राजकाज और कामकाज की भाषा बने हिंदी : डॉ. ‘मानव’
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 19 सितंबर:
सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (झुंझुनूं) द्वारा हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत हिन्दी-समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें अनेक प्रमुख कवियों, साहित्यकारों और शिक्षाविदों तथा विश्वविद्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने सहभागिता की। हिंदी-प्राध्यापिका डॉ. शर्मिला यादव के कुशल संचालन में संपन्न हुए इस समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद् डॉ. रामनिवास ‘मानव’ ने बतौर मुख्य अतिथि हिंदी को राजभाषा के रूप में समुचित सम्मान न मिलने पर निराशा प्रकट करते हुए कहा कि राजकाज और कामकाज की भाषा बने बिना हिंदी का सम्यक् विकास संभव नहीं है। विशिष्ट अतिथि और नारनौल की वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ. कांता भारती ने हिंदी को राष्ट्रीय अस्मिता की भाषा बताते हुए उसके महत्त्व को रेखांकित किया, तो गुरुग्राम से पधारे कोल इंडिया लिमिटेड के पूर्व महानिदेशक और विशिष्ट अतिथि कवि राजपाल यादव ‘राज’ ने कविताओं के माध्यम से अपने हिंदी-प्रेम को व्यक्त किया। शोध-अधिष्ठाता डॉ. सुमेर सिंह ने भाषा तथा विभिन्न बोलियों के परस्पर संबंध पर अपने विचार रखे, वहीं उपकुलपति डॉ. पवन त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि हिंदी जन-मानस की भाषा है, जिसके ।
भव्य समारोह में प्रशासनिक अधिकारी विजेंद्र शर्मा, सुरेंद्र यादव, एडवोकेट, डॉ. शर्मिला यादव, डॉ. योगेश जांगिड़, डॉ. आलोक, डॉ रुक्मिणी राधास्वामी, डॉ. सविता तिवारी, डॉ. मोनिका, डॉ. रविदत्त यादव, मीनू नैन, ज्योति शर्मा, कपिल शर्मा, सुहानी तनेजा, रोहित शेखावत, विकास शर्मा, सुशील कुमार आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।