सिरसा। इनर व्हील क्लब सिरसा मिडटाउन की ओर से गरीब कन्या की शादी में कपड़े, डिनर सेट, गोल्ड प्लेटेड सेट, घर का जरूरी सामान व 5100 रुपये की राशि बतौर सहयोग भेंट की गई है। क्लब प्रधान अमनप्रीत भासीन ने कहा कि इनर व्हील क्लब सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है। क्लब का प्रमुख उद्देश्य अधिक से अधिक समाजहित कार्य करना है। बेटियों के विवाह में सहयोग करना क्लब की प्राथमिकता रही है। इस नेक कार्य में समाज के प्रत्येक व्यक्ति को आना चाहिए। इस मौके पर क्लब प्रधान अमनप्रीत भासीन, सचिव रविंद्र तिन्ना, वीना मेहता, संजू मेहता व सीमा पाहवा भी मौजूद थी।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/06/sirsa-10-june-photo-03.jpg6501156Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-06-10 14:10:562021-06-10 14:11:13गरीब कन्या की शादी में दिया सहयोग
– चंडीगढ़ से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिला पंचकूला के लिये 155.15 करोड़ से अधिक राशि की चार विकास परियोजनाओं का किया उद्घाटन व शिलान्यास।
-विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता ने दिल खोलकर किया मुख्यमंत्री का धन्यवाद।
-एक दिन पहले ही दी है पंचकूला को महानगरीय विकास प्राधिकरण (पीएमडीए) की सौगात- गुप्ता
पंचकूला, 10 जून:
जिलावासियों को विकास की नई सौगात देते हुये आज हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने हरियाणा निवास, चंडीगढ़ से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिला पंचकूला के लिये 155.15 करोड़ से अधिक राशि की चार विकास परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया। इसमें 5.18 करोड़ रुपये की एक परियोजना का उद्घाटन किया व 149.97 करोड़ रुपये की 3 परियोजनाओं का शिलान्यास शामिल है। मनोहर लाल ने आज विभिन्न जिलों के लिये 1100 करोड़ रुपये से अधिक राशि की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया। जिला पंचकूला को विकास की सौगात- मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 5.18 करोड़ से अधिक राशि से सेक्टर-2 में नवनिर्मित कल्याण भवन का उद्घाटन किया। इसके अलावा उन्होंने 93.97 करोड़ रुपये की लागत से नागरिक अस्पताल सेक्टर-6 पंचकूला के परिसर में बनने वाले मातृ एवं बाल स्वास्थ्य ब्लाॅक और सर्विस ब्लाॅक, 7.03 करोड़ रुपये की लागत से नागरिक अस्पताल सेक्टर-6 पंचकूला के परिसर में बनने वाले मलेरिया कार्यालय की इमारत और 48.97 करोड़ रुपये की लागत से मौली चैक-रायपुररानी- भूरेवाला सड़क का चैड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण के कार्यों का शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ओर से हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता ने सेक्टर-1 स्थित पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में इन परियोजनाओं का विधिवत शिलान्यास व उद्घाटन किया। इस अवसर पर हरियाणा अनुसूचित जाति वित एवं विकास निगम के चेयरमैन पवन कुमार खरखोदा, महापौर कुलभूषण गोयल, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की महानिदेशक श्रीमती रेणू एस फुलिया व उपायुक्त विनय प्रताप सिंह भी उपस्थित थे। विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता ने श्री मनोहर लाल का पंचकूलावासियों को विकास की नई परियोजनायें समर्पित करने पर धन्यवाद व आभार प्रकट करते हुये कहा कि आज का दिन पंचकूला के लिये विकास की दृष्टि से बहुत अहम है। उन्होंने कहा कि एक दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री ने इसी सभागार में पंचकूला महानगरीय विकास प्राधिकरण (पीएमडीए) के गठन की घोषणा की थी, जिससे पंचकूला में एजुसिटी, मैडिसिटी, फिल्मसिटी बनने का रास्ता प्रशस्त हुआ है। इसके अलावा उन्होंने पंचकूला जिला के विकास के लिये अनेक अन्य घोषणायें भी की थी, जिसमें पर्यटन की दृष्टि से मोरनी में एडवेंचर्स स्पोर्ट की शुरूआत व सड़कों का सुदृढ़ीकरण भी शामिल है। गुप्ता ने कहा कि यह पंचकूला के लिये सौभाग्य की बात है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा आज सेक्टर-6 स्थित नागरिक अस्पताल में 200 अतिरिक्त बैड की क्षमता वाले मातृ एवं बाल स्वास्थ्य ब्लाॅक का शिलान्यास किया गया है। उन्होंने कहा कि अब इस ब्लाॅक की क्षमता बढ़कर 500 बैड की हो जायेगी। उन्होंने कहा कि यह स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से पंचकूला के लिये एक प्रमुख उपलब्धि है क्योंकि संभवत पंचकूला प्रदेश का ऐसा पहला जिला है जहां 500 बैड क्षमता वाला मातृ एवं बाल स्वास्थ्य ब्लाॅक होगा। गुप्ता ने बताया कि मातृ एवं बाल स्वास्थ्य ब्लाॅक का निर्माण लगभग 94 करोड़ रुपये की लागत से किया जायेगा और यह कार्य 2 साल के अंदर पूरा कर लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि यह स्वास्थ्य ब्लाॅक 11 मंजिली होगा जोकि पंचकूला के साथ-साथ ट्राईसिटी की सबसे ऊंची बिल्डिंग होगी। उन्होंने कहा कि इसमें 3 बेसमेंट व 8 फ्लोर होंगो। इसके अलावा यहां 4 मंजिल के सर्विस ब्लाॅक का निर्माण भी किया जायेगा। गुप्ता ने कहा कि इसके अलावा तीन और विकास परियोजनाओं का आज उद्घाटन व लोकार्पण किया गया है, जिसमें सेक्टर-2 में नवनिर्मित कल्याण भवन का उद्घाटन तथा नागरिक अस्पताल सेक्टर-6 पंचकूला के परिसर में बनने वाले मलेरिया कार्यालय की इमारत और मौली चैक-रायपुररानी- भूरेवाला सड़क का चैड़ीकरण व सुदृढ़ीकरण शामिल है। गुप्ता ने निर्देश दिये कि इन कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाये और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाये। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल का हमेशा से ही यह प्रयास रहा है कि जनता को एक पारदर्शी व भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन उपलब्ध हो। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि हम सब मिलजुल कर इसमें अपना सहयोग दें। कोरोना का जिक्र करते हुये गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के प्रयासों के फलस्वरूप व जनता के सहयोग से कोरोना के मामलों में काफी कमी आई हैं। बावजूद इसके हमें कोरोना को हल्के में नहीं लेना है और केंद्र व राज्य सरकार द्वारा समय समय पर जारी दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करना है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे जब भी घर से निकले मास्क का प्रयोग करें तथा दो गज की दूरी बना कर रखें। इससे पूर्व अपने स्वागतीय भाषण में उपायुक्त श्री विनय प्रताप सिंह ने कार्यक्रम के मुख्यातिथि विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता तथा अन्य अतिथियों का स्वागत किया और मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा जिला पंचकूला को दी गई विकास की नई परियोजनाओं के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा, एसडीएम ऋचा राठी, सिविल सर्जन जसजीत कौर, बीजेपी के जिलाध्यक्ष अजय शर्मा, पूर्व जिलाध्यक्ष दीपक शर्मा, जिला महामंत्री वीरेंद्र राणा, पार्षद व उपाध्यक्ष हरेंद्र मलिक, पार्षद जय कौशिक, वरिष्ठ कार्यकर्ता श्यामलाल बंसल व बीजेपी मीडिया प्रभारी नवीन गर्ग सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/06/5.jpeg9581280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-06-10 12:31:562021-06-10 12:32:10हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज पंचकूलावासियों को दी नई विकास परियोजनाओं की सौगात
Four persons arrested for disobeying orders of DM, UT, Chandigarh
A case FIR No. 109, U/S 188 IPC has been registered in PS-Mauli Jagran, Chandigarh against Ankush R/o # 640, Thakur Dawara, Gobindpura, Mani Majra Chandigarh, Anuj R/o # 640, Thakur Dawara, Mani Majra, Rahul R/o # 116, New Darshani Baag, Old Ropar Road, Mani Majra, Hasim Khan R/o # 431, Dera Sahib Gurudwara, Mani Majra, Chandigarh who were arrested while roaming near Fauji Dhaba, Mani Majra, Chandigarh and violated curfew orders on 08.06.2021. Later, he bailed out. Investigation of the case is in progress.
Action against illicit liquor
Chandigarh Police arrested Satish Kumar R/o # 1149, Deep Complex, Hallo Majra, Chandigarh recovered 15 boxes of liquor (12 bottles each) from his possession near Shivalik Garden Mani Majra, Chandigarh on 09.06.2021 and. A case FIR No. 110, U/S 61-1-14 Excise Act has been registered in PS-MM, Chandigarh. Later, he bailed out. Investigation of the case is in progress.
Theft
Jitender Kumar R/o # 2222, DMC, Chandigarh reported that unknown person stole away complainant’s E-Rickshaw No. CH-127(T)-0178 from parking near his residence on 31.05.2021. A case FIR No. 76, U/S 379 IPC has been registered in PS-Maloya, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/12/Chandigarh-Police-Coaching-in-Chandigarh.jpg319889Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-06-10 12:23:362021-06-10 12:23:40Police Files, Chandigarh
NSS. Panjab University organized a Webinar on Covid 19 and Mental Health, today.
Prof. Raj Kumar, Vice Chancellor and Chief Patron of webinar addressed the audience about the need and relevance of conducting such webinars. In his opening address, he talked about critical times and how we should come together and move forward. Prof. Kumar apprised the audience about the fact that how life process is guided by our mental health and it does not only affect us but our whole society and at the end, encouraged everyone to do such more events in future and invite speakers from various diverse backgrounds.
Dr. Akshay Anand, Professor at Neuroscience Research lab, Department of Neurology, and Prof. in charge, Centre for Mind Body Medicine, PGIMER, Chandigarh was keynote speaker of the event. He started by thanking everyone for this opportunity. He talked about how for the last 20 years he is working on various animal models for the brain which can mimic a disease and working on various approaches like drug approach, therapeutic approach. Dr. Anand enlightened the participants about how stress is the primary cause behind every disease and talked about preventive approach because as such there are no drugs available for many diseases like for genetic code, Alzheimer, Parkinson etc. which can fully cure these. Discussion unfolded around sister stresses emerging in various categories like in kids, women, men, teachers, professors etc., causing symptoms like loneliness, fearfulness, anxiety, insomnia etc. in turn further leading to chronic stresses like stress for not getting vaccine, constantly checking your pulse rate etc.
Giving evidence and insight from various research studies, he further substantiated his claims using various facts and figures. He also cited one study conducted in the USA with a sample of 82000 people over a period of 8 years and the result showed that 43% of people died who believed they had stress and they could die of it, uncovering the role of positive attitude in dealing with various mental and other health problems. Stress shall be considered as a response of our body like increased heart rate as a way to handle it. Dr. Anand , further cited another interesting study that showed that we have in our heart receptors for oxytocin which is the hormone released in stress which shows that moderate amounts of stress is good and increased heart rate causes increased blood flow to our brain which is again good.
Giving insight about his third study, apprised that unlike animals we are much more conscious and can regulate our stress on our own by doing various things like music, sports, endurance exercise, yoga, social interactions .e.g. in yoga we have 8 fold paths of yamas, niyamas, asana, pranayama, pratyahara, dharana, dhyana and samadhi and also various protocols of yoga. Various coping strategies like Ayush Common Yoga Protocol so as to deal with these mental issues were discussed. Interesting fact is that people recovered from Covid-19 infection have shown more resilience and improved enduranceA fair number of researches have proved that these yoga protocols are helpful in reducing stress. Participants appreciated the learning that moderate amounts of stress are good for the health of individuals, however what matters is how we perceive stress, and the way we train our mind. At the end, he said that we should try to perceive it as a positive attitude towards it.
Earlier, the event was initiated with a briefing of the webinar theme by coordinator of the webinar, Dr. Naveen Kumar. Prof. Ashwani Koul, Patron of the event and Programme Coordinator, NSS-PU welcomed the guests and enlightened the audience about NSS and its various activities during the pandemic. Dr. Naveen Kumar, Programme Officer, NSS, Panjab University along with Dr. Nidhi Gautam introduced the dignitaries among 186 attendees belonging to various parts of Punjab and Chandigarh.
Dr. Arun Singh Thakur, Assistant Professor, UIHTM and Warden, BH-7 handled the questions and queries from participants.
Dr. Vivek kumar, Chairperson, Centre for Medical Physics and Programme Officer, NSS-PU proposed vote of thanks. The support of senior faculty members of Panjab University including Prof. Rakesh Malik, Deputy Director, Directorate of Sports, Prof. Jagat Bhushan, Controller of Examination, PU, Prof. Sanjeev Sharma, UIAMS, Prof. Seema Kapoor, UICET and Dr. Monika Aggarwal, UIAMS in successful conduct of this webinar was appreciated. The efforts of students’ coordinator team including Diksha Gautam, Suruchi Rishi, Neha Thakur and Hitesh Gupta were appreciated.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/06/Press-note-1-photo-2-scaled.jpg19202560Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-06-10 12:20:282021-06-10 12:20:31186 attended Webinar on mental Health by NSS,PU
राजस्थान में कांग्रेस के अंदर एक बार फिर उठापटक तेज हो ती दिख रही है। सचिन पायलट का धैर्य जवाब दे रहा है। पिछले साल बगावत के बाद जब उन्होंने कांग्रेस में वापसी की थी, तो उम्मीद थी कि उनका और उनके विश्वासपात्र विधायकों का सरकार के अंदर बेहतर समायोजन होगा, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। पिछले महीने पायलट ने खुलकर कहा, ‘कई माह पहले एक कमेटी बनी थी। मुझे विश्वास है कि अब और ज्यादा विलंब नहीं होगा। जो चर्चाएं की गई थीं और जिन मुद्दों पर आम सहमति बनी थी, उन पर तुरंत प्रभाव से कार्रवाई होनी चाहिए।’ सचिन की इस ऊहापोह वाली स्थिति का अंतत: लाभ भाजपा ही को मिलेगा। जिस प्रकार से राजस्थान की राजनीति चलती है कि सरकारें हर बार बदल कर आतीं हैं, उस गणित से अगली बार भाजपा कि सरकार होगी। असमंजस में पड़े सचिन पायलट को जादूगर गहलोत अपने पाँच साल पूरे करने के लिए इस्तेमाल करेंगे। 2023 में अभी देर है।यदि इसी असमंजस में अगले दो ढाई साल भी नकल जाते हाँ तो भाजपा को सचिन का भार नहीं उठाना पड़ेगा और सत्ता भी मिल जाएगी।
सारिका तिवारी, चंडीगढ़:
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस समय लगातार समस्याओं से जूझ रही है। पार्टी के प्रमुख युवा नेता और राहुल गांधी के एक समय बेहद करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद बुधवार को बीजेपी में शामिल हो गए। जितिन के बाद कांग्रेस से अब किसकी ‘बारी’, इसे लेकर चर्चाओं और अटकलों का दौर शुरू हो गया है। जितिन के बीजेपी में जाते ही राजस्थान के कांग्रेस नेता सचिन पायलट का नाम ट्रेंड करने लगा। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सवाल किया-ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद के बाद क्या ‘वे’ अगले नेता होंगे? इसके पीछे कारण भी बताए जा रहे हैं. पिछले साल राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले सचिन पायलट से किए गए वादों को कांग्रेस हाईकमान ने अब तक पूरा करना तो दूर अभी तक शायद संगयान भी नहीं लिया है।
गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट के ‘बागी तेवरों’ और उनके ‘लगभग बाहर’ आने को राजस्थान की कांग्रस सरकार को गिराने के बीजेपी के मास्टर प्लान का हिस्सा माना जा रहा था. हालांकि यह प्लान, अंतिम नतीजे तक नहीं पहुंच पाया. गांधी परिवार के साथ मीटिंग के बाद सचिन ने अपना इरादा बदल दिया. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था-मैंने जो मुद्दे उठाए हैं, उनके निराकरण का वादा किया गया है. हालांकि सचिन ने बुधवार को एक इंटरव्यू में पार्टी आलाकमान को याद दिलाया है कि इन ‘वादों’ को अब तक पूरा नहीं किया गया है। एक दैनिक को दिए इंटरव्यू में सचिन पायलट ने कहा, “10 माह हो चुके हैं. मुझसे कहा गया कि समिति की ओर से तत्परता से कार्रवाई की जाएगी लेकिन आधा कार्यकाल (राजस्थान सरकार का) हो चुका है और इन मुद्दों को सुलझाया नहीं गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी के पक्ष में जनादेश (राजस्थान में) दिलाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं की आवाज को सुना नहीं जा रहा है।”
कांग्रेस के लिए अब राजस्थान के सीएम गहलोत और सचिन पायलट, दोनों को ही एक साथ खुश रखना, कठिन चुनौती साबित हो रहा है। राजस्थान में कैबिनेट विस्तार में सचिन पायलट कैंप को ज्यादा स्थान देना इसका एक समाधान हो सकता है। बताया जाता है कि सीएम गहलोत इसलिए राजी है। कैबिनेट विस्तार की मांग विभिन्न कारणों के चलते लंबित है। सूत्र बताते हैं कि पायलट की मांगों पर विचार के लिए गठित किया गया पैनल की अगस्त के बाद से मीटिंग नहीं हुई है। इस पैनल के एक सदस्य, अहमद पटेल की पिछले साल नवंबर में कोविड के कारण मौत हो गई थी. अहमद पटेल को कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी का ‘प्रमुख संकटमोचक’ माना जाता था।
राजेश पायलट की पुण्यतिथि की तैयारियां भी तेज जानकारी यह भी मिल रही है कि 11 जून को राजेश पायलट की पुण्यतिथि को लेकर सचिन पायलट की ओर से तैयारी चल रही है। लेकिन पुण्यतिथि की तैयारियों के साथ सूत्रों के हवाले से यह बात भी सामने आ चुकी है। पायलट और उनके समर्थक विधायक पुण्यतिथि कार्यक्रम में अपना “शक्तिप्रदर्शन” करेंगे, ताकि कांग्रेस नेतृत्व को नाराजगी से जुड़े संकेत दिए जा सकें।
गहलोत खेमा भी पूरी तरह अलर्ट बड़ी बात यह भी है कि सचिन पायलट के साथ अब गहलोत खेमा भी पूरी तरह अलर्ट मोड़ पर है। सीएम गहलोत के बेहद करीबी माने जाने वाले धमेंद्र राठौड़ ने हाल ही पायलट समर्थक विश्वेंद्र सिंह और पी आर मीणा के साथ मुलाकात की थी। कयास यह भी लगाए जा रहे है कि अब गहलोत सरकार की ओर से उन्हें डेमेज कंट्रोल के तहत पायलट खेमे को मंत्रिमण्डल में शामिल करने को लेकर कवायद तेज हो गई है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/06/5_6888377_835x547-m.jpg547835Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-06-10 11:51:472021-06-10 12:00:08सचिन “दुविधा” में क्या करें क्या नहीं
विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/06/E3fXhy0UUAE196t.jpg6671000Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-06-10 04:57:362021-06-10 04:58:24पंचांग 10 जून 2021
वट सावित्री व्रत सौभाग्य को देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत माना गया है। भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है। इस व्रत की तिथि को लेकर भिन्न मत हैं। स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह व्रत करने का विधान है, वहीं निर्णयामृत आदि के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को व्रत करने की बात कही गई है। तिथियों में भिन्नता होते हुए भी व्रत का उद्देश्य एक ही है : सौभाग्य की वृद्धि और पतिव्रत के संस्कारों को आत्मसात करना। कई व्रत विशेषज्ञ यह व्रत ज्येष्ठ मास की त्रयोदशी से अमावस्या तक तीन दिनों तक करने में भरोसा रखते हैं। इसी तरह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से पूर्णिमा तक भी यह व्रत किया जाता है। विष्णु उपासक इस व्रत को पूर्णिमा को करना ज्यादा हितकर मानते हैं।
वट सावित्री व्रत में ‘वट’ और ‘सावित्री’ दोनों का विशिष्ट महत्व माना गया है। पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व है। पाराशर मुनि के अनुसार- ‘वट मूले तोपवासा’ ऐसा कहा गया है। पुराणों में यह स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा आदि सुनने से मनोकामना पूरी होती है। वट वृक्ष अपनी विशालता के लिए भी प्रसिद्ध है। संभव है वनगमन में ज्येष्ठ मास की तपती धूप से रक्षा के लिए भी वट के नीचे पूजा की जाती रही हो और बाद में यह धार्मिक परंपरा के रूपमें विकसित हो गई हो।
इस दिन सत्यवान सावित्री की यमराज सहित पूजा की जाती है. इस दिन पूरे दिन व्रत कर सायंकाल में फल का भक्षण करना चाहिए.
यह व्रत करने से स्त्री का सुहाग अचल रहता है. सावित्री ने इसी व्रत को कर अपने मृ्तक पति सत्यवान को धर्मराज से जीत लिया था.
वटसावित्री व्रत की पूजन विधि इस प्रकार है
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन वटवृक्ष के नीचे व्रत का इस प्रकार संकल्प लें-
मम वैधव्यादिसकलदोषपरिहारार्थं ब्रह्मासावित्रीप्रीत्यर्थं सत्यवत्सावित्रीप्रीत्यर्थं च वटसावित्रीव्रतमहं करिष्ये।
इस प्रकार संकल्प कर यदि तीन दिन उपवास करने की सामथ्र्य न हो तो त्रयोदशी को रात्रिभोजन, चतुर्दशी को अयाचित तथा अमावस्या को उपवास करके प्रतिपदा को पारणा करें। अमावस्या के दिन एक एक बांस की टोकरी में सात प्रकार के धान्य (अनाज) रखकर उसके ऊपर ब्रह्मा और ब्रह्मसावित्री तथा दूसरी टोकरी में सत्यवान व सावित्री की प्रतिमा स्थापित कर वटवृक्ष के समीप पूजन करें। साथ ही यमदेवता का भी पूजन करें। पूजन के बाद महिलाएं वटवृक्ष की परिक्रमा करें तथा जल चढ़ाएं।
परिक्रमा करते समय 108 बार या यथाशक्ति सूत लपेटें। परिक्रमा करते समय नमो वैवस्वताय मंत्र का जप करें। नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करते हुए सावित्री को अध्र्य दें-
अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणाध्र्यं नमोस्तु ते।।
वटवृक्ष को जल चढ़ाते समय यह प्रार्थना करें-
वट सिंचामि ते मूलं सलिलैरमृतोपमै:।
यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोसि त्वं महीतले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैस्च सम्पन्नं कुरु मां सदा।।
चने पर रुपया रखकर अपनी सास को देकर आशीर्वाद लें। सुहाग का सामान किसी योग्य ब्राह्मण को दान दें। इस दिन सावित्री-सत्यवान की कथा अवश्य सुनें।
इस दिन उपवासक को सुवर्ण या मिट्टी से सावित्री-सत्यवान तथा भैंसे पर सवार यमराज कि प्रतिमा बनाकर धूप-चन्दन, फल, रोली, केसर से पूजन करना चाहिए. तथा सावित्री-सत्यवान कि कथा सुननी चाहिए.
वट सावित्री व्रत कथा
भद्र देश के राजा अश्वपति की पुत्री रुप में गुण सम्पन्न सावित्री का जन्म हुआ. राजकन्या ने द्धुमत्सेन के पुत्र सत्यवान की कीर्ति सुनकर उन्हें पतिरुप में वरण कर लिया. इधर यह बात जब ऋषिराज नारद को ज्ञात हुई तो वे अश्वपति से जाकर कहने लगे- आपकी कन्या ने वर खोजने में भारी भूल कि है. सत्यवान गुणवान तथा धर्मात्मा है. परन्तु उनकी अल्पायु है. और एक वर्ष के बाद ही उसकी मृ्त्यु हो जाएगी.
नारद जी की यह बात सुनते ही राजा अश्वपति का चेहरा विवर्ण हो गया. “वृ्था न होहिं देव ऋषि बानी” ऎसा विचार करके उन्होने अपनी पुत्री को समझाया की ऎसे अल्पायु व्यक्ति के साथ विवाह करना उचित नहीं है. इसलिये अन्य कोई वर चुन लो. इस पर सावित्री बोळी पिताजी- आर्य कन्याएं अपने पति का एक बार ही वरण करती है, राजा एक बार ही आज्ञा देता है, पंडित एक बार ही प्रतिज्ञा करते है.
तथा कन्यादान भी एक ही बार किया जाता है. अब चाहे जो हो, मैं सत्यवान को ही वर रुप में स्वीकार करूंगी. सावित्री ने नारद से सत्यवान की मृ्त्यु का समय मालूम कर लिया था. अन्ततोगत्वा उन दोनौं को पाणिग्रहण संस्कार में बांधा गया. वह ससुराल पहुंचते ही सास-ससुर की सेवा में रत हो गई. समय बदला, ससुर का बल क्षीण होता देख शत्रुओं ने उनका राज्य छिन लिया.
नारद का वचन सावित्री को दिन -प्रतिदिन अधीर करने लगा. उसने जब जाना की पति की मृ्त्यु का दिन नजदीक आ गया है. तब तीन दिन पूर्व से ही उपवास शुरु कर दिया. नारद द्वारा कथित निश्चित तिथि पर पितरों का पूजन किया. नित्य की भांति उस दिन भी सत्यवान अपने समय पर लकडी काटने के लिये चला गया, तो सावित्री भी सास-ससुर की आज्ञा से अपने पति के साथ जंगल में चलने के लिए तैयार हो गई़
सत्यवान वन में पहुंचकर लकडी काटने के लिये वृ्क्ष पर चढ गया. वृ्क्ष पर चढते ही सत्यवान के सिर में असहनीय पीडा होने लगी. वह व्याकुल हो गया और वृ्क्ष से नीचे उतर गया. सावित्री अपना भविष्य समझ गई. तथा अपनी गोद का सिरहाना बनाकर अपने पति को लिटा लिया. उसी समय दक्षिण दिशा से अत्यन्त प्रभावशाली महिषारुढ यमराज को आते देखा.
धर्मराज सत्यवान के जीवन को जब लेकर चल दिए. तो सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पडी. पहले तो यमराज ने उसे देवी-विधान समझाया परन्तु उसकी निष्ठा और पतिपरायणता देख कर उसे वर मांगने के लिये कहा. सावित्री बोली -मेरे सास-ससुर वनवासी तथा अंधे है. उन्हें आप दिव्य ज्योति प्रदान करें. यमराज ने कहा -ऎसा ही होगा.
जाओ अब लौट जाओ. यमराज की बात सुनकर उसने कहा-भगवान मुझे अपने पतिदेव के पीछे -पीछे चलने में कोई परेशानी नहीं है. पति के पीछे चलना मेरा कर्तव्य है. यह सुनकर उन्होने फिर से उसे एक और वर मांगने के लिये कहा. सावित्री बोली-हमारे ससुर का राज्य छिन गया है. उसे वे पुन: प्राप्त कर सकें, साथ ही धर्मपरायण बने रहें.
यमराज ने यह वर देकर कहा की अच्छा अब तुम लौट जाओ. परन्तु उसने यमराज के पीछे चलना बन्द नहीं किया. अंत में यमराज ने सावित्री को एक अंतिम वर मांगने के लिए कहा। सावित्री ने तुरंत ही धर्मराज से दो शीलवान, आज्ञाकारी और राजोचित लक्षणों वाले पत्रों की कामना की जिसे धर्मराज ने पीछा छुड़ाने के लिए तथास्तु कह दिया। अब पुण्य शीला सावित्री पुन: धर्मराज के पीछे पीछे चल पड़ी। अब धर्मराज ने क्रोधित होते हुए सावित्री का आज्ञा न माने का कारण पूछा तो सावित्री ने दो पुत्रो वाले वरदान को याद दिलाया, और कहा की बिना पति के पुत्रों की प्राप्ति कैसे संभव है। धर्म राज निरुत्तर हो गए और उन्हे सत्यवान का प्राण छोडना पडा।
सावित्री को यह वरदान देकर धर्मरज अन्तर्धान हो गये. इस प्रकार सावित्री उसी वट के वृ्क्ष के नीचे आई जहां पर उसके पति का मृ्त शरीर पडा था. ईश्वर की अनुकम्पा से उसके शरीर में जीवन का संचार होने लगा तथा सत्यवान उठकर बैठ गये. दोनों हर्षित होकर अपनी राजधानी की ओर चल पडे. वहां पहुंच कर उन्होने देखा की उनके माता-पिता को दिव्य ज्योति प्राप्त हो गई है. इस प्रकार सावित्री-सत्यवान चिरकाल तक राज्य सुख भोगते रहें.
वट सावित्री व्रत करने और इस कथा को सुनने से उपावसक के वैवाहिक जीवन या जीवन साथी की आयु पर किसी प्रकार का कोई संकट आया भी हो तो टल जाता है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/06/somvati.jpg550850Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-06-10 04:48:392021-06-10 04:49:14ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट-सावित्री व्रत किया जाता है
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के दिन शनिदेव की जयंती मनाई जाती है। इस दिन भावुका अमावस्या और वटसावित्री अमावस्या व्रत भी किया जाता है। जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती, ढैया, महादशा, अंतर्दशा आदि चल रही हो वे इस दिन शनि देव की मूर्ति पूजा, शनि मंत्रों का जप, होम, शनि स्तोत्र, शनि कवच का पाठ करें और शनि से जुड़ी वस्तुओं का दान करें। शनि जयंती के दिन गुरुवार, रोहिणी नक्षत्र, धृति योग, नाग करण रहेगा। इस दिन सूर्य और चंद्र दोनों वृषभ राशि में रहेंगे। इस दिन वृषभ राशि में सूर्य, चंद्र, बुध, राहु रहने से चतुर्ग्रही योग भी बन रहा है।
वर्ष में 12 पूर्णिमा और 12 अमावस्या होती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। पूर्णिमा और अमावस्या के प्रति बहुत से लोगों में डर है। खासकर अमावस्या के प्रति ज्यादा डर है। सभी का अलग-अलग महत्व है। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या। वर्ष के मान से उत्तरायण में और माह के मान से शुक्ल पक्ष में देव आत्माएं सक्रिय रहती हैं तो दक्षिणायन और कृष्ण पक्ष में दैत्य आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं। जब दानवी आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं, तब मनुष्यों में भी दानवी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है इसीलिए उक्त दिनों के महत्वपूर्ण दिन में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है।
वर्ष के मान से उत्तरायण में और माह के मान से शुक्ल पक्ष में देव आत्माएं सक्रिय रहती हैं तो दक्षिणायन और कृष्ण पक्ष में दैत्य आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं। जब दानवी आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं, तब मनुष्यों में भी दानवी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है इसीलिए उक्त दिनों के महत्वपूर्ण दिन में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है।
अमावस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए। प्रेत के शरीर की रचना में 25 प्रतिशत फिजिकल एटम और 75 प्रतिशत ईथरिक एटम होता है। इसी प्रकार पितृ शरीर के निर्माण में 25 प्रतिशत ईथरिक एटम और 75 प्रतिशत एस्ट्रल एटम होता है। अगर ईथरिक एटम सघन हो जाए तो प्रेतों का छायाचित्र लिया जा सकता है और इसी प्रकार यदि एस्ट्रल एटम सघन हो जाए तो पितरों का भी छायाचित्र लिया जा सकता है।
ज्योतिष में चन्द्र को मन का देवता माना गया है। अमावस्या के दिन चन्द्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसे में जो लोग अति भावुक होते हैं, उन पर इस बात का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। लड़कियां मन से बहुत ही भावुक होती हैं। इस दिन चन्द्रमा नहीं दिखाई देता तो ऐसे में हमारे शरीर में हलचल अधिक बढ़ जाती है। जो व्यक्ति नकारात्मक सोच वाला होता है उसे नकारात्मक शक्ति अपने प्रभाव में ले लेती है। धर्मग्रंथों में चन्द्रमा की 16वीं कला को ‘अमा’ कहा गया है। चन्द्रमंडल की ‘अमा’ नाम की महाकला है जिसमें चन्द्रमा की 16 कलाओं की शक्ति शामिल है। शास्त्रों में अमा के अनेक नाम आए हैं, जैसे अमावस्या, सूर्य-चन्द्र संगम, पंचदशी, अमावसी, अमावासी या अमामासी। अमावस्या के दिन चन्द्र नहीं दिखाई देता अर्थात जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा गया है, तब इसे ‘कुहू अमावस्या’ भी कहा जाता है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल है। अमावस्या माह में एक बार ही आती है। इस दिन दोनों ही एक ही राशि में रहते हैं।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/06/unnamed.jpg187250Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-06-10 04:16:392021-06-10 04:17:21भावुका अमावस्या 2021
10 जून 2021 को शनैश्चर जयंती है. साढे साती, ढैया और कमजोर विंशोत्तरी के प्रभाव को कम करने के लिए शनिदेव के सहज उपाय कारगर सिद्ध होते हैं. ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनैश्चर जयंती मनाई जाती है. भाग्य के देवता न्यायाधिपति शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए लोग विभिन्न उपाय करते हैं.
कोरोना संक्रमण के बीच शनि जयंती 10 जून को आस्था व उल्लास के साथ मनाई जाएगी। इस मौके पर पुष्प और विद्युत सज्जा से सजे शनि मंदिरों में भगवान का तिल-तेल से अभिषेक होगा। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते भक्तों के बिना पूजा-अर्चना के साथ कोरोना मुक्ति के लिए प्रार्थना होगी।
शनिदेव की जयंती ज्येष्ठ माह की अमावस्या को है. शनैश्चर जयंती को पिता सूर्य को ग्रहण लगने वाला है. यह ग्रहण भारत में अमान्य होगा. इसका सूतक भी भारतवर्ष में नहीं लगेगा. कंकणाकृति ग्रहण दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, दक्षिण पश्चिम अफ्रीका, प्रशांत महासागर एवं आइसलैंड क्षेत्र में दिखाई देगा. सूर्यग्रहण सर्वाधिक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है. इसका निर्माण सूर्य और पृथ्वी के चंद्रमा के आने पर होता है. अर्थात् तीनों एक सीध में होते हैं. सूर्यदेव की चाल से चंद्रमा और पृथ्वी को अपनी गति व्यवस्थित करना होती है. ऐसे में पृथ्वी पर अत्यावश्यक भौगोलिक सुधार होते हैं. कंकणाकृति सूर्यग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक लगता है. यह विशेषतः दृश्य क्षेत्र में मान्य होता है. शनिदेव की शनैश्चर जयंती के दिन ग्रहण होना विभिन्न राशियों के लिए भाग्य में आकस्मिक बदलावों का संकेतक है. शनिदेव भाग्यदाता ग्रह हैं. इन दिनों वे सूर्य के प्रभाव से उलटी चाल में हैं. ऐसे ग्रहण का आना शनिदेव के प्रभाव को अत्यधिक बढ़ाने वाला है. ग्रहण के दौरान ऐसे कार्याें से दूरी रखें जिनके कारक शनिदेव हैं. लोहे के सामान और औजारों को न छुएं. ऐसी भूमि क्षेत्र से दूरी रखें जो दलदली हो. भारी मशीनरी से बचाव रखना भी उचित होगा शनिदेव न्याय के देवता हैं. ग्रहण के दौरान किसी को हानि न पहुंचाएं. ग्रहण के दौरान पाप-पुण्य का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है. ऐसे में कोई चूक न करें. शनिदेव और सूर्यदेव के मंत्रों का जाप कर सकते हैं. ग्रहण रात्रिकाल में रहेगा. रात्रि में हल्का भोजन लें. तनावमुक्त अवस्था में शयन पर जोर दें.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/06/18_07_2020-shanidev-vrat-vidhi_20522360.jpg540650Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-06-10 03:25:112021-06-10 03:25:30शनैश्चर जयंती 2021
ज्येष्ठ अमावस्यायह हिन्दी कैलेंडर का ज्येष्ठ महीना चल रहा है। इस महीने में पड़ने वाले अमावस्या तिथि को ज्येष्ठ अमावस्या कहते हैं। शास्त्रों में ज्येष्ठ अमावस्या का बड़ा महत्व है। दरअसल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ही शनि जयंती और वट सावित्री व्रत का पर्व मनाया जाता है।
ज्येष्ठ माह में आने वाली 15वीं तिथि ज्येष्ठ अमावस्या कहलाती है। हिंदू धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या का खास महत्व होता है. इस साल ज्येष्ठ अमावस्या10 जून को मनाई जाएगी।ज्येष्ठ अमावस्या के मौके पर भगवान शिव-पार्वती, विष्णुजी और वट वृक्ष की पूजा की परंपरा है। अमावस्या के दिन स्नान और दान का काफी महत्व होता है।
हिन्दी पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 9 जून 2021 दिन बुधवार को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन 10 जून 2021 दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 20 मिनट पर हो रहा है। स्नान दान के लिए उदया तिथि आज 10 जून को प्राप्त हो रही है। ऐसे में ज्येष्ठ अमावस्या 10 जून को है। इस दिन ही धार्मिक कार्य किए जाएंगे।
ज्येष्ठ अमावस्या के दौरान स्नान करने को महत्वपूर्ण बताया गया है। प्राचीन काल से यह परंपरा चली आ रही है. तीर्थ स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। इसके बाद ब्राह्मण भोजन और जल दान का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन अन्न और जल दान करने से पितर संतुष्ट होते हैं, जिससे परिवार में समृद्धि आती है। इस दिन स्नान करने से नकारात्मक तत्व दूर होते हैं और मानसिक बल मिलता है. ज्येष्ठ अमावस्या के मौके पर आइए जानते हैं कौन सी चीजें नहीं करनी चाहिए।
ज्येष्ठ अमावस्या की पूजा
अमावस्या के दिन प्रात: पवित्र नदी, जलाशय अथवा कुंड आदि में स्नान करना चाहिए। हालांकि इस समय महामारी का समय है, तो आप घर पर ही स्नान कर लें, यह उत्तम रहेगा। चाहें तो बाल्टी के पानी में गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं। इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए। तांबे के पात्र में जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें। अमावस्या के दिन किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
ज्येष्ठ अमावस्या क्यों है खास
हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस बार ज्येष्ठ अमावस्या खास है क्योंकि इसी दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। यह इस साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा। ग्रहण दोपहर 01:42 बजे से शुरू होगा, जो शाम 06:41 बजे समाप्त होगा।
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन अगर आपके घर में कई गरीब मांगने वाला आता है तो उसे कभी भी मना नहीं करना चाहिए या खाली हाथ लौटाना नहीं चाहिए. उसे घर में बैठाएं और भोजन कराएं.
ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती के नाम से भी जाना जाता है इसलिए शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन तन और मन से शुद्धता बनाए रखनी चाहिए. इस दिन भूलकर भी मांस-मदिरा के सेवन करने से बचना चाहिए. वरना शनिदेव नाराज हो सकते हैं.
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन महिलाओं को बाल खोलकर नहीं रहना चाहिए. ऐसा अशुभ माना जाता है. अमावस्या की तिथि पर महिलाओं को हमेशा अपना बाल बांधकर रखने चाहिए.
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन लोहा, कांच या सरसों का तेल आदि शनि से संबंधित किसी भी चीज की खरीदारी नहीं करनी चाहिए, ऐसा करना अशुभ बताया गया है. इन चीजों पर शनि व राहु-केतु का संबंध माना गया है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2021/06/jyestha-amavashya-hindi-big.jpg270730Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2021-06-10 02:59:392021-06-10 03:00:27ज्येष्ठ अमावस्या, 2021
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