ओढ़ा में सरकारी भूमि से कब्जा हटाने को लेकर हुई खूब तकरार
प्रशासन के आदेश पर करीब 9 एकड़ भूमि पर कब्जा कार्रवाई की गई थी। जिसमें कुछ जगहों पर मकान बने हुए थे और कुछ जगह खाली थी। प्रथम तौर पर कुछ निर्माण तोड़े गए हैं। कब्जाधारियों को एक सप्ताह का नोटिस देकर जगह खाली करवाई जाएगी। जिसके बाद निर्माण पूरी तरह से तोड़ दिया जाएगा : विनोद श्योराण, ड्यूटी मजिस्ट्रेट खंड शिक्षा अधिकारी ओढ़ा
- प्रशासन ने औपचारिकता निभाते हुए कुछ मकानों की चारदीवारी गिराई
डिम्पल अरोड़ा, डेमोक्रेटिक फ्रंट, कालांवाली – 11 अक्टूबर :
ओढां में कालांवाली रोड पर करीब 7 एकड़ सरकारी भूमि पर कुछ लोगों द्वारा कूड़ा-कर्कट डालकर अवैध रूप से कब्जा किए जाने के मामले में बुधवार को कब्जा कार्रवाई की गई। इस दौरान शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी विनोद श्योराण को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया। कब्जाधारियों द्वारा विरोध करने की चेतावनी के बाद बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। लोगों ने स्पष्ट कहा कि अगर प्रशासन को कब्जा कारवाई करनी है तो सभी कब्जे समान रूप से हटाए जाए। प्रशासन की ओर से जब एक दुकान को ढहाने के लिए जेसीबी बुलाई गई तो काफी संख्या में महिलाएं व अन्य लोग छत पर चढ़ गए और नारेबाजी शुरू कर दी। इस कार्रवाई के दौरान नायब तहसीलदार अजय मलिक की शब्दावली के कारण लोगों ने उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी जिसके बाद नायब तहसीलदार ने माहौल को देखते हुए अपनी गलती स्वीकार की।
गौरतलब है कि वर्ष 2002 में तत्कालीन पंचायत ने गांव ओढां में कालांवाली रोड पर जेबीटी की इमारत बनाने के लिए 9 एकड़ भूमि शिक्षा विभाग के नाम की थी। लेकिन विभाग ने इस पर जब कोई इमारत नहीं बनाई तो वर्ष 2021 में इसकी मलकियत सरकार के नाम हो गई, जबकि इसकी गिरदावरी अभी भी शिक्षा विभाग के नाम दर्ज है। खाली पड़ी करीब 7 एकड़ भूमि पर गांव के कुछ लोगों ने कूड़ा-कर्कट डालकर अवैध रूप से कब्जा कर लिया। पंचायत की शिकायत के बाद बुधवार को कब्जा कार्रवाई निश्चित की गई थी। प्रशासन को आशंका थी कि इस कार्रवाई के दौरान विवाद हो सकता है। जिसके चलते अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था।
कब्जाधारी पक्ष के काफी लोग जनता अधिकार मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी करनैल सिंह ओढां, प्रदेशाध्यक्ष जसविंदर सिंह बब्बू व महासचिव सुरेन्द्र टोनी के नेतृत्व में कब्जा कार्रवाई से 2 घंटे पहले ही कब्जास्थल के निकट धरना लगा बैठ गए। उन्होंने कहा कि बड़े लोग सरेआम सरकारी भूमि पर कब्जे कर मकान बना रहे हैं प्रशासन उन्हें कुछ नहीं कहता। लेकिन गरीब तबके के लोगों ने सरकारी भूमि पर कूड़ा-कर्कट क्या डाल दिया कि प्रशासन कब्जे का नाम लेकर पीला पंजा व पुलिस फोर्स लेकर पहुंच गया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर कब्जा कार्रवाई करनी है तो समान रूप से करो।
महिलाएं चढ़ गईं छत पर :-
कब्जा कार्रवाई के तहत ड्यूटी मजिस्ट्रेट बीईओ विनोद श्योराण व नायब तहसीलदार अजय मलिक पुलिस फोर्स व पीला पंजा लेकर मौके पर पहुंच गए। प्रशासन ने जब वहां पर बनी एक बड़ी दुकान की तरफ जेसीबी चलानी चाही कुछ महिलाएं व अन्य लोग छत पर चढ़ गए तो कुछ दुकान के अंदर घुस गए और बोले कि पहले समान रूप से कब्जे हटाओ अन्यथा वे नहीं हटेंगे। जब शुरू से मकान तोड़े जाएंगे तब वे भी वहां से हट जाएंगे। काफी देर तक चले बातचीत के दौरान उपरांत प्रशासन ने दुकान से पूर्व बने निर्माण पर जेसीबी चलाई। जिसके बाद प्रशासन ने सर्वप्रथम सरकारी भूमि पर बने एक धार्मिक स्थल के सेवक के घर की चारदीवारी, गौवंश के लिए बनाई गई जगह की चारदीवारी व ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन का शैड तोडऩे के बाद बड़ी दुकान का ऊपरी हिस्सा तोड़ डाला।
कब्जाधारी पक्ष के लोगों व अधिकारियों के बीच काफी समय तक बातचीत चली। इस दौरान नायब तहसीलदार अजय मलिक ने जनता अधिकार मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष एवं जिला परिषद के चुनाव के प्रत्याशी रहे जसविंदर सिंह बब्बू से कहा कि उसने वोट बेचे हैं। जिसके बाद लोग भडक़ गए और नायब तहसीलदार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। जिसके बाद नायब तहसीलदार व लोगों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। वहीं माहौल को देखते हुए नायब तहसीलदार ने अपनी गलती स्वीकार की।