Thursday, May 1
  • एफएसआईआई ने दी पंजाब सरकार के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती
  • मालवा क्षेत्र में किसानों के लिए वरदान है हाइब्रिड धान

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 30 अप्रैल :

पंजाब कृषि विभाग द्वारा खरीफ सीजन में हाइब्रिड धान के बीजों की बिक्री और बुआई पर लगाए गए प्रतिबंध से राज्य के धान किसानों की आय को प्रति एकड़ आठ से दस हजार रुपये तक का नुकसान हो रहा है। फैडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया के चेयरमैन और सीआईआई उत्तर क्षेत्र कृषि समिति के चेयरमैन अजय राणा ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि अन्य राज्यों के किसान वर्षों से हाइब्रिड धान से बेहतर उपज और अधिक आय की बात कर रहे हैं, जो वैज्ञानिक परीक्षणों और किसानों के खेतों में हुए आंकड़ों पर आधारित है। एफएसआईआई ने इस फैसले को चुनौती देते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई इसी महीने निर्धारित है।

राणा ने कहा कि हाइब्रिड धान प्रति एकड़ पांच से छह क्विंटल तक अधिक उपज देता है और इसमें कम जल में ज़्यादा काम किया जा सकता है। इन बीजों पर रोक लगाकर राज्य सरकार छोटे किसानों की लगभग एक महीने की आय छीन रही है। उन्होंने कहा कि हाइब्रिड धान की किस्में वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित और सरकार द्वारा अधिसूचित हैं। यह अधिक उपज देती हैं, जल संरक्षण में सहायक हैं और पराली जलाने की घटनाएं भी घटाती हैं। इन पर प्रतिबंध लगाकर किसानों को उनकी आय बढ़ाने और टिकाऊ खेती अपनाने के अवसर से वंचित किया जा रहा है।

राज्य सरकार का यह प्रतिबंध 7 अप्रैल 2025 से प्रभावी हुआ है, जिसके तहत आगामी धान रोपण सीजन के लिए हाइब्रिड धान की किस्मों की खेती पर रोक लगाई गई है। सरकार ने इसके पीछे भूजल दोहन और मिलिंग रिकवरी की कम गुणवत्ता को कारण बताया है। लेकिन उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि हाइब्रिड धान जल की बचत करता है और इसकी मिलिंग रिकवरी पंजाब राज्य द्वारा अनुमोदित किस्मों के समान या बेहतर है।

राणा ने कहा कि पंजाब का कृषि क्षेत्र एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित तकनीकों, जैसे कि हाइब्रिड धान, को अपनाना किसानों की आय बढ़ाने, संसाधनों की बचत और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। किसानों से उनके बीज चयन और विकल्प का मूल अधिकार न छीना जाए।

उन्होंने आगे कहा कि मालवा क्षेत्र की मिट्टी में लवणता की समस्या है, जहां हाइब्रिड बीज अधिक अनुकूल साबित हुए हैं और राज्य विश्वविद्यालय की किस्मों की तुलना में कहीं अधिक उपज देते हैं। पंजाब के जी.टी. रोड बेल्ट में किसान धान के साथ आलू या मटर और उसके बाद मक्का जैसी फसलें लेते हैं। हाइब्रिड धान की किस्में कम अवधि की होने के कारण इस तरह के फसल चक्र के लिए अधिक उपयुक्त हैं, जिससे किसानों को अधिक लाभ होता है।

इस प्रतिबंध का समय भी चिंता का विषय है, क्योंकि खरीफ 2025 की बुआई का समय नजदीक है। किसान और बीज व्यापारी असमंजस की स्थिति में हैं, जिससे आर्थिक नुकसान की संभावना है।