पंचांग, 18 अगस्त 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
नोटः आज शीतला सप्तमी व्रत है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत (स्मार्त), है।
शीतला सप्तमी व्रत : शीतला सप्तमी का व्रत करने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं। इस व्रत की विशेषता है कि शीतला देवी को भोग लगाने वाले सभी भोजन को एक दिन पूर्व की बना लिया जाता है।दूसरे दिन शीतला माता को भोग लगाया जाता है। इसलिए इस व्रत को बसोरा भी कहते हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत : इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व दो दिन तक रहने वाला है। क्योंकि भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 18 और 19 अगस्त को देशभर में मनाई जाएगी। जन्माष्टमी में रोहिणी नक्षत्र को खास महत्व दिया जाता है।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः भाद्रपद़,
पक्षः कृष्ण,
तिथिः सप्तमी रात्रि काल 09.22 तक है,
वारः गुरूवार,
नक्षत्रः भरणी रात्रि 11.35 तक है।
विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
योगः वृद्धि रात्रि 08.41 तक,
करणः विष्टि,
सूर्य राशिः सिंह, चंद्र राशिः मेष,
राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.56, सूर्यास्तः 06.54 बजे।