- पांच देशों के राजदूतों बोले भारत में पर्यटन की है आपार संभावनायें
- पीएचडी चैंबर ने आयोजित किया दसवां इंटरनैश्नल हैरिटेज टूरिज्म कॉन्क्लेव
- हरियाणा के गौरवशाली इतिहास को जानना चाहते हैं विदेशी
पंचकूला:
भारत की संस्कृति और धरोहर की छाप मात्र डोमेस्टिक टूरिज्म तक ही सीमित न रहकर समूचे विश्व में अपनी पहचान बना चुकी है। कोविड 19 से पूर्व वर्ष 2019 में देश में लगभग 11 मिलियन विदेशी पर्यटकों ने भारत में आकर इस देश की संस्कृति को करीब से जाना है। भारत में पर्यटन सबसे बड़ी सर्विस इंडस्ट्री में से एक है,जोकि देश की जीडीपी में लगभग 98 बिलियन अमेरिकी डालर्स का योगदान देता है।
यह विचार पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से पंचकूला के रामगढ़ फोर्ट में आयोजित दसवें अंतरराष्ट्रीय हैरिटेज टूरिज्म कॉन्क्लेव में शामिल हुए पांच देशों के राजदूत, कई प्रदेशों के पर्यटन विकास बोर्ड अधिकारियों तथा पर्यटन उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों के आपसी मंथन में सामने आए।
इस कान्क्लेव में चैक गणराज्य के दूतावास के ऐम्बेसेडर महामहिम मिलन होवोरका, सैशिल्स गणराज्य के राजदूत थामस सिलबे पिल्ले, स्लोवाक गणराज्य के राजदूत ईवान लनकेरिक, स्लोवेनिया गणराज्य के राजदूत डाक्टर मरजन केनकन, वियतनाम गणराज्य के राजदूत फेम सान छाओ और इंडोनेश्यिा गणराज्य के चार्जडीएफेयर्स फ्रेडी पेई शामिल हुये जिन्होंने हरियाणा व चंडीगढ़ की खूबसूरती को जमकर सराहा। कोरोना महामारी के बाद देश में पर्यटन में और अधिक पर्यटन संभावानयें तलाशने की दृष्टि से यह आयोजन किया गया है।
अलग-अलग देशों के प्रतिनिधियों ने कहा कि कार्यक्रम को आयोजित करने का उद्देश्य पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देना और देश की सांस्कृति व कुदरती हैरिटेज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती दिलाना है। देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा का अपना एक गौरवशाली इतिहास है। जिसे विदेशों में बसे लोग जानना चाहते हैं।
कोनक्लेव के उद्घाटन सत्र पर भारत सरकार में पर्यटन मंत्रालय की अतिरिक्त महानिदेशक रुपिन्दर बराड़ ने कहा कि दुनिया भर के देश इस समय महामारी से उबर रहे हैं। सामान्य मूल्यों और सांस्कृतिक हितधारकों के बीच संबंधों को मजबूत करने का मतलब है कि दोनों क्षेत्र समावेशी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। मंत्रालय ने आगे कदम उठाते हुए, आसियान जैसे संगठनों की भारी संख्या के साथ यूनेस्को के विरासत स्थलों और भारत के अन्य आकर्षण के केंद्रों के विकास और संवर्धन के लिए द्विपक्षीय/बहुपक्षीय सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
इससे पूर्व प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुये पीएचडी चैंबर के प्रधान संजय अग्रवाल ने बताया कि यह आयोजन कोरोना के प्रकोप के चलते वर्ष भर के वैबिनार व जूम बैठकों के बाद यह पहला आयोजन है। उन्होंने कहा कि इंटरनैश्नल यात्रा बाध्य होने के कारण घरेलू यात्रा को वर्ष 2021 की अगामी महीनों में मजबूत पकड़ प्राप्त होगी क्योंकि अधिकतर भारतीय अपने मातृभूमि को ओर करीब से जानने के लिये आतुर रहते हैं। उन्होंनें कहा कि सरकार की ओर से निवेश से लेकर समर्पित दृष्टिकोण, इंफ्रास्टक्चर और उद्योग पर ध्यान केन्द्रित करने के लिये अनोखी पहल, ग्राहकों को सुखद अनुभव प्रदान करवाने आदि कई मापदंडों से घरेलू पर्यटन को ओर अधिक मजबूती प्राप्त होगी।
पीएचडी चैंबर में टूरिज्म कमेटी के चैयरमेन अनिल पराशर ने बताया कि कोरोना काल ने पर्यटन उद्योग गहरा आघात पहुंचाया है । सरकार के साथ साथ पर्यटन उद्योग के बिजनेस लीडर्स को इसके बाद पेश आ रही चुनौतियों को सांझे रुप से सामना करना होगा। इस दिशा में इनोवेशन, बेहतर मैनेजमेंट, प्रोमोशन और धरोहर को सरंक्षण अहम कड़ी साबित होंगें।
कार्यक्रम के दौरान ऐसोसियेशन आफ डोमेस्टिक टूर आपरेटर्स आफ इंडिया के प्रेजीडेंट पीपी खन्ना, इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हैरिटेज इनटैच की हरियाणा चैप्टर कन्वीनर डा. शिखा जैन, यूनाइटेड नेशन ग्लोबल कोम्पैक्ट नैटवर्क इंडिया की कार्यकारी बिदेशक शबनम सिद्दिकी, इंडियन हैरिटेज होटल्स ऐसोसियेशन के वरिष्ठ सदस्य जगदीप सिंह चंदेल, इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर पंकज पराशर सहित अन्य पर्यटन से जुड़े दिग्गजों ने इस अवसर पर अपने विचार रखे।