सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर : आम आदमी पार्टी जिला यमुनानगर के युवा अध्यक्ष रघुबीर सिंह छिंदा ने बताया…
Year: 2022
सेक्टर 9 पंचकूला की रेहड़ी मार्किट में आग लगने से पीड़ित दुकानदारों को मुआवजा दे सरकार : चंद्रमोहन पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन…
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए उसकी राशि ही काफी होती है। राशि से…
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि…
“ब्लैकमेलिंग” बना साइबर अपराधियों का पसंदीदा हथियार, बिना डरें 1930 पर करें शिकायत : ओ पी सिंह आईपीए अजय कुमार,…
अजय कुमार, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला – 1 सितम्बर : मीडिया कर्मियों का एक दल आज नगर निगम कमिश्नर वीरेंद्र लाठर…
कार्तिकेय कुमार को अपहरण के एक मामले में कथित संलिप्तता के बावजूद विधि मंत्री बनाए जाने पर विपक्ष ने आपत्ति…
सरकार ने अब तक बहाल नहीं की बुजुर्गों की काटी हुई पेंशन- हुड्डापरिवार पहचान पत्र और आय का बहाना बनाकर…
Koral ‘Purnoor’, demokretic front, Chandigarh September 1, 2022 पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में उर्दू विभाग की ओर से नए विद्यार्थियों के स्वागत के लिए काव्य पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह से भाग लिया, जिसमें कुछ विद्यार्थियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं, और कुछ ने अन्य प्रतिष्ठित कवियों की रचनाओं को अलग-अलग ढंग से प्रस्तुत क़िया। इस अवसर पर उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ. अली अब्बास ने छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा सभी छात्र बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने न केवल अपनी मानक कविताओं का पाठ किया है बल्कि अन्य कवियों की मानक कविताओं को भी चुनकर पेश किया है। डॉ. अब्बास ने आगे कहा कि भारत में काव्य सम्मेलनों या मुशायरों की परंपरा को भी ऐतिहासिक दर्जा प्राप्त है, उर्दू में मुशायरा शब्द बहुत बाद में आया जो आज प्रयोग में है, लेकिन उससे पहले इन्हीं काव्य सभाओं को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता था। जब रेख़्ता उर्दू भाषा का नाम था, तब ऐसी सभाओं को ‘मुराख़्ता’ कहा जाता था, और इसके नियम और क़ानून तय किए जाते थे, और फिर काव्य पाठ के लिए कोई लाइन दी जाती थी और उस समय की काव्य संगोष्ठियों को ‘मुतारिहा’ कहा जाता था, फिर उसके बाद अंजुमन ए पंजाब में कवियों को एक तय विषय पर अपनी रचनाओं को प्रस्तुत करना होता था और उस समय की काव्य सभाओं को ‘मुनाज़िमा’ कहा जाता था, और क़सीदे की जो सभाएँ होती थीं, उन्हें मुक़ासिदा कहा जाता था। इसी प्रकार से आज जो शब्द मुशायरा प्रयोग किया जाता है, वह भी उन्हीं काव्य सभाओं के शब्दों से मिलता-जुलता है, और आज का काव्य-सम्मेलन सभी प्रतिबंधों और हर विषय से मुक्त है, इसलिए इसे ‘मुशायरे’ के नाम से जाना जाता है। डॉ अली ने स्टूडेंट्स के काव्य पाठ की प्रशंसा करते हुए कहा कि शायरी लिखना बड़ी मेहनत का काम है,कवि शब्दों के चयन में बड़ी सूक्ष्मता से काम लेता है तब जाकर वह कविता बनती है, और इसमें कविता कहने से ज़्यादा कविता की समझ ज़्यादा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, इसीलिए विभिन्न आलोचकों और जीवनीकारों के माध्यम से कवियों की मूल रचना का भाव हम तक पहुँचता है। फ़ारसी विभाग से डॉ. ज़ुल्फ़िक़ार अली ने इस अवसर पर छात्रों की सराहना करते हुए कहा कि आपने कविताओं को बेहतर स्वर और आत्मविश्वास के साथ पढ़ा है, जो बधाई योग्य है। उर्दू विभाग से डॉ. जरीन फ़ातिमा ने छात्रों को मार्गदर्शक कविताएँ सुनाने के साथ-साथ उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन विभाग के रिसर्च…
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM गुलाम नबी आजाद ने कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़ दी…