चंडीगढ़, 15 दिसंबर,
फ्रेंच पियानोवादक शनि दिलुका का संगीत कार्यक्रम का आयोजन सेक्टर 18 स्थित टैगोर थियेटर में आयोजित किया गया, जिसमें शनि दिलुका ने अपने पियानो की मधुर धुन से कार्यक्रम में पहुंचे दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बता दें कि शनि दिलुका अपनी पीढ़ी के सबसे महान पियानोवादकों में से एक हैं।
कॉन्सर्ट का आयोजन भारत में फ्रांसीसी एम्बेसी, इंस्टीट्यूट फ्रांसे, एलायंस फ्रांसेस डी चंडीगढ़, चंडीगढ़ कल्चरल डिपार्टमेंट और फर्टाडोस द्वारा आयोजित किया था, कार्यक्रम में प्रवेश निःशुल्क रखा गया था।
उनके माता पिता श्रीलंकाई है,वह मोनैको में जन्मी है तथा 6 वर्ष की आयु में एक कार्यक्रम के दौरान यहाँ की राजकुमारी ग्रेस ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उनको सम्मानित किया। वह भारतीय महाद्वीप की एकमात्र पियानोवादक हैं जिन्होंने जूरी की सर्वसम्मति के साथ प्रथम पुरस्कार प्राप्त करते हुए पेरिस कंजर्वेटरी में प्रवेश किया और मार्था अर्गेरिच की अध्यक्षता वाली प्रतिष्ठित लेक कोमो इंटरनेशनल पियानो अकादमी में प्रवेश किया। कैलस, रोस्ट्रोपोविच या मेनुहिन जैसे दिग्गजों के बाद, वह एक विशिष्ट कलाकार के रूप में प्रतिष्ठित लेबल वार्नर क्लासिक्स में शामिल हुईं।
फ्रेंच पियानोवादक शनि दिलुका बताती हैं कि “पियानो को चुनना उनके लिए बहुत स्वाभाविक था। उन्होंने बताया कि लगातार संगीत के संबंध में यात्रा करने के बाद, वह महीने में केवल 10 दिन घर आती थी क्योंकि वह कभी भी एक जगह पर ज्यादा समय तक नहीं रहती थी। उन्होंने बताया कि एक पियानोवादक के रूप में मेरा एकमात्र लक्ष्य लोगों के लिए बेहतरीन संगीत की पेशकश करने था ताकि लोग बेहतर संगीत को महसूस कर सकें। वह जब संगीत की परफॉर्मेंस देती है तो वह यह चुपके से देखती है कि उनके संगीत से श्रोताओं के चेहरे पर भावनात्मक रंगत आ गई है।
राजकुमारी ग्रेस द्वारा स्थापित प्रतिभाशाली युवा संगीतकारों के लिए एक कार्यक्रम के तहत छह साल की उम्र में शनि को अपनी पसंद का एक उपकरण चुनने के लिए कहा गया था। और उन्होंने पियानो को चुना और विश्व स्तरीय ख्याति प्राप्त की।
इसके बाद के उन्हें विभिन्न प्रतिष्ठित समारोहों में कई पुरस्कारों और प्रशंसा पत्र से नवाज़ा जा चुका है। अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस के बाद उनको पेरिस कंज़र्वेटरी में भाग लेने का मौका मिला जहाँ उन्होंने जूरी द्वारा पहला पुरस्कार प्राप्त किया।
एक तारकीय कैरियर ने उन्हें ऑर्केस्ट्रा फिलहारमोनिक डे मोंटे-कार्लो, ऑर्चेस्टर नेशनल बोर्डो एक्विटेन, स्वीडन के रॉयल कोर्ट ऑर्केस्ट्रा जैसे कुछ प्रसिद्ध आर्केस्ट्रा के लिए एक सोलोइस्ट आर्टिस्ट के रूप में देखा गया है। उन्होंने लॉरेंस फोस्टर, व्लादिमीर फेडोसिव, लुडोविक मोरलॉट आदि जैसे प्रमुख कंडक्टरों के साथ काम किया है और बीथोवेन, मेंडेलसोहन, शुबर्ट और ग्रिग की उनकी सोलो रिकॉर्डिंग में बड़ी संख्या में पुरस्कार हासिल किए हैं।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक को मोनाको के नाइट ऑफ द ऑर्डर ऑफ कल्चरल मेरिट से सम्मानित किया गया था, जो मोनाको में अपने काम या शिक्षण के माध्यम से कला, पत्र या विज्ञान में विशिष्ट योगदान देने वालों को दिया जाता है।
शनि दिलुका भारत के केवल दो शहरों दिल्ली और चंडीगढ़ में यात्रा की है।