शुद्धि के लिए यज्ञ का अनुष्ठान अत्यंत आवश्यक : आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री
शुद्धि के लिए यज्ञ का अनुष्ठान अत्यंत आवश्यक : आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री
यज्ञ घर को स्वर्ग बना देता है : महर्षि दयानंद एक युग पुरुष थे
चण्डीगढ़ : आर्य समाज, सेक्टर 7-बी का 65वां वार्षिक उत्सव का शुभारंभ वैदिक यज्ञ से आरंभ हुआ। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैदिक विद्वान आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री ने प्रवचन के दौरान संबोधित करते हुए कहा कि शरीर की शुद्धि के लिए स्नान, संपत्ति की शुद्धि के लिए दान और वातावरण की शुद्धि के लिए यज्ञ का अनुष्ठान अत्यंत आवश्यक है। जहां बड़े-बड़े यज्ञ होते हैं उसे ही प्रयाग कहा जाता है। प्रज्ञाग को महातीर्थ का दर्जा प्राप्त है। प्रयाग से अगर याग को निकाल दे तो उसका कोई अर्थ नहीं रह जाता है। बड़े-बड़े याग अर्थात यज्ञ करने के कारण ही उसका नाम प्रयाग है। यज घर को स्वर्ग बना देता है। स्वर्ग नाम सुख विशेष का है। यज्ञ करने वाले कभी दुखी, रोगी, द्वेषी और अशांत नहीं होते। उन्होंने महर्षि दयानंद की वाणी को उद्धित करते हुए कहा जब-जब होम और हवन का प्रचार था। तब यह देश रोगों से रहित और सुखों से पूरित था। अब भी प्रचार हो जाए तो वैसा ही हो जाए। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद एक युग पुरुष थे। इन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि में भी महर्षि दयानंद ने प्रमुख भूमिका निभाई। भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में महर्षि दयानंद जी का नाम बड़े गौरव से एवं स्वर्णित अक्षरों में लिखा गया है। महर्षि दयानंद ने बाल विवाह का विरोध किया और शिक्षा पर बल दिया। स्त्री शक्ति का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि स्त्री समाज का निर्माण करती है। वह श्रद्धा और सम्मान की अधिकारी है। स्वामी दयानंद ने विधवा विवाह को वेदानुकूल बताया। घृणित सती प्रथा का विरोध किया। महर्षि दयानंद सरस्वती निडर एवं सत्य के पोषक थे। भय शब्द से उनका परिचय नहीं था। महर्षि दयानंद एक निराला योगी थे। जिसने धर्म एवं शिक्षा में क्रांति ला दी। कुरीतियों को हटाकर परिवर्तन लाया परंतु सबसे बड़ी क्रांति उन्होंने मनुष्य के जीवन में की। उद्बोधन से पूर्व चंबा से पधारे आचार्य दीवान चंद्र शास्त्री ने मेरे मनवा निशि दिन जप ले तू ओम प्रभु का नाम और आया रे इक योगी ऐसे उसने किये उपकार समय, की बदल गई रफ्तार आदि भजनों से उपस्थित लोगों को आत्म विभोर कर दिया। आचार्य अमितेश कुमार शास्त्री प्रातः कालीन कार्यक्रम के दौरान यज्ञ सहयोगी के तौर पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली की आर्य समाजों और डीएवी शिक्षण संस्थानों से काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।