कोट गांव में राष्ट्रीय पोषक मां कार्यक्रम के तहत शिविर आयोजित- 100 लोगों ने उठाया लाभ। पंचकूला

पंचकूला:

पंचकूला जिला के गांव कोट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉ दिलीप मिश्रा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय पोषक माह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। । होम्योपैथिक मेडिकल ऑफिसर डॉ चावला ने उपरोक्त कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों को राष्ट्रीय पोषक मांह के तहत पौष्टिक भोजन बारे विस्तृत जानकारी दी और बताया कि व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का परस्पर समन्वय अत्यंत आवश्यक है ।इसी प्रकार जब शरीर स्वस्थ नहीं होता है तो व्यक्ति का काम करने को मन नहीं करता ।उसकी शारीरिक क्षमता कम हो जाती है और मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ता है। मन भी खुश नहीं रहता । काम करने की क्षमता कम हो जाती है ।उन्होंने कहा कि दोषपूर्ण लाइफ़स्टाइल और खान पान की अव्यवहारिकता के कारण व्यक्ति को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ जाता है। उन्होंने लाइफस्टाइल खानपान संपूर्ण आहार तथा अनेक ऐसी आदतों पर प्रकाश डाला जिन्हें अपेक्षानुरूप समायोजित करके व्यक्ति आजीवन स्वस्थ रह सकता है।

इस शिविर में डा शिल्पा चावला 4 डॉक्टर सुमन के नेतृत्व में ग्रामीणों को औषधीय पौधे वितरित किए गए और उनकी पहचान और उपयोगिता के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर योगा इंस्ट्रक्टर डॉ अंजली ने देहात की किशोरियों को योगाभ्यास कराया और योग की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। इस शिविर में डॉक्टर सुमन गुप्ता तथा डॉक्टर शिल्पा चावला ने अपनी सेवाएं देते हुए ग्रामीणों का आह्वान किया कि वे इस बात का ध्यान रखें कि परिवार में कोई भी व्यक्ति थोड़ा सा भी अस्वस्थ नजर आए तो फोरन सरकारी अस्पताल डिस्पेंसरी में जाकर सलाह जरूर लें। इस शिविर में डॉ राजीव डॉ शशि डॉ अमित आर्य भी मौजूद रहे और शिविर आयोजन का लगभग 100 लोगों ने लाभ उठाया। यह संयोग ही रहा कि यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित किया गया।

रेवंथ रेड्डी ने शशि थरूर को पहले गधा बुलाया फिर मांगी माफी

बीते दिनों रेड्डी ने शशि थरूर को ‘गधा’ कहा था और उन्हें पार्टी से निकालने की बात कही थी। हैदराबाद में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार और हत्या के आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी को लेकर झूठा ट्वीट पोस्ट करने के लिए तेलंगाना के आईटी मंत्री केटी रामाराव पर हमला करते हुए पीसीसी प्रमुख रेड्डी ने कहा था कि जिन्होंने आईटी मंत्री की प्रशंसा की है उन्हें भी राज्य की स्थिति के बारे में पता होना चाहिए। मंत्री के झूठे ट्वीट में उस गधे को भी टैग किया जाना चाहिए था। अगर दोनों एक-दूसरे से अंग्रेजी में बात करते हैं, तो इससे यहां कोई बदलाव नहीं आएगा। 

नयी दिल्ली – 17 सितंबर:

तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रेवंथ रेड्डी ने वरिष्ठ नेता शशि थरूर के खिलाफ अपनी कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर उनसे माफी मांग ली है। रेडी ने अपनी ही पार्टी के सीनियर नेता शशि थरूर को गधा कहा था और उन्हें पार्टी से निकाले जाने की बात कही थी। इसके बाद रेड्डी की कथित अपमानजनक टिप्पणी की मीडिया रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने नाराजगी जतायी थी। इसके बाद रेड्डी ने थरूर से माफी मांगी।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए ऑडियो क्लिप में रेड्डी ने टिप्पणी की थी, “शशि थरूर! गधे (गधा) को पता होना चाहिए कि यहाँ क्या हो रहा है। अंग्रेजी में कुछ शब्द जानता है। उसे भाषा का ज्ञान नहीं है, अंग्रेजी केवल संचार कौशल है। अंग्रेजी में कुछ शब्द बोलने से कुछ नहीं बदलेगा… मैं उसे गधा समझता हूँ। दोनों का नजरिया एक जैसा है। वो बेकार है, पार्टी से बाहर कर देना चाहिए।” यह विवादित ऑडियो क्लिप टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) के नेता कृष्णक माने ने ट्विटर पर साझा किया था।

शशि थरूर के बचाव में उतरी कॉन्ग्रेस, टीआरएस

प्रदेश कॉन्ग्रेस प्रमुख के बयान पर टीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने बताया कि शशि थरूर ने हाल ही में उनकी और केसीआर के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार के काम की प्रशंसा की थी, जिससे तेलंगाना कॉन्ग्रेस के प्रमुख नाराज हो गए हैं। उन्होंने कहा, “आईटी स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में शशि थरूर जी ने हाल ही में तेलंगाना सरकार के प्रयासों के लिए उसकी सराहना की थी। संसद में उनके सहयोगी और पीसीसी चीफ उन्हें गधा कहते हैं !! ऐसी स्थितियाँ तभी समक्ष आती हैं जब आपके पास पार्टी का नेतृत्व करने वाले थर्ड ग्रेड के अपराधी / ठग होते हैं।”

इस बीच कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता मनीष तिवारी ने रेवंत रेड्डी से सार्वजनिक रूप से माफी माँगने को कहा। तिवारी ने शशि थरूर को एक ‘मूल्यवान सहयोगी’ बताते हुए कहा, “अगर आपको उनके कथित बयाने को लेकर कुछ गलत फहमी है तो बेहतर होता कि आप उनसे बात करते। हमारी माँग है कि आप अपने शब्दों को वापस ले लें।”

तेलंगाना कॉन्ग्रेस प्रमुख ने माँगी माफी

थरूर को गधा कहने पर खड़े हुए बखेड़े के बाद तेलंगाना कॉन्ग्रेस प्रमुख ने तिरुवनंतपुरम के सांसद के बारे में अपनी आपत्तिजनक टिप्पणियों पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने इसको लेकर ट्वीट किया, “मैंने शशि थरूर से यह बताने के लिए बात की कि मैं अपनी टिप्पणी वापस लेता हूँ और दोहराता हूँ कि मैं अपने वरिष्ठ सहयोगी को सर्वोच्च सम्मान देता हूँ। मेरे शब्दों से उन्हें हुई किसी भी चोट के लिए मुझे खेद है। हम कॉन्ग्रेस पार्टी के मूल्यों और नीतियों में अपना विश्वास साझा करते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि उनका लक्ष्य और शशि थरूर एक ही लक्ष्य है कि कॉन्ग्रेस तेलंगाना में सरकार बनाए।

शशि थरूर ने भी बताया कि अपनी टिप्पणियों के लिए माफी माँगने के लिए रेवंत रेड्डी ने उन्हें फोन किया था। थरूर ने कहा, “मैं उनके खेद की अभिव्यक्ति को स्वीकार करता हूँ और इस दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण को पीछे कर रखकर खुश हूँ। हमें तेलंगाना और देश भर में कॉन्ग्रेस को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।”

गौरतलब है कि थरूर ने हाल ही में पिछले सप्ताह हैदराबाद की अपनी यात्रा के दौरान सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में काम के लिए तेलंगाना सरकार की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था, “मैं हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति का नेतृत्व कर रहा था और मेरी टिप्पणियाँ सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सरकार के काम की सराहना करने तक ही सीमित थीं।”

पूर्व उप मुख्यमंत्री चन्द्र मोहन ने राज्यपाल से मिल श्री गोपाल गोलोक गऊशाला कैम्बवाला की अधूरी पड़ी सड़क ओ बनवाने का किया अनरोध

पंचकूला 17 सितंबर:

  हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री  चन्द्र मोहन ने आज पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित से मुलाकात करके उनसे आग्रह किया गया है कि श्री गोपाल गोलोक गऊशाला कैम्बवाला और साकेतडी़ के बीच लगभग 500 मीटर कच्चा रोड़ है जो ट्राइसिटी के उन श्रद्धालुओं के लिए परेशानी का कारण बन रहा है जो अपनी आस्था और विश्वास से अभिभूत हो कर कैम्बवाला स्थित गौकुल गोलोक गऊशाला में गायों को चारा खिलाने या अन्य धार्मिक अनुष्ठान पूरा करने के लिए के लिए जाते हैं उनको इसी  रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है।

     उन्होंने राज्यपाल को बताया कि चण्डीगढ़ की लगभग सभी सड़कें  बेहतर किस्म की है, लेकिन किन्हीं अपरिहार्य कारणों से गोकुल गोलोक गऊशाला  के बार- बार चण्डीगढ़ प्रशासन से विनम्र निवेदन करने के उपरांत भी इस समस्या का निदान आज तक भी संभव नहीं हो पाया है।

       चन्द्र मोहन ने श्री पुरोहित को गऊशाला की और से जो रीप्रजैन्टेशन दिया गया है उसमें बताया गया है कि इस गऊशाला में लगभग 400 देशी गाय हैं और इनकी देखभाल दान- दाताओं द्वारा दिए गए दान से की जा रही है। शास्त्रों में ऐसा उल्लेख किया गया है कि गऊ माता में 84000 देवी-देवता वास करते हैं।

    चन्द्र मोहन ने राज्यपाल पुरोहित से अनुरोध किया है कि वे स्वयं व्यक्तिगत रूप से इस मामले में रूचि लेकर इस अधूरे सड़क निर्माण के कार्य को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के अधिकारियों को आदेश देने की अनुकम्पा करें और इसके साथ ही वह स्वयं  भी इस गऊशाला का दौरा करके पुण्य के भागी बने। इस उपकार के लिए गोभक्त आपके सदैव ही आभारी रहेंगे।

     इस प्रतिनिधि मंडल में चन्द्र मोहन के साथ—— उपस्थित थे।हेमन्त किगंर दीवान,राजनैतिक सचिव,(चंद्रमोहन)

हिन्द में हिन्दी की त्रासदी — कब बनेगी हिन्दी, हिन्द के माथे की बिंदी ?

संविधान में वर्णित हिन्दी का इतिहास 

एस.के.जैन, पंचकुला:

एस.के.जैन 

आज हिंदुस्तान को आजाद हुए 74 वर्ष का एक लंबा अंतराल बीत चुका है। अखण्ड कहे जाने वाला हमारा देश 30 खंडों में बंटा हुआ है। यहाँ हर 20 कि.मी. के बाद बोलचाल की भाषा यानि (Dialect ) और हर 50 कि.मी. के बाद संस्कृति बदल जाती है।  याद करते हैं 14 सितंबर, 1949 का दिन।  उस दिन हिन्दी भाषा को “राजभाषा” का दर्जा दिया गया था।  भारतकोश के अनुसार हिन्दी को “राजभाषा” बनाने को लेकर संसद में 12 सितंबर से 14 सितंबर, 1949 को तीन दिन तक बहस हुई।  भारतकोश पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, संविधान सभा की भाषा विषयक बहस लगभग 278 पृष्ठों में मुद्रित हुई।  इसमें डॉ. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी और गोपाल स्वामी आयंगर की अहम भूमिका रही थी।  भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1 ) में वर्णित किया गया कि भारत संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी।  भारत संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा और अंग्रेजी भाषा का चलन आधिकारिक तौर पर 15 वर्ष बाद, प्रचलन से बाहर कर दिया जाएगा।  

 26 जनवरी, 1950 को जब हमारा संविधान लागू हुआ था तब देवनागरी लिपि में लिखी गई हिन्दी  सहित 14 भाषाओं को आधिकारिक भाषाओं के रूप में आठवीं सूची में रखा गया था।  संविधान के अनुसार 26 जनवरी, 1965 को अंग्रेजी की जगह हिन्दी को पूरी तरह से देश की राजभाषा बनानी थी। लेकिन दक्षिण भारत के राज्यों में हिन्दी विरोधी आंदोलन के बीच वर्ष 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया था , जिसने 1965 के बाद अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा के रूप में प्रचलन से बाहर करने का फैंसला पलट दिया था।  दक्षिण भारत के राज्यों विशेष रूप से तमिलनाडु (तब का मद्रास ) में आंदोलन और हिंसा का एक जबरदस्त ज़ोर चला और कई छात्रों ने आत्मदाह तक किया।  इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की कैबिनेट में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं इंदिरा गाँधी के प्रयासों से  समस्या का समाधान निकला, जिसके परिणाम स्वरूप 1967 को राजभाषा में संशोधन किया और यह माना गया कि अंग्रेजी देश की आधिकारिक भाषा रहेगी।  इस संशोधन के माध्यम से आज तक यह व्यवस्था जारी है। 

अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी दिवस और संयुक्त राष्ट्रसंघ :  

विश्व का पहला “अन्तर्राष्ट्रीय  हिन्दी सम्मेलन” 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ।  तत्पश्चात विश्व हिन्दी दिवस को हर वर्ष 10 जनवरी को मनाए जाने की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी ने  साल 2006 में की थी।  यानि इसे हर वर्ष आधिकारिक तौर पर मनाने में 31 साल लग गये, कारण आप सोच सकते हैं।  आज दुनिया के लगभग 170 देशों में हिन्दी किसी न किसी रूप में पढ़ाई व सिखाई जाती है।  संयुक्त राष्ट्र संघ बनते समय 4 राज भाषाएं यानि चीनी, अंग्रेजी, फ्रांसीसी और रूसी स्वीकृत की गई थीं।  जबकि 1993 में अरबी, स्पेनिश को जोड़ा गया लेकिन हिन्दी कहीं नहीं।  जो भाषाएं राष्ट्र संघ में आने के लिए मचल रहीं हैं उनमें बंगाली, मलय, पुर्तगाली, स्वाहिली और टर्किश भी कई सालों से दस्तक दे रही हैं। हिन्दी भाषा का दावा इसलिए सबसे मजबूत है क्योंकि हिन्दी दुनिया की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।  

हिन्दी भाषा की त्रासदी : 

13 सितंबर, 1949 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने संसद में चर्चा के दौरान तीन प्रमुख बातें कहीं थी ; यथा – 1 ) किसी विदेशी भाषा से कोई भी राष्ट्र महान नहीं हो सकता। 2 ) कोई भी विदेशी भाषा  आमजन की भाषा नहीं हो सकती। 3 ) भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के हित में, ऐसा राष्ट्र जो अपनी आत्मा को पहचाने, जिसे आत्म विश्वास हो, जो संसार के साथ सहयोग कर सके, हमें हिन्दी को अपनाना चाहिए।        कागज़ी तौर पर तो हिन्दी राजभाषा बनी रही लेकिन फलती- फूलती रही अंग्रेजी भाषा।  इसके बाद अंग्रेजी मजबूत होती गई।  “राष्ट्रभाषा प्रचार समिति” द्वारा प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर 1953 से हिन्दी दिवस का आयोजन किया जाता रहा और हिन्दी सिर्फ “14 सितंबर” तक ही सीमित होकर रह गई। यह कितना विसंगतिपूर्ण है कि हमारी कोई एक राष्ट्रभाषा नहीं है और देश का कोई एक सुनिश्चित नाम भी नहीं है।  भारतवर्ष, इंडिया, हिंदुस्तान नामों में पिछले 74 सालों से जंग जारी है।  विजय पताका अभी तक किसी को भी नहीं मिली।  

आज़ाद होने के बाद पूरे भारतवर्ष में एक भाषा और एक शिक्षा पद्धति की बातें उठी थीं।  लेकिन अफसोस प्रदेशवाद और जातिवाद के बोझ तले सब कुछ दबकर रह गया। दुनिया के ज्यादातर विकसित देशों की अपनी एक राष्ट्रभाषा है।  वहाँ की शिक्षा प्रणाली, प्रशासन व न्यायपालिका के सभी काम उनकी अपनी भाषा में होते हैं।  वहाँ विद्यार्थियों के कंधों पर हमारे देश की तरह तीन-तीन भाषाओं का बोझ नहीं होता है।  मुझे यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि हमारे देश के प्रसिद्ध समाचार पत्रों में ही करीब 30 प्रतिशत अंग्रेजी के शब्द देवनागरी में पढ़ने को मिलते हैं।  दूरदर्शन और समाचार पत्रों के विज्ञापनों में हिन्दी  शब्दों को रोमन लिपि में लिखा दिखाते हैं।  कहने का तात्पर्य यह है कि अगर समाचार पत्रों और टी.वी. चैनलों में हिन्दी की यह दुर्दशा है तो कैसे बनेगी हिन्दी, हिन्द के माथे की बिन्दी।  केंद्र व राज्य सरकारों की 9 हज़ार के लगभग वेबसाइट्स हैं , जो पहले अंग्रेजी के खुलती हैं फिर इनका हिन्दी विकल्प आता है।  यही हाल हिन्दी में कंप्यूटर टाइपिंग का है।  टाइप करते वक्त उसे रोमन लिपि में टाइप किया जाता है और बाद में उसे देवनागरी में बदला जाता है।  इसमें भी कई फॉन्ट होते हैं।  कई फॉन्ट तो कई कम्प्यूटरों में खुलते ही नहीं।  यह हिन्दी के साथ घोर अन्याय है।  चीन, रूस, जापान, फ़्रांस, यू.ए.ई. यहां तक की पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित बहुत से दूसरे देश कम्प्यूटर पर अपनी एक भाषा और एक फॉन्ट में काम करते हैं। 

हम किसी भी प्रान्त, जाति, धर्म के हों, लेकिन जब बात एक देश की हो तो भाषा व लिपि भी एक ही जरूरी है।  तभी हिन्दी के अच्छे दिन आएंगे। अभी  हाल ही में अरब अमीरात ने एक ऐतिहासिक फैंसला लेते हुए अरबी व अंग्रेजी के बाद हिन्दी को अपनी तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल कर लिया है। यह हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है और एक हम हैं कि 74 सालों में हिन्दी को वह दर्जा नहीं दे सके जो इसे देना चाहिए।  एक समाचार के मुताबिक तीन साल पहले हिन्दीभाषी उत्तरप्रदेश बोर्ड की परीक्षा में करीब 10 लाख बच्चे हिन्दी में  अंउत्तीर्ण   हो गए थे। यह हमारे लिए बहुत ही शर्म की बात है।  सोचिए अगर उत्तर भारत में  हिन्दी   का यह हाल है तो भारत के दूसरे प्रांतों का क्या हाल होगा।  इसका सबसे बड़ा कारण है कि कई दशकों से विद्यार्थियों को तमाम माध्यमों द्वारा यह बात सिखाई गई है कि जीवन में अगर कुछ करना है तो अंग्रेजी सीखों और उसी पर ध्यान दो। 

उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी अंग्रेजी में पूछे गए सवालों का जवाब हिन्दी में देते हैं।  हम इसे राष्ट्रवाद कहेंगे।  इसके विपरीत दक्षिण भारत से काँग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि  हिन्दी   हम पर लादी जा रही है।  वह अंग्रेजी के विद्वान माने जाते हैं और उन्होंने कई अंग्रेजी में पुस्तकें लिखी हैं।  मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि आपने जब अंग्रेजी सीखी तो तब आप पर क्या वह लादी गई थी तो तब आपने इसका विरोध क्यों नहीं किया ? अंग्रेजी साम्राज्य के चलते अगर हम अंग्रेजी सीख सकते हैं तो क्या कारण है कि आज़ादी के बाद हम अपने ही देश में आज़ाद रहते  हुए अपनी भाषा  हिन्दी  नहीं सीख सकते।  इसका एक ही सबसे बड़ा कारण समझ में आता है और वह है कमज़ोर प्रजातंत्र यानि loose democracy , ऐसा मेरा मानना है।  

 कब तक शापित रहेगी हिन्दी  :

स्वतंत्रता के सूर्योदय के साथ जिस हिन्दी को भारत माँ के माथे की बिन्दी बनना चाहिए उस हिन्दी की हालत आज़ादी के 74 वर्षों के बाद भी गुलामी के 200 वर्षों से बदतर सिद्ध हो रही है।  जिस  हिन्दी  को आगे बढ़ाने के लिए अहिन्दी भाषी बंगाली राजा राम मोहन राय, ब्रह्म समाज के नेता केशवचन्द्र, सुभाष चंद्र बोस और राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने आस्था के दीये जलाए, वही हिन्दी आज अपने ही घर में बिलख रही है।  आज हिन्दी अपनों से हारी है अब  हिन्दी  अस्मिता की पहचान नही है। आजादी मिलते ही हम पूरे गुलाम हो गये। अब अंग्रेजी मम्मी-डैडी की संस्कृति गाँव के चौपाल तक पहुँच गई है।  पिता जी के अलावा बाकी सब अंकल हो गए है। जहां तक कि पालतू कुत्तों का भी अंग्रेजीकरण हो गया है।  कालू, झबरु, मोती अब टाइसन, बुलैट, वगैरा हो गए हैं । कुकरमुत्ते की तरह उगते अँग्रेजी स्कूल ग्रामीण भारतीय संस्कृति को विनष्ट करने पर तुले हैं।  जिस देश के लिए न जाने कितने जवानों ने स्वयं को बलिदान कर दिया , उस देश के लिए हमे मातृभाषा के प्रति मोहभंग करना पड़े तथा थोड़ी सी परेशानी उठानी पड़े तो उन जवानों के त्याग की तुलना में हमारा त्याग बहुत कम होगा।  हमें यह त्याग करना पड़ेगा क्योंकि राष्ट्र की एकता आज हमारे लिए सर्वोपरि है। 

वैसे तो हिंदी विदेशों में मारीशस, फिज़ी, सूरीनाम जैसे देशों में पल्लवित व पुष्पित है।  हॉलेंड में इसका तो पढ़ाई के साथ -साथ शोध कार्य भी हो रहा है।  परन्तु आज हिन्दीअपने ही घरों, में अंग्रेजी के आगे हार गई है।  इतने हिन्दी भाषियों के रहते आखिर कब तक अभिशप्त रहेगी हिन्दी ?

विदेशी हिन्दी सेवियों के अवदान : 

इस  हिन्दी  दिवस के महान अवसर पर  हिन्दी  के विद्वानों, लेखकों, साहित्कारों, आदि की बातें तो होंगी ही।  इनमें लगभग सभी हिन्दी पट्टी के ही होंगे।  क्या ही अच्छा हो कि इस अवसर पर हम उन हिन्दी सेवियों के अवदान को भी रेखांकित करें जो मूलत: भारतीय नहीं हैं।  उनकी मातृभाषा भी  हिन्दी  नहीं हैं, बावजूद इसके उन्होंने हिन्दी सीखी, आगे की पीढ़ी को भी पढ़ाया और अपनी रचनाओं से हिन्दी भाषा को समृद्ध किया।  

हिंदी सेवियों में पहला नाम फ़ादर कामिल बुल्के का सामने आता है।  वह आजीवन हिंदी की सेवा में जुटे रहे।  वे हिंदी अंग्रेजी शब्दकोश के निर्माण के लिए सामग्री जुटाने में सतत  प्रयत्नशील रहे।  उन्होंने इसमें 40 हजार नए शब्द जोड़े।  बाइबल का हिंदी अनुवाद भी किया।  वे रामचरित मानस के उदभट विद्वान थे और लगभग पूरा रामचरित मानस उन्हें कंठस्त था।  इसी क्रम में 85 साल की कात्सू सान भी आती हैं। वे 1956 में भारत आंई थी।  भारत को लेकर उनकी दिलचस्पी भगवान बौद्ध के कारण बढ़ी थी।  अब भारत ही उन्हें अपना देश लगता है और वे मानती है कि भारत संसार का आध्यात्मिक विश्व गुरु है। कात्सू जी ने हिन्दी काका साहेब कालेलकर जी से सीखी थी और 40 वर्ष पहले भारत की नागरिकता ग्रहण कर ली थी।  कुछ माह पहले राजधानी दिल्ली में संसद भवन की नई बनने वाली इमारत के भूमि पूजन के बाद सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया था। जिसमें बौद्ध , यहूदी, पारसी, बहाई , सिख, ईसाई , जैन, मुस्लिम और हिन्दू धर्मों की प्रार्थनाएं की गईं । 

ब्रिटेन से संबंधित जिलियन राइट का नाम भी सामने आता है। वे लंदन में बी.बी.सी. में भी काम करती थीं ।  सत्तर के दशक में भारत आने के बाद राही मासूम रज़ा के उपन्यास “आधा गाँव” व श्री लाल शुक्ला के उपन्यास “राग दरबारी” का अनुवाद अंग्रेजी में कर दिया।  भारत के चीन से संबंध कोई बहुत सौहार्दपूर्ण न भी रहे हों पर भारत चीन के हिन्दी  प्रेमी प्रो. च्यांग चिंगख्वेइ के प्रति सम्मान का भाव अवश्य ही रखता है।  वे दशकों से पेइचिंग यूनिवर्सिटी में हिन्दी पढ़ा रहे हैं।  साल 2014 में जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी (एन.डी.ए) की सरकार बनी तो हिन्दी भाषा को सरकारी कामकाज व विदेश नीति तक में तरजीह मिलने लगी।  अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी हिन्दी भाषा को प्राथमिकता दी जाने लगी है।  इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा पाठ्यक्रम भी हिंदी भाषा में शुरू किए जा रहे हैं।  हिन्दी के अच्छे दिन आने की संभावनाएं बढ़ती नज़र आ रही हैं और शायद हिन्दी को अपना वो अधिकार मिल सके जिसकी वह पिछले 74 वर्षों से हकदार थी।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर बोले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ :- हरियाणा वर्षों तक रहा प्रधानमंत्री मोदी की कर्मभूमि,चप्पे –चप्पे से जुड़ी उनकी यादें

  • प्रधानमंत्री मोदी के तराशे हुए कोहिनूर आज कर रहे हरियाणा का नेतृत्व : धनखड़
  • कुशल संगठन कला, नेतृत्व और नए तकनीकी माध्यमों से काम करना हमें मोदी जी ने सिखाया :  धनखड़
  • भारत की अपेक्षाओं और आशाओं के प्रतीक है मोदी : धनखड़ 
  •          प्रधानमंत्री के लम्बे एवं स्वस्थ जीवन के लिए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने श्री माता मनसा देवी मंदिर में किया यज्ञ
  •         सेवा और समर्पण अभियान का आगाज, प्रदेशभर में भाजपा कार्यकर्ता मना रहे प्रधानमंत्री का 71 वां जन्मदिन
  •         प्रदेश के 71 स्थानों पर रक्तदान और 71 सौ स्थानों पर 71 हजार  पेड़ लगायेंगे भाजपा कार्यकर्ता  

चंडीगढ़, 17 सितम्बर 2021 :

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के 71 वें जन्मदिन पर पंचकूला के श्री माता मनसा देवी मंदिर के प्रांगण में यज्ञ किया और माता के श्री चरणों में  प्रार्थना करते हुए प्रधानमन्त्री के स्वस्थ एवं लम्बे जीवन की मनोकामना मांगी l प्रदेशाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी और उनके हरियाणा के प्रति जुड़ाव के बारे में बताते हुए   कहा कि हरियाणा कई वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कर्मभूमि रहा है, यहाँ के चप्पे चप्पे से उनकी यादें, उनके संस्मरण जुड़े है l उन्होंने बताया कि 1996 में हरियाणा भाजपा के प्रभारी बनकर यहाँ आए और लम्बा समय उन्होंने प्रदेश में बिताया l  उन्होंने कहा कि मोदी जी ने प्रभारी रहते हुए संगठन की बारीकियों के साथ-साथ हमे नए तकनीकि माध्यमों का इस्तमाल करना भी सिखाया l आज प्रदेश में उनके तराशे हुए कोहिनूर संगठन और सरकार का नेतृत्व कर रहे है l

प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जीवन के 71 वसंत राष्ट्र सेवा में बिता दिए, देश उनके नेतृत्व में निरंतर नई उपलब्धियों नई उचाईयों को छू रहा है l देश की अपेक्षाओं और आशाओं के प्रतीक के रूप में नरेंद्र मोदी दिखाई देते है l उनकी अगुवाई में भारत की एक अलग पहचान दुनिया में बनी है l गरीब कल्याण, किसान कल्याण, युवाओं, महिलाओं समेत सभी वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लाकर मोदी ने प्रत्येक वर्ग के साथ खुद को जोड़ा है l देश के करोड़ों लोगों ने इन योजनाओं का लाभ लेते हुए अपने जीवन स्तर को ऊपर उठाया है l हरियाणा में भी केंद्र की योजनाओं का लाभ मिल रहा है जिससे खुश होकर प्रदेश के 20 लाख लाभार्थी उनके जन्मदिन पर धन्यवाद करते हुए उन्हें पत्र लिखेंगे l     


पंचकूला के सैक्टर सात के एक मकान में रहते थे मोदी, प्रदेशाध्यक्ष धनखड़ ने साँझा की पुरानी यादें
प्रधानमंत्री मोदी जब हरियाणा भाजपा के प्रदेश प्रभारी थे तो वे पंचकूला के सैक्टर सात के मकान न 481 में रहा करते थे l इसी मकान में हरियाणा भाजपा के संगठन के बड़े-बड़े निर्णयों की पटकथा लिखी गई थी l मुख्यमंत्री मनोहर लाल, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ समेत सभी बड़े नेता मोदी से मिलने यही आया करते थे l कल सेवा और समर्पण अभियान के तहत पंचकूला भाजपा के महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं ने कलश यात्रा का समापन इसी मकान में किया l  इस कलश यात्रा का शुभारम्भ श्री माता मनसा देवी मंदिर से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने किया था l यही पर भाजपा के युवा मोर्चा ने रक्तदान शिविर भी लगाया l  भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने  पुरानी यादें साँझा करते हुए इस मकान में मोदी जी से जुड़े कई संस्मरणों के बारे में बात की और वृक्षारोपण किया l इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता, सांसद रतनलाल कटारिया, प्रदेश मीडिया प्रमुख डॉ संजय शर्मा,पूर्व विधायक लतिका शर्मा, पंचकूला के जिलाध्यक्ष अजय शर्मा समेत सैकड़ों कार्यकर्त्ता मौजूद थे l


मोदी के जन्मदिन पर चलाए जा रहे सेवा और समर्पण अभियान के बारे में बताते हुए धनखड़ ने कहा कि आज से शुरू होकर 7 अक्तूबर तक सेवा और समर्पण अभियान विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से चलेगा, क्योंकि 7 अक्तूबर को मोदी जी के शासन के 20 वर्ष पूर्ण हो रहे है, इसलिए इस अभियान को 20 दिन का रखा गया है l अभियान में स्वास्थ्य सम्बन्धी, पर्यावरण सम्बन्धी, अन्य सेवा गतिविधियों के साथ प्रदर्शनी, विचार गोष्ठियां एवं प्रचार से जुडी गतिविधियों को शामिल किया गया है l उन्होंने कहा कि क्योंकि आज मोदी जी का 71 वा जन्मदिन है इसलिए पार्टी का युवा मोर्चा ने प्रदेश भर में 71 स्थानों पर रक्तदान शिविर लगाए है l किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने  71 हजार पौधे प्रत्येक गाँव और शहर के प्रत्येक वार्ड में लगाएं है l इसके साथ ही जिला केन्द्रों पर केंद्र सरकार की 71  बड़ी उपलब्धियों पर वर्चुअल संवाद, मोदी जी के जीवन और उपलब्धियों पर गोष्ठियां, उनके नेतृत्व में देश की तरक्की जैसे विषयों पर सेमिनारों का आयोजन भी किया जा रहा है l पार्टी के महिला मोर्चा की कार्यकर्त्ता के साथ पूरी टीम सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में जाकर मरीजों का हालचाल जानते हुए फल वितरण करेगी l

chandigarh Police

Police Files, Chandigarh – 17 September

‘Purnoor’ Koral, CHANDIGARH – 17.09.2021

MV Theft

Ram Achal R/o # # 1496, Rajeev Colony, Sector 17, Pkl (HR) reported that unknown person stole away his Auto No. HR-68B-2392 from park in front of Mangat kabari, Mauli jagran on 7-09-2021. A case FIR No. 112, U/S 379 IPC has been registered in PS-Mouli jagran, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

One arrested under NDPS Act

Chandigarh Police arrested Bunty R/o # 2285 Ph-2 Ramdarbar, chandigarh (Age-27 years) and recovered 7 Kg Ganja from his possession from mandi ground phase-2 Ram darbar, Chandigarh on 16.09.2021. A case FIR No. 131, U/S 20 NDPS Act has been registered in PS-31, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Cheating

A case FIR No. 145, U/S 406, 420, 120B IPC Act has been registered in PS-34, Chandigarh on the complaint of a lady resident of Derabassi (PB) against Rahul Narula and others O/o Path World Wide, SCO No. 156-157, Sector-34, Chandigarh, who cheated complainant of Rs. 400000/- on the pretext of providing PR VISA for Canada. Investigation of the case is in progress.

Accident

A case FIR No. 70, U/S 279, 337 IPC has been registered in PS-IT-Park, Chandigarh on the complaint of Manpreet Singh R/o MES tubewell No. 4 Shastri nagar, Manimajra, Chandigarh who alleged that driver of red Scorpio Car No. CH01-BH- 0662 namely Raminder Singh Mehta R/O # 466, MDC, sector 6, Pkl (Age 78 Years) who hit to a cyclist namely Sandeep Singh R/O # 75, Village Daria (age 21 years) near Dog hostel, Shastri nagar, Manimajra, Chandigarh. Cyclist got injuries and admitted in PGIMER, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Other case

A case FIR No. 142, U/S 387, 507, 120/B IPC has been registered in PS-17, Chandigarh on the statement of a person resident of Chandigarh that Ramsurat Patel residence of Village Bhaluwahiya Teh Ramgarhwa Distt Mothihari/East, Champaran, Bihar and Shambhu Patel R/O Shi Rampur, Teh- Raxaul Distt- Mothihari/East Champaran, Bihar, they both threatened the complainant on his mobile phone on 15.09.2019.  Investigation of case is in progress.

NATIONAL WEBINAR ON RETHINK WHAT YOU EAT

Chandigarh September 17, 2021

The University Institute of Hotel and Tourism Management, Panjab University, Chandigarh in collaboration with Chandigarh chapter of Indian Dietetic Association and Nutrition Society of India organized a National Webinar on- Rethink What you Eat to celebrate National Nutrition Month, September 2021 under the able guidance of Hon’ble Vice-Chancellor, Prof Raj Kumar making us strive towards excellence.

            Dr. Anish Slath, Director, UIHTM, welcomed the speaker and participants and gave an overview for the need to know what you are eating for well being.

            Dr. Nancy Sahni, Dietitian, PGIMER, Chandigarh delivered an exhaustive and enlightening talk on mindful eating. She gave an insight on ultra processed foods. Myths on packaged foods, fruits, sugars and fats were busted. She explained how the food labels must be read so that we know the nutrients we are eating. Intake of sodium, sugar and fats needs to be monitored. Various reasons for eating such foods were deliberated on. We must know what we eat, what our family eats and what is fed to all. The talk was an eye opener. She stressed on knowing what types of nutrients are we consuming. Mindful eating is the key to maintain healthy life. She motivated the participants to make nutrition their hobby for a healthy life.

            The question answer session, followed by the vote of thanks was conducted by Ms. Kalyani Singh. The webinar got an overwhelming response from participants joining it from various streams of life.