बड़ी खबर! 14 रुपए तक सस्ता हो रहा है पेट्रोल-डीजल, कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी ने दी खुशखबरी

                         कच्चे तेल के दाम गिरने के चलते देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 14 रुपए तक की कमी आ सकती है। इंटरनेशनल बाजार में कच्चे तेल (ब्रेंट) की कीमत जनवरी से निचले स्तर पर हैं। यह अब 81 डॉलर से नीचे आ गया है। अमेरिकी क्रूड 74 डॉलर प्रति बैरल के करीब है। एसएमसी ग्लोबल के मुताबिक, क्रूड में 1 डॉलर गिरावट आने पर देश की तेल कंपनियों को रिफाइनिंग पर प्रति लीटर 45 पैसे की बचत होती है। इस हिसाब से पेट्रोल-डीजल के दाम 14 रु. प्रति लीटर तक कम होने चाहिए। हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक पूरी कटौती एक बार में नहीं होगी।

Petrol-diesel price

अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/ नयी दिल्ली :

            कच्चे तेल के दाम गिरने के चलते देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 14 रुपए तक की कमी आ सकती है। इंटरनेशनल बाजार में कच्चे तेल (ब्रेंट) की कीमत जनवरी से निचले स्तर पर हैं। यह अब 81 डॉलर से नीचे आ गया है। अमेरिकी क्रूड 74 डॉलर प्रति बैरल के करीब है।

            खास तौर पर कच्चे तेल की कीमत में बड़ी गिरावट से भारतीय रिफाइनरी के लिए कच्चे तेल की औसत कीमत (इंडियन बास्केट) घटकर 82 डॉलर प्रति बैरल रह गई है। मार्च में ये 112.8 डॉलर थी। इस हिसाब से 8 महीने में रिफाइनिंग कंपनियों के लिए कच्चे तेल के दाम 31 डॉलर (27%) कम हो गए हैं।

            एसएमसी ग्लोबल के मुताबिक, क्रूड में 1 डॉलर गिरावट आने पर देश की तेल कंपनियों को रिफाइनिंग पर प्रति लीटर 45 पैसे की बचत होती है। इस हिसाब से पेट्रोल-डीजल के दाम 14 रु. प्रति लीटर तक कम होने चाहिए। हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक पूरी कटौती एक बार में नहीं होगी।

जानिए पेट्रोल-डीजल के दाम घटने की 3 वजह

1. ऑयल कंपनियों को प्रति बैरल 245 रुपए की बचत

            अभी देश में पेट्रोल और डीजल की जो कीमतें हैं, उसके हिसाब से क्रूड ऑयल का इंडियन बास्केट करीब 85 डॉलर प्रति बैरल होना चाहिए, लेकिन ये 82 डॉलर के आसपास आ गया है। इस भाव पर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को प्रति बैरल (159 लीटर) रिफाइनिंग पर करीब 245 रुपए की बचत होगी।

2. ऑयल कंपनियों को हो रहा घाटा अब खत्म

            पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर मुनाफा होने लगा है, लेकिन डीजल पर अब भी 4 रुपए प्रति लीटर घाटा हो रहा है। तब से अब तक ब्रेंट क्रूड करीब 10% सस्ता हो गया है। ऐसे में कंपनियां डीजल पर भी मुनाफे में आ गई हैं।

3. 70 डॉलर की तरफ बढ़ रहा कच्चा तेल, मिलेगी राहत

            पेट्रोलियम एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने कहा कि ब्रेंट तेजी से 70 डॉलर की तरफ बढ़ रहा है। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम जरूर कम होंगे, लेकिन थोड़ा वक्त लगेगा। तेल आयात से लेकर रिफाइनिंग तक का साइकल 30 दिन का होता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम घटने के एक माह बाद असर दिखता है।

देश में तेल के दाम पिछले करीब 6 महीने से स्थिर हैं। हालांकि जुलाई में महाराष्ट्र में पेट्रोल जरूर पांच रुपए और डीजल तीन रुपए प्रति लीटर सस्ता हुआ था, लेकिन बाकी राज्यों में दाम जस के तस बने हुए हैं।

मुख्य रूप से 4 बातों पर निर्भर करते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम

  • कच्चे तेल की कीमत
  • रुपए के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कीमत
  • केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वसूले जाने वाला टैक्स
  • देश में फ्यूल की मांग

भारत अपनी जरूरत का 85% कच्चा तेल करता है आयात
            हम अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं। इसकी कीमत हमें डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से पेट्रोल-डीजल महंगे होने लगते हैं। कच्चा तेल बैरल में आता है। एक बैरल यानी 159 लीटर कच्चा तेल होता है।

भारत में कैसे तय होती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
            जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी।

            19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया। अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।

गैंगरेप के 11 दोषियों को दोबारा जेल भेजने की मांग, इनकी 15 अगस्त को हुई थी रिहाई

            13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि सजा 2008 में मिली, इसलिए रिहाई के लिए 2014 में गुजरात में बने कठोर नियम लागू नहीं होंगे। 1992 के नियम ही लागू होंगे जिसके तहत  गुजरात सरकार ने 14 साल की सजा काट चुके लोगों को रिहा किया था। अब बिलकिस बानो 13 मई के आदेश पर पुनर्विचार की मांग कर रही हैं। उनका कहना है कि जब मुकदमा महाराष्ट्र में चला, तो नियम भी वहां के लागू होंगे गुजरात के नहीं।

गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में बिलकिस का गैंगरेप हुआ

अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/ नयी दिल्ली – 30 नवंबर :

            2002 के गुजरात दंगों के दौरान परिवार की हत्या और गैंगरेप के 11 दोषियों को रिहाई मिलने के बाद बिलकिस बानो ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के मई के उस आदेश को चुनौती देते हुए एक समीक्षा याचिका भी दायर की जिसमें गुजरात सरकार को 1992 की छूट नीति के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई थी।

            पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती दी गई है और सभी को तुरंत जेल भेजने की मांग की गई है। जबकि दूसरी याचिका सुप्रीम कोर्ट के मई के आदेश पर पुनर्विचार याचिका है। बिलकिस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की भी मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश भारत,  डी वाई चंद्रचूड़ ने भरोसा दिया कि मामले में देखेंगे कि कब सुनवाई हो सकती है।

मुख्य न्यायाधीश भारत डी वाई चंद्रचूड़ ने दिया भरोसा

            याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय उस फैसले पर फिर से विचार करे जिसमें कहा गया था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। बिलकिस ने कहा है कि इसके लिए उपयुक्त सरकार महाराष्ट्र सरकार है।  क्योंकि केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था। बिलकिस की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में जल्द सुनवाई की भी मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश भारत डी वाई चंद्रचूड़ ने भरोसा दिया कि मामले में देखेंगे कि कब सुनवाई हो सकती है।

            हादसे के समय बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे गर्भवती थीं। दंगों में उसके परिवार के 6 सदस्य जान बचाकर भागने में कामयाब रहे। गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपियों की सजा को बरकरार रखा था। आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था। करीब 9 साल बाद सभी को गोधरा की सबजेल में भेज दिया गया था।

            दोषियों की रिहाई पर बिलकिस के पति याकूब रसूल ने कहा, ‘हमें यकीन ही नहीं हो रहा कि बिलकिस से गैंगरेप करने वाले, मेरी 3 साल की बेटी को पटक-पटककर मार देने वाले, मेरे परिवार के सात लोगों की हत्या करने वालों को सरकार ने कैसे छोड़ दिया। ये सोचकर ही हमें डर लग रहा है। इस फैसले ने बिलकिस को तोड़ दिया है। वो किसी से बात नहीं कर रही हैं। वह कुछ भी कहने की हालत में नही हैं।’

           जेल से रिहा होने के बाद एक आरोपी ने कहा- जब हम जेल से छूटे तो परिवार में खुशी का माहौल था। जेल में रहने के दौरान हमने असहनीय कष्ट और अपमान सहा। अपने कई दोस्तों-रिश्तेदारों को भी खो दिया। हमारे साथ सजा काट रहे जशुकाका की पत्नी की कैंसर से मौत हो गई।


           27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच में भीड़ ने आग लगा दी थी। इसमें अयोध्या से लौट रहे 57 कारसेवकों की मौत के बाद दंगे भड़क गए थे। दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। इनमें ज्यादातर मुसलमान थे। केंद्र सरकार ने मई 2005 में राज्यसभा में बताया था कि गुजरात दंगों में 254 हिंदू और 750 मुसलमान मारे गए थे।