पंजाब में मुख्य मंत्री पद के लिए छ: चेहरे हैं जिसमें कॉंग्रेस के दो
इस बार के पंजाब विधानसभा के चुनावी मैदान में उतरे सभी राजनीतिक दलों में मुख्यमंत्री पद के चेहरों की चर्चा अब तेज़ हो गई है। इसका कारण आम आदमी पार्टी है जिसने भगवंत मान को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया है। उधर अकाली दल-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा सुखबीर सिंह बादल हैं। इस बात का एलान राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और सुखबीर सिंह बादल के पिता प्रकाश सिंह बादल ने किया है। किसान आंदोलन के बाद बनी किसानों की नई पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा ने बलबीर सिंह राजेवाल को अपना नेता चुना है।
राजविरेन्द्र वसिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :
इस बार सत्तारूढ़ कांग्रेस में इस पद के लिए मुख्य मुक़ाबला मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच है। हालांकि चरणजीत सिंह चन्नी के पक्ष में हालात अधिक अनुकूल दिख रहे हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी गुरुवार, 27 जनवरी को पंजाब आ रहे हैं। वे यहाँ पंजाब विधानसभा चुनाव के प्रचार के सिलसिले में पूरे दिन रहने वाले हैं। हालांकि उनकी इस यात्रा से जुड़ा बड़ा सवाल ये है कि क्या वे पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करेंगे। समझते हैं, इस लिहाज से क्या संभावनाएं बन रही हैं।
इस सिलसिले में यह गौर करने लायक है कि पंजाब के कांग्रेस कार्यकर्ता मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के मसले पर स्पष्टता के हामी हैं। वे 2017 का उदाहरण देते हैं, जब कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया था। इसके बाद कैप्टन ने आम आदमी पार्टी को ‘बाहरी’ बताया। साथ ही, खुद को ‘पंजाब का पुत्तर’ और बड़े अंतर से चुनाव जिताकर पार्टी को सत्ता में ले आए। इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं की अपेक्षा है कि इस बार भी मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया जाना चाहिए। हालांकि इस अपेक्षा के पूरा होने में पेंच है।
कांग्रेस के लिए इस बार दिक्कत ये है कि उसके पास 2017 की तरह अब कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसा कोई सर्वमान्य नेता नहीं है। पार्टी अभी स्पष्ट रूप से दो हिस्सों में बंटी दिख रही है। एक हिस्सा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की तरफ झुका हुआ है। जबकि दूसरा- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की ओर। ये दोनों नेता मुख्यमंत्री पद के मसले पर अपनी दावेदारी भी जता चुके हैं। यह कहते हुए कि मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने से कांग्रेस को पंजाब विधानसभा चुनाव में फायदा होगा। इन दो के बीच तीसरे नेता हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सुनील जाखड़ हैं, जिन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ा था।
जानकारों की मानें तो पार्टी अभी बार-बार सामूहिक नेतृत्व की बात कर रही है। राहुल गांधी इसी रुख को मजबूती दे सकते हैं। इसमें अपेक्षा ये है कि जाट समुदाय के नवजोत सिंह सिद्धू, दलित-सिख चरणजीत सिंह चन्नी और हिंदू नेता सुनील जाखड़ को बराबरी से साध कर रखा जाए। ताकि चुनाव में कोई नुकसान न हो और पार्टी की सत्ता में पहले वापसी सुनिश्चित की जाए।
इसके बाद आपसी सहमति बनाकर मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नेता का चुनाव कर लिया जाएगा। संभवत: इसीलिए राहुल की यात्रा से ठीक पहले उनका कार्यक्रम जारी करते हुए पंजाब सरकार ने भी यही संकेत दिया है। जैसा कि समाचार एजेंसी एएनआई की खबर से पता चलता है। इस बार 2017 से अलग है परिस्थिति