कृषि के विकास के लिए सरकार वचनबद्ध:रंजीता

‘पुरूर’ कोरल, चंडीगढ़:

हरियाणा प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता रंजीता मेहता ने सरकार द्वारा उनको वापस लेने लेने पर किसानों को बधाई दी और कहा शायद इन कानूनों के बारे में किसानों को ठीक से समझा नहीं सके और अभी इस मुद्दे पर किसानों के साथ चर्चा की जाएगी ।

रंजीता ने बताया कि सरकार डेढ़ लाख करोड़ सीधे उनके बैंक अकाउंट में डाला गया कृषि के विकास के लिए बजट पाँच गुणा बढ़ाया गया । आने वाले समय में भी कृषि के उत्थान और किसानों के कल्याण के लिए सरकार वचनबद्ध है।

ऋषि क़ानूनों के वापिस लेने पर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने प्रधान मंत्री की तारीफ की

कांग्रेस से इस्तीफा देते समय कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि यदि किसानों का मुद्दा सुलझ जाता है तो वे भाजपा के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं। तब से कयास लगाए जा रहे थे कि कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार बड़ा फैसला ले सकती है। कृषि कानून रद्द करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एलान से पंजाब की सियासत में नई सुगबुगाहट शुरू हो गई है। पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस फैसले पर खुशी जताते ये साफ किया है कि वे भाजपा के साथ काम करने को उत्सुक हैं। इस बयान के बाद ये साफ हो गया है कि पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा और कैप्टन मिलकर लड़ेंगे। ऐसे में पंजाब विधानसभा चुनाव में नया गठबंधन बनने की मार्ग प्रशस्त हो गया।

नरेश शर्मा ‘भारद्वाज’, चंडीगढ़ :

श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव के मौके पर तीनों नए कृषि कानून रद्द करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुशी जताई है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पीएम का शुक्रिया अदा किया है उन्होंने कहा कि वे भाजपा से सीट शेयरिंग करके विधानसभा चुनाव में उतरेंगे। कैप्टन ने पहले ही कहा था कि जैसे ही कृषि कानून रद्द होंगे और किसान आंदोलन खत्म होगा, तो वे भाजपा के साथ मिलकर चुनावी ताल ठोकेंगे। अब यह बात तय भी हो गई है कि सूबे में साढ़े तीन महीने बाद होने वाले चुनाव कैप्टन भाजपा के साथ मिलकर ही लड़ेंगे।

तीनों नए कृषि कानून रद्द करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा पर पंजाब के पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि वे भाजपा से सीट शेयरिंग करके विधानसभा चुनाव में उतरेंगे। कैप्टन ने पहले ही कहा था कि जैसे ही कृषि कानून रद्द होंगे और किसान आंदोलन खत्म होगा, तो वे भाजपा के साथ मिलकर चुनावी ताल ठोकेंगे। अब यह बात तय भी हो गई है कि सूबे में साढ़े तीन महीने बाद होने वाले चुनाव कैप्टन भाजपा के साथ मिलकर ही लड़ेंगे।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुशी जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की बात सुनकर उनकी चिंता समझी और कृषि कानून रद्द करने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा, ‘मैं लगातार इस मुद्दे को उठाता रहा और केंद्र सरकार से मिलता रहा। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘पंजाब में आज हमारे लिए यह बहुत बड़ा दिन है। मैं इस मामले को एक साल से ज्यादा समय से उठा रहा था। इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिला। उनसे गुजारिश करता रहा कि वे अन्नदाता की आवाज सुनें। बहुत खुशी है कि उन्होंने किसानों की बात सुनी और हमारी चिंताओं को समझा

स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से सरकारी तंत्र सवालों के घेरे में,जनता पर पड़ रही दोहरी मार

:– स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से धरातल पर कार्य करने की है अति आश्यकता
:-स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव में जनता की अपेक्षाओं से हो रहा खिलवाड़
:-ड़ेंगू से जूझ रही आम जनता को स्वास्थ्य सुविधाओं की दरकार
:-स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से सरकारी तंत्र सवालों के घेरे में,जनता पर पड़ रही दोहरी मार
:-जनता को संपूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं देने में विफ़ल होती शासन व्यवस्था
:- स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से धरातल पर कार्य करने की है अति आवश्यकता
:- बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सरकार की प्रतिबद्धता अपेक्षित

सुशिल पंडित

किसी भी देश की लोकतंत्र स्वस्थ व सुदृढ़ होना वहाँ की जनता को मिल रही मूलभूत सुविधाओं पर निर्भर करता है। जनता की अपेक्षाओं और भावनाओं पर खरा उतरना मौजूदा शासन व्यवस्था की नैतिक जिम्मेदारी होती है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, यहां के सविधान में लोगो को राज्य से आधारभूत सुविधाओं की मांग की गारंटी दी गई है। भारतीय संविधान के अनुछेद 21ए में मौलिक अधिकार का प्रावधान है। इन अधिकारों की श्रखला में स्वास्थ्य सुविधाओं को मुख्य रूप से अंकित किया गया है परंतु यह अधिकार आम व अति निम्न स्तर के व्यक्ति की पहुँच से कोसो दूर दिखाई दे रहा है। यदि विकसित देशों की बात करें तो वहां की सरकारों के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कुल खर्च का 80 से 90 प्रतिशत सरकार वहन करती है और यह गारंटी सवैधानिक रूप से सार्वजनिक सुविधाओं के माध्यम से प्रदान की जा रही हैं परंतु भारत में निर्धारित वर्ग के अलावा अन्य जरुरतमंद के पास यह अधिकार नही है। वर्तमान परिस्थितियों में भारत की जनता ड़ेंगू जैसी बीमारी की चपेट में है, यदि स्पष्ठ शब्दों में कहा जाए कि देश में डेंगू का कहर है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सरकारी आंकड़ो की बात करें तो ड़ेंगू के बहुत अधिक केस नही है परंतु यदि वास्तविकता की दृष्टि से और निजी अस्पतालों व प्रयोगशालाओं की रिपोर्ट के आधार पर हर तीसरा बीमार व्यक्ति वर्तमान में डेंगू का मरीज है। सरकारी अस्पतालों में बेड का न मिलना और निजी अस्पतालों की रोजाना बढ़ती भीड़ से मौजूद सरकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वभाविक से लग रहा है।स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से वर्तमान में देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का बुरा हाल है, वही दूसरी ओर निजी अस्पतालों में निरन्तर सुविधा का विस्तार जारी हैं, जिसके चलते लोंगो का रुझान निजी अस्पतालों की ओर होना स्वभाविक हो चुका है। चौथे राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक, 56 फीसदी शहरी व 49 फीसदी ग्रामीण लोगों ने निजी स्वास्थ्य सेवाओं का विकल्प चुना है। अत: देश की स्वास्थ्य सुविधाओं में सार्वजनिक व निजी दोनों की भूमिका की जांच करने की आवश्यकता हैं। निजी अस्पतालों की मनमानी और सरकारी अस्पतालों में व्यापक स्तर पर सुविधाओं का आभाव जनता की अपेक्षाओं के प्रतिकूल माना जा सकता है। सरकार के द्वारा निजी अस्पतालों के लिए कोई ऐसी नीति भी नही तैयार की गई जिसके तहत आम आदमी पर आर्थिक बोझ न पड़े। डेंगू को लेकर जहां सरकार के सभी प्रयास विफल नजर आ रहे हैं वहीं आम आदमी निजी अस्पतालों की लूट का शिकार होता दिखाई दे रहा है। मौजूद हालात को देखते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर जनता का विश्वास न होना भी निजी अस्पतालों की भीड़ का बड़ा कारण माना जा सकता है। वस्तुतः निजी अस्पतालों द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं और सरकारी अस्पतालों में पूर्णतः उपचार के अभाव चलते भी लोंगो का रुझान निजी क्षेत्र से मिलने स्वास्थ्य सुविधाओं की ओर हो रहा है अब इस डर कहे या मजबूरी? दरअसल कोरोना के कारण जनता डर के साये में जीने के लिए विवश हैं वहीं मौसम के परिवर्तन से उतपन्न हुई ड़ेंगू वायरल बुखार ने आम आदमी को शारीरिक,मानसिक व आर्थिक रूप से निर्बल कर दिया है। सरकार के द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यापक व्यवस्थाओं का ढिंढोरा पीटा जा रहा है परंतु जब बात आम आदमी की जान की आती है तो सभी स्वास्थ्य सुविधाएं छू मंतर क्यों हो जाती है? देश के की राज्यों में डेंगू का कहर बढ़ता ही जा रहा है, राजधानी दिल्ली में एक हफ़्ते में एक हजार से अधिक मरीजों संख्या होना चिंता का विषय बना हुआ है।वही उतरप्रदेश में 2016 के बाद सबसे अधिक है यहां ड़ेंगू के मरीजों की संख्या 23 हजार से अधिक बताई जा रही हैं। पंजाब में हालात बद से बदत्तर बने है यहां 60 से अधिक मौते हो चुकी हैं, जम्मूकश्मीर में मरीज़ो की संख्या 1100 से अधिक बताई जा रही है। राजस्थान 13 हजार से अधिक मरीज़ ड़ेंगू पीड़ित पाए गए। अभी तक देश में लगभग 1 लाख 20 हज़ार मरीज़ ड़ेंगू से प्रभावित है। वास्तविकता के आधार पर ड़ेंगू का ईलाज सरकारी अस्पतालों में संभव न होने के कारण लोंगो को मज़बूरन निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ रहा है। सरकार के द्वारा शिक्षा,स्वास्थ्य व रोजग़ार को प्राथमिकता देने की बात चुनावी रैलियों और जनसभाओं में करना आम बात हो चुकी है परंतु धरातल के पटल पर कार्य करना सरकार और सम्बन्धित विभागों के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नही है। शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव का लाभ निजी क्षेत्र में कार्य कर रहे लोग उठा रहे है,निजी अस्पतालों में एक दिन के ईलाज का मतलब है कि आम आदमी की एक महीने की तनख्वाह का स्वाह हो जाना परन्तु अपनी व अपनो की जान के बदले हर व्यक्ति को यह सौदा सस्ता ही लगता है। सरकार के द्वारा ड़ेंगू मरीज़ों के आंकड़ो की जादूगरी और विपक्षी दलों का राजनैतिक रोटियां सेंकने का खेल बदस्तूर जारी है परंतु आम आदमी के जीवन की महत्ववता न के बराबर है।2014 के चुनाव के बाद मौजूदा सरकार के प्रतिनिधि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी ने कार्यभार संभालने के पाश्चत एक राष्ट्रव्यापी सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का अनावरण किया था जिसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य गारंटी योजना के नाम से जाना जाता हैं। जिसका मुख्य लक्ष्य देश के प्रत्येक नागरिक को मुफ्त दवाएं,नैदानिक उपचार और गंभीर बीमारियों के लिए बीमा उपल्ब्ध करना था परंतु वर्तमान में यह योजना कागज़ी दस्तावेजो की शोभा बढ़ा रही हैं। सरकार के पास डेंगू और मलेरिया से संबंधित सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।  पिछले कई दशकों में डेंगू के मरीज़ों की संख्या तीन गुना बढ़ना देश की स्वास्थ्य प्रणाली पर सीधे तौर पर प्रश्नचिन्ह मेंआज सकता है। अमेरिका की ब्रांडेस यूनिवर्सिटी के डोनाल्ड शेपर्ड के अक्टूबर 2014 में जारी शोध पत्र के अनुसार भारत विश्व में सबसे अधिक डेंगू प्रभावित देशों मे शामिल हो चुका है जो चिंता का विषय है। एक सर्वेक्षण के अनुसार 2012 में दक्षिण एशिया क्षेत्र में डेंगू के लगभग दो लाख नब्बे हजार मामले दर्ज हुए थे, जिसमें करीब 20 प्रतिशत भागीदारी भारत की थी वतर्मान में जब हर वर्ष डेंगू के मामले बढ़ रहे हों, तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। वर्ष 2010 में डेंगू के 20 हजार से ज्यादा मामले दर्ज हुए, जो बढ़कर 2012 में 50 हजार और 2013 में 75 हजार हो गए। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2014 में 40 हजार केस दर्ज हुए थे। वर्तमान में यह संख्या दोगुनी से भी अधिक हो चुकी है। देश की खराब स्वास्थ्य सेवाओं और असंतुलित डॉक्टर-मरीज अनुपात को देखते हुए इस संख्या को कम करना सरकार और सम्बन्धित विभागों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। देश में प्रति 1800 मरीजों पर एक चिकित्सक की उपलब्धता सराकर की कथनी और करनी का अंतर स्पष्ठ करने के लिए प्रयाप्त होगा। देश के 10 बड़े चिकितसा संस्थान इस क्षेत्र में निरंतर प्रयास कर रहे हैं परंतु अभी तक सफलता नही मिल सकी और न ही प्रयाप्त संसाधन उपलब्ध हो सके हैं।वर्तमान परिदृश्य में डेंगू मलेरिया जैसी बीमारी को जड़मूल से समाप्त करना संभव नही होगा परन्तु इसके लिए व्यापक पैमाने पर स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना सराकर की जिम्मेदारी बनती हैं। भारत मे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली बहुत अच्छी न होने के कारण आज हमारा देश अपने पड़ौसी देशों से पिछड़ता दिखाई दे रहा है। अभी कुछ समय पहले आई एक वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से भारत 194 देशों में 145 वे स्थान पर है स्पष्ठ तौर पर यदि कहा जाए तो भारत स्वास्थ्य संसाधनों की दृष्टि से पड़ौसी देश श्रीलंका,भूटान और बंगलादेश से भी पिछड़ा हुआ है जो भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली की गंभीरता को प्रदर्शित करने के लिए क़ाफी होगा और यही कारण है कि लोंगो को निजी अस्पतालों की शरण मे जाना पड़ता है। इस लचर व्यवस्था से जहाँ आम आदमी पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ रहा है वहीं आम वर्ग स्वास्थ्य सुविधाओं का आभाव झेलने के लिए विवश हो रहा है। इस बीमारी के फैलने का कारण जहाँ स्वंम की लापरवाहीं है वहीं सरकार द्वारा निर्धारित किए गए विभागों की सुस्त कार्यप्रणाली भी मुख्य कारण है। सरकार के द्वारा प्रतिवर्ष इस प्रकार की बीमारियों की रोकथाम हेतु अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन वस्तविक रूप से कार्य करने के अभाव के चलते हर वर्ष लाखों लोग इन बीमारियों की चपेट में आते हैं। जनसहभागिता की कमी और विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण हर वर्ष मरीज़ों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही हैं। इस मच्छर जनित बीमारी से जहाँ आम आदमी का बजट बिगड़ रहा है वहीं देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रतिवर्ष लगभग 13000 हजार करोड़ रुपए का नुक्सान होता है।बहरहाल सरकारी तंत्र और मौजूदा शासन को आगे दौड़ पीछे छोड़ की नीति को त्याग कर धरातल पर कार्य करना होगा। जनता की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं पर आधारित व्यवस्था प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता बहुत महत्व रखती है। जनता के द्वारा विभिन्न प्रकार के टेक्सिस के माध्यम से अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी पूर्ण की जा रही और इसके बदले में मिलने वाली सुविधाओं की दरकार भी जनता ही करेगी। देश की अधिकतर जनसंख्या सामाजिक,आर्थिक व अन्य कारणों से निजी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने में असक्षम हैं, साथ ही एक लोककल्याणकारी व्यवस्था का यह दायित्व बनता है कि देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा का मजबूत आधारभूत ढांचा तैयार करे जिसमें कोई भी व्यक्ति आसानी व शीघ्र स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ ले सके। 

प्रधान मंत्री मोदी ने हार मान कर तीनों कृषि क़ानूनों को वापिस करने का वादा किया

पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी. लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।’

उन्होंने कहा, ‘कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया. आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को Repeal करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।’

‘पुरनूर’ कोरल, चंडीगढ़/नयी दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक जयंती के मौके पर बड़ा ऐलान किया और तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया। बीते कई महीनों से जारी किसानों के आंदोलन को देखते हुए सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया। देश के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने किसानों से अब घर लौटने की अपील की और कहा कि इस कानून को खत्म करने प्रक्रिया शीतकालीन सत्र में शुरू हो जाएगी। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी तपस्या में ही कमी रही होगी, जिसकी वजह से हम कुछ किसानों को नहीं समझा पाए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ‘पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है।’

कृषि कानूनों के संदर्भ में पीएम मोदी ने कहा कि बरसों से ये मांग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, देश के किसान संगठन लगातार कर रहे थे। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए। किसानों की स्थिति को सुधारने के इसी महाअभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। मकसद ये था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले। लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया। 

उन्होंने आगे कहा कि हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी। आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।

पीएम मोदी ने कहा कि एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे। उन्होंने कहा कि आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है। जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए। 

Panchang

पंचांग, 19 नवम्बर 2021

नोटः कार्तिक पूर्णिमा, श्री गुरू नानकदेव जयंती व ग्रस्तोदय खण्डग्रास चन्द्रग्रहण, मेला पुष्कर तीर्थ (राजस्थान)

विक्रमी संवत्ः 2078, 

शक संवत्ः 1943, 

मासः कार्तिक़, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः पूर्णिमा दोपहरः 02.28 तक है, 

वारः शुक्रवार।

विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।

 नक्षत्रः कृतिका प्रातः 04.29 तक है, 

योगः परिघ रात्रि काल 03.51 तक, 

करणः बव, 

सूर्य राशिः वृश्चिक,  चंद्र राशिः मेष, 

राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.51,  सूर्यास्तः 05.22 बजे।

वोकेशनल टीचर्स ने शिक्षा सदन के सामने किया पुतला दहन

18 नवंबर 2021 आज वोकेशनल टीचर्स के आंदोलन का 25वा दिन है वोकेशनल टीचर्स 25 अक्टूबर से लगातार आंदोलन कर रहे हैं आज के आंदोलन की अध्यक्षता कैथल जिला प्रधान अनिल दलाल व महिला प्रधान सीमा रानी और जींद जिला प्रधान राजेश कौशिक व महिला प्रधान प्रीति राजपूत ने की । राज्य प्रधान अनूप ढिल्लो ने बताया कि कल 2 जिलों के वोकेशनल टीचर्स ने शिक्षा सदन के अधिकारियों का जो जमीर मर चुका है उसकी शव यात्रा निकाली है और आज के इन जिलों ने शिक्षा सदन के सामने शिक्षा सदन के पुतले का दहन किया और 2 घंटे नारे बाजी की । वोकेशनल टीचर्स अपनी 3 मांगो को लेकर आंदोलन कर रहे है सबसे पहली तो शिक्षा विभाग में मर्ज करने कि है जो की बीजेपी सरकार ने 2019 में वादा की थी मगर आज तक पूरी नहीं हुई । दूसरी समान काम समान वेतन की है शिक्षा विभाग में ही दूसरे वोकेशनल टीचर्स को 48112 रुपए वेतनमान मिल रहा है जबकि हमें 23241 रुपए वेतनमान मिल रहा हैं दोनों को समान वेतन मिलना चाहिए तीसरी मांग सर्विस रुल लागू कर 58 साल तक जॉब सिक्योरटी देने कि हैं । 25 दिन बीत जाने के बाद आज तक ना तो सरकार ने , ना ही विभाग ने कोई ठोस जवाब दिया है अब वोकेशनल टीचर्स 24 अक्टूबर से 3 दिवसीय महाआंदोलन का ऐलान कर रखा हैं जिसमे 22 जिलों के सभी वोकेशनल टीचर्स हिस्सा लेंगे और फिर से रोष मार्च निकलेंगे। इस मौके पर राज्य सचिव गीता रानी , राज्य सह सचिव दर्शन नैन , ज़ोन प्रभारी राजकुमार , सोनीपत जिला प्रधान नवीन सिंह , नवनीत कौर नीलम मुकेश गरिमा कविता सुमन , नीलम , अनिल , सुमेश , सुनील , सुचित्रा , रेखा आदि मौजूद रहे

झुग्गीस्कूल के बच्चों को चप्पलें एवं स्टेशनरी वितरित

जयपुर 16 नवम्बर, 2021। गरीब बच्चों की शिक्षा एवं अधिकारों के लिये संघर्षरत प्रमुख सामाजिक संस्था ह्यूमन लाईफ फाऊण्डेशन द्वारा निःशुल्क संचालित झुग्गीस्कूल की द्वारिकापुरी शाखा में आज जरूरतमंद बच्चों को, मानव मिलन संस्था के सहयोग से गरीब बच्चों को चप्पलों का वितरण किया गया। ह्यूमन लाई्फ फाऊण्डेषन के फाऊण्डर एवं सामाजिक कार्यकर्ता हेमराज चतुर्वेदी ने बताया कि केन्द्र में नित्य अध्ययनरत कुल 46 बच्चों को चप्पलें वितरण की गईं। उन्होनें बच्चों को आज का मिड डे मील भी उपलब्ध कराया जिसमें में फल एवं मिठाई वितरित की गईं। चप्पलें एवं स्पेशल मिड डे मील पाकर बच्चों को बहुत आनन्द आया। खुश हुए बच्चों ने भविष्य में रोज पढने व कभी भी नशा न करने एवं स्वच्छ रहने के संकल्प को बार बार दोहराया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि मानव मिलन संस्था के अध्यक्ष प्रमोद चैरडिया ने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि ज्ञान के बिना जीवन में परिवर्तन आना मुश्किल है इसलिए पढाई को पहली वरियता देनी चाहिए। बच्चे ही देश का भविष्य हैं। अवसरों की कोई कमी नहीं है। आगे चलकर आप भी स्वब्लबी अथवा अधिकारी बन सकते हो । समझाया कि वंचितों को शिक्षित बनाये बिना समाज का समग्र एवं संतुलित विकास नहीं हो सकता। इसलिए आह्वान किया कि संभ्रान्त समाज होनहार गरीब बच्चों की मदद के लिए आगे आये।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि नेहा व विनोद सोमानी ने बच्चों को कहा कि पढोगे तो ही आगे बढोगे। आगे बढने के लिए स्कूल ही पहली सीढी है। आज गरीब का बच्चा भी आगे बढ सकता है। संपूर्ण शिक्षित समाज आपकी मदद के लिए तत्पर है। इस अवसर पर राजेन्द्र जैन व शिक्षिका रेखा चतुर्वेदी उपस्थिति रहे

पुलिस नें जुआ खेलतें पाँच व्यक्तियो को किया काबू

 पंचकूला पुलिस नें दिनांक 17 नंवबर 2021 को ताश पत्तो पर दाव लगाकर जुआ खेलनें वालें पाँच आरोपियो को मानव कालौनी सकेतडी सें काबू किया । खेलनें वालें पाँच आरोपियो की पहचान जमशेद पुत्र मौहम्मद शमशाद वासी गाँव मैहल्लाखाना अलमपुरा देहरादुन चौक जिला सहारनपुर उतर प्रदेश हाल गाँव प्रभात नीयर जैन मन्दिर जीरकपुर पंजाब , रमेशचन्द पुत्र मुर्ती कम वासी रौधायन जिला बदायु उतर प्रदेश हाल नया गाँव खरड जिला मौहाली पंजाब , नोबत राम पुत्र दाता राम वासी महादेव पुरा नजदीक कृष्णा गउशाला, अवतार सिहं पुत्र धर्म सिहं वासी सुभाषनगर नजदीक खेडे वाली गली मनीमाजरा चण्डीगढ तथा हरदीप उर्फ तोता वासी गाँव सकेतडी जिला पंचकूला  के रुप में हुई ।

गिरप्तार कियें गयें आऱोपियो के पास सें ताश खेलनें वालें तथा 100 रुपयें के नोट व 200 रुपयें की क्रंसी में कुल 5500 राशि बरामद करकें आरोपियो के खिलाफ पुलिस थाना मन्सा देवी पंचकूला में जुआ एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया ।

विपक्ष आपके समक्ष’ कार्यक्रम के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किया जींद में देश की सबसे बड़ी रैली करने का ऐलान

18 नवंबर, जींदः बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी सरकार ने राजनैतिक और सामाजिक रूप से प्रदेश के वातावतरण को दूषित और व्यवस्था को बर्बाद कर दिया है। इसलिए हमारा संघर्ष केवल सरकार बदलने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मकसद प्रदेश का वातावरण और व्यवस्था बदलना है। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा आज जींद में कांग्रेस की तरफ से आयोजित ‘विपक्ष आपके समक्ष’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर आम जनता और कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ देखकर उत्साहित भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ऐलान किया कि आने वाले समय में जींद में देश की सबसे बड़ी रैली की जाएगी। वो जब भी प्रदेश में बड़ी सभाएं करेंगे तो उसकी शुरुआत जींद से होगी। जींद के लोगों ने हाथ उठाकर रैली में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। आज जींद से आशीर्वाद लेकर वो हरियाणा के हर एक जिले और विधानसभा क्षेत्र में जाएंगे और ‘विपक्ष आपके समक्ष’ कार्यक्रम के जरिए लोगों से सीधा संवाद करेंगे।

उन्होंने कहा कि आज बीजेपी-जेजेपी सरकार ने प्रदेश की व्यवस्था को इस कदर तहस-नहस कर दिया है कि स्कूलों में टीचर नहीं, अस्पताल में डॉक्टर नहीं, पटवारखाने में पटवारी नहीं, किसान को एमएसपी व खाद नहीं, गरीब और आम आदमी को कोई राहत नहीं। इतनी निकम्मी और भ्रष्ट सरकार उन्होंने पहले कभी नहीं देखी और सुनी। इस कार्यक्रम में दो दर्जन से ज्यादा पार्टी विधायक, करीब 50 पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। नेता प्रतिपक्ष ने चंद पंक्तियों के जरिए महंगाई के कारण आमजन के दर्द को कुछ इस तरह बयां किया-

जिएं तो कैसे जिएं,

खेती का खाद महंगा,

खाने का तेल महंगा,

डीजल और पेट्रोल महंगा,

चूल्हे की आग महंगी,

सरिया और सीमेंट महंगी,

जीवन की सांस महंगी,

दवा और एम्बुलेंस महंगी,

नारियल और ककड़ी महंगी,

श्मशान की लकड़ी महंगी

जिएं तो कैसे जिएं…

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा चुनावों के नतीजों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता ने बीजेपी के 14 में से 12 मंत्रियों को हराने का काम किया और बीजेपी को सत्ता से बाहर करने का जनादेश दिया। लेकिन जुलाना, उचाना और नरवाना समेत 10 हलकों से बीजेपी के खिलाफ वोट लेने वाली जेजेपी ने जनता के साथ विश्वासघात किया। जेजेपी ने फिर से बीजेपी को सत्ता में बैठाने का काम किया। सांसद दीपेंद्र ने कहा कि जो प्रदेश 2014 से पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के दौरान प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति निवेश, किसान की खुशहाल, खिलाड़ियों के मान-सम्मान, विकास की रफ्तार में नंबर एक राज्य था, वो आज विकास की पटरी से उतर गया और बेरोजगारी, अपराध, नशे, भ्रष्टाचार व बदहाली में पहले पायदान पर पहुंच गया।

आज कर्मचारी और व्यापारी समेत सभी वर्ग इस सरकार से निराश और नाउम्मीद हो गए हैं। इस सरकार ने हुड्डा सरकार के दौरान गरीब वर्ग के हित में चलाई गई सारी योजनाओं को बंद कर दिया है। सबसे ज्यादा किसान इस सरकार के निशाने पर है। आलम यह है कि फसल बेचने जाए तो उसे एमएसपी नहीं मिलती, फसल बोना चाहे तो किसान को खाद नहीं मिलती, सुबह 5 बजे से हमारी बहन-बेटियां खाद की लाइन में खड़ी हो जाती हैं, जलभराव से खड़ी फसल बर्बाद हो जाती है, लेकिन सरकार की तरफ से किसी की सुध नहीं ली जाती।   

सांसद दीपेंद्र ने कहा कि अपने इसी किसान विरोधी रवैये के चलते आज खुद मुख्यमंत्री को अपने विधानसभा क्षेत्र करनाल में दाखिल होने के लिए किसानों पर लाठियां चलवानी पड़ती हैं और उपमुख्यमंत्री किसानों पर लाठियां बरसवाने के बाद भी अपने विधानसभा क्षेत्र उचाना में दाखिल नहीं हो पाते। बावजूद इसके, पिछले एक साल से अपनी मांगों के लिए आंदोलनरत किसानों के दर्द की यह सरकार अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि संसद मे हरियाणा से अगर 14 सांसद सत्ता पक्ष के हैं तो मैं भी अकेला नहीं हूँ, मेरे साथ आपका आशीर्वाद है। संसद में आपकी लड़ाई लड़ता रहूँगा।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि जींद में कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले समय में ठीक नहीं रहा। लेकिन यहाँ अपनेपन में कोई कमी नहीं रही। हुड्डा सरकार के दौरान जींद को यूनिवर्सिटी, महिला कॉलेज, स्टेडियम, जींद-सोनीपत रेलवे लाइन समेत कई बड़ी परियोजनाओं की सौगात दी गई। 

कार्यक्रम में फसल खरीद नहीं होने, खाद की किल्लत, जलभराव, बिजली, पानी, सड़क, सिवरेज, सफाई, बढ़ते अपराध, नशे, भ्रष्टाचार समेत अपनी अलग-अलग समस्याओं को लेकर लोग नेता प्रतिपक्ष से मिले। आँगनबाड़ी वर्कर, कर्मचारी यूनियन, कच्चे कर्मचारी, व्यापारी यूनियन, सफाई कर्मचारी, किसान संगठन, पचायतें, बर्खास्त पीटीआई, छंटनी के शिकार कर्मचारी समेत कई संगठनों ने ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्याओं से विपक्ष को अवगत करवाया। हुड्डा ने उनके मुद्दे को विधानसभा में उठाने का आश्वासन दिया। इस दौरान बड़ी तादाद में लोगों ने माइक पर अपनी बात विपक्ष के समक्ष रखी। उन्होंने हुड्डा कार्यकाल की कल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों को भी याद किया। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

1.     सफीदों से धर्मपाल ने कहा भूपेंद्र हुड्डा को आने वाले समय में जींद की पांचों सीट मिलेंगी।

2.     कैथल के धर्मपाल सीमार ने ‘विपक्ष आपके समक्ष’ कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कांग्रेस विधायक दल का धन्यवाद किया। उन्होंने ध्यान दिलाया कि हुड्डा सरकार की विकास योजनाओं को बीजेपी सरकार ने बंद कर दिया है। इस सरकार ने इंदिरा आवास योजना, गरीबों को सौ-सौ गज के प्लॉट देने की योजना, गरीब बच्चों की छात्रवृत्ति, बीपीएल, एपीएल परिवारों को तेल, दाल, चीनी, राशन देने की योजनाओं को बंद कर दिया।

3.     समाजसेवी चंद्रभान जांगड़ा ने एक विधवा का दर्द बयां करते हुए बताया कि उसका पीला राशन कार्ड था, लेकिन आज तक उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। एक मजदूर की समस्या को लेकर वो सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते रहे लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। एनएच पर कब्जे के खिलाफ 4 प्रार्थनापत्रों का भी कोई समाधान नहीं किया गया।

4.     पवन गर्ग ने कहा कि जिनको जनता ने यहाँ से जिताकर सत्ता की चाबी सौंपी वो अब चोरी-छुपे यहां आते हैं, सत्ता में बैठे लोगों से जनता का मोह पूरी तरह ख़तम हो गया है। जींद की धरती बदलाव की धरती है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के समय अपराधियों का सफाया कर दिया गया था। उनके राज में हरियाणा से अपराधी भाग गये थे। आज दोबारा से हरियाणा में फिरौती, लूट-खसोट शुरू हो गई है। हुड्डा सरकार ने किसानों के खाद, बीज, दवाई को टैक्स मुक्त किया था लेकिन इस सरकार ने उनपर जीएसटी लगा दिया।

5.     ढिंगाना के फकीर चंद  ने कहा कि जनता ने लुटेरों को सत्ता में बैठाकर एकबार गलती कर ली, लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं होगा। यह जनता आज सत्ता में बैठे हुए लोगों को काले झंडे दिखाती है। उन्होंने खाद की किल्लत और सड़कों की जर्जर हालत के बारे में विपक्ष को बताया। 

6.     जुलाना से बलबीर आर्य ने कहा कि 2014 के बाद जब से कांग्रेस सरकार गयी है पिछले 7 साल से समस्या ही समस्या है। समस्या की गिनती की जाए तो यह शाम तक पूरी नहीं होगी। मौजूदा सरकार अंग्रेजों वाली ‘फूट डालो राज करो’ की नीति पर चल रही है।

One Day Workshop on Drug De-Addiction at PU

The National Cadet Corps (NCC), Panjab University, Chandigarh and Centre for Human Rights and Duties, Panjab University, Chandigarh organized a one day workshop for NCC Cadets of PU  on Drug De-addiction.

Dr. Kuldeep Singh, Coordinator, NCC, PU introduced the theme of the workshop and relevance of Drug De-addiction in present times.

Professor (Dr.) Monica.M.Singh introduced the speaker Dr. Ajeet Sidana, Professor, Government Medical College and Hospital, Sector 32, Chandigarh.

Dr. Sidana discussed about different types of substance use disorders and its effects on human mind and behaviour. He discussed about the different methods of treatment of drug de-addiction that could help the victim to overcome the habit of taking drugs over the period. Through various case studies, he put forth that drug addiction should be treated like an ailment under medical prescription and guidance. He added that an individual suffering should not be treated like an outcaste and should be provided requisite assistance both by family and society. Dr. Sidana answered the questions of the cadets with respect to social and legal aspect of drug de-addiction.

Dr. Namita Gupta, Assistant Professor, Centre for Human Rights and Duties, PU proposed the vote of thanks for providing a fruitful insight into the concept. Approximate 75 cadets/ Students participated in the Workshop.