Saturday, December 21

सिफा की बैठक में ह्यूमेन फाउंडेशन फॉर पीपल एंड एनिमल्स (HFPA)  जिनमें मार्कस कैम्पोस और राजगोपाल रेड्डी भी शामिल थे। उन्होंने किसानों को उनके संवैधानिक अधिकारों और उनकी रक्षा के लिए सरकार के कानूनी आदेश के बारे में बताया। उन्होंने उन्हें यह भी बताया कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम अनुच्छेद 21 आवश्यकता पड़ने पर वन्यजीवों से नागरिकों के जीवन और आजीविका के अधिकार की रक्षा करता है। जंगली सूअर, नीलगाय आदि जैसे फसल पर हमला करने वाले जानवरों के लिए मुख्य वन्यजीव अधिकारी अपनी शक्तियों को सरपंच को सौंप सकता है, जो तब पंजीकृत शूटरों को एक निश्चित समय अवधि के भीतर जानवरों को मारने के लिए बुला सकता है।

निमिषा सिंह,डेमोक्रेटिक फ्रंट, भोपाल-  07        दिसंबर :

निमिषा सिंह

आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पाँच सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारतीय सेना विश्व की सबसे ताकतवर सेनाओं में सम्मिलित है। विश्व के सफलतम अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम शामिल है। अन्य क्षेत्रों में भी भारत नियमित रूप से विकास की नई बुलंदियां छू रहा है बावजूद इसके भारत में एक क्षेत्र ऐसा भी है जो आज भी विकास की दौड़ में कहीं पीछे रह गया है। खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण रोजगार जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला कृषि क्षेत्र आज भी उस स्थिति में नहीं पहुँच पाया है जिसे संतोषजनक माना जा सके। इसका परिणाम यह हुआ है कि कृषि पर निर्भर देश के करोड़ों लोग आज भी बेहद अभावों में जीवन जीने को विवश हैं और कई बार ये कृषि के माध्यम से अपनी बुनियादी जरूरतें भी नहीं पूरी कर पाते हैं।

 किसान समुदाय को सशक्त बनाने नवाचारों का अन्वेषण और भारतीय कृषि के भविष्य को आकार देने के लिए तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद स्थित फेडरेशन ऑफ तेलंगाना चैंबर एंड कॉमर्स में दो दिवसीय राष्ट्रीय किसान सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने के उद्देश्य से व्यावहारिक चर्चा करने के लिए देश भर से किसान नेता,  कृषि वैज्ञानिक, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रगतिशील किसान एक मंच पर एकत्रित हुए। सिफा के संस्थापक और मुख्य सलाहकार पी. चेंगल रेड्डी के अनुसार  भारत में खाद्य सुरक्षा और इस क्षेत्र में वैश्विक निर्यातक बनने  की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति के अवसर हैं। आज  जलवायु परिवर्तन को ध्यान रखकर खेती करने और युवा प्रतिभाओं को खेती की ओर आकर्षित करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण और कृषि निर्यात के क्षेत्रों में भी अपार अवसरों की उपलब्धता है ,जिन्हें सही ढंग से क्रियान्वित किया जाना चाहिए। 

भारतीय किसान संघ परिसंघ के मौजूदा चेयरमैन रघुनाथ दादा पाटील ने देश भर से आए किसान नेताओं और प्रतिनिधियों से कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान इसकी जीवनरेखा हैं। किसान सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता दोनों है। किसानों और वैज्ञानिकों के बीच अंतर को पाटने के लिए ‘प्रयोगशाला को भूमि’ से जोड़ने के  प्रयासों की भी महती आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अत्याधुनिक अनुसंधान जमीनी स्तर तक पहुंचे।  कृषि में विविधता लाने के लिए किसानों को गेहूं और धान जैसी पारंपरिक फसलों के साथ-साथ मछली पालन, मधुमक्खी पालन और हाइड्रोपोनिक्स जैसे विकल्पों को भी अपनाना चाहिए । सम्मेलन में न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत सतत कृषि के लिए नीतिगत पहल और योजनाओं, निर्यात नीति पर विस्तृत चर्चा की गई।

पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान ने  कहा कि भारत सरकार ने 2018 में एसेंसिल कमोडिटी एक्ट की पावर को एक्सरसाइज करते हुए चीनी का न्यूनतम  बिक्री मूल्य तय किया था। ठीक उसी तरह केंद्र सरकार 23 फसलों पर भी एसेंशियल कमोडिटी एक्ट के पावर को एक्सरसाइज करते हुए न्यूनतम बिक्री मूल्य तय कर सकती है ताकि इससे नीचे सौदे न हो सके। साथ ही आवश्यक है कि यह पूरे देश में लागू हो तभी यह कारगर हो सकेगा। बिहार की निमिषा सिंह ने राज्य में मंडी व्यवस्था को पुनः बहाल कराए जाने  की बात कही। झारखंड की सुष्मिता सोरेन ने जल संकट पर चिंता जताई। जमीन होने के बावजूद जल की कमी की वजह से वहां खेती नहीं हो पा रही है। फसल बीमा का फायदा भी झारखंड के किसानों को ढंग से नहीं मिल पा रहा है। कृषि में सोलर ऊर्जा की भूमिका, पशुओं से फसल को होने वाले नुकसान और फसल बीमा जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई ।

सिफा की बैठक में ह्यूमेन फाउंडेशन फॉर पीपल एंड एनिमल्स (HFPA)  जिनमें मार्कस कैम्पोस और राजगोपाल रेड्डी भी शामिल थे। उन्होंने किसानों को उनके संवैधानिक अधिकारों और उनकी रक्षा के लिए सरकार के कानूनी आदेश के बारे में बताया। उन्होंने उन्हें यह भी बताया कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम अनुच्छेद 21 आवश्यकता पड़ने पर वन्यजीवों से नागरिकों के जीवन और आजीविका के अधिकार की रक्षा करता है। जंगली सूअर, नीलगाय आदि जैसे फसल पर हमला करने वाले जानवरों के लिए मुख्य वन्यजीव अधिकारी अपनी शक्तियों को सरपंच को सौंप सकता है, जो तब पंजीकृत शूटरों को एक निश्चित समय अवधि के भीतर जानवरों को मारने के लिए बुला सकता है।

किसान सर्विस ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े सोलर ऊर्जा विशेषज्ञ गणधम श्रीनिवास राव ने  बताया कि किस प्रकार उनके और उनके सहकर्मी वेणुगोपाल और पी. चेंगल रेड्डी के अनुरोधों, अभ्यावेदनों और लगातार अनुवर्ती कार्रवाई के बाद हाल ही में ऊर्जा मंत्रालय ने हाई टेंशन ट्रांसमिशन लाइनों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है। टावर बेस एरिया को भूमि मूल्य का 200 प्रतिशत मुआवजा दिया जाएगा। टावर के चार ग्राउंड-लेवल लेग और प्रत्येक तरफ एक अतिरिक्त  मीटर विस्तार से घिरा स्थान टावर बेस एरिया के रूप में जाना जाता है।  दिशा-निर्देशों के अनुसार, जिला कलेक्टर, जिला मजिस्ट्रेट या डिप्टी कमिश्नर को मुआवजे के लिए अंतिम अधिकार दिया जाएगा। मुआवजे पर निर्णय लेने से पहले, हम अनुरोध करेंगे कि जिला कलेक्टर नवीनतम (14 जून 2024 को बिजली मंत्रालय के दिशा-निर्देश) दिशा-निर्देशों पर विचार करें।

दूसरे दिन के अंतिम सत्र में  सिफा के मुख्य सलाहकार पी. चेंगल रेड्डी के मार्गदर्शन में सर्वसम्मत प्रस्ताव  द्वारा सिफा की नई संगठन कार्यकारी समिति और प्रशासनिक टीम का गठन किया गया। महाराष्ट्र से रघुनाथ दादा पाटील को चेयरमैन और गुजरात के विपिन चंद्र पटेल को राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई वहीं झारखंड दुमका से ताल्लुक रखने वाली सुष्मिता सोरेन,उत्तर प्रदेश से अशोक बालियान और तेलंगाना से मारा गंगा रेड्डी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद भार सौंपा गया। राष्ट्रीय किसान सम्मेलन में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कर्नाटक से शंकर नारायण रेड्डी, गुजरात से बिपिन भाई पटेल, तमिलनाडु से आर व्ही गिरी,आंध्र प्रदेश से कोटी रेड्डी नरेंद्र बाबू,तेलंगाना से गोपाळ रेड्डी,निमू वसंता,माधव रेड्डी, सोमशेखर राव, उत्तर प्रदेश से  अशोक बालियान, धर्मेंद्र मलिक , झारखंड से सुस्मिता सोरेन, बिहार से निमिषा सिंह,पंजाब से दलजीत कौर, तमिलनाडु से गुरूसामी धरमार , दिल्ली से कोटी रेड्डी ,हरियाणा से सेवा सिंग आर्य, छत्तीसगढ़ से पारसनाथ साहू  ,कर्नाटक से बी.एम.हंसी , उड़ीसा से समीर साहू, महाराष्ट्र से शिवाजी नांदखिले के अलावा देश भर से आए किसान नेताओं ने कई विशेष मुद्दे जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे कृषि उपज न बिके, इसका प्रावधान करना, मुख्य फसलों, मुख्य फल-सब्जी, दूध व शहद आदि को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाने,जल प्रबंध, कृषि सुधार, बाजार हस्तक्षेप योजना को प्रभावी बनाने, औसत बाजार भाव और लक्षित भाव के बीच जो अंतर हो, उस राशि यानि बाजार में हानि का भुगतान (मार्केट लॉस पेमेंट) किसानों को डीबीडी के माध्यम से किया जाए व कृषि को संविधान की समवर्ती सूची में रखने, कृषि को उद्योग का दर्जा देने के मामलों पर चर्चा की ।अब इन  सभी मांगों के साथ एक ज्ञापन कृषि मंत्रालय को सौंपा जाएगा।