Thursday, May 15

जगदीश असीजा, डेमोक्रेटिक फ्रंट, उकलाना, 14 मई  :

देशभक्ति, संवेदना और यथार्थ चित्रण को एक नई पहचान देने वाले राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, उकलाना में कार्यरत कला प्रवक्ता एवं  चित्रकार राजेन्द्र भट्ट ने भारतीय सेना में नारी की शक्ति को समाज से रूबरू करती नवीनतम पेंटिंग वॉर ऑफ़ पीस अर्थात् शांति के लिए युद्ध का सृजन किया है जो कि भारत द्वारा दुश्मन देश के विरुद्ध हाल ही में की गई सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ पर आधारित है जो एक भावनात्मक अनुभव और राष्ट्रीय अस्मिता की अभिव्यक्ति है। पेंटिंग के केंद्र में माँ काली को प्रचंड रूप में दिखाया गया है जोअब अन्याय और आतंकी कृत्यों के विरुद्ध मौन नहीं है। माँ काली के नेत्रों से निकलती लाल ज्योति जैसे राफेल विमान की दिशा निर्धारित करती है, जो आतंक के केंद्र पर सटीक प्रहार करता है।पेंटिंग में  कलाकार ने भारतीय वायुसेना की रणनीतिक दक्षता, तकनीकी शक्ति और साहसिक निर्णय का अत्यंत प्रभावशाली चित्रण किया है। पृष्ठभूमि में वास्तविक समाचार पत्रों की कटिंग को समाहित कर कलाकार ने उस समय की गंभीरता, मीडिया की भूमिका और समाज के भावों को स्वर प्रदान किया है। चित्रकार राजेन्द्र भट्ट ने बताया कि उनकी यह पेंटिंग केवल ‘शांति के लिए युद्ध’ की भावना को ही प्रकट नहीं करती बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध की गई यह कार्रवाई  वैश्विक स्तर पर शांति स्थापित करने के भारतीय प्रयास को भी विश्व के समक्ष प्रस्तुत करती हैं है। इस कला कृति का शीर्षक “ द वॉर ऑफ़ पीस– एक अभियान” इस बात का प्रतीक है कि भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन अपनी सुरक्षा और गरिमा के लिए आवश्यक कदम उठाने से पीछे नहीं हटता। चित्रकार राजेन्द्र भट्ट इससे पहले भी राष्ट्र, संस्कृति, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक चेतना से जुड़ी अनेक यथार्थपरक चित्रकलाएं प्रस्तुत कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने ‘नायाब हरियाणा’ नामक चित्रकला का सृजन किया था, जिसे महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उनकी कला में रंगों के माध्यम से एक सोच, एक आवाज और एक आंदोलन जन्म लेता है। ‘द वॉर ऑफ़ पीस’ पेंटिंग न केवल एक दृश्य आनंद है, बल्कि यह दर्शकों को देशभक्ति, संवेदना और कर्तव्यबोध से ओतप्रोत कर देने वाली रचना है। यह चित्र कला प्रेमियों, विद्यार्थियों, शिक्षकों और समाज के हर जागरूक नागरिक के लिए एक प्रेरणा स्रोत है जो सिद्ध करती है कि कला केवल सौंदर्य का माध्यम नहीं, बल्कि सशक्त सामाजिक और राष्ट्रीय संवाद का जरिया भी है।