एंट्री से पंजाब विश्वविद्यालय को क्या खतरा है।

पिछले तीन दशकों में उच्च शिक्षा से जुड़े भ्रष्टाचार के ऐसे अनेक मामले थे, जिन्हे डॉ सिंगला ने लगातार उजागर करते आ रहे हैं। पंजाब विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली का शायद ही कोई ऐसा पहलू बचा हो, जिसमें हो रहे घपले घोटालों का उन्होंने पर्दाफाश न किया हो। वर्ष 2005 में देश में सूचना का अधिकार कानून लागू होने से अब तक 1675 आरटीआई आवेदन डाल कर उनके द्वारा अनावृत किए गए घोटालों में से कई लगातार समाचार पत्रों की सुर्खियां बनते रहे। बिना एफिलिएशन और एनसीटीई मान्यता के 23 छात्रों को बीपीडी की डिग्रियां बांटना, पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर अरुण कुमार ग्रोवर की पत्नी डॉक्टर नीरा ग्रोवर की बैकडोर म्यूजिक प्रोफेसर की नियुक्ति, कॉलेज प्रिंसिपल और यूनिवर्सिटी के सीनेटर डा बीसी जोसन की बेटी मनदीप जोसन की फर्जी पीएचडी के आधार पर हुई असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति को प्रोफेसर अरुण ग्रोवर द्वारा दी गई गैरकानूनी मंजूरी, यूजीसी नियमो को ताक पर रख कर चहेतों को पदोन्नति देकर सरकारी खजाने को पहुंचाया गया वित्तीय नुकसान, यूनिवर्सिटी स्टोर से सीमेंट चोरी में पकड़े गए तत्कालीन एसडीओ आर के राय के खिलाफ आई सदानंद इंक्वायरी रिपोर्ट को गायब करके उन्हें एक्सईएन के पद पर पद्दोनत करना, रजिस्ट्रार, कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन, डीन कालेज डेवलपमेंट काउंसिल जैसे प्रशासनिक पदों को भरने से पहले नियमो को चहेतों के अनुसार बदलना, यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल की प्रोफेसर मीना शर्मा के बेटे गर्वित शर्मा को बिना योग्यता एमबीए में दाखिला देना, सिलेक्शन पदों को योग्यता के आधार पर भरने की जगह चहेतों को इन पदों पर ऑफिसिएटिंग रास्ते से लगाना, एमबीए पेपर सेटिंग में भी सेटिंग करना, छात्रों के एम्लगामेटेड फंड से ट्यूबवेल लगवा देना, तथा सूचना अधिकार अधिनियम की धाराएं 8 और 9 से छेड़छाड़ करके अपनी ही 48 आइटम्स की एक लिस्ट बना कर लंबे समय एक सूचनाएं छिपाना, इतियादी ऐसे अनेक मामले थे जो डॉ. सिंगला द्वारा आरटीआई कानून की मदद से किए गए प्रयासों की बदौलत ही जनतक हो सके।

करदाताओं के पैसे से चले संस्थानों के भ्रष्टाचार को उजागर करने वालों का प्रवेश अगर ऐसे ही उन संस्थानों में वर्जित होने लगा, तो सूचना के अधिकार से आने वाली पारदर्शिता, जवाबदेही और अच्छे प्रशासन की जो उम्मीदें बची थी, वो भी खतम हो जायेंगी। भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने के लिए आरटीआई की उड़ाई जा रही धज्जियां और डा सिंगला जैसे आरटीआई एक्टिविस्ट के यूनिवर्सिटी परिसर में प्रवेश पर अंकुश को सिंडिकेट में लाकर जिस धड़ल्ले से भ्रष्टाचार को समर्थन दिया गया है, इसकी मिसाल शायद ही देश में मिले। बता दें कि डॉ सिंगला ने प्री-यूनिवर्सिटी से पीएचडी, एलएलबी तक की अपनी पूरी पढ़ाई पंजाब विश्वविद्यालय से ही की है, और शिक्षा में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम के लिए उन्हें भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ प्रतिष्ठित जिंदल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

डॉ. सिंगला ने बताया कि पूरे मामले की शिकायत पंजाब यूनिवर्सिटी के चांसलर तथा देश के उपराष्ट्रपति को भी की जा चुकी है, लेकिन किसी करवाई का अभी इंतजार है।

चण्डीगढ़ निवासी मुनीश्वर शर्मा बने एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 30 मार्च    :

चण्डीगढ़ निवासी युवा नेता मुनीश्वर शर्मा को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के छात्र विंग संगठन एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। इसकी घोषणा एआईसीसी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने की। इससे पहले एनएसयूआई के राष्ट्रीय समन्वयक एवं हिमाचल प्रदेश एनएसयूआई के सह प्रभारी के रूप में कार्यरत मुनीश्वर शर्मा के पास यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, पंजाब यूनिवर्सिटी, चण्डीगढ़ से इंजीनियरिंग पासआउट हैं। उन्होंने पीयूसीएससी चुनावों में पार्टी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुनीश्वर शर्मा ने इस नियुक्ति के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और एआईसीसी महासचिव वेणु गोपाल राय का आभार जताया। उन्होंने नवनिर्वाचित एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी और एनएसयूआई प्रभारी कन्हैया कुमार को भी विशेष धन्यवाद दिया। उल्लेखनीय है कि मुनीश्वर शर्मा पंजाब, हिमाचल एवं चण्डीगढ़ क्षेत्र से एनएसयूआई की ओर से नियुक्त किये गए एकमात्र छात्र नेता हैं। 

देश भगत विश्वविद्यालय ने दो विश्वविद्यालय के संचालन का अधिग्रहण किया

देश भगत विश्वविद्यालय ने सेंट विंसेंट और द ग्रेनेडाइंस में सेंट टेरेसा विश्वविद्यालय के संचालन का अधिग्रहण किया

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 28 मार्च    :

देश भगत विश्वविद्यालय ने सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस में सेंट टेरेसा विश्वविद्यालय के अधिग्रहण किया है, जो अपने वैश्विक पदचिह्न के विस्तार और अकादमिक उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। आज चण्डीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में इस अधिग्रहण पर बोलते हुए  देश भगत विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ जोरा सिंह और प्रो-चांसलर डॉ तजिंदर कौर ने इन्वेस्ट एसवीजी द्वारा गर्मजोशी से स्वागत और व्यापक समर्थन के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा, “हम सेंट टेरेसा विश्वविद्यालय के इस अधिग्रहण को शुरू करने के लिए रोमांचित हैं, अब सेंट टेरेसा विश्वविद्यालय देश भगत विश्वविद्यालय का एक उद्यम है और अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और चिकित्सा के क्षेत्र में भविष्य के लीडर्स का पोषण करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करता है।” 

इन्वेस्ट एसवीजी ने सेंट टेरेसा विश्वविद्यालय में संचालन की आगामी धारणा पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस द्वीप पर देश भगत विश्वविद्यालय और इसके प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया। यह अधिग्रहण शैक्षिक परिदृश्य में एक नया अध्याय लिखेगा। अब देश भगत विश्वविद्यालय के तत्वावधान में सेंट टेरेसा विश्वविद्यालय में डॉक्टर ऑफ मेडिसन (एमडी) कार्यक्रम अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ अकादमिक विशेषज्ञता के संयोजन से जारी रहेगा। छात्र नई शिक्षण विधियों और व्यापक पाठ्यक्रम के जरिए अपना बौद्धिक और व्यावसायिक स्तर विकसित कर पाएंगे।

इस उपक्रम पर अपने विचार रखते हुए सनाथनाराज कुमार ने कहा, “एसटीयू के संस्थापक होने के नाते मैं इस अधिग्रहण के लिए डीबीयू का आभार व्यक्त करता हूं और वे भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए एक अत्याधुनिक सुविधा और व्यवहार्य सीखने के माहौल का विकासित करेंगे। हम डीबीयूए को आइवी लीग में विश्वविद्यालयों में से एक बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे।” इस अवसर पर अध्यक्ष डॉ संदीप सिंह ने कहा कि देश भगत विश्वविद्यालय सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस में समुदाय और हितधारकों के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए तत्पर है, जबकि शिक्षा और अनुसंधान के उच्चतम मानकों को बनाए रखने का वादा करता है।

उपाध्यक्ष हर्ष सदावर्ती और इंटरनेशनल डायरेक्टर अरुण मलिक ने सेंट विंसेंट और द ग्रेनेडाइंस में देश भगत विश्वविद्यालय के इस नए उद्यम और छात्रों के लिए अमेरिकन ऑफशोर मेडिकल स्कूल में अध्ययन करने के अवसर के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

यूआईएलएस, पीयू का 7वां नेशनल लॉ फेस्ट ‘आर्गुएन्डो’ शुरू   

  • देश के विभिन्न राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालयों और अन्य कानून संस्थानों की सोलह टीमें ले रहीं हैं भाग   
  • प्रथम जीके चतरथ मेमोरियल राष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता व चौथी  न्यायाधीश ए.एस. आनंद राष्ट्रीय मध्यस्थता एवं बातचीत प्रतियोगिता का भी हो रहा है आयोजन   

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 15 मार्च :

यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज (यूआईएलएस), पंजाब यूनिवर्सिटी का सातवां  नेशनल लॉ फेस्ट अर्गुएन्डो-2024 आयोजित किया जा रहा है जिसमें देश के विभिन्न राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालयों और अन्य कानून संस्थानों की सोलह टीमे भाग ले रहीं हैं। पहले आयोजित ऑनलाइन सत्र में प्रारंभिक राउंड को पार करने के बाद टीमों ने क्वार्टर फाइनल राउंड में जगह बना ली है। प्रोफेसर श्रुति बेदी ने संकाय समन्वयकों, प्रोफेसर (डॉ.) पुष्पिंदर कौर, प्रोफेसर (डॉ.) जय माला, डॉ. सबीना सलीम और डॉ. वीरेंद्र नेगी के सहयोग से कार्यक्रम का संचालन किया। प्रोफेसर श्रुति बेदी ने  बताया कि 16 मार्च तक चलने वाला यह तीन दिवसीय आयोजन कानूनी चर्चा और प्रतिस्पर्धा के लिए नए प्रतिमान स्थापित करेगा। इस दौरान यूआईएलएस द्वारा प्रथम जीके चतरथ मेमोरियल राष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता, चौथी  न्यायाधीश ए.एस. आनंद राष्ट्रीय मध्यस्थता एवं बातचीत प्रतियोगिता और राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी – ‘सिविलसेवी’-1.0  प्रतियोगिता की मेजबानी की जा रही है। 

शिक्षा के भविष्य की कल्पना : दिमाग और नवाचार का एक अभिसरण

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 14 मार्च    :

एडुवर्स समिट सीरीज़ को नई दिल्ली में अपने आगामी कार्यक्रम, एडुवर्स समिट इंडिया 2024 की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। जेडब्ल्यू मैरियट एयरोसिटी में 30 और 31 अगस्त को होने वाला यह शिखर सम्मेलन शैक्षिक क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होने का वादा करता है। परिदृश्य, दुनिया भर से विचारशील नेताओं, नीति निर्माताओं, शिक्षकों और एडटेक नवप्रवर्तकों को एक साथ लाना। इसकी जानकारी एडुवर्स समिट सीरीज़ के ग्लोबल इवेंट्स के कार्यकारी निदेशक अविनव शर्मा और डायरेक्टर पब्लिक रिलेशन्स अंशुल नंदा ने दी।

चंडीगढ़ प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए अभिनव शर्मा और अंशुल नंदा ने बताया कि एडुवर्स समिट सीरीज़ के ग्लोबल इवेंट्स के पहले दिन- विचारों की एक सिम्फनी शिखर सम्मेलन एक उद्घाटन समारोह और “वैश्विक शिक्षा में उभरते रुझान” पर एक मुख्य भाषण के साथ शुरू होगा, जो दो दिनों की विचारोत्तेजक चर्चा और आगे की सोच वाले समाधानों के लिए मंच तैयार करता है। उपस्थित लोग पैनल चर्चा में भाग लेंगे जो शिक्षा उत्कृष्टता के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर चर्चा करेंगे और नीतिगत नवाचारों का पता लगाएंगे जो भविष्य के शैक्षिक ढांचे को तैयार कर रहे हैं।

इंटरविविंग कल्चर्स एंड एजुकेशन विषय पर दूसरे दिन विचारों के क्रॉस-परागण के लिए एक अवसर प्रस्तुत करेगा। क्योंकि पैनल चर्चा “पाठ्यचर्या में क्रॉस-सांस्कृतिक अनुभवों को एकीकृत करने” और वैश्विक शैक्षिक परिदृश्य की जटिलताओं पर ध्यान केंद्रित करती है। गतिशील वैश्विक परिदृश्य के लिए अनुकूली शैक्षिक नीतियों को तैयार करने पर एक विशेष फायरसाइड चैट अगले दशक के लिए रणनीतियों की पेशकश करती है।

अभिनव शर्मा ने आगे कहा कि नई दिल्ली में एडुवर्स समिट सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं है; यह एक गठबंधन है जहां शिक्षा के क्षेत्र में सबसे प्रतिभाशाली दिमाग यह परिभाषित करने के लिए एकत्रित होते हैं कि सीखना क्या हो सकता है और क्या होना चाहिए। हम एक शैक्षिक क्रांति के शिखर पर हैं, और यह शिखर सम्मेलन वह जगह है जहां हम होंगे परिवर्तन की चिंगारी प्रज्वलित करें।

अनुभवात्मक शिक्षण और नैतिक नेतृत्व इंटरैक्टिव सत्र जैसे “शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का निर्माण” प्रतिभागियों को सहयोग करने और शिक्षा में नए रास्ते बनाने के लिए व्यावहारिक अनुभव प्रदान करेगा। “शिक्षा में नैतिक नेतृत्व” पर एक समर्पित विशेषज्ञ वार्ता भविष्य के शिक्षकों को आकार देने में सत्यनिष्ठा और मूल्यों के महत्व पर प्रकाश डालती है।

पायनियर्स के लिए एक मंच शिखर सम्मेलन के एक्सपो और नेटवर्किंग सत्र शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी लोगों के लिए अपने अभिनव समाधान प्रदर्शित करने के लिए बेजोड़ अवसर पेश करते हैं। मंच उत्साही बातचीत, रणनीतिक साझेदारी और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए तैयार है जो वैश्विक शिक्षा के भविष्य को आकार देगा।

एडुवर्स समिट इंडिया 2024: प्रभाव शैक्षिक नवाचार की चौड़ाई और गहराई को कवर करने के लिए डिज़ाइन किए गए एक व्यापक एजेंडे के साथ, एडुवर्स समिट इंडिया 2024 अनगिनत शैक्षिक प्रक्षेप पथों को प्रभावित करने के लिए खड़ा है। 

एडुवर्स समिट इंडिया 2024: प्रभाव शैक्षिक नवाचार की चौड़ाई और गहराई को कवर करने के लिए डिज़ाइन किए गए एक व्यापक एजेंडे के साथ, एडुवर्स समिट इंडिया 2024 अनगिनत शैक्षिक प्रक्षेप पथों को प्रभावित करने के लिए खड़ा है। नीति निर्माताओं से लेकर एडटेक स्टार्टअप तक, प्रत्येक भागीदार कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि और सार्थक कनेक्शन के साथ रवाना होगा।