सफाई व्यवस्था में फर्जी हाजिरी, सफाई पर पार्षद व लोग जागें

करणीदानसिंह राजपूत,  डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़  –  29 जुलाई  :

नगरपालिकाओं की सफाई व्यवस्था पर आवाजें उठती रही है और गंदगी कचरे के ढेरों की तस्वीरें छपती रही हैं।सोशल मीडिया पर सवाल उठते रहे हैं। 

अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी  दो चार बार वार्डों का निरीक्षण करते हैं और अस्थायी सी सस्पेंशन की कार्यवाही करके एवं निर्देश देकर ठंडे है जाते हैं। निरीक्षण और कार्यवाही कुछ दिन बाद हवा हो जाते हैं।

सफाई कर्मचारी कई बार तो पांच सात दिन नहीं आते और जमादार भी नहीं आए तब किसको कहा जाए? वार्ड पार्षद को कहा जाता है तो कोई ठोस जवाब नहीं मिलता बल्कि वह भी निराशा वाला जवाब देता है।

स्थानीय निकाय के निदेशालय जयपुर से स्पष्ट आदेश है कि सफाई कर्मचारी की हाजिरी वहीं लगेगी जहां उसकी फील्ड में ड्युटी होगी। यदि ऐसा नहीं होगा तो वेतन नहीं मिलेगा। एकदम स्पष्ट आदेश है। लेकिन इनका पालन भ्रष्टाचार और अनियमितता की भेंट चढा दिया जाता है।

कुछ सफाईकर्मी की हाजिरी तो फील्ड में लगती है और वे सुबह नगरपालिका कार्यालय खुलने के समय भीतर आते हैं और शाम को कार्यालय बंद होने पर बाहर निकलते हैं। नगरपालिका कार्यालय के सीसीटीवी कैमरे इसके गवाह होंगे। वैसे यह अन्य कई प्रकार से भी प्रमाणित हो सकता है। जब एक सफाई कर्मचारी सुबह से शाम तक नगरपालिका कार्यालय में रहता है और सदा रहता है तो यह तो स्पष्ट है कि सरकारी आदेश के अनुसार वह फील्ड में ड्युटी पर हाजिर नहीं है। उसकी हाजिरी फर्जी लगाई जा रही है और वेतन भी गलत दिया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी किनकी है जो बिना काम के वेतन देते हैं। 

हाजिरी प्रमाणित करने वाला फील्ड में हाजिर दिखाने वाला सफाईनिरीक्षक और जमादार। इसके अलावा अधिशासी अधिकारी जो सरकार के आदेशों का पालन नहीं कर रहा। अधिशासी अधिकारी को मालुम होता है कि सफाई कर्मचारी सुबह से शाम तक और सदा नगरपालिका कार्यालय में मौजूद है। अधिशासी अधिकारी उसे कार्यालय में मौजूद क्यों रख रहा है? अधिशासी अधिकारी को यह मालुम है कि फील्ड में कार्यस्थल पर हाजिरी फर्जी लग रही है तो वेतन दिए जाने के लिए हाजिरी के दस्तावेज फर्जी तैयार होते हैं। इस फर्जकारी का जिम्मेदार और सरकारी कोष को नुकसान पहुंचाने वाले सभी दोषी होते हैं। अधिशासी अधिकारी सफाई निरीक्षक जमादार तीन तो स्पष्ट रूप में दोषी। 

अब एक और सवाल कि कर्मचारी की जगह दूसरा व्यक्ति काम करे। सफाई कर्मचारी अपने परिवार के सदस्य को भेजे जिसको जानकारी नहीं और वह कुछ देर बाद लौट जाए। सफाई कर्मचारी अपने वेतन में से आधे या और कम पर किसी को लगाए। वह भी कुछ समय फील्ड में रहे और लौट जाए। मतलब वहां सफाई नहीं हो रही। अधिशासी अधिकारी के समक्ष यह बातें रखी जाती है तो वह टालमटोल करते हैं।

इसका एक हल है कि सख्ती से कार्यवाही हो। उसकी बड़ी जिम्मेदारी स्वास्थ्य निरीक्षक की है कि वह फर्जी हाजिरी नहीं लगाए। फील्ड में ड्युटी पर हो उसी की हाजिरी लगाए।  नगरपालिका में नियुक्त कर्मचारी ही ड्युटी पर काम करे। असली कर्मचारी के अलावा किसी अन्य को काम पर नहीं लगाए।

जमादारों के पास एक डायरी हो जिसमें वे अपने प्रतिदिन का निरीक्षण लिखें। 

* गलियों व सड़कों पर कचरा फेंकने वालों पर,गोबर सड़कों के किनारे ढेर लगाने वालों पर कार्यवाही लिखित में हो और जुर्माने का प्रावधान हो।

* नालों पर अतिक्रमण व पक्के निर्माण से दुकानदारी,घरों के आगे नालों पर सड़कों के ऊपर तक बनाए रैंप से सफाई नहीं होती। स्वास्थ्य निरीक्षक एक एक सड़क और गली,बाजार की रिपोर्ट सफाई कर्मचारी व जमादार से तैयार करवाए और वह हर गली सड़क बाजार की अलग अलग फाईनल करके कार्यवाही के लिए अधिशासी अधिकारी को दे। अधिशासी अधिकारी इस पर कार्यवाही नहीं करेगा तो वह किसी भी प्रकार के नुकसान और दुर्घटना का पूरी तरह से जिम्मेदार होगा। 

* इतना होने पर ही शहर की सफाई व्यवस्था में सुधार हो सकता है।

**पार्षदों और शहर की संस्थाओं और जागरूक लोगों को नगरपालिका प्रशासन को यह सब या और भी अपनी ओर से लिखित में देना चाहिए और तुरंत देना चाहिए।