पंचांग, 20 अगस्त 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 20 अगस्त 22 :

नोटः आज श्री गुग्गा नवमी व्रत एवं गोकुलाष्टमी नन्दोत्सव है।

श्री गुग्गा नवमी

श्री गुग्गा नवमी व्रत : गोगा नवमी जन्माष्टमी के दुसरे दिन मनाई जाती हैं | सनातन धर्म में गोगा नवमी का विशेष महत्त्व हैं। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को गोगा नवमी का त्यौहार मनाया जाता हैं , जिसे ” गोगा नवमी “ के नाम से जाना जाता हैं अश्वारोही योद्धा के रूप उनकी पूजा की जाती हैं | गोगाजी के स्थान पर सर्प की आकृति खुदी हुई होती हैं इनका स्थान खेजड़ी के पेड़ के नीचे होता हैं | गोगाजी को नागराज का अवतार माना जाता हैं | 

गोकुलाष्टमी नन्दोत्सव

गोकुलाष्टमी नन्दोत्सव : ब्रजमंडल क्षेत्र के गोकुल और नंदगांव में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के दूसरे दिन नंदोत्सव या नंद उत्सव का विशेष आयोजन होता है। शास्त्रों के अनुसार कंस की नगरी मथुरा में अर्धरात्रि में श्रीकृष्ण के जन्म के बाद सभी सैनिकों को नींद आ जाती है और वासुदेव की बेड़ियां खुल जाती हैं। तब वासुदेव कृष्णलला को गोकुल में नंदराय के यहां छोड़ आते हैं। नंदराय जी के घर लाला का जन्म हुआ है धीरे-धीरे यह बात गोकुल में फैल जाती है। अतः श्रीकृष्ण जन्म के दूसरे दिन गोकुल में ‘नंदोत्सव’ पर्व मनाया जाता है। भाद्रपद मास की नवमी पर समस्त ब्रजमंडल में नंदोत्सव की धूम रहती है। श्री कृष्ण का जन्म मात्र एक पूजा-अर्चना का विषय नहीं है बल्कि एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव में भगवान के श्री विग्रह पर कपूर, हल्दी, दही, घी, तेल, केसर तथा जल आदि चढ़ाने के बाद लोग बडे़ हर्षोल्लास के साथ इन वस्तुओं का परस्पर  सेवन करते हैं। पूरे उत्तर भारत में इस त्‍यौहार के उत्‍सव के दौरान भजन गाए जाते हैं व नृत्‍य किया जाता है।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः भाद्रपद़, 

पक्षः कृष्ण, 

तिथिः नवमी रात्रि काल 01.09 तक है, 

वारः शनिवार, 

नक्षत्रः रोहिणी अरूणोदयकाल 04.40 तक है, 

योगः व्यातिपात रात्रि 09.41 तक। 

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी, गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।

करणः तैतिल, 

सूर्य राशिः सिंह, चंद्र राशिः वृष, 

राहु कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक, 

सूर्योदयः 05.57, सूर्यास्तः 06.52 बजे।