जानिए क्या है पिशाच मोचन श्राद्ध का महत्व और विधान

            पिशाचमोचनी श्राद्ध कर्म द्वारा व्यक्ति अपने पित्ररों को शांति प्रदान करता है तथा उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति प्रदान करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि व्यक्ति अपने पित्ररों की मुक्ति एवं शांति के लिए यदि श्राद्ध कर्म एवं तर्पण न करे तो उसे पितृदोष को भुगतना पड़ता है और उसके जीवन में अनेक प्रकार के कष्ट उत्पन्न होने लगते हैं। जो अकाल मृत्यु व किसी दुर्घटना में मारे जाते हैं उनके लिए यह श्राद्ध कर्म महत्वपूर्ण माना जाता है। इस प्रकार इस दिन श्राद्धादि कर्म संपन्न करते हुए जीव को मुक्ति प्रदान करता है। यह दिन पितृों को अभीष्ट सिद्धि देने वाला होता है। इसलिए इस दिन में किया गया श्राद्ध कर्म अक्षय होता है और पित्रर इससे संतुष्ट होते हैं। इस तिथि को श्राद्ध कर्म करने से पितृ प्रसन्न होते हैं सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा पितृरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन तीर्थ, स्नान, जप, तप और व्रत के पुण्य से ऋण(कर्जों) और पापों से छुटकारा मिलता है। इसलिए यह संयम, साधना और तप के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है जिससे तन, मन,धन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

पिशाचमोचन श्राद्ध: यहां करें पितरों का पिंडदान, मिलेगी आत्मा को मुक्ति! –  News18 हिंदी
काशी के पिशाच मोचन तीर्थ कुंड में अतृप्त और अशांत आत्माओं के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। जो भी हिंदू धर्मावलंबी अकाल मृत्यु का शिकार होता है उसके लिए त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म पिशाच मोचन कुंड पर ही होता है।

राजविरेन्द्र वसिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क 06 दिसम्बर 22 :

पिशाच मोचन श्राद्ध आज

            पिशाच मोचन श्राद्ध के दिन पिशाच की योनि में गए पूर्वजों के निमित्त तर्पण आदि करने का विधान बताया गया है।

6 दिसंबर 2022 को पिशाच मोचन श्राद्ध किया जाना है

            स्थिति पर अकाल मृत्यु प्राप्त करने वाले पितरों का श्राद्ध करने का महत्व होता है। सर पर शांति के उपाय करने पर प्रेत योनि वह जिन्हें भूत प्रेत से भैया व्याप्त हो उन्हें पित्र दोष से मुक्ति मिलती है। इस दोष की शांति हेतु शास्त्रों में पिशाच मोचन श्राद्ध को महत्वपूर्ण माना गया है। मार्गशीर्ष माह में आने वाला पिशाच मोचन श्राद्ध बहुत महत्वपूर्ण होता है। सिराज के अनेक विधि विधान बताए गए हैं जिनके द्वारा इनकी शांति प्राप्त होती है।

पिशाच मोचन श्राद्ध का विधान

            इस दिन व्रत स्नान दान जप होम और पितरों के लिए भोजन वस्त्र देना उत्तम होता है। शास्त्रों के अनुसार काल में स्नान कर संकल्प लें उपवास करें। कुश अमावस के दिन किसी पात्र में जल भरकर  कुशा के पास दक्षिण दिशा की ओर अपना मुख करके बैठ जाएं तथा अपने सभी पितरों को को जल दें अपने परिवार आदि की स्वास्थ्य की शुभदा की प्रार्थना करनी चाहिए तिलक आचमन के उपरांत पीतल या तांबे के बर्तन में पानी भरकर उसमें दूध दही शहद भी कुमकुम अक्षत तिलक तिल कुश रखते हैं।

पिशाच मोचन श्राद्ध का महत्व

            पिशाच मोचन श्राद्ध कर्म द्वारा व्यक्ति अपने पितरों को शांति प्रदान करता है तथा होने प्रेत योनि से मुक्ति दिलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि व्यक्ति अपने पितरों की मुक्ति एवं शांति हेतु श्राद्ध तर्पण आदि ना करें तो से पित्र दोष भुगतना पड़ता है जो अकाल मृत्यु या किसी दुर्घटना में मारे जाते हैं उनके लिए श्राद्ध महत्वपूर्ण माना जाता है इस प्रकार इस दिन श्राद्ध दादी कर्म संपन्न करके जी मुक्ति पाता है।

यह पितरों को अभीष्ट सिद्धि देने वाला समय होता है

            20 दिन में किया गया श्राद्ध अक्षय होता है और पित्र एंड से संतुष्ट होते हैं स्थिति को करने से भी प्रसन्न होते हैं सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं तथा पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान विष्णु की आराधना की जाती है जिससे तन मन और धन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।