वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे पर जागरूकता के लिए दो दिवसीय हेल्थ टॉक्स का आयोजन
हाइपरटेंशन: ‘साइलेंट किलर’ से रहें सतर्क : डॉ. अनुराग शर्मा
ऑफिस वर्कर्स को दिल की देखभाल के टिप्स दिए गए
डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला – 20 मई :
वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे के अवसर पर पारस हेल्थ द्वारा एक विशेष दो दिवसीय जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। इस अभियान के तहत दो हेल्थ टॉक्स सेशंस आयोजित किए गए, जिनका उद्देश्य लोगों को हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) और दिल की देखभाल के प्रति जागरूक करना था। यह पहल विशेष रूप से वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए थी, जो आज के समय में तनाव, अनियमित दिनचर्या और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण इस समस्या के सबसे बड़े शिकार बनते जा रहे हैं।
पहला सेशन प्रसिद्ध दवा कंपनी वीनस रेमेडीज़ में हुआ, जहां कंपनी के कर्मचारियों ने दिलचस्प और खुली बातचीत में हिस्सा लिया। दूसरा सेशन चंडीगढ़ के सेक्टर 31 स्थित सीआईआई ऑफिस में हुआ, जिसमें विभिन्न उद्योगों और व्यवसायों से जुड़े लोगों ने भाग लिया। दोनों सेशंस का नेतृत्व पारस हेल्थ के कार्डियक साइंसेज़ चेयरमैन डॉ. अनुराग शर्मा ने किया।
डॉ. शर्मा ने कहा, “हाइपरटेंशन एक ‘साइलेंट किलर’ है, जो बिना किसी लक्षण के शरीर में गंभीर नुकसान कर सकता है। जब तक इसका पता चलता है, तब तक यह हार्ट अटैक, स्ट्रोक या किडनी फेलियर जैसी बीमारियों का कारण बन चुका होता है।” उन्होंने यह भी बताया कि नियमित ब्लड प्रेशर की जांच, संतुलित आहार, व्यायाम और तनाव प्रबंधन इसके प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
सेशंस में आए लोगों ने यह भी सीखा कि ऑफिस में लंबे समय तक बैठने, अत्यधिक कैफीन, धूम्रपान और नींद की कमी जैसी आदतें हाई बीपी को और बढ़ावा देती हैं। प्रतिभागियों को एक विशेष हेल्थ बुकलेट भी दी गई जिसमें घरेलू उपाय, रोज़ाना की देखभाल, तनाव को नियंत्रित करने के व्यावहारिक तरीके और हार्ट-हेल्दी डाइट के सुझाव शामिल थे।
“आज के समय में जब युवा भी हाइपरटेंशन की चपेट में आ रहे हैं, तो समय रहते की गई जागरूकता और स्क्रीनिंग ही सबसे कारगर बचाव है,” ऐसा मानना है डॉ. पंकज मित्तल का, जो पारस हेल्थ पंचकूला के फैसिलिटी डायरेक्टर हैं। उन्होंने बताया कि पारस हेल्थ हमेशा से ही समुदाय को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देने और उन्हें बेहतर जीवनशैली के लिए प्रेरित करने में विश्वास रखता है।
इस पहल को कर्मचारियों और प्रतिभागियों से शानदार प्रतिक्रिया मिली। उन्होंने इन सेशंस को उपयोगी, व्यावहारिक और अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़ा बताया। पारस हेल्थ की यह कोशिश एक उदाहरण है कि कैसे अस्पताल की सीमाओं से बाहर निकलकर भी समाज की सेवा की जा सकती है।