Tuesday, December 24

करणीदान सिंह, सूरतगढ़:

करणीदान सिंह, सूरतगढ़:

शासन और प्रशासन की दृष्टि में तो यह माना जा रहा है कि धर्म और चुनाव रैलियों जिनमें लाखों लोग एक दूजे से सटे हुए भी कोरोना नहीं फैलाते। राजनीतिक लोग कार्यक्रम करते हैं वहां से भी कोरोना नहीं फैलता। भीड़ होती है लेकिन कोरोना नहीं फैलता।इनसे कोरोना फैलता तो सरकारें रोक लगाती। **

कोरोना दुकानों से फैलता है। यह सरकारों ने माना है। इसलिए बाजारों को बंद करवाना जरूरी होता है।

हालांकि किरयाना दुकान पर सौ के लगभग ग्राहकों से भी कोरोना नहीं फैलता। लेकिन फिर भी आशंका रहती है। इसलिए इनको कुछ घंटों की छूट है।
बाकी दुकानों में ग्राहक तो 15-20, या 40-50 ही आते हैं। भीड़ बिल्कुल नहीं होती।लेकिन सरकारों ने पक्का मान लिया है कि इनसे कोरोना फैलता है। यहां से कोरोना की चेन यानि कड़ी को तोड़ना है सो इनको बंद कराना पहला कदम है।
पूरे दिन बाजार खुले तो भीड़ नहीं होती लेकिन सरकारों ने समय कम कर दिया। भीड़ हो जाती है लेकिन इस पर नजर नहीं। बाजार बंद कोरोना की चेन खत्म होगी।
दुकानदार माल बेचने का तर्क ग्राहक पर तो आजमाता है लेकिन सरकारो से तर्क नहीं करता। बस,इसलिए मान कर ही चलें कि दुकानदार ही कोरोना के वाहक हैं प्रसारक हैं।

इसलिए बाजारों को बंद रखना जरूरी है। इसलिए अधिकारी जैसे जैसे बोलता है व्यापारी प्रतिनिधि नेता हां में हां मिलाते हैं और अधिकारी से भी ज्यादा करने की हां भी करते हैं। अधिकारी साल दो साल के लिए आता है। उसके साथ फोटो खिंचवा कर खुश। अधिकारी भी ऐसे व्यापारी नेताओं से खुश। इसलिए सभी मान लेते हैं कि दुकानों से फैलता है कोरोना। बाजारों को बंद करने का निर्णय प्रशासन के आदेश से पहले ही कर लेते हैं।