पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 12 नवंबर 2024
नोटः आज हरिप्रबोधनी एकादशी व्रत तथा तुलसी विवाह चर्तुमास व्रत नियम समाप्त।
नोटः आज हरिप्रबोधनी एकादशी व्रत तथा तुलसी विवाह चर्तुमास व्रत नियम समाप्त।
यह पर्व श्री हरि विष्णू की भक्ति का सर्वोत्कृष्ट सोपान है। जो भक्ति पथ का बहुत ही प्रमुख अवसर होता है। इस अवसर के आते ही जहाँ भक्तों को श्री हरि विष्णू की भक्ति का एक बड़ा ही सुहाना अवसर प्राप्त होता है। वहीं धार्मिक कामों और शादी विवाहों के संस्कार पुनः शुरू हो जाते हैं। क्योंकि चार माह पर्यन्त सोये हुये देवता एवं श्री हरि विष्णू पुनः जागते है।
विक्रमी संवत्ः 2081,
शक संवत्ः 1946,
मासः कार्तिक़
पक्षः शुक्ल,
तिथिः एकादशी सांय काल 04.05 तक है,
वारः मंगलवार।
नोटः आज उत्तरा दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन,मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।
नक्षत्रः पूर्वाभाद्रपद प्रातः काल 07.52 तक है,
योग हर्ष सांय काल 07.09 तक है,
करणः विष्टि,
सूर्य राशिः तुला, चन्द्र राशिः मीन,
राहू कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक,
सूर्योदयः 06.46, सूर्यास्तः 05.25 बजे।