पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क 06 दिसम्बर 22 :
नोटः आज पिशाच मोचन श्राद्ध है:
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पिशाच मोचन श्राद्ध के दिन प्रेत योनि में गए हुए पूर्वजों के निमित्त तर्पण करने का नियम बताया गया है। अगहन मास में मनाई जाने वाली पिशाच मोचन श्राद्ध तिथि पर अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व होता है. इस दिन शांति के उपाय करने से प्रेत योनि और जिन लोगों को भूत प्रेत से डर लगता है उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिलती है। पित्र दोष को शांत करने के लिए शास्त्रों में पिशाच मोचन श्राद्ध को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। हमारे शास्त्रों में श्राद्ध के बहुत सारे विधि विधान बताए गए हैं। जिनके द्वारा पितरों की शांति और मुक्ति होती है।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः मार्गशीर्ष,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः चतुर्दशी (तिथि की वृद्धि है, जो बुधवार को प्रातः 08.02 तक है),
वारः मंगलवार।
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन,मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।
नक्षत्रः भरणी प्रातः कालः 08.38 तक है,
योगः शिव रात्रि काल 02.52 तक,
करणः गर,
सूर्य राशिः वृश्चिक, चंद्र राशिः मेष,
राहु कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक,
सूर्योदयः 07.04, सूर्यास्तः 05.20 बजे।