पांडवों ने माँगे 5 गाँव, हिंदुओं ने 3 स्थान : योगी आदित्यनाथ
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘अयोध्या के साथ अन्याय हुआ था. जब मैं अन्याय की बात करता हूं तो 5 हजार साल पुरानी बात याद आती है। उस समय पांडवों के साथ अन्याय हुआ था। जब भगवान कृष्ण, कौरवों के पास गए और उन्होंने पांडवों के लिए पांच गांव मांगे तो दुर्योधन ने वह भी नहीं दिए थे। इतना ही नहीं दुर्योधन ने भगवान कृष्ण को बंधक बनाने का प्रयास भी किया था।’
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 07फरवरी :
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा में भाग लिया और राज्यपाल को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान उन्होंने विपक्ष को चुन-चुन का निशाना बनाया, तो हिंदुओं की आस्था से जुड़े तीन स्थलों को लेकर भी खुलकर अपनी बात रखी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष समेत तमाम दलों से सवाल पूछा कि सनातन धर्म की आस्था के तीन प्रमुख स्थलों अयोध्या, काशी और मथुरा का विकास आखिर किस मंशा से रोका गया था?
योगी ने कहा कि महाभारत रचने वाले वेदव्यास की एक पीड़ा थी कि मैं बाहें उठाकर लोगों को समझा रहा हूं कि धर्म से ही अर्थ और काम की प्राप्ति होती है इसलिए क्यों नहीं धर्म के मार्ग पर चलते हो। ये केवल वेदव्यास की ही पीड़ा नहीं थी, 2014 के पहले पूरे देश की और 2017 के पहले पूरे प्रदेश की भी यही पीड़ा थी। 2017 के पहले उत्तर प्रदेश को जिन लोगों ने चार-चार बार प्रदेश में शासन किया, लंबे समय तक सत्ता पर विराजमान रहे उन्होंने यूपी के लोगों के सामने पहचान का संकट खड़ा कर दिया। यहां का नौजवान पहचान छिपाने के लिए मजबूर था। उसे यूपी से बाहर हेय दष्टि से देखा जाता था।
योगी ने कहा कि यहां तो नौकरी नहीं थी, यूपी से बाहर भी नहीं मिलती थी। किराये के कमरे तो दूर होटल और धर्मशालाओं में भी जगह नहीं मिलती थी। आज उत्तर प्रदेश में 22 जनवरी 2024 की घटना को भी देखा है। पूरा देश अभिभूत था। पूरी दुनिया के अंदर हर वह व्यक्ति जो न्याय का पक्षधर है, गौरवान्वित था। हर धर्मावलंबी की आंखों में आंसू थे।
योगी ने कहा कि अयोध्या को लेकर हर किसी के मन में संतोष था कि जो हुआ है अच्छा हुआ है। अविस्मरणीय क्षण था वो और हर व्यक्ति गौरव की अनुभूति कर रहा था। क्योंकि 500 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद सर्वानुमति के साथ उसके समाधान का रास्ता निकला और आज रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण न सिर्फ प्रशस्त हुआ बल्कि रामलला वहां स्थापित हुए। दुनिया के अंदर यह पहली घटना थी जहां प्रभु को अपने स्वयं के अस्तित्व के लिए स्वयं प्रमाण जुटाने पड़े थे लेकिन राम की मर्यादा हमें धैर्य की प्रेरणा देती है। हमें प्रसन्नता इस बात की थी, कि हमने वचन निभाया और मंदिर वहीं बनाया। केवल बोलते नहीं हैं। करते भी हैं। जो कहा करके दिखाया। संकल्प की सिद्धि की।
योगी ने कहा कि भारत के अंदर लोकआस्था का अपमान हो और बहुसंख्यक समुदाय गिड़गिड़ाए। ऐसा दुनिया में कहीं नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जो काम हो रहा है वह काम आजाद भारत में पहले पहल होना चाहिए था। 1947 में ही हो जाना चाहिए था। अयोध्या-काशी और मथुरा की ओर इशारा करते हुए योगी ने कहा, ‘हमने तो केवल तीन जगह मांगी है। अन्य जगहों के बारे में कोई मुद्दा नहीं था। अयोध्या का उत्सव लोगों ने देखा तो नंदी बाबा ने कहा कि भाई हम काहे इंतजार करें। इंतजार किए बगैर रात में बैरिकेड तोड़वा डाले। अब हमारे कृष्ण कन्हैया कहां मानने वाले हैं?’
उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रांताओं ने केवल इस देश के अंदर धन दौलत ही नहीं लूटा था। इस देश की आस्था भी रौदने का काम किया था। आजादी के बाद उन आक्रांताओं को महिमामंडित करने का कुत्सित कार्य किया गया। अपने वोटबैंक के लिए। योगी ने कहा कि दुर्योधन ने कहा था कि सुई की नोक बराबर भूमि भी नहीं दूंगा। फिर तो महाभारत होना ही था। फिर क्या हुआ? कौरव पक्ष समाप्त हो गया।