सोनीपत जिले में अपनी राजनीतिक परिसंपत्ति को बचा पाना कठिन रहेगा कांग्रेस के लिए

भारतीय जनता पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने लोकसभा चुनाव से पहले रोहतक सीट का जिक्र करते हुए कहा था कि पिछले चुनाव में हमने एक गलती की कि जाट के खिलाफ जाट को ही मैदान में उतार दिया मतलब दीपेंद्र सिंह हुड्डा के मुकाबले ओमप्रकाश धनखड़ को मैदान में लाना गलती थीl उनका कहना था कि यह गलती इस बार नहीं करेंगे और गलती सुधारते हुए उन्होंने जाट के खिलाफ गैर जाट ब्राह्मण उम्मीदवार के रूप में डॉ अरविंद शर्मा को मैदान में उतारा और दीपेंद्र सिंह हुड्डा को हराने का काम किया यही रणनीति अब बरोदा में कार्यान्वित करने की योजना है

धर्मपाल वर्मा (पंचकुला) :

यद्यपि अभी हरियाणा विधानसभा के लिए कांग्रेस पार्टी की टिकटें बटी नहीं है परंतु अभी से कयास लगाए जा रहे हैं कि बेशक भाजपा अपने आज के विधायकों में से एक तिहाई की टिकट काटने का फैसला ले ले परंतु कॉन्ग्रेस शायद एक भी सीटिंग एमएलए की टिकट न काट सकेगी इसे अटल मानकर ही भाजपा अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में लगी है परंतु जो होगा नवरात्रों में होगा अभी चल रहे भारी दिनों में राजनेता कोई नया काम करने को तैयार नहीं है।

आज कांग्रेस के ज्यादातर विधायक पुराने रोहतक जिले के रोहतक झज्जर और सोनीपत जिलों में ही हैं जिनकी संख्या है 10 ,जबकि यहां कुल सीटें 15 है। इस समय सोनीपत जिले में 6 में से 5 विधायक कांग्रेस के हैं और हालात ऐसे बन रहे हैं कि अगला चुनाव शायद ही कोई विधायक जीत पाए। सोनीपत में तो खास जरूरत इस बात की है कि कांग्रेस कुछ नए और प्रगतिशील उम्मीदवार मैदान में लेकर आएगी तो ही सकारात्मक परिणाम सामने आ पाएंगे जैसे उम्मीदवार भाजपा दे रही है वैसे कांग्रेस को देने चाहिए ऐसा यहां के लोग व्यक्तिगत चर्चा में कहने लगे है।

आप यह मानकर चलें कि भाजपा सोनीपत पर खास फोकस करके इसलिए चल रही है कि वह यहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाशिए पर ले जाना चाहती है वह चाहती है कि आरंभ में ही यह चर्चा शुरू हो जाए कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो सोनीपत में ही कमजोर हैं इसीलिए भाजपा ने सोनीपत में भी बरोदा पर फोकस करने का संकेत दिया है जिसे आसानी से समझा जा सकता है इस सीट को भाजपा हारी हुई सीट मानकर चल रही है वही दूसरी चर्चा शुरू हो जाए तो इससे लोगों की राय बदलनी शुरू हो जाती है।

उसके लिए पूरी नीति तैयार है। यहां जेजेपी एक भी सीट पर जीतने की स्थिति में नजर नहीं आ रही है परंतु जानकार यह दावा कर रहे हैं कि यह पार्टी भाजपा की बी टीम है जिसका काम भाजपा के हाथों कांग्रेस को हराना है। कुछ लोग तो इस पार्टी को वोट काटो पार्टी तक कहने लग गए हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरुद्ध लोकसभा में सोनीपत से उतरे दिग्विजय सिंह चौटाला को 50000 तक सीमित कर विशेष तौर पर जाट मतदाताओं ने यह संदेश देने की कोशिश की थी कि सोनीपत में भी जाट मतदाताओं की पसंद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही है।

मानकर चलें कि अब भी इस क्षेत्र में हुड्डा का असर सबसे ज्यादा है परंतु यह भी सच्चाई है कि यह असर जाट जाटों में ज्यादा है गैर जाट तो कांग्रेस से फड़के हुए हैं।

यही एक सोच है जिसके तहत भारतीय जनता पार्टी के लोग गैर जाटों के ध्रुवीकरण के लिए इसी हलके के बड़े और राजनीतिक गांव भैंसवाल कला से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त को बरोदा से टिकट देने की योजना पर काम कर रहे हैंl

भारतीय जनता पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने लोकसभा चुनाव से पहले रोहतक सीट का जिक्र करते हुए कहा था कि पिछले चुनाव में हमने एक गलती की कि जाट के खिलाफ जाट को ही मैदान में उतार दिया मतलब दीपेंद्र सिंह हुड्डा के मुकाबले ओमप्रकाश धनखड़ को मैदान में लाना गलती थीl उनका कहना था कि यह गलती इस बार नहीं करेंगे और गलती सुधारते हुए उन्होंने जाट के खिलाफ गैर जाट ब्राह्मण उम्मीदवार के रूप में डॉ अरविंद शर्मा को मैदान में उतारा और दीपेंद्र सिंह हुड्डा को हराने का काम किया यही रणनीति अब बरोदा में कार्यान्वित करने की योजना है और कांग्रेस इससे तभी पार पा सकती है जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद बरोदा से चुनाव लड़े. इससे जिले की अन्य सीटों पर भी असर पड़ सकता है। परंतु इस समय जो हालात हैं वे कांग्रेस के लिए पूरी तरह से चुनौतीपूर्ण है।

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