टाटा मोटर्स को ₹766 करोड़ मुआवजा देगी बंगाल सरकार

टाटा सिंगूर में नैनो प्लांट लगा रही थी और प्लांट लगाने की अनुमति वामपंथी सरकार ने दी थी। उस वक्त ममता बनर्जी विपक्ष में थीं, उन्होंने इस प्रोजेक्ट का विरोध  किया था। ममता ने वाममोर्चा सरकार पर सिंगूर में टाटा के लिए जबरन जमीन अधिग्रहण का आरोप लगाते हुए आंदोलन का नेतृत्व किया था। जब ममता बनर्जी की सरकार आई तो उन्होंने कानून बनाकर सिंगूर की करीब 1000 एकड़ किसानों को लौटाने का निर्देश दिया। करीब 13 हजार किसानों से उनकी जमीन ली गई थी। 

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 31 अक्टूबर :

 टाटा ग्रुप देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों में से एक है। हाल ही में पश्चिम बंगाल में सिंगूर में चल रहे पुराने सिंगूर जमीन के विवाद को टाटा ग्रुप ने जीतकर एक बड़ी सफलता हासिल की है। अब ममता बनर्जी की सरकार को ग्रुप की ऑटोमोबाइल कंपनी, टाटा मोटर्स को 766 करोड़ रुपये का जुर्माना देना होगा। 

रतन टाटा ने साल 2008 में देश के मध्यम वर्ग को ध्यान में रखते हुए अपनी ड्रीम कार टाटा नैनो लॉन्च की थी। ये भारतीय कार इतिहास की अब तक की सबसे सस्ती कारों में से एक है। रतन टाटा ने इसे 1 लाख रुपए की कीमत में लॉन्च किया था। हालांकि लोगों को ये कार ज्यादा पसंद नहीं आई और साल 2020 में इसका प्रोडक्शन बंद करना पड़ा।

  • टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने 18 मई 2006 को पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और तत्कालीन वाणिज्य राज्य मंत्री निरुपम सेन के साथ मीटिंग के बाद सिंगूर में नैनो कार बनाने के लिए प्लांट लगाने की घोषणा की थी।
  • प्रोजेक्ट के लिए जरूरी 1 हजार एकड़ जमीन की खरीद की प्रोसेस शुरू हुई। इस मामले में 2006 में 27 मई और 4 जुलाई के बीच हुगली जिला प्रशासन द्वारा तीन बार सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। तृणमूल कांग्रेस ने इन बैठकों का बहिष्कार किया।
  • पुलिस के 30 नवंबर 2006 को ममता बनर्जी को सिंगूर जाने से रोकने के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में बड़ा हंगामा हुआ। तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में तोड़फोड़ की। इनमें वर्तमान में कई कैबिनेट मंत्री भी हैं।
  • विपक्ष के नेता के रूप में ममता बनर्जी ने 3 दिसंबर 2006 से कोलकाता में सिंगूर प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आमरण अनशन शुरू किया।
  • वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह उन प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं में से थे, जिन्होंने उनके 25-दिवसीय अनशन के दौरान उनसे मुलाकात की और एकजुटता जाहिर की। इस बीच पूरे राज्य में आंदोलन जारी रहा।
  • बुद्धदेव भट्टाचार्य ने ममता बनर्जी को 18 अगस्त और 25 अगस्त 2008 को चर्चा के लिए आमंत्रित भी किया, लेकिन उन्होंने अस्वीकार कर दिया।
  • 24 अगस्त 2008 को ममता बनर्जी ने सिंगूर में नैनो साइट से सटे दुगार्पुर एक्सप्रेस हाईवे पर प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहीत 1,000 एकड़ जमीन में 400 एकड़ की वापसी की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
  • 3 अक्टूबर 2008 को दुर्गा पूजा उत्सव से दो दिन पहले रतन टाटा ने कोलकाता में प्राइम होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और नैनो प्रोजेक्ट को सिंगूर से बाहर निकालने की घोषणा की।
  • रतन टाटा ने इसके लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व में जारी तृणमूल कांग्रेस के आंदोलन को जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद नैनो फैक्ट्री को गुजरात के साणंद में शिफ्ट कर दिया गया।