खेतों में बिना ड्राईवर के ट्रैक्टर
शायद ट्रैक्टर चलाना और इससे खेतों की जुताई करना ना कभी इतना आसान रहा और पर्यावरण के बेहद अनुकूल भी नहीं। और फिर जब दुनिया तेजी से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर बढ़ रही है तो एक ई-ट्रैक्टर की जरूरत सेे इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में किसानों के एक सच्चे दोस्त मोनार्क ट्रैक्टर ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है।
- इस ई-ट्रैक्टर में ऑटोनॉमस क्षमताएं हैं जो इसे अपने आप आगे बढ़ने की अनुमति देती हैं।
- अमरीका में पेश मोनार्क ई-ट्रैक्टर एक बार फुल चार्ज होने पर 10 घंटे तक काम कर सकता है।
- ई-ट्रैक्टर में पारंपरिक ट्रैक्टरों की तुलना में दोगुना टॉर्क है और एटीवी की तरह इस्तेमाल की सुविधा।
डेमोक्रेटिक फ्रंट॰कॉम, नयी दिल्ली/नोएडा :
एस्कॉर्ट्स लिमिटेड ने अपने सालाना इनोवेशन प्लेटफॉर्म ‘एसक्लूसिव 2018’ में देश का पहला ऑटोमेटेड ट्रैक्टर को पेश किया। ट्रैक्टर के अलावा कंपनी ने कई दूसरे एग्रीकल्चर प्रोडक्ट भी पेश किए। नये ऑटोमेटेड ट्रैक्टर में लेटेस्ट टेक्नोलजी का इस्तेमाल किया गया है। इसके लिए एस्कॉर्ट्स ने 7 बड़ी कंपनियों से हाथ मिलाया है। इन कंपनियों में माइक्रोसॉफ्ट, रिलायंस जियो, ट्रिम्बल, समवर्धन मदरसन ग्रुप, वैबको, एवीएल और बॉश शामिल हैं। इन कंपनियों से एस्कॉर्ट्स इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन, रिमोट व्हीकल मैनेजमेंट और डेटा-बेस्ड सॉइल और क्रॉप मैनेजमेंट में सहयोग लेगी।
एस्कॉर्ट्स का यह ट्रैक्टर अपनी तरह का पहला ट्रैक्टर है। यह खेत में काम करने के लिए सैटेलाइट कनेक्टिविटी और जियो फेंसिंग जैसी तकनीक का इस्तेमाल करता है। इसमें कई तरह के एडवांस सेंसर लगे हैं जो इसे बिल्कुल सीधा चलाने में मदद करते हैं। साथ ही यह ओवरलैपिंग नहीं करेगा, जिससे खेत में बीज डालने का काम काफी आसान हो जाएगा।
यह ऑटो स्पीड, ऑटो ब्रेकिंग और ऑटो क्लच से लैस है। ऐसे में एक बार खेत में उतारने के बाद इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं रहेगी। इसके रास्ते में कोई रुकावट आते ही यह ट्रैक्टर अपने आप रुक जाएगा। ऐसे में कोई हादसा होने की संभावना काफी कम हो जाती है। हालांकि, यह ट्रैक्टर सिर्फ खेत में इस्तेमाल किया जा सकता है। सामान ढोने और सड़क पर चलाने के लिए इसे तैयार नहीं किया गया है।
इस ऑटोनोमस ट्रैक्टर के साथ कंपनी ने कई दूसरे स्मार्ट एग्रीकल्चर सॉल्यूशंस भी पेश किए हैं। इनमें स्मार्ट स्प्रेयर, सीडर आदि शामिल है। स्मार्ट सीडर की बात करें तो यह ट्रैक्टर से सिग्नल लेगा और निश्चित मात्रा में बीज बोयेगा। साथ ही जमीन की जरूरत के मुताबिक खाद डालेगा। यह जमीन में पानी की गहराई, मात्रा आदि को सेंस कर लेता है।
इस मौके पर बात करते हुए एस्कॉर्ट्स लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी निखिल नंदा ने बताया, ‘पिछले साल हमने विश्व का पहला इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर कॉन्सेप्ट लॉन्च किया था और इस वर्ष हम ऑटोमैटेड एग्रीकल्चर सॉल्यूशंस की शुरुआत कर रहे हैं। इसके लिए हमने कई कंपनियों से हाथ मिलाया है।’ उन्होंने कहा कि कि हम अब ट्रैक्टर कंपनी से सॉल्यूशन कंपनी की ओर बढ़ रहे हैं। यह सिर्फ ऑटोनोमस ट्रैक्टर की शुरूआत नहीं बल्कि यह स्मार्ट फार्मिंग और डिजिटली कनेक्टिड फार्मिंग की शुरुआत है। कीमत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसकी कीमत भारतीय बाजार को ध्यान में रखकर तय की जाएगी।
एस्कॉर्ट्स एग्री मशीनरी के चीफ एग्जीक्यूटिव शेनू अग्रवाल ने कहा कि यह ट्रैक्टर 80 फीसद ऑटोनोमस है। हम इसी सीमा तक इसमें ऑटोमेशन चाहते थे। इसी तैयार करने के लिए हमने किसानों से इनपुट लिए हैं और उनकी समस्याओं को ध्यान में रखकर इसे तैयार किया गया है। इसमें ऑटो स्टीयरिंग जैसे फीचर्स दिए गए हैं जो इसे ओवरलैपिंग से बचाएगा। इससे किसानों की लागत घटेगी और वो ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे। कीमत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यह अफॉर्डेबल प्राइस में उपलब्ध होगा।
कंपनी अगले साल मई तक इसका कमर्शियल ग्लोबल लॉन्च करेगी। इस मौके पर कंपनी ने ट्रैक्सी (ऐप के माध्यम से ट्रैक्टर की बुकिंग) 48 घंटे में स्पेयर पार्ट्स की डिलीवरी और एस्कॉर्ट्स क्रॉप सॉल्यून्श जैसी दूसरी सर्विसेज की भी घोषणा की।