‘ऑक्सिजन ऑडिट’ से घबराई आआपा सरकार के पास अचानक ही ऑक्सिजन बहुतायत में
ऑक्सिजन पर हर तरह का मोर्चा खोल अपनी बद्द पिटवा चुकी अरविंद केजरीवाल की आआपा सरकार की असलियत तब सामने जब इनके यहाँ हजारो ऑक्सिजन सिलेन्डर कालाबाजारी के लिए रखे हुए मिले। सिलेंडरों की चोरी पर चुप्पी साधने वाले उप मुख्यमंत्री सीसोदिया कोर्ट जा कर केंद्र सरकार पर बिफरते रहे। बहुत आसानी स ऑक्सिजन चोरी की बात छिपा कर ऑक्सिजन की कमी के लिए केंद्र सरकार को घेरते रहे। जब केंद्र सरकार ने ऑक्सिजन के ऑडिट की बात की तो आआपा सरकार ने कोर्ट में साफ मना कर दिया। जब सर्वोच्च न्यायालय ने ऑक्सिजन ऑडिट के आदेश दिये तो दिल्ली में मानो चमत्कार हो गया। अचानक ही दिल्ली में कोरपोना मरीजों की संख्या में सुधार आ गया। केजरीवाल की आआपा सरकार ने सामने आ कर केंद्र सरकार पर एहसान जताते हुए कहा कि अब दिल्ली मे ऑक्सिजन कि कमी नहीं रही अत: केंद्र सरकार दिल्ली के हिस्से कि ऑक्सिजन किसी भी राज्य को आवंटित कर सकता है। केंद्र द्वारा ऑडिट कराने के प्रस्ताव के तुरंत बाद, दिल्ली की ऑक्सीजन की माँग जादुई रूप से 976 मीट्रिक टन से घटकर 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पर आ गई थी, जो अब सुप्रीम कोर्ट के ऑडिट के निर्देश देने के बाद 582 मीट्रिक टन प्रति दिन हो गई है।
‘ऑक्सिजन ऑडिट से डर गई दिल्ली सरकार’
दिल्ली में सिसोदिया के ‘सरप्लस’ ऑक्सिजन के बयान पर बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर हमला बोला है। बीजेपी ने इस पर अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘ऑक्सिजन ऑडिट की बात आई तो अब बोल रहे हैं कि ऑक्सिजन पर्याप्त मात्रा में है। केंद्र सरकार लगातार दिल्ली को ऑक्सिजन की सप्लाई देती रही, और AAP रोज अपनी नाकामी छुपाने के लिए झूठ बोलते रहे। आआपा का झूठ अब जनता के सामने आ चुका है।’
सारिका तिवारी, नयी दिल्ली/चंडीगढ़ :
दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी पर आआपा सरकार की क्षुद्र राजनीति आपने देखी होगी। अब अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आआपा सरकार ने सरप्लस ऑक्सीजन होने की बात कही है। गुरुवार (13 मई 2021) को उसने सरप्लस (अतिरिक्त) ऑक्सीजन का ऐलान करते हुए कहा कि जरूरतमंद राज्यों को यह दिया जा सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि यह घोषणा सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की आपूर्ति, वितरण और उपयोग का ऑडिट करने के लिए एक पैनल की स्थापना के बाद की गई है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि COVID-19 स्थिति के आकलन के बाद फिलहाल दिल्ली की ऑक्सीजन की जरूरत 582 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। एक जिम्मेदार सरकार के रूप में हम अपनी सरप्लस ऑक्सीजन उन राज्यों को देने को तैयार हैं, जिन्हें इसकी आवश्यकता है।
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में कोरोना के मामलों में आ रही कमी बहुत ही राहत की बात है। अस्पतालों में मरीजों की मौजूदा संख्या को देखते हुए ऑक्सीजन की जरूरत भी कम हुई है। इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने केन्द्र को चिट्ठी लिखकर कहा है कि ऑक्सीजन की माँग में अब कमी आई है, इसलिए दिल्ली को अब 700 की जगह 582 मीट्रिक टन की आवश्यकता है। हमने केंद्र सरकार से बाकी ऑक्सीजन जरूरतमंद राज्य को देने के लिए अनुरोध किया है।
बता दें कि 18 अप्रैल 2021 को केजरीवाल सरकार ने 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की माँग की थी।
उस दिन, दिल्ली में 74,941 सक्रिय कोरोना वायरस के मामले थे। गुरुवार (मई 13, 2021) को जब केजरीवाल सरकार ने कहा है कि ऑक्सीजन की आवश्यकता घट कर 582 मीट्रिक टन हो गई है, दिल्ली में सक्रिय मामले 82,725 हैं।
दिल्ली में ऑक्सीजन की आवश्यकता पर बदलती माँग
दिलचस्प बात यह है कि आआपा सरकार राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की आवश्यकता पर अपने ही रुख का विरोध कर रही है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आआपा सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में संकट से बाहर निकलने के लिए दिल्ली को कम से कम 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की दैनिक आपूर्ति की आवश्यकता है। आवश्यक 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रदान नहीं करने के लिए केंद्र सरकार पर दोषारोपण कर रही थी। लेकिन कोर्ट के आदेशों के बाद 730 एमटी ऑक्सीजन की आपूर्ति होने के बाद सीएम ने कहना शुरू कर दिया कि उनके पास हजारों नए ऑक्सीजन बेड शुरू करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन है।
और अब जब शीर्ष अदालत ने आआपा सरकार की कड़ी आपत्ति के बावजूद, दिल्ली में ऑक्सीजन ऑडिट करने के लिए एक पैनल नियुक्त किया है, केजरीवाल सरकार ने प्रति दिन 582 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के लिए सीधे समझौता किया है।
यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत में जोर देकर कहा था कि दिल्ली की 700 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) की माँग आवश्यकता से परे थी। उन्होंने कहा कि 500-600 में भी काम हो सकता था। उन्होंने अदालत में जोर देकर कहा था कि दिल्ली में ऑक्सीजन के वितरण में किसी भी तरह के गड़बड़ी की जाँच करने के लिए एक ऑडिट होना चाहिए।
केजरीवाल सरकार द्वारा इसका कड़ा विरोध किया गया था, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली को ऑक्सीजन के आवंटन में ग्राउंड की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं किया गया था और यह केवल कागजी कार्रवाई थी, और यदि ऑडिट की आवश्यकता है, तो यह केंद्र सरकार के मनमाने आवंटन पर होना चाहिए।
केंद्र द्वारा ऑडिट कराने के प्रस्ताव के तुरंत बाद, दिल्ली की ऑक्सीजन की माँग जादुई रूप से 976 मीट्रिक टन से घटकर 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पर आ गई थी, जो अब सुप्रीम कोर्ट के ऑडिट के निर्देश देने के बाद 582 मीट्रिक टन प्रति दिन हो गई है।
मेडिकल ऑक्सीजन के इस शोरगुल के बीच, राष्ट्रीय राजधानी में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ, जिसमें आआपा सरकार के कई मंत्री और सहयोगी मेडिकल ऑक्सीजन और आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के ब्लैक मार्केटिंग में शामिल पाए गए।